Manmarjiyan – S32
मनमर्जियाँ – S32
गुड्डू से जो गलती हुई उसके लिए उसने शगुन से माफ़ी मांगी लेकिन शगुन उस से कुछ ज्यादा ही नाराज थी पर जब गुड्डू को उठक बैठक निकालते देखा तो उसका दिल पिघल गया। वह गुड्डू के पास आयी और उसे रोकते हुए कहा,”ये क्या कर रहे है आप ?”
“गलती किये है तो माफ़ी मांग रहे है हमारा इरादा तुमको हर्ट करने का नहीं था , हमे लगा तुमहू कुछो मिलाकर लायी हो दूध में तो हम,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा शगुन को सच पता चला तो उसने अपना सर पीट लिया और कहा,”और आपने ऐसा क्यों सोचा ?
“हमे लगा तुमहू हमे वश में करने के लिए,,,,,,,,,,,,,!!”,डरते डरते गुड्डू ने सारी बात बता दी
शगुन को गुड्डू पर गुस्सा भी आ रहा था और उसके भोलेपन पर प्यार भी उसने गुड्डू के पास आकर धीरे से कहा,”मैं आपको वश में क्यों करुँगी ? आप खुद इतने मासूम है की कब किस से इम्प्रेस हो जाये कोई कह नहीं सकता”
“का का कही तुम ?”,गुड्डू ने एकदम से कहा
“यही की मैं आपको वश में क्यों करुँगी ?”,शगुन ने कहा।
“नहीं उसके बाद , उसके बाद जो कहा”,गुड्डू ने कहा
“यही की आपको कोई भी इम्प्रेस कर सकता हैं”,शगुन ने उलझनें भरे स्वर में कहा
“अरे नहीं उस से पहिले का कहा ?”,गुड्डू ने झुंझलाते हुए कहा
“की आप मासूम है”,शगुन ने गुड्डू को झुंझलाते देखकर कहा
“का सच में मासूम दिखते है हम ?”,गुड्डू ने शगुन के करीब आकर बड़े प्यार से पूछा। एक पल को शगुन उसकी आँखों में खो सी गयी और फिर कहा,”हां मासूम तो है आप बस कभी कभी थोड़े पगला जाते है”
गुड्डू ने सूना तो मुस्कुराने लगा। गुड्डू को मुस्कुराते देख शगुन ने कहा,”मुस्कुरा क्यों रहे है आप ?”
“तुमहू हमे जानती नहीं हो शगुन गुप्ता , हमहू ना सिर्फ शक्ल से मासूम दिखते है”,गुड्डू ने कहा
“आप दिल से भी मासूम ही है और ये समझने में शायद आपको थोड़ा वक्त लगेगा”,शगुन ने जाते हुए कहा तो गुड्डू पीछे से चिल्लाया,”लगता है हमारा कनपुरिया भोकाल दिखाना पडेगा तुमको”
शगुन तो गुड्डू की रग रग से वाकिफ थी उसने सूना और चली गयी। गुड्डू के मन से एक बोझ उतर गया शगुन ने उसे माफ़ जो कर दिया था। शगुन गुड्डू की नोक झोक में दो हफ्ते कैसे गुजरे पता ही नहीं चला। सुबह गुड्डू सो रहा था मिश्रा जी ने उसे उठाया तो गुड्डू ने कहा,”का हुआ पिताजी ?”
“होना का है गोलू आ रहा है उसके साथ अस्पताल जाय के जे प्लास्टर खुलवा के आओ और हाँ डॉक्टर से जरूर मिलना”,मिश्रा जी ने कहा
गुड्डू ने प्लास्टर खुलने की बात सुनी तो खुश हो गया। इतने दिनों से वह बाहर नहीं गया था , अपनी बाइक नहीं चलाई थी , बाल भी फिर से बढ़ गए थे। गुड्डू उठा और कहा,”हमहू तो कबसे इस दिन का इंतजार कर रहे थे”
“हां तो फिर जाय के हाथ मुंह धो ल्यो और गोलू के साथ अस्पताल की तरफ प्रस्थान करो”,कहकर मिश्रा जी चले गए। गुड्डू उठा और अपना शर्ट उठाकर पहन लिया एक हाथ से बटन बंद करने लगा सामने के कर लिए लिए बाजु फोल्ड नहीं हो रहा था। तभी उसके सामने से शगुन गुजरी तो गुड्डू ने कहा,”ओह्ह्ह शगुन गुप्ता”
“जी”,शगुन ने गुड्डू की तरफ देखकर कहा
“तनिक हिया आओ”,गुड्डू ने बड़े ही प्यार से कहा तो शगुन उसकी तरफ चली आई और कहा,”क्या हुआ ?”
