Sanjana Kirodiwal

“हाँ ये मोहब्बत है” – 1

Haan Ye Mohabbat Hai – 1

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

इंदौर , व्यास हॉउस
सुबह के 6 बज रहे है। दादू बगीचे में बैठकर अपना अख़बार पढ़ रहे है। दादी माँ अपने कमरे में है सुबह से आज तबियत जरा नरम है उनकी। विजय जी उठ चुके है और अपने कमरे में बैठे जरुरी मेल्स चेक कर रहे है। राधा उनके लिए सुबह की चाय बनाने किचन में है। अर्जुन , नीता , निधि और चीकू अपने कमरों में है शायद उठे नहीं अभी तक। रघु बाहर सफाई में लगा हुआ है। गहरे हरे रंग का सूट पहने , सर पर लाल रंग का दुपट्टा ओढ़े , हाथो की मेहँदी से पता चल रहा था की शादी को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए है , सीधी मांग में भरा सिंदूर , ललाट पर लगी छोटी लाल बिंदी , हाथो में लाल चूड़ा और गले में मंगलसूत्र इन सब ने मिलकर मीरा को और खूबसूरत बना दिया था। हाथ जोड़े आँखे मूंदे वह सुबह की पूजा कर रही थी , हल्की लाल रंग से पुते उसके होंठो ने किसी मंत्र का जाप करना शुरू किया –
“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”
मीरा ने धीरे से अपनी आँखे खोली सामने पड़ी पूजा की थाली उठायी , सुबह की आरती के बाद वह सीधा रसोईघर की और चली आयी राधा को किचन में काम करते देखकर मीरा ने उन्हें रोकते हुए कहा,”माँ ये आप क्या कर रही है ? हमे कहा होता ना हम बना देते पापा के लिए चाय”
“कोई बात नहीं मीरा तुम पूजा कर रही थी , इसलिए मैने सोचा मैं ही बना लेती हूँ। और तुम यहाँ किचन में क्या कर रही हो ? अभी एक महीना ही तो हुआ है तुम्हारी शादी को अभी से घर के काम सम्हालने शुरू कर दिए”,राधा ने कप में चाय छानते हुए कहा
“क्या माँ ये घर हमारे लिए अनजान थोड़ी है ? और वैसे भी हमे आप सबके लिए काम करना अच्छा लगता है। आप हटिये हम करते है”,मीरा ने कहा और चाय के लिए पतीला गैस पर चढ़ा दिया। राधा विजय जी की चाय लेकर वहा से चली गयी मीरा ने चाय बनाई दो कप लेकर वह बगीचे में आयी साथ में दादू की सुबह की दवा भी उसके पास थी , उसने दादू के सामने चाय का कप रखा और उनके पैर छूकर कहा,”गुड़ मॉर्निंग दादू”
“अरे गुड़ मॉर्निंग बेटा”,दादू ने अख़बार साइड में रखकर कहा
“ये लीजिये आपकी खाली पेट की दवा और साथ में ये फीकी चाय”,मीरा ने दादू के हाथ में दवा रखते हुए कहा
“क्या मीरा आज फिर फीकी चाय ?”,दादू ने थोड़ा नाराज होकर कहा तो मीरा ने उन्हें प्यार भरी डांट लगाते हुए कहा,”दादू भूल गए आप अभी पिछले टेस्ट में ही आपको शुगर कितना ज्यादा आया था , डॉक्टर ने साफ मना किया है आपको मीठा देने से और आज से आपको ये फीकी चाय ही मिलेगी”
“ह्म्म्मम शादी होते ही बदल गयी हो मीरा”,दादू ने चाय का कप उठाते हुए कहा तो मीरा उनको घुटनो के पास आकर बैठी और प्यार से कहा,”दादू आप इस परिवार की नींव है , आपका स्वस्थ रहना जरुरी है ना”
“हम्म्म , बात मनवाना तो कोई तुमसे सीखे”,दादू ने चाय पीते हुए कहा तो मीरा उठी और ट्रे लेकर रघु की और आकर कहा,”रघु भैया काम छोड़िये और पहले चाय पी लीजिये”
रघु ने हाथ पोछे और चाय का कप लेकर कहा,”राधे राधे दीदी , आपका ये अपनापन देखकर तो लगता है जैसे हम भी इसी घर के सदस्य है”
“अरे ! बिल्कुल आप इस घर के सदस्य है और हां भाभी कहने की आदत डाल लीजिये हमेशा क्या दीदी ही कहेंगे हमे ?”,मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा
“भाभी तो आप बाद में बने हो मैं तो आपको हमेशा दीदी ही कहूंगा !”,रघु ने कहा तो मीरा मुस्कुरा कर वहा से चली गयी।
