Manmarjiyan – S2
मनमर्जियाँ – S4
शगुन ने जैसे ही गुड्डू के सामने उसका नाम लिया गुड्डू ने शगुन को नहीं पहचाना और अपने पिताजी से कहा,”जे कौन है पिताजी ? और हमारा नाम काहे पुकार रही है ?”
शगुन ने जैसे ही सूना उसका दिल बैठ गया। वह बदहवास सी गुड्डू को देखते रही वह कुछ कह पाती या गुड्डू को समझा पाती इस से पहले ही डॉक्टर अंदर आया और सबको बाहर निकाल दिया। डॉक्टर और उनके कुछ साथी वहा मौजूद थे। डॉक्टर गुड्डू के पास आया और कहा,”अब कैसे हो गुड्डू ?”
“हमहू ठीक है बस सर में बहुते दर्द हो रहा है”,गुड्डू ने कहा
“तुम्हारे सर में गहरी चोट लगी थी इसलिए , धीरे धीरे ठीक हो जाएगा”,डॉक्टर ने कहा
“जी डॉक्टर , हमे जे चोट कैसे लगी ?”,गुड्डू ने सवाल किया
“सर हमारा शक सही निकला ही लॉस्ट हिज मेमोरी”,डॉक्टर के साथ खड़े स्टाफ में से एक ने डॉक्टर के कान में फुसफुसाते हुए कहा
“गुड्डू तुम्हे याद नहीं तुम्हे ये चोट कैसे लगी ?”,डॉक्टर ने सामने से सवाल किया
“हमहू तो कुछो याद नहीं आ रहा है , गोलू के साथ बाइक पर घूम रहे थे उसके बाद का हुआ याद नहीं”,गुड्डू ने सोचते हुए कहा
“ये गोलू कौन है ?”,डॉक्टर ने अगला सवाल किया
“गोलू हमारा दोस्त है , हमाये साथ ही घूमता है”,गुड्डू ने कहा
“सर इसे अपना दोस्त याद है मतलब पेशेंट की सिर्फ कुछ वक्त की मेमोरी गयी है”,एक बार फिर साथ खड़े स्टाफ ने डॉक्टर के कान में फुसफुसाते हुए कहा
“हमे घर जाना है”,गुड्डू ने उदास होकर कहा
“जल्दी ही तुम्हे घर भेज दिया जाएगा गुड्डू , अच्छा ये बताओ की तुम्हारी शादी हो गयी ?”,डॉक्टर ने अगला सवाल किया
“हमायी शादी ?,,,,,,,,,,,,,,,,हमायी शादी नहीं हुई है अभी , अभी तो हमारे फाइनल के इम्तिहान बाकि है”,गुड्डू ने कहा
“ठीक से याद करो गुड्डू कोई लड़की है तुम्हारी जिंदगी में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,?”,डॉक्टर ने फिर पूछा
गुड्डू ने अपने दिमाग पर जोर डाला लेकिन गुड्डू को कुछ याद नहीं आया उल्टा उसका सर घूमने लगा और दर्द होने लगा। गुड्डू ने अपना सर पकड़ लिया। ये देखकर डॉक्टर ने गुड्डू को आराम करने को कहा और खुद बाकि सबके साथ ICU से बाहर चला आया। उनके बाहर आते ही मिश्रा जी ने पूछा,”डॉक्टर साहब क्या हुआ है गुड्डू को ?”
