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मनमर्जियाँ -S93

Manmarjiyan – S93

Manmarjiyan – S93

शगुन के साथ किये बर्ताव का गुड्डू को बहुत अफ़सोस था। शगुन के जाने के बाद वह बिल्कुल अकेला हो चुका था। घर में हर जगह उसे शगुन दिखाई दे रही थी उसकी यादो से बचने के लिए गुड्डू बाइक लेकर घर से बाहर निकल गया। दिनभर वह अपने शहर में घूमता रहा लेकिन वहा जहा भी जाता शगुन का ख्याल उसके पीछे पीछे चला आता। हर जगह उसने शगुन के साथ कुछ वक्त तो बिताया ही था। सुबह से शाम तक गुड्डू ऐसे ही घूमता रहा। शाम में गुड्डू चाय की दुकान के पास अपनी बाइक पर बैठा चाय पि रहा था। उसकी बगल में आकर एक बस रुकी। गुड्डू चाय पी रहा था की उसके कानो में किसी की आवाज पड़ी,”शगुन जल्दी चल ना देर हो जाएगी”
शगुन का नाम सुनते ही गुड्डू ने बस की तरफ देखा दो लड़किया बस में चढ़ी। गुड्डू को लगा वह शगुन है उसने चाय का कप फेंका और जैसे ही बस की तरफ आया बस आगे बढ गयी। ये शगुन के लिए उसका प्यार था या अपने किये की शर्मिंदगी गुड्डू बस के पीछे दौड़ पड़ा। बस के साथ भागते हुए उसने अपने हाथ से बस के टिन को हाथ से थपथपाया तो बस रुक गयी। गुड्डू हाँफते हुए बस में चढ़ा और एक लड़की जो की उसकी तरफ पीठ किये खड़ी थी उसके कंधे को छूकर कहा,”शगुन”
लड़की पलटी और कहा,”जी कहिये”
गुड्डू ने देखा वह लड़की शगुन नहीं थी। उसका चेहरा मुरझा गया उसने कहा,”सॉरी हमने किसी और को समझ लिया , सॉरी”
कहते हुए गुड्डू बस से नीचे उतर गया बस आगे बढ़ गयी। थके कदमो से गुड्डू वापस जाने लगा। शगुन का नाम सुनते ही वह उस से मिलने के लिए तड़प उठा उसके कदम उसका साथ नहीं दे रहे थे। बदहवास सा बालो में हाथ घुमाते हुए वह आगे बढ़ गया। पास ही दुकान पर रेडियो में कोई गाना चल रहा था जो गुड्डू की मनोस्तिथि से काफी मिलता जुलता था
“है मिलन की चाहते , फासले है दरमियान
धड़कने तो एक है , फिर भी है ये दूरिया
कोई किसी को है चाहता , कोई किसी से है खफा
कोई किसी को है चाहता , कोई किसी से है खफा
हमसफ़र तो है मगर , मंजिले है जुदा जुदा !!”
म्यूजिक क्रेडिट – राहत फ़तेह अली खान साहब और सचिन गुप्ता (जिंदगी ये सफर में है)
गुड्डू वापस अपनी बाइक के पास आया और वहा से घर के लिए निकल गया।

बनारस , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू की तस्वीर को हाथ में लिए शगुन आँसू बहा रही थी। पारस ने देखा तो वह शगुन के पास चला आया और शगुन के हाथ से तस्वीर लेकर कहा,”क्या बात है शगुन तुम ऐसे अचानक ऊपर चली आयी और ये (गुड्डू की तस्वीर देखते हुए) सब क्या है ?
