Manmarjiyan – 76
मनमर्जियाँ – 76
गोलू को लेकर गुड्डू दुकान पहुंचा। उसे बैठाया और कहा,”अबे का जरूरत थी दूसरे के फट्टे में टाँग अड़ाने की अब पड़ी ना जोर की ,, साले गोलू हम सब सही करने का सोच रहे है लेकिन नई तुमको तो चूल मची पड़ी है,,,,,,,,,,,,,हम नहीं पहुँचते ना तो धोकर सूखा देते तुमको वो सब”
“भैया हम तो,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहना चाहा तो गुड्डू ने बीच में ही बात काटते हुए कहा,”तुम का गोलू ? कित्ती बार कहे है परायी औरत को ना छेड़ा करो पर ना जाने कोनसा कीड़ा फड़फड़ाता है तुम्हाये अंदर जो तुम इह सब करते हो”
गोलू ने सूना तो मुंह बना लिया। गुड्डू ने चार्जिंग में लगा अपना फोन निकाला और जेब में डालते हुए कहा,”हम जा रहे है आलोक मिश्रा के हिया चार दिन बाद कोई फंक्शन है उनके यहाँ तो उन्होंने बुलाया है और खबरदार यहाँ से कही गए या फिर से कोई कांड किया तो हम नहीं आएंगे बचाने”
“हां हां ठीक है इतना काहे गुस्साय रहे हो ?”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा
“हमाये गुस्से की वजह जिस दिन समझ आएगी आना गोलू इह सवाल नहीं करोगे”,कहकर गुड्डू वहा से चला जाता है। गोलू को अच्छी खासी मार पड़ी इसलिए दर्द से बिलबिला रहा था। हाथ पर भी कुछ खरोंचे लगी थी और मुंह से भी खून निकल कर सुख चुका था। बेहाल सा गोलू बैठा था की कुछ देर बाद घूमते घुमाते पिंकी वहा से गुजरी जब उसकी नजर गोलू पर पड़ी तो वह उसके पास चली आयी और मजाक उड़ाते हुए कहा,”और गोलू कहा से पीटकर आये हो ?”
पिंकी की बात सुनकर गोलू भड़क गया और कहा,”तुम्हारे ससुर से पीटकर आये है”
“बाप रे लगता है बहुते जोर की मार पड़ी है”,पिंकी ने गोलू पर तरस खाते हुए कहा
“देखो पिंकिया ऐसा है हमारा माथा पहले से गर्म है गुड्डू भैया के लेक्चर से अब तुमहू और गर्म ना करो,,,,,,,,,,,,,,जाओ यहाँ से , किसी के जख्मो पर मरहम पट्टी नहीं कर सकती ना तो नमक भी मत छिड़का करो”,गोलू कहते कहते उदास हो गया
पिंकी से गोलू का उदास चेहरा देखा नहीं गया वह गोलू के पास आयी और उसके हाथ पर लगी चोट देखते हुए कहा,”अरे दादा तुमको तो बहुत चोट लगी है रुको हम आते है”
कहकर पिंकी चली गयी और कुछ देर बाद वापस आयी तो उसके हाथ में पट्टी और दवा थी। पिंकी नेदवा काउंटर पर रखी और फिर कॉटन लेकर गोलू के हाथ पर लगी चोट को साफ करते हुए कहने लगी,”एक बात बताओ गोलू तुम गलती से पीटते हो या फिर ये तुम्हारा रोज का काम है ? (गोलू ने घुरा तो पिंकी हल्का सा मुस्कुराई और आगे कहा) हमारा मतलब जब देखो तब कोई न कोई काण्ड किये रहते हो तुम”
गोलू ने कुछ नहीं कहा पिंकी ने उसके हाथ पर पट्टी बाँधी और जैसे ही कॉटन पर दवा लेकर गोलू के होंठ पर लगाया गोलू का दिल धड़क उठा। पिंकी का करीब आना उसे अच्छा लग रहा था जबकि आज से पहले गोलू पिंकी को देखते ही गुस्सा हो जाया करता था। पिंकी ने गोलू की चोट को साफ किया दवा लगाई और दूर हटकर कहा,”जे सब रंगबाजी छोड़ दो गोलू और काम पर ध्यान लगाओ”
पिंकी जाने लगी तो गोलू ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”पिंकी सुनो”
