Manmarjiyan Season 3 – 97
गुप्ता जी अपना फोन तो लल्लन से पहले ही तुड़वा चुके थे और अब आदर्श फूफा का फोन भी तोड़ दिया ये देखकर आदर्श फूफा ने उन्हें खा जाने वाली नजरो से देखा और ईंट उठाकर उनके पीछे भागे। आदर्श ने खींचकर ईंट गुप्ता जी पर फेंकी लेकिन गुप्ता जी की अच्छी किस्मत वे आगे निकल गए और ईंट जाकर लगी सीधा लल्लन की छाती पर और लल्लन धड़ाम से नीचे जा गिरा।
गोलू के हाथ में ईंट थी उसने हैरानी से नीचे गिरे लल्लन को देखा और फिर अपने हाथ म पकड़ी ईंट को क्योकि उसने तो लल्लन को ईंट मारी ही नहीं फिर वो नीचे कैसे गिर गया ? गोलू झुककर लल्लन को देख ही रहा था कि आदर्श फूफा वहा आये और लल्लन को मरा हुआ समझकर हैरानी से गोलू को देखा और कहा,”जे कैसे हो गवा ?”
गोलू ने हाथ में पकड़ी ईंट को नीचे फेंका और अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”अब होनी को कौन टाल सकता है फूफा”
आदर्श फूफा का मुंह तो खुला पर आवाज नहीं निकली क्योकि गोलू ने हाथ में पकड़ी ईंट जो नीचे फेंकी थी वो आदर्श फूफा के पैर पर गिरी और मारे दर्द के के उनकी चीख़ गले में ही अटक गयी और दर्द के भाव चेहरे पर उभर आये।
“अरे अये फूफा ! कुछो बोलते काहे नाही ? तुम्हरा सिस्टम म्यूट पे है का ?”,गोलू ने कहा
आदर्श फूफा ने खींचकर एक थप्पड़ गोलू को मारा और उसी के साथ उनकी चीख़ भी निकली और वे अपना जख्मी पाँव पकड़कर वहा से भागे। गोलू को जो थप्पड़ पड़ा गोलू जाकर गिरा गुप्ता जी में और गुप्ता जी खड़े थे खाई के पास , गोलू के धक्के से वे नीचे लुढ़क गए और खाई का पत्थर पकड़कर लटक गए। गुप्ता जी ने एक नजर नीचे देखा तो गहरी खाई देखकर उन्हें चक्कर आ गया उन्होंने तुरंत आँखे बंद कर ली और चिल्लाया,”अबे गोलू ! अबे बचाओ हमे”
“जे पिताजी की आवाज कहा से आ रही है ?”,खाई के पास नीचे गिरा गोलू बड़बड़ाया
गोलू गुप्ता जी को ढूंढ ही रहा था कि तभी यादव जी भागते हुए आये और चुंगी उनके पीछे , गोलू ने यादव जी को भागते देखा तो उन्हें पकड़कर कहा,”अरे आप काहे भाग रहे है ?”
