Manmarjiyan – S19
बनारस , उत्तर-प्रदेश
बनारस के बाहर 10 किलोमीटर दूर एक रेस्टोरेंट में पारस अपने घरवालों के साथ बैठा हुआ था। उसके बिल्कुल सामने बैठी थी एक लड़की जिसका नाम सोनिया था और उसके साथ उसके मम्मी पापा भी थे। पारस के घरवाले यहा पारस के रिश्ते के लिए आये हुए थे। शगुन के वापस कानपूर जाने के बाद से ही पारस चुप चुप रहने लगा था। पारस की बहन जानती थी की पारस शगुन से प्यार करता है लेकिन शगुन शादीशुदा थी और गुड्डू से बेइंतहा मोहब्बत करती थी इसलिए पारस ने उसके सामने कभी अपने प्यार को जाहिर नहीं किया। पारस के सामने बैठी सोनिया कनखियों से पारस को देखे जा रही थी। पारस के पापा ने जब ये देखा तो कहा,”बेटा आप दोनों चाहे तो अकेले में बात कर सकते है”
“ऐसी कोई बात नहीं है पापा यही ठीक है”,पारस ने बात टालने के लिए कहा
“लेकिन हमे करनी है”,सोनिया ने कहा तो पारस ने उसकी और देखा , उसकी आँखों से पता चल रहा था की उसके मन में कई सवाल चल रहे है जिन्हे वह पारस से पूछना चाहती है। पारस अपनी जगह से उठा और सोनिया के साथ वहा से दूसरी तरफ चला आया। बालकनी एरिया में लगी एक टेबल के इर्द गिर्द आ बैठे। पारस को कुछ समझ नहीं आ रहा था की इस वक्त वह सोनिया से क्या बात करे इसलिए शुरुआत सोनिया ने ही की और कहा,”ये शादी आप घरवालों के दबाव में कर रहे है ?”
“हां,,,,,,,,,नहीं नहीं , ऐसा क्यों पूछा आपने ?”,पारस ने कहा
“फिर आप इतना अपसेट क्यों है ? पारस जी मैं एक लेक्चरार हूँ और साथ ही सोशल वर्कर भी ,, मैं नहीं चाहूंगी की आप ये शादी किसी प्रेशर में आकर करे। आपके मन में कोई बात हो तो आप खुलकर कह सकते है मुझे अच्छा लगेगा”,सोनिया ने कहा
सोनिया की बात सुनकर पारस में थोड़ा कॉन्फिडेंस आया और वह कहने लगा,”मेरा नाम पारस शर्मा है , BHU मे केशियर का काम करता हूँ , मेरी एक दोस्त है ‘शगुन गुप्ता’ मैं उसे बहुत पसंद करता हूँ लेकिन उसकी शादी हो चुकी है। इन दिनों वह काफी बुरे दौर से गुजर रही है ,, मैं खुद को इन सब से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन नहीं कर पा रहा ,, उसे तकलीफ में देखते ही मैं परेशान हो जाता हूँ। जब तक शगुन की जिंदगी में सब ठीक नहीं हो जाता मैं शादी नहीं करना चाहता,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“वह बहुत लकी है जिसे आप जैसा दोस्त मिला , मैं आपको फ़ोर्स नहीं करुँगी पारस जी,,,,,,,,,,,,,,,आप मुझे बहुत पसंद आये आप चाहे थे मुझे जानने समझने के लिए वक्त ले सकते है ,, उसके बाद भी आपको लगे की हम दोनों एक दूसरे के लिए सही नहीं है तो एक दूसरे की भावनाओ की कदर करते हुए हम अपनी अपनी लाइफ में खुश रहेंगे”,सोनिया ने कहा
सोनिया की बातें सुनकर पारस ने उसकी ओर देखा और कहने लगा,”इस वक्त शादी के लिए हां बोलकर मैं किसी भी लड़की को धोके में नहीं रखना चाहता। आपकी बातो से आप मुझे बहुत ज्यादा समझदार लगी , अगर आप इस रिश्ते के लिए ना कह दे तो,,,,,,,,,,,,,,!!”
