Sanjana Kirodiwal

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 12

Pakizah – 12

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 12

बेल्ट की मार से पाकीजा सुबह से दोपहर तक बेसुध सी बिस्तर पर पड़ी रही l खिडकी से आती धुप की किरणे जब आकर उसके चेहरे पर पड़ी तो उसकी आँख खुली सारा बदन दर्द से कराह रहा था l पाकीजा ने पास पड़ी चादर को अपने अधनंगे शरीर को ढांक लिया और बदहवास सी वही बैठी रही l सुबह का मंजर उसकी आँखों के सामने आया तो वह अंदर तक सिहर उठी l

पाकीजा बैठी ये सब सोच ही रही थी की तभी सोनाली अपने हाथ में कुछ कपडे और गिलास लिए कमरे में दाखिल हुयी l उसने कपडे पास पड़े टेबल पर रखे और ग्लास पाकीजा की तरफ बढाकर कहा
“इसमें हल्दी वाला दूध है पि ले , जख्म भरने में आसानी होगी
पाकीजा – जिस्म पर लगे जख्म तो भर जायेंगे पर उन जख्मो का क्या जो मन पर लगे है , वो कैसे भर पाएंगे ?


सोनाली – अरे वाह ! बातें तो बड़ी अच्छी करती है तू , कहा से सीखी ?
पाकीजा – वक्त सब सीखा देता है ( उदास होकर )
सोनाली – बहुत बुरा हुआ होगा न तेरे साथ , तू यहां तक पहुंची कैसे ?
सोनाली ने प्यार से पूछा तो पाकीजा ने उसे अपनी सारी कहानी सुना दी l

पाकीजा की बात सुनकर सोनाली का दिल भर आया एक मासूम सी लड़की का ये हाल देखकर उसका दिल भर आया l सोनाली की आँखों में आंसू भर आये और चेहरा गुस्से से तमतमाने लगा उसने अपने दांत पिसते हुए कहा ,”ये साले मर्द होते ही ऐसे है , अच्छी लड़कियों को अपनी गन्दी नियत का शिकार बनाते है और फिर लाकर पटक देते है ऐसे ही दलदल में जहा जिंदगीभर सिवाय दर्द के कुछ नहीं मिलता


पाकीजा – आपको भी यहाँ धोखे से लाया गया है ?
सोनाली – मेरे खुद के सगे मामा ने पेसो के लिए मुझे यहाँ बेच दिया l
पाकीजा – आप यहाँ से चली क्यों नहीं जाती ?
सोनाली – यहां से बाहर निकलना इतना आसान नहीं है , मैंने भी यहाँ से जाने की कोशिश की लेकिन अम्माजी की मार के आगे मेरा हौसला और हिम्मत दोनों दम तोड़ गए !

वक्त के साथ मैंने इसे ही अपनी जिंदगी समझ लिया और पिछले 6 सालो से मैं यही रहकर अपने जिस्म का सौदा कर रही हु
पाकीजा – आपने पुलिस से मदद क्यों नहीं मांगी ?
सोनाली हसने लगी और कहा – तुम्हे क्या लगता है पुलिस हमारी बात सुनेगी l अम्माजी के डर से पुलिस भी यहाँ नहीं आती है , बड़े बड़े नेताओ और लोगो का हाथ जो है अम्माजी के सर पर l

यहां कोई तुम्हारी मदद नहीं करेगा , जीतनी जल्दी तू इस दुनिया को अपना ले उतना ही अच्छा होगा पाकीजा
पाकीजा – हमे यहाँ से बाहर निकलना है
सोनाली – पागलो जैसे बात मत कर पाकीजा , अगर दोबारा यहाँ से भागने की कोशिश की तो इस से भी बुरा हश्र होगा तेरा , कोई तेरी मदद के लिए आगे नहीं आएगा l इस दुनिया में आने का दरवाजा तो है लेकिन बाहर जाने का नहीं है l


