Manmarjiyan – S50
Manmarjiyan – S50
शगुन ने गुड्डू को जब हाथ पर हाथ रखकर कसम खाने को कहा तो गुड्डू को लगा जैसे ये सब उसके साथ पहले भी हो चुका है। उसने अपना हाथ शगुन के हाथ पर रखा और उसे देखता रहा वही शगुन को बस इस बात का डर था की कही फिर से गुड्डू के साथ कोई अनहोनी ना हो जाये। बनारस आने के बाद गुड्डू और शगुन प्रेम डोर में बंधे जा रहे थे जिसका अहसास इस बार गुड्डू को भी था। गोलू का कहा झूठ ही सही पर गुड्डू को शगुन के बारे में सोचने पर मजबूर कर रहा था।
कुछ देर बाद शगुन ने कहा,”घर चले ?”
“हाँ चलते है”,गुड्डू ने कहा और आकर बाइक स्टार्ट की शगुन उसके पीछे आ बैठी और दोनों घर के लिए निकल गए। घर पहुंचे तो देखा मेहमान आ चुके है। शगुन को देखते ही भाभी आयी और उसके गले लगते हुए कहा,”कैसी हो शगुन ? पता है जबसे आये है 10 बार आपके बारे में पूछ चुके है कहा थी आप ?”
“किसी काम से मार्किट जाना पड़ा भाभी , भैया नहीं आये ?”,शगुन ने पूछा
“आये है न उधर मौसाजी की तरफ है , गुड्डू जी तो पहले से भी ज्यादा अच्छे लगने लगे है सब आपके प्यार का असर है”,भाभी ने गुड्डू की तरफ देखते हुए कहा तो गुड्डू मुस्कुरा दिया जैसे की गोलू ने उसे समझाया था
“अरे ये तो कुछ बोल ही नहीं रहे है”,भाभी ने कहा
“हमहू बोलेंगे तो फिर आपको कुछो समझ ही नहीं आएगा”,गुड्डू ने अपनी कनपुरिया टोन में कहा तो भाभी ने मुस्कुराते हुए गुड्डू का गाल खिंचा और कहा,”समझ में भले ना आये लेकिन है आप बहुत क्यूट”
गुड्डू बेचारा क्या बोलता वह शगुन की तरफ देखने लगा तो शगुन ने कहा,”अच्छा भाभी आप मेरे साथ चलिए मुझे आपकी कुछ हेल्प चाहिए”
शगुन भाभी को लेकर चली गयी। गुड्डू भी वहा से चला गया। अमन और विनोद ने चाची से सगाई में आने को कहा लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया। विनोद और अमन उन्हें घर में अकेला छोड़कर चले आये। गुप्ता जी ने अपने भाई को देखा तो खुश हो गए लेकिन चाची के ना आने से थोड़ा दुखी भी थे आखिर इस घर की इकलौती बहू थी वो। खैर गुड्डू ऊपर कमरे में चला आया उसके जहन में अभी भी वो मार्किट वाला सीन ही चल रहा था की क्यों उसे लगा जैसे सब पहले हुआ है। गुड्डू सोच में डूबा हुआ था की तभी प्रीति आयी और गुड्डू को देखकर कहा,”ये क्या आप अभी तक तैयार नहीं हुए ?”