“आई रिस्पेक्ट योर फीलिंग्स , मैं ना कह दूंगी एंड बेस्ट ऑफ़ लक”,कहते हुए सोनिया उठी और वहा से चली गयी। सोनिया के जाने के बाद पारस ने अपना सर पकड़ लिया और खुद से कहने लगा,”ये क्या कर रहा है तू पारस ? शगुन किसी और की अमानत है फिर उसे लेकर तेरे मन में ये भावनाये क्यों ? आज सोनिया थी कल कोई और होगी एक ना एक दिन तो तुम्हे किसी लड़की से शादी करनी होगी ना। शगुन का ख्याल अपने दिमाग से निकाल और जिंदगी में आगे बढ़ , शगुन ने हमेशा तुम्हे अपना अच्छा दोस्त समझा है इस दोस्ती के रिश्ते को खराब मत कर। शगुन को भूल जा और अपनी जिंदगी में आगे बढ़,,,,,,,,,,,,,,,शगुन सिर्फ तुम्हारा अतीत है और वो गुड्डू से प्यार करती है वो तुम्हे कभी नहीं अपनाएगी”
अपने ही सवालो में उलझा कुछ देर वही बैठा रहा। उसके पापा उसके पास आये और कहा,”पारस”
अपने पापा की आवाज सुनकर पारस की तंद्रा टूटी और उसने उठते हुए कहा,”हाँ हाँ पापा”
“सोनिया और उसके घरवाले जा चुके है , उन्होंने कहा है वो घर जाकर जवाब दे देंगे,,,,,,,,,,घर चले ?”,पारस के पापा ने पूछा
“हां पापा चलिए”,कहकर पारस उनके पीछे पीछे चल पड़ा। रेस्टोरेंट से बाहर आकर पारस ने गाड़ी स्टार्ट की , उसके मम्मी पापा आकर पीछे बैठ गए। पारस ने गाड़ी बनारस जाने वाले रास्ते की और बढ़ा दी।
“मुझे तो लड़की बहुत पसंद आयी , संस्कारी है , इतने अच्छे से बात करती है और सबसे बड़ी बात उसे हमारा पारस पसंद है”,पारस की मम्मी ने कहा
“हां परिवार अच्छा है और लड़की पढ़ी लिखी है लेक्चरार है , दोनों की जोड़ी अच्छी जमेगी ,, क्यों पारस ?”,पारस के पापा ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो पारस ने धीरे से कहा,”हम्म !”
“लगता है शरमा रहा है”,पारस की मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर सोनिया के बारे में बाते करनी लगी। उनकी बातो से बचने के लिए पारस ने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया जहा इस वक्त उसकी भावनाओ से जुड़ा गाना चल रहा था।
“तेरे अलावा जान गए सब , तुझपे मैं किन्ना मर दा ए
तुझे कैसे पता ना चला ? , की मैं तेनु प्यार करदा ए”
पारस की आँखों के आगे शगुन का चेहरा आने लगा लेकिन अगले ही पल गुड्डू का भी चेहरा नजर आया जब शगुन ICU में बेहोशी की हालत में गुड्डू से मिलती है और उसका सर चूमती है। शाम तक गाड़ी बनारस पहुंची अपने मम्मी पापा को घर छोड़कर पारस पैदल ही शगुन के घर के लिए निकल गया। घर के दरवाजे पर आकर पारस ने बेल बजायी। दरवाजा प्रीति ने खोला और पारस को इस वक्त देखकर कहा,”अरे पारस भैया आप , आईये ना”
“कैसी हो प्रीति ?”,पारस ने अंदर आते हुए कहा
“मैं बिल्कुल ठीक हु आप बताओ आप कैसे हो ? आजकल घर नहीं आते आप , क्या सिर्फ दी से रिश्ता है हम लोगो से नहीं है ?”,प्रीति ने अपने मन की उदासी को छुपाते हुए कहा।
“ऐसी बात नहीं है , इधर से गुजर रहा था तो सोचा तुमसे और अंकल से मिलता चलू”,पारस ने कहा
“पापा अंदर है आप चलकर बैठिये मैं आपके लिए कॉफी लेकर आती हूँ”,कहते हुए प्रीति किचन की और चली गयी। सूरज ढल चुका था , और धीरे धीरे अँधेरा भी होने लगा था। पारस आकर शगुन के पापा से मिला। पारस को देखकर गुप्ता जी बहुत खुश हुए और कहा,”अरे पारस आओ बैठो”
“नमस्ते अंकल”,पारस ने कहा
“नमस्ते बेटा बैठो , कैसे हो ?”,गुप्ता जी ने सवाल किया
“मैं ठीक हूँ आप कैसे है ?”,पारस ने सवाल किया
“मैं भी ठीक हूँ बेटा अगले हफ्ते से स्कूल खुल जायेंगे तो फिर से बच्चो से मिलना जुलना होने लगेगा”,गुप्ता जी ने कहा
“शगुन कैसी है ?”,पारस ने धड़कते दिल के साथ कहा
शगुन का नाम सुनते ही गुप्ता जी उदास हो गए और कहने लगे,”शगुन की किस्मत में ना जाने क्या लिखा है बेटा ?”
