Pakizah – 18
Pakizah – 18
( अब तक आपने पढ़ा रूद्र रागिनी को असलम की फीलिंग्स के बारे में बताता है और मुंबई के लिए निकल जाता है l सफर में रूद्र एक बार फिर पाकीजा की डायरी खोलकर पढ़ने लगता है जिसमे सोनाली के साथ हुए धोखे की कहानी होती है अब आगे -:
जमीन पर गिरी सोनाली देखती है कमरे में सामने सोफे पर अम्माजी बैठी है और रहसयमयी मुस्कान के साथ सोनाली को घूर रही है l सोनाली के दिमाग में सेंकडो नगाड़े एक साथ बजने लगे उसका दिल किया धरती फटे और वह उसमे समा जाये l जिस आदमी से उसने इतना प्यार किया वह उसके साथ इतना बड़ा धोखा करेगा उसने सपने में भी नहीं सोचा था l
सोनाली की आँखों में आंसू भर आये l मुरली के साथ देखे सपने एक एक कर उसे धराशायी होते नजर आये l
“अम्माजी मेरी रकम”,मुरली ने कहा
अम्माजी ने पर्स से नोटों की गड्डी निकाली और मुरली की तरफ फेंक दी l किसी भूखे कुत्ते की भांति मुरली उस गड्डी पर लपका l सोनाली ने देखा तो उसका चेहरा नफरत से भर गया l उसने मुरली को गन्दी गाली देते हुए कहा ,”साले ! हरामी चंद रूपये के लिए आखिर तूने अपनी औकात दिखा ही दी”
सोनाली उठकर जैसे ही मुरली की तरफ जाने की कोशिश की अम्माजी ने अपने मजबूत हाथो से उसके बालो को पकड़ लिया सोनाली दर्द से चिल्ला उठी l अम्माजी ने सोनाली के बालो को और मजबूती से पकड़ लिया और कहा,”तूने क्या सोचा मैं इतनी आसानी से तुझे जाने दूंगी , मेरे बिछाए जाल से निकलना इतना भी आसान नहीं है सोनाली”
सोनाली के चेहरे पर दर्द के भाव उभर आये l उसने मुरली की तरफ नफरत से देखते हुए कहा,”क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा मुरली , जब ये सब ही करना था मेरे साथ तो क्यों मुझे झूठा यकींन दिलाया ? क्यों शादी के सपने दिखाए ? क्यों किये मुझसे झूठे वादे जिन्हे तू निभा नहीं पाया ? क्यों उस नर्क से निकालकर एक बार फिर इस नर्क में धकेल दिया ?
क्यों प्यार किया मुझसे ?”
ये सब कहते हुए सोनाली की आँखों से आंसू बहने लगे l अम्माजी ने एक बार फिर उसके बाल पकड़ कर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”वेश्याओं को मोहब्बत करने की इजाजत नहीं होती है सोनाली , वो किसी की प्रेमिका या बीवी बनने के लिए लिए बनी बल्की उनकी हर रात एक नए मर्द के लिए बनी है l वैश्याओ की किस्मत में घर नहीं होते बदनाम गलियों के कोठे होते है ,
उनकी कीमत चुकाने वाला कभी उनका दिल नहीं देखता वो देखता है तो सिर्फ उसका जिस्म………… जिसे रातभर वह नोच सके l एक वैश्या के जज्बातो की इस बाजार में कोई कीमत नहीं होती है”
बात कड़वी थी पर सच थी l
अम्माजी ने सोनाली को छोड़ते हुए कहा ,”फैसला तुझे करना है सोनाली ! मुरली जैसे भेडियो के बिच रहना है या मेरे साथ अपनी उसी पुरानी दुनिया में चलना है l फैसला तुम्हारे हाथ में है”
सोनाली जमीन पर बैठी कभी अम्माजी तो कभी जमीन को देखती l पहली बार अम्माजी का ये रूप देखा था अम्माजी इतनी भी बुरी नहीं थी जितना सोनाली ने सोचा था l पहली बार अम्माजी में सोनाली को एक औरत नजर आ रही थी जो एक बेटी , एक पत्नी , एक बहन और एक माँ किसी भी रूप में हो सकती है l सोनाली निस्तेज सी कुछ देर यु ही बैठी रही और फिर धीरे से कहा ,”मैं आपके साथ चलूंगी अम्माजी , अपने घर !”
