Manmarjiyan – S59
शगुन की मदद से गोलू ने मिश्रा जी को मना लिया । गुड्डु को इस बात की खबर तक नही थी सिर्फ शगुन गोलू और वेदी को पता था । मिश्रा जी के हामी भरने पर गोलू घर चला आया । गोलू को देखते ही उसके पिताजी उसके पास आये और कहा,”का रे गोलू सुबह सुबह कहा गायब हो गए थे ?”
“पिताजी उह गुड्डु भैया से मिलने गए थे कुछो काम था”,गोलू ने कहा
“तुमहू हमको जे बताओ जे गुड्डु के साथ तुम्हारा चल का रहा है जब देखो तब गुड्डु के हिया जा रहे है , का पंजीरी बट ती है वहा ?”,गोलू के पिताजी ने कहा
“अरे यार पिताजी आप भी बहुते सोचते हो , बस कुछ दिन की बात है फिर सब ठीक हो जाएगा”,गोलू ने खुश होकर कहा ।
“मतलब तुमहू शादी के लिए तैयार हो ?”,गुप्ता जी ने खुश होकर कहा
”अरे यार पिताजी कर लेंगे शादी और शादी का बहुत कुछ कर लेंगे , आप चिन्तियाओ नही”,कहकर गोलू अंदर चला गया
“इह ससुर का नाती को का हो गवा लगता है पगला गया है ससुरा शादी के नाम से हमहू आज ही केशव पंडित से बात करते है”,कहते हुए गुप्ता जी बाहर निकल गए ।
गोलू अंदर आया नहाया और नाश्ता करके दुकान की तरफ निकल गया । दुकान आकर उसने सबसे पहले पिंकी को फोन लगाया और उसे खुशखबरी दी । पिंकी भी बहुत खुश थी कि चलो कुछ तो हल निकला । गुड्डु को सामने से आते देखकर गोलू ने फोन रख दिया गुड्डु अंदर आया और कहा,”का गोलू बड़े खुश नजर आ रहे हो आज का बात है ?”
“अरे कुछो नही भैया बस ऐसे ही मन खुश है ऐसा लग रहा है जैसे जिंदगी की सारी परेशानियां हल होने वाली है”,गोलू ने कहा
“जे तो बहुते सही है गोलू , अच्छा उह रामेशवा के हिया से पैसे आये ?”,गुड्डु ने पानी की बोतल उठाते हुए कहा
“हाँ कल शाम में आ गए थे , आपका हिस्सा काउंटर में रखा है बाकी लड़को को पे कर दिया है हमने”,गोलू ने कहा
“सही है गोलू तुमहू तो परफेक्ट हो गए जे काम मे”,गुड्डु ने कहा
“अच्छा भैया हमहू जे कह रहे थे कि बरेली में एक ठो आर्डर है 4 दिन का ले ले का ?”,गोलू ने कहा
“ले लो इसमें पूछना का ?”,गुड्डु ने कहा
“अरे वो इसलिए पूछ रहे कि 4 दिन वही रहना होगा और फिर बरेली दूर भी तो है कानपुर से”,गोलू ने कहा
“कोई दिक्कत नही है गोलू हाँ कर दयो कब जाना है वैसे ?”,गुड्डु ने पूछा
“अगले हफ्ते”,गोलू ने कहा
“ठीक है तुमहू पार्टी से एड्रेस ले लेओ चलेंगे , कुछो बड़ा करेंगे तभी ना नाम होगा हमारा”,गुड्डु ने कहा
गोलू ने बरेली वाली पार्टी से बात की और फिर दोनों बैठकर लिस्ट बनाने लगे । लिस्ट बनाते हुए गोलू ने गुड्डु से कहा,”अच्छा भैया एक ठो बात पूछे आपसे ?”
