Manmarjiyan – S91
Manmarjiyan – S91
शगुन अपने शहर बनारस पहुंची। उसके दिमाग में कई तरह के ख्याल चल रहे थे और मन उलझा हुआ था। प्रीति की शादी के लिए वह बनारस आना चाहती थी पर ऐसे हालातो में नहीं ,, गाड़ी की पिछली सीट पर बैठी शगुन सोच में डूबी हुई थी। घर जाकर क्या कहेगी अपने पापा से और क्या प्रीति से सब छुपा पायेगी ? शगुन इन्ही सब में उलझी हुई थी की ड्राइवर ने कहा,”भाभी आपका घर आ गया है”
शगुन की तंद्रा टूटी। ड्राइवर शगुन के साथ नीचे उतरा और शगुन को उसके बैग के साथ घर के दरवाजे तक छोड़कर वापस चला गया। शगुन की हिम्मत नहीं हो रही थी अंदर जाने की उसे बस अपने पापा की चिंता थी। उसने एक नजर घर को देखा , प्रीति की शादी की तैयारियां जोरो शोरो से चल रही थी। शगुन ने बैग उठाया और जैसे ही अंदर आयी छत पर खड़ी प्रीति की नजर शगुन पर पड़ी। ख़ुशी के मारे प्रीति का चेहरा खिल उठा वह दौड़ते हुए नीचे आयी और आते आते उसने पुरे घर में बता दिया की उसकी बहन शगुन आयी है। प्रीति आकर शगुन के गले लगी और कहा,”ओह्ह्ह दी आप आ गयी , पता है आज सुबह से मैं पापा को कह रही थी की दी आज ही आएगी और देखो आप आ गई ,, अरे लाईये बैग मुझे दीजिये और गुड्डू जीजू कहा है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा वो गाड़ी साइड लगाने गए होंगे। आप यहाँ क्यों खड़ी है चलिए ना सब लोग आये हुए है , कल मेरी हल्दी है आप बिल्कुल सही टाइम पर आये हो अगर नहीं आते ना तो मैंने फिर आपसे बात ही नहीं करनी थी,,,,,,,,,,,,और ये इतनी फीकी साड़ी क्यों पहनी है आप पर चटख रंग ज्यादा खिलते है।”
प्रीति चलते हुए बस बोलते जा रही थी शगुन ख़ामोशी से उसके साथ चल रही थी। घर के आँगन में रिश्तेदार और कुछ आस पास की औरते बैठी थी। भुआजी ने शगुन को देखा तो कहा,”अरे शगुन बिटिया अच्छा हुआ तुम चली आयी , दामाद जी नहीं आये ?”
“वो बाद में आएंगे भुआजी”,शगुन ने धीरे से कहा
“क्या ? जीजू नहीं आये,,,,,,,,ये क्या बात हुई मैं उनकी इकलौती साली हूँ और वो मेरी ही शादी में नहीं आये,,,,,,,,,,,,,,मैं अब उनसे कभी बात नहीं करुँगी”,कहते हुए प्रीति ने बैग टेबल पर रखा और गुस्से में वहा से चली गयी
“प्रीति सुनो,,,,,,,,,,,,!!,”शगुन ने आवाज दी लेकिन प्रीति कहा सुनने वाली थी वह चली गयी
“शगुन वहा क्यों खड़ी हो ? यहाँ आकर बैठो”,भुआ जी ने कहा तो शगुन वहा उन सबके बीच आकर बैठ गयी।
“और ससुराल में सब कैसा है बिटिया ?”,भुआ जी ने पूछ लिया
“सब ठीक है भुआजी”,शगुन ने कहा
