Manmarjiyan Season2 – 1
सिटी हॉस्पिटल , बनारस
ICU वार्ड के बेड पर लेटी शगुन को पिछले दो दिन से होश नहीं था। डॉक्टर्स उसे होश में लाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। उसके सर पर चोट आने की वजह से और अचानक हुए एक्सीडेंट से उसे गहरा सदमा लगा जिसकी वजह से शगुन अभी तक बेहोश थी। हालाँकि वह ज़िंदा थी और खतरे से बाहर थी। ICU के बाहर बैठे गुप्ता जी पथराई आँखों से फर्श को देख रहे थे। उनकी जिंदगी में दुखो का पहाड़ टूट पड़ा था। कुछ देर बाद प्रीति अपने हाथ में एक कप चाय लेकर आयी और अपने पापा की और बढाकर कहा,”पापा चाय”
गुप्ता जी ने उदास आँखों से प्रीति की और देखा और चाय ले ली , उन्होंने दो घूंट पिए और कप साइड में रह दिया। वे काफी टूट चुके थे और ये बात प्रीति अच्छे से समझ सकती थी उसने अपने पापा का हाथ अपने हाथो में लिया और उदास स्वर में कहा,”सब ठीक हो जाएगा पापा”
गुप्ता जी ने सूना तो उनकी आँखों में आंसू भर आये और वे कहने लगे,”शगुन को अब तक होश नहीं आया है प्रीति , उसकी जिंदगी में दुखो का पहाड़ टूट पड़ा है ,महादेव ने मेरी बच्ची की जिंदगी में इतना दर्द क्यों लिख दिया ? मेरे बच्चो को इतनी तकलीफ मेरी वजह से हो रही है मैंने अगर अपने भाई की बाते नहीं मानी होती तो आज ये सब नहीं होता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम सब का गुनहगार हूँ बेटा”
“शशशशश नहीं पापा ऐसा मत कहिये , आपने कुछ नहीं किया है ये सब बस होना था हो गया , आप खुद को दोष मत दीजिये पापा”,प्रीति ने कहा। वह अपने पापा को हिम्मत बंधा ही रही थी की सामने से पारस आया और कहा,”मैं डॉक्टर से मिलकर आया हूँ उन्होंने कहा है की अगर 72 घंटो में शगुन को होश नहीं आता है तो वो कोमा में जा सकती है”
ये सुनकर गुप्ता जी बिलख उठे , पारस ने उन्हें सम्हाला और कहा,”शांत हो जाईये अंकल हमारी शगुन को कुछ नहीं होगा मैं आज ही उसे किसी अच्छे हॉस्पिटल में शिफ्ट करवाने की कोशिश करता हूँ”
“हे महादेव कुछ भी करके मेरी शगुन को बचा ले , उस बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा है”,गुप्ता जी ने रोते हुए कहा
पारस वही बैठकर उन्हें चुप करवाने लगा , प्रीति बाहर से सख्त दिखने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर शगुन को लेकर उसका दिल धड़क रहा था। वह मन ही मन शगुन के होश में आने की दुआ कर रही थी
अंदर लेटी शगुन की धड़कने तेज होने लगी , उसके दिमाग में एक साथ कई ख्याल चल रहे थे , उसकी उंगलिया हिली। बंद आँखों में उसे नजर आ रहा था गुड्डू का चेहरा , पुलिस का उसके घर आना , उस पर हाथ उठाना लेकिन गुड्डू का उस उठे हुए हाथ को थाम लेना , पुलिस स्टेशन , चाय की दुकान , रिक्शा में बैठी वो और गुड्डू , शगुन को पसीने आने लगे लेकिन वह अपनी आँखे नहीं खोल पा रही थी। बेचैनी से उसकी आँखों के कोई घूम रहे थे। आगे उसने देखा किसी गाडी का रिक्शा से तेजी से टकराना , गुड्डू का सर पत्थर से जा टकराना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!
