Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – S100

Manmarjiyan – S100

Manmarjiyan Season 2

Manmarjiyan – S100

गुड्डू ने जो किया वो शगुन के लिए बहुत बड़ी बात थी। उसकी आँखों में आंसू थे लेकिन ख़ुशी के ,, अमूमन लोग जब गलतिया करते है तो माफ़ी मांगते है और सब भूल जाते है पर शायद गुड्डू ऐसा नहीं था उसे बार बार ये अहसास हो रहा था की उसने शगुन के साथ जो किया वो गलत था , शगुन का प्यार और परवाह देखकर उसे अहसास हो चुका था की इस दुनिया में शगुन से ज्यादा उसे कोई और लड़की प्यार कर ही नहीं सकती और अब बस वो अपना सारा प्यार सिर्फ शगुन को देना चाहता था। उसे इतना प्यार देना चाहता था की शगुन सब भूलकर बस खुश रहे। गुड्डू बाहर चला आया , कुछ देर बाद शगुन भी बाहर चली आयी उसने गुड्डू को देखा वह पारस के साथ खड़ा बातें कर रहा था। गोलू और पिंकी साथ खड़े थे उन्ही के साथ सोनिया भी खड़ी थी शगुन वही चली आयी और गोलू से कहा,”सब ठीक है ना गोलू जी ?”
गोलू ने जैसे ही शगुन को देखा देखता ही रह गया। पिंकी सोनिया की नजरे भी शगुन पर ठहर गयी। आज शगुन इतनी प्यारी लग रही थी की उसे देखने वाले की नजरे कुछ देर के लिए तो उस पर ठहर ही जा रही थी।
“भाभी का लग रही हो आप , मतलब आज तो हमाये गुड्डू भैया घायल हो जायेंगे आपको देख के”,गोलू ने कहा
“क्या गोलू जी आप भी,,,,,,,,,,,,,,अब इतनी भी सुंदर लग रही हूँ मैं”,शगुन ने मुस्कुरा कर कहा
“अरे हम सच कह रहे है यहाँ मौजूद किसी से भी पूछ लो बिल्कुल माँ पार्वती लग रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन आपके महादेव कही नजर नहीं आ रहे है”,कहते हुए गोलू ने इधर उधर नजर दौड़ाई कुछ ही दूर खड़ा गुड्डू उसे दिखाई दिया तो उसने आवाज दी,”अरे गुड्डू भैया जरा हिया आना”
गुड्डू गोलू के पास चला आया वह बिल्कुल शगुन के सामने खड़ा था , जितना अपनी नजरो को बचाने की कोशिश कर रहा था उतनी ही वे शगुन पर जाकर ठहर रही थी। गुड्डू को चुप देखकर गोलू ने कहा,”अच्छा जे बताओ कैसी लग रही है हमायी शगुन भाभी ?”
“हमे तो लगता है गोलू आज इनको हमायी नजर लग जाएगी”,गुड्डू ने शगुन को प्यार भरी नजरो से देखते हुए कहा
“तो का ख्याल है दोबारा फेरे पड़वा दे फिर , दुल्हन भी है दूल्हा भी है मौका भी है”,गोलू ने शरारत से कहा तो शगुन वहा से जाने लगी। गुड्डू ने सबके सामने ही शगुन का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। शगुन की धड़कने बढ़ गयी लेकिन उसने अपनी भावनाओ को अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और कहा,”गोलू जी अपने दोस्त से कहिये थोड़ा अपने जज्बातो पर काबू रखे !!”
