Manmarjiyan – S6
मिश्रा जी के कहने पर शगुन कानपूर वापस चली आई थी लेकिन गुड्डू का ख्याल वह अपने दिमाग से निकाल ही नहीं पा रही थी। कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी। पारस बाहर बेंच पर बैठा शगुन के बारे में ही सोच रहा था। हालात ऐसे हो चुके थे की किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। मिश्रा जी ने शगुन को वापस तो भेज दिया लेकिन उधर मिश्राइन ने उनसे इस बात पर बहस कर ली और किसी भी सुरत में शगुन को घर वापस लाने की बात कही।
अगली सुबह डॉक्टर के आने के बाद पारस ने उनसे शगुन को घर ले जाने की बात कही तो डॉक्टर ने कुछ दवाईयों के साथ शगुन को डिस्चार्ज कर दिया। पारस जब डॉक्टर से बात कर रहा था उसी वक्त गुप्ता जी और प्रीति भी शगुन से मिलने हॉस्पिटल चले आये। शगुन को सोता देखकर गुप्ता जी और प्रीति वही रूम में पड़ी बेंच पर बैठ गए और पारस का इंतजार करने लगे। कुछ देर बाद डिस्चार्ज फाइल और दवाईयों की थैली पकडे पारस कमरे में आया गुप्ता जी को देखकर थोड़ा हैरान हुआ और कहा,”अरे आप लोग क्यों परेशान हुए यहाँ आकर , शगुन को छुट्टी मिल गयी है डॉक्टर ने कहा है की हम उसे घर ले जा सकते है”
“ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा , अच्छा पारस कल शाम मैं यहाँ आया था तो डॉक्टर ने कहा की शगुन को कुछ टेस्ट के लिए बाहर भेजा है , सब ठीक तो है ना बेटा ?”,गुप्ता जी ने कहा
शगुन को कानपूर ले जाने की बात को लेकर पारस ने ही डॉक्टर से हेल्प मांगी और कहा की शगुन के बारे में कोई पूछे तो कोई भी बहाना बना दे। गुप्ता जी की बात सुनकर पारस ने कहा,”हां हां सब ठीक है अंकल वो बस कुछ नार्मल टेस्ट थे , शगुन बिल्कुल सही है”
पारस की बात सुनकर गुप्ता जी शगुन के पास आये और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा,”शगुन , शगुन बेटा , चलो घर चलते है”
शगुन ने अपनी आँखे खोली सामने अपने पापा को देखा तो उठकर बैठ गयी और कहा,”पापा आप यहाँ”
“हाँ बेटा तुम्हे लेने आये है , घर चलोगी ना ?”,गुप्ता जी ने प्यार से शगुन के सर पर फिराते हुए कहा तो शगुन ने हामी भर दी।
“प्रीति शगुन का जो जो सामान है उसे बैग में रख लो”,पारस ने कहा
“हां भैया”,प्रीति ने कहा और वहा रखा शगुन का सामान एक बैग में डालने लगी। शगुन के चेहरे पर उदासी और आँखों में खालीपन पसरा हुआ था। पारस सबको लेकर हॉस्पिटल से बाहर चला आया। उसने ऑटो रुकवाया और शगुन प्रीति और गुप्ता जी को उसमे बैठाकर ऑटोवाले को ध्यान से चलने को कहा। शगुन खाली आँखों से सड़क को पीछे जाते देख रही थी। ऑटो के पीछे पारस अपनी बाइक से चला आया। घर पहुंचकर पारस ने ऑटोवाले को पैसे दिए। शगुन जैसे ही ऑटो से नीचे उतरी उसने देखा अपने घर के बाहर चाचा चाची खड़े थे शगुन को देखते ही चाची मुंह बनाकर अंदर चली गयी लेकिन चाचा की आँखों में शगुन को अपने लिए चिंता नजर आयी। शगुन चाचा को देखते रही प्रीति ने देखा तो शगुन का हाथ थामकर उसे अंदर ले जाते हुए कहा,”जिन लोगो की वजह से आज हमे ये सब देखना पड़ा आप उनके लिए हमदर्दी क्यों दिखा रही है दी ? चलिए अंदर चलिए”