“गुड्डू जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन चिल्लाते हुए उठकर बैठ गयी। उसकी आवाज सुनकर गुप्ता जी , पारस और प्रीति भागकर ICU में आये। देखा पसीने से तर-बतर शगुन बुरी तरफ हांफ रही थी , अपने पापा को सामने देखते ही शगुन बिस्तर से उतरने को हुई तो पारस उसके पास आया और कहा,”शगुन ध्यान से तुम्हारे हाथ में ड्रिप लगी है”
“पारस,,,,,,,,,,,,,,पारस गुड्डू जी कहा है ? मुझे उनसे मिलना है उनका एक्सीडेंट हुआ है उन्हें बहुत चोटें आयी है,,,,,,,,,,पारस मुझे उनके पास जाना है”,शगुन ने बौखलाते हुए कहा। पारस और गुप्ता जी ने शगुन को समझाने की कोशिश की लेकिन शगुन तो जैसे कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी। उसने अपने हाथ में लगी ड्रिप खींचकर निकाल दी और बिस्तर से उतरते हुए कहा,”मुझे गुड्डू जी के पास जाना है , उन्हें बहुत चोट आयी है ,, आप लोग मुझे जाने दो।”
शगुन की ऐसी हालत देखकर गुप्ता जी का दिल बैठ गया। पारस ने आगे आकर शगुन को सम्हाला और कहा,”शगुन रिलेक्स कुछ नहीं हुआ है गुड्डू को , तुम पहले आराम से यहाँ बैठो”
शगुन को बिस्तर पर बैठाने की नाकाम सी कोशिश करता है लेकिन शगुन जो की अपना आपा खो चुकी थी उसने जाने की कोशिश करते हुए कहा,”नहीं मुझे पहले गुड्डू जी मिलना है , मेरा उनसे मिलना बहुत जरुरी है पारस मुझे जाने दो,,,,,,,,,,,!”
पारस के लिए शगुन को सम्हालना मुश्किल हो रहा था ये देखकर प्रीति आगे आयी और शगुन को सम्हालते हुए कहा,”दी दी कुछ नहीं हुआ है जीजू को वो ठीक है , आप आप शांत हो जाईये प्लीज”
“प्रीति पारस से कहो ना मुझे गुड्डू जी के पास लेकर जाये मुझे एक बार उन्हें देखना है , प्लीज प्रीति”,कहते हुए शगुन की आँखों में आंसू भर आये
शगुन को इतनी तकलीफ में देखकर प्रीति को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। कुछ देर बाद नर्स और डॉक्टर आये शगुन को देखकर डॉक्टर ने कहा,”आप सब लोग यहाँ क्या कर रहे है ? देखिये पेशेंट की हालत अभी ठीक नहीं है वह अभी अभी होश में आयी है , आप लोग बाहर चलिए”
पारस ने प्रीति से गुप्ता जी को बाहर ले जाने को कहा और खुद शगुन के साथ वही रुक गया , शगुन की हालत देखते हुए डॉक्टर ने भी उसे कुछ नहीं कहा। शगुन लगातार रोये जा रही थी और गुड्डू के पास जाने की जिद कर रही थी। डॉक्टर ने नर्स से इशारा किया तो नर्स ने इंजेक्शन बनाकर उनकी और बढ़ा दिया। डॉक्टर ने शगुन के हाथ में इंजेक्शन लगा दिया , जिस से शगुन कुछ देर के लिए सो जाये और शांत हो। इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही शगुन की आँखे मूंदने लगी और उसने सोते हुए भी सिर्फ एक ही बात कही,”मुझे गुड्डू जी से मिलना है , मुझे उनके पास जाने दो”