पारस शगुन का बहुत अच्छा दोस्त था जिस से शगुन अपनी हर बात शेयर करती थी जब पारस ने पूछा तो शगुन खुद को रोक नहीं पाई और रोते सब पारस को बता दिया। पारस ने सूना तो उसका दिल टूट गया शगुन इतने वक्त से इस दर्द में थी और उसने कभी उसकी खबर तक नहीं ली। शगुन को रोता देखकर पारस उसके पास आया और एक दोस्त की तरह उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा,”मत रो शगुन ये वक्त तुम्हारी परीक्षा ले रहा है , महादेव है ना तुम्हारे साथ वो सब सही कर देंगे। गुड्डू ने जो किया वो सही नहीं किया लेकिन वह भी बुरी तरह उलझ चुका है। मैंने पहले ही दिन तुमसे कहा था की उसे सब सच बता दो उसके बाद शायद ये सब नहीं होता। प्रीति की शादी है ऐसे में अगर उसे कुछ पता चला तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
कहते हुए पारस की नजरे जैसे ही दरवाजे की ओर गयी देखा वहा प्रीति खड़ी थी और उसकी आँखों में आंसू थे। पारस शगुन से दूर हटा और प्रीति की तरफ देखकर कहा,”प्रीति तुमने जो देखा वैसा कुछ भी नहीं है”
“मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है सर”,कहते हुए प्रीति शगुन के सामने आ खड़ी हुई और कहने लगी,”बुरा तो मुझे इस बात का लग रहा है की दी ने मुझसे ये सब छुपाया। सब खुशिया मना रहे है और ये दर्द में होकर भी उन खुशियों में शामिल है। एक बार भी इन्होने मुझे ये सब बताना जरुरी नहीं समझा , इन्हे लगता है मैं बच्ची हूँ पर बच्ची नहीं हूँ मैं,,,,,,,,,,,,क्यों दी ? क्यों आप अकेले ये सब सहते रही ? आपने जीजू को सच्चाई क्यों नहीं बताई ? जबसे आपकी शादी उनसे हुई है तबसे आपने सिर्फ तकलीफ देखी है , कितना प्यार किया अपने गुड्डू जीजू से , कितनी परवाह की उनकी और उन्होंने क्या किया ? आपको घर से निकाल दिया वो भी ऐसी हालत में,,,,,,,,,,,,मुझे तो उन्हें अपना जीजा कहते हुए भी शर्म आ रही है”
“प्रीति,,,,,,,,,!!”,कहते हुए शगुन ने प्रीति पर हाथ उठा दिया लेकिन प्रीति के मुंह से एक आह तक नहीं निकली और उसने कहा,”आपको मुझे जितने थप्पड़ मारने है मार लीजिए लेकिन मैं उन्हें कभी माफ़ नहीं करुँगी” कहकर प्रीति रोने लगी। अपनी बहन के लिए उसे बहुत दुःख हो रहा था। कितना प्यार करती थी वह गुड्डू से लेकिन गुड्डू ने उसी की बहन के साथ ऐसा बर्ताव किया। शगुन को अहसास हुआ की गुस्से में प्रीति पर हाथ उठाकर उसने गलती कर दी तो वह प्रीति के पास आयी और आँखों में आंसू भरकर कहने लगी,”मुझे माफ़ कर दो प्रीति मैंने तुम पर हाथ उठाया,,,,,,,,,मुझसे गलती हो गयी। गुड्डू जी गलत नहीं है वो खुद परेशान है उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा और उन्होंने ये सब कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,,उन्हें तो ये तक याद नहीं है की उनकी शादी मुझसे हो चुकी है। मुझे माफ़ कर दो प्रीति”
“नहीं दी आप क्यों माफ़ी मांग रही है ? मुझे आपसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी , आई ऍम सॉरी”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने उसे गले लगा लिया और कहने लगी,”मेरे साथ जो कुछ हो रहा है उसमे किसी का दोष नहीं है सब मेरी किस्मत है,,,,,,,,,इन सब के लिए ना मैं उन्हें दोष दे सकती हूँ ना खुद को”
पारस ने शगुन को अपनी तरफ किया और उसके कंधो पर अपने दोनों हाथ रखकर उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगा,”ठीक है जो हो रहा है उसमे किसी का दोष नहीं है पर ये सब बदला भी तो जा सकता है ना शगुन , गुड्डू ने गुस्से में तुमसे कहा और तुम सब छोड़कर चली आयी क्या इस दिन के लिए मैंने तुम्हे वापस कानपूर जाने दिया था। तुम्हे गुड्डू से प्यार है ये हम सबको दिखता है तो फिर इतनी जल्दी तुमने हार कैसे मान ली ? तुम्हे अपने महादेव पर भरोसा है ना ?”
