Manmarjiyan – S13
मनमर्जियाँ – S13
पिंकी और गोलू एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार कर चुके थे। पिंकी अपना घर-बार छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए गोलू के पास चली आयी। गोलू को जब ये बात पता चली तो वह थोड़ा उलझन में पड़ गया क्योकि ना तो वह इस वक्त पिंकी को अपने घर ले जा सकता था ना ही उस से शादी कर सकता था। गोलू पिंकी से प्यार करता है ये बात उसने सिर्फ मिश्रा जी को बतायी थी क्योकि इन दिनों गोलू उनके साथ फ्रेंक हो चुका था लेकिन मिश्रा जी को गोलू और पिंकी का रिश्ता पसंद नहीं आया। वही गुड्डू पिंकी से मिला तो उसे लगा पिंकी उस से प्यार करती है इसलिए वहा आयी है , पिंकी की मौजूदगी ने गुड्डू की गलतफमी को और बढ़ावा दे दिया।
सुबह होने से पहले ही गोलू पिंकी को लेकर उसके घर पहुंचा और उसे शर्मा जी के हवाले कर दिया। ये देखकर पिंकी का दिल टूट गया , कितने भरोसे के साथ वह अपना घर छोड़कर गोलू के पास आयी थी और गोलू उसे वापस उसके पापा के पास ले आया। अंदर जाते हुए पिंकी पलटकर गोलू को देखा तो उसकी आँखों में आंसू भर आये। गोलू के चेहरे पर कोई भाव नहीं था वह बस पिंकी को जाते हुए देखता रहा। कुछ देर गोलू वही खड़ा रहा और फिर अंदर चला आया। जैसे ही शर्मा जी ने पिंकी को मारने के लिए हाथ उठाया गोलू ने आकर उनका हाथ पकड़कर रोक लिया और कहा,”जे का कर रहे है आप ? जवान बेटी पर हाथ उठाना का सही है ?”
“जवान बेटी घर से भाग गयी जे सही है ? , इस बेशर्म ने एक बार भी हमारी इज्जत के बारे में नहीं सोचा , चली गयी तुम्हारे साथ”,शर्मा जी ने गुस्से से दबी आवाज में कहा। गोलू ने सूना वह घर के दरवाजे की और गया दरवाजा बंद किया और वापस अंदर आया। शर्मा जी और उनकी पत्नी अवाक् से खड़े बस गोलू को देख रहे थे। गोलू शर्मा जी के सामने आया और कहने लगा,”जे आपकी इकलौती बेटी है इसकी परवरिश में आप दोनों ने कोई कमी नहीं रखी , इसकी हर ख्वाहिश पूरी की , दुनिया का सारा प्यार इसे दिया इतना सब करने के बाद भी जे हमाये लिए आपको , इस घर को , सभी ऐशो आराम को छोड़कर हमाये पास चली आयी जरा सोचिये जे हमसे कितना प्यार करती होगी”
शर्मा जी ने कुछ नहीं कहा बस गोलू को देखते रहे , गोलू ने एक नजर पिंकी की ओर देखा और फिर कहने लगा,”एक लड़की जब किसी से पुरे दिल से प्यार करती है तो वह अपना अच्छा बुरा कुछ नहीं सोचती , एक लड़की घर से भागती है तो वह सिर्फ अपनी आगे की जिंदगी के बारे में सोचती है , वो नहीं जानती उसके ऐसा करने के बाद उसके परिवार पर का गुजरती है , उसके माँ बाप पर का गुजरती है , पडोसी , मोहल्ले वाले , रिश्तेदार और भी ना जाने किन किन लोगो से उन्हें अपनी बेटी के लिए का का सुनना पड़ता है ?”