“अरे उह्ह है ना मिश्रा का जीजा , उह्ह्ह साले मुट्ट्ले को हमहू छोड़ेंगे नाही गोलू , अरे हमको फंसा दिया अब जे भांड जैसा आदमी ईंटा लेकर हमाये पीछे पड़ा है,,,,,,ऊपर से तुम्हाये बाप , अरे का जरूरत थी ओह्ह्ह का सबको हिया लेकर आने की”,यादव जी ने झल्लाकर कहा
“ए यादव ! मिश्रा जी के जीजा को जित्ता गरियाना है गरियाओ हमरे पिताजी के बारे में कुछो कहे न तो दूध , दही , पनीर सब फाड़ देंगे तुम्हरा समझे”,गोलू ने अकड़कर कहा
“हाँ तो हमने भी कोनो चुडिया नाही पहिन रखी है गोलू”,यादव चुंगी को छोड़कर गोलू से उलझ गया अब गोलू तो गोलू था वह खुद चाहे गुप्ता जी को कितना भी कोस ले लेकिन उनके खिलाफ एक शब्द नहीं सुन सकता था उसने यादव की गर्दन बाँह में दबोच ली और दो तीन घुसे जड़कर कहा,”अबे पडोसी हो तो का सर पे मुतोगे , तुम्हायी भैंस का गोबर बाजार मा बेचू,,,,,,,,,,आज तो तुमको हमहू दूध दही का भाव समझा कर रहे है”
फुलवारी की नजर जब गोलू पर पड़ी तो उसने मंगल फूफा के पास आकर उसके कंधे पर अपने हाथ रखकर कहा,”मंगल जी ! गोलू को रोकिये ना देखिये वो यादव जी को मार रहा है”
फुलवारी का हाथ अपने कंधे पर देखकर मंगल ख़ुशी से भर गया और खुद को समझ बैठा इस भसड़ का हीरो , उसने अपने कुर्ते की बाजू चढ़ाई , बाँहे थपथपाई और गोलू की तरफ बढ़ गया।
मिश्रा जी , गुड्डू और लवली अब तक आधे से ज्यादा गुंडों को निपटा चुके थे और अभी भी तीनो लड़ रहे थे और गोलू , आदर्श फूफा , शर्मा जी , गुप्ता जी , यादव जी , मंगल फूफा आपस में,,,,,,,,,,!!
“पिताजी ! इन लोगो को साथ काहे लेकर आये आप ? जे सब तो आपस मा लड़ रहे है”,मिश्रा जी के साथ मिलकर लल्लन के आदमियों को मारते हुए गुड्डू गुस्से से चिल्लाया
“अरे जे ससुरे भांग खाकर आये है , हमको पता होता तो पहिले इनकी बत्ती बनाते,,,,,,,,एक बार जे स्तिथि कंट्रोल मा आने दो गुड्डू इन सबकी फील्डिंग सेट करते है,,,,,,,,,,!!”, मिश्रा जी ने कहा
लवली भी मंगेश को मारते हुए मिश्रा जी , गुड्डू के पास चला आया और गुड्डू से कहा,”हमको माफ़ करना गुड्डू , हम कानपूर तुमको परेशान करने आये थे पर इन सबको देखकर समझ आ गवा तुम्हरी जिंदगी में तो पहले से इत्ती भसड़ है,,,,,,,,,,!!!”
“का लवली भैया ! आपको का लगा हम हिया पिताजी की छत्रछाया मा मजे कर रहे है , अरे जे गोलू जैसे दोस्त और आदर्श फूफा जैसे रिश्तेदार हो ना जिंदगी मा तो समझो लंका लगना तय है। आप और पिताजी इन सबको सम्हालो हम उन सबकी बुद्धि ठिकाने लगाकर आते है”,कहते हुए गुड्डू गुस्से से गोलू की तरफ बढ़ गया।
लवली ने मिश्रा जी तरफ देखा हालाँकि लवली की सारी ग़लतफ़हमी दूर हो चुकी थी लेकिन मिश्रा जी को लेकर अभी भी एक शिकायत उसके मन में थी। दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे तभी मंगेश ने हाथ में पकड़ा डंडा लवली के सर पर मारना चाहा मिश्रा जी लवली को बचाने उनके सामने आ गए और डंडा उनके ललाट पर आकर लगा और खून निकल आया ये देखकर लवली की आँखे गुस्से से लाल हो गयी। उसने बिंदिया को आवाज देकर अपने पास बुलाया और मिश्रा जी को सम्हालने को कहा उसके बाद उसने मंगेश को बुरी तरह से मारना शुरू कर दिया।
शर्मा जी भी मिश्रा जी के पास चले आये और बिंदिया के साथ मिलकर उन्हें पेड़ के पास लाकर बैठा दिया। बिंदिया मिश्रा जी को नहीं जानती थी ना पहले कभी उनसे मिली थी फिर भी उनके ललाट से खून निकलता देखकर उसने अपने दुपट्टे को फाड़ा और मिश्रा जी की चोट पर बांधने लगी। मिश्रा जी को इस वक्त अपने दर्द से ज्यादा लवली के अपनेपन की ख़ुशी थी। वे कभी बिंदिया को देखते तो कभी लवली को और उन दोनों में उन्हें अपने गुड्डू और शगुन नजर आ रहे थे।
मंगल फूफा हीरो वाले स्टाइल में गोलू के सामने आया और कहा,”ए गोलू ! यादव को छोड़ दयो”
“जे कोनो पढाई है जो छोड़ दे ?”,गोलू ने यादव की गर्दन दबोचे हुए कहा
“अरे पढाई नहीं , जे कि लुगाई ने हमसे कही है और हमहू तुमसे कह रहे है। अरे छोड़ दयो भाई”,मंगल फूफा ने कहा
गोलू ने सुना तो मंगल फूफा को घूरकर कहा,”ए तुम कबसे जोरू के गुलाम बन गए बे फूफा , जे पिरेम के चक्कर मा हमसे दुश्मनी लेने की काहे सोच रहे हो ?”