पाकीजा की आँखों से आंसू बहने लगते है l
सोनाली आगे बढ़कर उसके आंसू पोछती है और प्यार से कहती है – “औरत की जिंदगी जीना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है पाकीजा और उस से भी बद्तर है एक तवायफ होकर जीना” हम किसी एक के लिए नहीं बने है हमारी किस्मत में हर रात एक नया पति लिखा है , और यही इस दुनिया का घिनोना सच है
पाकीजा सोनाली की आँखों में देखने लगी उन आँखों में पाकीजा को दर्द और बेबसी साफ नजर आ रही थी l

पाकीजा को इस तरह देखता पाकर सोनाली ने कहा – ऐसे क्या देख रही हो ?
“इन आँखों में इतना दर्द लेकर आप कैसे मुस्कुरा लेती हो?”,पाकीजा ने मासूमियत से पूछा l
पाकीजा की बात सुनकर सोनाली हसने लगी और कहा – तुम सच मे बहुत मासूम हो यार ! ये तो इस दुनिया का दस्तूर है मेरी जान दिल में कितना भी दर्द हो होंठो पर हमेशा मुस्कराहट ही होनी चाहिए l


पाकीजा ने कुछ नहीं कहा बस सोनाली का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखती रही l सोनाली ने दिवार पर लगी घडी को देखा और उठते हुए कहा ,”वो टेबल पर कपडे रखे है तुम नहा लो l ये मेरा कमरा है तू इस्तेमाल कर सकती है बस मेरे कपड़ो को छोड़कर”
कहके सोनाली वहा से जाने लगती है तो पाकीजा कहती है ,”क्या मैं आपको “बाजी” (बहन) कहकर बुला सकती हु”


सोनाली पलटी और पाकीजा के पास आकर प्यार से कहा,”तुम्हारा जो मन हो तुम बुला सकती हु , अभी मैं चलती हु खाने का बंदोबस्त देखना है”
सोनाली वहा से चली गयी l पाकीजा ने टेबल पर पड़े कपड़े उठाये और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी l

अपने तख्ते पर बैठी अम्माजी जी रोजाना की भांति सिगरेट के कश लगा रही थी l मुरली आया और आकर निचे बिछे कालीन पर बैठ गया अम्माजी ने सिगरेट बुझाई और मुरली की तरफ मुख़ातिब होकर कहा – देख बे मुरली , कल जो नई लड़की तू लेकर आया है उसने सुबह सुबह दिमाग ख़राब कर दिया l मुझे उसके बारे में पूरी जानकारी चाहिए , मैं खामखा को लफड़ा नहीं चाहती”


“अम्मा जी , दो दिन दो मैं उसके बारे में सब पता लगाकर ले आऊंगा”,मुरली ने कहा और सामने खड़ी सोनाली को प्यार भरी नजरो से देखने लगा l मुरली को सोनाली की तर देखते हुए पाकर अम्माजी ने कहां,”क्यों बे ! उधर क्या देख रहा है
“अम्माजी मैं अगर आपसे कुछ मांगू तो मुझे मिलेगा ?”,मुरली ने हिचकिचाते हुए कहा l
“मैं देख रही हु आजकल तेरी आँखे कुछ ज्यादा ही देखने लगी है”,अम्माजी ने मुरली को घूरते हुए कहा


“न …… नहीं अम्माजी जी मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था”,मुरली ने झेंपकर नजरे नीची करते हुए कहा
“वो सब बाद में पहले जो काम कहा है वो कर”,कहकर अम्मा जी ने एक और सिगरेट सुलगा ली
“ठीक है अम्माजी मैं चलता हु फिर”,कहते हुए मुरली उठा और सोनाली को बाहर आने का इशारा करके चला गया
मुरली के जाते ही सोनाली भी पीछे पीछे जाने लगी अम्माजी ने सोनाली को तिरछी नजरो से देखते हुए कहा,”अब तू कहा चली महारानी ?


