Meri Aakhari Mohabbat – 25
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Meri Aakhari Mohabbat – 25
पाखी ने आगे बढ़कर पहले पिंजरे पर लगी पर्ची उतारी और खोलकर पढ़ना शुरू किया
“अतीत” वो वक्त जो गुजर चूका है लेकिन आज भी आपने खुद को उसमे कैद कर रखा है ,,, जरुरत है उसे खुद से आजाद करने की , ताकि अपना आज जी सको अपने अतीत को खुद से आजाद कीजिये
पाखी ने पिजरा खोला और उसे आजाद कर दिया ,, पाखी ने शिव को कागज पकड़ाया और आगे बढ़ गयी
उसने दूसरे पिंजरे की पर्ची पढ़नी शुरू की
“शादी” वो बंधन जिसने हमेशा आपको बांध के रखा , बेबुनियाद रस्मो और रिवाजो में .. जो शादी एक शादी ही नहीं थी आपने आज भी खुद को उस बंधन में बांध रखा है , जिसके होते आप आज तक अपने बारे में नहीं सोच पायी, खुद को उस बंधन से आजाद कीजिये
पाखी ने दूसरा पिंजरा खोल कर उसके पंछी को भी आजाद कर दिया
पाखी अगले पिंजरे की तरफ बढ़ी उसकी पर्ची निकालकर पढ़ना शुरू किया जिसमे लिखा था
“प्यार” जिससे आपने हमेशा खुद को दूर रखा है ,, प्यार कभी पहला या दूसरा नहीं होता … पर किसी न आपका दिल तोडा और आपने खुद को सबसे दूर कर लिए ,, जो प्यार खुद में समेट रखा है उसे आजाद कीजिये..
पाखी ने उस पिंजरे के पंछी को भी आजाद कर दिया
वो आगे बढ़ी उसने पिंजरे से पर्ची निकाली और पढ़ने लगी
“डर” जो हमेशा आप पर हावी रहा ,, कुछ खो देने डर, किसी के करीब आने का डर, खुश रहने का डर, सपने देखने का डर ना जाने कितने ही डर आपको घेरे हुए है खुद को उस डर से आजाद कीजिये ,,
पाखी की आँखे नम हो गयी तो शिव ने उसके कंधे पर हाथ रखकर हाँ में अपनी गर्दन हिला दी
पाखी ने पिंजरे के पंछी को आजाद कर दिया
पाखी आखरी पिंजरे की तरफ बढ़ी और पर्ची पढ़ने लगी
“ईश्वर” मैं जानता हु आप ईश्वर में विश्वास नहीं करती , पर चाहता हु आप करो क्योकि अगर वो नहीं होते तो शायद मैं आपसे मिल नहीं पाता …
पाखी ने शिव की तरफ देखा और आखरी पिजरा भी खोल दिया …
शिव उसे लेकर अंदर गया घर के एक कोने में बड़ा सा मंदिर बना था जहा शिव भगवान की बहुत बड़ी मूर्ति थी शिव ने पाखी से कहा
– पाखी मैं आपसे ना कोई वादा करना चाहता हु ना ही आप पर कोई अहसान ,, बस इतना कहूंगा की मुझे और इस घर को आपकी जरुरत है ..
शिव ने पास रखा एक डिब्बा जिसमे लाल रंग की साड़ी , लाल रंग का चूड़ा और सिंदूर का डिब्बा था पाखी की तरफ बढ़ाते हुए कहा – इसे स्वीकार करके मुझे फिर से जीने की उम्मीद दे दो ..
पाखी ने शिव की आँखों में देखा , उसे उन दो आँखों में सिर्फ अपने लिए बेइंतहा प्यार नजर आ रहा था ,
आकाश और सपना भी आ गए आकाश ने पाखी के पास आकर कहा – पाखी शिव से अच्छा लड़का तुम्हे नहीं मिलेगा
– लेकिन जीजू मैं एक तलाक………. – पाखी कहते कहते रुक गयी
शिव ने पाखी का हाथ पकड़ा और अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए कहा – चलिए मेरे साथ आपको एक आखरी सच और बताना है
पाखी शिव के साथ जाती है आकाश और सपना भी उन दोनों के पीछे रूम में आ गए सबके बैठने के बाद शिव ने बोलना शुरू किया
– पाखी मैं जानता हु आपके मन में मुझे लेकर बहुत से सवाल होंगे ,… जिस तरह आपका अतीत है उसी तरह मेरा भी अतीत रह चूका है .. 4 साल पहले मेरी शादी वर्षा से हुयी थी , वर्षा मम्मी पापा की पसंद थी और मैंने उनकी पसंद को अपनाने का फैसला कर लिया , धूमधाम से मेरी शादी हुयी और वर्षा हमारे घर अा गयी लेकिन शादी वाली रात ही उसने मुझे बताया की वो किसी विजय नाम के लड़के से प्यार करती है ,,
और उसी से शादी करना चाहती है मुझसे शादी उसने सिर्फ अपने माँ बाप के दबाव में आकर की ,,,, मैंने उसी रात फैसला किया की मैं वर्षा की जिंदगी ख़राब नहीं करूँगा मैंने उस से एक महीने की मोहलत मांगी और उसके बाद उसके कहने पर मैंने उसे तलाक देकर आजाद कर दिया ..
