Pakizah – 2
Pakizah – 2
रूद्र असलम के साथ वापस पुलिस स्टेशन लौट आया l
दिमाग में अभी भी एक ही नाम घूम रहा था – पाक़िजा
“आह ! कितना खूबसूरत नाम है , लेकिन ऐसा क्या हुआ जिसने उसकी जिंदगी को इतना बेरंग और नापाक बना दिया”,रूद्र खुद में ही सोचने लगा l वह अपनी कुर्सी से उठा और रिकॉर्ड रखने वाली अलमारी की तरफ बढ़ गया l रूद्र घंटो उस अलमारी में कुछ ढूंढता रहा और आखिर में वह एक कोने मे पड़ी मिल गयी रूद्र उस फाइल को लेकर वापस कुर्सी पर आ बैठा जैसे ही उसने फाइल खोली प्रवीण ने आकर कहा
“सर ! बड़े सर ने इसी वक्त आपको बुलाया है”
रूद्र ने बिना पढ़े ही फाइल को बंद करके वापस टेबल पर रखा और प्रवीण के साथ अपने केबिन से बाहर निकल गया l बड़े अफसर ने रूद्र और उसकी टीम को किसी नए केस को हेंडल करने को कहा l रूद्र ने केस की फाइल ली जिसमे एक पोलिटिकल नेता के खिलाफ उसके गैर जरुरी कामो को लेकर शिकायत दर्ज थी l रूद्र फाइल लेकर अपने केबिन में आया उसने असलम , प्रवीण और रागिनी से वो केस हेंडल करने को कहा l
“सर इतना बड़ा केस आप हमे दे रहे है जबकि इस से आपको डायरेक्ट प्रमोशन मिल सकता है”,प्रवीण ने आपत्ति जताई
“मुझे इस वक्त प्रमोशन की जरूरत नहीं है बल्कि इस शहर के लोगो में पुलिस के प्रति सम्मान और विश्वास की भावना जगानी ज्यादा जरुरी है l लोग गुनहगारों से ज्यादा पुलिस से डरती है पब्लिक को पुलिस पर यकींन दिलाना है l”,रूद्र ने सहज भाव से कहा l
“पर सर इतने बड़े आदमी के खिलाफ ये सब…………………”,कहते कहते असलम रुक गया l
“कानून की नजर में सब बराबर है असलम , मैं चाहता हु की हम चारो साथ मिलकर ये केस सॉल्व करे , सीनियर बनकर तुम लोगो के साथ काम नहीं कर पाऊंगा बेहतर होगा हम सब दोस्त बनकर रहे “,रूद्र ने फाइल असलम की तरफ बढाकर कहा l
“सर ! पहली बार किसी सीनियर ने हमसे ये बात कही है , वादा करता हु सर कभी आपको निराश नहीं करूंगा”,प्रवीण ने गर्मजोशी से सेल्यूट करते हुए कहा l
रागिनी वही खड़ी चुपचाप सारी बातें सुन रही थी उसने धीरे से असलम को कोहनी मारते हुए कहा ,”देखा लाइन पे आ रहा है
“मिस रागिनी मैं चाहता हु आप मुझे इस पुरे केस की रिपोर्टिंग दे l आई होप कल तक आप ये कर लेगी”,रूद्र ने रागिनी की तरफ देखकर कहा l
“जी जी सर “,रागिनी जैसे नींद से जगी
“ओके टीम आप तीनो काम पर लग जाओ कल सुबह तक मुझे इस केस से जुड़ी सारी इन्फॉर्मेशन चाहिए “,कहकर रुद्र वहां से चला गया
प्रवीण , असलम ओर रागिनी तीनों काम पर लग गए
पुलिस स्टेशन से बाहर आकर रुद्र ने गाड़ी स्टार्ट की सड़क पर दौड़ा दी l
बैंक पहुचकर रुद्र ने कुछ रुपये ट्रान्सफर किये और फिर वापस थाने के लिए निकल गया l गाड़ी चलाते हुए उसे पाकीजा का ख्याल आया और ना चाहते हुए भी उसने गाड़ी सेंट्रल जेल जाने वाले रास्ते की तरफ मोड़ दी l सेंट्रल जेल पहुंचकर रुद्र पहले जेलर से मिला l
एक केस के सिलसिले में भी उसे वहां किसी कैदी से भी मिलना था l रुद्र ने देखा सभी महिला कैदी खाने की लाइन में लगी है सभी अपनी अपनी थाली लिए आगे बढ़ती गयी उसी भीड़ में पाकीजा भी थी l कुछ ही दूर खड़ा रुद्र पाकीजा को ही देख रहा था जैसे ही पाकीजा का नम्बर आया उसने आगे बढ़कर अपनी प्लेट आगे कर दी l प्लेट में खाना लेकर जैसे ही वह आगे बढ़ी साथ महिला जिसका नाम रूबी था ने अपना पैर आगे करके उसे गिरा दिया l पाकीजा खाने की प्लेट समेत नीचे जमीन पर आ गिरी l