गोलू एक साँस में सब बोल गया और उसके बाद शर्मा जी के सामने आकर कहा,”हम चाहते तो पिंकिया को अपने साथ लेकर जा सकते थे , उस से सादी करके ख़ुशी ख़ुशी अपनी जिंदगी सुरु कर सकते थे , लेकिन हम नहीं किये। हमायी कोई बहन नहीं है पर एक ठो लड़की की इज्जत का होती है हमहू समझते है। हमाये ऐसा करने से आपकी और आपके परिवार की बदनामी होती जो हम कभी नहीं चाहेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,मानते है हमहू आपके खानदान जितने लायक नहीं है पर हां जे जानते है की खुस रखेंगे आपकी बेटी को , खुद भले भूखे रहे उसे भरपेट खिलाएंगे , उसकी आँखों में कभी आंसू नहीं आने देंगे और हाथ,,,,,,,,,,,,,उह तो कबो सपने में भी उठाने का नहीं सोचेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकिया आपकी अमानत है आपकी इजाजत के बिना हमहू उस से सादी नहीं कर सकते है।”
“गोलू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने तड़पकर कहा क्योकि वह जानती थी उसके पापा इस शादी के लिए कभी नहीं मानेंगे
गोलू पिंकी के सामने आया और कहने लगा,”पिंकिया तुम्हारा दर्द हम समझ सकते है लेकिन आज हमने अगर तुमसे भागकर शादी कर भी ली तो कल को सब हसेंगे तुम्हाये पापा पर , उन्हें लोगो की कितनी ही बाते सुननी पड़ेगी , हो सकता है तुम्हारा हमेशा के लिए अपने ही घर में आना बंद हो जाये और फिर दिन तुम्हे इस बात का पछतावा भी हो,,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकिया प्रेम ना खूबसूरत है पर बिना माँ-बाप की ख़ुशी के जे कभी पूरा नहीं होता है , इनका दिल दुखाकर हमहू कभी खुश नहीं रहेंगे”
गोलू की बात सुनकर पिंकी की आँखों से आँसू बहने लगे वह आगे कुछ बोल ही नहीं पायी। हमेशा शरारत करने वाले , मस्त मौला गोलू में उसे पहली बार एक गंभीर और समझदार लड़का नजर आ रहा था। शर्मा जी ने गोलू की बातें सुनी , वे बस खामोश थे उनके मन में इस वक्त क्या चल रहा था कोई नहीं जानता था। गोलू ने पिंकी के आंसू पोछे और कहा,”हम कही भी रहे पिंकिया तुमसे ही प्यार करेंगे” पिंकी का दिल दुःख से भर आया गोलू की ये बात सुनकर वह रोते हुए अपने कमरे में चली गयी। अंदर ही अंदर गोलू का मन दुःख से भर गया लेकिन उसने उसे अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और शर्मा जी के सामने आकर कहा,”जो कुछ भी हुआ है उसके लिए हमहू माफ़ी चाहते है , आज के बाद हम उस से नहीं मिलेंगे , जे सच है की हमहू उसे बहुते पसंद करते है और उस से सादी भी करना चाहते है लेकिन आपकी मंजूरी के साथ,,,,,,,,,,,,,आप उसके पिता है आपको पूरा हक़ है उसके भविष्य के बारे में सोचने का,,,,,,,,,,,,भावनाओ में बहकर कुछो गलत कह दिया हो तो हमे माफ़ कर दीजियेगा,,,,,,,,,,,,चलते है”
कहते हुए गोलू ने शर्मा जी के सामने हाथ जोड़े और वहा से चला गया। शर्मा जी बस उसे जाते हुए देखते रहे। गोलू घर से बाहर आया अपनी स्कूटी स्टार्ट की और जाने लगा , पलटकर उसने पिंकी के कमरे की खिड़की पर देखा जहा खड़ी पिंकी उदास नजरो से गोलू को देख रही थी , यहां गोलू खुद को नहीं रोक पाया और उसकी आँख से आंसू निकलकर नीचे आ गिरा। पिंकी के सामने वह कमजोर पढ़ना नहीं चाहता था इसलिए वहा से चला गया।
गोलू हॉस्पिटल चला आया , मन दुःख से भरा हुआ था पिंकी को पाने की जितनी ख़ुशी थी उस से कई ज्यादा दुःख उसे खोने का हो रहा था। पहली बार गोलू ने कुछ समझदारी का काम किया था , उसने गुड्डू के साथ मिलकर भले कितने भी कांड किये हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया जिस से उसे अपने घरवालों से नजर मिलाने में शर्म आये। गोलू ने हॉस्पिटल के अंदर आकर मुंह धोया और फिर मिश्रा जी के पास चला आया। मिश्रा जी ने गोलू को देखा तो कहा,”अरे गोलू कहा थे रातभर ?”
“घर चले गए थे कुछो काम से”,गोलू ने उदासी भरे स्वर में कहा
“अच्छा अच्छा आओ चाय मंगवाई है”,मिश्रा जी ने कहा तो गोलू उनकी बगल में आकर बैठ गया। मिश्रा जी ने एक नजर गोलू को देखा और कहने लगे,”यार गोलू तुम ना बहुते बढ़िया लड़के हो मतलब अब तक हमे लगता था तुम्हाये साथ गुड्डू गलत संगत में है लेकिन हम गलत थे। दोस्त होकर जो तुमहू गुड्डू के लिए किये देखकर बहुते अच्छा लगा”
मिश्रा जी के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर गोलू ने हैरानी से उनकी और देखा और कहा,”का बात है बड़ी चाशनी लपेटी है बातो में फिर से कोई गड़बड़ हुयी है का ?”