“हम सुबह से तैयार ही है”,गुड्डू ने कहा
“ये कपडे पहनेंगे आप मेरी सगाई में , बिल्कुल नहीं रोहन के सामने मेरे जीजू फीके नहीं लगने चाहिए चलिए उठिये और ये ट्राय कीजिये”,प्रीति ने अपने हाथ में पकड़ा कुर्ता पजामा गुड्डू की तरफ बढ़ा दिया
“लगता है जे भी हमे शगुन का पति समझ रही है , इसलिए कल से ऐसी हरकते कर रही है,,,,,,,,,,,,अभी इसको सच बता दिया तो इसका दिल टूट जाएगा बाद में बताएंगे”,गुड्डू ने मन ही मन कहा
“कहा खोये है आप लीजिये”,प्रीति ने दिया तो गुड्डू ने कपडे लिए और बाथरूम की तरफ बढ़ गया। कुछ देर बाद गुड्डू कुरता पजामा पहनकर आया
प्रीति ने देखा तो गुड्डू की बलाये लेते हुए कहा,”हाये किन्ने सोहने लग रहे हो , आज मेरी सगाई नहीं होती ना तो कसम से भगाकर ले जाती मैं आपको”
“ठीक लग रहा है ?”,गुड्डू ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अरे ठीक क्या बहुत अच्छा लग रहा है ? आज तो दी पक्का फ्लेट हो जाएगी आप पर”,प्रीति ने कहा और फिर उसे याद आया की आज उसी की सगाई है और वही तैयार नहीं हुई है तो उसने कहा,”अच्छा मैं बाद में मिलती हूँ अभी मुझे तैयार होने जाना है”
“अरे जे बटन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू कहता इस से पहले ही प्रीति वहा से चली गयी। गुड्डू ने जो कुर्ता पहना था वो उस पर बहुत जच रहा है। उसने बाजु ऊपर चढ़ा ली , लेकिन कुर्ते में तीन बटन थे जो की साइड में थे उन्हें कैसे सेट करना था गुड्डू से नहीं हो रहा था। वह कोशिश करने लगा तभी कमरे में शगुन आयी उसने जब गुड्डू को देखा तो कहा,”लाईये मैं कर देती हूँ”
गुड्डू ने अपने हाथो को साइड में कर लिया। शगुन गुड्डू के थोड़ा क़रीब आयी और एक एक करके उन करके उन बटनों को लगाने लगी। शगुन की नजदीकियो ने गुड्डू की धड़कने बढ़ा दी। गुड्डू दूसरी तरफ देखने लगा शगुन बटन लगाकर पीछे हटी और कहा,”इन कपड़ो में आप बहुत अच्छे लग रहे है”
“अरे हम है ही स्मार्ट कानपूर की लड़किया ऐसे ही थोड़ी फ़िदा है हम पर”,गुड्डू ने शीशे के सामने जाकर बाल बनाते हुए कहा तो शगुन मुस्कुराने लगी अपनी तारीफ अपने मुंह से करने की आदत गुड्डू को आज भी थी। शगुन आकर बिस्तर ठीक करने लगी।
“तुम्हे तैयार नहीं होना ?”,गुड्डू ने पलटकर कहा
“आप बाहर जायेंगे तभी तो हो पाऊँगी”,शगुन ने कहा
“जे तुम्हारा कमरा है ?”,गुड्डू ने हैरानी से पूछा
“हां क्यों ?”,शगुन ने कहा
गुड्डू एकदम से शगुन के पास आया और कहा,”पता है कल रात हम हिया सोये ना तो ऐसा लगा जैसे जे हमाये कानपूर वाला कमरा है मतलब बिल्कुल वैसी ही शांति , वैसा ही माहौल”
शगुन ने सूना तो मन ही मन कहा,”आपको याद नहीं है गुड्डू जी पर आप इस कमरे में मेरे साथ पहले भी रह चुके है”
शगुन को खोया हुआ देखकर गुड्डू ने कहा,”हम भी ना का उटपटांग बाते कर रहे है तुम्हाये साथ , अच्छा तुमहू तैयार हो जाओ हम जाते है”
गुड्डू चला गया। शगुन ने अलमीरा में रखा अपना लहंगा निकाला जो की प्रीति उसके लिए लेकर आयी थी और पहन लिया। शीशे के सामने खड़ी होकर शगुन तैयार होने लगी। गुड्डू नीचे चला आया कुर्ते पजामे में गुड्डू बहुत ही प्यारा लग रहा था। कुछ मेहमान आ चुके थे और कुछ बाकी थी। अमन और गोलू ने मिलकर सारा बंदोबस्त करवा दिया था। अमन की नजरे बार बार किसी को ढूंढ रही थी लेकिन वह शख्स शायद उसे दिखाई नहीं दिया। 11 बज चुके थे। रोहन और उसके घरवालो के साथ साथ उसकी साइड के रिश्तेदार भी आ चुके थे। गुप्ता जी , विनोद , अमन और गोलू उनकी आव भगत में लग गए। गुड्डू को शगुन की भाभीयो और सहेलियों ने घेर रखा था। बेचारा क्या जवाब दे इसलिए बस मुस्कुराता रहा। मुश्किल से गुड्डू उन सबके बीच से निकला और गोलू के पास आकर कहा,”यार गोलू जे नाटक कब तक करना पडेगा हमे ?”