सारा खाना मिट्टी में मिल गया रुद्र उसे उठाने के लिए आगे बढ़ा लेकिन रुक गया l पाकीजा तेजी से उठी उसने अपने कपड़े झाड़े ओर रूबी की तरफ घूमी l रूबी घूरकर पाकीजा को देख रही थी पाकीजा ने एक नजर रूबी की तरफ देखा और अपनी प्लेट उठाकर वहां से जाने लगी l लेकिन रूबी जो कि अड़ियल स्वभाव की थी ने एक बार फिर हाथ से धक्का देकर प्लेट नीचे गिरा दी l
इस बार पाकीजा को गुस्सा आया और उसने एक मुक्का रूबी के मुंह पर दे मारा रूबी के नाक से खून बहने लगा l वह तेजी से पाकीजा की तरफ लपकी ओर फिर दोनो में हाथापाई हो गयी l पास ही खड़े सिपाही उन दोनों की तरफ दौड़े ओर उन्हें अलग किया l मारपीट के दौरान पाकीजा के नाक ओर मुंह से भी खून बहने लगा l महिला कॉन्स्टेबल ने उन दोनों को वहां से जाने को कहा l पाकीजा बिना खाना खाएं ही वहां से चली गयी और कुछ दूर पड़ी पत्थर की बेंच पर बैठ गयी l
गुस्सा ओर दर्द उसके चेहरे से साफ झलक रहा था l उनकी आंख से आंसू निकलकर हाथ पर आ गिरा पाकीजा ने सर उठाकर सामने देखा हवा में एक धुंधला साया अपनी गर्दन ना में हिलाता नजर आया और हवा में ही गुम हो गया पाकीजा उदास आंखों से सामने देखती रही l रुद्र उसके पास आया और खाने की प्लेट उसकी तरफ बढा दी l पाकीजा ने गर्दन घुमाकर देखा रुद्र खड़ा था उसे वहां देखकर पाकीजा को अजीब लगा लेकिन उसने कुछ नही कहा और गर्दन झुकाकर नीचे देखने लगी l
“क्या मैं यहां बैठ सकता हु ?”,रुद्र ने सहजता से कहा
“बैठिए !”,पाकीजा ने कहा और सामने देखने लगी
रुद्र ने देखा पाकीजा की नाक से खून बह रहा है तो उसने जेब से रुमाल निकाल कर पाकीजा की तरफ बढा दी पाकीजा ने रुमाल लिया नाक से बहता खून साफ किया और रुमाल को हाथ मे ही रखकर बैठी रही l
“तुम्हे उसे इस तरह मारना नही चाहिए था”,रुद्र ने बात की शुरुआत करते हुए कहा l
“अपने हक के लिए लड़ना पड़ता है साहब , जो जितना दबता है उसे उतना ही दबाया जाता है”,पाकीजा ने धीमी आवाज में कहा
“वैसे तुम बहुत निडर हो !”,रुद्र ने पाकीजा की तरफ देखकर कहा
पाकीजा – ये हिम्मत बहुत मुश्किल से आई है साहब
रुद्र – तुम मुझे सर कहकर बुला सकती हो l
पाकीजा – हम्म्म्म
रुद्र – तुम जिस जुर्म की सजा काट रही हो क्या वो तुमने ही किया या किसी ओर का इल्जाम अपने सर लिया है
पाकीजा – मुझे मेरे गुनाह की सजा मिल रही है
रुद्र – लेकिन अभी तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी है
पाकीजा – जो उनके साथ बीती वो जिंदगी थी अब तो बस कट रही है
रुद्र – तुम शायरी भी करती हो
पाकीजा – हम्म्म्म , थोड़ा बहुत लिख लेती हूं
रुद्र – कहा तक पढ़ी हो ?
पाकीजा – 10 जमात पढ़े है इसके आगे अब्बू ने पढ़ने नही दिया
रुद्र – अब्बू ? तुम्हारे घरवाले कहा है ?
पाकीजा – उत्तरप्रदेश में है l लेकिन सालो से मैने अपने परिवार को देखा तक नही है l
रुद्र – हम्म्म्म ! तुम मिलना चाहती हो उनसे ?
पाकीजा – नही , मैं उन लोगो से कभी मिलना नही चाहूंगी
रुद्र – पर क्यों ?