आस पड़ोस की औरते शगुन को देखकर खुसर फुसर करने लगी और एक ने तो कह भी दिया,”अरे शगुन बहन की शादी में आयी हो और सिर्फ एक छोटा बैग लेकर ,, साड़ी भी बहुत सस्ती सी पहनी है।”
“चाची वो बाकि के बैग बाद में वो लेकर आएंगे”,शगुन को झूठ बोलना पड़ा
“अच्छा ये बात है पर तुम्हे देखकर लग नहीं रहा की ससुराल में ज्यादा खुश हो तुम ,, तुम्हारे ससुराल वाले तो शादी के वक्त बहुत बढ़ चढ़कर बात कह रहे थे पर तुमको बहन की शादी में ऐसे ही भेज दिया बिना गहनों के”,पड़ोस की एक औरत ने कहा
“अरे हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और , अपने बनारस में क्या कमी थी लड़को की पर मास्टर जी को तो बेटी को दूर ही भेजना था अब इतनी दूर में किसे पता बेटी के ससुराल में क्या हो रहा है क्या नहीं ?”,दूसरी महिला ने कहा
शगुन ने सूना तो उसे ये सब अच्छा नहीं लगा लेकिन इस वक्त वह किसी को जवाब देना नहीं चाहती थी। उसने उठते हुए कहा,”मैं पापा से मिलकर आती हूँ”
“हाँ बिटिया उह पीछे है और हां इतना लम्बा सफर करके आयी हो पहले कुछ खा लेना”,भुआ जी ने कहा
शगुन वहा से चली गयी तो औरते फिर खुसर फुसर करने लगी। एक ने धीरे से कहा,”लगता है दामाद जी से झगड़ा करके आयी है तभी ना ऐसे अकेले चली आयी”
“मुझे भी यही लगता है”,दूसरी ने कहा। भुआ जी ने दोनों को बात करते देखा तो कहा,”ए सुनो तुम सब आज का काम हो गया ना अभी सब अपने अपने घर जाओ और हां कल हल्दी के बख्त आ जाना सब याद से , बाकि हम नाई को भिजवा देंगे ,, खाली बैठी नहीं की लगी इधर उधर की बाते करने , चलो जाओ”
भुआजी की बातें सुनकर सभी औरते वहा से उठकर चली गयी। भुआ जी भी अपने दूसरे कामो में लग गयी। शगुन अपने पापा के पास आयी और उनके गले लगते हुए कहा,”कैसे है पापा ?”
“मैं ठीक हूँ बेटा , अकेले चली आयी दामाद जी नहीं आये ?”,गुप्ता जी ने सवाल किया
“पापा उन्हें थोड़ा काम था इसलिए उन्होंने कहा की वो शादी से पहले आ जायेंगे”,शगुन को अपने पापा के सामने झूठ बोलना पड़ा
“कोई बात नहीं मैं उनसे फोन पर बात करके उन्हें और मिश्रा जी और सपरिवार आने के लिए कह दूंगा”,गुप्ता जी ने कहा
“नहीं नहीं पापा आप उन्हें फोन मत कीजियेगा”,शगुन ने फोन का नाम सुनकर एकदम से कहा
“क्यो क्या हुआ ? कोई परेशानी है ?”,गुप्ता जी ने हैरानी से पूछा
“नहीं वो मेरा मतलब अभी वो काम में बिजी होंगे आपकी बात नहीं हो पायेगी ठीक से”,शगुन ने कहा
