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Manmarjiyan Season 3 – 99

Manmarjiyan Season 3 – 99

Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू को गोद में उठाये लवली पिंकी को घूरे जा रहा था क्योकि पिंकी ने ही उस से गोलू को बचाने को कहा था। ये देखकर गोलू ने लवली का मुंह अपनी तरफ घुमाया और कहा,”ए गुड्डू भैया ! उधर नाही हाँ , उह्ह्ह हमायी पिरोपर्टी है”
लवली ने सुना तो धड़ाम से गोलू को नीचे पटका और वहा से चला गया। गोलू कमर से हाथ लगाकर उठा और कहा,”जे साला गुड्डू भैया को भी एकदम से दौरे काहे पड़ने लगते है”


पिंकी गोलू के पास आयी और उसके गाल से हाथ लगाकर कहा,”जे तुमने अपनी का हालत बना रखी है गोलू , जे सब का चल रहा है हिया , कौन है जे लोग ?”
“इह बहुते लम्बी कहानी है पिंकिया घर चलकर सुनाएंगे”,गोलू ने पिंकी के साथ खाई किनारे से साइड में आते हुए कहा


“हाँ घर चलते है,,,,,,,,!!”,पिंकी ने गोलू की तरफ देखकर कहा लेकिन गोलू नरारद पिंकी ने इधर उधर देखा तो पाया गोलू कुछ ही दूर खड़ा एक आदमी से बतिया रहा है। पिंकी गोलू की तरफ जाती इस से पहले गुप्ताइन उसे अपने साथ लेकर बाकि सब घरवालों की तरफ चली गयी।

“अबे मक्खन जे खाली पजामे में खड़े होकर खुद को सलमान खान काहे समझ रहे हो बे ?”,गोलू ने लल्लन के पास आकर कहा
“ए तुम साले बचपन मा सर के बल गिर गए थे का ? हमाओ नाम लल्लन है लल्लन ,, मरने से पहिले हमरी बस एक ही ख्वाहिश है कि तुम्हरे मुंह से हमहू अपना सही नाम सुन ले बस”,लल्लन ने रोआँसा होकर कहा
“अरे यार लखन तुमहू भी ना इमोशनल कर देते हो कसम से”,गोलू ने कहा तो लल्लन ने अपने बाल नोच लिए ये देखकर गोलू ने कहा,”का हुआ , सर दुःख रहा है का ?”


“ए थानेदार साहब या तो हमको गोली मार दयो या फिर जे बकैत आदमी का मुँह बंद कर दयो”,लल्लन ने रोते हुए थानेदार से कहा
“का तकलीफ है बे तुमको ?”,थानेदार ने गोलू से कहा
“तकलीफ तो कुछो नाही है बस खाना खाने के बाद खट्टी डकारे बहुत आती है हमे”,गोलू ने मासूम सा मुंह बनाकर कहा


थानेदार ने सुना तो गुस्से से कहा,”अभी दुइ डंडा खींचकर मारेंगे ना पिछवाड़े पर तो खट्टी डकारें कही और से निकलेगी समझे , भाग जाओ हिया से”
गोलू ने सुना तो तुरंत आगे बढ़ गया।

इतने लोगो के शोर गुल में इंस्पेक्टर शुक्ला को कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने मिश्रा जी से थाने आकर मिलने को कहा और अपने साथियो से कहा,”इन सबको लेकर चलो”
लल्लन और मंगेश के साथ उनके आदमियों को पुलिस की जीप में भरा में और वहा से लेकर चले गए।
 रामनगर की पहाड़ी पर अब मिश्रा जी , आदर्श फूफा , राजकुमारी भुआ , गुड्डू-शगुन , लवली-बिंदिया , गुप्ता जी , गुप्ताइन , गोलू-पिंकिया , मंगल फूफा , यादव जी , फुलवारी और शर्मा जी थे।

