Manmarjiyan – S85
Manmarjiyan – S85
गोलू का उतरा हुआ चेहरा देखकर शगुन को गुड्डू पर बहुत गुस्सा आया उसने मिश्राइन से घर जाने की बात कही तो मिश्राइन ने उसे और वेदी दोनों को मनोहर के साथ घर भेज दिया। शगुन और वेदी को घर छोड़कर मनोहर वापस गोलू के घर चला आया। मिश्राइन गोलू के घर ही रुक गयी। शगुन वेदी को लेकर अंदर आयी और कहा,”वेदी तुम चलो मैं आती हूँ”
“ठीक है भाभी ?”,वेदी ने कहा और अपने कमरे की तरफ चली गयी। शगुन ऊपर आयी देखा गुड्डू कमरे में नहीं है , छत पर होगा सोचकर शगुन छत पर चली आयी। उसका अंदाजा सही था गुड्डू छत पर ही था शगुन उसके पास आयी और उसकी बांह पकड़कर उसे अपनी तरफ करके कहा,”समझते क्या है आप खुद को ?आपका जब दिल करेगा आप दुसरो को हर्ट करेंगे , गोलू जी ने कितनी कोशिश की आपको मनाने की , आपसे माफ़ी भी मांगी लेकिन आपने तो अपने दिल को जैसे पत्थर बना लिया है। जानते है कितना दुःख हुआ उन्हें आपके वहा ना जाने से उनके सब दोस्त भाई वहा थे बस आप नहीं थे,,,,,,,,,,आप ऐसा कैसे कर सकते है गुड्डू जी ?”
“और उसने जो हमाये साथ किया उसका क्या ?”,गुड्डू ने थोड़ा गुस्से से कहा
“क्या गलत किया गोलू जी सिर्फ यही ना की आपको अपने और पिंकी के बारे में नहीं बताया , जब पिंकी को आपसे कोई मतलब ही नहीं है तो फिर वो किसी से भी शादी करे आपको फर्क क्यों पड़ने लगा ? रही बात गोलू जी के ना बताने की तो किस मुंह से बताते वो आपको जिस लड़की को आप पसंद करते थे उस लड़की से वो शादी करने जा रहे है ये बताते ,, और ऐसा नहीं है उन्होंने बताने की कोशश नहीं की लेकिन वो बताते उस से पहले आपको किसी और से पता चल गया इसमें गोलू जी की क्या गलती ?”,शगुन ने भी उसी गुस्से के साथ कहा
“गलत है , वो हमारा दोस्त था अगर उसके और पिंकी के बीच ऐसा कुछ था तो उसने हमे क्यों नहीं बताया ? आगरा उह हमे बताता तो का हम नहीं समझते ?”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा आप मुझे एक बात बताईये आप पिंकी से प्यार करते है ?”,शगुन ने शांत लहजे में पूछा
“नहीं”,गुड्डू ने कहा
“उस से शादी करना चाहते है ?”,शगुन ने अगला सवाल किया
“कभी नहीं”,गुड्डू ने कहा
“उसे अपनी जिंदगी में वापस लाना चाहते है ?”,शगुन ने सवाल किया
“बिल्कुल नहीं”,गुड्डू ने शगुन को घूरते हुए कहा
“जब आप उसे पसंद नहीं करते , उस से प्यार नहीं करते तो फिर वो कही भी शादी करे आपको फर्क नहीं पड़ना चाहिए”,शगुन ने कहा
“हमे पिंकी से मतलब नहीं है लेकिन गोलू से है , पिंकी ने हमाये साथ धोखा किया है वो गोलू को भी धोखा देगी”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा आपको खाने में सबसे ज्यादा क्या पंसद है ?”,शगुन ने सवाल किया
“जे कैसे सवाल है ?”,गुड्डू ने पूछा
“बताईये क्या पंसद है ?”,शगुन ने कहा
“आलू का भरता”,गुड्डू ने कहा
“लेकिन मुझे आलू का भरता बिल्कुल पसंद नहीं है इसका मतलब वो आलू खराब है”,शगुन ने कहा
शगुन की बात से गुड्डू चुप हो गया तो शगुन उसे समझाने लगी,”गुड्डू जी जरुरी तो नहीं है ना जो चीज हमे पसंद ना हो वो किसी और को भी पसंद ना आये। पिंकी ने आपके साथ गलत किया क्योकि आपने उसे मौका दिया हो सकता है गोलू जी के लिए उसकी भावनाये सच्ची हो। अच्छा मुझे ये बताईये पिंकी आपको कितना पसंद थी ?”
