Sanjana Kirodiwal

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 22

Pakizah – 22

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 22


“युवान” नाम पढ़ते ही रूद्र के जहन में पहली बात पाकीजा को लेकर आयी l पाकीजा की जिससे शादी हुई थी उस लड़के का नाम भी युवान ही था l रूद्र ट्रेन से उतरा और लड़के को ढूंढने लगा पर लड़का नजर नही आया l ट्रेन ने हॉर्न मारा तो रुद्र वापस ट्रेन में आ गया l परेशानी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी ट्रेन ने गति पकड़ ली तो रुद्र आकर वापस अपनी सीट पर बैठ गया l उसके हाथ मे लड़के का कार्ड था रुद्र ने उसे अपनी जेब मे रख लिया l

ट्रेन में बैठा वह खिड़की से बाहर झांकने लगा l मंजिल उसके सामने थी पर रास्ता कैसे तय करना ये वो नही जानता था l उसके जहन में बहुत से सवाल घूम रहे थे और उन सवालों का जवाब सिर्फ पाकिजा की किताब में था ! रुद्र ने बेग से किताब निकाली ओर खोलकर पढ़ने लगा

सोनाली पाकिजा के कमरे में आई पाकिजा नही दिखी शायद बाथरूम में होगी ये सोचकर आज जैसे ही आगे बढ़ी उसके पांव में कुछ चुभा सोनाली ने देखा तो वो कोई कान की बाली जैसी दिख रही थी सोनाली ने उसे उठाया और गौर से देखकर कहा ,”ये तो पाकिजा की बाली है पर ये यहां कैसे आयी ?


सोनाली आगे बढ़ी आईने के सामने पड़ी टेबल पर सेम कान की बाली रखी हुई थी उसने उठाया और दोनों बलियो को अपनी हथेली पर रखकर देखने लगी सोनाली के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी उसने बाथरूम में नहाती पाकिजा को आवाज लगाई
“पाकिजा ! पाकिजा ! जल्दी बाहर आ”


पाकिजा अंदर नहा रही थी जैसे ही उसने सोनाली को चिल्लाते सुना जल्दी जल्दी से कपड़े पहनकर बाहर आयी l
“क्या हुआ बाजी ? आप इतनी जोर से क्यों चिल्ला रही है ?”
“ओह्ह पाकिजा तू सुनेगी तो खुशी से झूम उठेगी”,सोनाली ने पाकिजा के कंधों को पकड़ उसे हिलाते हुए कहा l
“अरे बाजी बताईये तो सही आखिर हुआ क्या ? आज बहुत खुश लग रही है आप”,पाकिजा ने कहा


“पाकिजा अगर तुम्हें तुम्हारी सबसे पसंदीदा चीज मील जाए तो क्या होगा ? बताओ जरा”,सोनाली ने आंखों में चमक भरते हुए कहा l
“मैं तो खुशी से मर ही जाउंगी बाजी”,पाकिजा ने कहा
“अपना हाथ आगे कर”,सोनाली ने पाकिजा की आंखों में देखते हुए कहा l
पाकिजा ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया l

सोनाली ने दोनों बालिया पाकिजा की हथेली पर रख दी पाकिजा ने देखा तो खुशी से उछल पड़ी और कहा ,” ये ये आपको कहा से मिली बाजी ? आप नही जानती आपने मुझे क्या दिया है ? ये ये मेरी अम्मा की निशानी है शुक्रिया बाजी बहुत बहुत शुक्रिया ! आज मैं बहुत खुश हूं”
“यही मिली थी तुम्हारे कमरे में !”,सोनाली ने मुस्कुराते हुए कहा l


पाकिजा ने तुरंत उन्हें अपने कान में पहन लिया और सोनाली को दिखाने लगी l
“अब तो खुश हो ? “,सोनाली ने पूछा
“हा बाजी बहुत खुश हूं मैं”,पाकिजा ने कहा l
“अच्छा फिर मेरे साथ चलोगी ? “,सोनाली ने बिस्तर पर बैठते हुए कहा


“कहा बाजी ? “,पाकिजा ने मासूमियत से पूछा
सोनाली – मंदिर और कहा ? वो मैंने तुम्हारी बाली मिल जाने के लिये मन्नत मांगी थीं और देखो मिल गयी l
पाकिजा – लेकिन मैं मंदिर कैसे ?
सोनाली – समझ गयी तुम मुस्लिम हो इसलिय मंदिर जाने से डर रही हो ?