अम्माजी सोफे से उठ खड़ी हुयी l सोनाली और अपने आदमियों के साथ बिल्डिंग से नीचे आयी और सोनाली से सामने खड़ी गाड़ी में बैठने को कहा l
“रुकिए अम्माजी जी , एक जरुरी काम पूरा कर लू”,कहते हुए सोनाली कुछ दूर खड़े मुरली की तरफ बढ़ी और एक जोरदार थप्पड़ उसके मुंह पर मारते हुए कहा ,”जिस दिन तू एक बेटी का बाप बनेगा और उसके साथ कोई मर्द वही सुलूक करेगा जो तूने किया उस दिन तुझे मेरा दर्द समझ आएगा”
सोनाली बिना मुरली के जवाब का इंतजार किये जाकर गाड़ी में बैठ गयी l अम्माजी और उसके आदमी भी आकर गाड़ी में बैठे और फिर धूल उड़ाती गाड़ी वहा से चली गयी l मुरली गाल पर हाथ लगाए वही खड़ा जाती हुयी गाड़ी को देखता रहा l
सोनाली एक बार फिर अम्माजी के कोठे पर थी l सभी लड़किया अम्माजी के साथ सोनाली को देखकर दंग रह गयी l पाकीजा ने जैसे सोनाली को देखा तो दौड़कर उसके गले लग गयी और कहा,”बाजी…………बाजी कहा चली गयी थी आप ? और ये क्या हालत बना रखी है आपने ? आप ठीक तो है ?
सोनाली ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l
“यहां क्या तमाशा लगा रखा है सब अपने अपने कमरों में जाओ”,अम्माजी ने चिल्लाते हुए कहा
सारी लड़किया मारे डर के वहा से इधर उधर हो गयी l अम्माजी आकर तख्ते पर बैठ गयी और सिगरेट सुलगा ली
सोनाली अपने कमरे में बेड पर घुटनो में अपना मुंह छुपाये बैठी थी l पाकीजा उसके पास आयी और प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”क्या हुआ बाजी ? आप कुछ बोलती क्यों नहीं ? कहा चली गयी थी आप ?
सोनाली ने अपना चेहरा ऊपर उठाया उसकी आँखे आंसुओ से भरी हुई थी पाकीजा ने देखा तो अपने नाजुक से हाथो से सोनाली के आंसुओ को पोछते हुए कहा ,”आप रो क्यों रही है ? बाजी ! क्या हुआ बताईये ?
सोनाली ने कुछ नहीं कहा और पाकीजा के गले लग कर फफक कर रो पड़ी l पाकीजा को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह सोनाली के बालो को सहलाती रही l सोनाली रोती रही और फिर उसका रोना सिसकियों में बदल गया l सोनाली बिस्तर पर लेट गयी आंसू अब भी उसकी आँखों से बहकर बेड पर लगी चद्दर को भिगो रहे थे l
“सब ख़त्म हो गया पाकीजा , मुरली ने मुझे धोखा दिया l जिस मुरली पर मैंने भरोसा किया ,
जिससे इतना प्यार किया , जिसे अपना समझा उसी मुरली ने मेरे दिल के टुकड़े कर दिए l सच ही कहा था अम्माजी ने वेश्या के प्यार की कोई कीमत नहीं होती है”,सोनाली ने आंसू बहाते हुए कहा l
पाकीजा के पूछने पर सोनाली ने उसे सारी बात बता दी l शाम हो चुकी थी सोनाली की बात सुनकर पाकीजा ने अपनी आँखों में आंसू भरते हुए कहा,”क्या औरत होना पाप है बाजी ?
सोनाली – नहीं पाकीजा तू ऐसा क्यों बोल रही है ?
पाकीजा – फिर हम औरत की ही जींदगी में इतने दर्द क्यों होते है ?
सोनाली – हर औरत की जिंदगी इतनी बद्द्तर नहीं होती पाकीजा , हमारी किस्मत है इसलिए हम यहाँ है
पाकीजा – बाजी मर्द इतना खुदगर्ज और बुरा क्यों होता है ? मुरली ने आपके साथ बहुत गलत किया देखना अल्लाहताला उसे कभी नहीं बख्सेंगे l
सोनाली – पाकीजा तुम कभी ये गलती मत करना l
पाकीजा – हम तो ये गलती कबकी कर चुके है बाजी l जिसके साथ निकाह पढ़ा गया उसी ने इस दलदल में धकेल दिया अब किसी पर भरोसा शायद ही कर पाउ !
सोनाली – ये दुनिया बहुत मतलबी है पाकीजा यहाँ हर कोई सिर्फ अपनी जरूरत के लिए एक वक्त तक किसी के साथ है उसके बाद नहीं l
इन चार दीवारों में कैद जिंदगी में प्यार जैसे पाक रिश्तो के लिए कोई जगह नहीं होती l हम प्यार करने के लिए नहीं नोचने के लिए बने है l
पाकीजा – क्या हम यहाँ से कभी बाहर नहीं निकलेंगे ?