“अरे बेटा अभी थोड़े ना कर रहा हूँ , शाम में करूँगा अभी तो मुझे किसी काम से बाहर जाना है। तुम चाय नाश्ता करो , फ्रेश हो जाओ उसके बाद शाम में बैठकर बात करते है। शादी के सभी जरुरी कामो के बारे में बात करनी है तुमसे तुम चलो”,गुप्ता जी ने शगुन के गाल को छूकर कहा और फिर वहा से चले गए।
शगुन का दिल अंदर ही अंदर रो रहा था। उसने मुश्किल से अपनी आँखो के आंसुओ को रोक रखा था। शगुन ने आँखों के किनारे साफ किये और वापस घर चली आयी। शगुन फ्रेश होकर नीचे वाले रूम में चली आयी , तब तक चाची उसके लिए चाय नाश्ता ले आयी और टेबल पर रखते हुए कहा,”शगुन बेटा गरमा गर्म चाय पीओ और नाश्ता कर लो। मुझे लगा दामाद जी भी तुम्हारे साथ है पिछली बार जब वो आये थे तो तुम्हारे चाचा और मुझसे खूब बातें की ,, मजाकिया तो इतने है वो की उनके साथ कब दो-तीन घंटे निकल गए पता ही नहीं चला।”
“चाची वो उन्हें थोड़ा काम था”,शगुन ने कहा
“अरे ऐसा भी क्या काम एक ही तो साली है उनकी उन्हें तो 10 दिन पहले आना चाहिए था। इस घर के इकलौते दामाद है वो”,चाची ने शगुन के पास बैठते हुए कहा। शगुन ने चाय का कप उठा लिया और कहा,”शादी में आ जायेंगे”
“शादी में तो आना ही है वरना इतनी सारी रस्मे है वो कौन करेगा ? अच्छा शगुन तुम चाय नाश्ता करो तब तक मैं भुआजी को चाय देकर आती हूँ”,कहकर चाची वहा से चली गयी। शगुन चाय पीकर ऊपर छत पर चली आयी। उसे प्रीति को जो सम्हालना था। शगुन ने धीरे से कमरे का दरवाजा खोला तो देखा प्रीति गुस्से में कमरे में बिखरे अपने कपडे और सामान ज़माने में लगी है। शगुन को देखते ही प्रीति ने बड़बड़ाना शुरू कर दिया,”ये सही है दोनों पति पत्नी का , इकलौती बहन की शादी में बड़ी बहन 4 दिन पहले आती है और जीजा का कोई अता पता नहीं की वो शादी में आएंगे भी या नहीं ? कितने सपने देखे थे मैंने अपनी शादी को लेकर , घर से लेकर पुरे बनारस तक को बता दिया की मेरी शादी में मेरे जीजू जरूर आएंगे,,,,,,,,,,,,लेकिन उन्हें तो मेरी कोई परवाह ही नहीं है। सगाई में जब आये थे तब मुझसे वादा किया था की मेरी शादी में 1 हफ्ते पहले आएंगे लेकिन नहीं आये बीवी को भेज दिया। उस पर आपसे (शगुन की तरफ पलटकर) कुछ भी कहना बेकार है क्योकि आप तो जीजू के प्यार में इतनी पागल हो गयी है की वो गलत भी करे तो आपको सही लगेगा , लेकिन इस बार मैं उनको माफ़ करने वाली नहीं हूँ समझी आप ,, आने दो उनको बताती हूँ मैं”
शगुन ने कुछ नहीं कहा बस आकर प्रीति के गले लग गयी। शगुन को ऐसे देखकर प्रीति को थोड़ा अजीब लगा तो उसने कहा,”दी क्या हुआ आप ठीक तो हो ना ?”