“गोलू जी अपनी भाभी जी से कहिये हम तो नहीं रखेंगे , अब हमायी पत्नी इतनी खूबसूरत तो इह मा हमाई का गलती ?”,गुड्डू ने भी शरारत से कहा
“गोलू जी इनसे कहिये मेरा हाथ छोड़े”,शगुन ने कहा लेकिन तब तक गोलू पिंकी और सोनिया उन दोनों को अकेले छोड़कर जा चुके थे।
“छोड़ने के लिए हाथ नहीं पकड़ा है शगुन गुप्ता”,कहते हुए गुड्डू शगुन के करीब आया। उसने इधर उधर देखा सब अपनी धुन में मस्त थे गुड्डू ने मोके का फायदा उठाते हुए धीरे से अपने होंठो को शगुन के गाल से छुआ और कहा,”बहुत अच्छी लग रही हो”
कहकर गुड्डू अनजान बनकर वहा से चला गया। शगुन तो अपने गाल को हाथ लगाए वही खड़ी रह गयी। एकदम से गुड्डू बहुत सीरियस हो जाता था और एकदम से ही इतना रोमांटिक की शगुन के लिए उसे समझ पाना अब थोड़ा मुश्किल हो रहा था

प्रीति दुल्हन बन चुकी थी और उस दुल्हन के जोड़े में वह बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसने वेदी को भी वे तैयार करवा दिया। कुछ देर बाद ही उन्हें लेने बाहर गाडी आ गयी। वेदी अंदर ही अंदर अमन के बारे में सोच रही थी लेकिन अमन नहीं आया था। वो इतनी पगली थी की उसने अमन का लव प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया लेकिन उसका नंबर तक अपने पास नहीं रखा। प्रीति ने उसे परेशान देखा तो कहा,”क्या हुआ वेदी कल से देख रही हूँ तुम खुश नहीं हो ? कोई बात है तो मुझे बताओ ना”
“नहीं कुछ नहीं , चलो ना चलते है।”,वेदी ने कहा तो प्रीति अपना लहंगा सम्हाले उसके साथ बाहर चली आयी। बाहर एक गाड़ी खड़ी थी। प्रीति ने देखा वो घर से ही आयी है। उसने वेदी से कहा,”एक काम करो वेदी तुम आगे बैठ जाओ मैं पीछे बैठ जाती हूँ”
“ठीक है”,वेदी ने कहा और गाड़ी का दरवाजा खोलकर आगे वाली सीट पर बैठ गयी। प्रीति पीछे आ बैठी। ड्राइवर सीट पर बैठे लड़के ने वेदी की तरफ देखकर कहा,”हाय”
एक जानी पहचानी आवाज वेदी के कानो में पड़ी तो उसने साइड में देखा ड्राइवर सीट पर बैठा लड़का कोई और नहीं बल्कि अमन ही था। वेदी ने देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने पीछे बैठी प्रीति को देखा तो प्रीति ने कहा,”कैसा लगा मेरा सरप्राइज ?”
वेदी ने सूना तो समझ गयी की प्रीति को सब पता है उसने कहा,”थैंक्यू”
“मजे है तुम सबके शादी मेरी है लेकिन गिफ्ट्स तुम सबको मिल रहे है , कोई नहीं ऐश करो बाद में सबसे वसूल करुँगी मैं”,प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा
“प्रीति को हमारे बारे में पता है मैं इनसे कुछ नहीं छुपाता इसलिए , एंड तुम्हे इतना इंतजार करवाया उसके लिए सॉरी”,अमन ने प्यार से वेदी के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा
“अरे अब चलो भी तुम दोनों के रोमांस के चक्कर में मेरी शादी रुक जाएगी , चलो बेचारा रोहन कबसे मेरा वेट कर रहा है”,प्रीति ने कहा
“बेचारा रोहन बस आज की रात और उसके बाद तो उसकी बेंड बजने वाली है”,अमन ने कहा तो वेदी और प्रीति दोनों हंस पड़ी और अमन ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। कुछ देर बाद प्रीति आयी तो सबने उसे घेर लिया। स्टेज में अभी वक्त था इसलिए वह हॉल में आकर बैठ गयी। शगुन ने उसे देखा तो अपनी आँख के किनारे से काजल निकालकर प्रीति के कान के पीछे लगाते हुए कहा,”बहुत सुंदर लग रही हो किसी की नजर ना लगे”
“जीजू कहा है ?”,प्रीति ने पूछा
“हम यहाँ है तुम्हाये लिए जे लेने गए थे , कुछ खा लो बाद में तो मौका नहीं मिलेगा नहीं”,गुड्डू ने प्लेट प्रीति की और बढ़ाते हुए कहा
“आई लव यू जीजू अगर रोहन नहीं होता ना तो मैं आपको लेकर भाग जाती”,प्रीति ने कहा तो सब हसने लगे। प्रीति ने बड़ी सी नथ पहन रखी थी जिसके वजह से उस से खाया नहीं जा रहा था। गुड्डू ने देखा तो आकर उसकी बगल में बैठा और कहा,”रुको जे हटाओ फिर खाओ”
गुड्डू ने प्रीति की नथ निकाल दी और फिर प्रीति आराम से चाट खाने लगी। शगुन ने देखा गुड्डू और प्रीति के बीच बहुत ही गहरा रिश्ता है और ये देखकर वह खुश भी थी। वह बाहर चली गयी। प्रीति ने देखा गुड्डू ने कुर्ता पजामा पहन रखा है तो कहा,”आप ये पहनकर स्टेज पर जाने वाले हो ?”
