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Manmarjiyan Season 3 – 38

Manmarjiyan Season 3 – 38

Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू ने सीधा सीधा फूफा की तुलना गली के कुत्ते से कर दी फूफा को ये बात समझने में थोड़ा टाइम लगा और उन्होंने गोलू पर भड़क कर कहा,”साले गोलू ! तुमहू का हमका कुत्ता बोल रहे हो ?”
“हमायी जबान कट जाए अगर हमहू सूअर को कुत्ता बोले”,गोलू ने कहा
“मतलब हमहू सूअर है ?”,फूफा ने और ज्यादा भड़ककर कहा


“जे आप हमका बता रहे है या पूछ रहे है ?”,गोलू ने कहा
फूफा को गुस्से में देखकर भुआ ने उन्हें साइड किया और खुद गोलू के सामने आकर बोली,”ए गोलू ! इनका छोडो हमे बताओ का बात होय रही थी अंदर ?”


“अरे भुआ का बताये ? तुम्हायी कसम इत्ती घटिया बातें होय रही कि हमहू तो सुन भी नाही पाए , तुम्हरे लिए सिर्फ तुम्हरे लिए भुआ हमहू मिश्रा जी से भीड़ गए”,गोलू ने बहुत ही दुखी होकर कहा
“अरे पर काहे ? गोलू पहेलिया नाही बुझाओ साफ़ साफ़ बताओ”,भुआ ने कहा
“अरे इह का बताई है ? इह तो खुद मिश्रा के चमचे है जोन उह कहेंगे इह करेंगे , तुमहू इनकी बातों मा ना आओ राजकुमारी हम बता रहे है जे पागल बना रहो है”,फूफाजी ने की तरफ देखकर कहा


गोलू भड़क गया और भुआ को साइड करके फूफा के सामने आकर कहा,”ए फूफा ! हमहू बन्धन पिचर के कोनो सलमान खान नाही है जोन “जो जीजाजी बोलेंगे मैं करूंगा” कहेंगे ,, हमायी अपनी खुद की जबान है , उह्ह भी मर्द की जबान का समझे”
कहते हुए गोलू भुआ की तरफ पलटा और कहा,”और का कह रहे जे हमायी बातो ना आओ , तो मत आओ हमायी बातो मा वैसे भी इह घर मा कुछ बख्त के मेहमान हो फिर तो भैया तुमहाओ कानपूर आनो भी मुश्किल लाग रहो हमे”

भुआ ने सुना तो हैरानी से फूफा को देखा और फिर गोलू से पूछा,”कुछ बख्त के मेहमान मतलब ?”
“अरे जे ही तो बताने आये थे पर फूफा हमायी छाती पर ऐसे चढ़ गए जैसे कसाई छुरा लेकर बकरे पर चढ़े है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो फूफा ने कहा,”तो बिना तमाशा किये साफ़ साफ बताते काहे नाही कि अंदर का कांड करके आये हो तुमहू ?”


गोलू ने भुआ के कंधो पर अपनी बांह रखकर धीरे से कहा,”हमहू बताय रहे है भुआ तुम्हरे और फूफा के खिलाफ ना बहुते बड़ी साजिश रची जा रही है इह घर मा , अरे हमहू तो जे तक सुने है कि जैसे ही मिश्रा जी की अम्मा के 13 दिन पुरे हुए आपको और फूफा को लात मारकर बाहिर करी है मिश्रा जी”


“उह आनंदवा की जे हिम्मत ? हमहू अबही जाय के उह्ह साले को ओह्ह की औकात दिखाते है,,,,,,,,,,!!”,फूफा ने गुस्से से भरकर कहा और जैसे ही जाने लगे तो गोलू ने दूसरे हाथ की बाँह से फूफा को भी धर लिया और कहा,”दूध खट्टा हुआ नाही कि उह को उबाल के बर्बाद करने चले है,,,,,,,,,!!”
“अब जे दूध कहा से आ गवा बीच मा ?”,फूफा ने चिढ़कर कहा
“फूफा हमहू जे कह रहे कि अगर दूध फट गवा है तो ओह का फेंकने से अच्छा है ना कि ओह्ह मा निम्बू डालकर ओह्ह का पनीर बनाय ले,,,,,,,!!”,गोलू ने पहेलियाँ बुझाते हुए कहा