“भैया बस सगाई होने तक सम्हाल ल्यो”,गोलू ने कहा
“यार गोलू कहा फंसा दिए हो यार तुम हमे ?”,गुड्डू ने कहते हुए सामने देखा तो दूर से लहंगे में शगुन आती दिखाई दी। गोलू गुड्डू को समझाने लगा लेकिन गुड्डू के कान इस वक्त बंद हो चुके थे उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था बस आँखे शगुन पर थी गुड्डू को खोया देखकर गोलू एकदम से उसके सामने आ गया तो गुड्डू को शगुन दिखनी बंद हो गयी लेकिन पहली बार गुड्डू शगुन को देखने का अवसर खोना नहीं चाहता उसने सामने देखते हुए गोलू की गर्दन पर हाथ रखा और उसे साइड कर दिया एक बार फिर शगुन उसे दिखाई दे रही थी। लाइट आसमानी लहंगा उस पर पिंक दुपट्टा , कोई ज्यादा मेकअप नहीं बस लिपस्टिक और आँखों में काजल , हाथो में चुडिया , कानो में झुमके और बालो को भी उसने आज खुला रखा था। ये सब देखकर गुड्डू की पलकों ने जैसे झपकने से इंकार कर दिया हो। वह एकटक शगुन को देखता रहा और उधर पास में खड़ा गोलू कबसे बोले जा रहा था,”भैया,,,,,,,,,अरे गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,अरे यार सुनो तो,,,,,,,हम जे कह रहे,,,,,,,,,,,,अरे सुन रहे हो की नहीं ?”
कहते हुए गोलू ने गुड्डू की बांह पकड़कर उसे झंझोड दिया। गुड्डू होश में आया और कहा,”हां हां का कह रहे थे तुम ?”
“अरे यार हम कह रहे है बस सगाई सगाई तक तुमहू इह नाटक कर ल्यो उसके बाद सब सच बता देंगे गुप्ता जी को”,गोलू ने कहा
“ठीक है फिर अब देखो हमायी एक्टिंग”,कहते हुए गुड्डू शगुन की तरफ बढ़ गया और उसकी सहेलियों के सामने ही उसके बालो को ठीक करते हुए कहा,”शगुन तुमहू जानती हो ना हमे तुम्हाये बाल कितने पसंद है इन्हे ना ऐसे रखा करो”
शगुन की सहेलियों ने गुड्डू का रोमांटिक रूप देखा तो ख़ुशी से मुस्कुराने लगी वही शगुन हैरान थी की गुड्डू को ये अचानक क्या हो गया है ? लेकिन वह चुप रही। गुड्डू वहा से चला गया अब सबसे खुलकर मिल रहा था बात कर रहा था जैसे एक दामाद अपने ससुराल में करता है गुप्ता जी ने देखा तो उन्हें भी बहुत अच्छा लगा। मिश्रा जी और मिश्राइन भी आ पहुंचे दोनों गुप्ता जी से मिले और अंदर चले आये गुड्डू ने जैसे ही अपने पिताजी को देखा गायब हो गया क्योकि वह नहीं चाहता था की मिश्रा जी उसे ऐसे हाल में देखे और सवाल करे। खैर सगाई का फंकशन था और ऐसे में मिश्रा जी भी गुप्ता जी और उनके रिश्तेदारों के साथ व्यस्त हो गए। गुड्डे ने देखा तो वह दूसरी ओर चला गया चलते चलते उसकी नजर कमरे में खड़ी शगुन पर पड़ी जो की अपने हाथो को अपनी पीठ के पीछे करके ना जाने क्या कर रही थी ? गुड्डू शगुन के पास चला आया और कहा,”जे का कर रही हो तुम ?”