“बिल्कुल , लग रहे है ना हेंडसम ?”,गुड्डू ने कहा
“4 बच्चो के बाप लग रहे हो , क्या यार जीजू मुझे लगा बाकि लड़कियों की तरह मैं भी अपने स्टेज पर धमाकेदार एंट्री लुंगी लेकिन,,,,,,,,,,,!”,प्रीति ने मायूस होकर कहा
“अरे तो तुम बताओ का करना है हम अभी बंदोबस्त करते है”,गुड्डू ने कहा
“सबसे पहले तो जाकर ये कपडे बदलकर आईये”,प्रीति ने कहा
“जो हुकुम मैडम जाते है”,कहकर गुड्डू वहा से चला गया। ऊपर कमरे में आया पहनने को अब कुछ बचा नहीं था सब तो पहन चुका था लेकिन प्रीति के सामने जाकर लेक्चर सुनना नहीं चाहता था इसलिए ढूंढने लगा। उसे अपनी एक सफ़ेद टीशर्ट मिली , गुड्डू ने उसे उठाया और पहन लिया उसके नीचे जींस पहन ली और शीशे में खुद को देखते हुए कहा,”नही यार फील नहीं आ रहा”
उसने कपड़ो को खंगाला था उसे अपना काले रंग का ब्लेजर मिला। गुड्डू ने उसे निकाला और पहनकर शीशे के सामने आकर खुद को देखा और कहा,”जे सही लग रहा है”
गुड्डू नीचे आया तो प्रीति ने दूर से ही ओके का इशारा कर दिया। रोहन घोड़ी पर चढ़कर स्टेज की तरफ जाने लगा तो हॉल में बैठे सभी उठकर बाहर चले गए। बस प्रीति बची थी। अब चूँकि बात धमाकेदार एंट्री की थी तो गुड्डू जी निकल गए जुगाड़ पर ,, बाहर ही उसे जुगाड़ मिल गया। रोहन स्टेज पर बैठा था और सब दुल्हन के आने का वैट कर रहे थे। कुछ देर बाद सभी के कानो में बुलेट की आवाज पड़ी सबकी नजर सामने चली गयी। गुड्डू बुलेट लेकर आ रहा था और उसके कंधे पर हाथ रखकर पीछे बैठी थी अपनी प्रीति ,, दोनों जीजा साली उस बाइक पर बहुत ही प्यारे लग रहे थे उस पर प्रीति ने आँखो पर गुड्डू का चश्मा लगाया हुआ था और फुल स्वैग में बैठी थी और बहुत क्यूट लग रही थी !
गुड्डू ने बाइक लाकर स्टेज के सामने रोकी। रोहन आया और प्रीति का हाथ थामकर उसे ऊपर स्टेज पर ले आया। गुड्डू बाइक साइड में लगाकर वापस चला आया और आकर गोलू के पास खड़ा हो गया। रोहन और प्रीति ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई और उसके बाद फोटो सेशन शुरू हो गया। गुड्डू शगुन ने भी प्रीति के साथ खूब फोटो खिंचवाए और उसके बाद सभी मंडप की तरफ चल पड़े। रोहन की साइड उसके दोस्त भाई और बहने थी , प्रीति की साइड शगुन , गुड्डू , गोलू और पिंकी बैठे थे। अमन और वेदी वहा नहीं थे बल्कि दोनों लॉन में बातें करते हुए घूम रहे थे। मिश्रा जी अपने नए रिश्तेदारों के साथ बैठे थे। सब शांति से और अच्छे से चल था।

लेकिन हमारे गुड्डू को अलग ही शरारत सूझ रही थी। फेरो में सबको थोड़े थोड़े फूल दिए गए ताकि सब दूल्हा दुल्हन को अर्पित करे लेकिन गुड्डू दूल्हा दुल्हन पर कम और सामने खड़ी शगुन पर ज्यादा फेंक रहा था। शगुन ऐसे माहौल में क्या ही कहे वह चुपचाप खड़ी थी लेकिन गुड्डू की शरारतो पर आज उसे गुस्सा नहीं बल्कि प्यार आ रहा था। फेरे सम्पन्न हुए। रोहन और प्रीति बड़ो का आशीर्वाद लेने बढ़ गए। उन्होंने आकर शगुन और गुड्डू के भी पैर छुए तो गुड्डू ने प्रीति से कहा,”हमेशा खुश रहो और सबको यू ही तंग करती रहो”
प्रीति मुस्कुराने लगी , अब तक वह खुश थी लेकिन अब जैसे जैसे विदाई की बारी आ रही थी वैसे वैसे प्रीति का मन भारी होता जा रहा था। सबने साथ मिलकर खाना खाया और हॉल में बैठकर बाते करने लगे। गुड्डू ने देखा शगुन सिर्फ साड़ी पहने हुए है उस पर सर्दी भी बहुत थी वह अंदर गया और शगुन का शॉल ले आया। उसने शगुन के पीछे आकर अपने हाथो से शॉल ओढ़ाते हुए कहा,”सबका ख्याल रखती हो थोड़ा अपना भी रखा करो”
शगुन मुस्कुरा उठी प्रीति की नजर उन दोनों पर थी अब उसे तसल्ली हो चुकी थी की गुड्डू शगुन का हमेशा ख्याल रखेगा। विनोद चाचा ने सबके लिए चाय भिजवा दी। सभी चाय पीने लगे कुछ देर बाद प्रीति ने कहा,”ये वेदी कहा है ? स्टेज के बाद से मैंने उसे देखा ही नहीं ?”
