Manmarjiyan – S57
Manmarjiyan – S57
दीपक ने वेदी के साथ जो किया उसके बाद से ही वेदी काफी दुखी थी लेकिन गुड्डू के प्यार और भरोसे ने उसे सम्हाल लिया। वही पिंकी ने जब गोलू को अपने प्रेग्नेंट होने की बात बताई तो गोलू की परेशानी और बढ़ गयी। उसने पिंकी से वादा किया की वह सब ठीक कर देगा। शगुन और गुड्डू के बीच दोस्ती वाला रिश्ता फिर से बन चुका था लेकिन गुड्डू इस वक्त वेदी को लेकर परेशान था वह शगुन से ठीक से बात तक नहीं कर पा रहा था। वेदी के खाना खाने के बाद गुड्डू ऊपर अपने कमरे में जाने लगा। जाते हुए वह शगुन के सामने से गुजरा लेकिन उसने शगुन पर ध्यान नहीं दिया वह किसी और ही सोच में गुम था। गुड्डू को परेशान देखकर शगुन का मन भी उलझन में पड़ गया वह मन ही मन महादेव से प्रार्थना करने लगी की कही फिर से कोई मुसीबत उस पर ना आ जाये। शगुन किचन की तरफ आयी तो देखा मिश्राइन अंदर थी। शगुन को देखते ही उन्होंने कहा,”शगुन बिटिया हमारा एक ठो काम कर दो जे दूध का ग्लास गुड्डू के कमरे में रखवाय दो”
“जी माजी मैं रख दूंगी”,शगुन ने कहा तो मिश्राइन प्यार से उसका गाल छूकर वहा से चली गई। शगुन अंदर आयी उसने धुले हुए बर्तन जमाये और फिर दूध का ग्लास लेकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी। गुड्डू से बात करने का मौका भी मिल गया। शगुन ऊपर आयी देखा गुड्डू अपने कमरे में नहीं है। उसने दूध ग्लास टेबल पर रखा और बाथरूम की तरफ आकर देखा गुड्डू वहा भी नहीं था। शगुन समझ गयी और खुद से कहा,”जरूर गुड्डू जी ऊपर छत पर होंगे”
शगुन ऊपर आयी देखा गुड्डू छत पर रखे झूले पर बैठा वंदना के घर की छत को देख रहा था। शगुन उसके पास आयी और कहा,”आप यहाँ क्या कर रहे है वो भी इतनी रात में ?”
“तुमहू सोई नहीं ?”,गुड्डू ने पूछा
“ये मेरे सवाल का जवाब नहीं है , आंटी ने आपके लिए दूध भिजवाया है नीचे आपके कमरे में रखा है चलकर पी लीजिये”,शगुन ने कहा
“हमारा मन नहीं है”,गुड्डू ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“क्या हुआ आप ठीक तो है ना ?”,शगुन ने गुड्डू की बगल में बैठते हुए कहा। गुड्डू शगुन की तरफ मुंह करके बैठ गया और कहने लगा,”शगुन हमहु तुमको कुछो बताये तो तुमहू घर मेंतो किसी को नहीं बताओगी ना ?”
“नहीं”,शगुन ने गुड्डू के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा
“पहिले वादा करो”,गुड्डू ने शगुन के सामने अपना हाथ करते हुए कहा
“वादा अब बताईये क्या बात है ?”,शगुन ने गुड्डू के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा
गुड्डू ने एक नजर वंदना के घर की छत को देखा और फिर शगुन से कहने लगा,”तुमहू वंदना आंटी को तो जानती ही हो , हमाये घर से दुइ घर छोड़कर उनका घर है , उनका भतीजा यहाँ रहता था और वेदिया उसके चक्कर में पड़ गयी। कुछ दिन पहिले जब तुमहू और वेदी यहाँ नहीं थे तब हमे पता चला की उस कमीने ने शादी कर ली है (शगुन ने सूना तो हैरानी से गुड्डू की तरफ देखा गुड्डू उसे वही कहानी सूना रहा था जो शगुन पहले से जानती थी लेकिन दीपक की शादी के बारे में उसे गुड्डू से पता चला। गुड्डू आगे कहने लगा) वेदी को बताये बिना ही उसने किसी और से शादी कर ली। वेदी के साथ साथ उस लड़की को भी धोखे में रखा। वेदी उसे बहुत चाहती थी ये उसकी आँखों में साफ दिखता था लेकिन उस लड़के ने वेदी को धोखा दिया और उसका दिल तोड़ दिया। हम चाहते तो उस लड़के की हड्डिया तोड़ देते लेकिन बीच में वेदी आ गयी। बचपन से आज तक हमने , अम्मा-पिताजी किसी ने कभी उसकी आँखों में एक आंसू नहीं आने दिया और आज किसी लड़के की वजह से हमने उसे रोते देखा। हम सबकुछ देख सकते है शगुन लेकिन पिताजी और वेदी की आँखों में आंसू नहीं”
