Meri Aakhari Mohabbat – 7
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Meri Aakhari Mohabbat – 7
कुछ देर बाद विनीत की मम्मी आयी और विनीत और पाखी को अपने साथ चलने को कहा .. विनीत और पाखी मम्मी के पीछे पीछे चलने लगे , कुछ दूर चलकर सब मंदिर के कोने में बने एक कमरे के सामने पहुंचे ,, तीनो उसमे चले गए पाखी ने देखा कमरे में ढेर सारी देवी देवताओ की तस्वीरें लगी हुयी है ,
साथ ही कमरे में फ्रीज़ , टीवी , ac सब लगा हुआ था ,, सामने एक गद्दी पर 60-65 की उम्र का एक आदमी बैठा हुआ था ,, कमरे में 4-5 लोग और भी बैठे थे ,, सबने अपने अपने हाथ जोड़ रखे थे मम्मी ने दोनों को बैठने का इशारा किया और खुद भी वही बैठ गई …
वहा मौजूद लोग उस आदमी को महाराज नाम से सम्बोधित कर रहे थे ,, वो अपने हाथो में कुछ फूल लिए पता नहीं क्या बड़बड़ाये जा रहा था , पाखी बच्चो की तरह बड़ी बड़ी आँखे किये कमरे का मुआयना कर रही थी l ा एक एक करके वह बैठे सभी लोग चले गए सिर्फ विनीत पाखी और विनीत की मम्मी वही रुक गयी … महाराज ने नजर भर पाखी को देखा और फिर विनीत की तरफ देखकर बोला – कहो क्या परेशानी है ??
विनीत ने जो कहा उसे सुनकर पाखी अवाक् रह गयी विनीत ने कहां – हमे बच्चा चाहिए !!
पाखी का सर घूम गया उसे विनीत पर गुस्सा आया एक पढ़ा लिखा इंसान बच्चे के लिए डॉक्टर से मिलने के बजाय यहाँ आया है पर सास के सामने कुछ बोल नहीं पायी चुपचाप बैठी रही ,,बाबा ने सास को बाहर जाने का इशारा किया और विनीत से कहा की दरवाजा अंदर से बंद कर ले …
विनीत की मम्मी कमरे से बाहर चली गयी दरवाजा बंद होने के बाद पाखी काफी डर गयी पर कुछ बोल नहीं पायी ,,, बाबा आकर पाखी के एकदम सामने बैठ गया विनीत भी पाखी के बराबर में बैठा था ! बाबा ने पाखी के घुटने पर हाथ रखते हुए कहा – आखिर तू ऐसा क्यों कर रही है , क्या परेशानी है तूझे
पाखी के कुछ बोलने से पहले ही विनीत ने शिकायतों की झड़ी लगा दी पाखी बस चुपचाप सुनती रही ,, विनीत की ऐसी प्रतिक्रिया देख बाबा का हौसला बढ़ गया , अब उसके हाथ पाखी के कंधों पर आ चुके थे , वो धीरे धीरे पाखी के कंधे को सहलाने लगा , कभी उसके गाल पर तो कभी घुटने पर …
पर विनीत मूक दर्शक बनकर सब देखता रहा ,, उसकी छुअन पाखी को नर्क का अहसास करा रही थी , वो बस आस भरी नजरो से विनीत की तरफ देखि जा रही थी और विनीत ख़ामोशी से वो सब घिनौनी हरकते देखे जा रहा था …
इतने से भी जब उस बाबा का पेट नहीं भरा तो उसने पाखी से अश्लील सवाल करने शुरू कर दिए ,, जिन्हे सुनकर पाखी ना कुछ बोल पायी ना कुछ कर पायी , उसका दिमाग इतना सुन्न हो चूका था की उसे पता ही नहीं था वहा हो क्या रहा है ,
उसका पूरा जिस्म जैसे एक जिन्दा लाश था उस वक्त बस दो आँखे थी जिनमे जान अब भी नजर आ रही थी जो अविरल बहती जा रही थी , पर विनीत का दिल तब भी नहीं पिघला …
बाबा काफी देर तक उस से सवाल जवाब करता रहा ,, उसने अपनी बातो से ही पाखी का बलात्कार कर दिया ,,,
जी हां बलात्कार !!