“हम्म्म्म !”,शगुन ने धीरे से कहा
“तो बस देखना कैसे वो गुड्डू को यहाँ खींचकर लाते है और वो खुद भी तुम्हारे बिना नहीं रह पायेगा”,पारस ने कहा तो शगुन के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली। पारस ने शगुन के आंसू पोछे और मन ही मन खुद से कहा,”मेरी क़ुरबानी ऐसे जाया नहीं होने दूंगा मैं शगुन”
प्रीति ने देखा तो वह आकर शगुन के गले लगी और कहा,”डोंट वरी दी गुड्डू जीजू जरूर आएंगे और इस बार पुरे हक़ से आपको अपने साथ लेकर जायेंगे”
“गुड्डू तो आ जाएगा तुम्हारे वाले का कुछ अता पता है की नहीं ? हल्दी हुई उनकी ?”,पारस ने प्रीति के सर पर धीरे से चपत लगाते हुए कहा
“वो उल्लू का पट्ठा अभी तक सो रहा है”,प्रीति ने कहा
धत बेशर्म ऐसे बोलते है अपने होने वाले पति के बारे में”,शगुन ने फटकार लगाई
“होने वाला है अभी हुआ नहीं है अभी से क्यों उसकी जी हुजूरी करे , है ना सर”,प्रीति ने पारस से पूछा
“बात तो सही है , अच्छा अब तुम दोनों नीचे चलो वरना सारे घरवाले ऊपर आ जायेंगे। जिसकी हल्दी है वही उनके बीच से गायब है”,पारस ने कहा और प्रीति शगुन को अपने साथ लेकर नीचे चला आया !
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू घर पहुंचा तब तक अन्धेरा हो चुका था। गुड्डू ने अपनी बाइक साइड में लगाई और अंदर चला आया। मिश्राइन ने गुड्डू को देखा तो उन्हें थोड़ी राहत मिली उन्होंने कहा,”गुड्डू आ गए बेटा , जाओ जल्दी से हाथ मुंह धो लो तुम्हायी पसंद का आलू का भरता बनाया है”
गुड्डू ने हाथ मुंह धोया उसका खाने का बिल्कुल मन नहीं था लेकिन वह अपने घरवालों को परेशान करना नहीं चाहता था इसलिए चुपचाप आकर बैठ गया। वेदी ने देखा तो उठकर वहा से चली गयी। गुड्डू समझ गया की वेदी उस से नाराज है। मिश्राइन ने गुड्डू की थाली में खाना परोसा। गुड्डू की नजर जैसे ही थाली रखे आलू पर गयी उसे बीती बात याद आ गयी जब वह गोलू के साथ बरेली में था एक शादी में और गोलू ने कहां था,”गुड्डू भैया जे आपके लिए शगुन जी ने भेजा है”
गुड्डू सोच में डूब गया तो मिश्राइन ने कहा,”का हुआ गुड्डू खाओ ?”
गुड्डू ने खाना शुरू किया हर शाम हमेशा शगुन ही उसे खाना परोसा करती थी , आज शगुन नहीं थी और गुड्डू उसे बहुत याद कर रहा था। मुश्किल से एक चपाती उसके हलक से नीचे उतरी और उसने उठते हुए कहा,”बस अम्मा हमारा हो गया”
“अरे जे,,,,,,,,,,गुड्डू,,,,,,,,,,,,,”!,मिश्राइन आगे कहती इस से पहले गुड्डू वहा से जा चुका था। गुड्डू ऊपर चला आया और कमरे में ना जाकर सीधा छत पर चला आया। उसका मन बहुत भारी था , अंदर ही अंदर वह खुद से लड़ रहा था शगुन के सामने भी किस मुंह से जाता बेचारा। गुड्डू आकर झूले पर बैठ गया और खाली पड़ी छत को देखने लगा। कितने ही खूबसूरत पल उसने शगुन के साथ यहाँ बिताये थें। गुड्डू की आँखों के सामने वो सारे पल आने लगे उसे अहसास ही नहीं हुआ की कब मिश्रा जी आकर उसकी बगल में बैठ गए। गुड्डू की तंद्रा टूटी तो अपने बगल में मिश्रा जी को देखकर थोड़ी हैरानी हुई। गुड्डू उठकर जाने की हुआ तो मिश्रा जी ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”बइठो तुमसे कुछो बात करनी है”
गुड्डू ख़ामोशी से वापस बैठ गया मिश्रा जी कुछ देर शांत रहे और फिर कहने लगे
