Manmarjiyan – S67
गोलू और पिंकी अपनी सगाई से बहुत खुश थे। गुप्ता जी और शर्मा जी के बीच सब गलतफहमियां दूर हो चुकी थी। मिश्रा जी ने भी गोलू की मदद कर अपना वादा निभाया अब बस उनका ध्यान सिर्फ गुड्डू पर था की कैसे भी करके उसके अतीत की सच्चाई वे उसके सामने लेकर आये और गुड्डू शगुन को अपनी पत्नी के रूप में अपना ले।
गोलू की तबियत खराब जानकर गुड्डू स्टाफ के साथ बरेली चला गया। गुड्डू ने पूरी मेहनत से सब अरेजमेंट्स करवाए और एक एक चीज वह खुद देख रहा था उस से दो बातें हुयी की एक तो गुड्डू को उस काम को समझने में आसानी हो रही थी दुसरा वह पहली बार अकेले कुछ काम कर रहा था। घर का ऑनर भी गुड्डू और उसके काम से काफी खुश था। रात में स्टाफ को खाना खाने का बोलकर गुड्डू गाड़ी में आकर बैठ गया। सुबह से काफी थक चूका था। हालाँकि की गुड्डू और उसके स्टाफ को अंदर रुकने के लिए रूम मिला भी था लेकिन गुड्डू को वहा भीड़ में अजीब सी घुटन हो रही थी। गाड़ी की सीट को उसने पीछे किया और उस पर लेट गया। दोनों हाथ सर के नीचे लगा लिए। गुड्डू शगुन के बारे में सोचने लगा सबसे ज्यादा उसे वो पल याद आ रहे थे जो उसने शगुन के साथ बनारस में बिताये थे। एक एक पल किसी खूबसूरत फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने चलने लगा था। हालाँकि गुड्डू शगुन से नाराज था लेकिन फिर भी उसके बारे में सोचकर मुस्कुरा रहा था। और फिर गुड्डू को याद आया छत पर गुड्डू के करीब आकर शगुन का उसे किस करना ,, एक सिहरन सी गुड्डू के पुरे जिस्म में दौड़ गयी। वह उठकर बैठ गया और बड़बड़ाने लगा,”जे सही है शगुन गुप्ता हमाये साथ आओ तो हमे अपनी यादो से परेशान कर दो , हमे तो जे नहीं समझ आ रहा की हमहू तुम्हाये बारे में इतना सोचते काहे है ? वैसे तुमहू अच्छी हो,,,,,,,,,,,,,,अच्छी का बहुते अच्छी हो लेकिन गोलू ने जब तुम्हारा हाथ पकड़ा तो हमे अच्छा नहीं लगा,,,,,,,,,,,,,,,हम तुम पर और गोलू पर शक नहीं कर रहे है बस बता रहे है की अच्छा नहीं लगा। हम गुस्सा है तो मना भी तो सकती थी ना हमे पर हम घर से आये तो तुम मिलने तक नहीं आयी , कभी कभी तुम्हे समझना भी थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वैसे सच कहे तो आदत हो गयी है हमे तुमसे बात करने की , तुम्हे परेशान करने की , तुम्हे छेड़ने की , तुम्हारा वो गुस्सा देखने की जिसमे ढेर सारा प्यार छुपा रहता है। अब का ही कहे तुमको तो हमायी याद भी नहीं आ रही होगी ? याद क्या तुमहू तो खाना खा के मस्त सो रही होगी अपने कमरे में और हिया हम जाग रहे है , उसके बारे में सोच रहे है जिस से नाराज है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कसम से खुद में उलझा दी हो यार हमे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर हमे एक बार तुमसे उलझना है , बहुत कुछ सुलझाने के लिए। जे सादी आराम से निपट जाये का है की इस वक्त बहुते बड़ी जिम्मेदारी है हमाये कंधो पर और हमहू किसी तरह की गड़बड़ नहीं चाहते है ,, जे निपटा ले फिर तुमसे निपटते है”
गुड्डू ने कहा और एक बार फिर सीट पर लेटकर आँखे मूंद ली लेकिन ना शगुन की यादो ने उसका पीछा छोड़ा ना उसके चेहरे ने,,,,,,देर रात गुड्डू को नींद आ गयी।