शगुन ने इधर उधर नजर दौड़ाई और फिर गोलू की नजर अचानक से हॉल में पड़ी तो कुर्सियों पर बैठे अमन और वेदी दिखाई दिए उसने कहा,”शगुन भाभी ज़रा उधर देखिये”
शगुन के साथ साथ सबकी नजर उन दोनों पर चली गयी। दोनों दुनिया जहाँ से बेखबर एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। उन्हें ये भी नहीं पता था की आस पास क्या हो रहा है ? गुड्डू उठा और उनके पास चला आया गुड्डू ने उनके सामने आकर अपना हाथ हिलाया लेकिन दोनों ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। गुड्डू ने अमन के सर पर चपत मारी तो अमन को होश आया वह गिरते गिरते बचा और कहा,”जीजू आप ?”
“का हो रहा है हिया ?”,गुड्डू ने पूछा
“कुछ भी नहीं भैया वो अमन हमे बता रहा था अपनी पढाई के बारे में”,वेदी ने झिझकते हुए कहा
“चलो वहा सब बुला रहे है”,गुड्डू ने कहा और वेदी अमन को साथ ले आया। सुबह होने वाली थी सुबह के 7 बजे प्रीति की विदाई होने लगी। सब जमा थे प्रीति ने अपने आंसुओ को बमुश्किल रोक रखा था वह सबके सामने हंस रही थी खिलखिला रही थी लेकिन जैसे ही शगुन के सामने आयी उसके सब्र का बांध टूट गया और वह फुट फुट कर रोने लगी। शगुन भी खुद को नहीं रोक पाई और प्रीति के गले लगकर रो पड़ी ,, माहौल थोड़ा गमगीन हो गया सबकी आँखों में आंसू थे। गुप्ता जी की आँखों में भी नमी तैर गयी तो रोहन के पापा ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”चिंता मत कीजिये आपकी बेटी हमारी बेटी है , हम सब उसका पूरा ख्याल रखेंगे”

गुप्ता जी को सुनकर अच्छा लगा की चलो शगुन के साथ साथ प्रीति का भी घर बस गया और उसे एक अच्छा परिवार मिला। गुड्डू ने देखा प्रीति कुछ ज्यादा ही रो रही थी , विदाई में देर हो रही थी ये देखकर गुड्डू आगे आया और प्रीति को चुप कराते हुए अपने साथ लेकर गाड़ी तक छोड़ने आया। प्रीति को रोहन की बगल में बैठाया तो प्रीति गुड्डू की बांह पकड़कर फिर रोने लगी यहाँ तो गुड्डू की भी आँखे थोड़ी सी नम हो गयी उसने कहा,”अरे यार प्रीति हम और शगुन आएंगे ना तुमसे मिलने”
कुछ देर बाद प्रीति अपने रोहन के साथ वहा से विदा हो गयी। बारात के सभी लोग वहा से चले गए। सभी घरवाले अंदर चले आये प्रीति की विदाई के बाद शगुन कुछ ज्यादा ही उदास हो गयी थी। गुड्डू को उसकी उदासी अच्छी नहीं लगी लेकिन इस वक्त मेहमानो के बीच वह शगुन से कैसे बात करे। गुड्डू ऊपर कमरे में चला आया रातभर जागने की वजह से गुड्डू की आँखे नींद से बंद होने लगी वह बिना कपडे बदले ही सो गया। शगुन और बाकि घरवाले भी काफी थक चुके थे इसलिए सब आराम करने लगे। शाम में गुड्डू की आँख खुली तो उसने देखा सब उसी के कमरे में थे और मिश्राइन गुड्डू के कपडे बैग में जमा रही थी गुड्डू ने कहा,”अम्मा हम लोग वापस कानपूर जा रहे है का ?”
“तो का अब हिया घर बसाने का इरादा है”,पास बैठे मिश्रा जी ने कहा
“नहीं हमारा मतलब शगुन के पापा अभी अकेले है तो ऐसे में शगुन को यही रहना चाहिए”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“आज सुबह हमायी केशव पंडित जी से बात हुई थी , उन्होंने कल सुबह तुम्हाये और शगुन के लिए सत्यनारायण की पूजा रखवाई है जिसमें तुम्हारा और शगुन का शामिल होना जरुरी है इहलीये शगुन हमाये साथ जाएगी ,, उह चाहे तो बाद में अपने पापा के घर रहने को आ सकती है”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू ने आगे कोई सवाल नहीं किया बल्कि वह तो मन ही मन खुश था की चलो कम से कम शगुन उसके साथ जा रही है।
मिश्रा जी ने शगुन और उसके पापा से पहले ही बात कर ली थी इसलिए उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई। ड्राइवर गाड़ी लेकर तैयार खड़ा था। मिश्रा जी ने गोलू और गुड्डू से सामान रखने को कहा। पीछे पिंकी गोलू और वेदी बैठ गए , उनसे आगे वाली सीट पर मिश्राइन , गुड्डू और शगुन और सबसे आगे ड्राइवर की बगल में हमारे मिश्रा जी। सबसे विदा लेकर उसी शाम वे सब कानपूर के लिए निकल गए।

कानपूर , उत्तर प्रदेश
देर रात सभी कानपूर पहुंचे , मिश्रा जी के कहने पर गोलू और पिंकी भी वही रुक गए। वेदी पिंकी और शगुन वेदी के कमरे में जाकर सो गयी और गोलू गुड्डू के साथ उसके कमरे में चला आया। रस्तेभर की थकान और लम्बे सफर से सभी थक चुके थे इसलिए बिस्तर पर गिरते ही सबको नींद आ गयी।
अगली सुबह शगुन और मिश्राइन जल्दी उठ गयी उन्होंने घर की साफ सफाई की। मिश्राइन ने शगुन को एक नया जोड़ा और नए गहने पहनने को दिए और तैयार होकर आने को कहा। शगुन चली गयी मिश्रा जी भी उठ चुके थे और नहाकर आ चुके थे। उन्होंने घडी में टाइम देखा केशव पंडित के आने का वक्त हो चुका था। कुछ देर बाद केशव पंडित भी चले आये। उन्होंने पूजा की तैयारियां की और मिश्रा जी से कहा,”गुड्डू कहा है दिखाई नहीं दे रहा ?”
