Manmarjiyan – S48
Manmarjiyan – S48
गोलू और गुड्डू दोनों बनारस आ चुके थे , रुके भी दोनों शगुन के घर ही थे। विनोद और अमन प्रीति की सगाई में हाथ बटा रहे थे , गुप्ता जी और शगुन ने पुरानी बातो को भूलकर विनोद को माफ़ कर दिया था लेकिन प्रीति को उन पर अभी भी भरोसा नहीं था। गुड्डू इस बात से परेशान था की शगुन के घर में सब उसे दामाद जी दामाद जी क्यों कह रहे थे ? गोलू ने मुश्किल से सब सम्हाला और गुड्डू के पास चला आया उसकी शक्ल देखकर गुड्डू ने कहा,”गोलू हमे ऐसा काहे लगता है की तुम्हाये फिर से “L” लगने वाले है”
“ए ऐसी मनहूस बाते ना करो यार तुमहू , सब सही तो जा रहा है बताओ का कमी है ?”,गोलू ने झुंझलाते हुए कहा
“अरे यार ठीक है मतलब इतना गुस्स्सा काहे रहे हो ? अच्छा हमको ना तुमसे एक ठो बात करनी है”,गुड्डू ने बोतल साइड में रखते हुए कहा
“हां कहो”,गोलू ने कहा
“नमस्ते जीजाजी”,पास से गुजरते दो लड़को ने गुड्डू से कहा तो गुड्डू खिंसिया कर मुस्कुरा दिया और फिर गोलू की बांह पकड़ते हुए कहा,”यहाँ नहीं कही एकांत में चलो”
गोलू गुड्डू के साथ छत पर चला आया। छत पर इस वक्त कोई नहीं था गुड्डू गोलू को लेकर साइड में आया और कहा,”सबसे पहिले तो हमे जे बताओ की यहाँ सब हमे दामाद जी दामाद जी काहे कह रहे है ?”
“वो ना बहुते लम्बी कहानी है कभी फुर्सत में फुर्सत में सुनाएंगे”,गोलू ने बात टालते हुए कहा
“बात को घुमाओ मत गोलू बताओ हमे जे सब का हो रहा है ? वरना हम जा रहे है वापस कानपूर”,गुड्डू ने सख्ती से कहा
गोलू यहाँ आकर फंस चुका था गुड्डू के सामने अब क्या कहानी बनाये कुछ समझ नहीं आ रहा था। गोलू को सोच में डूबा देखकर गुड्डू ने कहा,”ठीक है फिर हम चलते है”
“अरे गुड्डू भैया रुको यार बताते है”,गोलू ने उसे रोकते हुए कहा
“नमस्ते जीजाजी”,एक बार फिर उधर से गुजरते हुए किसी लड़के ने कहा तो इस बार गुड्डू भड़क गया और कहा,”साले एक ठो बार और जीजाजी कहे ना तो मुंह फोड़ देंगे हम तुम्हारा,,,,,,,,,,,,,का तुम्हायी बहन ब्याही है हमने ?”
लड़का हक्का बक्का सा गुड्डू को देखने लगा तो गोलू ने कहा,”अरे यार भाई तुमहू जाओ जे बस ऐसे ही मजाक कर रहे है , जाओ जाओ नीचे मेहमानो को ठंडा दो”
गोलू की बात सुनकर लड़का वहा से चला गया। गोलू ने गुड्डू से फुसफुसाते हुए कहा,”का कर रहे हो यार भैया ? काहे रायता फैला रहे हो ?”