गुड्डू नहीं था इसलिए शगुन गुड्डू के कमरे में सोने चली आयी कितनी दिनों बाद उसे इस कमरे में रहने का मौका मिल रहा था। शगुन कमरे में आयी बिस्तर सही किया , तकिये एक तरफ रखे , गुड्डू के जो कपडे बिखरे थे उन्हें कबर्ड में रखा और फिर आकर ड्रेसिंग पर रखा सामान ज़माने लगी। ये करते हुए शगुन की नजर पास ही टेबल पर रखी गुड्डू की तस्वीर पर चली गयी। शगुन ने उसे उठाया और अपने दुपट्टे से उस पर जमी धूल साफ करते हुए कहने लगी,”इतना वक्त हो चुका है हमे साथ रहते हुए पर आप आज तक नहीं समझ पाये की मेरे दिल में आपके लिए कितना प्यार है। आपके करीब आओ तो आप मुझसे नजरे चुराने लगते हो , कुछ कहना चाहो तो बातो को गोल गोल घूमाने लगते हो लेकिन आपकी आँखों में देखो तो समझ आता है गुड्डू जी के कही ना कही आपके मन में भी वो भावनाये है जो मेरे मन में है,,,,,,,,,,,,,,एक पत्नी होने के नाते मेरा भी दिल करता है की आपके साथ बैठकर आपको दिनभर का हाल सुनाऊ , आपकी बाते सुनु ,, आपसे पूछकर आपकी पसंद का खाना बनाऊ , आपके साथ कुछ वक्त बिताऊ , जब दिल करे आपके सीने से लगकर आपको बताऊ के मुझे आपसे कितना प्यार है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर लगता है जैसे वो पल मेरी जिंदगी में कभी आएंगे ही नहीं। आपकी पत्नी होने के बाद भी आपके साथ एक अनजान की तरह रहना पड़ता है , आपके साथ होकर भी लगता है जैसे आपसे बहुत दूर हूँ,,,,,,,,,,,,,,,ये दूरिया कब खत्म होगी गुड्डू जी। सब कुछ है मेरे पास सिवाय आपके , आपके प्यार के , ये नाटक अब मुझसे नहीं होते मैं आपकी पत्नी बनकर आपके साथ रहना चाहती हूँ ,, वो सारे हक़ आपको देना चाहती हूँ जो असल में आपके है ,, जब मेरे करीब आते आते आप रुक जाते , मुझे छूते हुए जब आपके हाथ कांपते है , जब मुझसे कुछ कहने में आपको नजरे झुकानी पड़ती है तब बहुत बुरा लगता है मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक पत्नी होने के नाते मैं आपको कुछ नहीं दे पायी ना अपना प्यार ना अपना वक्त,,,,,,,,,,,खैर ये सब बाते मैं आपकी तस्वीर से ही कर सकती हूँ असल में तो मुझे ये सब कहने का भी हक नहीं है।”
कहते हुए शगुन ने गुड्डू की तस्वीर को वापस टेबल पर कह दिया और बिस्तर पर आकर एक तरफ लेट गयी। आधी जगह गुड्डू के लिए छोड़ दी और उस जगह को अपने हाथ से सहलाते हुए कहने लगी,”आपको तो याद भी नहीं होगा कितनी ही रातें हमने एक दूसरे को ख़ामोशी से देखते हुए बिताई है। जब किसी मासूम बच्चे की तरह आप सोये रहते थे मैं अक्सर आपको देखते हुए सोचती थी की कोई इंसान इतना सीधा कैसे हो सकता है ? जब पहली रात आपने कहा की आप मेरे साथ इस कमरे में जरूर रहेंगे लेकिन आप पर मेरा कोई हक़ नहीं होगा तब वो बात बहुत चुभी थी मुझे लेकिन जब धीरे धीरे आपको जानने लगी समझने लगी तब अहसास हुआ की उस रात के बाद आपने कभी अपनी मर्यादा नहीं भूली , आपने मेरी इजाजत के बिना मुझे कभी छुआ भी नहीं था और आपकी इन्ही बातो ने मुझे मजबूर कर दिया आपसे प्यार करने के लिए आपके करीब आने के लिए। क्या आपको कुछ भी याद नहीं है , क्या आपको वो मंडप याद नहीं है जिसकी अग्नि के साथ सात फेरे लेते हुए आपने मुझे वचन दिया था की आप हमेशा मेरा साथ देंगे। क्या आपको वो रात याद नहीं है जब आप दर्द में थे और मेरे गले आ लगे थे और कहा था की आप मेरे साथ है। बीते वक्त को जब याद करती हूँ तो आँखे नम हो जाती है इसलिए याद करना नहीं चाहती पर मैं खुद को रोक नहीं सकती गुड्डू जी,,,,,,,,,,,हर सुबह हर शाम मन में बस एक यही आस रहती है की किसी दिन आप आकर कहोगे आपको सब याद आ गया है आपको आपकी शगुन याद आ गयी है।”