अंदर आकर उसने दादी माँ के लिए चाय का कप लिया और उनके कमरे की और चली आयी। अंदर आकर मीरा ने देखा सुरेखा जी अपने बिस्तर पर दिवार से पीठ लगाए बैठी थी और आँखे मूँद रखी थी। मीरा ने बेड की साइड टेबल पर चाय का कप रखा और धीरे से कहा,”दादी माँ !”
“अरे मीरा तुम कब आयी ?”,सुरेखा जी ने कहा
मीरा वही पड़ी कुर्सी पर बैठी और दादी माँ को चाय देकर कहा,”आपके लिए चाय लेकर आयी हूँ , क्या हुआ आज आप थोड़ा उदास है तबियत तो ठीक है ना आपकी ?’
“हां बस थोड़ा सा पैरो में दर्द है उसी वजह से”,सुरेखा जी ने कहा तो मीरा उठी और ड्रेसिंग से तेल लेकर उनके पैरो के पास बैठते हुए कहा,”अभी मसाज कर देंगे ना पल में दर्द दूर हो जाएगा !”
मीरा ने दादी के पैरो की मसाज कर दी उन्हें पहले से ज्यादा आराम था उन्होंने चाय पीते हुए कहा,”मीरा सच में तुम्हारे हाथो में जादू है”
मीरा मुस्कुरा दी और उठते हुए कहा,”ठीक है दादी माँ आपको कुछ चाहिए हो तो हमे आवाज लगा दीजियेगा”
“ठीक है बेटा तुम जाओ”,दादी माँ ने कहा। मीरा निकलकर किचन में आयी उसने अर्जुन और नीता के लिए चाय बनाई , चीकू और निधि के लिए दूध के ग्लास रखे और सीढ़ियों की और बढ़ गयी , सबसे पहले वह निधि के कमरे में आयी तो देखा निधि सो रही थी मीरा ने दूध का ग्लास टेबल पर रखा और खिड़की के परदे हटाते हुए कहा,”उठ जाईये महारानी जी सुबह के 7 बज चुके है , कैसी दोस्त मिली है ना हमे आलसी ?’
कहते हुए मीरा निधि के पास आयी देखा उसका फोन चालू था , मीरा ने फोन लेकर देखा हनी (निधि का होने वाला पति) का था , मीरा ने फोन कान से लगाया तो हनी के खर्राटों की आवाजे आ रही थी। मीरा ने फोन काटकर साइड में रखा और कहा,”रात रात भर बाते चलेगी तो ऐसा ही होगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,निधि मैडम अब उठ भी जाओ”
“सोने दो ना मीरा”,कहकर निधि ने करवट बदल ली
मीरा ने उसे अपनी और किया और कहा,”दूध रखा है तुम्हारे लिए पीकर खत्म करो और है ये मीरा मीरा क्या लगा रखा है ? भाभी है हम तुम्हारे”
निधि एकदम से उठी और मीरा की और पलटकर कहा,”उस से पहले तुम मेरी दोस्त हो , और मैं नहीं कहने वाली तुम्हे कोई भाभी वाभी”
“हम्म्म दोस्त के भाई से शादी जो की है ये सजा तो मिलनी ही थी , अच्छा नौटंकी बंद करो और दूध पी लेना”,मीरा ने ट्रे लेकर जाते हुए कहा। अर्जुन के कमरे के सामने आकर मीरा ने दरवाजा खटखटाया , दरवाजा नीता ने खोला।
नीता के गीले बालो से पता चल रहा था की वह अभी अभी नहाकर आयी थी। मीरा को सामने देखते ही नीता ने कहा,”सॉरी मीरा वो मैं नीचे आने ही वाली थी , चीकू भी उठ गया तो उसे देखने में लेट हो गया।”
“कोई बात नहीं भाभी ये लीजिये आपकी और भैया की चाय और चीकू के लिए दूध ,, आराम से नीचे आ जाईयेगा !”,मीरा ने ट्रे नीता को देकर कहा
“मैं थोड़ी देर में आती हूँ”,नीता ने कहा तो मीरा वहा से चली गयी और नीचे चली आयी। राधा रघु को कुछ बताने में बिजी थी मीरा नाश्ते की तैयारी में लग गयी उसने आलू उबलने को रखे और आता गूंथने लगी। कुछ देर बाद नीता भी चली आयी और कहा,”मीरा लाओ मैं पुरिया बना देती हूँ”
“ठीक है भाभी , आप आलू का भरता भी बना देगी ,, हमे कुछ कपडे प्रेस करने है”,मीरा ने हाथ धोते हुए कहा
“हां हां मैं बना लुंगी , तुम जाओ”,नीता ने गैस की और बढ़ते हुए कहा
मीरा बाहर आयी और विजय जी के कपड़ो को प्रेस करने लगी उनके कपडे प्रेस करके उन्हें कमरे में रखकर आयी ये करते करते सुबह के 8.30 बज चुके थे। चीकू भी आकर हॉल में दादू के साथ बैठा अपने खिलोने से खेल रहा था। निधि के बाद घर में सबसे छोटा चीकू ही था और सबका लाडला भी , विजय जी की तो वह जान था। मीरा वापस किचन में आयी और गैस पर पतीला चढ़ाने लगी तो नीता ने कहा,”देवर जी के उठने का टाइम हो गया ?”