पाकिजा – नही बाजी मेरा वो मतलब नही था हिन्दू क्या ओर मुस्लिम क्या इन चार दिवारी के बीच धर्म , जात , ऊंच नीच भला कौन देखता है l यहां सिर्फ एक ही धर्म चलता है वो है इस जिस्म का बस
सोनाली – तो फिर तूने क्यो कहा ?
पाकिजा – मेरा मतलब था कि क्या अम्माजी हमे इस तरह बाहर जाने देगी ?


सोनाली – देख पाकिजा इस वक्त तू अम्माजी की खास बांदी है तू सोने का अंडा देने वाली वो मुर्गी है जिसे अम्माजी कभी नही खोना चाहेगी इसलिए तू जो कहेगी वो अम्माजी को मानना पड़ेगा कभी खुशी खुशी तो कभी मजबूरी में समझी
पाकिजा को कुछ समझ तो नही आया पर उसने हा में अपनी गर्दन हिला दी l


“अब तू जल्दी से तैयार हो जा मैं अम्माजी को बोलकर आती हु “,कहते हुए सोनाली उठी और कमरे से बाहर चली गयी l
पाकिजा ने अपने बाल सुखाये ओर सूट पहनकर तैयार हो गयी l कुछ देर बाद सोनाली पाकिजा को लेकर कोठे से बाहर निकल गयी

अकेले बाहर जाने की अनुमति उन्हें अब भी नही थी l अम्माजी के आदमी हर वक्त उनके आस पास रहते l मंदिर के सामने पहुचकर सोनाली ने कहा ,”पाकिजा तुम यही रुको मैं अभी आती हु”
पाकिजा वही रुक गयी और सोनाली सामने दुकान की तरफ बढ़ गयी l मंदिर में आने जाने वाली औरते पाकिजा को अजीब नजरो से घूर रही थी l पाकिजा ने देखा वो कोई बड़ा शिव मंदिर था l

पहली बार उसने मंदीर में कदम रखा था जैसे ही वो सीढिया चढ़ने लगी पास से गुजरती महिला ने अपनी साथ वाली महिला से कहा,”राम राम राम कैसा जमाना आ गया है अब इसके जैसे लोग भी मंदिर आने लगे तो क्या पवित्रता रह जायेगी इस जगह की”
“अरे बहन जो खुद इतनी अपवित्र हो उसके लिए मंदिर क्या मस्जिद क्या ?”,दुसरी औरत ने कहा


पाकिजा वही सीढियो पर रुक गयी उसकी आँखों मे नमी तैर गयी l
“अरे ऐसे लोगो का तो चेहरा देखना भी पाप है चलो बहन यहां से”,पहली औरत ने कहा और दोनों सीढिया चढ़ती हुई मंदिर की तरफ चली गयी l पाकिजा की आंखों से आंसू झरझर बहने लगे l सोनाली हाथ मे पैकेट पकड़े आयी और कहा,”चल पाकिजा !


“क्या हुआ चल ना ? “,सोनाली ने कहते हुए पाकिजा की तरफ देखा पाकिजा की आंखों में आंसू देखकर सोनाली ने कहा ,” क्या हुआ तो रो क्यों रही है ?
“बाजी क्या मैं अपवित्र हु ?”,पाकिजा की आंखों से बहकर आंसू गालो पर लुढ़क आये l
सोनाली ने उसके आंसू पोछे ओर कहा ,”नही तुम बिल्कुल नही हो बल्कि तुम्हारा तो नाम भी कितना पाक है”


“तो फिर उस औरत ने ये क्यों कहा की हमारी सूरत देखना भी पाप है ? बताओ ?”,पाकिजा ने मसुमियात से कहा l
पाकिजा की बात सुनकर सोनाली का दिल अंदर तक कचोट गया वह क्या बताती पाकिजा को की उस औरत ने ऐसा क्यों कहा ? सोनाली मुस्कुराई ओर कहा,”अरे ! पाकिजा तू ना बडी भोली है लोग कुछ भी कहते है और में लेती है l


पाकिजा ने कुछ नही कहा तो सोनाली ने प्यार से उसके चेहरे को थामा ओर कहा,” अच्छा ये बताओ तुम्हे बनाने वाला कौन है ?
पाकिजा – खुदा
सोनाली – ओर उनको बनाने वाला ?
पाकिजा – उनको भी खुदा ने
सोनाली – ओर ये कायनात किसकी है ?
पाकिजा – खुदा की