“क्या हुआ अंकल सब ठीक तो है ना ?”,पारस के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये
“जिस दिन शगुन और दामाद जी का एक्सीडेंट हुआ था उस एक्सीडेंट में शगुन ने अपने बच्चे को खो दिया”,गुप्ता जी ने धीमी आवाज में कहा। पारस ने सूना तो उसके चेहरे पर आयी परेशानी की जगह अब दर्द ने ले ली और कहा,”ये तो बहुत बुरा हुआ उसके साथ”
“ना जाने महादेव कोनसी परीक्षा ले रहे है उसकी , वो लड़की जिसने कभी किसी जानवर तक को हानि नहीं पहुंचाई आज उसे इतने दर्द में देखकर अच्छा नहीं लग रहा पारस”,गुप्ता जी ने कहा
“परेशान मत होईये अंकल सब ठीक हो जाएगा”,पारस ने गुप्ता जी के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा
“पारस भैया ये लीजिये आपकी कॉफी”,कहते हु प्रीति ने अपने पापा की नम आँखे देखी तो उन्हें डाटते हुए कहा,”पापा आप फिर दी के बारे में सोचकर परेशान हो रहे है”
“अरे नहीं बेटा ये बस ऐसे ही”,कहते हुए गुप्ता जी ने अपनी आँखों के किनारे साफ किये। प्रीति ने उन्हें कॉफी दी और उनकी बगल में बैठते हुए पारस से कहने लगी,”देखा पारस भैया पापा खामखा परेशान होते है , जबकि दी अपने घर में है जीजू के साथ है , उनका ख्याल रखने के लिए अंकल आंटी है फिर किस बात की टेंशन ? और रही बात गुड्डू जीजू की तो देखना जल्दी ही उन्हे सब याद आ जाएगा , फिर वो दौड़ते हुए आएंगे बनारस हम सब से मिलने के लिए”
पारस ने गुड्डू का नाम सूना तो पता नहीं क्यों उसके मन में एक अजीब सी भावना पैदा हुई और वह कॉफी पीने लगा। प्रीति की बात का उसने कोई जवाब नहीं दिया।
“अच्छा प्रीति वो आज रोहन नहीं आया , इस वक्त तक तो आ जाया करता है”,गुप्ता जी ने पूछा
रोहन का नाम सुनते ही प्रीति के चेहरे के भाव बदल गए और उसने उठते हुए कहा,”वो इस घर में किरायेदार है पापा कोई घर का मेंबर नहीं जो आप इतनी फ़िक्र जता रहा है , आ जाएगा जब आना होगा”
कहते हुए प्रीति जैसे ही कमरे से बाहर आयी अपने कमरे के दरवाजे पर खड़े रोहन पर उसकी नजर चली गयी शायद रोहन ने प्रीति की बात सुन ली थी। दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहां और प्रीति वहा से चली गयी !!
कानपूर , उत्तर-प्रदेश
रात के खाने के बाद गुड्डू बाहर सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था। शगुन ने देखा मिश्रा जी और मिश्राइन अपने कमरे में है तो उसने दरवाजे पर आकर कहा,”माजी मैं अंदर आ जाऊ ?”
“हां बिटिया आओ”,मिश्रा जी ने कहा
शगुन कमरे में चली आयी और कहा,”पापाजी मुझे आपसे कुछ बात करनी थी”
“हां बिटिया कहो का बात है ?”,मिश्रा जी ने कहा
शगुन ने मिश्रा जी को गोलू के नए आर्डर के बारे में सारी बात बता दी और कहने लगी,”गुड्डू जी अभी ऐसी हालत में नहीं है की गोलू जी के साथ काम कर सके
और ऐसे वक्त में गोलू जी भी अकेले पड़ चुके है तो मैंने सोचा मैं उनकी मदद,,,,,,,,,,!!!”
