Manmarjiyan – 79
Manmarjiyan – 79
गुड्डू की बात सुनकर शगुन को एक बार फिर गुड्डू में बचपना नजर आया। उसने हां में सर हिला दिया तो गुड्डू मुस्कुरा उठा और कहा,”चलो ना गिफ्ट देखते है , वैसे भी आज पहली बार हमे इतने सारे तोहफे मिले है,,,,,,,,,,,,,,आओ”
गुड्डू के कहने पर शगुन आकर उसके सामने बिस्तर पर बैठ गयी। गुड्डू ने सभी गिफ्ट्स रखे और एक एक करके खोलने लगा। सबसे पहले मिश्रा जी का दिया तोहफा खोला जिसमे एक बहुत ही प्यारी छोटे छोटे रुद्राक्ष से बानी माला थी गुड्डू को वो बहुत पसंद आयी। उसने उसे वापस डिब्बे में रख दिया। दूसरा तोहफा वेदी का था जिसमे बहुत सारे चॉकलेट्स थे , गुड्डू को बचपन में चॉकलेट्स बहुत पसंद थे उन्हें देखकर गुड्डू मुस्कुरा उठा और साइड रख दिया। शालू ने उसे बेल्ट गिफ्ट किया था , एक दोस्त ने उसे पर्स गिफ्ट किया था। रौशनी और मनोहर ने उसे बहुत ही अच्छा सनग्लास दिया। गुड्डू ने उसे लगाते हुए कहा,”जे बढ़िया है वैसे भी हमाये वाला पुराना हो गया था”
सनग्लास को साइड में रखकर गुड्डू ने सोनू भैया और भाभी का दिया गिफ्ट खोला। उसमे एक टाई था जिसे देखकर गुड्डू ने कहा,”जे हमाये किस काम की ? हमने तो कभी ना पहनी”
“आपको पहननी नहीं आती ?”,शगुन ने पूछा
“ना”,गुड्डू ने कहा
“टाई पहनने वाले लड़के ना बहुत डिसेंट लगते है , मुझे बहुत पसंद है”,शगुन ने आँखों में चमक भरते हुए कहा तो गुड्डू ने चुपचाप उसे साइड में रख दिया और कहा,”तोहफे तो खत्म हो गए”
“एक तोहफा अभी बाकि है”,शगुन ने उठकर कबर्ड की और जाते हुए कहा। गुड्डू खुश हुआ और हैरान भी की अब कोनसा तोहफा बाकि है , शगुन ने कबर्ड में रखा एक केरी बैग निकाला और लेकर गुड्डू के पास आयी शगुन ने वो बैग गुड्डू को दिया और कहा,”ये हमारी तरफ से”
गुड्डू ने केरी बैग लिया और खोलकर देखा उसमे सी ग्रीन रंग का एक बहुत ही खूबसूरत शर्ट था। गुड्डू उसे देखते ही खुश हो गया और कहा,”जे तो बहुते बढ़िया है , हमाये पास सारे रंगो की शर्ट है पर इस रंग की ना थी। थेंक्यू”
शगुन मुस्कुरा दी गुड्डू को उसका दिया तोहफा पसंद आया। शगुन ने सारे तोहफे उठाकर टेबल पर रखे और फिर सोने चली आयी। गुड्डू आज बहुत खुश था आज से पहले कभी किसी ने उसका बर्थडे इस तरह नहीं मनाया था। थोड़ी देर बाद वह भी शगुन से कुछ दूरी बनाकर लेट गया और उसे नींद आ गयी।
दूसरी तरफ गुड्डू के जाने के कुछ देर बाद ही आर्डर का सामान आया। गोलू ने सब सामान रखवाया और जैसे ही घर जाने का सोचा बारिश शुरू हो गयी।
गोलू वापस दुकान में ही आ गया और बारिश के रुकने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद भीगते भागते पिंकी ना जाने कहा से आयी और गोलू की दुकान के बाहर खड़ी बारिश से बचने की नाकाम कोशिश करने लगी। .गोलू ने देखा तो गेट पर आकर कहा,”अरे ए पिंकिया बाहर काहे भीग रही हो अंदर आ जाओ , लगता है बहुत जोरो की बारिश होने वाली है”