“जरा हमारी ये बाजू फोल्ड कर दो”,गुड्डू ने शगुन के सामने अपना हाथ करके कहा। शगुन गुड्डू के पास आयी और उसकी बाजु फोल्ड करने लगी। गुड्डू बड़े प्यार से शगुन को देखने लगा और मन ही मन सोचने लगा,”हमायी घरवाली होती तो उह भी हमाये लिए जे सब करती , पर कहा एक ठो लड़की पसंद किये थे उह भी ठेंगा दिखा गयी हमको ,,,,, पर आज दिखाते है उनको गुड्डू मिश्रा का चीज है”
“हो गया”,शगुन ने कहा
“हैं,,,,,,,,,,,,,,,,हां शुक्रिया”,गुड्डू जैसे नींद से जागा।
“आप कही जा रहे है ?”,शगुन ने पूछा
“हां और आज तुम मिलोगी असली गुड्डू मिश्रा से”,गुड्डू ने कहा
“मतलब ?”,शगुन ने अनजान बनते हुए कहा
“मतलब थोड़ा सब्र करो मिलवाते है तुम्हे कानपूर के सबसे चौचक लौंडे गुड्डू मिश्रा से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी चलते है बाद में मिलेंगे”,कहकर गुड्डू चला गया।
बाहर आकर गुड्डू ने मुंह धोया। मिश्राइन चाय ले आयी गुड्डू चाय पी ही रहा था की गोलू आ गया।
“अरे गुड्डू भैया चलो चलते है”,गोलू ने आते हुए कहा
“हां चलते है”,गुड्डू ने चाय पीते हुए कहा
“तुमहू चाय पीओ हम जरा हाल चाल लेकर आते है”,कहते हुए गोलू जैसे ही जाने लगा गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोका और वापस पीछे लाते हुए कहा,”हाल चाल हमहू बता देंगे उनसे ना तुमहू दूर ही रहो”
“आये हाय का बात है भैया ? इतनी फ़िक्र”,गोलू ने शरारत से कहा तो गुड्डू ने चाय का खाली कप साइड में रखा और दबी आवाज में कहा,”गोलू मारेंगे तुमको पटक के कुछ भी बकते हो , चलो देर हो रही है”
“हां हां चलते है आओ”,कहते हुए गोलू उठा और गुड्डू के साथ घर से चला गया। हॉस्पिटल आकर गुड्डू डॉक्टर से मिला , उसका प्लास्टर खुला डॉक्टर ने उसे अभी हाथ से भारी सामान उठाने से मना किया था पर गुड्डू तो इसी में खुश था की प्लास्टर खुल गया। प्लास्टर खुलने के बाद फिजिओ डिपार्टमेंट में आये जहा गुड्डू को डॉक्टर ने कुछ एक्सरसाइज बताई। सारी बाते समझकर गुड्डू और गोलू हॉस्पिटल से बाहर चले आये। गोलू ने स्कूटी वापस घर जाने वाले रास्ते पर दौड़ा दी। कितने दिनों बाद गुड्डू गोलू के साथ बाहर निकला था उसने गोलू से चिपकते हुए कहा,”यार गोलू अब आ रहा है जिंदगी का स्वाद”
लेकिन अब तक गोलू की लग चुकी थी पिंकी की आदत इसलिए उसने गुड्डू को पीछे करते हुए कहा,”ए यार गुड्डू भैया ऐसे चिपको नाही यार तुमहू”
“काहे काहे नाही चिपके बे ? साले अब तक पुरे कानपूर के चक्कर हमायी कमर में डाल के काटे है तुमने”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया अब बात कुछ और है समझा करो यार , और कब तक ऐसे हमायी कमर पकड़कर घूमोगे कोई लड़की की कमर देखो यार मतलब है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू को एकदम से शगुन की कमर याद आ गयी और उसने कहा,”कमर तो यार उनकी है कतई बवाल”
“का ? किसकी कमर देख आये तुमहू ?”,गोलू ने कहा
“अरे कुछो नहीं हमहू जे कह रहे थे , पिंटू के पास चलो”,गुड्डू ने बात बदलते हुए कहा
“पिंटू के पास काहे जाना है ?”,गोलू ने सवाल किया
“ए यार हमाये बाल देखो कैसे चिड़िया का घोसला गए है एक महीने में , ठीक से सैम्पु भी नहीं करने देती है अम्मा , तुमहू जियादा सवाल जवाब ना करो और चलो”,गुड्डू ने कहा तो गोलू ने स्कूटी मार्किट की तरफ बढ़ा दी। पिंकी सैलून वाले के पास आकर गोलू ने स्कूटी रोकी और साइड में लगाते हुए कहा,”गुड्डू भैया तुमहू चलो हम आते है”