ये सब कहते कहते शगुन की आँखे नम हो गयी। शगुन तकिये में मुंह छुपाकर सिसकने लगी। गुड्डू को लेकर शगुन की भावनाये सच्ची थी। जबसे उसकी गुड्डू से शादी हुई थी तबसे ही वह बस परेशानियों से झूंझते आयी थी उसे कभी गुड्डू का प्यारभरा साथ नसीब ही नहीं हुआ और जब उसकी जिंदगी में अच्छा वक्त आने वाला था उसी वक्त गुड्डू की यादास्त चली गयी। किस्मत ने शगुन को फिर से पीछे ला पटका और एक बार फिर शगुन को गुड्डू का दिल जितने के लिए शुरू से शुरुआत करनी पड़ी। गुड्डू के नेचर वाकिफ थी इसलिए हमेशा कोशिश करती की गुड्डू उसकी किसी बात का बुरा न मान जाये। शगुन को गुड्डू को सम्हालना किसी बच्चे को सम्हालने जैसा था जबकि गुड्डू के दो किरदार थे एक जिसमे गुड्डू हमेशा बेपरवाह रहता था , मस्ती मजाक करता था और मिश्रा जी से डांट खाता रहता था और दूसरा किरदार उसकी समझदारी वाला जिस से शगुन शायद अभी तक अनजान थी। शगुन ने गुड्डू को मस्ती करते देखा लेकिन कभी उसे लोगो की मदद करते नहीं देखा। उसने गुड्डू को गलतिया करते देखा लेकिन कभी गलतियों को सुधारते नहीं देखा , उसने गुड्डू को शरमाते नजरे चुराते देखा लेकिन कभी ये नहीं देखा की गुड्डू कितना रोमांटिक लड़का था ,, वह खत लिखने में विश्वास रखता था।
गुड्डू के बारे में सोचते शगुन को कब नींद आयी पता ही नहीं चला।
अगली सुबह मिश्रा जी नाश्ता करके शोरूम चले गए। गोलू की सबसे बड़ी समस्या हल हो चुकी थी इसलिए उसने बरेली जाने का सोचा ताकि गुड्डू की मदद कर सके। सुबह सुबह वो मिश्रा जी के घर पहुंचा मिठाई लेके आखिर अपनी प्यारी भाभी और बाकि लोगो का मुंह मीठा जो करवाना था। गोलू आया देखा शगुन पूजा कर रही थी। शगुन पूजा करके जैसे ही आयी गोलू ने उसे मिठाई खिलाते हुए कहा,”बहुत बहुत शुक्रिया आपका , आपने हमाये लिए जो किया उसे जिंदगीभर नहीं भूलेंगे”
शगुन ने सूना तो फीका सा मुस्कुरा दी। शगुन का उतरा हुआ चेहरा देखकर गोलू ने कहा,”का हुआ आप कुछो परेशान है ?”
“नहीं गोलू जी बस ऐसे ही आप बताईये पिंकी के घरवाले मान गए ना ?”,शगुन ने अपनी उदासी छुपाते हुए कहा
“अरे भाभी मान भी गए और जे अंगूठी भी पहना दी”,गोलू ने खुश होकर कहा
“कितने किस्मत वाले हो ना आप गोलू जी जिन्हे अपना प्यार मिल गया”,कहते कहते शगुन फिर उदास हो गयी गोलू ने देखा तो समझ गया की शगुन गुड्डू को लेकर ये सब कह रही है। अब तक हमारे गोलू महाराज को एक नया चस्का लग चुका था और वो था झूठ बोलने का। गोलू ने मिठाई का डिब्बा रखा और कहा,”जे लो हम तो आपको बताना ही भूल गए”
“क्या गोलू जी ?”,शगुन ने कहा
“कल रात गुड्डू भैया का फोन आया था पता है का का रहे थे ? कह रहे थे की बरेली में मन नहीं लग रहा उनका , और सबसे ज्यादा मिस पता है किसे कर रहे थे ?”,गोलू ने कहा
“किसे ?”,शगुन ने बेचैनी से कहा जैसे वह अपना नाम सुनना चाहती थी
“आपके हाथ से बने खाने को”,गोलू ने बड़े ही प्यार से कहा तो शगुन मुस्कुरा उठी। उसे ना सही गुड्डू कम से कम उसके बनाये खाने को तो याद कर रहा है।
“वैसे हम जा रहे है बरेली आप चलेंगी साथ में , अपने गुड्डू जी से भी मिल लीजियेगा”, गोलु ने शगुन को छेड़ते हुए कहा इतने में मिश्राइन आयी और कहा,”अरे गोलू सुबह सुबह यहाँ सब ठीक है ?”