बलात्कार सिर्फ जिस्म का ही नहीं होता ,, आत्मा का भी होता है और उस दिन पाखी के साथ भी वही सब हुआ ,, उसकी आँखों से बहते आंसू इस बात के गवाह थे की उस इनसे ने अपने नापाक इरादों और गंदे हाथो से उसका जिस्म नहीं बल्कि उसकी आत्मा को छुआ था , उसका सम्मान , उसकी पवित्रता उसने रौंध दी , और विनीत सब देखता रहा
बाबा ने जैसे ही अपना हाथ पाखी को छूने के लिए फिर से बढ़ाया पाखी एक झटके में उठ खड़ी हुयी , बाबा थोड़ा घबरा गया उसे लगा कही पाखी शोर ना मचा दे इसलिए उसने कमरे के दरवाजे खोल दिए …
दरवाजा खुलते ही पाखी की सास अंदर आ गयी और हाथ जोड़ कर खड़ी हो गयी … पाखी एक जिन्दा की भांति कमरे के एक कोने में खड़ी थी . उसके दिलो दिमाग में बस एक ही बात बार बार हथोड़े की तरह चोट कर रही थी वो थी विनीत की चुप्पी .. विनीत के सामने उसे किसी गैर मर्द ने छुआ और वो चुप रहा ,, वो कुछ नहीं बोल पाया आखिर कोई आदमी इतना कैसे गिर सकता है …
बाबा ने पाखी की तरफ देखते हुए कहा – इस लड़की पर आत्माओ का साया है , इसलिए इसकी आप लोगो के घर में जमती नहीं है , और इसे बच्चे भी नहीं हो रहे है , अगर इसका इलाज चाहते हो तो इसे यहाँ हर शनिवार लाना होगा तभी इलाज संभव है …
पाखी की सास ने हाथ जोड़ दिये और बाबा की जय बोलने लगी ,, उसने आगे बढ़कर बाबा के पैर छू लिए बाबा ने पाखी की सास को उठाया गले लगाकर आशीर्वाद देने लगा ,, फिर पाखी की तरफ बढ़ा और उसे भी जबरदस्ती गले लगाने लगा ..
इस बार भी विनीत ने कुछ नहीं कहा पर पाखी के सब्र का बांध टूट गया उसने बाबा को दूर धकेलते हुए कहा – मैं यहा अब कभी नहीं आउंगी … मुझे कुछ नहीं हुआ है मैं बिलकुल ठीक हु
बाबा को पाखी से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी उसने गुस्से से भरकर कहा – यहाँ आना ही पडेगा , अगर नहीं आएगी तो तेरा इलाज नहीं होगा ,, मैं चाहु तो तुझे यहाँ बैठे बैठे बर्बाद कर सकता हु …
आपको जो करना है कर लीजिये मैं दोबारा यहाँ नहीं आउंगी – कहकर पाखी बाहर निकल गयी …
पाखी के पीछे पीछे विनित और उसकी सास भी बाहर आ गए , विनीत गाड़ी लेने चला गया तो पाखी ने अपनी सास से कहा – मम्मी जी मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हु , आप जो कहेंगी जैसा कहेंगी मैं सब करुँगी प्र प्लीज़ यहाँ वापस मत आना , वो अच्छा इंसान नहीं है , उसने मुझे गलत तरीके से छुआ है
वो सिर्फ तुम्हारा इलाज कर रहा है – सास ने पाखी से कहा तो पाखी को मदद की कोई उम्मीद नजर नहीं आयी फिर भी उसने हिम्मत करके कहा – मुझे ऐसा इलाज नहीं चाहिए
कहकर रोने लगी … थोड़ी देर में विनीत आया और दोनों को लेकर चला गया ! घर आकर पाखी बिस्तर पर गिर पड़ी और रोने लगी ,, उसकी आँखों के सामने बार बार उस सख्स का घिनोना चेहरा सामने आ रहा था , उसकी कही बाते पाखी के कानो में गर्म लावे की तरह गिर रही थी … विनीत ने पाखी से कोई बात नहीं की और घर से बाहर चला गया … वो रोती रही और फिर उसे नींद आ गयी …
कुछ दिन बाद विनीत और उसकी माँ ने उसे फिर से वही चलने को कहा तो उसने साफ शब्दों में मना कर दिया ,, ज्यादा जोर देने पर पाखी ने अपने घर पर बताने की धमकी दी तो विनीत पैर पटकते हुए वहां से चला गया … लेकिन इसके बाद पाखी की हालत और बदतर हो चुकी थी , घर में कोई उस से बात नहीं करता था ,
सास भी सीधे मुँह बात नहीं करती थी ,,, पाखी अब और ज्यादा खामोश रहने लगी ,, और अंदर ही अंदर घुटने लगी पर किसी से कहती नहीं ,, उसे लग्न लगा शायद अब यही उसकी जिंदगी थी …. लेकिन इन सब में विनीत अब तक पूरी तरह बर्बाद हो चूका था !