फूफा अब तक गोलू की बातो से कीलस चुका था फूफा की जगह अगर आप भी होते तो कीलस जाते उन्होंने कहा,”और उह्ह पनीर ले जाकर बेचे किसको तुम्हाये ससुर को ?”
“अरे उह्ह तो छाछ खाने लायक भी नाही है , ओह्ह के बाप दादा भी देखी है कबो पनीर ?”,गोलू ने कहा उसे एकदम से अपने प्यारे ससुर जी की याद जो आ गयी लेकिन ये याद गलत वक्त पर आयी थी क्योकि जब गोलू ने ये शब्द कहे पिंकी उसके पीछे खड़ी थी।

अपने  खानदान वालो के बारे में ऐसी बात सुनकर पिंकी ने चिढ़ते हुए कहा,”हाँ तुम्हारे बाप दादा जो जैसे पनीर का पूरा भण्डार छोड़ कर गए है दुनिया से,,,,,,,,,शाम मा घर आओ गोलू अगर आज खाने में अरहर की दाल भी नसीब हुई ना तुमको तो हमहू शर्मा की बिटिया नही”
गोलू ने सुना तो चेहरे पर 12 बज गए कहा बेचारा भुआ और फूफा के बीच में चिंगारी लगाने आया था और कहा अपने बड़बोलेपन की वजह से अपना ही घर फूंक दिया। उसने रोनी सी शक्ल बनाकर पिंकी को देखा और मरे हुए स्वर मा कहा,”पिंकिया , आई ऍम सॉरी”


लेकिन तब तक पिंकी वहा से जा चुकी थी।  गोलू को अपना असली मकसद याद आया और वह तुरंत अपनी फोम में आकर भुआ-फूफा की तरफ पलटा और कहा,”हाँ तो हमहूँ कहा थे ?”
“हवा मा”,फूफा ने कहा
“जब भी बोलोगे मुंह से कमलापंसद ही बोलोगे,,,,,,भुआ तुम बताओ तुमको हम पर बिस्वास है कि नाही ?”,गोलू ने भुआ को अपनी बातो में उलझाते हुए कहा क्योकि वह जानता था फूफा तो इतनी जल्दी उसकी बातो में आने वाले है नहीं,,,,,!


“हमको तो तुम पर पूरा बिस्वास है गोलू , अरे तुमहू कबो हमरा बुरा सोच सकते हो ?”,भुआ ने गोलू पर अपना प्यार उड़ेलते हुए कहा
भुआ ने गोलू को सपोर्ट किया तो फूफा को भी गोलू की बात सुनने के लिए मजबूर होना पड़ा और उन्होंने कहा,”गोलू अब बिना कोनो फालतू बात किये बताओ अंदर का चल रहा है,,,,,,,,!!”


गोलू भुआ और फूफा दोनों के बीच में आया और कहा,”मिश्रा जी और मिश्राइन जा रहे है बनारस अपनी अम्मा की अस्थिया विसर्जन करने , गुड्डू भैया और शगुन भाभी भी साथ जा रहे है। अरे अब मिश्रा जी अकेले थोड़े अम्मा के वारिस है भुआ भी तो अम्मा की कुछो लगती है ना,,,,,,,,,अस्थिया विसर्जन करने जाने के लिए मिश्रा जी ने भुआ को काहे नाही कहा ? आपको काहे नाही कहा ? क्योकि मिश्रा जी के मन मा चोर है,,,,,,,,,,आज जैसे भुआ को अस्थि विसर्जन से बाहिर किया वैसे ही कल अम्मा की वसीयत से बाहिर कर देंगे और परसो इह घर से,,,,,,,,,,ओह्ह के बाद तो कानपूर आये का तरस जाही है भुआ”