सोनाली – ओर ये मंदिर ?
पाकिजा – ये भी खुदा ने
सोनाली – तो जब ये सब उस खुदा ने बनाया है तो फिर तुम अपवित्र कैसे हुई ? मेरी भोली पाकिजा जब बनाने वाले ने कोई फर्क नही किया तो हम कौन होते है ?
पाकिजा को सोनाली की बात समझ आ गयी और वह खुशी खुशी सोनाली के साथ ऊपर मंदिर की सीढिया चढ़ने लगी l

शिव भगवान की मूर्ति के सामने खड़ी पाकिजा ने आंखे बंद कर हाथ जोड़ते हुए कहा,” आपको जानती तो नही पर आप भी मेरे खुदा जैसे ही हो आपसे बस इतना ही कहूंगी बाजी बहुत अच्छी है इन्हें वो सब मिल जाये जो ये आपसे मांगने वाली है”


दूसरी तरफ सोनाली हाथ जोड़े भगवान से कहने लगी,”हे भोले बाबा ! पाकिजा जैसी साफ मन और सीधी लड़की अम्माजी के उस नरक में जिंदगी नही काट पायेगी हो सके तो उसकी जिंदगी में भी कोई आप ही का रूप भेज दो जो इस जालिम दुनिया से उसकी हिफाजत करे , उसे प्यार में यकीन दिलाये ओर उसे इस दलदल से निकालकर ले जाये “

इतना कहकर सोनाली ने अपनी आंख खोली तो देखा पाकिजा वहां नही थी l सोनाली घबरा गई उसने इधर उधर देखा लेकिन पाकिजा नही दिखी सोनाली सीढियो की तरफ आयी तो उसकी नजर अपने दांयी तरफ सीढियो से लगकर बने तालाब की तरफ गयी जहा पाकिजा बैठी थी l
“पाकिजा “,सोनाली ने पाकिजा को आवाज दी


“बाजी यहां आओ देखो कमल के फूल ! कितने खूबसूरत है”,पाकिजा ने खुशी से भरकर कहा l
सोनाली उस तरफ बढ़ गयी पाकिजा के पास पहुंचकर उसने कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ?
“बाजी देखो ने कितने सुंदर फूल है कमल के !”,पाकिजा ने एक फूल अपने दोनों हाथों में उठाकर कहा
“हा सुंदर तो बहुत है , पर अभी यहाँ से चलो हमारा यहा ज्यादा रुकना सही नही है”,सोनाली ने कहा


“बाजी रुको ना कुछ देर कितना अच्छा लग रहा है यहां बैठिये ना”,पाकिजा ने कहा
“ये बाहर की दुनिया हमारे लिए नही बनी है पाकिजा चलो यहां से”,कहते हुए सोनाली ने पाकिजा का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए वहां से ले गयी शायद सोनाली इन नाजुक फूलो का सच जानती थी l
जो फूल जितना खूबसूरत होता उसे उतनी ही बेरहमी से कुचला जाता था l

सोनाली पाकिजा के साथ गाड़ी में आ बैठी ओर धूल का गुब्बार उड़ाती गाड़ी वहां से चली गयी l

शिवेन आज सुबह से ही पूरे घर मे कुछ ढूंढने में लगा हुआ है l परेशानी उसके चेहरे से साफ झलक रही है तभी डोरबेल बजती है शिवेन दरवाजा खोलता है सामने राघव ओर मयंक खड़े थे शिवेन ने कोई प्रतिक्रिया नही दी और वापस अपने काम मे लग ग

या उसे कुछ ढूढता देखकर मयंक ने कहा ,”क्या खो गया तेरा ? ऐसे क्या ढूंढने में बिजी है तू भाई ?
शिवेन ने कोई जवाब नही दिया वह बस अपने काम मे लगा रहा l
“अबे बोल तो सही”,राघव ने कहा l
शिवेन जब ढूंढकर थक गया तो मुंह लटका कर सोफे पर बैठ गया l
“अब तो बता दे क्या हुआ ? “,मयंक ने कहा l


“वो बाली मुझसे कही खो गयी”,शिवेन ने धीरे से कहा
“ओह्ह तो तू इसलिए इतना परेशान हो रहा है , चील कर बाली ही तो है यार”,राघव ने कहा
“वो सिर्फ बाली नही थी , बल्कि मेरा सुकून था अब जब तक वो मिल नही जाती ये दिल यू ही बैचैन रहेगा”,शिवेन ने खोये हुए अंदाज में कहा