पारस और गुप्ता जी भी सबके साथ अंदर चले आये। प्रीति शगुन को लेकर नीचे बने रूम में ले आयी और उसे आराम करने को कहा। शगुन को कमरे में छोड़कर प्रीति किचन में चली गयी जबसे शगुन के साथ ये हादसा हुआ था उसके बाद से ही प्रीति काफी समझदार और जिम्मेदार बन चुकी थी , घर और अपने पापा की सारी जिम्मेदारियां उसने अपने सर पर ले ली। रोहन अपने ऑफिस गया हुआ था और पारस हॉल के सोफे पर बैठा गुप्ता जी को शगुन की दवाईयों के बारे में समझा रहा था। प्रीति उनके लिए चाय ले आयी और फिर चाय बिस्किट लेकर शगुन के पास चली आयी। प्रीति ने देखा खिड़की के पास खड़ी शगुन गली में खेलते बच्चो को देख रही थी। प्रीति ने चाय बिस्किट टेबल पर रखा और शगुन के पास चली आयी। उसने प्यार से शगुन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”दी आप चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा आपको पता है पापा ने जीजू के घर बात की थी अंकल ने कहा था की वे जल्दी ही आपको लेने आएंगे”
“मैं गुड्डू जी से मिलने कानपूर गयी थी”,शगुन ने प्रीति की और पलटकर बिना किसी भाव के कहा
“क्या ? कब ? और किसके साथ “,प्रीति ने चौंकते हुए कहा
शगुन ने प्रीति को कानपूर जाने से लेकर वापस आने तक की सारी बाते बताई और उदास स्वर में कहने लगी,”गुड्डू जी तो मुझे पहचानते तक नहीं है प्रीति , उन्हें कुछ याद ही नहीं है ना हमारी शादी ना हमारा प्यार , वो सब भूल चूके है प्रीति,,,,,,,,,,,,,,,,!!
कहते हुए शगुन की आँखों में आंसू आ गए और प्रीति ने सूना तो उसे भी काफी तकलीफ हुई उसने शगुन के सामने आकर कहा,”आपके और जीजू के साथ ये सही नहीं हुआ दी , आपको इस तरह जीजू को अकेले छोड़कर नहीं आना चाहिए था। उन्हें इस वक्त आपकी जरूरत है दी”
“मेरा उनके साथ होने से ज्यादा जरुरी है उनका ठीक होना , अगर मैं वहा रहूंगी तो हो सकता है उनके सोचने से दिमाग पर असर पड़े,,,,,,,,,,,,,,,पहले ही उनकी जिंदगी में इतना कुछ हो चुका है प्रीति मैं नहीं चाहती अब कोई और मुसीबत उन पर आये”,शगुन ने कहा
“दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा दी , आपको पता है जीजू बनारस क्यों आये थे ?’,प्रीति ने तड़पकर कहा
“तुम जानती हो वो क्यों आये थे ?”,शगुन ने हैरानी से पूछा
“वो आपसे अपने प्यार का इजहार करने आये थे दी , उन्होंने मुझे बताया था की उन्हें आपसे प्यार हो गया है और वो आपसे मिलकर आपको ये बात बताना चाहते थे पर उस से पहले ही ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते प्रीति की आँखों से आंसू बहने लगे। शगुन ने सूना तो उसका दिल ख़ुशी से भर गया , वह गुड्डू से प्यार करने लगी है इस बात का अहसास तो उसे हो चुका था लेकिन गुड्डू भी उस से प्यार करता है ये उसे आज पता चला था। शगुन की आँखे आंसुओ से भर गयी साथ ही गुड्डू को लेकर उसका दिल भर आया और वह अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोने लगी। प्रीति ने देखा तो अपने आंसू पोछकर शगुन के पास आयी और कहा,”दी गुड्डू जीजू आपसे बहुत प्यार करते है दी , ये सब बताते हुए वो बहुत खुश थे दी आपको उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए दी”
शगुन ने सूना तो प्रीति के गले लगकर रोने लगी और कहने लगी,”मैं समझ ही नहीं पाई प्रीति की उन्हें मुझसे प्यार हो गया है , वो हमेशा कहते थे की उन्हें मेरा साथ अच्छा लगता है , मैंने उन्हें बदल दिया है लेकिन मैं उनकी भावनाये समझ ही नहीं पाई। वो मुझसे प्यार करते है लेकिन आज उन्हें मैं याद तक नहीं हूँ प्रीति,,,,,,,,,,,,,,,,,,महादेव ने मेरी किस्मत में ये कैसा प्यार लिखा है वो मेरे होकर भी मेरे नहीं है”