पारस को शगुन की ऐसी हालत बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी , उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर डॉक्टर ने कहा,”आप मेरे साथ आईये”
पारस डॉक्टर के साथ ICU से बाहर चला आया दोनों डॉक्टर के केबिन की और बढ़ गए और उनके पीछे पीछे गुप्ता जी और प्रीति भी। केबिन में आकर डॉक्टर ने उन्हें बैठने को कहा। पारस और गुप्ता जी आकर सामने पड़ी कुर्सियों पर बैठ गए और प्रीति वही पास में खड़ी हो गयी। डॉक्टर कुछ देर शांत रहा और फिर कहा,”घबराने की कोई बात नहीं है मिस्टर गुप्ता , वो अभी ठीक है एक्सीडेंट की वजह से उसे एकदम से सदमा लग गया है इसलिए जब अचानक होश आया तो थोड़ा बहक गयी। चिंता मत कीजिये घबराने की कोई बात नहीं है”
“शगुन ठीक तो हो जाएगी ना डॉक्टर ?”,गुप्ता जी ने चिंतित स्वर में पूछा
“बिल्कुल वो ठीक है , मैं उसके कुछ टेस्ट करवा लेता हूँ अगर वो नार्मल रहे तो आप कल सुबह उसे घर ले जा सकते है”,डॉक्टर ने कहा तो गुप्ता जी ने हाथ जोड़कर महादेव को याद करते हुए कहा,”तेरा लाख लाख शुक्रिया”
“आप बाहर बैठिये मैं शगुन के टेस्ट करवा लेता हूँ”,डॉक्टर ने कहा तो सब बाहर चले आये। शगुन इंजेक्शन लगने की वजह से सो चुकी थी। ICU के गेट के बाहर खड़े गुप्ता जी ने शीशे में से सोई हुई शगुन को देखा और अपनी आँखे पोछते हुए जैसे ही पलटे पीछे पारस खड़ा था। उसने गुप्ता जी की नम आँखों को देखा तो कहने लगा,”अंकल इन हालातो में आप ऐसे कमजोर पड़ जायेंगे तो प्रीति को कौन सम्हालेगा ? वो इतनी मजबूत है की उसने आपके और शगुन के सामने अपने आंसुओ को रोक रखा है। शगुन अब ठीक है और डॉक्टर ने कहा ना की कल हम लोग उसे घर ले जा सकते है। सब ठीक हो जाएगा अंकल , चलिए घर चलिए , मैं जानता हूँ दो दिन से आप लोगो ने ठीक से कुछ खाया तक नही” कहते हुए पारस गुप्ता जी और प्रीति को लेकर हॉस्पिटल से बाहर चला आया। उसने बाइक को वही हॉस्पिटल में छोड़ दिया और रिक्शा रुकवाकर गुप्ता जी के घर का एड्रेस बता दिया। गुप्ता जी , शगुन और पारस तीनो खामोश पर तीनो के मन कई तरह की बातें चल रही थी। रिक्शा घर के सामने आकर रुका सभी नीचे उतरे पारस ने किराया देकर रिक्शे वाले को भेजा और गुप्ता जी से अंदर चलने को कहा। पहली बार अपने ही घर में कदम रखते हुए गुप्ता जी ने झिझक हुई , जिस घर की वजह से उनकी जिंदगी में इतनी उथल पुथल मची थी उस घर में जाते हुए उनका मन अशांत था। पारस ने देखा तो कहा,”अंदर चलिए अंकल”
पारस उन्हें लेकर अंदर चला आया रोहन आज घर पर ही था। तीनो को देखते ही वह उनके पास आया और प्रीति से कहा,”शगुन दीदी अब कैसी है ?”