डॉक्टर ने मिश्रा जी की और देखा और कहा,”आप सब मेरे साथ मेरे चेंबर में आईये”
डॉक्टर की बात सुनकर सभी के मन में बेचैनी बढ़ गयी। मिश्रा जी , मिश्राइन , गोलू , शगुन , पारस और वेदी डॉक्टर के पीछे पीछे चल पड़े। शगुन तो अभी उस सदमे से बाहर ही नहीं आ पा रही थी जब गुड्डू ने उसे पहचाना नहीं था। चेंबर में आकर डॉक्टर ने मिश्रा जी को बैठने को कहा। मिश्रा जी और मिश्राइन डॉक्टर के सामने आ बैठे , शगुन गोलू और वेदी वही पास में खड़े हो गए। डॉक्टर कुछ देर चुप रहा और फिर कहने लगा,”गुड्डू पहले से बेहतर कंडीशन में है लेकिन सर में चोट लगने की वजह से उसे “शार्ट टर्म मेमोरी लॉस” हुआ है , इसमें पेशेंट हाल ही में हुई घटनाओ को भूल जाता है। दिमाग का वह हिस्सा जिसमे जरुरी यादो को जमा किया जाता है वह ब्लॉक हो जाता है ,, गुड्डू भी हाल ही में हुयी घटनाये भूल चुका है उसे कुछ याद नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपनी शादी भी नहीं”
डॉक्टर ने आखरी बात पर जोर देते हुए कहा। शगुन ने सूना तो उसका तो जैसे किसी ने दिल ही निकाल लिया। उसे अब समझ आया की गुड्डू उसे की क्यों नहीं पहचान पाया। शगुन की आँखों से आंसू बहने लगे वेदी ने उसे सम्हाला।
“गुड्डू को याद दिलाया नहीं जा सकता , हमारा मतलब हम उसे बताये उसकी शादी के बारे में तो क्या उसे ये सब याद नहीं आएगा ?”,मिश्रा जी ने पुछा
“अभी उसे कुछ याद दिलाने या जबरदस्ती याद दिलाने से हो सकता है इसका उसके दिमाग पर प्रेशर पड़े और वो हमेशा के लिए अपनी यादाश्त खो दे , इसलिए ऐसा कुछ मत कीजियेगा। फ़िलहाल मैं गुड्डू को दो दिन ICU में ही रखना चाहूंगा उसके बाद जैसे ही उसके सर से पट्टिया निकलेगी उसे दूसरे रूम में शिफ्ट कर देंगे ,, तब तक के लिए उनका ख्याल रखे”,डॉक्टर ने कहा
मिश्राइन ने सूना तो वह रोने लगी। उन्हें रोते देखकर डॉक्टर ने कहा,”देखिये आपको गुड्डू के सामने ऐसा कुछ नहीं करना है जिस से उसे सोचना पड़े अभी उसके जख्म ताजा है उन पर प्रेशर पड़ने से उसे तकलीफ होगी। अगर उसे कुछ याद नहीं है तो अच्छा होगा की उसे याद दिलाने की कोशिश भी ना करे। धीरे धीरे उसे सब अपने आप याद आने लगेगा। उसका दिमाग उन घटनाओ की खुद रिकवरी करेगा”
डॉक्टर की बात सुनकर मिश्राइन ने आँखों में आंसू भरकर कहा,”हमारा गुड्डू ठीक तो हो जाएगा ना ?”
“वो ठीक है बस पिछले कुछ महीनो में क्या हुआ वो सब भूल चुका है , आप लोग उसका ख्याल रखे ,, आपके साथ और प्यार से वह ठीक हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे एक पेशेंट देखना है आप लोग प्लीज बाहर चलकर बैठे”,डॉक्टर ने कहा तो मिश्रा जी सबको बाहर ले आये। मिश्रा जी मिश्राइन को सम्हालने लगे। पारस डॉक्टर से कुछ बात करने के लिए रुक गया। वेदी भी अपनी अम्मा को सम्हालने लगी। गोलू का तो सोच सोच कर दिमाग फटा जा रहा था। शगुन उदास , बदहवास सी डॉक्टर के चेंबर से बाहर आयी और धीरे धीरे ICU की और बढ़ने लगी। उसकी आँखो से आंसू बहते जा रहे थे चेहरे पर कोई भाव नहीं ,, दिमाग में बस गुड्डू का चेहरा और गुड्डू के साथ बिताया वक्त चल रहा था। शगुन ICU के गेट के सामने आकर खड़ी हो गयी और शीशे के झरोखे से सामने बिस्तर सोये गुड्डू को देखने लगी। गुड्डू को इस हाल में देखकर शगुन को बहुत दुःख हो रहा था उसकी आँखों से आंसू बहते जा रहे थे और सीने में एक टीस महसूस हो रही थी। कुछ ही दूर खड़े मिश्रा जी ने देखा तो वे शगुन के पास चले आये और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”बिटिया”