यादव जी ने सुना तो कहा,”अबे उह्ह हमरी मेहरारू है इह मूसलचंद की जोरू नाही,,,,,,,,मुंह तोड़ देंगे हम तुम्हरा गोलू”
“बहुत बढ़िया ! मतलब धोती फटे तो फ़टे पर नवाबी ना घटे,,,,,,,!!”,गोलू ने यादव जी को एक घुसा और मारकर कहा
“अबे गोलू धोती नाही होता , एग्जाम्पल तो ठीक से दो”,मंगल फूफा ने कहा
“तुम्हरे एग्जाम्पल के चक्कर मा फॅमिली स्टोरी मा अपनी छीछा लेदर करवा ले मतलब , समझने वाले समझ गए तुमहू जियादा सरपंच नाही बनो समझे”,गोलू ने कहा तो मंगल फूफा उसके पास आये और दबे स्वर में कहा
,”अबे गोलू बात को समझो यार ! अरे छोड़ दयो जे का फूल के सामने हमाओ थोड़ो इम्प्रेशन जम जाही है , हैं ! बाद मा दादर के हिया लिट्टी चोखा खिलाये है तुम्हे बढ़िया वाला,,,,समझो यार बाबू , इत्ते लोगो में सबको छोड़ के फूल हमे ही कही जे का मतलब समझते हो ना तुम,,,,,,,हम का है उसके लिए”
“एक नंबर के चू#या हो तुम और का हो , साले शादीशुदा महिला को लेकर ऐसी बाते करते हो शर्म नाही आती , घर मा माँ-बहन नाही है। ए गोलू ! 5 मिनिट के लिए हमको छोड़ दयो पहिले इह ससुरे के सर से प्रेम का भूत उतारते है”,गोलू से पहले यादव जी ने बिफरकर कहा
मंगल फूफा ने सुना तो यादव जी की तरफ बढ़ा लेकिन उस से पहले गौ ने दूसरी बाँह से मंगल फूफा को भी धर लिया। अब गोलू की दोनों बांहो में यादव जी और मंगल फुफा थे और गोलू इन दोनों की वजह से इतना पागल हो चुका था कि दोनों आपस में टकराया और गुस्से से कहा,”तुम दोनों ने का कसम खा ली है हमे पागल करने की , अरे जब पता है फुलवारी का पहिले से पति है तो काहे प्यार की बीन बजा रहे हो फूफा और यादववा तुम , तुमको जब पता है तुम्हरी फुलवारी शहद है तो काहे उसको लेकर हिया आये , अब भँवरे तो मंडराएंगे ना”
“भँवरे नाही मक्खी , मक्खी हमेशा शहर पर ही बैठती है गोलू”,गोलू की बांह में दबे मंगल फूफा ने मिमियाते हुए कहा
“मक्खी सिर्फ शहद पर नाही बैठती है”,यादव जी ने मंगल को घूरकर दाँत पीसते हुए कहा
“मतलब ?”,मंगल ने पूछा
“तुम्हाये मतलब की ऐसी की तैसी , समझने वाले समझ गए”,यादव जी ने उसी गुस्से से कहा
मंगल और यादव की बहस सुनकर गोलू का दिमाग और गरम हो गया और उसने दोनों को घुमा दिया लेकिन घूमते पत्थर में उलझा गोलू का पैर और वह मुंह के बल नीचे जा गिरा लेकिन मंगल फूफा और यादव जी खाई में लेकिन उनकी किस्मत इतनी बुरी भी नहीं थी कि इतनी जल्दी दोनों भगवान् को प्यारे हो जाए। जैसे ही नीचे गिरे मंगल के हाथो में गुप्ता जी की टाँग आ गयी और यादव जी के हाथो में मंगल की टाँगे और अब गुप्ता जी के साथ साथ वे तीनो भी खाई में लटक गए।