कहते कहते गुड्डू का गला भर आया शगुन को जब सारा सच पता चला तो उसे वेदी के लिए बहुत दुःख हुआ। उसने गुड्डू के हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”गुड्डू जी वेदी बहुत अच्छी लड़की है वो लड़का शायद हमारी वेदी के लायक ही नहीं था इसलिए महादेव ने उसका सच सामने ला दिया। आप चिंता मत कीजिये वक्त बड़े से बड़ा जख्म भर देता है , वेदी भी एक दिन ये सब भूल जाएगी और देखियेगा उसकी जिंदगी में दीपक से भी अच्छा लड़का आएगा और उसे बहुत खुश रखेगा। आप दिल छोटा मत कीजिये सब ठीक हो जाएगा”
“थैंक्यू शगुन हमने तुम्हे कितना परेशान किया कितना दिल दुखाया तुम्हारा उसके बाद भी तुमहू हमारा अच्छा सोच रही हो , तुम बहुत अच्छी हो शगुन”,गुड्डू ने अपने और शगुन के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा। शगुन का नाजुक सा हाथ गुड्डू के दोनों हाथो के बीच था और उसे ये बहुत अच्छा लग रहा था वह मुस्कुराई और कहा,”मुझे आपकी किसी बात का बुरा नहीं लगता , आप चाहे परेशान करे , गुस्सा करे , चिल्लाये , चिढ़ाए सब अच्छा लगता है”
“पागल हो तुम , तुम्हायी जगह कोई और होती ना तो अब तक सुताई कर दी होती हमायी”,गुड्डू ने मुस्कुराते हुए कहा
“उसके लिए तो आपके पिताजी काफी है”,शगुन ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“का चिकाई कर रही हो का हमायी ?”,गुड्डू ने शगुन को घुरा तो शगुन ने धीरे से अपना कान पकड़ कर सॉरी का इशारा किया गुड्डू के होंठो पर मुस्कान फिर तैर गयी। गुड्डू ने शगुन का हाथ छोड़ दिया और फिर बैठकर सामने खाली पड़े आसमान को देखने लगा। बगल में बैठी शगुन गुड्डू को देखने लगी। इस वक्त गुड्डू बहुत ही मासूम नजर आ रहा था। गुड्डू ने एकदम से गर्दन जब शगुन की तरफ घुमाई तो शगुन दूसरी और देखने लगी। गुड्डू शगुन के चेहरे को देखने लगा इस वक्त गुड्डू को शगुन कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी। गुड्डू शगुन को देखता रहा और फिर कहा,”अच्छा उह बनारस में जो तुम्हारा दोस्त था , का नाम था उसका,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ पारस ,, उह तुम्हारा दोस्त था तो का कभी तुम्हे उस से प्यार नहीं हुआ ? ( शगुन ने हैरानी से गुड्डू को देखा तो गुड्डू ने आगे कहा ) हमारा मतलब कभी कोई फीलिंग्स भी नहीं आयी उसके लिए”
“पारस सिर्फ मेरा बहुत अच्छा दोस्त है , जैसे गोलू जी आपके दोस्त है बस वैसे ही”,शगुन ने गुड्डू का डाउट क्लियर करते हुए कहा
“और वो लड़का जिसके लिए तुमहू घर छोड़कर चली आयी थी ?”,गुड्डू ने फिर कहा
गुड्डू की बात सुनकर शगुन को लगा की गुड्डू को सब सच बता देना चाहिए लेकिन अभी वह कोई गड़बड़ नहीं चाहती थी इसलिए उसने एक झूठी कहानी मन ही मन में बनाई और गुड्डू को बताने लगी,”गुड्डू जी,,,,,,,,,,,,,!!!”