“अरे चाची जे लो मिठाई खाओ , मिश्रा जी इस बार हमायी नैया पार लगा दिए”,गोलू ने मिठाई का डिब्बा मिश्राइन की ओर बढ़ाते हुए कहा
“बहुत बहुत मुबारक हो”,मिश्राइन ने कहा और गोलू से कुछ बात करने लगी शगुन वहा से चुपचाप किचन की तरफ चली आयी उसने गैस पर आलू चढ़ाये और आलू का भरता बनाने लगी। गोलू वेदी से मिला वेदी भी ये जानकर खुश हुई की गोलू का रिश्ता हो गया है उसने चहकते हुए कहा,”गोलू भैया इस बात पर तो हम आपसे बड़ी वाली पार्टी लेंगे”
“हाँ हां पक्का वेदी सोनू भैया की दुकान पर पिज्जा कहने चलेंगे सारे”,गोलू ने कहा
कुछ देर बाद शगुन आयी और अपने हाथ में पकड़ा डिब्बा गोलू की ओर बढ़ाते हुए कहा,”मैं तो बरेली नहीं जा सकती लेकिन आप ये गुड्डू जी को दे देना , इसमें उनकी पसंद का आलू का भरता है”
गोलू ने सूना तो मुस्कुराते हुए हामी भर दी और वहा से चला गया। गोलू के जाने के बाद शगुन अपने काम में लग गयी
गोलू बरेली पहुंचा वहा जाकर उसने देखा गुड्डू ने उसके बिना ही सारे अरेजमेंट्स अच्छे से करवा दिए है। गोलू गुड्डू के पास आया और कहा,”अरे वाह गुड्डू भैया तुमहू तो कमाल कर दिए मतलब हमाये बिना ही इतना सब कर लिया”
“अरे गोलू अच्छा हुआ तुमहू आ गए यार जे दुल्हन की सहेलियों से परेशान हो गए है हम”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया जहा कृष्ण कन्हैया होंगे वहा गोपिया तो होंगी ही ना पर हमारे कन्हैया के मन में सिर्फ राधा रहनी चाहिए ,, नहीं समझे ? ,,,,,, अच्छा छोडो ये सब और जे लो आपकी राधा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब शगुन जी ने आपके लिए भेजा है”,गोलू ने कहा और डिब्बा गुड्डू को थमा दिया।
“उन्होंने भेजा है , मतलब सच में ?”,गुड्डू को जैसे यकीन ही नहीं हुआ हो
“अरे गंगा मैया की कसम यार हम काहे झूठ बोलेंगे ?”,गोलू ने कहा तो गुड्डू के होंठो पर मुस्कान तैर गयी उसने डिब्बा लिया और खोलकर देखा। बड़ी ही अच्छी खुशबू डिब्बे से आ रही थी। गुड्डू ने एक टुकड़ा उठाया और खाकर कहा,”अये गजब , बहुते अच्छा बना है यार”
“लाओ हमको भी चखाओ”,जैसे ही एक निवाला उठाने की कोशिश की गुड्डू ने डिब्बा बंद करते हुए कहा,”तुम्हे काहे खिलाये ? हमाये लिए भेजा है सिर्फ हम खाएंगे ,, तुमहू जाके उह शादी वाला खाना खाओ”
” सही है भैया लड़की आते ही दोस्त को भूल गए”,गोलू ने मुंह बनाकर कहा और वहा से चला गया। गुड्डू डिब्बा लेकर टेबल के पास आया और बैठकर खाने लगा। हर एक निवाले पर शगुन का ख्याल आ रहा था। खाते खाते गुड्डू ने खुद से कहा,”हमहू खामखा उनसे नाराज हो गए उह कितनी अच्छी है हमाये लिए जे सब बनाकर भेजी है”
कुछ ही दूर खड़े गोलू ने गुड्डू को देखा तो मन ही मन कह उठा,”दोनों के मन में इतना प्यार है एक दूसरे के लिए फिर भी छुपाते रहते है , एक बार गुड्डू भैया अपने दिल की सुन ले बस उसके बाद इन्हे कुछ याद दिलाने की जरूरत नहीं है”