“हाँ मैं ठीक हूँ , वो कुछ दिन बाद तू शादी करके इस घर से जाने वाली है बस यही सोचकर मन उदास हो गया”,शगुन ने अपने मन की भावनाओ को काबू में रखते हुए कहा
“क्या दी आप भी ? 4 दिन बाद जाने वाली हूँ मैं और उस से पहले मैं आपसे जमकर अपनी खातिरदारी भी करवाउंगी”,प्रीति ने हँसते हुए कहा
“हम्म्म बताओ क्या करना है ?”,शगुन ने अपनी आँखे पोछते हुए कहा
“कुछ नहीं करना फिलहाल यहाँ बैठो इतना लंबा सफर करके आयी हो आप”,कहते हुए प्रीति ने शगुन को बेड पर बैठाया और कुछ ही दूर कुर्सी पर रखा अपनी शादी का जोड़ा लाकर शगुन को दिखाते हुए कहा,”दी ये रहा मेरी शादी का जोड़ा , दो दिन पहले ही रोहन और उसके घरवाले आये थे तब ये सब सामान दिलवाया था उन्होंने”
“बहुत सुंदर है , इसे पहनकर तुम बिल्कुल राजकुमारी लगोगी”,शगुन ने कहा
“कहा दी ? आपकी शादी का जोड़ा तो इस से भी ज्यादा खूबसूरत था , क्यों ना हो हमारे गुड्डू जी ने जो पसंद किया था , है ना ?,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे कुछ भी कहो दी जीजू की चॉइस ना हटकर है। इसलिए तो मैं चाहती थी वो पहले आये ताकि मैं उसके साथ जाकर शॉपिंग कर सकू लेकिन देखो वो आये ही नहीं,,,,,,,,बहुत बिजी हो गए है”,प्रीति ने शगुन के सामने दुपट्टा करते हुए कहा लेकिन शगुन कही और ही खोयी हुयी थी। उसे खोया हुआ देखकर प्रीति ने उसके सामने अपना हाथ हिलाते हुए कहा,”दी क्या हुआ ? बताओ ना ये दुपट्टा कैसा है ?”
“हाँ हां ये भी बहुत सुंदर है , अच्छा प्रीति कल पारस की शादी थी तुम सब गए थे ना वहा ?”,शगुन ने पूछा
“हाँ मैं और पापा गए थे , पारस भैया बहुत गुस्सा है आपसे कह रहे थे की पुरे बनारस में उनकी एक ही दोस्त है और वो भी इस शादी में नहीं आयी”,प्रीति ने सभी सामान साइड करते हुए कहा
“कैसे आती प्रीति वहा कानपूर में गोलू जी की शादी थी और वहा जाना भी जरुरी था , मैं पारस से माफ़ी मांग लुंगी वो समझ जाएगा”,शगुन ने कहा
“कोई बात नहीं दी कल हल्दी में आएंगे वो लोग तब सॉरी बोल देना वैसे पारस भैया की शादी मेरी शादी के बाद थी लेकिन वो होने वाली भाभी के घर में कुछ दिक्कत हो गयी इसलिए उन्हें सब जल्दी जल्दी में करना पड़ा”,प्रीति ने शगुन के सामने बैठते हुए कहा
“चलो अच्छा हुआ की उसने शादी कर ली”,शगुन ने कहा
“अच्छा ये सब छोडो जीजू ने आपसे अपने दिल की बात कही या नहीं ?”,प्रीति ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“प्रीति मुझे ना थोड़ा काम है इस बारे में हम बाद में बात करते है”,कहते हुए शगुन उठी और कबर्ड खोलकर उसमे अपने पुराने कपडे देखने लगी। प्रीति आयी और कबर्ड बंद करते हुए कहा,”दी बताईये ना प्लीज जीजू ने कहा आपसे ?”