“वो ठीक है”,जवाब पारस ने दिया।
गुप्ता जी आकर बरामदे में पड़ी कुर्सी पर बैठ गए। पारस ने रोहन से पानी लाने को कहा तो रोहन दो ग्लास पानी ले आया एक गुप्ता जी की ओर बढ़ा दिया दूसरा प्रीति की ओर। पानी पीकर उन्होंने ग्लास नीचे रख दिया पारस ने रोहन से कुछ इशारा किया तो रोहन अंदर जाकर एक फाइल ले आया और पारस को दे दी। पारस ने फाइल गुप्ता जी की और बढ़ाते हुए कहा,”ये आपके इस घर के पेपर्स , अब आपको ये घर छोड़ने की जरूरत नहीं है”
गुप्ता जी ने हैरानी से पारस की और देखा तो पारस कहने लगा,”मैं जानता हूँ चाचा ने बुरी नियत के साथ ये घर आपके हड़पने की कोशिश की , और इसी के चलते आप सबकी जिंदगी में ये उथल पुथल मची है और आज शगुन हॉस्पिटल में है। ये घर आपकी मेहनत से बनाया हुआ है अंकल इसे आपसे कोई नहीं छीन सकता , आप निश्चिन्त रहिये चाचा से मैंने बात कर ली ये मामला यही खत्म करवा दिया है आज के बाद वो आपको परेशान नहीं करेंगे”
“तुम्हारा ये अहसान मैं कैसे चुकाऊंगा बेटा ?”,गुप्ता जी ने कहा तो पारस ने उनके हाथो को थामते हुए कहा,”मैंने आप पर कोई अहसान नहीं किया है अंकल , अब मैं चलता हूँ शगुन वहा अकेली है”
“प्रीति अंकल को खाना खिला देना और हां खुद भी कुछ खा लेना , कल शगुन को हम घर लेकर आएंगे”,पारस ने पलटकर प्रीति से कहा तो प्रीति ने नम आँखों से हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।
गुप्ता जी और प्रीति को घर छोड़कर पारस वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गया। रिक्शा में बैठे मन ही मन सोचने लगा,”ये सब क्यों हुआ शगुन ? कितना खुश थी तुम अपनी जिंदगी में फिर ये सब कैसे ? तुम और अंकल इतनी बड़ी प्रॉब्लम में थे तुमने एक बार भी मुझे बताना जरुरी नहीं समझा , काश मुझसे कहा होता तो मैं सब ठीक कर देता। दोस्ती निभाने का इतना तो मौका दे सकती थी तुम लेकिन नहीं अकेले ही इन सब से झुंझती रही तुम,,,,,,,,,,,,,शगुन तुम सिर्फ मेरी दोस्त ही नहीं हो , तुम्हारे लिए अगर मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं सोचूंगा नहीं,,,,,,,,,,,,बस महादेव से दुआ है की तुम ठीक हो जाओ”
“भैया हॉस्पिटल आ गया”,रिक्शा वाले लड़के ने कहा तो पारस की तंद्रा टूटी। पारस रिक्शा से उतरा और पैसे देकर अंदर चला आया। शगुन अब ठीक थी इसलिए प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया। पारस कमरे में आया शगुन सो रही थी। पारस अंदर आकर शगुन के पास पड़ी कुर्सी पर आ बैठा। वह शगुन के चेहरे की और देखता रहा जो की इन दिनों काफी मुरझा गया था। पिछले तीन दिन से पारस घर नहीं गया था। उसका फोन वाइब्रेट हुआ तो वह उठकर कमरे से बाहर चला आया।
सिटी हॉस्पिटल , कानपूर
ICU वार्ड के बेड पर लेटा गुड्डू मशीनों से घिरा हुआ था। वेंटिलेटर , आक्सीजन और मॉनिटर से गुड्डू घिरा हुआ था। उसके सर पर बहुत गहरी चोट आयी थी जिसकी वजह से उसका ओप्रशन हुआ। आज तीसरा दिन था और गुड्डू बेहोश , उसके हाथ की कलाई में फ्रेक्चर था , पांव में मास फटने की वजह से प्लास्टर बंधा था ,, आँख से कुछ ऊपर टाके लगे थे और सर फटने की वजह से गुड्डू का बड़ा ऑपरेशन हुआ जिसमे उसके सर के सारे बाल हटाए गए , उसकी हालत बहुत बुरी थी। ऑपरेशन के बाद से ही गुड्डू के कुछ टेस्ट करवाए गए जिनकी रिपोर्ट आनी अभी बाकि थी और उस से पहले उसका होश में आना जरुरी था। डॉक्टर सुबह के राउंड पर आये गुड्डू की हालत में कोई सुधार ना देखकर उन्होंने दवा और इंजेक्शन की डोज बढ़ा दी। राउंड करने के बाद डॉक्टर वापस चले गए और ICU में मौजूद नर्स अपने कामो में लग गए।