शगुन उदास आँखे लिए मिश्रा जी की और पलटी तो उन्होंने ना में गर्दन हिलाते हुए कहा,”ना बिटिया जे सब नहीं , कुछ नहीं हुआ है हमाये गुड्डू को , सब ठीक हो जाएगा”
शगुन ने मिश्रा जी की बात सुनी तो वह उनके सीने से आ लगी और फुट फुट कर रोने लगी। शगुन का दर्द उस वक्त मिश्रा जी समझ सकते थे। वे उसे ढाढ़स बंधाते हुए उसका सर सहलाने लगे और उसे मिश्राइन के पास ले आये। शगुन का रोना देखकर वहा खड़ी मिश्राइन और वेदी की आँखों में भी आंसू आ गए। मिश्राइन ने उसे अपने गले लगाया और कहने लगी,”ना बिटिया ऐसे नहीं करते तुम्हाये और गुड्डू की किस्मत में परेशानिया जरुर लिखी है पर अलग होना नहीं। हिम्मत रखो बिटिया सब ठीक हो जाएगा”
शगुन कुछ बोल ही नहीं पायी उसे बस गुड्डू का चेहरा नजर आ रहा था और नजर आ रहा था उसका दर्द उसकी तकलीफ। मिश्राइन के सीने से लगी शगुन कई देर तक सिसकती रही। मिश्रा जी ने गोलू को पानी लेने भेजा। गोलू के जाते ही पारस वहा आया मिश्रा जी ने उसे देखा तो अपने पास बुलाकर कहा,”बेटा जी आप तो जानते ही है डॉक्टर साहब ने अंदर क्या कहा ऐसे में शगुन का यहाँ रुकना सही नहीं होगा , हमे गलत मत समझना बेटा पर हम चाहते है की जब तक गुड्डू ठीक ना हो जाये शगुन अपने घर में ही रहे”
“मैं आपकी बात समझ सकता हूँ अंकल आप परेशान मत होईये मैं शगुन को लेकर वापस बनारस चला जाऊंगा”,पारस ने कहा
मिश्रा जी ने नम आँखों के साथ पारस के सामने हाथ जोड़े तो पारस ने उन हाथो को थामते हुए कहा,”ये आप क्या कर रहे है ? आप लोग बस गुड्डू का ध्यान रखिये”
“हां बेटा”,मिश्रा जी ने कहा और वहा से चले गए। मिश्राइन और वेदी बेंच पर बैठी थी , शगुन उसी बरामदे में उनके सामने दिवार से पीठ लगाए खड़ी थी। पास ही बेंच पर पारस बैठा था , मिश्रा जी के इशारा करने पर गोलू सबके लिए चाय ले आया। सबको चाय देकर गोलू शगुन के पास आया और कहा,”भाभी इह लो”
“हमे नहीं चाहिए गोलू जी”,शगुन ने नम आँखों से गोलू की और देखते हुए कहा
“भाभी सुबह से तुमहू कुछो खायी पी नहीं हो , ऐसे तो और बीमार पड़ जाओगी ,, इह चाय पि ल्यो”,गोलू ने कहा
“नहीं गोलू जी”,शगुन ने उदास स्वर में कहा
“हमायी खातिर ना सही गुड्डू भैया की खातिर , अभी वो ठीक होते तो आपको ऐसे देखकर बिल्कुल खुश नहीं होते,,,,,,,,,,,,,पि लो ना”,गोलू ने कहा तो शगुन ने काँपती उंगलियों से चाय का कप ले लिया और पीने लगी। शाम के 4 बज रहे थे। मिश्रा जी ने वेदी और मिश्राइन को गोलू के साथ घर भेज दिया। शगुन ICU के बाहर बेंच पर खामोश बैठी थी। पारस कुछ दूर खड़ा मिश्रा जी से बात कर रहा था।
मिश्रा जी ने पारस को अच्छे से सब समझा दिया। तब तक गोलू भी वापस आ गया। पारस शगुन के पास आया और कहा,”चले शगुन”
“मैं गुड्डू जी को छोड़कर कही नहीं जाउंगी”,शगुन ने कहा
“शगुन गुड्डू की तबियत अब सही है और डॉक्टर ने कहा ना की उसकी यादास्त जा चुकी है , ऐसे में तुम्हारा यहाँ रुकना उसे परेशान कर देगा,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे मेरे साथ वापस बनारस चलना चाहिए”,पारस ने शगुन को समझाते हुए कहा
“ये कैसी बातें कर रहे हो तुम पारस ? वो मेरे पति है इस वक्त उन्हें मेरी जरूरत है , मैं उन्हें इस हाल में छोड़कर कैसे जा सकती हूँ ? मैं कही नहीं जाउंगी पारस मई रहूंगी उनके साथ”,शगुन ने कहा तो पारस उसकी बगल में बैठ गया और कहने लगा,”शगुन तुम्हारे लिए गुड्डू क्या है ?”