प्रीति की बात सुनकर शगुन को बीती रात याद आ गयी जब गुड्डू ने गुस्से में उस से कहा की वह उस से प्यार करता है। शगुन को खोया देखकर प्रीति ने कहा,”दी बताईये ना”
“जब वो आये तब उन्ही से पूछ लेना”,शगुन ने कहा
“ये भी सही है , वैसे भी उनकी लेंग्वेज में सुनने में ज्यादा मजा आएगा”,कहकर प्रीति वहा से चली गयी
शगुन ने अपने लिए सूट निकाला और नहाने चली गयी। नहाकर आयी और शीशे में देखते हुए बाल बनाने लगी। गुड्डू के कहे शब्द उसके कानो में गूंज रहे थे। शगुन की आँखो में नमी और चेहरे पर उदासी थी। उसने मुस्कुराने की कोशिश की लेकिन आँखों में आंसू आ गए। कितना मुश्किल होता है ना उस वक्त मुस्कुराना जिस वक्त आपका दिल रो रहा हो। शगुन कमरे से बाहर निकल आयी शाम हो चुकी थी। शगुन का मन काफी उदास था उसने प्रीति से कहा,”प्रीति मैं घाट जाकर आती हूँ”
“दी मैं भी आपके साथ चलती हूँ”,प्रीति ने कहा
“नहीं प्रीति तुम्हारी शादी होने वाली है तुम्हे ऐसे बाहर घूमना नहीं चाहिए , मैं थोड़ी देर में आती हूँ”,शगुन ने कहा
“अरे शगुन बिटिया घाट जा रही हो , मैं भी वही जा रहा था पंडित जी से मिलने , चलो साथ ही चलते है तुम घाट हो आना मैं पंडित जी से मिल लूंगा”,विनोद ने कहा तो शगुन उनके साथ चल पड़ी। दोनों अस्सी घाट पहुंचे। चाचा पंडित जी की तरफ चले गए और शगुन सीढ़ियों से नीचे चली आयी। वही पास ही मैं दिए मिल रहे थे जिन्हे जलाकर पानी में प्रवाहित करने से मन को शांति मिलती है शगुन ने गुड्डू के बारे में सोचते हुए एक दीपक लिया उसे जलाया और पानी में प्रवाहित कर दिया। दिए को प्रवाहित करते हुए उसकी आँखे आंसुओ से भरी हुई थी। उसकी आँख से निकलकर एक आँसू घाट के पानी में जा गिरा। शगुन वही सीढ़ियों पर बैठकर मन ही मन कहने लगी,”एक उनके प्यार और उनकी सलामती के अलावा आपसे कभी कुछ नहीं माँगा है महादेव,,,,,,,,,,,,,,,उनके अलावा मेरे मन में कोई और नहीं है ,, इस रिश्ते को निभाने की हर कोशिश की है मैंने पर हर बात सिवाय दुःख और तकलीफ के कुछ नहीं मिला। जब कभी भी जिंदगी में कुछ सही नहीं चल रहा होता था तो मैं आपके पास आया करती थी,,,,,,,,,,,,मेरा आप में विश्वास था की आप सब सही कर देंगे और आप कर देते थे फिर इस रिश्ते को ऐसे बीच मझधार में क्यों छोड़ दिया महादेव ? क्या उनके लिए आपको मेरा प्रेम मेरी भावनाये नजर नहीं आती ? आज भी मैं बस आपसे उनकी सलामती मांगती हूँ महादेव गुड्डू जी इस वक्त बहुत तकलीफ में है,,,,,,,,,,,,,,मैं भी उनके साथ नहीं हूँ की उनका दर्द बाँट सकू पर आप चाहे तो उनका दर्द कम कर सकते है। उनके हिस्से में अब और दर्द मत लिखिए,,,,,,,,पति पत्नी होकर भी हम एक दूसरे से दूर है इस से ज्यादा तकलीफ मुझे और क्या होगी ? अब और नहीं सहा जाता महादेव,,,,,,,,,,इस दर्द को कम कर दीजिये। मुझे उनसे मिला दीजिये”
मन ही मन कहते हुए शगुन की आँखो से झर झर आंसू बहने लगे। थोड़ी देर बाद चाचा ने आवाज दी,”शगुन चले बिटिया ?