“कैसा रायता ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे हम कह रहे है की कल खाने में रायता भी बनवाना है”,गोलू ने मन ही मन खुद को कोसते हुए कहा
“तुम ना हमे बातो से टहला रहे हो बस , और हमे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे तुमहू हमसे कुछो छुपा रहे हो ? देखो गोलू अगर ऐसा कुछो है ना तो हम बता रहे है की फंसोगे तुम”,गुड्डू ने कहा
“अरे नहीं भैया हम काहे तुमसे कुछो छुपायेंगे ? आओ वहा चलकर बैठो हम सब बताते है”,कहते हुए गोलू गुड्डू को लेकर कुछ ही दूर पड़ी कुर्सियों पर जा बैठा और कहने लगा,”हम जो बताने जा रहे है वो जरा ध्यान से सुनना आप ठीक है ,,, तो बात ऐसी है की जो गुप्ता जी है तुम्हाये पिताजी के मित्र उनकी बड़ी बिटिया शगुन कुछ महीनो पहले घर छोड़कर चली गयी थी किसी लड़के के लिए लेकिन वो लड़का निकला हरामी तो शगुन को छोड़ दिया और शादी से ना कह दी। अब शगुन अपने घर आ नहीं सकती थी इसलिए वो चली आयी तुम्हाये पिताजी के घर , वहा कुछ दिन रुकी जब पता चला की उसकी छोटी बहन प्रीति की सगाई हो रही है तो गुप्ता जी ने उसे घर आने को कहा और साथ में दामाद जी को भी लाने को कहा क्योकि तब तक गुप्ता जी शगुन और उस लड़के को माफ़ कर चुके थे लेकिन शगुन कहा से उसे लेकर आती वो तो उसे छोड़कर जा चुका था अब जैसे ही आज शाम तुम शगुन के साथ यहाँ आये तो सबको लगा तुमहु वो लड़के हो , और लगे सब तुम्हे दामाद समझने बस यही बात है”
गोलू कोई अतरंगी कहानी बनाकर गुड्डू को सूना दी। गुड्डू ने सूना तो उसे भी थोड़ा अजीब लगा लेकिन गोलू की बातो पर विश्वास करने के अलावा उसके पास कोई चारा भी नहीं था उसने हैरानी से कहा,”लेकिन शगुन तो हमे कुछो ना बताई”
“यार भैया उह लड़की है खुद जे बात कैसे बताएगी ?”,गोलू ने कहा
“तो शगुन सारा सच अपने घरवालों को काहे नहीं बताई ?”,गुड्डू ने मासूमियत से पूछा
“गुड्डू भैया उसकी बहन की सगाई है ऐसे में जे सब बताकर घर का माहौल खराब थोड़े करना है एक बार जे सगाई हो जाये उसके बाद शगुन खुद ब खुद सब सच बता देगी पर तब तक तो सब सम्हालना होगा ना”,गोलू ने कहा
“हमे तो सबसे जियादा गुस्सा उस लड़के पर आ रहा है जिसने शगुन को धोखा दिया , इतनी अच्छी लड़की का दिल कोई कैसे तोड़ सकता है ?”,गुड्डू ने उदास होकर कहा
“तुमको शगुन के लिए दुःख हो रहा है ?”,गोलू ने पूछा
“हाँ बुरा लग रहा है यार कोई उनके साथ बुरा कैसे कर सकता है ? वो बहुते अच्छी है”,गुड्डू ने कहा जिसकी आँखों में शगुन के लिए परवाह नजर आ रही थी। ये सही मौका था गुड्डू और शगुन को एक दूसरे के करीब लाने का सोचकर गोलू ने कहा,”हां यार गुड्डू भैया बुरा तो हमे भी बहुत लग रहा है शगुन जी के लिए और वो लड़का अगर हमे मिल गया ना हम उसे छोड़ेंगे नहीं ,, वैसे तुमहू चाहो तो एक ठो अहसान कर सकते हो उन पर”
“कैसा अहसान ?”,गुड्डू ने पूछा
“कल सगाई में आपको उस लड़के की जगह लेनी है , सबको लगना चाहिए शगुन ने जिसके लिए घर छोड़ा था वो आप ही हो। इस से गुप्ता जी के घर की इज्जत भी बच जाएगी और शगुन को भी किसी को जवाब देना नहीं पडेगा”,गोलू ने कहा तो गुड्डू सोच में पड़ गया और फिर कहा,”यार गोलू हम कैसे कर सकते है जे सब ?”