सोनाली – यहाँ से बाहर निकल भी जाये तो कोई फायदा नहीं है l बाहर की दुनिया और उस दुनिया के लोग हमे कभी नहीं अपनाएंगे l
रात के अंधेरो में आकर वे हमारे जिस्म को नोच सकते है लेकिन दिन के उजालो में हमे पहचानने से भी इंकार कर देंगे l हम सिर्फ उनकी रातो की शोभा बढ़ा सकते है उनके घर की नहीं l इस नर्क से बाहर हमारे लिए कोई दुनिया नहीं बनी है पाकीजा !!
पाकीजा – आपसे एक बात पुछू ?
सोनाली – हम्म
पाकीजा – क्या ऐसा कोई नहीं है जो अम्माजी को उनके बुरे कामो की सजा दे और हमे यहाँ से निकाल सके l
सोनाली – तुम बहुत भोली हो पाकीजा ! बिना किसी स्वार्थ के यहाँ कोई किसी की मदद नहीं करता l
पाकीजा – मुझे अपनी अम्मी अब्बू और बहनो की बहुत याद आती , यहा मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता l
सोनाली – अब यही हमारी दुनिया है पाकिजा और इस सच को तुम जीतना जल्दी अपना लो अच्छा है
पाकीजा की आँखों से आंसू बहने लगते है तो सोनाली उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहती है ,”चिंता मत करो पाकीजा ! किस्मत में क्या लिखा है ये भला कौन जानता है अगर तुम्हारी किस्मत में कुछ अच्छा लिखा है तो देखना एक दिन कोई ऐसा जरूर आएगा जो तुम्हे यहाँ से ले जाएगा l
पाकीजा सुबकने लगी तो सोनाली ने उसके मासूम से चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर कहा,”अच्छा ये बता तेरी वो कान की बाली मिली ?
“नहीं बाजी , पता नहीं कहा है ? पर जिसके भी पास है ना देखना उसे हमारी बद्दुआ लगेगी l जब तक वो हमारी बाली नहीं लौटा देगा तब तक बैचैन रहेगा l “,पाकीजा ने अचनाक से गुस्से से भरकर कहा
सोनाली हसने लगी और कहा,”क्या पाकीजा ? कभी कभी तो तुम बिलकुल बच्चो जैसी बातें करने लगती हो l पता नहीं तुम्हारी बद्दुआ कब किसे लग जाये
“पर उस बाली का मिलना मेरे लिए बहुत जरुरी है”,पाकीजा ने कहा
“तुम्हे अपने खुदा पर भरोसा है ना ?”,सोनाली ने पाकीजा की आँखों में देखते हुए कहा l
“हां बाजी”,पाकीजा ने अपनी बड़ी बड़ी पलके झुकाकर कहा
“तो भरोसा रखो ! तुम्हारी अमानत जिसके भी पास है तुम्हारा खुदा उसे तुम्हारे पास जरूर पहुंचा देगा l बस थोड़ा सब्र रखो “,सोनाली ने प्यार से पाकीजा के गालो को प्यार से छूकर कहा l
“हम्म्म्म !! बस मुझे मेरी अमानत मिल जाये”,पाकीजा ने कहा
सोनाली और पाकिजा बैठकर बातें कर ही रहे थे की तभी एक लड़की ने आकर कहा ,”पाकीजा तुमको अम्माजी ने बाहर बुलाया है l”
पाकीजा उठकर उस लड़की के साथ कमरे से बाहर निकल गयी l और सोनाली बिस्तर पर लेटकर अपने साथ हुए धोखे के बारे में सोचने लगी l
कॉलेज की केंटीन में शिवेन राघव और मयंक के साथ बैठा था l काफी देर से शिवेन को तेज हिचकिया आ रही थी उसने हर कोशिश की लेकिन हिचकिया नहीं रुकी l साथ बैठे मयंक ने इरिटेट होकर कहा,”भाई इतना कौन याद कर रही है तुझे जो तेरी ये हिचकिया रुकने का नाम ही नहीं ले रही l”
“पता नहीं यार………………………………हिअच !!”,शिवेन ने कहा
“रहने दे भाई तू अभी कुछ मत बोल , ये ले सेंडविच खा शायद इस से रुक जाये”,राघव ने कहा
“थैंक्स ! “,कहकर हुए शिवेन ने सेंडविच का एक टुकड़ा उठाया और मुंह में रखा
“बेटर ?”,राघव ने फिर पूछा
“हम्म्म्म……… थैंक्स !! मैं तो मर ही जाता”,शिवेन ने कहा
“वैसे है कौन जो तुझे इतना याद कर रही है ?”,मयंक ने टिशू की बॉल शिवेन की तरफ फेंककर कहा
