Manmarjiyan – S62
मनमर्जियाँ – S62
गोलू के लिए गुड्डू एक बार फिर अपनी पहले वाली फोम में आ चुका था आखिर उसके इकलौते दोस्त की जिंदगी का सवाल था। गुड्डू ने केशव पंडित के घर आकर उसे धमकाया और साथ ही ये भी कहा की कैसे भी करके ये रिश्ता नहीं होना चाहिए। केशव पंडित जब डराने से नहीं डरा तो गुड्डू ने फिर केशव पंडित की रंगबाजी का किस्सा उसे सुनाया तब जाकर केशव पंडित तैयार हुआ।
गुड्डू और गोलू केशव पंडित के यहाँ से बाहर निकल आये। गुड्डू ने बाइक स्टार्ट की और गोलू से बैठने का इशारा किया लेकिन गोलू सोच में डूबा वही खड़ा रहा। गुड्डू ने उसके कंधे को छूकर झंकझोड़ा और कहा,”अबे गोलू का हुआ बइठो”
गोलू आकर गुड्डू के पीछे बैठ गया गुड्डू ने बाइक आगे बढ़ा दी और गोलू को लेकर पुलिया के पास ले आया। बाइक को साइड में खड़ा करके गुड्डू गोलू को लेकर वहा पड़े पत्थरो पर जा बैठा। गोलू अभी भी शांत था गुड्डू ने देखा तो कहा,”अब का हुआ गोलू सब जुगाड़ कर तो दिया , टेंशन ना लो तुम्हाये पिताजी कल लड़की देखने नहीं जायेंगे”
“जे बात नहीं है यार गुड्डू भैया , आपके प्लान के हिसाब से पिताजी सिर्फ कल कल लड़की देखने नहीं जायेंगे , उसके बाद फिर नयी लड़की देखना शुरू कर देंगे “,गोलू ने उदास होकर कहा
“तो दिक्कत का है गोलू ? शादी काहे नहीं करनी है तुमको 24 के हो चुके हो , अच्छा काम भी करने लगे हो ,, शादी कर लेनी चाहिए तुमको”,गुड्डू ने कहा
“हां लेकिन पसंद की लड़की भी तो होनी चाहिए ना”,गोलू ने एकदम से कहा
“का मतलब ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कही तुम्हारा कोई चक्कर तो नहीं चल रहा है ? ए गोलू कही तुमहू हमसे कुछो छुपा तो नहीं रहे हो ना ?”,गुड्डू ने एकदम से गोलू के सामने आकर कहा। गोलू अपनी ही बात में फंस गया कहे तो क्या कहे जवाब दे तो क्या जवाब दे ? गुड्डू एकदम से उसके सर पर ही खड़ा था। गोलू को खामोश देखकर गुड्डू ने कहा,”यार गोलू हम दोस्त है तुम्हाये हमे बताओ बात का है ? किसी को पसंद करते हो क्या तुम ?”
“गुड्डू भैया एक ठो लड़की है जिस से हमहू बहुत प्यार करते है , उह भी करती है और हमसे शादी करना चाहती है लेकिन पिताजी नहीं मान रहे”,गोलू ने धीमी आवाज में गुड्डू से नजरे चुराते हुए कहा
“जे पिताजी लोग कब माने थे जो अब मानेंगे , और साले तुमको पियार हो गया और तुमहू हमे नहीं बताये”,गुड्डू ने गोलू के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
“भैया हम बताने वाले थे लेकिन पहिले आपका एक्सीडेंट , फिर जे सब गड़बड़ , इन सबके बीच कुछो याद ही नहीं रहा”,गोलू ने कहा
“अच्छा जे सब छोडो वो लड़की कौन है हमे बताओ ? तुम्हाये लिए हम जाकर उसके पिताजी के पैर पकड़ लेंगे और उनको मना लेंगे शादी के लिए”,गुड्डू ने खुश होकर गोलू की बगल में बैठते हुए कहा
“भैया उह शर्मा जी की लड़की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गोलू के मुंह से मुश्किल से ये शब्द निकले। शर्मा जी का नाम सुनकर गुड्डू के चेहरे के भाव एकदम से बदल गये। उसने गोलू की तरफ देखा और कहा,”शर्मा जी कौन ?”