“कोई जरूरत नहीं है गोलू हम ठीक है यहाँ”,पिंकी ने कहा जो की लगभग भीग चुकी थी
“अरे हमायी बात मानो आ जाओ , बीमार पड़ जाओगी ऐसी बारिश में भीगकर”,गोलू ने चिंता जताई तो पिंकी गुस्से से पलटी और कहा,”हमारी इतनी फ़िक्र करने की जरूरत नहीं है गोलू , जाकर अपना काम करो”
”हम तो हमारा काम ही कर रहे थे तुमको देखा तो बोल दिया,,,,,,,,,,,,,,,,मरो जाकर”,कहते हुए गोलू वापस अंदर चला गया और सोफे पर बैठकर बारिश के रुकने का इंतजार करने लगा। पिंकी ने देखा बारिश और तेज हो चुकी है तो वह उसी बारिश में घर जाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ी फिसल कर गिर गयी। गोलू ने देखा तो हँसते हुए आया और कहा,”क्यों आया मजा ? तब तो हमायी बात सुनी नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,ल्यो हाथ दो अपना” गोलू ने अपना हाथ नीचे गिरी पिंकी की और बढ़ा दिया पिंकी ने गोलू का हाथ पकड़ा और उठकर उसके पास चली आयी। गोलू ने देखा पिंकी भीग चुकी है और रही सही कसर गिरने की वजह से पूरी हो गयी। गोलू ने उसे अंदर आने को कहा और दुकान का शीशे वाला गेट बंद कर दिया जिस से बारिश के छींटे अंदर ना आये। पिंकी एक कोने में खड़ी हाथो से पानी झटक रही थी गोलू ने इधर उधर देखा और फिर वहा रखा अपना गमछा पिंकी की और बढाकर कहा,”इह ल्यो पोछ ल्यो”
पिंकी ने एक नजर गोलू की और देखा जो की दूसरी और देख रहा था और फिर उसके हाथ से गमछा लेकर हाथ मुंह पोछने लगी। गोलू ने कही से पिंकी के लिए कपडे ढूंढे और उसके पास लाकर कहा,”हम बाहर जाते है तुमहू साइड में जाकर इह बदल लो”
गोलू ने पिंकी का जवाब भी नहीं सूना और बाहर चला आया। पास ही चाय वाले से दो चाय बनाने को कहा। बारिश और ठंडी हवा की वजह से गोलू को कपकपी छूट रही थी। पिंकी ने कपडे बदले और गेट खोलकर कहा,”अंदर आ जाओ”
गोलू ने दो चाय ली और अंदर आकर एक चाय पिंकी की और बढ़ा दी। उसने देखा पिंकी ने जो शर्ट पहना था थोड़ा लंबा था जिसकी आस्तीन हाथो से बाहर तक लटक रही थी यही हाल पेण्ट का भी था। गोलू ने अपना ध्यान पिंकी से हटाया और चाय पीते हुए कहा,”तुमहू इस बख्त हिया का कर रही थी ?”
“क्यों तुम बाप लगे हो हमारे जो तुम्हे बताये ?”,पिंकी ने गोलू को घूरकर देखते हुए कहा
“बाप तो नहीं लगे है पर तुमहू चाहो तो तुम्हाये बच्चो के बाप जरूर बन सकते है”,गोलू ने सामने देखते हुए कहा
“का का कहे तुम ?”,पिंकी ठीक से सुन नहीं पाई
“कुछ नहीं हम कह रहे की नाश्ते में का हरी मिर्च खाती हो का तुम ? मतलब कितनी तीखी जुबान है तुम्हायी”,गोलू ने कहा तो पिंकी ने मुंह बना लिया और चाय पीने लगी। लेकिन गोलू महाराज कहा चुप रहने वाले थे उन्होंने अगला सवाल दाग दिया,”अच्छा हमको इक ठो बात बताओ ये गुड्डू भैया के पीछे काहे पड़ी हो तुम ?”