“जल्दी आना”,कहकर गुड्डू सैलून के अंदर चला गया। गुड्डू को देखते ही पिंटू ने कहा,”और गुड्डू भैया कैसे हो ? शादी के बाद शक्ल ही नहीं दिखाए तुम तो सब खैरियत तो है”
“सादी ? किसकी सादी बे ?”,गुड्डू ने हैरानी से पूछा पिंटू कुछ कहता इस से पहले गोलू ने आकर बात सम्हाल ली और कहा,”सादी नहीं भैया साड़ी मिश्रा जी के शोरूम की साड़ी का आर्डर देने आये थे तुमहू उसके बाद से आज आ रहे हो ना इसलिए पूछ रहा है पिंटू”
“अच्छा वो उसके बाद ना बहुते पंगे हुए है हमायी जिंदगी में फुर्सत से बताएँगे”,गुड्डू ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा। पिंटू कोई और गड़बड़ करे इस से पहले ही गोलू ने उसे धर लिया और साइड में लाकर कहा,”सुनो बे कानपूर के बिगड़े हुए फैशन , जियादा सवाल जवाब किया न तुम्हायी हजामत बना देंगे हम , चुप करके गुड्डू भैया जो कहे वो करो और दफा करो इनको यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,रिश्तेदार बनेगे हाल चाल पूछेंगे”
बेचारा पिंटू ना गोलू की बात समझ पाया ना गुड्डू की उसने अपना काम करना ही बेहतर समझा और गुड्डू के पीछे आकर कहा,”हाँ तो भैया का करना है ?”
“पिंटू बढ़िया सा हेयर कट दो फिर शैम्पू कर दो उसके बाद बाल चमका दो हमाये बस”,गुड्डू ने कहा तो पिंटू लग गया काम में
पिंटू गुड्डू का हेयर कट कर रहा था कुछ देर बाद गोलू का फोन बजा , गोलू उठा और सैलून के बाहर आ गया और कहा,”हेलो”
“हेलो मिश्रा वेडिंग प्लानर से बात कर रहे है”,एक लड़के की आवाज उभरी
“हां जी हा जी हमहि बोल रहे है गोलू गुप्ता , बताईये का हुआ ?”,गोलू ने कहा
“देखिये हमे ना आज रात में एक पार्टी अरेंज करनी है , फ्रेशर पार्टी है बताईये कर देंगे अरेंज ?”,लड़के ने पूछा
“कर देंगे काहे नहीं करेंगे ? हमहू किसलिए है , जे बताओ का का फेसेलेटी चाहिए और अरेंज कहा करना है ?”,गोलू ने कहा
लड़के ने 10 मिनिट तक गोलू को लोकेशन और अरेजमेंट के बारे में समझाया , लोकेशन कानपूर से बाहर का था लेकिन अब तो गोलू अपने काम में परफेक्ट हो चुका था इसलिए उसने आर्डर ले लिया। शाम 7 बजे का टाइम देकर गोलू ने फोन काट दिया। लड़के से बात करके गोलू ने अपने दुकान पर लड़के को फोन लगाया और सारा जरुरी सामान जुटाने को कहा जो की आज शाम की पार्टी में लगने वाला था। सब बाते करके गोलू अंदर चला आया गुड्डू का भी लगभग
काम हो चुका था , गुड्डू उठा और बालो में से अपना हाथ घुमाया , अब आयी उसे पुराने गुड्डू वाली फीलिंग। दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी लेकिन गोलू के पास इतना टाइम नहीं था की गुड्डू के साथ वहा रुकता इसलिए गुड्डू को बाहर धकियाते हुए कहा,”इतना बहुते है गुड्डू भैया सादी नहीं है तुम्हायी , और हां पिंटू तुम्हाये पैसे करते है तुम्हे फोन पे वरना खाते में लिख लेना ठीक है”
“यार गोलू दाढ़ी तो बनवाने देते”,गुड्डू ने उसके पीछे बैठते हुए कहा
“अरे गुड्डू भैया फिर कभी अभी ना हमे कुछो काम है”,कहते हुए गोलू ने स्कूटी स्टार्ट की और घर की तरफ दौड़ा दी। घर पहुंचकर गुड्डू को घर के सामने छोड़ा और खुद तेजी से निकल गया। उसके जाते ही गुड्डू ने मन ही मन कहा,”जे गोलू कहा बिजी रहने लगा है पता लगाना पडेगा”
गुड्डू अंदर आया शगुन वहा नहीं थी और ऐसे हाल में गुड्डू उसके सामने जाना भी नहीं चाहता था इसलिए सीधा ऊपर अपने कमरे में चला आया। शीशे के सामने आकर गुड्डू ने अपने बालो में हाथ घुमाते हुए कहा ,”अब लग रहे हो गुड्डू मिश्रा , देखते है अब कैसे इंकार करती है वो ?”