“कोई नहीं है गाईज , तुम लोग भी न”,शिवेन ने कहा
“कही वो तो नहीं जिसकी अमानत तेरे पास है , हो सकता है कही कोने में बैठकर तुझे गालियाँ दे रही हो”,राघव ने कहा
“क्या सच में…………………..?”,शिवेन ने राघव की आँखों में देखते हुए पूछा
“हां सच में चोर साहब जी , किसी की अमानत अपने पास रखोगे तो गालिया ही देगी ना कौनसा तुझे मैडल देगी”,मयंक ने कोल्ड ड्रिंक पीते हुए कहा l
“मैंने किसी का कुछ नहीं चुराया है”,शिवेन ने थोड़ा गुस्सा होकर कहा l
“तूने कुछ चुराया हो या ना हो , पर उस बाली ने तेरा चैन जरूर चुरा लिया है l जबसे मुंबई से आया है खोया खोया सा रहने लगा है”,राघव ने कहा
“हां ये सच है , पता नहीं क्यों ? पर खुद को जुड़ा हुआ था सा महसूस करने लगा हु उस अमानत से l ऐसा लगता है जैसे कुछ तो एक जैसा है हम दोनों के बिच , शायद कुछ खास……………. मुझे उस से मिलना है”,शिवेन ने कहा
“भाई इतनी बड़ी दुनिया में कहा ढूंढेगा उसे ?”,मयंक ने कहा
“ढूंढ लूंगा ! और वैसे भी दुनिया मेरी उम्मीद से ज्यादा बड़ी नहीं है l अब तो चैन उसे देखने के बाद ही आएगा”,शिवेन ने कहा
“तू उसे जरूर ढूंढ लेगा”,राघव ने मुस्कुरा कर कहा
कुछ देर बाद तीनो उठकर केंटीन से बाहर आ गए l और घर जाने के लिए निकलने लगे तो राघव ने कहा,”गाईज तूम लोग चलो मैं अभी आता हु”
शिवेन – तू कहा जा रहा है ?
राघव – अरे ! वो मुझे श्रुति से अपने कुछ नोटस लेने है
मयंक – सिर्फ नोटस ही लेना (हँसते हुए)
राघव – तुझसे तो मैं बाद में निपटूंगा अभी चलता हु वो वैट कर रही होगी
शिवेन – ठीक है बाबा , तू जा l
राघव चला गया तो मयंक ने शिवेन से कहा ,”चले भाई !!
“हां भाई चल , अपने को तो यहाँ कोई नोटस देने वाली भी नहीं है”,शिवेन ने मासूमियत से कहा
“मैं हु ना भाई , मैं दूंगा तुझे नोटस l जो मैंने रात रात भर जागकर बनाये है”,मयंक ने भी शिवेन की नोटंकी में उसका साथ देते हुए कहा
“तू ही मेरा सच्चा प्यार है”,कहते हुए शिवेन मयंक के पीछे बाइक पर आ बैठा l
मयंक आज पूरा नोटंकी के मूड में था जोर जोर से गाने लगा ,”ये कॉलेज , यहाँ की लड़किया , मेरे काम की नहीं मेरे काम की नहीं !! “
पास ही मैं कॉलेज की कुछ लड़किया खड़ी थी मयंक का गाना सुनकर जोर जोर से हसने लगी l
“चुप हो जा बे , लड़कियों के सामने बेइज्जती हो रही है”,शिवेन ने मयंक के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा
“आज जो ये लड़किया मुझ पर हंस रही है ना देखना एक दिन सब की सब मेरे सामने लाइन लगाकर वेटिंग में खड़ी होगी”,मयंक ने थोड़ा ऊँची आवाज में कहा ताकि हसने वाली लड़कियों तक बात पहुँच जायेंगे
“क्यों ऐसा क्या करोगे तुम ?”,लड़कियों में एक लड़की ने आगे आकर कहा l
मयंक ने लड़की को घूरकर देखा और फिर कहा ,”करना क्या है इसी कॉलेज के गेट के बाहर पानी पूरी का ठेला लगाऊंगा”
मयंक का इतना कहना था की वहा खड़ी सारी लड़किया एक बार फिर हसने लगी l और बेचारा शिवेन अपना सर पीटकर रह गया l राघव के आते ही तीनो वहा से निकल गए l
Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18
Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18Pakizah – 18
Continue With Part Pakizah – 19
Read Previous Part पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 17
Follow Me On facebook
Sanjana Kirodiwal