मिश्रा जी ठीक थे और औरतों को छोड़कर बाकि सब की हालत खराब थी। आदर्श फूफा के बाल बिखरे हुए थे , मगल फूफा के कपडे जगह जगह से फटे हुए थे , गोलू ने उलटी पेंट पहन रखी थी , गुप्ता जी का चेहरा धूल से सना था , शर्मा जी बौखलाए से खड़े सबको देख रहे थे और गुड्डू-लवली का मार खाकर हाल बेहाल था लेकिन दोनों शांत थे।

 सभी शांत खड़े एक दूसरे को देख रहे थे और फिर एकदम से सब एक साथ एक दूसरे से शिकायते करने लगे , गोलू को तो गुप्ता जी से दो चार चाँटे भी पड़ चुके थे मिश्रा जी ने देखा तो जोर से चिल्लाये,”अबे चुप हो जाओ सब के सब”
मिश्रा जी की आवाज सुनकर सारे चुप हो गए। मिश्रा जी ने गुस्से से सबको देखा और कहा,”एक ठो लाइन में आओ सारे के सारे”


गुप्ताइन , राजकुमारी भुआ , फुलवारी , शगुन , पिंकी और बिंदिया एक तरफ खड़ी हो गयी। शर्मा जी , गुप्ता जी , यादव जी , मंगल फूफा , आदर्श फूफा , गुड्डू , लवली और गोलू एक तरफ खड़े हो गए। मिश्रा जी ने ख़ामोशी से सबको देखा और फिर आदमियों से गुस्से में आकर कहा,”का जिनावर हो का सब के सब ? जे कोनो तबेला है जो सांड़ो की तरह लड़े जा रहे हो,,,,,,,!!”


मिश्रा जी की बात सुनकर सब इधर उधर देखने लगे। गोलू ने सबको देखा और हीरो बनने के चक्कर में मिश्रा जी के पास आते हुए कहा,”अरे इह सब छोड़िये मिश्रा जी इह बताईये बृजेश यादव और आपका का कनेक्शन था और जे सब भसड़ की वजह का है ?”
गुड्डू ने सुना तो बगल में खड़े लवली से दबी आवाज में कहा,”जे फिर पिटेगा”
“हम तो कहते है सारे मिलकर एक बार तबियत से सुताई कर देओ जे कि तब अकल आही है जे का,,,,,,,,,,ससुरे जब भी मुंह खोलेंगे चरस ही थूकेंगे”,लवली ने भी अपना नाख़ून चबाते हुए दबी आवाज में कहा


मिश्रा जी एक तो पहले ही गुस्से में थे ऊपर से गोलू ने आग में घी डालने का काम किया सो अलग,,,,,,,,मिश्रा जी ने उसे अपने पास बुलाया उसके दोनों कान पकडे और उसे आगे पीछे करके कहा,”हमहू जब बात कर रहे है तो तुमको बीच मा बोलने की जरूरत है बे ?”
“अरे चचा हमहू तो आपको मोरल सपोर्ट दे रहे थे,,,,,,!!”,गोलू ने मिमियाते हुए कहा
“तुम्हाये मोरल सपोर्ट के चक्कर मा ही सबकी लंका लगी है भूल गए तुम,,,,,,,चुपचाप जाकर हुआ खड़े हो जाओ वरना घर अपनी दो टाँगो पर नाही बल्कि चार कंधो पर जाओगे,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने गुस्से से कहा


अब एक मिश्रा जी ही थे जिनके सामने गोलू थोड़ा तमीज में रहता था इसलिए चुपचाप जाने लगा लेकिन गलती से औरतों की तरफ बढ़ गया तो मिश्रा जी ने गुद्दी पकड़कर उसे आदमियों की तरफ धकेलकर कहा,”उधर जाके मरो”
इस बार गोलू शर्मा जी के बगल में जाकर खड़ा हो गया। सब मिश्रा जी को ख़ामोशी से देख रहे थे। मिश्रा जी ने एक गहरी साँस ली और बोलना शुरू किया