ये सब कहते कहते शगुन की आँखे नम हो गयी। शगुन तकिये में मुंह छुपाकर सिसकने लगी। गुड्डू को लेकर शगुन की भावनाये सच्ची थी। जबसे उसकी गुड्डू से शादी हुई थी तबसे ही वह बस परेशानियों से झूंझते आयी थी उसे कभी गुड्डू का प्यारभरा साथ नसीब ही नहीं हुआ और जब उसकी जिंदगी में अच्छा वक्त आने वाला था उसी वक्त गुड्डू की यादास्त चली गयी। किस्मत ने शगुन को फिर से पीछे ला पटका और एक बार फिर शगुन को गुड्डू का दिल जितने के लिए शुरू से शुरुआत करनी पड़ी। गुड्डू के नेचर वाकिफ थी इसलिए हमेशा कोशिश करती की गुड्डू उसकी किसी बात का बुरा न मान जाये। शगुन को गुड्डू को सम्हालना किसी बच्चे को सम्हालने जैसा था जबकि गुड्डू के दो किरदार थे एक जिसमे गुड्डू हमेशा बेपरवाह रहता था , मस्ती मजाक करता था और मिश्रा जी से डांट खाता रहता था और दूसरा किरदार उसकी समझदारी वाला जिस से शगुन शायद अभी तक अनजान थी। शगुन ने गुड्डू को मस्ती करते देखा लेकिन कभी उसे लोगो की मदद करते नहीं देखा। उसने गुड्डू को गलतिया करते देखा लेकिन कभी गलतियों को सुधारते नहीं देखा , उसने गुड्डू को शरमाते नजरे चुराते देखा लेकिन कभी ये नहीं देखा की गुड्डू कितना रोमांटिक लड़का था ,, वह खत लिखने में विश्वास रखता था।
गुड्डू के बारे में सोचते शगुन को कब नींद आयी पता ही नहीं चला।
अगली सुबह मिश्रा जी नाश्ता करके शोरूम चले गए। गोलू की सबसे बड़ी समस्या हल हो चुकी थी इसलिए उसने बरेली जाने का सोचा ताकि गुड्डू की मदद कर सके। सुबह सुबह वो मिश्रा जी के घर पहुंचा मिठाई लेके आखिर अपनी प्यारी भाभी और बाकि लोगो का मुंह मीठा जो करवाना था। गोलू आया देखा शगुन पूजा कर रही थी। शगुन पूजा करके जैसे ही आयी गोलू ने उसे मिठाई खिलाते हुए कहा,”बहुत बहुत शुक्रिया आपका , आपने हमाये लिए जो किया उसे जिंदगीभर नहीं भूलेंगे”
शगुन ने सूना तो फीका सा मुस्कुरा दी। शगुन का उतरा हुआ चेहरा देखकर गोलू ने कहा,”का हुआ आप कुछो परेशान है ?”
“नहीं गोलू जी बस ऐसे ही आप बताईये पिंकी के घरवाले मान गए ना ?”,शगुन ने अपनी उदासी छुपाते हुए कहा
“अरे भाभी मान भी गए और जे अंगूठी भी पहना दी”,गोलू ने खुश होकर कहा
“कितने किस्मत वाले हो ना आप गोलू जी जिन्हे अपना प्यार मिल गया”,कहते कहते शगुन फिर उदास हो गयी गोलू ने देखा तो समझ गया की शगुन गुड्डू को लेकर ये सब कह रही है। अब तक हमारे गोलू महाराज को एक नया चस्का लग चुका था और वो था झूठ बोलने का। गोलू ने मिठाई का डिब्बा रखा और कहा,”जे लो हम तो आपको बताना ही भूल गए”
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क्रमश – मनमर्जियाँ – S68
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संजना किरोड़ीवाल