शगुन ने सूना तो अपने आंसू पोछे और वहा से चली गयी।
कानपूर , उत्तर प्रदेश —- शगुन के जाने के बाद गुड्डू अपने कमरे में चला आया। वह दिनभर अपने कमरे में सोया रहा ना उसने खाना खाया ना किसी से बात की। मिश्राइन उसके कमरे में उसके लिए खाना रखकर भी गयी लेकिन वह जैसे का तैसे पड़ा था। मिश्रा जी दोपहर बाद किसी जरुरी काम से शोरूम चले गए लेकिन दिनभर उनके दिमाग में बस गुड्डू का ख्याल चलता रहा। शगुन और गुड्डू की शादीशुदा जिंदगी को वे ऐसे बर्बाद होते नहीं देख सकते थे इसलिए उन्होंने फैसला किया की वे गुड्डू से बात करेंगे। शाम में गुड्डू उठा , बदन टूट रहा था और काफी थकान भी हो रही थी उसे। उठकर वह कमरे से बाहर आया और वाशबेसिन के सामने आकर नल चलाकर जैसे ही हाथ आगे किया उसके मुंह से आह निकल गयी। रात में जो घुसा उसने शीशे पर मारा था उसकी चोट का घाव अभी भी था। गुड्डू ने देखा तो धीरे धीरे उसे पानी से साफ किया और अपने ड्रेसिंग पर रखे दवाई के डिब्बे को लेकर कमरे से बाहर चला आया। सीधे हाथ में चोट लगी थी और उलटे हाथ से गुड्डू पट्टी करने की कोशिश कर रहा था लेकिन नहीं कर पा रहा था। मुश्किल से उसने अपने हाथ पर आड़ी टेढ़ी पट्टी की जब अपने हाथ को देखा तो उसे एकदम से शगुन का ख्याल आ गया जब एक बार उसने गुड्डू के हाथ पर लगी चोट के लिए अपना दुप्पटा फाड़ दिया था लेकिन अगले ही पल वह उठा और कमरे में चला आया। गुड्डू आकर वापस बिस्तर पर गिर गया। वह शगुन के बारे में सोचना नहीं चाहता था। गुड्डू की हालत इस वक्त बहुत नाजुक थी उसे ना किसी से बात करने का मन हो रहा था और ना ही कही जाने का। मिश्राइन आयी तो देखा गुड्डू सो चुका है। मिश्राइन बुझे मन से वापस चली गयी। हालाँकि वेदी इस बार गुड्डू से बहुत नाराज थी। मिश्रा जी शोरूम के काम में ऐसा फंसे की देर रात घर आये जब पता चला की गुड्डू सो चुका है तो उन्होंने बात करने का विचार अगले दिन पर डाल दिया सोचा गुड्डू का गुस्सा भी थोड़ा कम हो जाये।
उधर गोलू पिंकी की शादी हो चुकी थी और आज उनकी सुहागरात थी। घर मेहमानो और रिश्तेदारों से भरा पड़ा था ऐसे में गोलू के कमरे को सजाया गया। सब खुश थे उनकी शादी से लेकिन गोलू पिंकी तो बेचारे किसी और ही उलझन में थे उन्हें अपनी सुहागरात से ज्यादा गुड्डू और शगुन की चिंता हो रही थी। खैर गोलू अपनी नयी नवेली दुल्हन के साथ घर आये। पिंकी को पहले भेज दिया और गोलू कुछ देर के लिए हॉल में आ बैठा। उसके चेहरे से परेशानी साफ़ झलक रही थी। छोटू ने देखा तो गोलू के सामने आ बैठा और कहा,”का हुआ गोलू भैया आज तुम्हायी फर्स्ट नाईट है लेकिन तुम इतना मुरझाये हुए काहे हो ?”