मिश्रा जी ने सूना और फिर कहने लगे,”देखो बिटिया सब जानते है की तुमहू इस घर की बहू हो , मिश्रा खानदान की बहू ऐसे कानपूर में ये सब काम करेगी तो
हमे अच्छा नहीं लगेगा बिटिया। जे मत समझना के हमहू तुम पर कोई रोक टोक कर रहे है पर गुड्डू और गोलू के काम को तुमहू समझती हो”
मिश्रा जी की बात सुनकर शगुन मायूस हो गयी , वह गोलू से वादा कर चुकी थी डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए ,, शगुन ने एक कोशिश और करते हुए कहा,”पापाजी मैं कानपूर की बात नहीं कर रही हूँ ,गोलू जी को डेस्टिनेशन वेडिंग का आर्डर मिला है जिसमे किसी खास जगह शादी करनी होती है , ये शादी कानपूर के बाहर होगी वहा कौन मुझे पहचानेगा , अगर आप चाहे तो,,,,,,,,,,,!!”
मिश्रा जी सोच में पड़ गए ऐसे कैसे वह अपने घर की बहू को ये सब काम करने दे सकते थे ? उन्हें सोच में देखकर मिश्राइन ने कहा,”जब शगुन का मन है तो जाने दीजिये ना , जे कह तो रही है कानपूर से बाहर है और फिर गोलू रहेगा ना साथ में”
“हम्म्म ठीक है लेकिन सिर्फ इस शादी में इके बाद तुमहू जे सब ना करोगी”,मिश्रा जी ने कहा
“थैंक्यू पापा जी”,शगुन ने खुश होकर कहा और वहा से चली गयी। ख़ुशी ख़ुशी शगुन हॉल से गुजर रही थी गुड्डू की नजर पड़ी तो उसने इशारे से कहा,” शशशशशश शशशश”
शगुन ने सूना तो गुड्डू की तरफ आयी और कहा,”मेरा नाम शगुन है आप मुझे नाम लेकर भी बुला सकते है”
“हाँ हमे मालूम है तुम्हारा नाम शगुन है लेकिन मजे की बात ये है की हमाये श्श्श्श श्श्श्श करने पर भी तुमहू चली आयी”,गुड्डू ने शगुन का मजाक उड़ाते हुए कहा
शगुन जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”श्श्श्श श्श्श्श”
“अब क्या है ?”,शगुन ने तुरंत आकर चिढ़ते हुए कहा
“देखा तुमहू फिर आ गयी”,गुड्डू ने हँसते हुए कहा तो शगुन ने अपना ही सर पीट लिया। सही तो कह रहा था गुड्डू उसके एक इशारे पर शगुन दौड़ी चली आती थी। गुड्डू को हँसता देखकर शगुन भी मुस्कुरा उठी और जाने लगी तो गुड्डू ने कहा,”सुनिए”
शगुन पलटी और कहा,”कहिये”
“हमे ना भूख लगी है और जे दलिया वलिया नहीं खाएंगे हम”,गुड्डू ने कहा
“तो क्या खाएंगे ?”,शगुन ने कहा
“कुछो चटपटा खाने का मन है हमारा”,गुड्डू ने कहा तो शगुन उसे रुकने का बोलकर चली गयी। गुड्डू बैठकर फिर टीवी देखने लगा। कुछ देर बाद शगुन ने आकर शगुन ने खासते हुए इशारा किया,”खु खु”
“अरे वाह इति जल्दी , हमहू खामखा तुम्हे परेशान करते है तुमहू तो बहुते सही लड़की हो यार ,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गुड्डू जैसे ही पलटा अपने पीछे मिश्रा जी को देखकर हक्का बक्का रह गया आगे के शब्द उसके मुंह में ही अटक गए और उसने कहा,”पिताजी आप हिया ?”
“तुम्हे भूख लगी थी , ल्यो खाओ”,मिश्रा जी ने प्लेट गुड्डू को देते हुए कहा। मरता क्या न करता ? उसने प्लेट ली और एक निवाला खाते हुए सीढ़ियों की और देखा जहा से शगुन ऊपर जा रही थी और उसे देखकर गुड्डू ने मन ही मन कहा,”दुष्ट लड़की”
क्रमश : मनमर्जियाँ – S20
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संजना किरोड़ीवाल