“हमे कोई गुड्डू से मतलब नहीं है भाड़ में जाये गुड्डू और भाड़ में जाये उनकी शगुन”,पिंकी ने नफरत से कहा
गोलू को ये सुनकर जो ख़ुशी हुई है मतलब इतनी ख़ुशी तो उसे कभी अपने जन्म पर भी ना हुई थी लेकिन जब पिंकी ने शगुन के लिए भी गलत बोला तो गोलू ने पिंकी के पास आकर कहा,”ए पिंकिया जबान सम्हाल के हां हमायी शगुन भाभी के लिए कुछ गलत नहीं सुनेंगे हम”
“हां तो फिर तुमहू ना उलटे सीधे सवाल ना पूछो हमसे एक तो वैसे ही हमारा दिमाग खराब है ऊपर तुम्हारे गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक बात कान खोलकर सुन लो गोलू तुम्हारे गुड्डू भैया के साथ जो था वो खत्म हो चुका है अब ना हमे गुड्डू से मतलब है न उसकी जिंदगी से”,पिंकी ने चिढ़ते हुए कहा
गोलू ने सूना तो उसके मन में तितलियाँ उड़ने लगी वह पिंकी के पास आया और कहा,”का का का का कहा ज़रा फिर से कहना”
पिंकी ने थोड़ा प्यार से शुरू करके चिल्लाते हुए कहा,”हमने जे कहा की ना हमे गुड्डू से मतलब है ना उसकी जिंदगी से”
“हाय सच्ची पिंकिया आज तो तुमहू जान मांगो ना तो हम उह भी देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम भी जे ही कह रहे की गुड्डू भैया तो निकल लिए अब तुमहू कोई अच्छा सा लड़का देखकर (शरमाते हुए अपने शर्ट की कोलर ठीक करते हुए कहता है) शादी कर ल्यो”
पिंकी ने जब गोलू को देखा तो बिफरते हुए कहा,”उठो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और 6 फुट दूर रहो हमसे समझे , गोलू अगर तुम्हे लगता है ना की उस रात के बाद से हमारे बीच कुछ सीन हो जाएगा तो तुम्हे गलत लगता है”
बेचारा गोलू कहा वह पिंकी को पटाने के सपने देख रहा था और पिंकी ने उसे औकात दिखा दी लेकिन गोलू हार मानने वालो में से नहीं था उसने भी जोश जोश में कह दिया,”अगर ऐसा है ना पिंकिया तो लिख के रख लो तुम्हायी डोली तो हमाये घर ही आएगी”
“सही है दिन में तुमहू दिन में सपने देखते रहो और एक बात बताओ गोलू शर्म नहीं आती अपने ही दोस्त की गर्लफ्रेंड से ऐसी बाते कर रहे हो”,पिंकी ने कहा
“भैया की तो शादी हो गयी ना उस हिसाब से तुमहू उनकी गर्लफ्रेंड कहा से हुयी , रही हमायी बात तो का है ना पिंकिया हमहू मिडिल क्लास हमे सेकेण्ड हेंड चीजों की आदत है”,गोलू ने कहा तो पिंकी ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा
पिंकी को अपनी और घूरते पाकर गोलू दरवाजे की और चला आया और बाहर देखते हुए कहा,”लगता है कानपूर डूबने वाला है आज , इति तेज बारिश तो हम कबो ना देखे”
“अच्छा गोलू काम कैसा चला रहा है तुम दोनों का ?”,पिंकी ने एकदम से पूछा
“काम तो ठीक ही चल रहा है”,गोलू ने भी बाहर देखते हुए कहा
पिंकी भी उठी और दरवाजे के दूसरी और आकर खड़ी हो गयी और बारिश को देखने लगी। गोलू की नजर पिंकी पर जाकर ठहर गयी इस वक्त कितनी खूबसूरत लग रही थी वह। गोलू उसे देखते हुए मन ही मन कहने लगा,”अगर जहर जबान और ये साइको दिमाग ना होता ना तुम्हारा तो इस वक्त हमायी नजर में कानपूर की सबसे खूबसूरत लड़की तुमहू होती पिंकिया”
पिंकी को महसूस हुआ जैसे गोलू उसे देख रहा है तो उसने सामने देखते हुए कहा,”घूरना बंद करो गोलू”
गोलू झेंप गया और दूसरी और देखने लगा पिंकी ने उसकी और देखा और मुस्कुराते हुए सामने देखने लगी। 2 घंटे की लगातार बारिश के बाद बारिश कुछ कम हुई और फिर धीरे धीरे करके रुक गयी। पिंकी ने देखा उसके कपडे सुख चुके है उसने गोलू को बाहर भेजा और कपडे बदलकर खुद भी बाहर चली आयी और गोलू से कहा,”शुक्रिया”
“हम छोड़ आये घर ?”,गोलू ने कहा तो पिंकी उसे देखने लगी तो गोलू ने कहा,”अरे इंसानियत के नाते कह रहे है इति रात में अकेले जाओगी”