“कही नहीं यही बाहर , मुरली से कुछ काम है”,सोनाली ने मुंह बनाते हुए कहा
“आजकल कुछ ज्यादा ही काम होने लगा है मुरली से तुझे , तूम दोनों की गुटरगूँ सब समझ आ रही मुझे”,अम्माजी ने कड़वे मिजाज के साथ कहा
“देखो अम्मा जी , तुमको जो चाहिए वो तुमको मिल रहा है ……………. मतलब ढेर सारा पैसा !! तो मेर बाकि मामलो के बिच पड़ने की जरूरत नहीं है”,सोनाली ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया


“दो कौड़ी की होकर तू मुझसे जबान लड़ा रही है”,अम्माजी ने गुस्से से भरकर कहा l
“मैं कितनी कौड़ी की हु वो तो तुमको भी पता होगा अम्माजी , मुझसे बहस ना ही करो तो अच्छा है”,सोनाली ने अम्माजी को घूरकर देखते हुए कहा
अम्माजी अपमान का घूंट पीकर रह गयी और वहा से अपने कमरे में चली गयी l


अम्माजी और सोनाली के बिच हमेशा 36 का आकंड़ा रहता था l सोनाली यहाँ की सबसे खूबसूरत और डिमांड में रहने वाली लड़की थी l उसके ग्राहक भी बड़े आदमी या फिर पैसे वाले लोग होते थे जो उस पर खुलकर रूपये लुटाते l सोनाली ने अपनी अदाओ से सबको अपना दीवाना बना लिया l उसी की कमाई यहाँ सबसे ज्यादा थी बस यही वजह थी की अम्माजी उसकी बाते सुन लिया करती l
गुस्से में पैर पटकती हुयी सोनाली बाहर आयी l बाहर मुरली उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था


“इतनी देर क्यों लगा दी आने में ?”,मुरली ने खीजकर कहा
“तुम्हारी वो अम्माजी है ना , जब देखो तब बहस करने को तैयार रहती है”,सोनाली ने गुस्से से कहा
“छोड़ उसे अच्छा सुन ना , देख तेरे लिए क्या लेकर आया हु मैं ?”,मुरली ने एक छोटा सा डिब्बा सोनाली की तरफ बढाकर कहा l
सोनाली ने डिब्बा खोलकर देखा उसमे सोने के दो कंगन थे l सोनाली ने देखा तो उसकी आँखे ख़ुशी से चमक उठी उसने कंगनाे को हाथ में लेकर देखा और कहा ,”ये तो बहुत खूबसूरत है”


“हां पर तुझसे कम ! याद है तूने 6 महीने पहले उस दुकान पर ये कंगन तुम्हे बहुत पसंद आये थे बस तबसे ही हर रोज पैसे बचाकर तेरे लिए ये कंगन खरीदे l “,मुरली ने प्यार से सोनाली के हाथो को अपने हाथो में लेकर कहा
सोनाली की आँखों में आंसू भर आये उसने मुरली के गले लगते हुए कहा ,”मुझे सिर्फ तुम्हारी जरूरत है मुरली !”


“मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ ही हु सोना , अम्माजी का ये आखरी काम कर दू उसके बाद मैं उसने तुम्हारे बारे में बात करूँगा और हमेशा हमेशा के लिए तुम्हे यहाँ से ले जाऊंगा”,मुरली ने सोनाली का चेहर अपने हाथो में लेकर कहा
“मुरली पाकीजा की जिंदगी ख़राब हो जाएगी”,सोनाली ने उदास होकर कहा
“उस लड़की से हमे क्या ? “,मुरली ने सोनाली से दूर होकर कहा l


“मुरली उसने मुझे बहन कहा है , वो इस नर्क को बर्दास्त नहीं कर पायेगी l क्या हम उसे यहाँ से बाहर नही निकाल सकते”,सोनाली ने मुरली का मन टटोलते हुए कहा
“मैं अम्माजी के खिलाफ नहीं जा सकता सोनाली”,मुरली ने धीमी आवाज में कहा l
“पर क्यों ? वो औरत एक नंबर की हरामिन है , उस मासूम की जिंदगी नर्क बना देगी !