“यार एक तो तुम ना हमे जे गुड्डू जी बुलाना बंद करो , सुनके हस्बेंड वाली फीलिंग आती है”,गुड्डू ने शगुन को बीच में ही रोकते हुए कहा तो शगुन ने कहा,”अच्छा ठीक है मैं आपको अर्पित कहकर बुलाती हूँ”
“अर्पित काहे बुलाओगी , यार गुड्डू कहकर बुलाओ ना हमे कित्ता सही नाम है हमारा”,गुड्डू ने खीजते हुए कहा
“अच्छा ठीक है गुड्डू”,शगुन ने कहा
“हां तो का कह रही थी तुम ?”,गुड्डू ने शगुन की तरफ ध्यान लगाते हुए कहा
“गोलू जी ने आपको जो कुछ भी बताया वो सब झूठ था , मैं घर से निकली जरूर थी लेकिन किसी लड़के से शादी करने के लिए नहीं बल्कि अपनी पढाई पूरी करने के लिए। घरवालों को और रिश्तेदारों को लगा की मैं किसी लड़के के साथ भागी हूँ। फिर जब आप मेरे साथ घर आये तो सबको लगा की आप ही वो लड़के है तो सबने आपको,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,कहते कहते शगुन रुक गयी
“मतलब तुम्हारा किसी के साथ कोई चक्कर नहीं है ?”,गुड्डू ने एकदम से खुश होकर कहा और फिर शगुन को देखकर खुद को नार्मल करके कहने लगा,”मतलब तुम्हे कभी किसी से प्यार नहीं हुआ ?”
शगुन ने गुड्डू की तरफ देखा , वह एकटक गुड्डू की आँखों में देखने लगी और धीरे से कहा,”नहीं मुझे कभी प्यार नहीं हुआ पर आपसे हो सकता है”
गुड्डू ने जैसे ही सूना उसका दिल धड़क उठा। शगुन जिस प्यार से गुड्डू को देख रही थी गुड्डू को लगा जैसे अभी उसका दिल बाहर आ गिरेगा। उसने शगुन से नजरे हटाई और उठते हुए कहा,”रात बहुत हो गयी है हमे लगता है तुम्हे नीचे जाना चाहिए”
शगुन ने गुड्डू का चेहरा देखा जो की शर्म के मारे लाल हुए जा रहा था। शगुन को मन ही मन बहुत हंसी आ रही थी। रंगबाजी , बदमाशी करने में जो गुड्डू सबसे आगे था रोमांस के मामले में वही गुड्डू शांत हो जाता था। होता भी क्यों नहीं बचपन से मिश्रा जी की छत्र छाया में पला बढ़ा है , एक गर्लफ्रेंड थी पिंकी जिसके साथ भी गुड्डू का रिश्ता कभी आगे नहीं बढ़ा। शगुन को शांत देखकर गुड्डू ने कहा,”कहा खो गयी चलो ?”
“हाँ चलते है”,कहते हुए शगुन उठी और गुड्डू के साथ नीचे चली आयी।
शगुन नीचे चली गयी और गुड्डू अपने कमरे में चला आया। उसने दूध का ग्लास उठाया और जैसे ही एक घूंठ भरा शगुन की कही बात याद आ गई – नहीं मुझे कभी प्यार नहीं हुआ पर आपसे हो सकता है”
जैसे ही गुड्डू को ये बात याद आयी उसके मुंह में भरे दूध का फनवारा बाहर आ गिरा। वह खांसने लगा और फिर खुद ही अपनी गर्दन को थपथपाया। गुड्डू ने बाकि बचा दूध का ग्लास वापस टेबल पर रख दिया और बाथरूम में आकर मुंह धोया। गुड्डू वापस बाहर आया उसने फैला हुआ दूध पोछा और कपडे बदलकर बिस्तर पर चला आया। बिस्तर पर बैठा बैठा गुड्डू शगुन के बारे में सोच रहा था। शगुन के बारे में सोचकर वह मुस्कुराने लगा। उसे धीरे धीरे शगुन पसंद आने लगी थी। गुड्डू ने अपने दोनों हाथो के सर के नीचे लगाया और बिस्तर पर लेट गया। कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी।