” हम चले जायेंगे गोलू”,पिंकी ने प्यार से कहा तो गोलू मुस्कुरा दिया और सामने से आये ऑटो को रोककर उसके पास आकर कहा,”सुनो बाबू ध्यान से छोड़कर आना मेडम को और है पैसे पुरे लेना”
“इह का बात है भैया ? हमको लगा कहोगे पैसे मत लेना भाभी है तुम्हायी”,ड्राइवर ने हैरानी से कहा
गोलू ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”देखो बाबू ऐसा है ना तो इह है सोनम कपूर और ना ही हम है किसी रांझणा के कुंदन जो इह डायलॉगबाजी करेंगे,,,,,,,,रिक्शा स्टार्ट करो और इनको लेकर चलते बनो,,,,,हमसे बकैती करेंगे”
“ठीक है भैया”,कहकर आदमी ने पिंकी को बैठने का इशारा किया और उसे लेकर चला गया। गोलू ने भी घडी में टाइम देखा काफी रात हो चुकी थी उसने दुकान बंद की और स्कूटी लेकर वहा से निकल गया।
अगली शाम गुड्डू जल्दी ही घर आ गया , कानपूर से कुछ ही दूर उसके किसी दोस्त की सगाई का फंक्शन था और उसने गुड्डू को भाभी के साथ आने को कहा। पहले ये हाल था की गुड्डू शगुन के साथ बाहर जाने का नाम सुनकर ही गायब होने की तरकीबे लगाता था लेकिन अब उसे शगुन का साथ भाने लगा था। गुड्डू ने मिश्रा जी से जाने की परमिशन ली तो उन्होंने ख़ुशी ख़ुशी दे दी क्योकि इन दिनों उन्हें भी गुड्डू से कोई शिकायत नहीं थी। गुड्डू ने शगुन से तैयार होने को कहा। शगुन ने लाल रंग के फुल स्लीवस वाले ब्लाउज के साथ गहरे हरे रंग की साड़ी पहन ली। साथ ही मैचिंग ज्वेलरी और बालो का जुड़ा बना लिया। शगुन बहुत खूबसूरत लग रही थी। गुड्डू जैसे ही कमरे में आया शगुन को देखा तो बस देखता ही रह गया। उस साड़ी में वह इतनी खूबसूरत लग रही थी। शगुन ने गुड्डू को देखा तो कहा,”क्या हुआ ?”
“क क कुछ नहीं तुमहू निचे चलो हम तैयार होकर आते है”,गुड्डू ने नजरे चुराते हुए कहा
शगुन वहा से चली गयी गुड्डू ने कबर्ड से पेंट शर्ट निकाले ,शर्ट वही था जो शगुन ने गिफ्ट किया था गुड्डू ने पहना तो देखा वह उसमे बहुत हेंडसम लग रहा था। उसने शीशे में खुद को देखते हुए कहा,”बढ़िया है गुड्डू शगुन की पसंद तो काफी अच्छी है,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे हमहू भी तो उन्ही की पंसद है”
गुड्डू ने कंघी उठायी और बाल बनाने लगा की उसे शगुन की कही बात याद आयी “टाई पहनने वाले लड़के हमे अच्छे लगते है” ना जाने गुड्डू को क्या सुझा उसने कबर्ड खोला रखी वो टाई निकाल ली जो सोनू भैया ने दी थी। शीशे के सामने आकर गुड्डू टाई पहनने की कोशिश करने लगा लेकिन बेचारा उसे कहा ये सब पहनना आता था। वह बस टाई को गले में इधर उधर घुमाता रहा। काफी देर तक जब गुड्डू निचे नहीं आया तो शगुन उसे बुलाने ऊपर चली आयी। शगुन ने देखा गुड्डू टाई पहनने की नाकाम कोशिश कर रहा है तो वह उसके पास आयी और कहा,”लाईये मुझे दीजिये”
गुड्डू ने टाई शगुन को दे दी और उसकी और मुंह करके खड़े हो गया। शगुन ने टाई ली और गुड्डू को पहनाना शुरू किया। बड़े ही इत्मीनान से वह वह गुड्डू को टाई पहनाते जा रही थी और गुड्डू को ये पल काफी खूबसूरत लग रहा था। वह बस प्यार से शगुन को देखता रहा। गुड्डू को टाई पहनाकर शगुन ने उसे शीशे में देखने को कहा। गुड्डू ने खुद को शीशे में देखा और कहा,”लग तो अच्छे रहे है”
“अब चले”,शगुन ने कहा
“हां”,गुड्डू ने कहा और शगुन के साथ नीचे चला आया !
गुड्डू शगुन को साथ लेकर घर से निकल गया। नुक्क्ड़ से जब गुड्डू गुजरा तो वहा बैठे एक लड़के ने अपनी हुड्डी का केप पीछे करके कहा,”बहुत हवा में उड़ लिए गुड्डू मिश्रा अब तुम्हाये जमीन पर गिरने का बख्त आ चुका है”
क्रमश – Manmarjiyan – 79
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संजना किरोड़ीवाल