“हां पूछो”,गुड्डु ने कहा
“पिंकिया दिखाई नही दे रही है आपके साथ ?”,गोलू ने गुड्डु का मन टटोलते हुए कहा
“हमाये साथ काहे दिखाई देगी गोलू वैसे भी उनको हम में कोई इंटरेस्ट नही है”,गुड्डु ने कहा
“पर आप तो कहते थे कि आप पिंकिया से प्यार करते है और पिंकिया भी आपसे………..!!”,गोलू ने बात अधूरी छोड़ दी
गुड्डु ने गोलू की तरफ देखा और कहने लगा,”यार गोलू प्यार ना हमेशा दोनों तरफ से होता है एक तरफा प्यार ना साला बहुते तकलीफ देता है । पिंकिया को हमसे प्यार कभी था ही नही और रही हमारी बात तो हमे भी ना उनसे सिर्फ अट्रेक्शन था प्यार नही”
गोलू ने सुना तो मन ही मन खुशी से नाच उठा अपने जज्बातों को काबू में करके कहा,”अच्छा और शगुन के बारे में का ख्याल है आपका ?”
शगुन का नाम सुनते ही गुड्डु ख़ामोश हो गया और कुछ देर बाद कहने लगा,”यार गोलू सच कहें तो शगुन से ना हमारा कोई न कोई कनेक्शन तो जरूर है , जब भी वो हमाये साथ होती है मन एक दम हल्का रहता है किसी तरह की कोई टेंशन नही एकदम सूकून वाला माहौल ,, तुम्हे पता है हम उन्हें वापस लेकर क्यों आये है ?”
“क्यों ?”,गोलू ने झूठ मुठ का हैरान होते हुए कहा
“ताकि हम पता लगा सके की उनके और हमारे बीच का रिश्ता है ?”,गुड्डु ने एकदम सस्पेंस से भरकर कहा
“अरे भैया हम तो कहते है कोई रिश्ता नही भी हो तो बना लो , शगुन जैसी लड़की आपको पूरे कानपुर में नही मिलेगी”,गोलू ने गुड्डु का कंधा दबाते हुए कहा तो गुड्डु ने उसे घूरकर देखा गोलू ने तुरंत अपना हाथ हटा लिया तो गुड्डु ने कहा,”काम पर ध्यान दो सुने नही पिताजी ने का कहा था इस बार कोई कांड किया तो हमेशा के लिए हमे घर से बाहर कर देंगे”
“हम तो बस ऐसे ही , अच्छा हम चाय बोलकर आते है”,कहकर गोलू वहाँ से चला गया ।
मिश्रा जी नाश्ता करके शोरूम के लिए निकल गए । शोरूम आकर उन्होंने अपने मैनेजर को कुछ काम बताया और फिर अपने केबिन में चले आये । मिश्रा जी नए आर्डर की लिस्ट चेक करहे थे कि तभी उनकी नजर दरवाजे के बाहर काउंटर पर खड़े शर्मा जी पर पड़ी तो उन्हें गोलू की बात याद आ गयी उन्होंने तुरंत काउंटर पर फ़ोन लगाया और कहा,”हैल्लो जे आपके सामने जो खड़े है इन्हें जरा अंदर भेजिए”
मिश्रा जी ने फोन रख दिया काउन्टर पर खड़े लड़के ने शर्मा जी को मिश्रा जी के केबिन में भेज दिया । उन्हें देखते ही मिश्रा जी ने कहा,”अरे नमस्ते शर्मा जी आइए बैठिए”
“नमस्कार मिश्रा जी , कहिये कैसे याद किया ?”,शर्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा और सामने पड़ी कुर्सी खिसकाकर उस पर बैठ गए ।
“शर्मा जी कुछो निजी बात करनी थी वैसे हम शाम में आपके घर ही आने वाले थे”,मिश्रा जी ने कहा
“घर ? सब ठीक तो है ना कोई बात हो गयी क्या ?”,शर्मा जी ने घबराते हुए कहा
इतने में केबिन का दरवाजा खुला और लड़का चाय लेकर आ गया । उसने चाय टेबल पर रख दी और चला गया ।
शर्मा जी को परेशान देखकर मिश्रा जी ने कहा,”अरे घबराइए मत चाय लीजिये”
“जी”,कहते हुये शर्मा जी ने चाय उठायी ओर पीने लगे । मिश्रा जी ने भी चाय उठायी और कहा,”दअरसल वो हम आपसे गोलू ओर पिंकी के बारे में बात करना चाहते थे”
गोलू का नाम सुनते ही शर्मा जी के चेहरे के भाव बदल गए और उन्होंने कहा,”किस सिलसिले में ?”