एक दिन ऑफिस की छुट्टी होने के कारन पाखी घर पर ही थी ,, सास और विनीत सुबह ही घर से निकल गए थे , घर में सिर्फ पाखी , दादाजी और उसकी ननद थे ,, ननद अपने कमरे में फोन में मगशुल थी और दादाजी बाहर बरामदे में बैठे थे … पाखी खाना बनाने के बाद किचन साफ करने में लगी थी तभी उसके फोन की रिंग बज उठी
अनजान नंबर देखकर पाखी ने एकबार तो फोन नही उठाया लेकिन जब बार बार फोन आ रहा था तो उसने उठा लिया दूसरी तरफ कोई लड़का था
पाखी ने डरते डरते कहा – हेलो ! कौन
– कौन की बच्ची , शादी हो गयी तो भाई को भूल गयी
पाखी जान गयी ये अवि था उसकी मौसी का लड़का शादी के बाद वो उस से बात ही नहीं कर पायी ,,,
पाखी – अच्छा तो तू है , कहा है ? मौसी कैसी है
– मौसी ठीक है , और मैं तेरे घर के बाहर खड़ा हु दरवाजा खोलो आकर , वरना क्रिष गेल बन जाऊँगा !!
आती हु कहकर पाखी ने फोन काट दिया …
फोन काटने के बाद पाखी असमंज में पड गयी घर पर पाखी दादाजी और ननद के अलावा कोई नहीं था , अवि पाखी से 4 साल छोटा था ,, और अभी कॉलेज में पढ़ रहा था , पाखी सोच ही रही थी की फोन एक बार फिर बज उठा , पाखी जल्दी से गयी और दरवाजा खोला अवि अंदर आ गया …
पाखी ने उसे बैठने को कहा और खुद उसके लिए चाय बनाने किचन में चली गयी चाय लेकर वो अपने कमरे में गयी और अवि को चाय दी और एक कप खुद ले लिया दोनों चाय पिते हुए बाते करने लगे … बातो बातो में पाखी ने उसे अपने और विनीत के बारे में भी बता दिया भाई होने के साथ साथ वो उसका अच्छा दोस्त भी था ,
उसने पाखी को कहा सब ठीक हो जाएगा ,, कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद अवि चला गया … सुबह से शाम हो गयी लेकिन विनीत और उसकी मम्मी घर नही आये .. पाखी रात का खाना बनाने में लग गयी …
अँधेरा होने के बाद पाखी की सास घर आयी और आते ही सिधे अपने कमरे में चली गयी माँ को देखते ही ननद ने उनके कण भर दिए और पाखी के लिए उलटी सीधी बाते बोलने लगी पाखी किचन में अपना काम करने में लगी थी , तभी सास आयी और पाखी से गुस्से में पूछा
कौन लड़का आया था आज घर पर ?
– मेरा भाई था , मौसी का लड़का
कौनसी मौसी ?
मेरी छोटी मौसी है
कंवारा था या शादीशुदा ?
इस बार पाखी को उनका सवाल बुरा लग गया उसने पहली बार उन्हें सीधा जवाब दिया – आप कहना क्या चाहती है ?
पाखी की सास भी तेश में आ गयी और कहा – भाई आया था या कोई और , तू अपने भाईयो को बुलाकर हमारी बेइज्जती करती है , हमारा नाम खराब कर रही है …
– मैंने आपका कोई नाम ख़राब नही किया है , यह मेरी कोई नहीं सुनता तो अपने घरवालों से तो कहूँगी न मैं …
पाखी का ितं कहना था की सास ने उसे उल्टा सीधा सुनाना शुरू कर दिया ,, पाखी रोते हुए अपने कमरे में चली गयी … उसे कुछ समज नहीं आ रहा था ये कैसे लोग थे जो भाई बहन के रिश्ते को भी दागदार बनाने में लगे थे … सास भी गुस्से में अपने कमरे में चली गयी ,,, रात में विनीत के आते ही सास ने उसे सारी बात बता दी .. विनीत गुस्से में पाखी के पास गया
वो अब भी रो रही थी ………………………….
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