“बहुत पसंद थी”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“तो फिर आपने उस से शादी क्यों नहीं की ?”,शगुन ने पूछा
“वो हमसे शादी करना नहीं चाहती थी”,गुड्डू ने बुझे मन से कहा
“लेकिन आप तो उस से प्यार करते थे , फिर उसे मनाने की कोशिश क्यों नहीं की ?”,शगुन ने कहा तो गुड्डू उलझन में पड़ गया। गुड्डू को सोच में डूबा देखकर शगुन ने कहा,”पता है क्यों ? क्योकि आपको कभी पिंकी से प्यार था ही नहीं , अपनी पसंद को आपने प्यार समझ लिया था। प्यार होता तो आज पिंकी गोलू जी से शादी नहीं कर रही होती”
“तुम जे सब इतना यकीन के साथ कैसे कह सकती हो ?”,गुड्डू ने पूछा तो शगुन मुस्कुराने लगी और कहा,”गुड्डू जी प्यार कहने के लिए बहुत ही आसान सा शब्द मात्र है लेकिन जब होता है तब समझ आता है ये क्या है और इसकी अहमियत तब समझ आती है जब हम इसे खो देते है। आपको कभी भी लगा की पिंकी आपको नहीं मिली तो आप मर जायेंगे ?”
“नहीं,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“आज से पहले कभी भी आप उदास हुए तो क्या आपको कभी पिंकी का ख्याल आया ?”,शगुन ने फिर सवाल किया
“नहीं,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“कभी लगा की पिंकी आपकी बेस्ट चॉइस है ?”,शगुन ने गुड्डू की आँखों में झांकते हुए कहा
“शायद नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने थोड़ा उदास होकर कहा
“कभी उसके करीब जाने का दिल किया ?”,शगुन ने पूछा
“नहीं,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा।
“जब इतना नहीं नहीं है आपकी जिंदगी में तो फिर क्यों पिंकी के पीछे पड़े है आप ? अपने आस पास और अच्छी लड़किया नहीं दिखती क्या आपको ?”,शगुन ने किसी टीचर की तरह गुड्डू को फटकार लगाते हुए कहा
“ए शगुन गुप्ता जे मास्टरनी की तरह ना डाँटो हमको”,गुड्डू ने चिढ़ते हुए कहा
“नहीं तो क्या कर लेंगे आप ? इतने बड़े हो गए है लेकिन छोटी सी बात समझ नहीं आती आपको प्यार करने चले है प्यार का मतलब भी पता है आपको , जब कोई हमे अच्छा लगता है तो उसकी अच्छाई और बुराई दोनों अपनानी पड़ती है हमे। बिना किसी स्वार्थ के किसी की परवाह करना प्यार है , किसी की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूंढना है प्यार , किसी पर खुद से ज्यादा भरोसा करना है प्यार , प्यार चीजों को आसान बनाता है मुश्किल नहीं , प्यार में आप अपने मन की हर बात सामने वाले से कह सकते है निसंकोच , बिना डरे। जिसके बिना जिंदगी जीने की कल्पना करना भी मुश्किल लगे वो है प्यार , जिसके लिए आप दुनिया से लड़ जाए वो है प्यार , जिसे देखकर आपका खराब से खराब मूड भी ठीक हो जाये वो है प्यार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और मुझे नहीं लगता गुड्डू जी आपको पिंकी से कभी ऐसा प्यार हुआ है”,शगुन ने कहा तो गुड्डू उसकी और देखने लगा।
सच ही तो कह रही थी शगुन गुड्डू को पिंकी पसंद जरूर थी लेकिन पिंकी को लेकर कभी उसने ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था। गुड्डू ने शगुन की तरफ देखा और कहा,”क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है ?”
शगुन ने गुड्डू की तरफ देखा और कहने लगी,”इस दुनिया में हर कोई हर किसी से प्यार करता है गुड्डू जी लेकिन जो इस प्यार के पीछे भागते है ये उन्हें नहीं मिलता और जिन्हे मिलता है उन्हें इसकी कद्र नहीं होती”
कहते हुए शगुन की आँखे नम हो गयी वह जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”शगुन,,,,,,,,,,!!