“देखिए शर्मा जी गोलू और पिंकी दोनों ही बालिग है और एक दूसरे को बहुते पसन्द भी करते है । गोलू का अपना काम धंधा है और जिम्मेदार भी हो गया है ऐसे में आपकी रजामंदी से दोनों बच्चों की शादी हो जाये तो इस से बड़ी खुशी की बात और का होगी ? हम आपकी बिटिया के साथ गोलू का रिश्ता करने की बात कर रहे है । मोहल्ले की बिटिया मोहल्ले में रहेगी आपका जब मन करे आप मिल सकते है”,मिश्रा जी ने बिना लाग लपेट के सारी बाते कह दी
शर्मा जी ने सुना तो कहा,”बात आपकी सही है भाईसाहब लेकिन गोलू गुप्ता है और हम ब्राह्मण ये रिश्ता कैसे हो सकता है आप ही बताइए ?”
“अरे शर्मा जी कौनसी दुनिया मे जी रहे है आप आजकल जे जात-पात कौन देखता है हमहू खुद हमाये लड़के की शादी गुप्ता जी के यहां किये है । देखिए बच्चों का हमसफ़र अच्छा होना चाहिए जात-पात से कुछ नही होता । और फिर गोलू तो आपका देखा हुआ लड़का है आप ही के सामने बड़ा हुआ है , का कमी है उसमे बताओ ?”
ये कहकर मिश्रा जी ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली क्योकि कानपुर का बच्चा बच्चा जानता था गोलू और गुड्डु के कर्मकांडो के बारे में शर्मा जी ने सुना तो कहा,”ये आप कह रहे है , मिश्रा जी आपको नही पता गोलू के बारे में ,, और गोलू को छोड़िए पहले उनके पिताजी को देखिए उनके घर मे हम अपनी बिटिया का ब्याह नही करेंगे”
“अरे शर्मा जी शादी गोलू के पिताजी से करनी है या गोलू से आप भी कमाल करते है”,मिश्रा जी ने खीजते हुए कहा
“आपको नही पता होली वाले दिन कितना जलील किया था उन्होंने हमें , वो बात हम इतनी आसानी से नही भूलेंगे”,शर्मा जी ने कहा
“का किये थे ?”,मिश्रा जी ने पूछा जिन्हें गोलू के पिताजी के बारे में ज्यादा जानकारी नही थी
शर्मा जी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और वे कहने लगे,”होली वाले दिन हमारी पत्नी को रंग लगाया और कहा,”पंडित के साथ का कर रही हो हमाये साथ भाग चलो , रानी बना के रखेंगे । अब आप चाहते है ऐसे घर में हम अपनी बिटिया दे जहां बाप ऐसा है तो बेटा कैसा होगा ?”