बिस्तर पर लेता गुड्डू ऑक्सीजन मशीन से साँस ले रहा था , उसके दिमाग में कुछ हलचल होने लगी , आँखों के आगे शगुन का धुंधला सा चेहरा आया और उसके बाद शगुन के साथ बिताये सारे खूबसूरत पल एक एक करके उसकी आँखो के आगे आने लगे ,लेकिन सब धुंधले उसे साफ कुछ नजर नहीं आ रहा था सबसे आखिर में उसने देखा खून से लथपथ शगुन को ,, जैसे ही उसके जहन में एक्सीडेंट वाला सीन आया गुड्डू एकदम से साँस के उठ बैठा , नर्स ने देखा तो उसने डॉक्टर को आवाज लगायी , डॉक्टर अपनी टीम के साथ भागकर अंदर आया उसने देखा गुड्डू हाफ रहा है और पसीने से लथपथ है , गुड्डू को होश में आया देखकर डॉक्टर को ख़ुशी हुई , लेकिन वह अपनी ख़ुशी जता पाते इस से पहले ही गुड्डू बेहोश होकर फिर बिस्तर पर जा गिरा।
“सिस्टर इन्हे इंजेक्शन दीजिये और इनके रेगुलर टेस्ट के लिए सेम्पल लेबोरेट्री भेज दीजिये”,कहते हुए डॉक्टर वहा से चले गए। जैसे ही डॉक्टर ICU से बाहर आये मिश्रा जी , मिश्राइन , गोलू और सोनू भैया ने उन्हें घेर लिया।
“गुड्डू को होश आ गया है , अब वो खतरे से बाहर है”,डॉक्टर ने सबको देखकर कहा। मिश्रा जी ने सूना तो चैन की साँस ली। मिश्राइन तो रो पड़ी गोलू ने वहा से ले गया
“डाक्टर साहब मिल सकते है गुड्डू से ?”,मिश्रा जी पूछा
“अभी अभी उसे इंजेक्शन लगा है उसे थोड़ा रेस्ट करने दीजिये , उसके बाद आप लोग एक एक करके उस से मिल सकते है”,डॉक्टर ने कहा
“गुड्डू ठीक तो हो जाएगा ना सर ?”,सोनू भैया ने पूछा
“गुड्डू को कोई अंदरूनी चोट तो नहीं लगी है लेकिन सर में बहुत गहरी चोट लगी है हमने उसके सर के सीटी स्कैन और MRI करवाई है , रिपोर्ट्स आने के बाद ही कुछ कह सकते है।”,डॉक्टर ने ये कहकर मिश्रा जी को उलझन में डाल दिया। डॉक्टर वहा से चला गया मिश्रा जी दरवाजे के पास आये और उसके बीच में लगे शीशे के आर पार गुड्डू को देखने लगे। उन्हें गुड्डू का चेहरा ठीक से नजर नहीं आ रहा था , लेकिन उसे मशीनों से घिरा देखकर उनका दिल बैठ गया। अपनी आँखो की नमी पोछते हुए मिश्रा जी वहा से साइड में चले आये। नर्स ने आकर सोनू भैया को टेस्ट का सेम्पल और दवाईयों की पर्ची दी , सोनू भैया वहा से चले गए। मिश्रा जी ने देखा मिश्राइन उदास खड़ी है तो वे उनके पास आये और उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”चिंता ना करो मिश्राइन डॉक्टर ने कहा है ना गुड्डू अब खतरे से बाहर है”
मिश्राइन ने सूना तो अपना चेहरा मिश्रा जी के सीने में अपना मुँह छुपाकर फूट फूट कर रोने लगी और कहा,”हमाये गुड्डू को कुछ हो गया तो हम जी नहीं पाएंगे मिश्रा जी , हम कहे थे उस दिन आपसे की हमारा मन अशांत है गुड्डू से बात नहीं हुई है और जब देखा तो उसे इस हाल में देखा”
“गुड्डू को कुछ नहीं होगा तुमहू तसल्ली रखो , अभी थोड़ी देर में लेकर चलते है तुमको उसके पास ठीक है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मिश्रा जी ने मिश्राइन को हिम्मत बंधाते हुए कहा।
“चचा चाय”,गोलू ने चाय का ग्लास मिश्रा जी की और बढाकर कहा तो मिश्रा जी ने उसके हाथ से चाय लेकर मिश्राइन को दी और दुसरा कप खुद लेते हुए कहा,”ए गोलू बाबू तीन दिन से तुमहू यही हो घर काहे नहीं जाते ?”