“हाँ तो तुमको कौनसा शगुन से शादी करनी है , बस एक ही दिन की तो बात है उसके बाद तुम अपने घर शगुन अपने घर”,गोलू ने कहा
“फसेंगे तो नहीं ना किसी कांड में क्योकि हमहू वादा किये है खुद से की अब ऐसा कुछो नहीं करेंगे जिस से पिताजी का दिल दुखे”,गुड्डू ने कहा
“अरे इसके बाद देखना मिश्रा जी को भी तुमहू पर गर्व होगा , ज्यादा ना सोचो बस कल मेहमानो के बीच घूमते रहो और मुस्कुराते रहो”,गोलू ने कहा
“गोलू भैया खाना तैयार है आप दोनों को नीचे बुलाया है”,वेदी ने आकर कहा
“तुमहू चलो हम आते है”,गुड्डू ने कहा तो वेदी वापस चली गयी। थोड़ी देर बाद गुड्डू और गोलू भी नीचे चले आये। गोलू का फोन बजा तो वह साइड में चला गया। गुड्डू की नजर किचन से खाना डायनिंग पर रखती हुयी शगुन पर चली गयी , उसे देखते हुए गुड्डू मन ही मन कहने लगा,”कोई गधा ही होगा जो तुमको ना कहेगा , और तुमहू भी ना बहुते भोली हो शगुन ऐसे ही किसी भी बन्दे के पीछे घर छोड़कर चल दी। हमने कितना परेशान किया तुमको , हमे नहीं पता था तुमहू जे सब से गुजर रही हो पर तुम्हाये लिए ना महादेव से दुआ करेंगे की तुम्हायी जिंदगी में सब सही हो जाये”
कुछ देर बाद गुड्डू का ध्यान शगुन से हटा तो देखा बगल में खड़ी प्रीति उसे ही देखकर मुस्कुरा रही थी तो गुड्डू ने कहा,”का ऐसे मुस्कुरा काहे रही हो ?”
“मेरी दीदी मस्त दिखती है ना ?”,प्रीति ने गुड्डू के कंधे को अपने कंधे से टकराकर कहा
“हम काहे तुम्हायी दीदी को देखेंगे ?”,गुड्डू ने प्रीति से नजरे चुराते हुए कहा जबकि देख वह शगुन को ही रहा है
“अरे गुड्डू जी हमे सब पता है आपकी नजरे कहा जा रही है , वैसे आप कहे तो दी को बुलाऊ ?”,कहते हुए प्रीति शगुन तरफ जाने लगी तो गुड्डू में उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”अरे का कर रही हो तुम ? रहने दो वो बिजी है”
“हाये !! कितनी परवाह है ना आपको शगुन दी की , फिर जाकर उनकी मदद क्यों नहीं करते ?”,प्रीति ने कहा
“हाँ हाँ करेंगे ना , जाते है”,गुड्डू को भी वहा से निकलने का बहाना मिल गया। गुड्डू वहा से निकल कर शगुन के पास चला आया और उसके हाथ से खाने की प्लेट लेते हुए कहा,”लाओ हम तुम्हायी मदद कर देते है”
“अरे नहीं मैं कर लुंगी आप रहने दीजिये”,शगुन ने कहा
“अरे कोई बात नहीं लाओ हमे दो हम लेकर चलते है”,कहते हुए गुड्डू ने शगुन के हाथ से प्लेट ली और शगुन के साथ साथ चलने लगा। गुड्डू का उसकी मदद करना शगुन को बहुत अच्छा लग रहा था वह चलते हुए बड़े प्यार से गुड्डू को देख रही थी। गुड्डू ने जैसे ही प्लेट डायनिंग पर रखा वही पास ही खड़े गुप्ता जी ने देख लिया और गुड्डू से कहा,”अरे दामाद जी ये क्या कर रहे है आप ? हम सबके होते हुए आप ये सब क्यों कर रहे है ?”