“मत रोईए दी , मैं आपका दर्द समझ सकती हूँ और यकीन मानिये इस वक्त गुड्डू जीजू भी इसी दर्द से होकर गुजर रहे है दी”,प्रीति ने कहा
शगुन ने अपने आंसू पोछे और सिसकते हुए प्रीति से कहने लगी,”पता है प्रीति बनारस आने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था की वो मुझसे मिलना चाहते है , मुझे कुछ बताना चाहते है , लेकिन अब वो सब भूल चुके है , उन्हें कुछ भी याद नहीं है प्रीति”
“दी आपको अपने महादेव पर भरोसा है ना दी , देखना वो सब ठीक कर देंगे ,, आप और जीजू एक दिन फिर साथ होंगे दी बस अपने प्यार पर भरोसा रखो”,प्रीति ने कहा तो शगुन खामोश हो गयी और खिड़की से बाहर देखते हुए हाथ जोड़कर सामने दिखते महादेव के मंदिर को देखकर प्रार्थना करने लगी।
पारस बाहर गुप्ता जी के साथ बैठा था कुछ देर बाद प्रीति भी चली आयी तो गुप्ता जी ने प्रीति से इशारा किया। प्रीति अंदर गयी वापस आयी तो उसके हाथ में एक लिफाफा था। प्रीति ने लिफाफा लाकर गुप्ता जी को दे दिया , गुप्ता जी ने पारस की और देखा और फिर वो लिफाफा पारस को थमा दिया। पारस ने देखा उसमे कुछ रूपये है तो उसने कहा,”ये आप क्या कर रहे है ? शगुन के लिए मैंने जो किया है वो एक दोस्त होने के नाते किया है आप उसे अहसान समझ रहे है”
“नहीं बेटा ऐसा कुछ भी नहीं है , तुमने जो किया है वो तो कोई अपना भी नहीं करता है ,, बस तुम ये पैसे रख लो”,गुप्ता जी ने कहा
“लेकिन अंकल मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा”,पारस ने उदास होकर कहा
“मैं पैसे तुम्हारा दिल दुखाने या अहसान समझ कर नहीं दे रहा हूँ पारस , मुझे अच्छा लगेगा बेटा प्लीज रख लो”,गुप्ता जी ने कहा
गुप्ता जी के इतना कहने पर पारस ने वो पैसे रख लिए और फिर वहा से चला गया। गुप्ता जी उठकर शगुन के पास चले आये।
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
गुड्डू को अगली सुबह ICU से प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया। सर की पट्टियां खोली जा चुकी थी , जख्म अभी भरे नहीं थे , गुड्डू के सर के सारे बालो को हटा दिया गया। जिस बालो से गुड्डू को बहुत प्यार था , जिनमे दिनभर में वो 20-25 बार हाथ घूमाता था और किसी को अपने बालो को छूने तक नहीं देता था चोट की वजह से उन्हें हटाना पड़ा। आधे अधूरे बाल बुरे लग रहे थे। कमरे में गोलू , मिश्रा जी , मिश्राइन , सोनू भैया और वेदी मौजूद थे। अम्मा भी मिलना चाहती थी अपने गुड्डू से लेकिन आ नहीं सकती थी। गुड्डू सो रहा था सब बैठे बस उसे देख रहे थे कुछ देर बाद गुड्डू की आँखे खुली वह उठा तो मिश्राइन ने उसके पास आकर उसे सहारा देकर बैठाते हुए कहा,”अब कैसे हो बेटा ?”
“हम ठीक है अम्मा , हमे घर जाना है”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू पहिले ठीक हो जाओ फिर चलेंगे घर”,मिश्रा जी ने उसके पास आकर कहा
“कब जायेंगे घर ?”,गुड्डू ने बच्चो की तरह पूछा
“जायेंगे गुड्डू भैया जल्दी जायेंगे”,गोलू ने आकर कहा।
गुड्डू अब ठीक था और सबसे बाते कर रहा था , ये देखकर मिश्रा जी और मिश्राइन को तसल्ली मिली , कई दिनों से मिश्रा जी ना ठीक से खा पाए ना सो पाए
इसलिए सोनू भैया अपनी गाड़ी में वेदी मिश्रा जी और मिश्राइन को लेकर घर चले गए। गोलू को गुड्डू के पास ही छोड़ दिया। गोलू बेंच पर बैठा था और गुड्डू बिस्तर पर लेटा उसे देख रहा था , गोलू को उदास देखकर गुड्डू ने कहा,”का गोलू इतना उदास काहे हो ?”