“वो तो ठीक है अगर टाइम से नही पहुंचे ना तो ना तो ये घर रहेगा ओर ना तेरा फ्यूचर “,मयंक ने कहा
“मतलब ?”,शिवेन ने कहा l
“मतलब ये की आज होटल में कोर्स का पहला दिन है और अगर टाइम से नही पहुँचे ना तो पहला दिन ही लास्ट दिन हो जाएगा”,राघव ने कहा


“ओह्ह शीट मैं तो भूल ही गया था गिव मी 10 मिनिट्स मैं अभी तैयार होकर आया “,कहते हुए शिवेन अपने कमरे की तरफ भागा l
राघव ओर मयंक वही बैठे उसका इंतजार करने लगे l


शिवेन तैयार होकर आया और तीनों फ्लेट से बाहर आ गए चलते चलते शिवेन ने पलटकर सरसरी निगाहों से एक बार फिर फ्लेट को देखा राघव ने शिवेन को परेशान देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ,”डोंट वरी वापस आकर हम सब साथ मिलकर तेरा सुकून ढूंढेंगे l

तीनो होटल के लिए निकल गए l

रुद्र नें किताब बंद कर दी l ओर मन ही मन खुद से कहा,”काश की शिवेन को वो बाली अब कभी ना मिले
शिवेन का पाकिजा की जिंदगी में आना रुद्र को अच्छा नही लग रहा था और इसी के कारण रुद्र का आगे पढ़ने का मन नही हुआ l धीरे धीरे ही सही पर रुद्र पाकिजा को चाहने लगा था l ट्रेन दिल्ली स्टेशन पर आकर रुकी रुद्र ट्रेन से उतरा और बेग सम्हाले स्टेशन से बाहर निकल गया l


स्टेशन से बाहर आते ही रुद्र की नजर सामने फूलो की दुकान पर गयी सहसा ही उसके कदम दुकान की तरफ बढ़ गए l
“मे आई हेल्प यु सर”,दुकान मे खड़े लड़के ने कहा
“मुझे एक फूल चाहिए “,रुद्र ने धीरे से कहा l
“कोनसा फूल सर गुलाब , गेंदा , लिली , मोगरा , टूलिप्स कोनसा”,लड़के ने सहज भाव से कहा


“कमल मुझे कमल का फूल चाहिए”,रुद्र ने कहा l
लड़के ने कमल का फूल रुद्र को दे दिया रुद्र ने पैसे दिए और बेग से किताब निकालकर फूल को पाकिजा की किताब के बीचोबीच रख दिया l
दुकान से बाहर निकलकर रुद्र मुस्कुराता हुआ अपने क्वाटर की तरफ बढ़ गया l घर पहुचकर रुद्र फ़्रेश हुआ और फिर थकान की वजह से सोने चला गया l

रुद्र शाम तक सोता रहा शाम को खिड़की से आती बारिश की बूंदे जब चेहरे पर गिरी तो उसे होश आया रुद्र उठकर बैठ गया और कुछ देर बाद किचन में जाकर अपने लिए चाय बनाने लगा l चाय लेकर रुद्र बालकनी में आकर खड़ा हो गया और चाय के साथ बारिश का मजा लेने लगा l l

चाय खत्म कर रुद्र अपनी स्टडी टेबल पर आ बैठा उसने बैग से पाकिजा की किताब निकाली और जैसे ही उसे खोला सारा घर कमल की खुशबू से महक उठा रुद्र ने पढ़ना शुरू किया l

रात के समय शिवेन , मयंक ओर राघव कॉफी कैफे के बाहर बैठे कॉफी पी रहे थे l शिवेन का लटका मुंह देखकर राघव ने कहा ,”हो सकता है कल तू कही गया हो और वो वहां गिर गयी हो या गलती से छूट गयी हो”
शिवेन – कल तो मैं सिर्फ होटल गया था और वहां मैने आज सब जगह देख लिया सबसे पूछ लिया लेकिन वहां किसी को नही मिली


मयंक – तो फिर कहा जा सकती है तूने घर मे ठीक से देखा ?
शिवेन – घर का कोना कोना छान मारा पर वहां भी नही है
राघव – हे याद आया कल शाम तू मेरे साथ गया था जीबी रोड हो सकता है वहा छूट जाए
शिवेन ने अपने दिमाग पर जोर डाला तो उसे पाकिजा के कमरे में गिरने वाली बात याद आती शिवेन उठा और कहा ,”मिल गयी !