“आप हमे बताईये का काम है ?”,मिश्रा जी ने कहा
“हमने आपसे शगुन और गुड्डू की कुंडली मांगी थी वो दे दीजिये हम कुछ मिलान कर ले उसके बाद कथा शुरू करते है।”,केशव पंडित ने कहा
“ठीक है पंडित जी हम अभी मंगवाते है”,कहकर मिश्रा जी मिश्राइन के पास आये और कहा,”आप पंडित जी को गुड्डू शगुन की कुंडली दीजिये हम अभी आते है”
मिश्रा जी ऊपर गुड्डू के कमरे में आये उन्होंने देखा गुड्डू और गोलू बिस्तर पर उलटे पड़े अभी तक सो रहे थे। मिश्रा जी लात मारी गुड्डू को और दूसरी लात मारी गोलू को , गुड्डू गुस्से से उठा लेकिन मिश्रा जी को देखकर खामोश हो गया। गोलू बेचारा बिस्तर से निचे आ गिरा और उठते हुए कहा,”कौन है बे ?”
“हम है तुम्हाये बाप ,, लाज शर्म है नहीं दोनों में रास्तेभर समझा के लाये थे की सुबह घर में पूजा है जल्दी उठकर नहा लेना लेकिन नहीं गली के आवारा बैल की तरफ पसरे पड़े है दोनों। 5 मिनिट में नहाकर दोनों नीचे आओ”,मिश्रा जी ने कहा और निचे चले गए।
“यार जे तुम्हाये पिताजी का पहले फुटबाल प्लेयर थे का ? कैसे गोल करके गए है हमायी तशरीफ़ पर”,गोलू ने सहलाते हुए कहा
“हमे भी पड़ी है , जैसे हम नहीं सुधर सकते वैसे हमाये पिताजी भी नहीं पिघल सकते , अब चलो”,कहते हुए गुड्डू ने कबर्ड खोला और अपने पहनने के लिए कपडे निकालने लगा। कपडे लेते हुए गुड्डू की नजर वहा रखे झुमको पर गयी जो उसने शगुन के लिए खरीदे थे। गुड्डू ने उन्हें हाथ में उठाया और मन ही मन कहा,”आज जे हम शगुन को अपने हाथो से पहनाएंगे”
“अरे भैया चिपक गए का कबर्ड से जल्दी नहाकर आओ हमे भी जाना है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने जल्दी से झुमके वापस कबर्ड में रखे और नहाने चला गया। गुड्डू नहाने के बाद वापस आया और गोलू को जाकर नहाने को कहा। मिश्राइन आयी और गुड्डू की ओर नए कपडे बढ़ाते हुए कहा,”गुड्डू तुम्हे पूजा में जे कपडे पहनने है , पंडित जी आ गए है तुमहू भी तैयार होकर जल्दी से आ जाओ”
गुड्डू ने कपडे लिए और पहनकर नीचे चला आया। उसकी नजर पूजा घर में खड़ी शगुन पर चली गयी। पीले रंग की साड़ी में सादगी में कितनी सुंदर लग रही थी वो लेकिन जैसे ही नजर शगुन की सुनी मांग पर पड़ी तो वह थोड़ा उलझन में पड़ गया। केशव पंडित ने गुड्डू को देखा तो आकर बैठने को कहा और गुड्डू के बाँयी तरफ शगुन को बैठने को कहा। मिश्रा जी , अम्मा , मिश्राइन , गोलू , पिंकी और वेदी वहा आकर बैठ गए। आस पड़ोस से भी औरते चली आयी। कई महीनो बाद मोहल्ले में कोई आयोजन था।
केशव पंडित ने कथा आरम्भ की सभी ध्यान लगाकर कथा सुनने लगे। अम्मा तो बहुत खुश थी इस उम्र में ये सब कथा सुनने को मिले इस से बढ़िया बात और क्या हो सकती थी। कथा समापन के बाद केशव पंडित ने गुड्डू को सिंदूर की डिब्बी दी और कहा,”जे सिन्दूर अपने हाथ से बहू को दो”
गुड्डू ने सिंदूर की डिब्बी शगुन को दे दी , केशव पंडित ने शगुन से उस डिब्बी से सिंदूर उठाकर अपनी मांग भरने को कहा। शगुन ने वैसा ही किया , कुछ सिंदूर आकर उसकी नाक पर भी गिर गया जो की शुभ माना जाता है। केशव पंडित जी ने शगुन के हाथ को गुड्डू के हाथ पर रखा और जल अर्पित करवाया। पूजा समाप्ति के बाद सभी वहा से उठ गए। मिश्रा जी ने सबको प्रशाद ग्रहण करने को कहा और खुद केशव पंडित के पास आकर कहा,”पंडित जी अब सब ठीक है ना इन दोनों के जीवन में ? हमाओ मतलब अब किसी तरह की परेशानी ना है ना इनके रिश्ते में”