“का गोलू तुमहू भी बकैती करने से बाज नहीं आओगे , अरे हमहू तारीफ कर रहे है तुम्हायी,,,,,,,,,,तुमने बहुते साथ दिया है इस मुश्किल घडी में , हमाये लायक कोई भी काम हो हमे जरूर बताना हम कर देंगे तुम्हाये लिए”,मिश्रा जी ने कहा
“कोई भी काम ?”,गोलू ने पूछा
“हां गोलू अब जबान दी है मुकरेंगे नहीं”,मिश्रा जी ने कहा तो गोलू मन ही मन खुद से उलझने लगा और फिर कहा,”ठीक है जब जरूरत होगी तब कहेंगे”
चाय वाला चाय ले आया , मिश्रा जी ने चाय ली और एक कप गोलू को देने को भी कहा। मिश्रा जी और गोलू दोनों साथ बैठकर चाय पीने लगे। गोलू जो पहले हर रोज मिश्रा जी के हाथो पीटता था , दिन में एक बार मिश्रा जी से डांट सुनता था आज वही गोलू मिश्रा का फेवरेट बना हुआ था।
दोनों ने चाय पि और वही बैठे रहे। कुछ देर बाद मिश्राइन और सोनू भैया भी चले आये आज गुड्डू को हॉस्पिटल से छुट्टी जो मिलने वाली थी। डॉक्टर राउंड पर आया गुड्डू का चेकअप किया और नर्स को उसके डिस्चार्ज के पेपर बनाने को कहकर वहा से चले गए। मिश्रा जी उनके पीछे पीछे आये और कहा,”डॉक्टर साहब”
“जी मिश्रा जी”,डॉक्टर ने रुकते हुए कहा
“गुड्डू अब ठीक है ना हमारा मतलब उसे कोई परेशानी तो नहीं है ?”,मिश्रा जी ने चिंता जताते हुए कहा
“गुड्डू अब पूरी तरह ठीक है , हाथ और पैर में लगा प्लास्टर दो हफ्ते बाद खुल जाएगा और सर में लगे जख्म भी तब तक भर जायेंगे बस थोड़ा ध्यान रखना होगा उसका , दवाईया और खाना पानी समय पर देना है”,डॉक्टर ने कहा
“और उसकी यादास्त ? हमारा मतलब जो बाते वह भूल चुका है वह कैसे याद आएगी उसे ?”,मिश्रा जी ने कहा
“देखिये मिश्रा जी ऐसे केस में पेशेंट को कभी कभी बहुत जल्दी याद भी आ जाता है कभी जिंदगीभर भी नहीं आता , वैसे गुड्डू को कोई तकलीफ नहीं है बस वो कुछ दिन की घटनाये भूल चुका है ,, उन घटनाओ से जुड़ा उसे कभी कुछ याद आया तो हो सकता है एक एक करके उसे सब याद आ जाये लेकिन जबरदस्ती उसे कुछ याद दिलाने की कोशिश मत कीजियेगा”,डॉक्टर ने मिश्रा जी को समझाते हुए कहा
“हम्म्म जी शुक्रिया”,मिश्रा जी ने बुझे मन से कहा , शगुन जो उनके घर में थी उसके बारे में सोचकर उनका मन भारी हो गया। शगुन के लिए गुड्डू को सब याद आना बहुत जरुरी था। डॉक्टर मिश्रा जी के कंधे को थपथपाते हुए आगे बढ़ गए। वे बेंच पर आ बैठे और शगुन के बारे में सोचने लगे , मिश्रा जी ने गुप्ता जी से वादा किया था की वे कभी शगुन को किसी तरह का दुःख या परेशानी नहीं होने देंगे।
सोनू भैया ने डिचार्ज की फाइल तैयार करवा ली , उन्होंने गुड्डू की दवाईया और बाकि सारे काम किये और मिश्रा जी से आकर कहा,”चाचा सब हो गया है घर चले ?”