गोलू ने गुड्डू के चेहरे के भाव देखे तो कहा,”शर्मा जी वो गोविन्द मार्किट में जिनकी पान की दुकान है मोहन शर्मा जी उनकी लड़की”
जल्दबाजी में गोलू झूठ बोल गया गुड्डू ने चैन की साँस ली और कहा,”अच्छा वो शर्मा हमे लगा तुमहू दूसरे मोहल्ले वाले शर्मा जी की बात कर रहे हो ,, एक पल को तो लगा जैसे तुमहू पिंकिया से शादी करना चाहते हो”
गुड्डू उठ खड़ा हुआ गोलू ने राहत की साँस ली और मन ही मन कहा,”अच्छा हुआ हमने पिंकिया का नाम नहीं लिया वरना हमाई तेहरवी यही मन जाती”
गोलू की तरफ पीठ किये गुड्डू कहने लगा,”जिस लड़की ने हमने झूठ बोला , हमाये साथ प्यार का नाटक किया उसके साथ तुमहू शादी कैसे कर सकते हो गोलू ? तुमहू हमाये दोस्त हो तुमहू ऐसा कभी नहीं करोगे (कहते हुए गुड्डू गोलू की तरफ पलटा और कहने लगा) तुमहू सही कहते थे गोलू पिंकिया ना हमाये लायक नहीं है , वो हमाये प्यार को कभी नहीं समझ पायेगी पर हम तुम्हाये लिए बहुते खुश है की तुम्हे किसी से प्यार हुआ और अब तुम्हायी शादी भी उनसे ही होगी”
गोलू ने गुड्डू की बाते सुनी तो उसका दिल और घबराने लगा , जिस पिंकी की गुड्डू बात कर रहा था गोलू भी तो उसी से शादी करना चाहता था
“हमायी शादी की चिंता छोडो गुड्डू भैया पहले इह बताओ शगुन जी के साथ क्या मामला है आपका ?”,गोलू ने अपनी बातो से गुड्डू का ध्यान हटाने के लिए कहा
शगुन का नाम सुनते ही गुड्डू के होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी और उसने कहा,”कहा यार गोलू कुछ भी तो नहीं है , अच्छे दोस्त है दोनों बाकि समझने की कोशिश कर रहे है का रिश्ता है हमारा और उनका”
गुड्डू को शरमाते देखकर गोलू ने कहा,”सही है भैया वैसे भाभी के रूप में शगुन जी ठीक रहेंगी हमाये लिए नई”
“का यार गोलू कुछ भी बोल रहे हो ?”,गुड्डू ने कहा उसके गाल शर्म से लाल हो चुके थे
“हम तो कह रहे है शर्मा जी के साथ साथ मिश्रा जी के भी पैर पकड़ ल्यो शादी के लिए एक ही खर्चे में दो शादिया निपट जाएगी”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने उसका हाथ मोड़कर पीठ से लगाते हुए कहा,”का बेटा बड़ी चिकाई कर रहे हो , पहिले अपनी वाली को सम्हालो हमारे बारे में बाद में सोचना”
“अरे माफ़ कर दो भैया आगे से नहीं करेंगे”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने उसका हाथ छोड़ दिया और कहा,”अच्छा बहुत हुआ मजाक अब जे बताओ कल का करना है देखो केशव पंडित पर हमे ना पूरा भरोसा नहीं है उह कोई ना कोई जुगाड़ तो जरूर लगाएगा। कल कल सम्हाल लेते है उसके बाद जाकर मोहन शर्मा से भी मिल लेंगे और करेंगे बंदोबस्त तुम्हायी शादी का ,, नई ,,, चलो अब चलते है अम्मा परेशान हो रही होगी”
गुड्डू गोलू को लेकर घर की तरफ चल पड़ा। सब सही चल रहा था लेकिन गुड्डू को सब बात बताकर गोलू ने एक और नयी मुसीबत अपने सर पर ले ली ऊपर से बात भी गलत बताई। गुड्डू के पीछे बैठा गोलू महादेव को याद करके बस दुआ कर रहा था की सब ठीक हो जाये कुछो गड़बड़ ना हो। गुड्डू ने गोलू को घर छोड़ा और फिर अपने घर चला आया। मिश्रा जी उस वक्त बाहर टहलने गए हुए थे इसलिए गुड्डू ने जल्दी से बाइक स्टेण्ड पर लगायी और अंदर चला आया। हाथ मुंह धोकर उसने कहा,”अम्मा खाना लगाय दयो”
“आंटी दादी के कमरे में है आप बैठिये मैं लगा देती हूँ”,शगुन ने डायनिंग पर रखी प्लेट को सीधा करते हुए कहा
गुड्डू कुर्सी पर आ बैठा और कहा,”बाकि सबने खा लिया का ?”