“बेफिक्र रहिये मिश्रा जी अब जे घर में बस खुशिया ही खुशिया आएगी। आपकी बहु के कदम शुभ है जे घर के लिए ,, चिंता मत कीजिये महादेव सब ठीक करेंगे हमने एक थाल वहा मंदिर में रखा है पूजा का शगुन और गुड्डू के हाथो उसे माहदेव के मंदिर में दोनों के हाथो अर्पित करवा दीजियेगा और कुछ दान गौशाला में भी करवा दीजियेगा जिस से आने वाला संकट कट जाए,,,,,,,,,,,,,,,,अब हमे जाने की इजाजत दे”,केशव पंडित जी ने कहा
मिश्रा जी ने केशव पंडित जी को उनकी दक्षिणा और प्रशाद दिया साथ ही कुछ कपडे और भेंट भी। केशव पंडित ख़ुशी ख़ुशी वहा से चले गए। हालांकि गुड्डू ने उन्हें बहुत परेशान किया था लेकिन गुड्डू पर आयी मुसीबतो के बारे में केशव पंडित जानते थे और ये भी जानते थे की गुड्डू दिल का साफ है।

प्रशादी के बाद गोलू पिंकी के साथ घर के लिए निकल गया। मिश्राइन ने शगुन और गुड्डू को थाल देकर महादेव के मंदिर भेज दिया। वेदी मिश्रा जी से पूछकर शालू के घर चली गयी। मिश्रा जी ख़ुशी अंदर आये , आँगन में उनकी अम्मा और मिश्राइन बैठी थी मिश्रा जी भी उनकी ओर चले आये और अपनी अम्मा की बगल में बैठते हुए कहा,”अब ठीक है अम्मा , जैसा आप चाहती थी वैसा ही हुआ है”
“अरे आनन्दा हमहू तो पहले ही कहि थी की हमाओ गुड्डू खरा सोना है”,अम्मा ने कहा तो मिश्रा जी हसने लगे और कहा,”तभी आज सुबह सुबह हमसे लतिया खाये रहय आपके गुड्डू,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर सब अच्छे से निपट गया और सब ठीक भी हो गया बस अब गुड्डू और शगुन अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत करे तो हमाओ दादा बनने को सपनो पुरो हओ”
“सब हो जाएगा भगवान के घर मा देर है अंधेर नाही”,अम्मा ने कहा तो मिश्रा जी ने अपना सर उनके कंधे पर टिका दिया और कहने लगे,”इन दिनों बहुते थक गए है अम्मा ,, जे सब परेशानिया , भाग-दौड़ , कुछ दिन ना सुकून से रहना चाहते है अपने परिवार के साथ”
“हां तो रहो शोरूम सम्हालने के लिए तो अब गुड्डू है ही”,अम्मा ने कहा तो मिश्रा जी ने हामी भर दी।
शगुन और गुड्डू दोनों महादेव के मंदिर से लौट आये। दोपहर के खाने के बाद गुड्डू ऊपर कमरे में चला आया और शगुन का इंतजार करने लगा। शगुन जो को ऐसे तो कभी भी किसी भी वक्त गुड्डू के कमरे में चली आती थी आज उसे गुड्डू के कमरे में जाने में शर्म आ रही थी। शगुन नीचे ही थी और गुड्डू की किस्मत भी शायद ख़राब थी की घर में आज लोगो का आना जाना कुछ ज्यादा ही था। शाम में गुड्डू का दोस्त मनोहर चला आया तो गुड्डू उसके साथ बिजी हो गया।
रात के खाने के बाद शगुन डायनिंग टेबल साफ कर रही थी। मिश्राइन ने देखा तो आकर कहा,”छोडो जे सब और जाकर अपने कमरे में आराम करो”
शगुन हमेशा की तरह वेदी के कमरे की तरफ जाने लगी तो मिश्राइन ने कहा,”अरे वहा कहा ऊपर जाओ अपने कमरे में”
शगुन को याद आया की अब उसे गुड्डू के साथ रहना था उसकी पत्नी बनकर , शगुन का दिल धड़कने लगा सुबह से वह गुड्डू के सामने जाने से बच रही थी लेकिन अब उसे जाना पड़ा। शगुन ऊपर आयी गुड्डू हाथ बांधे दरवाजे पर ही खड़ा था शगुन जब उसके पास आयी तो गुड्डू ने कहा,”मिल गयी आपको फुर्सत शगुन गुप्ता ?”