शगुन पलटी तो गुड्डू बिना कुछ कहे आकर सीधा शगुन के गले लग गया और कहने लगा,”हमे माफ़ कर दो , हमसे गलती हो गयी जिसे हम प्यार समझ रहे थे वो सिर्फ हमारी आँखों का धोखा था शगुन,,,,,,,,,,,,,,,,प्यार का होता है जे हमे नहीं पता बस दुनिया की भेड़चाल में हम भी शामिल हो गए। इन सब में हमने सबका बहुत दिल दुखाया है , घरवालों का , गोलू का और सबसे ज्यादा तुम्हारा,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारा हमारा रिश्ता का है जे तो हम नहीं जानते पर जे ना प्यार से भी बहुते ऊपर है !!”
शगुन की धड़कने इस वक्त तेज थी गुड्डू पहली बार उसके गले लगा था वो भी पूरी फीलिंग के साथ शगुन की आँखों में आंसू भर आये उसका दिल किया अभी के अभी गुड्डू को सब सच बता दे लेकिन इस वक्त वह इस पल को खोना नहीं चाहती थी।
शगुन गुड्डू के गले लगी रही। शगुन को गले लगाए गुड्डू एक पॉजिटिव अहसास हो रहा था , उसके मन में जितनी भी उलझन थी , दिमाग पर गोलू को लेकर जितना भी बोझ था सब धीरे धीरे कम हो रहा था। कुछ देर बाद शगुन गुड्डू से दूर हुई और कहा,”इसका मतलब आपने गोलू जी को माफ़ कर दिया ?”
“एक शर्त पर माफ़ करेंगे”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखते हुए कहा
“कैसी शर्त ?”,शगुन ने कहा
“कल गोलू की शादी में तुम हमारे साथ जाओगी”,गुड्डू ने कहा
“उनकी शादी में तो हम सभी जा रहे है”,शगुन ने कहा
“हाँ लेकिन तुम हमारे साथ जाओगी”,गुड्डू ने शगुन पर हक़ जताते हुए कहा जो की शगुन को भी अच्छा लग रहा था। उसने मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला दिया। गुड्डू वही खड़ा प्यार से शगुन को देखता रहा , आज उसे शगुन की शर्म नहीं आ रही थी। कुछ देर बाद शगुन ने कहा,”वैसे इतनी ठण्ड में आप यहाँ क्या कर रहे है ?”
“वो तुमहू कही थी ना की अपने आस पास लड़की दिखाई नहीं देती हमे , वही ढूंढने आये थे”,गुड्डू ने शगुन को चिढ़ाने के लिए शरारत से कहा और शगुन चिढ भी गयी। उसने गुड्डू को घूरते हुए कहा,”अच्छा रुकिए अभी दिखाती हूँ आपको लड़की”
कहते हुए शगुन गुड्डू के पीछे दौड़ पड़ी। खाली छत पर चांदनी रात में दोनों भाग रहे थे। आज घर में कोई था भी नहीं जो उन्हें रोके। वेदी थी जो की अपने कमरे में थी और अम्मा थी जो की घोड़े बेचकर सो रही थी। मिश्रा जी और मिश्राइन गोलू के घर में थे। भागते भागते गुड्डू दिवार के पास चला आया और शगुन उसके सामने , भागने का रास्ता नहीं मिला तो गुड्डू वही रुक गया और शगुन ने कहा,”आपको क्या लगता है मैं आपको पकड़ नहीं सकती , आप जैसे बच्चो को बहुत
दौड़ाया है मैंने बनारस में”
“हम बच्चे नहीं है”,गुड्डू ने कहा
“हरकते तो आपकी सारी बच्चो वाली है , मुझे तो लगता है आप कभी बड़े होंगे नहीं”,शगुन ने कहा
” देखो बेटा बात ऐसी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,(गुड्डू के मुंह से अपने लिए बेटा शब्द सुनकर शगुन ने उसे घुरा तो गुड्डू ने बात बदल दी),,,,,,,,,,,मतलब कोई इंसान मैच्योर है ये दिखाने के लिए जरुरी है वो दिनभर सीरियस होकर घूमे , ज्ञान वान बाटे और शांत रहे,,,,,,,,,कुछ हमाये जैसे भी बड़े भी होते है जो हर हाल में खुश रहकर अपनी जिंदगी जीते है,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा मतलब दिनभर आपकी तरह ये सब हरकते करते रहो”,शगुन ने कहा
“इंसान ना उसी के सामने अपना बचपना जाहिर करता है जिसके सामने वह सहज होता है , और रही बात तुम्हायी तो तुम्हे परेशान करके हमे बड़ा मजा आता है।”गुड्डु ने मुस्कुरा कर कहा
“कर लीजिये आप भी परेशान आज आपका दिन कल मेरा आएगा”,शगुन ने कहा और जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”तो कल चल रही हो ना हमाये साथ ?”