मिश्रा जी ने सुना तो मन ही मन अपने बाल नोचने लगे किस अशुभ घड़ी में उन्होंने गोलू की मदद करने का वादा किया था ।
मिश्रा जी को चुप देखकर शर्मा जी ने कहा,”देखिए मिश्रा जी अगर आप अपने बेटे के लिए कहते ना तो हम तुरन्त हा कर देते लेकिन गोलू के लिए कभी नही”
“कोई तो रास्ता होगा ना शर्मा जी , देखिए गलती इंसान से ही होती है और फिर गुप्ता जी मजाकिया है मजाक में कह दिया होगा । गोलू की गारंटी हम लेते है ,, हम पर तो भरोसा है ना आपको ?”,मिश्रा जी ने कहा तो शर्मा जी सोच में पड़ गए
जिस रात गोलू पिंकी को अपने साथ भगा ले जाने के बजाय उसे वापस घर छोड़कर गया था शर्मा जी को तबसे ही गोलू पसन्द आने लगा था लेकिन गुप्ता जी की वजह से शर्मा जी गोलू से भी नाराज रहे । शर्मा जी को सोच में डूबा देखकर मिश्रा जी कहने लगे,”शर्मा जी कभी कभी हम माँ-बाप ना अपने बच्चों के लिए फैसला लेने में बहुत कठोर हो जाते है और उनकी खुशी के खिलाफ फैसले ले लेते है जिसमे हम सोचते है कि हम जीत गए लेकिन हमारे बच्चे हार जाते हैं , वे कभी खुश नही रह पाते । गुप्ता जी ने जो किया उसकी सजा गोलू को देना कहा कि इंसाफ है , दोनों बच्चों की खुशी का सवाल है मान जाईये बाकी हम समझाएंगे गुप्ता जी को भी ,, आप बताइए क्या करे पैर पकड़वा दे आपके ?”
“अरे नही नही मिश्रा जी बस वो आकर हमारी पत्नी से माफी मांग ले तो हम भूल जाएंगे सब लेकिन सिर्फ आप पर भरोसा करके अपनी बिटिया का रिश्ता गोलू के साथ कर रहे है अगर कोई ऊंच नीच हुई तो फिर आप जिम्मेदार होंगे”,शर्मा जी ने कहा
“बेफिक्र रहिए हम जबान दे रहे है , आपकी बिटिया खुश रहेगी उह घर मा”,मिश्रा जी ने मुस्कुराते हुए कहा
शर्मा जी भी मुस्कुरा उठे और फिर वहां से घर चले गए । मिश्रा जी ने चैन की सांस ली कि आखिर शर्मा जी इस रिश्ते के लिए मान गए अब उन्हें लेनी थी गोलू की क्लास इसलिए गोलू को फोन करके शाम में घर आने को कहा और अपने काम मे लग गए ।
दिनभर काम मे लगे रहने के बाद गुड्डु शाम में घर के लिए निकल गया । घर जाते हुए उसे ना जाने क्या सूझी की वह अपने पिताजी के शोरूम की तरफ चला आया । अंदर आकर देखा मिश्रा जी नही है तो गुड्डु 2-3 अच्छे सूट लिए और पैसे देने लगा तो मैनेजर ने कहा,”अरे अरे गुड्डु बाबू का कर रहे हो आप काहे पैसे दे रहे हो ? आप ही का शोरूम है”
“चचा शोरूम ना हमाये पिताजी का है और अब तो हम कमाने लगे है तो खरीद सकते है और हा पिताजी को पता नही चलना चाहिए जे हमने खरीदा है”,गुड्डु ने कपड़े बैग में डालते हुए कहा और वहां से निकल गया
“आज के जमाने मे जहां बेटा बाप की दौलत के लिए लड़ता झगड़ता है वही आप अपने पिताजी के लिए जे सब कर रहे हो , मालिक बहुते खुशनसीब है जिनको आप जैसा बेटा मिला”,मैनेजर ने जाते हुए गुड्डु को देखकर कहा और अपने काम मे लग गया ।
उधर गोलू शाम में मिश्रा जी के पास पहुंचा और कहा,”का चचा मान गए पिंकिया के पिताजी ?”
“गोलू जरा उह हमाई बाटा की चप्पल देना”,मिश्रा जी ने कहा तो गोलू बिना सोचे गया और सामने पड़ी चप्पलों में से एक चप्पल लेकर आया और मिश्रा जी को दे दी । आगे क्या होने वाला है ये तो आप समझ चुके होंगे क्योंकि सबको पता था मिश्रा जी के घर मे चप्पल का इस्तेमाल पहनने के लिए कम और सुताई के लिए ज्यादा किया जाता था !
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संजना किरोड़ीवाल