अम्मा जी के खिलाफ जाने को नहीं बोल रही पर कल को अम्माजी ने हमारे रिश्ते के लिए मना कर दिया तब क्या करेगा तू ?”,सोनाली ने कहां
“अम्माजी ऐसा नहीं करेगी”,मुरली ने असमझ की स्तिथि में कहा
“वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा मुरली , वो औरत किसी की सगी नहीं है”,सोनाली ने नफरत भरे स्वर में कहा


“अच्छा बाबा ठीक है अभी मैं चलता हु दो दिन बाद लौटूंगा तब तक अम्माजी से किसी तरह का झगड़ा मोल मत लेना”,मुरली ने सीढिया उतरकर निचे जाते हुए कहा l
मुरली के जाने के बाद सोनाली वापस आकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l तब तक पाकीजा भी नहाकर आ चुकी थी उसने सोनाली का दिया गुलाबी सूट पहना हुआ था l उस सूट में पाकीजा बहुत खूबसूरत लग रह थी सोनाली तो बस देखते ही रह गयी l

पाकीजा की कमर से निचे तक लहराते गीले बाल , उसका गोरा रंग , बडी बड़ी आँखे , सोनाली उसके पास आयी उसने अपनी आँख के किनारे से काजल निकाला और पाकीजा के कान के पीछे लगाकर कहा ,”हाय ! कितनी खूबसूरत लग रही है तू , तुझे किसी की नजर न लगे “
पाकीजा ने कुछ नहीं कहा बस सोनाली की तरफ देखती रही l


“भूख लगी होगी ना ?”,सोनाली ने पूछा
जवाब में पाकीजा ने अपनी गर्दन सहमति में हिला दी l
सोनाली मुस्कुरायी और उसे लेकर कमरे से बाहर आ गयी l रसोई की तरफ आकर उसने पाकीजा से बैठने को कहा और रसोईये से खाना लगाने को कहा l पाकीजा निचे बिछी दरी पर बैठ गयी l सभी खाना खा चुके थे बस गुलाबो और ममता अभी तक बैठी धीरे धीरे खा रही थी l

पाकीजा को देखते ही दोनों खुसर फुसर करने लगी l पाकीजा ने उनकी तरफ देखा तो दोनों घूरकर उसे देखने लगी l पाकीजा ने नजर नीची कर ली l सोनाली पाकीजा के लिए खाना ले आयी और खुद उसके सामने बैठ गयी l पाकीजा खाने को घूरती रही l
“जब खाना खा लिया तो उठकर अंदर काहे नहीं चली जाती , सारा दिन बैठकर बस चुगली करनी है”,सोनाली ने गुलाबो और ममता की तरफ घूरकर देखते हुए कहा l


सोनाली की बात सुनकर दोनों झट से उठी और मुंह बनाकर वहा से चली गयी l सोनाली पाकीजा की तरफ पलटी और देखा की पाकीजा ने खाने को छुआ तक नहीं है तो उसने कहा – क्या हुआ ? खाती क्यों नहीं ?
“हमे यहाँ बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा बाजी”,पाकीजा की आँखों से आंसू बहने लगे l
“पगली , किसे अच्छा लगता है ? पर अब यही तेरी दुनिया है l अम्मा जी की बात मानकर कमसे कम जिन्दा तो रहेंगी”,सोनाली ने समझाते हुए कहा l


पाकीजा की आँखों से आंसू बहते रहे l
“खाना खा ले , सब ठीक हो जाएगा”,सोनाली ने प्यार से उसके गाल को छूते हुए कहा
पाकीजा ने आंसू पोछे और खाना खाने लगी l भूख शायद उसके आंसुओ पर अब हावी हो चुकी थी ……………………. !!

दिल्ली , रेलवे स्टेशन
ट्रेन स्टेशन पर आकर रूकती है l शिवेन अपने दोस्तों मयंक और राघव के साथ ट्रेन से निचे उतरता है l
“यार इस बार तो थका दिया सफर ने”,राघव ने उतरकर अंगड़ाई लेते हुए कहा l
“पर कुछ भी कहो यार मुंबई की ट्रिप कमाल की थी , क्यों शिवेन ?”,मयंक ने अपनी दांयी तरफ देखते हुए कहा लेकिन शिवेन वहा से नरारद था l


“ये कहा गया “,मयंक ने राघव से पूछा l
“वो देख उधर”,राघव ने ऊँगली से इशारा करते हुए कहा l
मयंक ने अपनी नजर उधर दौड़ाई तो देखा सामने चाय की दुकान पर खड़ा शिवेन बाद इत्मीनान से चाय की चुस्किया ले रहा है l मयंक और राघव दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर शिवेन की तरफ चल पड़े
“शिवेन तेरा ये चाय पिने वाला शौक कब ख़त्म होगा भाई ?”,राघव ने कहा