“भैया तुमको शगुन याद है ?”,गोलू ने एकदम से सवाल किया
“शगुन ? कौन शगुन ?”,गुड्डू ने कहा
“कोई नहीं , अच्छा बाबू याद है ?”,गुड्डू ने कहा
“हां बाबू को कैसे भूल सकते है यार का चाट पपड़ी बनाता है उह मस्त ,,, पता है गोलू चाय बिस्किट खा खाकर ना टेस्ट खराब हो चुका है हमारा,,,,,कुछो चटपटा खाने का मन कर रहा है”,गुड्डू ने लार टपकाते हुए कहा
“साला इनको बाबू तक याद है और हमायी भाभी नहीं , कैसी उटपटांग यादास्त गयी है इनकी भी”,गोलू ने मन ही मन खीजते हुए कहा
“गोलू,,,,,,,,,,,,ए गोलू कहा खोये हो यार , सुनो यार बहुते दर्द हो रहा है हाथ में”,गुड्डू ने कहा तो गोलू की तंद्रा टूटी और वह गुड्डू के पास आया और हाथ दिखाने को कहा। गोलू ने देखा गुड्डू का हाथ फ्रेक्चर होने और उंगलिया न हिलाने की वजह से उनमे सूजन आ चुकी थी। गोलू ने धीरे धीरे गुड्डू की उंगलियों को अपने हाथ से हिलाना और मसाज करना शुरू किया , गुड्डू को अच्छा लग रहा था तो उसने कहा,”गोलू तुम ना हमाये सच्चे वाले दोस्त हो , हर मुसीबत में साथ रहते हो ,पर हमे जे नहीं समझ आ रहा की हमारा एक्सीडेंट हुआ कैसे ? हम तो तुम्हाये पीछे बाइक पर बैठे थे”
“अब इन्हे कैसे बताऊ के उसके बाद क्या क्या हुआ है ? क्युकी जे तो सब भूल चुके है”,गोलू ने फिर मन ही मन कहा तो गुड्डू ने कहा,”यार गोलू तुम ना हमे बदले बदले से नजर आ रहे हो”
“अरे नहीं भैया हम तो वही गोलू है पुराने वाले तुम्हाये मित्र”,गोलू ने जबरदस्ती हसंते हुए कहा
“तो फिर हमारा एक ठो काम कर दो यार , हमे भूख लगी है कुछो ढंग का खिलाय दयो यार , इह यहाँ का खाना खाकर ना ऊब चूके है हम”,गुड्डू ने कहा
“ठीक है हम लेकर आते है पर किसी को बताना मत”,गोलू गुड्डू की बातो में आ गया , उसे शायद पता नहीं था की गुड्डू अभी अभी एक बड़े खतरे से बाहर निकला है। वह बाहर चला गया और कुछ ही दूर लगे ठेले से गुड्डू के लिए मेग्गी ले आया। कमरे में आकर उसने दरवाजा बंद किया और मेग्गी गुड्डू की और बढ़ाते हुए कहा,”इह लो जल्दी से खाय ल्यो डॉक्टर ने देखा तो हमायी खैर नहीं। गुड्डू ने मुस्कुराते हुए मैग्गी ले ली और खाने लगा। गोलू को शगुन का ख्याल आया तो उसने एक बार फिर गुड्डू से कहा,”अच्छा गुड्डू भैया आखरी बार बनारस कब गए थे हम ?”
“गोलू फाइनल ईयर के एग्जाम में गए थे फेल होने के बाद”,गुड्डू ने एकदम से कहा तो गोलू को लगा गुड्डू को शगुन याद आ जाएगी तो उसने जल्दी से कहा,”और वहा शगुन से भी मिले थे हम”
“शगुन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गोलू जे बार बार शगुन का नाम काहे ले रहे हो तुम ? कौन है जे और हम कब मिले इस से ?”,गुड्डू ने थोड़ा परेशानी से कहा
“अरे भैया हम तो देख रहे थे कही एक्सीडेंट की वजह से तुम्हायी यादास्त तो नहीं चली गयी”,गोलू ने दाँत दिखाते हुए कहा तो गुड्डू ने गर्दन झटकी और फिर चुपचाप मैग्गी खाने लगा। उसे देखते हुए गोलू ने मन ही मन कहा,”लगता है भैया को सच में भाभी याद नहीं है”
क्रमश – मनमर्जियाँ – S7
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संजना किरोड़ीवाल