शगुन बेचारी क्या कहे ? कैसे कहती की उसे गुड्डू के सामने आने में शर्म आ रही थी। शगुन बिना जवाब दिए ही अंदर चली आयी तो गुड्डू भी मुस्कुराते हुए उसके पीछे चला आया। शगुन बिस्तर पर आकर बैठ गयी गुड्डू भी उसकी बगल में आ बैठा दोनों चुप , कौन पहले बोले ? गुड्डू ने देखा शर्म के मारे
शगुन खुद में ही सिमटी जा रही है तो उसने कहा,”वैसे हम तुम्हाये लिए कुछ लाये थे , दिखाए”
“क्या ?”,शगुन ने धीरे से कहा
गुड्डू उठा और झुमके लेकर शगुन की हथेली पर रख दिए। शगुन ने गुड्डू की तरफ देखा और कहा,”बहुत खूबसूरत है , आप ही पहना दीजिये”
गुड्डू को और क्या चाहिए था वह शगुन के पास आया और उसकी बगल में बैठकर झुमके अपने हाथ में ले लिए। शगुन थोड़ा सा पलट गयी और अपने बालो को एक साइड कर लिया। शगुन की पतली गर्दन देखकर गुड्डू की धड़कने बढ़ गयी
गुड्डू ने झुमका लिया और शगुन के कान में पहनाने लगा। शगुन के बालो से आती भीनी भीनी खुशबु गुड्डू को अपनी ओर खींच रही थी। शगुन को झुमके पहनाकर गुड्डू वापस सीधा बैठ गया और फिर दोनों खामोश हो गए। दोनों मेच्योर थे लेकिन इस वक्त किसी स्कूल के छोटे बच्चे लग रहे थे टीचर ने साथ बैठने की पनिशमेंट दी हो। गुड्डू की नजर शगुन के हाथ पर पड़ी जो की गुड्डू के बिल्कुल पास ही रखा था गुड्डू ने शरारत से शगुन के हाथ को अपनी उंगलियों से छू दिया। शगुन को सिहरन हुई लेकिन गुड्डू को उसे परेशान करने में मजा आ रहा था। शगुन ने कोई प्रतिक्रया नहीं दी तो गुड्डू ने धीरे से अपने पैर से शगुन के पैर को मारा लेकिन सामने देखते हुए। बेचारी शगुन ऐसे में गुड्डू को क्या जवाब दे ? ,, वह खामोश रही तो गुड्डू थोड़ा सा उस से सट कर बैठ गया , शगुन साइड खिसकी , गुड्डू फिर सटा शगुन फिर साइड खिसकी , ऐसे करते हुए शगुन दिवार के पास पहुँच गयी तो गुड्डू ने कहा,”का दिवार में घुसोगी ?”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन जैसे ही उठने को हुई गुड्डू एकदम से उसकी तरफ पलटा और करीब आ गया शगुन की पीठ दिवार से जा लगी। गुड्डू उसकी आँखो में झाँकने लगा ,, शगुन का दिल 120 की स्पीड से चल रहा था। गुड्डू थोड़ा सा शगुन के करीब आया उसकी सांसे शगुन को अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी लेकिन आज वह गुड्डू को नहीं रोक सकती थी। आज गुड्डू का उस पर पूरा हक़ था। गुड्डू कुछ देर उसके करीब रहा और फिर शगुन के होंठो को अपने होंठो से छूकर पीछे हट गया। शगुन की हालत देखकर उसे हंसी जो आ रही थी। गुड्डू शगुन के सामने बैठा प्यार से उसे देखता रहा और फिर कहा,”वैसे तुमने हमे बहुत परेशान किया है , उन सबका बदला लेंगे हम”
“आप ऐसे मनमर्जी नहीं कर सकते”,शगुन ने कहा
“मनमर्जी तो हम करेंगे शगुन गुप्ता और तुम हमे रोक भी नहीं पाओगी का है जब तक इश्क़ में मनमर्जियाँ ना हो ना तब तक इश्क़ में वो बात नहीं होती”,गुड्डू ने कहा
“किसने कहा मुझे आपसे इश्क़ है ?”,शगुन ने पूछा
“किसी के कहने की जरूरत ही नहीं हम जानते है तुम जानती हो हमारे महादेव जानते है की तुम्हाये पहले और आखरी इश्क़ तो हम ही है “गुड्डू मिश्रा” और अब से तुमहू कहलाओगी “मिसेज गुड्डू”,कहते हुए गुड्डू ने शगुन की गोद में अपना सर रख दिया। शगुन मुस्कुरा उठी क्योकि वो जानती थी दुनिया इधर की उधर हो जाये उसके “गुड्डू मिश्रा” नहीं सुधरेंगे। वह झुकी और गुड्डू के होंठो को अपने होंठो से छूकर धीरे से कहा,”मैं “मिसेज गुड्डू” कहलाने के लिए तैयार हूँ मिश्रा जी” ये सुनकर गुड्डू को शर्म आ गयी ,,, दोनों एक दूसरे का हाथ थामे अपनी जिंदगी के सबसे खूबसूरत पलो को एक दूसरे से जाहिर करने लगे।