पाकीजा – क्योंकि मैं उन सबसे नफरत करती हूं
पाकीजा की बात सुनकर रुद्र उसके चेहरे की तरफ देखने लगा दिल का दर्द आंखों में उतर आया रुद्र पाकीजा को किसी तरह की ठेस नही पहुचाना चाहता था इसलिए उसने बात बदलते हुए कहा – वैसे उन कागजो में क्या लिखती हो तुम ?
पाकीजा – अपनी आपबीती जो किसी से कहना भी चाहूं तो कोई समझेगा नही l
रुद्र – मुझे बताओ मैं सुनना चाहता हु
पाकीजा – बहुत लंबी कहानी है सर फिर कभी सुनाऊँगी
रुद्र – मैं इंतजार करूंगा
जेल की घंटी बजने पर पाकीजा उठकर जाने लगी तो रुद्र ने कहा – किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो बेझिझक मुझसे कह सकती हो
पाकीजा – शुक्रिया सर , मदद के नाम पर किसी का एहसान अब नही चाहिए बदले में देने के लिए मेरे पास अब कुछ भी नही है
रुद्र ने कुछ नही कहा बस बुझी आंखों से पाकीजा को देखता रहा l पाकीजा वहां से चली गयी l रुद्र वही खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा पाकीजा की बातों ने एक बार फिर उसे बैचैन कर दिया l जेलर ने आकर रुद्र के कंधे पर हाथ रखा तो वह अपने ख्यालो से बाहर आया और जेलर के साथ दूसरी तरफ चला गया l जाते जाते उसने एक बार पलटकर पाकीजा को देखा जो कि सामने लगे नल पर अपना मुंह धो रही थी l चेहरे में एक अजीब सा आकर्षण था जिसमे रुद्र खींचता चला गया l
शाम होने से पहले रुद्र थाने चला आया l थाने ने स्टाफ ज्यादा नही था l हवालात में एक 20 साल का लड़का बंद था जिसे चोरी के इल्जाम में असलम ने अंदर कर दिया था l रुद्र ने लड़के से पूछताछ की तो उसने बताया कि दो दिन बाद उसकी एग्जाम है और उसके पास किताबे नही थी उसने लायब्रेरी वाले से दो दिन के लिए किताबे मांगी तो उसने उसे मना कर दिया और फिर बेवजह उसके साथ मारपीट करके पुलिस को बुला लिया l यहां लाकर इन लोगो ने चोरी का इल्जाम लगाया और हवालात में बंद कर दिया l
रुद्र खामोशी से लड़के की बात सुनता जा रहा था l उसे लड़के की आंखों में सच्चाई साफ नजर आ रही थी l उसने कुछ नही कहा और अपने केबिन में आ गया l लड़के का मुंह उतर गया वह एक कोने में जाकर घुटनो में सर छुपाकर रोने लगा l उधर केबिन में बैठा रुद्र हैरान था ये सोचकर को लोग कितना परेशान है इस मतलबी कानून से लेकिन कैसे वह अकेला इसे सही रास्ते पर लाये l
उसने कुछ निश्चय किया और घंटी बजाकर कॉन्स्टेबल को बुलाया l पलक झपकते ही कॉन्स्टेबल रुद्र के सामने हाजिर था उसने पर्स से कुछ रुपया निकाला और कॉन्स्टेबल की तरफ बढ़ाकर कुछ सामान लाने को कहा l
कुछ ही देर बाद हाथ मे 2-3 किताबे लिए कॉन्स्टेबल थाने आया उसके हाथ मे किताबे देखकर सब हैरान थे l रुद्र केबिन से बाहर आया उसने किताबे ली और हवालात में बैठे उस लड़के की तरफ बढ़ाकर कहा ,”ये लो किताबे ओर मन लगाकर पढ़ाई करो”
लड़के ने सुना तो सर उठाकर रुद्र की तरफ देखा वह दौड़कर आया और रुद्र के हाथ से किताब ले ली l रुद्र ने उसके सर पर हाथ रखा और मुस्कुराकर चला गया l रागिनी ने रुद्र का ये रूप देखा तो बहुत खुश हुई l उसने आज से पहले किसी भी पुलिस वाले का ये रूप नही देखा था l रुद्र वापस अपने केबिन में आकर फाइल्स में बिजी हो गया केबिन का गेट आधा खुला था जिसके बिल्कुल सामने डेस्क पर बैठी रागिनी रुद्र को प्यार भरी नजरों से देख रही थी l