“हमायी अम्मा को गुजरे अभी 5 दिन हुए है और इन 5 दिनों में हमने 5 जन्मो की भसड़ एक साथ देख ली। जे कहानी शुरू होती है कानपूर से जब शादी से पहिले जवानी के दिनों मा हम , गुप्ता जी , शर्मा जी और बृजेश यादव दोस्त हुआ करते थे

हमरी दोस्ती इतनी गहरी और पक्की थी कि पूरा कानपूर हमायी दोस्ती की मिसाल दिया करता था। वक्त गुजरा और धीरे धीरे सबके कंधो पर जिम्मेदारियां आयी। शादी के बाद सब अपनी अपनी गृहस्थी मा व्यस्त हो गए। शर्मा जी और गुप्ता जी से ज्यादा मुलाकात नाही होती थी पर बृजेश से दिन मा एक ठो बार चाय तो कभी खाने पर मुलाकात हो ही जाया करती थी और यही से हमरी दोस्ती और मजबूत हुई। फिर हम सबके जीवन मा आया शुभ दिन जब मिश्राइन और भाभी यानि बृजेश की पत्नी गर्भवती थी और सरकारी अस्पताल के बिस्तरो पर दोनों साथ साथ थी।

हम और बृजेश बहुत खुश थे और बाहिर खड़े इंतजार कर रहे थे नन्हे मेहमानों का , नर्स ने आकर पहले बृजेश को खबर सुनाई कि उह्ह बाप बन गवा है और भाभी ने जुड़वा लड़को को जन्म दिया है। बृजेशवा बहुते खुश हुआ ,, हमरी घबराहट और बेचैनी बढ़ रही थी हम भी इंतजार मा थे कि नर्स आकर हमको खुशखबरी सुनाये ,, कुछ देर बाद नर्स आयी और कहा कि मिश्राइन ने भी बहुते सुंदर लड़के को जन्म दिया है”


इतना कहकर मिश्रा जी रुके और गुड्डू खुश होकर मुस्कुराया जैसे वे उसकी बात कर रहे हो लेकिन अगले ही पल उसकी मुस्कुराहट उदासी में बदल गयी जब मिश्रा जी ने कहा, “लेकिन जन्म के समय ही बच्चे ने दम तोड़ दिया और इह दुनिया में आने साथ ही इह दुनिया को अलविदा कह दिया”
मिश्रा जी की आँखों में नमी तैर गयी और इसी के साथ ही बाकि सब के चेहरे भी उदासी से भर गए। सभी मिश्रा जी के आगे बोलने का इंतजार करने लगे।

मिश्रा जी कुछ देर चुप रहे और फिर आगे कहने लगे,”मिश्राइन की तबियत बिगड़ रही थी और उह्ह बख्त मा अपने बेटे से मिलना चाहती थी , ओह्ह का देखना चाहती थी पर हमायी हिम्मत नाही होय रही थी कि जाकर उसे बताये कि ओह्ह का बच्चा अब जे दुनिया मा नाही रहा। हमहू मिश्राइन से बहुते प्रेम करते है आज तक कबो ओह्ह् का ज़रा सी भी तकलीफ नाही देही , हम उन्हें खोना नाही चाहते थे। बृजेश ने जब हमे टूटते देखा तो उह्ह अपनी पत्नी के पास गया और अपने दो बेटो में से एक बेटा लेकर आया और हमे लेकर मिश्राइन के पास चला आया।


उसने अपने बेटे को हमारा और मिश्राइन का बेटा कहकर मिश्राइन की गोद में थमा दिया। जैसे ही  मिश्राइन ने ओह्ह बच्चे को अपनी गोद मा लिया ओह्ह की तबियत सुधरने लगी , जे कोनो चमत्कार से कम नाही था। हम उसी पल बृजेश के ऋणी हो गए , उह्ह हम पर इत्ता बड़ा अहसान करने से पहिले एक बार भी नहीं सोचे,,,,,,,,,,,,,,उह्ह बच्चा कोई और नाही गुड्डू है”