“हाँ”,शगुन ने छोटा सा जवाब दिया
“और तुमने ?”,गुड्डू ने शगुन की तरफ देखकर पूछा तो शगुन ने उसकी तरफ देखा और कहा,”आज शाम में ही किसी ने मुझसे कहा था की गोलगप्पे खाने चलेंगे अब वो ठहरे बड़े लोग उनके आने जाने का कुछ वक्त नहीं रहता तो फिर मैंने भी गोलगप्पे भूलकर खाना खा लिया”
गुड्डू को याद आया उसने शगुन से गोलगप्पे खिलाने का वादा किया था लेकिन गोलू के चक्कर में सब भूल गया तो उसने कहा,”अरे माफ़ करना वो हम थोड़ा सा बिजी हो थे पर कल पक्का लेकर चलेंगे तुम्हे”
“ठीक है , खाना खाइये”,शगुन ने प्लेट गुड्डू के सामने रखते हुए कहा और फिर उसमे खाना परोसने लगी। गुड्डू अपनी कोहनी टेबल पर टीकाकर अपना हाथ अपने गाल से लगाकर शगुन को देखने लगा। खाना परोसते हुए कितनी अच्छी लग रही थी , उसके चेहरे पर कोई खुन्नस नहीं कोई परेशानी नहीं बस सिर्फ सुकून था। गुड्डू को अपनी ओर देखता पाकर शगुन ने कहा,”क्या हुआ खाना यहां है प्लेट में , आप शुरू कीजिये मैं पानी लेकर आती हूँ”
कहकर शगुन वहा से चली गयी गुड्डू को सहसा ही गोलू की कही बात याद आ गयी और वह मुस्कुराने लगा। शगुन पानी लेकर वापस आयी तो देखा गुड्डू ने खाने को छुआ तक नहीं है बस कही खोया हुआ मुस्कुराये जा रहा है। शगुन ने पानी का जग रखा और गुड्डू का सर छूते हुए कहा,”तबियत तो ठीक है ना आपकी ?”
“हाँ हाँ हम ठीक है”,गुड्डू ने जैसे नींद से जागते हुए कहा
“तो फिर खाना क्यों नहीं खा रहे है ?”,शगुन ने कहा
“हम्म्म खाते है”,कहते हुए गुड्डू ने एक निवाला तोड़ा और खा लिया। शगुन जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”शगुन”
“जी”,शगुन ने कहा
“जब तक हम खाना खाये हमाये पास बैठोगी , का है की हमे अकेले खाने की आदत नहीं है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन आकर बैठ गयी। गुड्डू अब आराम से खाने लगा। खाते खाते गुड्डू ने कहा,”अच्छा अगले हफ्ते हम गोलू के साथ बरेली जा रहे है , किसी शादी के आर्डर में”
“ये तो अच्छी बात है , आपको जाना चाहिए”,शगुन ने कहा
“हम्म्म वैसे तुम रह लोगी ना यहाँ घर में अकेले”,गुड्डू ने कहा वह जानना चाहता था की शगुन के मन में क्या चल रहा है लेकिन शगुन ने तो सिंपल सा जवाब दिया तो गुड्डू ने शगुन को छेड़ने के लिए कहा,”वैसे बरेली की लड़किया बहुते खूबसूरत होती है”
शगुन ने जैसे ही सूना उसे खुन्नस होने लगी और उसने कहा,”अच्छा तो मुझे क्यों बता रहे है ?”