“कोई बात नहीं हमे आदत है ये सब करने की”,गुड्डू ने कहा तो गुप्ता जी मुस्कुरा उठे और गुड्डू के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”नहीं बेटा आप इस घर के दामाद है ये सब मत कीजिये , आईये बैठिये”
गुड्डू कुर्सी पर आकर बैठ गया। चाचा और अमन भी चले आये। प्रीति और वेदी भी चली आयी और सबके साथ आकर बैठ गयी। गोलू ने फोन रखा और वह भी आकर गुड्डू के बगल में बैठ गया। शगुन सबको खाना परोसने लगी। उसने सबकी थालियों में खाना परोसा और जैसे ही गुड्डू की थाली में परोसने लगी गुड्डू ने कहा,”तुमहू भी बइठो”
“मैं बाद में खा लुंगी आप खाइये ना”,शगुन ने कहा तो गुड्डू ने उसके हाथ से प्लेट लेकर रखा और उसका हाथ पकड़ कर उसे बैठाते हुए कहा,”सबके साथ खाओ ना बइठो”
“खाना ?”,शगुन ने कहना चाहा तो गुड्डू ने कहा,”वो हम परोस देंगे”
कहते हुए गुड्डू उठा और शगुन को बैठाकर खुद अपने हाथो से उसकी प्लेट में परोसने लगा। उसे ऐसा करते देखकर गुप्ता जी ने कहा,”अरे आप क्या कर रहे है हम सब है ना ये करने के लिए ?”
“नहीं आज तो हम ही परोसेंगे , और हमे जे करना ना बहुते अच्छा लग रहा है इसलिए हमे करने दीजिये”,गुड्डू ने गुप्ता जी की प्लेट में चपाती रखते हुए कहा
गुड्डू को पहले जैसा देखकर मिश्रा जी को अच्छा लगा विनोद भी हँसते मुस्कुराते गुड्डू से बाते करते हुए खाने लगा। चाची अभी भी नाराज थी विनोद के कहने पर भी वो नहीं आयी तो विनोद ने उन्हें ज्यादा भाव नहीं दिया। सबको परोसने के बाद गुड्डू आकर शगुन की बगल में बैठ गया। सब खाना खाने लगे गुड्डू के सामने बैठी थी प्रीति अब प्रीति मौजूद हो और वो कोई शरारत ना करे ऐसा हो ही नहीं सकता। उसने खाते हुए अनजान बनकर अपना पैर गुड्डू के पैर से लगा दिया। जैसे ही प्रीति का पैर गुड्डू को लगा गुड्डू खाते खाते एकदम से रुक गया उसे लगा शगुन का पैर है तो उसने शगुन को देखा। शगुन ने इशारे से पूछा तो गुड्डू ने ना में गर्दन हिला दी।
प्रीति ने देखा गुड्डू फिर से खाना खाने में बिजी हो गया है। उसने अपना पैर गुड्डू के पैर के पास किया और हलके से मारा , गुड्डू को लगा इस बार भी शगुन ने किया है लेकिन शगुन को खाता देखकर उसे अजीब लगा उसने अपना ध्यान शगुन से हटाकर फिर से खाने पर लगा लिया। प्रीति ने देखा गुड्डू और शगुन दोनों का ध्यान सिर्फ खाने पर है तो उसने इस बार जोर से गुड्डू के पैर पर अपना पैर मारा , इस बार गुड्डू को भी गुस्सा आया और उसने प्रीति के पैर के बजाय शगुन के पैर को ठोकर मारी शगुन ने हैरानी से गुड्डू की तरफ देखा तो गुड्डू अनजान बनकर सामने देखने लगा। प्रीति जो चाहती थी वो हो चुका था इसलिए उसने अपना पूरा ध्यान खाने पर लगा लिया। शगुन कनखियों से गुड्डू को देख रही थी वही हाल गुड्डू का था। खाना खाकर गुप्ता जी विनोद के साथ चले गए। अमन , वेदी और प्रीति भी वहा से चले गए। गुड्डू को शगुन से बात करनी थी लेकिन गोलू के सामने क्या कहे ? उसने गोलू को देखा तो गोलू ने कहा,”खाना बहुते टेस्टी बना है नई”