“अरे ऐसे कैसे बाहिर कर देंगे ?”,फूफा ने चिल्लाकर ऊँची आवाज में कहा तो गोलू ने कहा,”चिल्ला चिल्ला के सबको बताय दयो कि हमहू आप दोनों की साइड है , भोंपू मँगवाय दे फिर हिया का पुरे कानपूर मा प्रचार कर देओ”
“का कर रहे है आप , एक तो इह बेचारा हमायी इत्ती परवाह कर रहा है और तुमहू,,,,,,,,,!!”,भुआ ने कहा
गोलू ने दया भरी नजरो से भुआ को देखा और प्यार से कहा,”लव यू भुआ इह घर मा एक ठो तुम्ही हो हमायी अपनी,,,,,,!!”


“मेंशन नॉट गोलू”,भुआ ने कहा तो गोलू ने खुश होकर कहा,”हैं ! भुआ का बात है का टिपटॉप अंग्रेजी मा जवाब दी हो हमका”
फूफा ने देखा गोलू और भुआ की नौटंकी फिर चालू हो गयी है तो उन्होंने गोलू को अपनी तरफ करके कहा,”जे सब बाद में करना पहिले हमका जे बताओ कि मिश्रा और मिश्राइन राजकुमारी को बनारस काहे नाही ले जा रहे ?”


“अरे अगर भुआ बनारस जाही है तो मिश्रा जी अपने पिलान मा सफल कैसे होइ है ? अंदर की बात बताये हमहू तो जे तक सुने है कि मिश्रा जी बनारस मा किसी तांत्रिक से मिलकर आपके और भुआ के लिए कोनो ताबीज बनवाने वाले है जिह से उह आप दोनों का अपने बस मा कर सके”,गोलू ने भुआ और फूफा को डराते हुए कहा।
“जे साला आनंद मिश्रा तो बहुते नीच निकला”,फूफा जी ने हैरानी से कहा


“हमहू खुद हैरान है फूफा , माना कि आप थोड़े से जलील , घटिया , कमीने , लालची , लीचड़ , गिरे हुए इंसान हो , मिश्रा जी के हिसाब से लेकिन इह का मतलब जे थोड़े है साला घर के इकलौते दामाद के साथ ऐसा बर्ताव करे”,मिश्रा जी के लिए नीच शब्द सुनकर गोलू ने फूफा को ही लपेटे में लेते हुए कहा
भुआ ने सुना तो उन्हें भी बुरा लगा और उन्होंने अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”हमहू कबो सोचे नाही थे भाईसाहब हमरे साथ ऐसा कुछो करेंगे , अरे अम्मा के जाही के गम मा भाईसाहब को कोनो होश नाही है पर भाभी , उनको का हुआ उह भी जे सब मा शामिल हो गयी,,,,,,,,,!!”

“तुमहू चिंता नाही करो राजकुमारी हम देखते है उह तुमको अपने साथ बनारस कैसे नाही ले जाते ?”,फूफा ने कहा
“फूफा हमहू तो कहते है भुआ को छोडो आप मिश्रा जी के साथ बनारस जाओ,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“हमहू काहे जाए ?”,फूफा ने असमझ की स्तिथि में पूछा


“का है कि भुआ है भोली मिश्रा जी और मिश्राइन ने इनको अपनी बातो में फंसाकर अपनी साइड कर लेना है ओह्ह के बाद आपका खेल खत्म इसलिए हमहू कह रहे है भुआ को रही दयो हिया और आप जाओ , आप जाओगे तो मिश्रा जी में थोड़ा में डर भी रहेगा और देखने वालो में आपकी इज्जत बढ़ेगी कि अरे देखो कित्ता बढ़िया दामाद है अपनी सास की अस्थिया लेकर आया है , थोड़ा प्रभाव पडेगा”,गोलू ने फूफा को साइड में लाकर दबी आवाज में कहा
“ठीक है पर राजकुमारी इह का ध्यान कौन रखी है ?”,फूफा ने कहा