“ये कैसा सवाल है पारस ?”,शगुन ने दुखी स्वर में कहा
“मैंने जो पूछा उसका जवाब दो”,पारस ने सहजता से कहा
“वो मेरे लिए सबकुछ है पारस”,शगुन ने आँखों में आंसू भरकर कहा।
“गुड्डू की सलामती के लिए तुम्हे उसे दूर रहना ही होगा शगुन , यहाँ उसके सामने रहोगी तो बार बार वो तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश करेगा , तुम्हे याद करने की कोशिश करेगा हो सकता है ऐसे उसके दिमाग पर असर पड़े और वो हमेशा के लिए सब भूल जाये। मैं वादा करता हूँ मैं जल्दी ही तुम्हे यहाँ वापस लेकर आऊंगा पर प्लीज तब तक के लिए तुम मेरे साथ चलो , अपने लिए ना सही गुड्डू के लिए”,पारस ने शगुन को समझाते हुए कहा।
शगुन दुविधा में थी वह गुड्डू को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी , लेकिन यहाँ रहना भी सही नहीं था। शगुन को सोच में डूबा देखकर मिश्रा जी उसके पास आये तो शगुन उठ खड़ी हुई। मिश्रा जी ने शांत स्वर में कहा,”पारस ठीक कह रहा है बिटिया , जब गुड्डू ठीक हो जाएगा हम खुद तुम्हे लेने आएंगे। गुड्डू के स्वास्थ्य के लिए कुछ दिन उस से दूर रहना भी पड़े तो रह जाओ बिटिया,,,,,,,,,,,,,,,हम वादा करते है तुम्हाये गुड्डू को कुछ नहीं होने देंगे बस हमायी बात मान लो”
मिश्रा जी की बात सुनकर शगुन उलझन में पड़ गयी लेकिन ना तो वह गुड्डू की जिंदगी खतरे में डाल सकती थी ना ही मिश्रा जी की बात टाल सकती थी आखिर में शगुन ने हाँ में अपनी गदर्न हिला दी और कहा,”ठीक है पापा मैं चली जाउंगी”
“हम जल्दी ही तुम्हे लेने आएंगे बिटिया,,,,,,,,,,,,और तुमहू खुद को अकेला नहीं समझना हम सब तुम्हाये साथ है”,मिश्रा जी ने प्यार से शगुन के सर पर हाथ रखते हुए कहा
गोलू वही खड़ा था उसे शगुन का इस तरह जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वह कर भी क्या सकता था , इस वक्त सबको गुड्डू की चिंता थी। शगुन की सहमति देखते हुए पारस ने कहा,”चले शगुन ?”
“मैं एक बार उन्हें देखना चाहती हूँ”,शगुन ने आसभरी नजरो से गोलू की और देखते हुए कहा।
“हम नर्स से बात करके आते है”,गोलू भी चाहता था की शगुन जाने से पहले एक बार गुड्डू से मिल ले। वह अंदर आया देखा गुड्डू सो रहा था उसने नर्स से कहा,”सिस्टर गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,,,!!”
“वो अभी ठीक है उसे कुछ देर पहले ही इंजेक्शन लगाया है इसलिए वह गहरी नींद में है”,नर्स ने कहां
“वो थोड़ी देर के लिए भाभी इन्हे देखना चाहती है”,गोलू ने धीरे से कहा
“नहीं मिल सकते , बार बार बाहर के लोगो के अंदर आने से इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है , और तुम भी चलो बाहर”,नर्स ने सख्ती से कहा
“सिस्टर मिलने दीजिये ना उसके बाद वो चली जाएँगी फिर वापस नहीं आएँगी,,,,,,,,,,,,,जाने से पहले एक बार उन्हें देखने दीजिये”,गोलू ने कहा
“तुम्हे एक बार में समझ नहीं आता है क्या ? चलो जाओ यहाँ से”,नर्स ने गोलू को झिड़क दिया
“सिस्टर आप भी किसी की पत्नी है , आप भी किसी से प्रेम करती होगी,,,,,,,,,,,,आप एक औरत है उनकी भावनाये समझिये और सिर्फ 5 मिनिट के लिए उन्हें मिलने दीजिये,,,,,,,,,,,प्लीज”,गोलू ने इस बार थोड़ा इमोशनल होकर कहा तो नर्स ने कुछ सोचकर कहा,”अच्छा ठीक है लेकिन सिर्फ 5 मिनिट”
“शुक्रिया सिस्टर,,,,,,,,,,,,हम हम लेकर आते है उन्हें”,कहते हुए गोलू बाहर आया और शगुन को लेकर अंदर चला आया। जैसे जैसे शगुन अंदर आ रही थी उसका दिल धड़क रहा था। गोलू कुछ दूर जाकर रुक गया और शगुन ने आगे जाने को कहा। शगुन गुड्डू के पास आयी। एक हाथ में ड्रिप , एक हाथ में मॉनिटर लगा हुआ था , पैर और एक हाथ में प्लास्टर था , चेहरे पर चोट के निशान थे जो की नीले पड़ चुके थे। माथे के पीछे आधे हिस्स में पट्टी बंधी हुई थी। आगे के बाल ललाट पर थे और गुड्डू गहरी नींद में सोया हुआ था। उसके सुर्ख होंठ सुख चुके थे और चेहरे पर दर्द साफ़ दिखाई दे रहा था। ये सब देखकर शगुन का दिल भर आया और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। गुड्डू की इस हालत का जिम्मेदार वह खुद को मानने लगी थी। गुड्डू के चेहरे को देखते हुए उसके जहन में गुड्डू का ख्याल आ गया जब गुड्डू ने उसके करीब आकर कहा था,”का प्यार हो गया है का हमसे ?”