सबने सुना तो हैरान रह गए अब तक सब जिसे मिश्रा जी का बेटा समझते आ रहे थे वो मिश्रा जी का अपना बेटा नहीं था बल्कि उनके दोस्त बृजेश का बेटा था। गुड्डू तो इतना मासूम था कि ये सब सुनकर उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसने हमेशा मिश्रा जी को ही अपना पिता माना और खुद को उनका बेटा पर सच जानकर गुड्डू का दिल टूट गया। लवली गुड्डू से मजबूत था इसलिए उसकी आँखों में बस नमी थी लेकिन सच सुनते हुए वह कमजोर नहीं पड़ा उसने गुड्डू के कंधो पर अपनी बांह रखी और हिम्मत दी। मिश्रा जी ने गुड्डू की तरफ देखा और आगे कहने लगे


“हम गुड्डू को अपने घर ले आये , सबने ये मान लिया कि गुड्डू हमारा और मिश्राइन का बेटा है लेकिन सच का है जे बस हम और बृजेश जानते थे। बृजेश के पास जो दूसरा बच्चा था उह्ह लवली था। गुड्डू और लवली जुड़वा थे और बड़े होने के साथ दोनों एक जैसे दिखने लगे तब बृजेश ने जे तय किया कि उह्ह कानपूर छोड़कर अपने बीवी बच्चो के साथ चकिया चंदौली अपने गांव चला जाएगा जिस कभी गुड्डू और लवली का सामना ना हो। हमने बृजेश को बहुत रोका ,

कई बार मिश्राइन को सच बताने की कोशिश की पर नहीं बता पाए और फिर वेदी के जन्म के समय मिश्राइन बहुते बीमार पड़ी तब डाक्टर ने कहा कि उनके सामने कबो ऐसी बात ना करे जिह का ओह्ह को सदमा लगे और जे राज हमेशा के लिए हमरे और बृजेशवा के सीने मा दफ़न होकर रह गवा। बृजेश ने एक बार फिर हमरी दोस्ती की खातिर जे शहर छोड़ दिया और हमेशा के लिए चकिया चला गवा। हम अपनी गृहस्थी मा व्यस्त हो गए और चकिया मा बृजेश गलत ससंगत मा पड़ गवा , बुरे काम , नशे की लत ने ओह्ह का सब बर्बाद कर दिया।

हमने कई बार ओह्ह का समझाया पर उसने हमायी एक ठो बात नाही सुनी और मंगेश शुक्ला के साथ मिलकर खुद को बर्बाद करता रहा। मंगेश ने मौका देखकर हमरे ही दोस्त को हमरे खिलाफ कर दिया और फिर आया उह्ह दिन जब गुड्डू 9 साल का था और दुसरो की बातो में आकर बृजेश उसे लेने घर तक चला आया। उह्ह्ह दिन हमरी किस्मत अच्छी थी मिश्राइन अपने मायके में थी और गुड्डू हमरे साथ कानपूर मा , हमने बृजेश को बहुत समझाया , ओह के हाथ जोड़े पैरो मा गिर गए पर उह्ह हमरी बात नाही सूना।

मिश्राइन गुड्डू पर जान छिड़कती थी और हमने उसे अपने सगे बेटे से भी बढ़कर चाहा ऐसे कैसे दे देते ओह्ह का,,,,,,,,,,ओह्ह के बाद बृजेशवा ने हमसे एक ठो सौदा किया। गुड्डू के बदले मा हमसे रकम मांगी और रकम इतनी बड़ी थी कि ओह्ह्ह के लिए हमे अपना घर , अपना खेत , अपना सबकुछ यहा तक के खुद तक को गिरवी रखना पड़ा। पुरे चार साल तक हमने ना जाने कैसे कैसे काम करके उह्ह रकम बृजेशवा को चुकाई और गुड्डू को अपने पास रख लिया पर उसी के साथ उह्ह रिश्ता भी खत्म हो गवा।