“हाँ जैसे आप तो इनको गोद में झूला झूला रहे हो , अरे भुआ के लिए हम है ना”,गोलू ने कहा
“नाक फोड़ के नकसीर निकाल देंगे तुम्हायी अगर हमायी राजकुमारी पर नजर रखी तो”,फूफा ने गोलू पर झुककर गुस्से से कहा
गोलू ने एक नजर भारी भरकर भुआ को देखा और कहा,”अरे हमाये पास हमायी खुद की पर्सनल प्रॉपर्टी है हमहू आपकी प्रॉपर्टी पर नजर काहे रखेंगे ? हमाये कहने का मतलब था कि हिया हम भुआ का ख्याल रखेंगे कोई उनको उलटा सीधा ना सीखा दे”


 गोलू की बातें फूफा के दिमाग में घर कर गयी और उन्होंने भुआ से आकर कहा,”राजकुमारी ! मिश्रा के साथ बनारस तुम नाही हम जायेंगे,,,,,,,,,,!!”
“हमहू काहे नाही ?”,भुआ ने पूछा
“का है कि बनारस तुम्हायी अम्मा की अस्थिया विसर्जन करने जा रहे है अब उन्हें देखकर तुमको एकदम से अपनी अम्मा की याद आ गयी और तुमहू इमोशनल हो गयी तो हमहू तुम्हायी आँख मा आँसू देख नाही पाएंगे,,,,,,,,,!!”,फूफा ने बड़े प्यार से भुआ से कहा


गोलू ने सुना तो हक्का बक्का रह गया फूफा जैसा चांडाल आदमी ऐसी मीठी बातें भी करता है , फूफा की बात सुनकर वह बड़बड़ाया,”माँ कसम फूफा का ऑस्कर लेवल की एक्टिंग किये हो,,,,,,,,,!!”

फूफा के चंद शब्दों से भुआ पिघल गयी और कहा,”सच कह रहे है ?”
“हाँ और का , इहलीये बनारस तुम नाही हम जायेंगे”,फूफा ने कहा
“ओह्ह्ह आशिक़ी फॉर हमाये पास इत्ता बख्त नाही है , उधर मिश्रा जी बनारस जाने के लिए टिकट बनवाय रहे है”,गोलू ने अपने दाँत कुरेदते हुए कहा
फूफा ने सुना तो गोलू के पास आये और कहा,”तो अब हम का करे गोलू ?”


“ए यार फूफा ! मतलब एक नंबर के लठैत हो तुमहू , खाली नाम के फूफा हो ,, करना का है जाकर कलेश करो , चढ़ जाओ मिश्रा जी की छाती पर और पूछो
कि आपको बनारस काहे नाही ले जा रहे ?”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“हम अभी जाते है”,फूफा ने कहा और वहा से चले गए। भुआ गोलू के पास आयी और कहा,”सच मा गोलू तुमहू तो हमाये सगे भतीजे से भी ज्यादा सगे निकले”
“हम्म्म्म तबही तो तुम्हायी और फूफा की बत्ती लगाई है , सगा भतीजा होता तो ऐसा करता का ?”,गोलू अपने आप में बड़बड़ाया


“का कह रहे हो गोलू ?”,भुआ ने कहा  
“हमहू कह रहे है तुम्हाये गुलाब जैसे नाजुक हाथो से एक ठो कप चाय पिलाय दयो भुआ का है कि तुम्हाये हाथ की चाय से बढ़िया चाय हमहू आज तक ना पिये है , पीते ही मोहब्बत सी महसूस होती है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने भुआ को बहलाते हुए कहा
भुआ सच में सीधी ही थी गोलू ने थोड़ी सी तारीफ क्या की भुआ पिघल गयी और कहा,”अरे गोलू बइठो ना हम अभी बनाकर लाते है”

भुआ चली गयी और गोलू वही पड़े सोफे पर बैठकर आँगन में रखी अम्मा की तस्वीर देखकर कहा,”तुम्हाये नाम से झूठ बोले है ददिया , अगर जे मा इत्ती सी भी गड़बड़ हुई ना सच कह रहे है मिश्रा जी हमायी बत्ती बना देंगे,,,,,,,सम्हाल लेना बस”