ये सोचते हुए शगुन ने आँखे मूँद ली उसकी आँखों से आंसू बहकर गालों पर आ गए। पीछे खड़े गोलू को शगुन का चेहरा तो नजर नहीं आ रहा था पर इस वक्त वह शगुन की फीलिंग्स समझ सकता था। वह ख़ामोशी से वही खड़ा रहा। नर्स जो कुछ देर पहले गोलू के सामने सख्त बन रही थी अब शगुन के आंसू देखकर नरम पड़ चुकी थी। शगुन और गुड्डू को इस हाल में देखकर उसे भी अब बुरा लग रहा था। शगुन ने गुड्डू के हाथ को अपने दोनों हाथो में लिया और कहने मन ही मन लगी,”मुझे माफ़ कर दीजिये आपकी इस हालत की जिम्मेदार शायद कही ना कही मैं भी हूँ। आप कितने दर्द में है और मैं आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकती। मैंने हमेशा आपका अच्छा चाहा है गुड्डू जी और आज भी आपके अच्छे के लिए मुझे आपसे दूर जाना होगा। बहुत कुछ है जो आपको बताना है , आपसे शेयर करना है , आपको बताना है की आप एक बहुत अच्छे पति है जो मेरे हर बुरे वक्त में मेरे साथ खड़े रहे , हां आप बहुत अच्छे पति है , आपने हमेशा मेरी भावनाओ की कदर की , मैं आपकी आवाज सुनना चाहती हूँ भले आप मुझे डाट लीजिये मुझ पर गुस्सा कर लीजिये पर प्लीज मुझसे बात कीजिये,,,,,,,,,,,,,आपने कहा था की आप मुझे कुछ बताना चाहते है मुझसे कुछ कहना चाहते है,,,,,,,,,ये सब क्यों हुआ ? ये सब नहीं होना चाहिए था ,, जब तक आप पहले जैसे नहीं हो जाते मैं खुद को माफ नहीं कर सकती गुड्डू जी,,,,,,,,,मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ,,,,,,,,,,,,,बहुत,,,,,,,,,,!!!”
मन ही मन अपनी भावनाओ से झूंझते हुए शगुन की आँखे फिर बहने लगी। 5 मिनिट कब बीते पता ही नहीं चला। नर्स ने गोलू से इशारा किया तो गोलू ने कहा,”भाभी चले ?”
शगुन ने पलटकर गोलू की और कुछ पल रुकने का इशारा किया और गुड्डू के सिरहाने चली गयी। शगुन गुड्डू के सर के पीछे खड़ी हो गयी , आँखे लाल सूज चुकी थी , होंठ सूख चुके थे शगुन ने अपने होंठो से गुड्डू के माथे को चूमा और आँखे मूंद ली। दोनों के चेहरों पर असीम दर्द था , उदासी थी , कुछ खो देने का गम था और तकलीफ थी। (ये सीन आप स्टोरी का कवर पेज देखकर इमेजिन कर सकते है ) ये नजारा देखकर गोलू अपने आंसू नहीं रोक पाया उसकी आँख से आंसू बहकर जमीन पर आ गिरे। शगुन वहा से गोलू के पास आयी और ICU से बाहर निकल गयी
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