आदर्श बाबू ने उह्ह्ह बख्त हमरी मदद की थी इहलीये सच्चाई जे भी जानते थे और यही वजह थी कि उह एक अहसान की वजह से हमहू जे कि 100 बदतमीजियां सह गए। हमे नहीं पता ओह्ह के बाद बृजेशवा कहा गया , का किया ? किन हालातो में रहा , ना उसने हमसे कबो मिलने की कोशिश की ना हमने कबो ओह्ह के बारे में जानने की कोशिश की,,,,,,,,,,,,पर जब पता चला कि इह सब मा बृजेशवा की कोनो गलती नाही थी वह बस मंगेश के बहकावे में आकर जे सब कर रहा था तब तक बहुते देर हो चुकी थी , उह्ह हमे छोड़कर जा चुका था।

बृजेश्ववा को मरे महीनो हो गए पर हमे पता चला अम्मा की तिये की बैठक वाले दिन। भाभी तो पहिले ही गुजर चुकी थी और फिर बृजेश भी,,,,,,,,हम आखरी बख्त मा अपने दोस्त से मिल भी नाही पाए पर बनारस में पता चला कि ओह्ह्ह का बिटवा लवली अभी ज़िंदा है तो हमहू फैसला किये कि ओह्ह्ह का अपने घर लेकर आएंगे सच बताएँगे लेकिन ओह्ह्ह से पहिले ही जे सब हो गवा और हमको कुछो बताने का मौका ही नाही मिला,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू लवली हमहु तुम दोनों के गुनहगार है तुम दोनों हमका जो सजा दयो हमका मंजूर है,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मिश्रा जी ने अपने हाथ जोड़ लिए और रो पड़े


“गुड्डू और लवली के ही नहीं आप हमरे भी गुनहगार है मिश्रा जी”,एक जानी पहचानी आवाज मिश्रा जी और बाकि सबके कानो में पड़ी और सबने हैरानी से आवाज वाली तरफ देखा और सब चौंक गए क्योकि ये आवाज किसी और की नहीं बल्कि मिश्राइन की थी जो कि कोमल और वेदी के साथ खड़ी थी।

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संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
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बृजेश्ववा को मरे महीनो हो गए पर हमे पता चला अम्मा की तिये की बैठक वाले दिन। भाभी तो पहिले ही गुजर चुकी थी और फिर बृजेश भी,,,,,,,,हम आखरी बख्त मा अपने दोस्त से मिल भी नाही पाए पर बनारस में पता चला कि ओह्ह्ह का बिटवा लवली अभी ज़िंदा है तो हमहू फैसला किये कि ओह्ह्ह का अपने घर लेकर आएंगे सच बताएँगे लेकिन ओह्ह्ह से पहिले ही जे सब हो गवा और हमको कुछो बताने का मौका ही नाही मिला,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू लवली हमहु तुम दोनों के गुनहगार है तुम दोनों हमका जो सजा दयो हमका मंजूर है,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मिश्रा जी ने अपने हाथ जोड़ लिए और रो पड़े

बृजेश्ववा को मरे महीनो हो गए पर हमे पता चला अम्मा की तिये की बैठक वाले दिन। भाभी तो पहिले ही गुजर चुकी थी और फिर बृजेश भी,,,,,,,,हम आखरी बख्त मा अपने दोस्त से मिल भी नाही पाए पर बनारस में पता चला कि ओह्ह्ह का बिटवा लवली अभी ज़िंदा है तो हमहू फैसला किये कि ओह्ह्ह का अपने घर लेकर आएंगे सच बताएँगे लेकिन ओह्ह्ह से पहिले ही जे सब हो गवा और हमको कुछो बताने का मौका ही नाही मिला,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू लवली हमहु तुम दोनों के गुनहगार है तुम दोनों हमका जो सजा दयो हमका मंजूर है,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मिश्रा जी ने अपने हाथ जोड़ लिए और रो पड़े

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