समाप्त

हर हर महादेव
“समाप्त” शब्द पढ़कर दिल छोटा ना करे “मनमर्जियाँ” के 2 सीजन कम्प्लीट हो चुके है और ये कहानी है की खत्म होने का नाम नहीं ले रही। इतनी बड़ी कहानी मैंने आज तक नहीं लिखी है पिछले 7 महीनो से कन्टीन्यू मैं इसे लिख रही हूँ और आप सब पढ़ रहे है ये बहुत बड़ी बात है आप रीडर्स का एक कहानी के साथ इतने लम्बे समय तक बने रहना। आपका भरपूर प्यार और वक्त मिला उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया,,,,,,,,,,,,,,,,इस कहानी का सीजन 3 भी आएगा लेकिन इस साल के अंत में ,, हालाँकि मैं इसे 5-7 पार्ट्स और लिखकर अभी भी वेदी के शादी के साथ खत्म कर सकती थी लेकिन उसमे वो मजा नहीं आता यार ,, सीजन 3 लिखना है लेकिन थोड़े इत्मीनान से। नया सीजन आएगा तो कहानी में नए मोड आएंगे , कुछ नए लोग आएंगे , इन सबकी जिंदगी को और करीब से पढ़ने को मिलेगा और साथ साथ ही नए कांड जो आपके होंठो पर हंसी तो पक्का छोड़ जायेंगे इसलिए सीजन 2 को खत्म करते हुए , सीजन 3 के साथ इस कहानी को आगे बढ़ाएंगे लेकिन साल के अंत में अभी नही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
इन दिनों मैं थका हुआ महसूस कर रही हूँ , मेरी बॉडी , मेरा माइंड , मेरी अंतरात्मा , मेरा मन इन सबसे एक ब्रेक चाहता है। इसलिए अगर नयी कहानी भी आती है तो उसमे थोड़ा वक्त लगेगा। मैंने अपने रीडर्स से एक वादा किया था की “Love You जिंदगी – सीजन 2” इसी साल 2021 में आएगा और मैंने कुछ दिन पहले ये भी कह दिया की सीजन 2 जुलाई से शुरू होगा।
तो इस ब्रेक के बाद मेरी वापसी “Love You जिंदगी” सीजन 2 के साथ होगी , नैना , रुचिका और शीतल एक बार फिर आपके साथ होगी। साथ ही एक और अच्छी खबर है आप सबके लिए आप सबने मेरी लिखी “रांझणा” कहानी पढ़ी होगी , उस कहानी का सीजन 2 ऑडियो में जल्द आएगा मेरे अपने यूट्यूब चैनल पर,,,,,,,,,,,,,,हालाँकि वो किसी RJ की आवाज में नहीं होगा मेरी अपनी आवाज में होगा तो अगर आपका मन करे तो आप उसे सुन सकते है ,, अब आप कहेंगे वेबसाईट पर क्यों नहीं ?
वेबसाइट पर भी आएगा लेकिन अगले साल इस साल सिर्फ ऑडियो में तो अगर आपको पसंद आये तो जरूर सुने ,,यूट्यूब चैनल का लिंक नीचे दिया गया है आप वहा जाकर सुन सकते है। एक अच्छी खबर और मेरे फेसबुक पेज पर आज शाम आप सभी के लिए एक Q&A रखा है जैसा की मैं आप सभी के कमेंट्स और मेसेज का बहुत कम जवाब देती हूँ और बहुत कम आप लोगो से कनेक्ट हो पाती हूँ तो उस Q&A में आप मुझसे अपने सवाल पूछ सकते है ऐसी ही वेबसाइट पोस्ट के जरिये मैं उन सभी सवालो का जवाब देने की कोशिश करुँगी !!
बहुत बहुत प्यार आप सबको , अपना ख्याल रखे और पढ़ते रहे मेरी कहानियाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्योकि हर कहानी कुछ कहती है।

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संजना किरोड़ीवाल

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