गुड्डू ने देखा दाढ़ी से चेहरा अजीब लग रहा था। उसने ड्रावर खोला और उसमे से ट्रिमर निकालकर दाढ़ी बनाने लगा , सफाचट ना करके गुड्डू ने हलकी हलकी दाढ़ी रखी जैसे वह हमेशा रखता था। चेहरे को थोड़ा स्क्रब किया और फिर नहाने चला गया। नहाकर गुड्डू वापस कमरे में आया और कबर्ड खोलकर कपडे देखने लगा। कपड़ो से भरे रहने वाले कबर्ड में सिर्फ 7-8 जोड़ी कपडे थे गुड्डू को थोड़ा अजीब लगा। “अम्मा ने निकाल दिए होंगे सोचकर” गुड्डू ने जींस और शर्ट उठाया और कबर्ड बंद कर दिया। कपडे पहनकर गुड्डू शीशे के सामने आया और ड्रायर से बाल सूखाने लगा। शर्ट के सामने के दो बटन खुले थे , बाजू फोल्ड करके ऊपर चढ़ी हुई थी , हाथ में रुद्राक्ष वाला ब्रासलेट पहना , दूसरे में चाँदी का कडा पहना हुआ था जो शगुन ने दिया था। ये वही शर्ट थी जो शगुन ने गुड्डू को उसके बर्थडे के दिन गिफ्ट की थी। गुड्डू ने बालो को जेल लगाकर सेट किया और परफ्यूम लगा लिया। अभी भी कुछ कमी थी देखते हुए गुड्डू ने ड्रेसिंग पर रखा अपना चश्मा उठाया और लगाकर वहा से बाहर निकल गया। रेंक में रखे अपने जूते निकाले और पहनकर नीचे आया। नीचे आते ही गुड्डू के सामने आयी शगुन और गुड्डू को देखा तो बस देखते ही रह गयी। यही तो था वो गुड्डू जिसे पहली बार देखते ही शगुन अपना दिल दे बैठी थी। वह बड़े प्यार से गुड्डू को एकटक देखे जा रही थी। गुड्डू ने चश्मा उतारा और शगुन से कहा,”क्यों लग रहे है ना बवाल ?”
शगुन बस शर्ट को देख रही थी जो उसने गुड्डू को तोहफे में दी थी उसने खोये हुए स्वर में कहा,”शर्ट बहुत अच्छी लग रही है”
“सिर्फ शर्ट हम अच्छे नहीं लग रहे ?”,गुड्डू ने पूछा
“आप भी बहुत अच्छे लग रहे है”,शगुन ने होश में आते हुए कहा शगुन की बात सुनकर गुड्डू ने उसके गाल पर हल्का सा मारते हुए कहा,”खुद पगलेट जैसी बाते करती हो और कहती हो हम पागल है”
गुड्डू का छूना शगुन के मन में हलचल मचा देता था वह बस उसे देखते रही। गुड्डू टेबल के पास आया वह टँगी अपनी बुलेट की चाबी ली और बाइक स्टार्ट करके घर से निकल गया। पुरे एक महीने बाद गुड्डू अपनी बाइक पर सवार कानपूर की गलियों में दौड़े जा रहा था वो
क्रमश – मनमर्जियाँ – S33
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संजना किरोड़ीवाल