“कुछ नहीं”,शगुन ने अपने हाथ नीचे करते हुए कहा।
“जे अपनी पीठ के पीछे का छुपा रही हो ? दिखाओ जरा”,कहते हुए गुड्डू ने शगुन को पलटा तो देखा शगुन अपने बलाउज का हुक लगाने की कोशिश कर रही थी जो की खुल गया था। गुड्डू ने देखा तो नजरे घुमा ली और कहा,”हम कीसी को भेजते है”
शगुन ने कुछ नहीं कहा गुड्डू ने उधर से गुजरती भाभी को आवाज दी तो उन्होंने कहा,”अरे गुड्डू जी आपकी घरवाली है आप ही कर दीजिये ना उनकी मदद , उन्हें अच्छा भी लगेगा”
गुड्डू शगुन की तरफ पलटा और कहा,”फिर किसी और को कहेंगे तो ना जाने का का सुनने को मिलेगा ? , तुमको ऐतराज ना हो तो हमहू कर दे”
“हम्म्म !”,कहते हुए शगुन पलट गयी गुड्डू शगुन के करीब आया और अपने हाथो से उसका हुक बंद कर दिया। ऐसा करते हुए गुड्डू ने गर्दन घुमा ली , जब उसकी उंगलियों ने शगुन की पीठ को छुआ तो एक खूबसूरत अहसास शगुन को हुआ और उसने कहा,”हो गया ?”
“हां कर दिए है”,कहते हुए गुड्डू साइड हो गया शगुन उसकी तरफ पलटी और कहा,”थैंक्यू !”
शगुन वहा से जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”शगुन !”
“हां”,शगुन ने पलटकर कहा
“अच्छी लग रही हो”,गुड्डू ने कहा तो शगुन की आँखे बड़ी हो गयी ये देखकर गुड्डू ने कहा,”लाइन नहीं मार रहे है जेनुअन तारीफ कर रहे है”
“थैंक्यू”,शगुन ने कहा और मुस्कुरा कर वहा से चली गई। कुछ देर बाद गुड्डू भी बाहर चला आया। सगाई का फंक्शन शुरू हुआ। सभी जमा हो गए। प्रीति बहुत सुंदर लग रही थी रोहन की तो नजरे नहीं हट रह थी उस पर से। वेदी भी प्रीति के साथ ही थी और आज उस पर भी किसी की नजरे टिकी हुई थी और वो नजरे थे अमन की। शगुन की शादी से ही अमन को वेदी पसंद थी पर कभी उस से बात करने का मौका नहीं मिला और उसके बाद अमन पढाई के लिए बाहर चला गया लेकिन प्रीति की सगाई में वेदी को देखकर वो भावनाये फिर से जागने लगी थी। गुड्डू सबके साथ खड़ा सगाई का फंक्शन देख रहा था। कुछ देर बाद पारस अपने मम्मी पापा और सोनिया के साथ शगुन के घर पहुंचा। प्रीति ने पारस को देखकर दूर से ही हाथ हिला दिया और शगुन भी उसे देखकर मुस्कुरा का पारस की तरफ चली आयी। वह पारस और सोनिया से बात करने लगी बातो बातो में जब पारस ने शगुन के कंधे को अपने हाथ से छुआ तो गुड्डू के मन में जलन की भावना पैदा होने लगी। उसे पारस का शगुन को छूना अच्छा नहीं लगा। गुड्डू उस तरफ चला आया और आकर शगुन से कहा,”तुम हिया का कर रही हो ? तुम्हायी बहन की वहा सगाई हो रही है जाओ अटेंड करो”
शगुन मुस्कुराकर वहा से चली गयी पारस ने गुड्डू को वहा देखा तो खुश हो गया उसने अपना हाथ गुड्डू की तरफ बढाकर कहा,”हेलो मेरा नाम पारस है मैं और शगुन एक ही कॉलेज में थे”
गुड्डू ने भी अपना हाथ पारस की तरफ बढ़ा दिया और हाथ मिलाते हुए कहा,”अर्पित मिश्रा फ्रॉम कानपूर”
पारस गुड्डू को वहा देखकर खुश था लेकीन गुड्डू कही न कही उसके आने से परेशान था।!!!
क्रमश- Manmarjiyan – S51
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संजना किरोड़ीवाल