“हमारे आस पास लड़को की कमी नहीं है”,शगुन ने मुंह बनाकर कहा
“जरा उनको पूछ लेना उनमे हिम्मत है क्या तुम्हाये साथ जाने की ?”,गुड्डू ने उसके पास आकर कहा
“क्यों ? क्यों नहीं जायेंगे ?”,शगुन ने गुड्डू की तरफ देखकर पूछा
“कोई जाकर तो देखे वही पेल देंगे उसको”,गुड्डू ने भँवे चढ़ाकर कहा तो शगुन उसके थोड़ा पास आयी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”क्यों गुंडे हो आप ?”
“हम कहानी के हीरो है , कभी इतना स्मार्ट गुंडा देखा है किसी कहानी में,,,,,,,,,,,तो डन है कल तुम हमाये साथ चल रही हो,,,,,,,,,,,,,,,गोलू को सरप्राइज देंगे”, गुड्डू ने अपने हाथ से अपनी दाढ़ी को सेट कर क्यूट सा चेहरा बनाते हुए कहा। शगुन उसके चेहरे की और देखने लगी तो गुड्डू ने कहा,”अब ऐसे भी मत देखो हमे शरम आती है”
“आप कल सच में चलेंगे ना ? मतलब मजाक तो नहीं कर रहे है ?”,शगुन को अभी भी थोड़ा डाउट था इसलिए उसने पूछ लिया।
“हां सच में बस तुम गोलू को बताना मत हम आएंगे ठीक है , अब चलो नीचे ठण्ड लग रही है हमे”,गुड्डू ने शगुन से कहा
“थैंक्यू”,शगुन ने मुस्कुराकर कहा
“जे किसलिए ? और अगर बोलना ही है तो ढंग से बोलो ना जे का सिर्फ थैंक्यू “,गुड्डू ने शगुन को देखकर कहा
“थैंक्यू तो ऐसे ही बोलते है और कैसे बोलते है ?”,शगुन ने कहा।
“और भी तरीके है लेकिन अभी हम तुमको समझा नहीं सकते वरना तुमको लगेगा हम तुम्हारा फायदा उठा रहे है”,गुड्डू ने आगे बढ़ते हुए कहा
“दुनिया का पहला पति है जो अपनी बीवी से ऐसी बातें करता है ? क्या होगा आपका ?”,शगुन बड़बड़ाते हुए गुड्डू के पीछे चली आई। गुड्डू ने उसे जाकर सोने को कहा और खुद अपने कमरे में चला आया। गुड्डू खुश था , गोलू के लिए उसका गुस्सा कम हो चुका था , शगुन की फीलिंग्स भी वह जान चुका था , पिंकी अब उसकी जिंदगी और सोच से हमेशा के लिए जा चुकी थी और गुड्डू,,,,,,,,,,,,,,,,,उसे अब धीरे धीरे महसूस हो रहा था की जिस प्यार की शगुन बात कर रही थी वह प्यार उसे शगुन से हो रहा है। गुड्डू आकर बिस्तर पर लेट गया और शगुन के बारे में सोचने लगा। शगुन के साथ बिताये सारे अच्छे पल एक एक करके गुड्डू की आँखों के सामने आने लगे। नींद ने उसे कब अपने आगोश में लिया उसे पता ही नहीं चला।
अगली दोपहर मिश्रा जी , वेदी और मिश्राइन तैयार होकर गोलू के घर के निकल गए। जैसा की शगुन का गुड्डू के साथ जाना तय था उसने मिश्राइन से कहा की वह गुड्डू को लेकर शाम बारात रवानगी के समय आ जाएगी। मिश्रा जी गाड़ी लेकर वहा से निकल गए। शगुन ने घर के बाकि सब काम निपटा लिए। शाम 5 बजे गुड्डू आया उसके हाथ में बैग्स थे जिनमे नए कपडे जूते बाकि सामान था उसने शगुन से तैयार होने को कहा और खुद