“हमाये पिताजी जब भोपाल से कानपूर आये थे तब हम 12 साल के थे। गर्म खून , जवानी और मन का कुछो कर गुजरने का होंसला। यहाँ रहकर यहाँ के माहौल को समझा , कुछ हमाये जैसे दोस्त हमे मिल गए। कानपूर की इन्ही गलियों में हम उनके साथ मस्ती करते घूमते थे। जिसे चाहा कंटाप धर दिया , जिसे चाहा पेल दिया ,, दिनभर बस घूमना फिरना , दोस्तों के साथ बकैती करना यही सब था। धीरे धीरे हमारी छवि बनने लगी , लोग हमाये नाम से डरने लगे। घर बार सब अच्छा था और पिताजी का काम भी पर उनको जे सब की खबर ना थी। उन्ही दिनों तुम्हायी अम्मा से हमायी शादी हुई। उनके साथ रहके हमने जाना प्रेम का होता है , कुछ महीनो बाद उन्होंने बताया की उह गर्भवती है उह दिन हम बहुते खुश थे और हमाये दोस्तों को खिला पीला रहे थे की बातो बातो में किसी से हमायी झड़प हो गयी और हमने उन्हें पेल दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,(मिश्रा जी की इस बात पर गुड्डू ने थोड़ा हैरानी से उन्हें देखा)
अगले दिन जब हम घर पर नहीं थे तब वह लड़का अपने 8-10 दोस्तों के साथ घर पर आया। पिताजी के सामने बहुत कुछ कहा , तुम्हायी बूढ़ा और अम्मा भी घबरा गयी। वह उन्हें धमकाकर चला गया। जब हम घर पहुंचे तब हमाये पिताजी हाथ में छड़ी लेकर खड़े थे पहली बार उन्होंने हमे हमायी अम्मा और पत्नी के सामने पीटा था। उस दिन अहसास हुआ की जे लड़ाई झगड़ा मार-पीट जे सब से पहले ना परिवार जरुरी है। उह दिन पहली बार मिश्राइन हमाये सामने रोइ इहलिये नहीं की हमने गलती की पर इहलिये की छड़ी की मार से हमे दर्द हो रहा था।
माँ-बाप बच्चो का भला सोचते है बेटा , वो हमेशा चाहते है की उनका बच्चा बुराईयो से दूर रहे उस दिन के बाद से हमने वो सब छोड़ दिया। ओके बाद हमने खूब मेहनत की फिर हमायी जिंदगी में आये तूम , वेदी आयी बहुत खुश थे हम। घर जैसे किसी स्वर्ग से कम नहीं था। कुछ वक्त बाद पिताजी चल बसे। हमने तुमसे कभी कहा नहीं गुड्डू पर जे सच था की घर में सबसे ज्यादा प्यार हम तुमसे करते है इहलीये नहीं की तुमहू हमाये बेटे हो बल्कि इहलीये का है की तुम में हम अपना बचपन देखते थे। जब तुमहू छोटे थे तब तुमको अपने कंधो पर बैठाकर बाजार जाते थे हम। तुम्हायी हर खवाहिश पूरी करते थे। जैसे जैसे तुम बड़े हुए तुम में हमने अपनी जवानी देखी , पर जब देखा की तुमहू भी उसी रस्ते जा रहे हो जिस रस्ते कभी हम गए थे तो हमने तुम्हाये साथ सख्ती बापरना शुरू कर दिया। हमायी डांट और मार का असर जे हुआ की तुमहू हमसे दूर होने लगे , कुछो कहने से भी डरते थे। हमाये सामने आते ही तुम्हायी बोलती बंद हो जाती थी। हमे लगा हम तुम्हे सुधार रहे है पर नहीं जे सब करके हमने तुम्हे और कमजोर बना दिया।
पढाई में तुम्हारा मन नहीं था फिर भी हमने अपनी जिद की वजह से तुम्हे कॉलेज भेजा। तुम्हे एक लड़की पसंद थी तुम उस से शादी करना चाहते थे पर हमने नहीं करने दी , हमने तुम्हे हर तरह की पाबंदी में रखा , हमेशा तुम्हे डांटा , फटकारा यहाँ तक के हाथ भी उठाया तुम पर” कहते कहते मिश्रा जी थोड़ा भावुक हो गए। गुड्डू ने देखा तो कहा,”हमे आपसे कोई शिकायत नहीं है पिताजी”