“चचा जब तक गुड्डू भैया को होश नहीं आता उनके मुंह से अपने लिए कुछो सुन नहीं लेते हम नहीं जायेंगे घर”,गोलू ने उदास होकर कहा तो मिश्रा जी ने उसे अपने पास बुलाया और सीने से लगाते हुए कहा,”कुछो नहीं होगा तुम्हाये भैया को , तुमहू साले पगलेट हो सब के सब”
पहली बार मिश्रा जी ने गोलू को गले लगाया था , गोलू की आँखों में आंसू भर आये उन्हें छुपाते हुए वह वहा से चला गया। कुछ देर बाद नर्स ने आकर मिश्रा जी से कहा,”10 मिनिट के लिए आप पेशेंट से मिल सकते है”
मिश्राइन ने अपने आंसू पोछे और मिश्रा जी से कहा,”हमे मिलना है”
“हां चलो , और जे रोना धोना नहीं गुड्डू के सामने उसे अच्छा नहीं लगेगा”,मिश्रा जी ने मिश्राइन के बचे हुए आंसू पोछते हुए कहा। दोनों इस बात से अनजान थे की अंदर लेटे गुड्डू में काफी बदलाव हो चुके है। दोनों अंदर आये तो गुड्डू की हालत देखकर मिश्रा जी का दिल एक बार फिर बैठ गया और ना चाहते हुए भी मिश्राइन की आखो से आंसू बहने लगे। पूरा सर पट्टियों से ढका था , एक हाथ में ड्रिप लगी थी दूसरे हाथ के अंगूठे में मॉनिटर , मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगा था और सीने पर वेंटिलेटर चिप। हाथ की कलाई और एक पैर में प्लास्टर बंधा था , उसका चेहरा काला पड़ने लगा था। होंठो की रंगत जा चुकी थी और वे सूखे पड़ चुके थे। मिश्राइन ने गुड्डू की ये हालत देखी तो मिश्रा से रोते हुए कहा,”इह का हाल हो गवा हमाये बच्चे का”
तकलीफ तो मिश्रा जी को भी हो रही थी लेकिन उन्होंने खुद को सम्हाला और मिश्राइन को लेकर बाहर चले आये। उनके बाहर आते ही गोलू ने कहा,”हमहू भी मिलकर आते है कुछो कहा गुड्डू भैया ने हमाये लिए , कहेंगे कैसे नाराज होंगे हमसे रुको हम मिलकर आते है”
गोलू जैसे ही अंदर जाने लगा मिश्रा जी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और नम आँखों के साथ कहा,”गुड्डू को उस हालात में तुमहू देख नहीं पाओगे गोलू”
“हमे भैया को एक बार देखना है चचा हमे जाने दो”,कहते हुए गोलू अंदर आया लेकिन गुड्डू को उस हाल में देखकर उसे बहुत दुःख हुआ। कुछ देर वह गुड्डू को देखता रहा और फिर मुंह लटका कर बाहर चला आया। सोनू भैया के मिन्नते करने पर मिश्रा जी मिश्राइन तीन दिन से अपने घर गए। गोलू और सोनू भैया गुड्डू के लिए वही रुक गए।
क्रमश – मनमर्जियाँ S2 – 2
( सुचना – कहानी का 1st सीजन जहा खत्म हुआ वहा से कहानी ना शुरू करके इसे एक नए मोड़ से शुरू किया गया है , कहानी वही है , किरदार भी वही है , फीलिंग्स भी वही है बस बदला है तो सिर्फ कहानी का पोस्टर ! “मनमर्जियाँ सीजन 2” का पहला पार्ट थोड़ा इमोशनल है और इसे पढ़ते हुए कई सवाल आपके मन में आते है , आपके सभी सवालो का जवाब आपको आगे की कहानी में मिल जाएगा। गुड्डू और शगुन के लिए थोड़ा दुःख मुझे भी हो रहा है पर कहानी में ये मोड़ जरुरी था। तो पढ़िए “मनमर्जियाँ सीजन 2” एक नयी फीलिंग के साथ क्योकि इश्क़ में कभी कभी मनमर्जियाँ चलती है। )
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संजना किरोड़ीवाल