गोलू के कहने से फूफा मिश्रा जी के कमरे में आये और कुछ देर की बहस के बाद मिश्रा जी फूफा को भी अपने साथ ले जाने को मान गए। फूफा किसी जीते हुए  सिपाही की तरह अपना सीना चौड़ा करके मिश्रा जी के कमरे से बाहर निकले जैसे कोई जंग जीतकर आये और पीछे कमरे में खड़े मिश्रा जी ने अपना माथा पीट लिया आखिर वे खुद भी तो यही चाहते थे कि फूफा खुद आकर बनारस चलने को कहे जिस से मिश्रा जी का काम आसान हो जाये।

बाहर गोलू सोफे पर बैठा अपनी चाय का इंतजार करते हुए आराम फरमा रहा था कि फूफा ने उसके पास आकर उसके सर पर हलकी सी चपत मारी।
“कौन है बे ? अरे फूफा आप का हुआ माने कि नाही मिश्रा जी ?”,गोलू पलटकर कहा
“मान भी गए और गुडडुआ से कहकर टिकट भी बनवाय दिए,,,,,,,,,,,,,,,गोलू पहली बार तुमहू कुछो अच्छा काम किये हो , हमाये साथ तुमने जो भी किया ओह्ह के लिए हमने तुमको माफ़ किया,,,,,,,,,,,!”,फूफा ने खुश होकर कहा और वहा से चले गए।

गोलू ने अम्मा की तस्वीर देखी और कहा,”का बात है ददिया लगता है ऊपर जाकर भगवान से सीधी बात चीत है तुम्हायी , मतलब इतनी जल्दी हमायी बात सुन ली”
“ए गोलू”,मिश्रा जी आवाज गोलू के कानो में पड़ी तो वह पलटा और मिश्रा जी के पास चला आया। मिश्रा जी ने उसे पैसे दिए और आज शाम की बनारस की तीन तत्काल में टिकट बनवाने को कहा।
गोलू जैसे ही जाने लगा मिश्रा जी ने उसे रोककर कहा,”अच्छा गोलू सुनो ! थैंक्यू जे समस्या का हल देने के लिए,,,,,,,,,,,,!!”


“फ्री मा हल नाही दिए है हमको भी कुछो चाहिए,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“का चाहिए बताओ ?”,मिश्रा जी ने मुस्कुरा के पूछा
 गोलू मुस्कुराया और कहा,”अम्मा के बक्से मा हिस्सा”

मिश्रा जी ने सुना तो एक बार फिर अपनी बाटा की चप्पल ढूंढने लगे और गोलू तब तक नरारद था  

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संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
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ए यार फूफा ! मतलब एक नंबर के लठैत हो तुमहू , खाली नाम के फूफा हो ,, करना का है जाकर कलेश करो , चढ़ जाओ मिश्रा जी की छाती पर और पूछो
कि आपको बनारस काहे नाही ले जा रहे ?”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“हम अभी जाते है”,फूफा ने कहा और वहा से चले गए। भुआ गोलू के पास आयी और कहा,”सच मा गोलू तुमहू तो हमाये सगे भतीजे से भी ज्यादा सगे निकले”
“हम्म्म्म तबही तो तुम्हायी और फूफा की बत्ती लगाई है , सगा भतीजा होता तो ऐसा करता का ?”,गोलू अपने आप में बड़बड़ाया

ए यार फूफा ! मतलब एक नंबर के लठैत हो तुमहू , खाली नाम के फूफा हो ,, करना का है जाकर कलेश करो , चढ़ जाओ मिश्रा जी की छाती पर और पूछो
कि आपको बनारस काहे नाही ले जा रहे ?”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“हम अभी जाते है”,फूफा ने कहा और वहा से चले गए। भुआ गोलू के पास आयी और कहा,”सच मा गोलू तुमहू तो हमाये सगे भतीजे से भी ज्यादा सगे निकले”
“हम्म्म्म तबही तो तुम्हायी और फूफा की बत्ती लगाई है , सगा भतीजा होता तो ऐसा करता का ?”,गोलू अपने आप में बड़बड़ाया

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