“हम्म !”,मीरा ने कहा
“मीरा एक बात बताओ”,नीता ने कहा
“जी पूछिए”,मीरा ने पतीले में पानी डालते हुए कहा
“अक्षत का नाम लेते ही तुम इतना चुप क्यों हो जाती हो ?”,नीता ने छेड़ते हुए कहा
“ऐसा कुछ नहीं है भाभी”,मीरा ने धीरे से कहा
“अरे मजाक कर रही हूँ , तुम चाय बनाओ मैं चीकू को देखकर आती हूँ”,कहकर नीता चली गयी। मीरा अक्षत के लिए चाय बनाने लगी और सोचने लगी,”ये खामोशियाँ ही तो हमारे रिश्ते को जोड़े हुए है भाभी , अक्षत जी के कहे बिना ही हम कई बार उनके दिल की बात जान लिया करते है , अपनी भावनाओ को जाहिर करने की लिए हम दोनों को कभी शब्दों की जरूरत पड़ी ही नहीं। शायद इसलिए हम उनके नाम से चुप हो जाते है , क्योकि उनके लिए कुछ कहने से ज्यादा हमे उन्हें महसूस करना पसंद है”
मीरा सोच में डूबी थी जब चाय उफनने लगी तो वह अपने ख्यालो से बाहर आयी। उसने रेंक में रखा अक्षत का पसंदीदा कप उठाया जिस पर अक्षत की आँखों की तस्वीर थी और निचे लिखा था “My eyes are enough for you to fall in love with me” मीरा उसे पढ़कर मुस्कुरा दी , उसे वो पल याद आ गया जब पहली बार उसने इस कप को देखा था और देखकर चिढ़ी थी। कप में चाय छानकर मीरा उसे लेकर ऊपर चली आयी। धीरे से कमरे का दरवाजा खोला और अंदर आयी। अक्षत सो रहा था , उसके बाल उसके माथे पर बिखरे हुए थे और कुछ आँखों तक आ रहे थे। सोते हुए वह किसी मासूम बच्चे सा लग रहा था। मीरा ने कप रखा और खिड़की के पास आकर परदे हटा दिए , जैसे ही खिड़की खोली उस में से आती धुप अक्षत पर पड़ी ,, उसका चेहरा चमक रहा था मीरा प्यार से उसे निहारने लगी धुप की वजह से अक्षत ने तकिया उठाया और दूसरी और मुंह करके सो गया। मीरा उसके पास आयी और बैठकर प्यार से उसके बिखरे बालो से साइड किया। मीरा की छुअन को अक्षत पहचानता था उसने मीरा का हाथ पकड़ा और गाल के नीचे लगाते हुए नींद में कहा,”गुड़ मॉर्निंग मीरा !”
मीरा अक्षत के थोड़ा पास आयी और धीरे से उसके कान के पास आकर कहा,”गुड़ मॉर्निंग उठ जाईये सुबह हो चुकी है”
अक्षत उठकर बैठ गया और अपने बालो में हाथ घुमाते हुए कहा,”पता है सुबह सुबह इतनी अच्छी नींद आती है और तुम आकर मुझे उठा देती हो”
“आप कहे तो कल से ना उठाये”,मीरा ने चाय का कप अक्षत को थमाते हुए कहा
“मैं तो चाहता हूँ मेरी हर सुबह तुम्हारी आवाज सुनकर हो”,अक्षत ने मीरा की आँखों में देखते हुए कहा तो मीरा शरमा कर जाने लगी अक्षत ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”मीरा बैठो ना थोड़ी देर”
मीरा वापस आकर बैठ गयी और कहा,”ये रोज रोज देर से उठना हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता है , आपको जल्दी उठना चाहिए”
“हम्म्म्म !”,अक्षत ने कहा
“उठकर पूजा करनी चाहिए”,मीरा ने कहा
“हम्म्म”,अक्षत ने कहा
“रोज सुबह वाक पर जाना चाहिए”,मीरा ने कहा
“हम्म्म्म”,इस बार भी अक्षत ने हम्म कहा तो मीरा ने कहा,”आप हमारी नक़ल उतार रहे है”
“हम्म्म”,अक्षत ने एक बार फिर हम्म्म कहकर जता दिया की वो मीरा की नकल कर रहा था मीरा उठी और कहा,”हमे आपसे बात नहीं करनी , सडु कही के”
कहकर मीरा चली गयी और अक्षत मुस्कुराते हुए चाय पीने लगा।

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क्रमश – “हाँ ये मोहब्बत है” – 2

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