उधर पिंकी की प्रेगनेंसी की बात सुनकर गोलू महाराज की नींद उडी हुयी थी वह परेशान सा अपने कमरे में यहाँ से वहा घूमते हुए खुद से कहने लगा,”का करे अब इति बड़ी समस्या का हल कैसे निकाले ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछो सोच गोलू कुछो सोच,,,,,,,,,,,,,याद आया मिश्रा जी कहे रहय हमसे एक ठो बार की कोई भी काम हो हमे बताना हम करेंगे,,,,,,,,,,,,,जे सही रहेगा उन्ही से बात करेंगे,,,,,,,,,,,,,(अगले ही पल गोलू का दिमाग चलता है और वह बड़बड़ाता है) नहीं नहीं उनको कैसे बता सकते है जे सब के बारे में , अगर उनको पता चला हमारी वजह से पिंकिया पेट से है तो वो हमारी ही नसबंदी करवा देंगे,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं नहीं जे रिस्क नहीं ले सकते,,,,,,,,,,,,,,फिर का करे गुड्डू भैया को बता नहीं सकते , बचा मनोहर उसे बताया तो पुरे कानपूर को पता चल जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे महादेव कोई तो रास्ता दिखाओ हमे , हम वादा करते है सब रंगबाजी , कलाकारी छोड़ देंगे बस इह बार बचाय ल्यो,,,,,,,,,,,,(गोलू ने अपने दिमाग पर जोर डाला तो उम्मीद की एक आखरी किरण नजर आयी वो थी शगुन ),,,,,,,,,,,,,,,शगुन भाभी,,,,,,शगुन भाभी ही है जो हमायी डूबती नैया को पार लगा सकती है ,, हां हमसे बहुते नाराज भी है लेकिन हम मना लेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,अरे हाथ जोड़ेंगे , पैर पकड़ेंगे , लोट जायेंगे पैरो में ,, अब तो वही हमे इस मुसीबत से बचा सकती है ,, एक ठो काम करते है थोड़ा सो लेते है सुबह उठते ही जायेंगे गुड्डू भैया के घर”
गोलू को एक उम्मीद नजर आयी वह जाकर सो गया। अगली सुबह किसी के शोर की आवाज सुनकर गोलू की आँख खुली वह उठा और कमरे से बाहर निकल कर घर के गेट पर आया देखा आलोक शर्मा जी जो की उसके पडोसी थे अपने बेटे मोंटी को पीटते हुए कह रहे थे,”नालायक खानदान का नाम डुबो दिया तुमने , शर्म नहीं आयी ऐसे कुकर्म करते हुए”
“अरे पिताजी हमने कुछो नहीं किया है यार हमारी बात तो सुनो , हम सच कह रहे है हम तो कल घर से बाहर गए ही नहीं थे”,मोंटी ने बचाव करने की कोशिश करते हुए कहा तो शर्मा जी ने पास ही पड़ा नाली धोने का झाड़ू उठाया और लगे मोंटी की सुताई करने। गोलू ने देखा तो उसे माजरा कुछ समझ नहीं आया उसने देखा उसके खुद के पिताजी पास ही खड़े मजे से सब देख रहे थे। गोलू उनके पास आया और कहा,”आप का 20-20 मैच की तरह सब देखकर इंजॉय कर रहे है जाकर छुडाइये ना उसको”
गोलू की बात सुनकर गुप्ता जी शर्मा जी के पास आये और उन्हें रोकते हुए कहा,”अरे अरे शर्मा जी काहे जवान बेटे पर हाथ उठा रहे है ? का का किया का है इसने ?”
“अरे पूछो मत गुप्ता जी का गुल खिलाया है इसने , पता नहीं कौनसी लड़की के लिए प्रेगनेंसी किट खरीद कर लाये है ,, हम कह रहे है जरूर कही ना कही मुंह काला करके आये है जे रात में”
“अरे तो भई तुम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हो ?”,गुप्ता जी ने पूछा
“अरे कैसे का गुप्ता जी ? सुबह सुबह दूध लेने गए थे तब मेडिकल वाले ने खुद बताई हमे इनकी कारीगरी , इसे तो हम छोड़ेंगे नहीं”,आलोक शर्मा ने कहा
“फिर तो नीम वाली संटी से सुताई करो इनकी तब ही अक्ल आएगी इन्हे , हमाये गोलू ने किया होता ना जे सब तो उसकी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गुप्ता जी ने जैसे ही अपने घर की ओर देखा गोलू वहा से नरराद था। आलोक जी के मुंह से मेडिकल वाले का नाम सुनकर गोलू को याद आया की कल उस ने ही दुकानवाले को कहा था की वह आलोक शर्मा का बेटा है और इसी झूठ के चलते पिटाई हो गयी मोंटी की। गोलू वहा से रफ्फू-चक्कर हो गया
कानपूर की गलियों में चप्पल पहने गोलू सुबह सुबह दौड़े जा रहा था अब बस शगुन ही थी जो उसे इन सब से बचा सकती थी
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संजना किरोड़ीवाल