“ऐसे ही मन लगा रहेगा वहा , का है की चार दिन रहना है ना वहा”,गुड्डू ने जानबूझकर शगुन को जलाने के लिए कहा लेकिन शगुन को टेंशन होने लगी। उसे परेशान देखकर गुड्डू ने कहा,”का हुआ तुम्हे जलन हो रही है का ?”
“मुझे क्यों जलन होगी ? आप कही भी जाये किसी से भी बात करे”,शगुन ने खीजते हुए कहा
“हम्म्म जे भी सही है वैसे एक बात बताये कॉलेज में ना एक लड़की थी बहुतै पागल थी हमाये पीछे , कुछ भी करने को तैयार”,गुड्डू ने कहा
“वो तो मैं भी कर सकती हूँ”,शगुन ने गुस्से गुस्से में कह दिया
“अच्छा का कर सकती हो बताओ ज़रा ?”,गुड्डू ने कहा
“आप बताओ क्या करना है ?”,शगुन ने कहा
गुड्डू ने इधर उधर देखा सामने प्लेट में रखी हरी मिर्च पड़ी थी गुड्डू ने एक उठाकर शगुन से कहा,”ल्यो फिर जे खाकर दिखाओ”
शगुन को तीखा खाने की आदत नहीं थी इसलिए उसने कहा,”ये मैं नहीं खा सकती”
गुड्डू मुस्कुराया और हरी मिर्च को वापस प्लेट में रखते हुए कहा,”तुमहू तो कह रही थी कुछ भी कर सकती हो , रहने दो तुमसे नहीं हो पायेगा” कहकर गुड्डू ने अपना ध्यान खाना खाने में लगा लिया। गुड्डू की बात शगुन को बुरी लग गयी उसने प्लेट अपनी ओर खिसकाई और एक एक हरी मिर्च उठाकर खाने लगी ,पेट में जाते ही उसे जलन महसूस हुई लेकिन उसने खाना जारी रखा , उसकी नाक लाल हो चुकी थी और आँखों में आंसू भर आये थे। खाते हुए गुड्डू ने अचानक से शगुन को देखा तो उसके हाथ से मिर्ची छीनकर कहा,”पगला गयी हो का शगुन हमहू तो बस मजाक कर रहे थे”
शगुन ने कुछ नहीं कहा बस आंसुओ से भरी आँखों से गुड्डू को देखते रही उसका मुंह जल रहा था उसने इधर उधर देखा तो गुड्डू ने पानी का ग्लास उठाकर उसकी तरफ बढ़ा दिया शगुन एक साँस में सारा पानी पी गयी। गुड्डू ने खाली ग्लास की तरफ देखकर कहा,”और चाहिए ?”