“जीते जी तो नहीं होगा शायद “,शिवेन ने बिना उन दोनों की तरफ देखे कहा
“तू इसे कैसे पि लेता है यार ? मुझसे तो पि भी नहीं जाती “,इस बार मयंक ने कहा
“दारू पिने वालो को ये कहा से हजम होगी , क्यों राघव ?”,शिवेन ने मुस्कुराकर कहा और फिर राघव के साथ मिलकर हसने लगा
“हाहाहाहाहा वेरी फनी , चलो अब चलते है”,राघव ने कहा l


“एक मिनिट मैं अपना बेग लेकर आता हु”,शिवेन ने खाली ग्लास रखते हुए कहा l
शिवेन बेंच की तरफ गया जहा उसने अपना बेग रख दिया था बेंच के पास पहुंचकर शिवेन ने अपना बेग उठाया और जैसे ही जाने लगा उसकी नजर बेंच के निचे गिरी किसी चीज पर गयी l शिवेन ने उसे उठाकर देखा वो किसी लड़की के कान की बाली थी l उसे हाथ में लेकर शिवेन काफी देर तक देखता रहा l

मयंक ने आवाज दी तब जाकर उसकी तंद्रा टूटी l शिवेन ने सोचा इसे वापस इसकी जगह रख दे पर ना जाने क्यों उसका मन नहीं किया और उसने वह इयररिंग अपनी शर्ट के जेब में डाल ली
अपने दिल के करीब और मयंक राघव के पास आ गया l तीनो स्टेशन से बाहर आ गए l मयंक ने ऑटो रुकवाई राघव और मयंक आ बैठे शिवेन बाहर ही था
“तू नहीं चल रहा ?”,राघव ने कहां


“नहीं मैं फ्लेट पर जा रहा हु”,शिवेन ने कहा
“फिर से अंकल से झगड़ा हुआ क्या ?”,मयंक ने पूछा तो शिवेन ने धीरे से अपनी गर्दन हिला दी l
“यार ये कब तक चलेगा ? , तू अंकल से इस बारे में बात क्यों नहीं कर लेता “,मयंक ने फिर कहा
“गाइज इस बारे में कल बात करेंगे अभी तुम लोग जाओ , बाय”,शिवेन ने बात को टालते हुए कहा l


“ठीक है अपना ख्याल रखना , शाम को मैं और मयंक उधर ही आ रहे है”,राघव ने कहा और फिर ऑटो वाले से चलने को कहा l
राघव और मयंक के जाने के बाद शिवेन पैदल ही अपने फ्लेट की तरफ चल पड़ा l

जीबी रोड , अम्मा जी का कोठा
सोनाली के कमरे में पाकीजा परेशान सी जल्दी जल्दी कुछ ढूंढने में लगी है l उसने पूरा कमरा छान मारा पर जो वो ढूंढ रही है उसे नहीं मिला l बेचैनी और छटपटाहट उसके चेहरे से साफ झलक रही थी l सोनाली ने देखा तो पूछ बैठी
“क्या हुआ पाकीजा क्या ढूंढ रही है तू ? और इतना परेशान क्यों है ?”


“बाजी मेरे कानो की एक बाली कही गिर गयी है , कही नहीं मिल रही है”,पाकीजा ने परेशानी भरे स्वर में कहा l
“कोई बात नहीं मैं और ला दूंगी तू ऐसे परेशांन मत हो”, सोनाली ने कहा
“कैसे परेशान ना होऊ बाजी आप नहीं जानती वो कितनी जरुरी है”,पाकीजा ने फिर कहा


“बहुत कीमती थी क्या ?”,सोनाली ने चिंता जताते हुए कहा
“हां बाजी ! दुनिया की सबसे कीमती बाली थी वो , वो मेरी अम्मी ने मुझे दी थी मेरे निकाह के समय l एक वो ही तो उनकी आखरी निशानी थी मेरे पास”,पाकीजा ने अपनी आँखों में आंसू भरकर कहा l

Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12

Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12Pakizah – 12

Continue With Part Pakizah – 13

Read Previous Part Here पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 11

Follow Me On facebook

Sanjana Kirodiwal

pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal
Exit mobile version