“अस्पताल का बिल ?”,मिश्रा जी ने कहा
“वो हमने करवा दिया”,सोनू भैया ने कहा
“ठीक है फिर घर चलते है”,मिश्रा जी ने उठते हुए कहा। व्हीलचेयर की मदद से गुड्डू को चपरासी बाहर गाड़ी तक छोड़ गया ,मिश्राइन तो आज बहुत खुश थी की गुड्डू घर जा रहा है। मिश्रा जी ने गुप्ता जी को भी फोन करके गुड्डू के ठीक होने की खबर दे दी। मिश्रा जी सोनू भैया के साथ आकर आगे बैठ गए , गुड्डू और मिश्राइन पीछे।
“गोलू तुम नहीं आ रहे ?”,मिश्रा जी ने गाड़ी का शीशा नीचे करते हुए पूछा
“चचा आप लोग चलो हमहू अपनी स्कूटी से आते है”,गोलू ने कहा तो मिश्रा ने हामी में गर्दन हिला दी और सोनू से चलने को कहा। आगे आगे सोनू भैया की गाड़ी और पीछे पीछे गोलू आ रहा था अपनी स्कूटी लिए। कुछ देर बाद सभी घर पहुंचे सोनू भैया आराम से गुड्डू को सहारा देकर अंदर ले आये। लाजो , वेदी और अम्मा वही थी गुड्डू को देखते ही अम्मा उसके पास आयी और उसका माथा चूमते हुए कहा,”हमाये गुड्डू तुम्हायी सुरत देखने के लिए आँखे तरस गयी थी हमाई”
“काहे हम का सलमान खान है ?”,गुड्डू ने दादी के गाल खींचते हुए कहा
“तुमहू हमायी जान हो रे गुड्डू”,कहते हुए दादी रो पड़ी तो गुड्डू ने अपने दूसरे हाथ से उनको सीने से लगाते हुए कहा,”का रे बूढ़ा इतनी जल्दी नहीं मरने वाले है हम , खामखा आँसू बहा के काजर बर्बाद कर रही हो तुमहू”
गुड्डू की बात सुनकर दादी ने अपने आंसू पोछे और कहा,”आजा अंदर आजा”
सभी अंदर चले आये। सोनू ने गुड्डू को सोफे पर बैठा दिया और जिस पैर में प्लास्टर बंधा था उसे मूढ़े पर रख दिया। सभी गुड्डू के आस पास खड़े हो गए। गुड्डू सबको देख था। शगुन उस वक्त नहाने गयी हुई थी जैसा की मिश्राइन ने सब घरवालों को समझाया था की शगुन गुड्डू के सामने एक अनजान लड़की की तरह आये। सभी नीचे मौजूद थे शगुन नीचे चली आयी , गुड्डू को देखते ही उसका मन ख़ुशी से भर गया लेकिन उसने खुद को नार्मल रखा और बाकि सबसे कुछ दूरी बनाकर खड़ी हो गयी। गोलू अपनी स्कूटी साइड में लगाकर अंदर चला आया। शगुन ने जैसे ही गुड्डू को देखा उसका दिल धड़क उठा और उसने कहा,”जे कौन है अम्मा ?”
“दोस्त है”,मिश्राइन ने कहा
“दोस्त किसकी ?”,गुड्डू ने शगुन को देखते हुए कहा। गोलू जिसे शगुन और मिश्राइन का प्लान नहीं पता था तपाक से बोल पड़ा,”मिश्रा जी की”
“पिताजी की दोस्त ?”,कहते हुए गुड्डू ने पहले शगुन को देखा और फिर अपने पिताजी को जो की गोलू का जवाब सुनकर अपना सर पीट रहे थे। मिश्राइन ने गोलू को घुरा तो गोलू ने बात बदलते हुए कहा,”अरे हमारा मतलब मिश्रा जी के दोस्त की बेटी है”
“हम्म्म्म ठीक है”,गुड्डू ने शकभरी नजरो से शगुन को देखते हुए कहा। कही गुड्डू इस बारे में ज्यादा न सोचने लगे इसलिए मिश्रा जी ने कहा,”अरे जे गोलू तो है ही भोंदू , हमाये दोस्त है ना बनारस में , जे उनकी बिटिया है कानपूर पढ़ने आयी है”
गुड्डू ने सूना अपना सर हिलाया और कहा,”अम्मा बहुते भूख लगी है कुछो खिलाय दयो”
“हां हां अभी बनवाते है तुमहू आराम करो तब तक”,कहकर मिश्राइन लाजो के साथ वहा से चली गयी , शगुन को भी आने का इशारा किया लेकिन शगुन तो जी भरके गुड्डू को देखना चाहती थी , गोलू ने खाँसने का नाटक किया तो शगुन की तंद्रा टूटी और वह वहा से चली गयी। मिश्रा जी भी सोनू भैया को लेकर चले गए। गोलू और वेदी दोनों आकर गुड्डू के अगल बगल बैठ गए। गुड्डू अभी भी शगुन के बारे में सोच रहा था उसे ना जाने क्यों लगा जैसे घरवालों ने उस से झूठ कहा हो ? उसने पास बैठे वेदी और गोलू से पूछा,”अच्छा का नाम है उस लड़की का ?”
“सुमन”
“ऋतू”
गोलू और वेदी ने जल्दी से कहा और अलग अलग नाम बताये। गुड्डू ने सूना तो पलटकर जाती हुई शगुन को देखा फिर अपनी अगल बगल देखा तो कोई नहीं था वेदी और गोलू वहा से गायब थे।
क्रमश – मनमर्जियाँ – S14
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संजना किरोड़ीवाल