रुद्र इस बात से बेखबर फ़ाइल में बिजी था l ड्यूटी खत्म होते ही सब अपने अपने घर चले गए और हमेशा की तरह आज भी रुद्र को घर जाने में देर हो गयी l घड़ी रात के 9 बजा रही थी पर रुद्र अभी भी उन्ही फाइलों में डूबा हुआ था l
“साहब जी आज घर नही जाएंगे आप ?”,पाटिल में केबिन में आते हुए कहा
पाटिल की आवाज से रुद्र की तन्द्रा टूटी उसने देखा घड़ी 9 बजा रही है उसने फ़ाइल अलमारी में रखी ओर पाटिल से गाड़ी निकालने को कहा l
पाटिल वहां से चला गया रुद्र ने सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स ओर फाइल्स ड्रावर में रखी अपना फोन उठाया ओर जाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा उसकी नजर टेबल पर पड़ी पाकीजा वाली फ़ाइल पर पड़ी रुद्र को याद आया बिजी शेड्यूल के चलते वह उस फ़ाइल को देख ही नही पाया l
“घर ले जाता हूं वहा आराम से देख लूंगा”,सोचकर रुद्र ने फ़ाइल अपने साथ ले ली और बाहर निकल गया l
बाहर पाटिल गाड़ी स्टार्ट किये रुद्र का ही इंतजार कर रहा था रुद्र गाड़ी में आ बैठा तो पाटिल ने गाड़ी घर की तरफ घुमा दी l रास्तेभर रुद्र पाकीजा के बारे में सोचता रहा वो खुद नही समझ पा रहा था कि आखिर दो मुलाकात में ही ऐसा क्या हो गया की पाकीजा का ख्याल उसके दिमाग से जा ही नही रहा था l
“बुरा न माने तो आपसे एक बात पुछू साहब जी”,पाटिल ने डरते डरते कहा
“हा पाटिल पूछो !”,रुद्र ने कहा
“साहब जी ड्यूटी तो कबकी ऑफ हो जाती है फिर आप देर तक थाने में क्यो रुकते है ? मेरा मतलब बाकी स्टाफ की तरह आपका मन नही करता जल्दी घर जाने का”,पाटिल ने धीमी आवाज में हिचकिचाते हुए कहा
पाटिल को बात सुनकर रुद्र मुस्कुराया ओर कहा,”उन सबके घर पर कोई न कोई इंतजार करने वाला होता है , मेरे घर पर तो कोई इंतजार करने वाला भी नही है फिर मैं जल्दी किसके लिए जाऊ , इसलिए अपने काम को ही मैं अपना परिवार मानता हूं “
रुद्र का जवाब सुनकर पाटिल मुस्कुरा दिया और फिर दोनो के बीच कोई बात नही हुई l रुद्र को घर छोड़कर पाटिल चला गया l रुद्र अंदर आया घर के दरवाजे पर टिफिन रखा था रुद्र ने उसे उठाया और दरवाजा खोलकर अंदर आया l उसने फ़ाइल ओर टिफिन टेबल पर रखा और फ्रेश होने बाथरूम की तरफ चला गया l रुद्र ने खाना खाया और फिर कुछ देर बालकनी में टहलने के बाद बिस्तर पर जाकर लेट गया l लेकिन नींद आंखों से कोसो दूर थी l जब नींद नही आई तो वह उठकर कमरे से बाहर आया और एक सिगरेट जला ली l
रुद्र को सिगरेट पीना पसन्द नही थी फिर भी अक्सर जब तन्हा होता तो सिगरेट जला लेता l पर आज सिगरेट ने भी उसका साथ नही दिया और रुद्र ने उसे बुझाकर टेबल पर रख दिया l सहसा उसकी नजर वहां रखी पाकीजा की फ़ाइल पर गयी उसने वह फ़ाइल उठायी ओर आकर अपनी स्टडी टेबल पर बैठ गया कमरे में हल्की रोशनी थी रुद्र ने स्टडी टेबल पर रखा लेम्प ऑन किया और फ़ाइल खोलकर पढ़ने लगा l
वह बड़े गौर से फ़ाइल में लिखे एक एक शब्द को पढ़ता जा रहा था जिसमे पाकीजा के गुनाह ओर उसकी सजा की कहानी थी l घड़ी रात के 1 बजा रही थी पर रुद्र को समय का ध्यान नही रखा और आखिर में उसने एक शब्द पढ़ा जिसे पढ़कर उसकी धड़कन एक पल के लिए रुक सी गयी और पाकीजा का चेहरा आंखों के सामने आ गया
फ़ाइल के आखरी पन्ने पर लिखा था
“पाकीजा – एक वैश्या !!
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Sanjana Kirodiwal