“पर हमे है गुड्डू,,,,,,खुद से”,मिश्रा जी ने गुड्डू की ओर देखकर कहा तो गुड्डू फिर उन्हें हैरानी से देखने लगा। मिश्रा जी ने सामने देखते हुए एक गहरी साँस ली और कहने लगे,”तुम्हायी अम्मा ने हमे बताया की तुम एक लड़की को पसंद करते हो शादी करना चाहते हो। हमे तुम्हायी पंसद से कोई ऐतराज नहीं था गुड्डू हमने तुम्हायी कुंडली केशव् पंडित जी को दिखाई। तुम्हायी कुंडली देखकर उन्होंने कहा की तुम्हारा पहला प्रेम असफल होगा और अगर जाने-अनजाने में तुम्हायी शादी उस से होती भी है तो तुम्हे जान का खतरा होगा। तुमहू हमाये इकलौते बेटे हो हम तुम्हाये साथ कोई रिस्क लेना नहीं चाहते थे इसलिए हमने तुम्हारा दिल तोड़ दिया और तुम्हे पिंकी से शादी नहीं करने दी (गुड्डू ने जैसे ही सूना उसकी आँखे फ़ैल गयी , क्योकि गुड्डू ये सब पहली बार सुन रहा था) हमे डर था कही पिंकी की बातो में आकर कही तुम अपने हक़ में कोई गलत फैसला ना ले लो इहलिये हमने तुम्हायी शादी शगुन से तय कर दी”
“हमायी शादी शगुन से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,?”,गुड्डू ने धड़कते दिल के साथ पूछा
“हाँ बेटा शगुन गुप्ता जो हमारे साथ इस घर में रह रही थी मेरे दोस्त की बेटी नहीं तुम्हायी पत्नी है”,मिश्रा जी ने गुड्डू की तरफ देखकर कहा। गुड्डू ने सूना तो उसे एक अजीब सी ख़ुशी और बेचैनी का अहसास होने लगा। वह बोलना चाहता था लेकिन नहीं बोल पा रहा था। मिश्रा जी ने देखा तो कहा,”हम जानते है इस वक्त तुम्हाये मन में बहुत सारे सवाल होंगे उन सब सवालो का जवाब हमारे पास है”
गुड्डू आगे जानना चाहता था इसलिए आसभरी नजरो से मिश्रा जी को देखने लगा। मिश्रा जी ने गुड्डू की नजरो को भांप लिया और आगे कहने लगे,”शगुन के साथ शादी करके तुम खुश नहीं थे , पिंकी से तुम्हारा रिश्ता तब भी कायम था। ये सच जानकर भी शगुन ने अपना पत्नीधर्म निभाया वह इसी घर में रही क्योकि वह जानती थी की पिंकी तुम्हारे लिए सही लड़की नहीं है। कुछ वक्त बाद पता चला की शगुन पेट से है हम बहुत खुश हुए उस दिन तुमने हमे सच्ची ख़ुशी दी थी। वेदी के बाद इह घर मा छोटा नया मेहमान आने वाला था , ख़ुशी से हमारे पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। तुमने अपना खुद का काम शुरू किया , तुम उस में सफल भी हुए क्योकि शगुन तुम्हाये साथ थी। वह तुम्हारी हर गलतियों को सही करती , तुम्हे सही क्या है गलत क्या समझाती और तुम धीरे धीरे बदल रहे थे गुड्डू।
शादी के बाद शगुन पहली बार अपने मायके बनारस गयी। उस वक्त तुम लखनऊ में थे अपने दोस्त की शादी में उन्ही दिनों में जब तुम शगुन से मिलने गए तो तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ जिसमे तुम्हे और शगुन को बहुत चोटे आयी। तुम्हे होश नहीं था इसलिए तुम्हे कानपूर ले आये और शगुन वही बनारस के हॉस्पिटल में थी। उस दिन दो हादसे हुए एक तुम्हायी यादास्त चली गयी , तुम वो सब भूल गए जो बीते 6 महीनो में घटा था। तुम्हारा शगुन से मिलना , तुम्हायी शादी सब कुछ और दूसरा,,,,,,,,,,,,,,,,!!” कहते हुए मिश्रा जी थोड़ा भावुक हो गए
“दुसरा का पिताजी ?”,गुड्डू ने धड़कते दिल के साथ पूछा
“शगुन का बच्चा पेट में ही खत्म हो गवा,,,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने ठंडी आह भरते हुए कहा