“कहा ? “,मयंक ने कहा
“मेरे साथ आओ”,कहकर शिवेन ने बाइक स्टार्ट की मयंक ओर राघव भी पीछे आ बैठे l शिवेन ने तेजी से बाइक जीबी रोड जाने वाले रास्ते की तरफ बढा दी l
अम्माजी के कोठे के सामने कुछ दूरी पर बाइक रोककर शिवेन ने कहा ,”तुम दोनों यही रूको मैं अभी लेकर आता हूं”


“शिवेन रात के 11बज रहे है अगर पकड़े गए ना तो बहुत बुरा पिटेंगे ये लोग”,मयंक ने कहा
“डरो मत मैं अभी गया और अभी आया”,शिवेन ने बहादुरी दिखाते हुए कहा l

शिवेन बचते बचते वहां से कोठे की पिछले हिस्से पहुंचा और दीवार के सहारे चढ़कर ऊपर पहुंचा l उसका दिल तेजी से धड़क रहा था वह पाकिजा के कमरे में पहुंचा l पाकिजा का कमरा खुला पड़ा था आज उसके पास कोई कस्टमर नही था l शिवेन जैसे ही अंदर आया पाकिजा डर गयीं वो कुछ बोलती उस से पहले ही शिवेन ने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसकी पीठ दीवार से लगा दी l

पाकिजा की बड़ी बड़ी आंखों में हैरानी तैर गयी शिवेन को अपने सामने देखकर पाकिजा सच में हैरान थी l शिवेन उसके बहुत करीब था l पाकिजा ने हाथ हटाने का इशारा किया तो शिवेन ने हाथ हटा लिया l
“आप इतनी रात को यहां क्या कर रहै है ?”,पाकिजा ने फुसफुसाते हुए कहा
“मेरी कोई कीमती चीज यहां रह गयी हैं वही लेने आया हु”,शिवेन ने धीरे से कहा
“आपकी कोई चीज भला यहां क्यो आएगी ?”,पाकिजा ने हैरानी से पूछा


शिवेन ने कुछ नही कहा बस इधर उधर देखने लगा शायद अपनी उसी कीमती चीज को ढूंढ रहा था l पाकिजा जैसे ही जाने लगी शिवेन ने उसे खींचकर वापस उसी जगह खड़ा कर दिया और कहा,”जब तक मुझे मेरी चीज नही मिल जाती तुम इधर ही रहोगी’
शिवेन ने इतना कहा ही था कि तभी हवा का तेज झोंका आया और पाकिजा के सर पर ओढा लिहाफ़ सर से नीचे खिसक गया शिवेन की नजर जब पाकिजा पर पड़ी तो बस आंखे झपकना भूल गया जिस बाली को वह ढूंढ रहा था

वह बालिया पाकिजा के कानो में थी और बेइंतहा खूबसूरत लग रही रही l
शिवेन ने देखा कि बाली अपनी सही जगह पहुंच गई है l जैसे ही वह जाने लगा उसका पैर फिसला ओर वह पाकिजा को लेकर नीचे कालीन पर जा गिरा l उसे अब होश काहा था l पाकिजा ने जैसे तैसे खुद को सम्हाला ओर फिर अपना हाथ नीचे गिरे शिवेन की तरफ बढ़ा दिया l


शिवेन ने पाकिजा का हाथ थाम लिया और उठ खड़ा हुआ एक अहसास दोनो के दिलो को धड़का गया पाकिजा ने शिवेन का हाथ छोड़ दिया l

“तुम यहाँ ? इस जगह क्या कर रही हो ? “,शिवेन ने कहा

“क्योंकि मैं यही रहती हूं”,पाकिजा ने सहज भाव से कहा

“तुम जानती भी हो ये कैसी जगह है ? कैसे कैसे लोग आते है यहां ?”,शिवेन ने परेशान होकर कहा

“जानती हु”,पाकिजा की आवाज अब भी सहज थी

“जब सब जानती हो तो फिर यहा क्यों ?”,शिवेन की आवाज में अब दर्द था l

पाकिजा की आंखों में आंसू आ गए उस ने उसी दर्दभरी आवाज में कहा

“क्योकि मैं एक वेश्या हु”

Continue With Part – Pakizah – 23

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