“हम्म्म”,शगुन ने हाँ में सर हिला दिया तो गुड्डू ने ग्लास में पानी डालते हुए कहा,”सही में पागल हो तुम शगुन , हम ना बस मजाक कर रहे थे तुमहू सच्ची में”
शगुन ने ग्लास टेबल पर रखा तो गुड्डू ने अपनी जेब से रुमाल निकालकर शगुन को देकर कहा अपने आँसू पोछो”
शगुन ने अपने आंसू पोछे तब तक गुड्डू अंदर से मीठा ले आया और शगुन से कहा,”ल्यो खाओ”
“मुझे नहीं चाहिए”,शगुन ने खीजते हुए कहा
“अरे खा लो तीखी जबान थोड़ी मीठी हो जाएगी”,गुड्डू ने फिर शगुन को छेड़ने के लिए कहा तो शगुन ने उसे घूरा और टेबल पर रखा ग्लास उसकी और फेंक दिया गुड्डू ने बचते हुए कहा,”अरे का कर रही हो लग जाएगी”
“आप बहुत बुरे हो”,शगुन ने कहा
“लेकिन तुमहू बहुत अच्छी हो शगुन जिसकी भी शादी तुमसे होगी ना उह बहुते खुशनसीब इंसान होगा”,गुड्डू ने बड़े प्यार से शगुन के पास आते हुए कहा
गुड्डू की इस बात से शगुन का दिल धड़कने लगा। गुड्डू ने ग्लास वापस टेबल पर रखा और शगुन से कहा,”दिनभर काम में रहते है किसी से बात ही नहीं कर पाते तुमसे कर लेते है इसलिए बुरा मत मानना”
शगुन मुस्कुराई और कहा,”ऐसे माफ़ी मांगोगे तो कोई भी माफ़ कर देगा”
गुड्डू मुस्कुराया और अपने बालो में हाथ घुमाते हुए कहा,”अरे हम है ही इतने अच्छे”
गुड्डू को अपनी तारीफ अपने मुंह से करते देख शगुन ने मन ही मन कहा,”आप कभी नहीं सुधरेंगे”
खाना खाकर गुड्डू ऊपर छत पर चला आया और सोने चला गया। सुबह गुड्डू जल्दी उठा और तैयार होकर गोलू के घर चला आया। गोलू भी गुड्डू का ही इंतजार कर रहा था। गुड्डू गोलू के पास आया और कहा,”सब ठीक है ?”
“हाँ बस केशव पंडित आ जाये , अगर नहीं आये तो आज हमारा हुतिया काटना पक्का है”,गोलू ने अपनी उंगलियों को तोड़ते मरोडते हुए कहा
“चिंता ना करो हम है ना , उह देखो केशव पंडित आ रहे है चलो चलकर देखते है”,गुड्डू ने गोलू से कहा और दोनों आँगन में चले आये जहा गुप्ता जी और गुप्ताइन लड़की वाली के घर जाने की तैयारी कर रहे थे। केशव पंडित ने जैसे ही गुड्डू गोलू को देखा उसका चेहरा उतर गया बेचारा आया तो था गुप्ता जी को गोलू की करतूत बताने लेकिन गुड्डू गोलू को साथ देखकर जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहता है,”हर हर महादेव गुप्ता जी”
“हर हर महादेव पंडित जी , बस अभी निकल ही रहे थे अच्छा हुआ आप भी आ गए साथ ही चलते है”,गुप्ता जी ने कहा
“गुप्ता जी वो हम ये कह रहे थे की ये रिश्ता नहीं हो सकता”,केशव पंडित जी ने गुड्डू की ओर देखकर कहा
“काहे का दिक्कत है ?”,गुप्ता जी ने कहा
“हमने कल लड़की और गोलू की कुंडली मिलाकर देखी पुरे 32 गुण मिलते है लेकिन,,,,,,,,,,,,!!”,पंडित जी ने बात अधूरी छोड़ दी
“लेकिन का पंडित जी ?”,गुप्ता जी के चेहरे पर चिंता के भाव उभर आये
“गोलू मांगलिक है इसकी शादी कीसी सामान्य कुंडली वाली लड़की से नहीं हो सकती इसके लिए कोई मांगलिक लड़की ही देखनी होगी”,पंडित जी ने कहा
“ल्यो हो गया बंटाधार जे गोलू की किस्मत तो बहुते बुरी है गुप्ताइन”,गुप्ता जी ने बैठते हुए कहा उनके पीछे गोलू और गुड्डू शांत मुंह लटकाये खड़े थे लेकिन अंदर उनके ढिंक-चिका चल रहा था।
क्रमश – मनमर्जियाँ – S63
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संजना किरोड़ीवाल