अपने कमरे में चला आया। गुड्डू अपने लिए व्हाइट शर्ट , ग्रीन शूज , जूते लेकर आया था। जब उसने उन्हें पहना तो बहुत अच्छा लग रहा था। आज कई दिनों बाद उसने बालो के सेट किया , दाढ़ी को भी हल्का ट्रिम किया और नया परफ्यूम भी लगाया। गुड्डू आज सिर्फ गोलू की शादी में ही नहीं जा रहा था बल्कि उसके दिमाग में एक चीज और चल रही थी जो आज उसे करनी थी। उसने अपना फोन उठाया और मनोहर को फोन लगाया
“हेलो गुड्डू , कहा है यार तू ? गोलू की शादी में क्यों नहीं आ रहा ? देख तुम दोनों का झगड़ा एक तरफ और दोस्त की शादी एक तरफ ,, आजा ना यार तेरे बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा है”,मनोहर ने फोन उठाते ही कहा
“मनोहर पहले हमायी बात सुनो , हमे किसी के सामने अपनी फीलिंग शेयर करनी है पर कैसे करे समझ नहीं आ रहा ? तुम कुछो आइडिआ दो ना हमे”,गुड्डू ने कहा
“किस से कर रहा बे ?”,मनोहर ने हैरानी से कहा
“अरे शगुन , हमे उसे बताना है की हम उसे पसंद करते है”,गुड्डू ने हिचकिचाते हुए कहा
“बेटा तुम हमसे ठीक से नहीं कह पा रहे हो उस से क्या कहोगे ?”,मनोहर ने हँसते हुए कहा
“इसलिए तो तुम्हे फोन किया है , सोचकर ही बहुत घबराहट हो रही है , तुम बताओ ना हम ऐसा का करे जिस से उसे पता चल जाये ?”,गुड्डू ने कहा
“एक काम कर एक बढ़िया सी अंगूठी लो , अपने घुटने पर बैठो और शगुन की तरफ बढ़ा दो ,, चुटकी में पिघल जाएगी वो”,मनोहर ने कहा
“पक्का ना”,गुड्डू ने पूछा
“अरे पक्का , लड़कियों को अच्छा लगता है जे सब , अच्छा अभी मुझे निकलना है शाम को गोलू की शादी में आ जाना वही मिलता हूँ तुझसे”,कहकर मनोहर ने फोन काट दिया। गुड्डू ने फोन ड्रेसिंग पर रखा और कहने लगा,”अब इस वक्त अंगूठी कहा से लाये हम ?”
गुड्डू सोच ही रहा था की तभी उसे दिन वाली बात याद आयी जब उसकी छोटी ऊँगली की अंगूठी बेड के नीचे चली गयी थी। गुड्डू बेड की तरफ आया और धक्का मारकर उसे साइड में खिसकाया। अंगूठी दिखाई दी और उसके साथ ही एक फोन भी जिस पर धूल जम चुकी थी। गुड्डू ने फोन उठाया और उसकी मिटटी साफ करके उसे देखते हुए कहा,”जे फोन किसका है और यहाँ कैसे आया ?”
गुड्डू कबर्ड की तरफ आया उसने जैसे ही फोन का पावर बटन ऑन किया सामने से शगुन ने आकर कहा,”चले गुड्डू जी ?”
गुड्डू ने शगुन को देखा तो नजर उस पर ठहर सी गयी। शगुन उस लहंगे में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। गुड्डू ने हाथ में पकडे फोन को कबर्ड में रखा और दरवाजा बंद करते हुए कहा,”हां चलते है”
अपना फोन लेकर गुड्डू वहा से चला गया। कबर्ड में रखा फोन ऑन हो चुका था और उस पर नोटिफिकेशन की बाढ़ सी आ गयी।
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