“कुछो नहीं बस ऐसे ही थोड़ा टेंशन में है”,गोलू ने सोचते हुए कहा
छोटू ने कुछ नहीं कहा बस चुपचाप अपनी जेब से एक डिब्बा निकालकर गोलू के सामने रखते हुए कहा,”हमे पता था , पहली बार में ना सबको टेंशन होती है”
“जे का है ?”,गोलू ने हैरानी से कहा
“प्रोटेक्शन , बहुते काम की चीज है रखो”,छोटू ने दबी आवाज में कहा
“तुम्हाये जन्म से पहिले तुम्हाये पिताजी को भी मिलता ना तो तुम जैसे चू#ये पैदा नहीं होते उनके घर,,,,,,,,,,,,,निकलो यहाँ से”,गोलू ने गुस्से कहां तो छोटू उठा और जाने लगा तो गोलू ने कहा,”ओह्ह्ह इधर जे लेकर जाओ अपना प्रोटेक्शन”
छोटू चला गया इतने में भुआ जी आयी और कहा,”अरे गोलू यहाँ का कर रहे हो जाओ अपने कमरे में , दुल्हिन अकेली है जाकर बतियाओ उनसे”
गोलू उठा और अपने कमरे में चला आया। उसने दरवाजा बंद किया पिंकी दुल्हन के जोड़े में बैठी थी। गोलू उसके पास आया और कहा,” कितने बुरे इंसान है हम वहा गुड्डू भैया की शादी टूटने के कगार पर है और यहाँ हम ये सब,,,,,,,,,,,,,,!!!
पिंकी गोलू के पास आयी और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”गोलू हम तुम्हारी भावनाओ को समझते है ,, हमे ही गुड्डू और शगुन के लिए बहुत बुरा लग रहा है”
गोलू कुछ कहता इस से पहले ही किसी ने दरवाजा खटखटाया।
“हम देखते है”,कहते हुए गोलू उठा और दरवाजा खोला तो सामने फूफाजी खड़े थे। उन्होंने कहा,”अरे गोलू वो हमायी बाम की डिब्बी रखी थी वहा वो लेने आये थे , का है की कल तुम्हाये कमरे में सोये रहय”
“हम लाते है”,गोलू ने कहा और बाम की डिब्बी लाकर फुफाजी को दे दी और दरवाजा बंद कर लिया। गोलू पिंकी के पास आया और कहा,”पिंकी हम कह रहे थे की,,,,,,,,,,,,,,!!”
“खट खट”,दरवाजे पर फिर दस्तक हुई। गोलू उठा और दरवाजा खोला इस बार फिर कोई रिश्तेदार खड़ा था गोलू कुछ कहता इस से पहले ही उसने कहा,”वो हमारा लोशन रखा है उधर का है मच्छर बहुत है ,, हम ले लेते है”
गोलू के कुछ कहने से पहले ही अंकल अंदर आये पिंकी उन्हें देखकर खड़ी हुयी तो उन्होंने कहा,”अरे बेटा बैठो बैठो , हम तो लोशन लेकर जा ही रहे है”
अंकल के जाने के बाद गोलू ने दरवाजा बंद किया और वापस पिंकी के पास चला आया।
“तुम कुछ कह रहे थे ?”,पिंकी ने कहा
“हां वो हम जे कह रहे थे की,,,,,,,,,,,,,,!!!”,गोलू ने कहा इतने में बाहर से आवाज आयी,”गोलू सो गये का ?”
आवाज गुप्ताइन की थी गोलू उठा और दरवाजा खोलकर कहा,”अब का हुआ ? आपको भी कुछो चाहिए बाम लोशन ?”
“नहीं बेटा हम तो जे हल्दी वाला दूध देने आये थे , जे लो”,कहकर गुप्ताइन वहा से चली गयी। गोलू ने दरवाजा बंद किया और पिंकी की तरफ चला आया उसने दूध का ग्लास टेबल पर रख दिया। पिंकी ने गोलू को परेशान देखा तो उसके पास आयी उसका हाथ अपने हाथ में लिया और कहा,”कल सुबह जाकर गुड्डू से मिल लेना”
“हम्म्म !”,गोलू ने कहा और अपना सर पिंकी के कंधे पर टिका दिया
Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91Manmarjiyan – S91
क्रमश – Manmarjiyan – S92
Read More – मनमर्जियाँ – S90
Follow Me On – facebook | instagram | youtube | yourquote | twitter |
संजना किरोड़ीवाल