“अबे गोलू खिसको यहाँ से”,गुड्डू ने फुसफुसाते हुए कहा
“का ? का कह रहे हो ?”,गोलू ने खाते हुए कहा
“शगुन हमे ना थोड़ा सा ठंडा पानी चाहिए”,गुड्डू ने कहा तो शगुन उठकर किचन की तरफ चली गयी। उसके जाते ही गुड्डू गोलू की तरफ पलटा और कहा,”अबे कितना ठूसोगे बे , हाजमा खराब हो जाएगा तुम्हारा ,,, हमे शगुन से कुछो बात करनी है अकेले में तुमहू न निकलो हिया से”
गुड्डू ने इतना ही कहा की तब तक शगुन आ गयी और गुड्डू को चुप होना पड़ा लेकिन गोलू उसकी बात समझ गया और उठते हुए गुड्डू को मुस्कुरा कर देखा और शगुन से कहा,”हमारा हो गया आप लोग खाइये”
गोलू के जाने के बाद शगुन ने जग से पानी ग्लास में उड़ेलकर गुड्डू की तरफ बढ़ा दिया और कहा,”आप यहाँ कैसे आये ?”
“क्यों तुम्हे हमाये आने से दुःख हो रहा है या फिर ख़ुशी नहीं हो रही ?”,गुड्डू ने पानी पीते हुए कहा
“मेरा वो मतलब नहीं है , अंकल जी ने आपको यहाँ आने से मना किया था कही आप उनसे झूठ बोलकर तो यहाँ नहीं आये है ना ?”,शगुन ने पूछा
“हमे सब पता चल चुका है”,गुड्डू ने शगुन की आँखों में देखते हुए कहा। जैसे ही शगुन की नजरे गुड्डू की नजरो से मिली उसका दिल धड़क उठा और उसने कहा,”क्या पता चल चुका है ?”
“वही जो तुम हमसे छुपा रही थी अब तक”, गुड्डू ने बिना पलके झपकाए शगुन को देखते हुए कहा जिस से शगुन की बेचैनी और बढ़ गयी। गुड्डू को क्या पता चला है इस बारे में सोचकर शगुन का हलक सूखा जा रहा था , उसे असमझ की स्तिथि में देख गुड्डू ने अपने हाथ में पकड़ा गिलास शगुन की तरफ बढ़ा दिया जो की आधा पानी से भरा हुआ था। शगुन ने गिलास लिया और सारा पानी एक साँस में पि गयी उसे महसूस हुआ की उसे प्यास लगी थी।
गुड्डू आगे कुछ पूछता इस से पहले ही शगुन उठी और कहा,”वो मुझे पापा से कुछ काम है मैं आती हूँ”
जैसे ही वह जाने लगी गुड्डू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका और कहा,”तुम हमसे उतना ही दूर जा सकती हो शगुन जितना हम जाने देंगे , तुम्हाये साथ जो हुआ है उसे तो हम नहीं बदल सकते लेकिन वादा करते है कल तुम्हायी जिंदगी में सब सही हो जाएगा”
कहकर उसने शगुन का हाथ छोड़ दिया शगुन पलटी और गुड्डू की तरफ देखा गुड्डू की आँखो में उसे अपने लिए विश्वास नजर आ रहा था
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