बेचारे गुप्ता जी खाई के बड़े से पत्थर को थामे बस बैलेंस बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने अपने दूसरे पैर से मंगल फूफा के मुँह पर लात मारी और गुस्से से कहा,”अबे तुमको और कोई जगह नाही मिली छुपने के लिए,,,,,,,,पाहिले हमायी छाती पर मूंग दले अब हमाये पैरो में लटके हो। का मारने की ठान लिए हो हमे”
नीचे लटके यादव जी ने सुना तो गुस्से से चिल्लाये,”एक ठो लात और मारिये गुप्ता जी ! जे सारे भसड़ की फसाद यही है,,,,,,,,,!!!”
“ए तुमहू अपना मुँह ना खोलो यादववा , एक तो तुम्हरी उह फुलझड़ी की वजह से हमायी लंका लगी अब ससुरे जे ओह्ह के पिरेम मा बावरे बने घूम रहे है। फसाद की जड़ न तुम्हरी फुलवारी है,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने भी गुस्से से कहा
“ए गुप्ता जी ! जे फूल के बारे में कुछो ना कहना , उह्ह बेचारी तो बहुते अच्छी है”,मंगल फूफा ने कहा
“अच्छी है तो का फेरे पड़वाय दे तुम्हाये साथ , चुपचाप लटके रहो नहीं तो मुँह खोंच देंगे तुम्हरा समझे”,कहते हुए गुप्ता जी ने एक और लात मंगल के सर पर जमा दी ये देखकर यादव जी हँसे।
अब यादव जी मंगल फूफा पर हंसे और मंगल फूफा चुप रहे ऐसा थोड़े हो सकता है। मंगल के दोनों पैर यादव जी के दोनों हाथो में थे इसलिए वह उन्हें लात तो मार नहीं सकता था लेकिन बेइज्जती का बदला लेना था तो मंगल ने पैर में पहना जूता यादव जी के गाल पर घिस दिया जिसमे लगा गोबर उनके गाल पर लग गया बस फिर क्या था गुस्से में यादव जी ने मंगल के पैर को काट लिया और मंगल चिल्लाया। गुप्ता जी का बैलेंस बिगड़ने लगा पर जैसे तैसे उन्होंने पत्थर को थामे रखा।
ये देखकर गुप्ता जी ने अपना सर पत्थर पर मारा और कहा,”अगर आज हम ज़िंदा बच गए ना तो इन सालों की कबर खोद देंगे,,,,,,,,,,,ससुरे जीते जागते यमराज है हमायी जिंदगी में,,,,,,,,,,!!”
नीचे गिरा गोलू उठा और खुद को झाड़ने लगा इतने में गुड्डू वहा आ पहुंचा और गोलू से कहा,”अबे गोलू ! अबे का पगला गए हो , जे का भसड़ फैला रखी है तुम सबने ? अबे हमको इन गुंडों से लड़ना है आपस मा नाही , हम तब से देख रहे है कभी ईंटा लेके लल्लन के पीछे भाग रहे हो तो कभी मंगल के पीछे ,, का मजदुर हो तुम जो सबको ईंटा फेंक के मार रहे हो और साला इत्ती ईंट हिया आयी कहा से ?”