मम्मी पापा बहुत नाराज हुए मुझपर लेकिन जीस लड़की ने कभी मुझसे प्यार ही नहीं किया वो मेरे सात जिंदगी कैसे बिताती ,,, दो महीने बाद ही वर्षा वापस आ गयी और कहा की वो मेरे साथ रहना चाहती है विजय ने उसे धोखा दिया लेकिन माँ पापा ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया लेकिन मैंने उसे रुकने को कहा —–
उसी शाम मुझे पता चला की वो माँ बनने वाली है मैंने उसे विजय से बैठकर बात करने को कहा और उसे बहुत समझाया … उस रात मैं देर तक उसे समझाता रहा … लेकिन उसने नहीं सुनी … उसने जो फैसला लिया उसने मेरी जिंदगी ही बदल दी
अगली सुबह उसकी लाश उसके कमरे में मिली ,उसने हार मानकर अपनी जान दे दी पुलिस घर आयी और मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार मानकर ले गयी , मेरी वजह से पापा की बहुत बदनामी हुयी , पापा जानते थे मैं गुनहगार नहीं हु लेकिन वो कुछ नहीं कर पाए लेकिन अदालत में वर्षा के पापा ने सच बोलकर मुझे बचा लिया पूरे 2 महीने बाद मैं घर आया था
लेकिन किसी ने मुझसे बात नहीं की … सब मुझे गलत समझने लगे माँ पापा भी … मेरी लॉ की डिग्री पूरी हो चुकी थी उसके बाद मैं वहा से लन्दन चला गया वहा रहकर मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और बंगलौर शिफ्ट हो गया , उसके बाद मेरा काम ही मेरा सब कुछ हो गया और होटल्स के कमरे मेरा घर ….
इन चार सालो में मैंने सबको खुद से दूर कर दिया था ,, घर भी महीनो बाद साल में एक बार जाता था … लेकिन जब आपको देखा तो पहली बार इन आँखों को कुछ अच्छा लगा और फिर इन आँखों में बसता ही गया …
पाखी आपकी तरह जिंदगी में मैंने भी बहुत कुछ खोया है ,, पर अब कुछ खोने से डर लगता है ,, आपसे मिलने के बाद एक बार फिर से ये दिल धड़का है , इन आँखों ने खवाब देखना शुरू किया है ,, और शायद हमारा अतीत ही है जिसने एक दूसरे को अभी तक जोड़ के रखा है ….
मैं आपको खोना नहीं चाहता … कहकर शिव चुप हो गया आज पहली बार उसकी आँखों की नमी पाखी को तकलीफ दे रही थी आज पहली बार शिव की आवाज में वो दर्द महसूस कर रही थी उसने भीगी पलकों से आकाश और सपना की तरफ देखा दोनों ने हां में गर्दन हिला दी पाखी ने दौड़कर शिव को गले लगा लिया …
दोनों बिना कुछ बोले बस एक दूसरे को गले लगाए रहे …
पाखी ने शिव की आँखों में देखते हुए कहा – हम आपको कभी समझ ही नहीं पाए ,,
शिव – समझने के लिए आपके और हमारे पास पूरी जिंदगी पड़ी है ,,
की दोनों बस एक दूसरे की आँखों में देखते रहे भूल गए की उनके अलावा भी कमरे में कोई है तभी आकाश ने कहा – तोता मैना चोंच लड़ाना बंद करो
पाखी ने मुस्कुराते हुए आकाश की तरफ देखा और उसके पास जाकर उसके गले लगकर कहने लगी – थैंक्यू जीजू
आकाश – साली साहिबा थैंक्यू किसलिए?
पाखी – बस थैंक्यू
सपना – पाखी आज मैं बहुत खुश हु …
पाखी ने सपना को गले लगाकर कहा – अगर तूम सब नहीं होते तो आज न जाने मैं किस हाल में होती …..