गुड्डू ने सूना तो उसे एक अनजानी पीड़ा का अहसास हुआ। वह बच्चा जिसके बारे में गुड्डू को याद भी नहीं था वह इस दुनिया में आने से पहले ही खत्म हो गया। गुड्डू की आँखे नम हो गयी। मिश्रा जी आगे कहने लगे,”तुम्हायी यादास्त जा चुकी थी और तुम्हे शगुन बिल्कुल याद नहीं थी पर शगुन तुम्हायी पत्नी थी , इस घर की बहू थी। तुम्हे किसी तरह की परेशानी ना हो तकलीफ ना हो इस बारे में सोचकर शगुन मेरे दोस्त की बेटी बनकर यहाँ रहने लगी। हम सबको लगा गुजरते वक्त के साथ तुम्हायी यादास्त भी लौट आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ हाँ तुम और शगुन एक दूसरे के करीब आने लगे थे और जे देखकर हम बहुत खुश थे। तुम्हायी और शगुन की शादी हो चुकी थी जे बात सब जानते थे , तुम्हे कोई सदमा ना पहुंचे इहलीये तुमसे जे बात छुपाई। इसी बीच गोलू और पिंकी एक दूसरे को पसंद करने लगे और उसी के चलते गोलू ने बताया की पिंकी पेट से है (ये सुनकर गुड्डू के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे) जैसे तुम हमाये बेटे हो हमने गोलू को भी अपना बेटा ही समझा है , उसने कहा की वह अपनी गलती सुधारना चाहता है और पिंकी से शादी करना चाहता है लेकिन तुम्हाये सामने जे सब करना मुश्किल था। एक झूठ छुपाने के लिए हमे 100 झूठ बोलने पड़े सिर्फ इसलिए ताकि तुम्हाये दिमाग पर किसी तरह का जोर ना पड़े और तुम्हे तकलीफ ना हो। जे सब में शगुन ने भी हमारा साथ दिया। जो गलती हम सब ने की उसमे अकेली शगुन ही नहीं हम सब भी जिम्मेदार है पर जे सब सिर्फ तुम्हाये लिए किया,,,,,,,,तुम्हायी ख़ुशी के लिए किया,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हायी शादी बचाने के लिए किया।”
कहकर मिश्रा जी चुप हो गए सच जानकर गुड्डू की आँखों से आँसू बहने लगे। वह उठा और दिवार के पास चला गया। उसे अहसास हुआ की उसने कितनी बड़ी गलती कर दी। पिछले कुछ महीनो से वह इस घर में जिस लड़की के साथ रह रहा था वह कोई और नहीं उसकी पत्नी थी। गुड्डू को इस वक्त शगुन के बारे में सोचकर बहुत बुरा लग रहा था। उसे बहुत तकलीफ हो रही थी ये सोचकर की उसने अपनी ही पत्नी के साथ ऐसा बर्ताव किया। उसने अपना सर पकड़ लिया। मिश्रा जी उठे और उसके पास आकर कहा,”अक्सर सच्चाई वो नहीं होती जो हम अपनी आँखों से देखते है , कई बार सच को छुपाना भी जरुरी हो जाता है ताकि अपनों को तकलीफ ना पहुंचे। शगुन को वापस ले आओ बेटा तुम्हाये लिए उसने बहुत दुःख झेले है , उसके बिना जे घर कुछ नहीं है , उसके बिना तुमहू कुछ नहीं हो उह तुम्हायी पत्नी है बेटा जे घर जितना तुम्हारा है उतना उसका भी है”
गुड्डू ने सूना तो रो पड़ा , उसके मन में जो पीड़ा थी जो पश्चताप था वह आँसुओ के जरिये बाहर आने लगा। मिश्रा जी ने आज से पहले गुड्डू को इतनी तकलीफ में कभी नहीं देखा था उन्होंने आगे बढ़कर गुड्डू को गले लगाया और कहने लगे,”इस दुनिया में हर इंसान अपना प्यार जता सकता है लेकिन एक पिता ये कभी नहीं बता सकता की वह अपने बेटे से कितना प्यार करता है। पिता की डांट में भी उनका प्यार और उनकी परवाह छुपी होती है बेटा। आज तक हमने तुम्हाये साथ जितनी भी सख्ती की उसके पीछे बस यही वजह थी की हम नहीं चाहते थे हमारा बेटा हमारे जैसा बने। हमे माफ़ कर दो गुड्डू हमे माफ़ कर दो” कहते हुए मिश्रा जी की आँखों में भी आंसू आ गए और गुड्डू के कानो में शगुन की आवाज खनक रही थी जब उसने एक बार गुड्डू से कहा था “देखना एक दिन आपके पिताजी आपको जरूर गले लगाएंगे” और इस बात के याद आते ही गुड्डू की आँखे एक बार फिर बहने लगी !

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क्रमश – Manmarjiyan – S94

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संजना किरोड़ीवाल

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