“अरे हमको का पता , हमाये बाप का का कंस्ट्रक्शन का बिजनेस है। अरे हम तो गुंडों से ही लड़ रहे है पर जे मंगल फूफा , यादव जी , हमाये ससुर और हमाये बाप जे ससुरे हमायी ही छाती पर चढ़े जा रहे है और इन सबसे दुष्ट आदमी उह्ह आपका आदर्श फूफा उह्ह अलग ही खेल रहा है,,,,,,,हम बताय रहे है गुड्डू भैया आपके फूफा ना फुलवारी को सेट करने के चक्कर में है”,गोलू ने पहले गुस्से से उछलकर कहा और फिर आखरी बात दबे स्वर में कही।
गुड्डू ने सुना तो गोलू को घुरा और कहा,”अबे जे गुलाबी दुनिया से बाहर आओ गोलू , तुम्हरा बस चले ना तो तुम पुरे कानपूर के फुफाओ का चक्कर चला दो और खबरदार जो हमरे आदर्श फूफा के बारे में इत्ती घटिया बात कही तो मुंह तोड़ देंगे तुम्हरा समझे”
गुड्डू को आदर्श फूफा के लिए परवाह जताते देखकर गोलू हैरान रह गया और अगले ही पल हैरानी भरे स्वर में कहा,”हमरे आदर्श फूफा,,,,,,,,,ए गुड्डू भैया , ए बाबू कौनसी पट्टी पढ़ाये रहय उह्ह्ह दानव आपको जो आप ओह्ह्ह की महिमा का गुणगान कर रहे है,,,,,,,,भूलो मत जे सारी चरस ना फूफा ने ही बोई है जिसे हम सब काट रहे है,,,,,,,,,,,हमरे आदर्श फूफा”
“तुम्हरे अंदर ना गोलू दिल ही नाही है,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा तभी गुड्डू को आकर धक्का लगा और उसी धक्के के साथ गोलू नीचे खाई में , गुड्डू ने पलटकर धक्का देने वाले को देखा तो वह कोई और नहीं बल्कि लवली था जो मंगेश को पीट रहा था। गुड्डू गोलू को समझाने जैसे ही पलटा देखा गोलू वहा नहीं है।
“गोलू , गोलू , अब जे कहा गया ?”,गुड्डू ने गोलू को आवाज दी लेकिन गोलू का कोई जवाब नहीं आया
खाई में लटके गुप्ता जी ने झल्लाकर कहा,”जे ससुरा गोलू का मर गवा ?”
“हम हिया है पिताजी”,चिल्लाते हुए गोलू ठीक उनके बगल से नीचे खाई में गिरा और यादव जी के पैरो को थाम लिया और इसी के साथ गुप्ता जी को पत्थर पर अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए थोड़ी और मेहनत करनी पड़ी आखिर बेचारे अपने साथ साथ तीन और लोगो का बोझ जो उठा रहे थे।
( इस पार्ट को खत्म करने के साथ ही मैं 5 मिनिट तक ख़ामोशी से अपनी उंगलिया अपने होंठो से लगाए सोच रही हूँ कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है ? और क्यों हो रहा है ? मैं इस कहानी के 3rd सीजन को लिखना कुछ और चाहती थी और ये लिखा कुछ और जा रहा है। जितनी बकैती मैंने इस अकेले सीजन में की है उतनी अगर मेरी अब तक की सारी कहानियो को भी मिला लिया जाये तो उनमे नहीं मिलेगी।
सच कहू तो इस सीजन को मुझे इमोशनल , फॅमिली ड्रामा , रोमांस , बदले की भावना और लड़ाई झगडे के साथ लिखना था पर यहाँ तो कुछ और ही खिचड़ी बन गयी जिसका ना कोई सर है न पैर और ये बस लिखते चली जा रही है। ये मेरी पहली कहानी होगी जिसमे मैंने 97 पार्ट में 5 दिन की कहानी दिखाई है और साला ये मिश्रा जी की अम्मा के दिन पुरे क्यों नहीं हो रहे ?” )
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संजना किरोड़ीवाल