शिव भी उनके पास आया और कहा – पाखी घर चले
पाखी के बोलने से पहले ही आकाश बोल पड़ा – कोनसे घर , हम हमारी साली साहिबा को ऐसे ही थोड़ी भी देंगे बारात लेकर आओगे तो ही वरना टाटा बाय बाय
आकाश की बात सुनकर सब हसने लगे … शाम को सभी वापस जयपुर के लिए निकल गए आकाश ने पाखी की मम्मी को सा समझाया और दो दिन बाद ही शिव के मम्मी पापा शगुन लेकर पाखी के घर आ गए .. सबकी रजामंदी से रिश्ता तय हो गया और एक महीने बाद ही शादी की तारीख भी तय हो गयी …
शिव के लिए ये एक महीना एक साल जैसे निकला और फिर वो दिन भी आ गया जब पाखी दुल्हन बने शिव के सामने खडी थी .. दोनों एक बंधन में बंध चुके थे .. आकाश और सपना ने दोनों के खूब मजे लिए और फिर पाखी हमेशा हमेशा के लिए शिव की हो गयी …
शिव और पाखी जब घर पहुंचे तो उसकी मम्मी रिश्तेदारों के साथ उनके स्वागत के लिए खड़ी थी
दोनों की आरती उतार उन्हें अंदर ले आयी घर के मंदिर में लेजाकर पाखी से कहा – बेटा भगवान के पैर छूकर आशीर्वाद लो
पाखी ने सामने मंदिर में देखा और फिर शिव के पैर छूकर कहां – आशीर्वाद दीजिये
सब भौचक्के से पाखी को देख रहे थे तभी शिव की मम्मी ने कहा – बेटा आप शिव के पैर क्यों छू रही है
पाखी – क्योकि मेरे लिए यही भगवान् है , मैंने कभी उन भगवान् को नहीं देखा पर इनकी आँखों में वो मुझे दीखते है , इन्होने मेरे लिए जो किया है वो उस भगवान ने भी नहीं किया था कभी ….
शिव की आंखे नम थी और वहा मौजूद सबके होठो पर मुस्कराहट ..
शिव ने पाखी का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा – आपकी जगह मेरे पैरो में नहीं मेरे दिल में है ….
दोनों मुस्कुराते हुए बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे
शाम को रिसेप्शन मे दोनों ने खूब डांस किया आकाश और सपना भी वही रुक गए …. कुछ मेहमान चले गए
पाखी अपने कमरे मे शिव का इन्तजार कर रही थी तभी आकाश और सपना वहा आ गए और पाखी से बातें करने लगे कुछ देर बाद शिव आया तो आकाश और सपना को वहा देखकर कहा – तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो
आकाश ने लेटते हुए कहा – आज तो हम अपनी साली साहिबा से ढेर सारी बात करेंगे ..
शिव ने आकाश और सपना को कमरे से बाहर निकालते हुए कहा – बातें कल करना अभी निकलो यहाँ से
पाखी को ये सब देख हंसी आ गयी .. दोनों को बाहर निकाल शिव ने पाखी की तरफ पलटते हुए कहा – बहुत हंसी आ रही है ना आपको , अभी बताते है
पाखी – नहीं वो …….. कहकर पाखी ने पलके झुका ली
शिव जैसे ही पाखी की तरफ बढ़ा लाइट चली गयी .. शिव पाखी को लेकर बालकनी में आ गया चांदनी रात में दोनों चाँद को देख रहे थे ,, शिव ने अपनी बांहे फैलाई और पाखी उसकी बांहो में समां गयी
एक लम्बे अरसे के बाद दोनों साथ थे एक दूसरे की आखरी मोहब्बत बनकर …
पाखी उसके सीने पर सर रखे आकाश में चमक रहे तारो को निहार रही थी ,, शिव की बांहो में वो खुद को महफूज महसूस कर रही थी ,, एक बच्चे की तरह वो उसमे ही सिमटकर सो गयी … शिव को भी वही नींद आ गयी …..
अगले दिन सुबह सुबह आकाश के जगाने पर दोनों की आँखे खुली आकाश ने शिव को एक लिफाफा देते हुए कहा – ये तुम्हारे लिए मेरी और सपना की तरफ से शादी का तोहफा
शिव ने उसे खोलकर देखा उसमे शिमला की दो टिकटे थी शिव ने टिकटे आकाश को दिखायी तो वो बोला – मैंने सोचा मेहमानो के बिच तुम दोनों एक दूसरे को समय नहीं दे पाओगे इसलिए तुम्हारा एक महीने का टूर हमारी तरफ से …
शिव और पाखी अपना बैग पैक कर जैसे ही एयरपोर्ट पहुंचे वहा आकाश और सपना पहले से मौजूद थे
शिव और पाखी उनके पास गए
शिव – तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो
आकाश – शिमला जा रहे है
शिव – किसलिए ?
आकाश – सेकेण्ड हनीमून मनाने
शिव – अभी एक महीने पहले ही तो लौटे हो वहा से
आकाश – तो , हम तुम्हारी तरह अनरोमांटिक नहीं है
शिव ने घूरकर आकाश की तरफ देखा फिर हंसने लगा सही के साथ साथ सपन आकाश पाखी भी हंसने लगे और फिर चारो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गए …
कहते है कुछ कहानिया कभी अधूरी नहीं रहती शिव और पाखी की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी ,,
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समाप्त !!
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