पिंकी ने पलटकर गोलू को हाथ पकड़ने की वजह से घुरा तो गोलू ने झट से उसका हाथ छोड़ दिया
पिंकी ने अपने दोनों हाथो को बाँधा और कहा,”हमारे साथ ज्यादा फ्रेंक होने की कोशिश मत करो गोलू , वो तो तुमने मरहम वाली बात कही इसलिए पट्टी कर दी इस से आगे की कुछ सोचना भी मत”
बेचारे गोलू का सपनो का महल एक पल में चकनाचूर होकर गिर गया और पिंकी उन सपनो के मलबो को पैरो से रोदकर चली गयी। पर गोलू खुश था किसी बहाने से ही सही पिंकी ने कम से उसे छुआ। वैसे भी जबसे गोलू ने पिंकी को किस किया था उसके बाद से गोलू कुछ बदल सा गया था। वह अब पिंकी के बारे में बुरा नहीं सोचता था। वही पिंकी भी थोड़ी बदली बदली नजर आने लगी थी , ना वह गुड्डू को परेशान करती थी ना ही उसने गोलू को उलटा सीधा कहा।
पिंकी के ख्यालो में खोया गोलू गाने सुनने लगा। गुड्डू आलोक मिश्रा से मिला और उसकी बहन की सगाई के फंक्शन का आर्डर लेकर चला आया। शाम हो चुकी थी गुड्डू ने गोलू से घर जाने को कहा और खुद भी घर के लिए निकल गया। गुड्डू खुश था घर आया तो मिश्रा जी तख्ते पर बैठे है , पास ही मिश्राइन बैठी उनसे बात कर रही है। गुड्डू ने बाइक स्टेण्ड पर लगाया और मिश्रा जी के पास आकर जींस की पॉकेट से एक लिफाफा निकालकर मिश्रा जी और बढ़ाते हुए कहा,”पिताजी”
मिश्रा जी ने देखा तो कहा,”जे का है बेटा ?”
“हमाई पहली कमाई है पिताजी”,गुड्डू ने खुश होकर कहा तो मिश्रा जी ने उसके हाथ से लिफाफा लिया और खोलकर देखा 500-500 के कुछ नोट थे। मिश्रा जी ने गुड्डू की और देखा , गुड्डू की आँखो में पहली बार उन्हें एक जिम्मेदार लड़का नजर आ रहा था। वे मुस्कुराये और उठे गुड्डू को लगा मिश्रा जी उसे गले लगाएंगे लेकिन मिश्रा जी ने ऐसा नहीं किया बस गुड्डू के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”शाबाश बेटा , बस ऐसे ही मेहनत करना ,, आज हमहू बहुत खुश है गुड्डू
इहलिये जे पैसे ना तुमहू रखो तुम्हायी मेहनत है”
“अरे नहीं पिताजी इह सब आपकी वजह से और हम चाहते है इह ना आप ही रखो”,गुड्डू ने ख़ुशी से कहा
“शगुन बिटिया”,मिश्रा जी ने शगुन को आवाज दी अगले ही पल शगुन वहा हाजिर थी और कहा,”जी”
मिश्रा जी ने उसे गुड्डू की बगल में आने का इशारा किया। शगुन गुड्डू की बगल में आकर खड़ी हो गयी तो मिश्रा जी ने अपने हाथ में पकडे पैसे शगुन को पकड़ा दिए और कहा,”इस पर पहला हक़ तुम्हारा है बिटिया , गुड्डू को लेकर जो हम नहीं कर पाए तुम्हारे भरोसे ने कर दिखाया इहलिये इन पर हक तुम्हारा बनता है रखो”
“नहीं पापाजी मैं ये कैसे रख सकती हूँ ? ये आप रखिये”,शगुन ने कहा तो मिश्रा जी ने कहने लगे,”तुमहू हो इह घर की लक्ष्मी और बिटिया लक्ष्मी ना लक्ष्मी के पास ही अच्छी लगती है ,, हमे तो खुश तुमने बहुते पहले कर दिया था अपने गर्भवती होने की बात कहकर हमाये लिए तो सबसे बड़ी दौलत उह ही है”
मिश्रा जी की ये बात शगुन को चुभती सी महसूस हुई थी क्योकि वह जानती थी उसने और गुड्डू ने उनसे झूठ कहा है। शगुन ने गुड्डू की और देखा तो मिश्राइन आगे आयी और कहा,”रख लो बिटिया इह घर में जबसे तुम आयी हो खुशिया दुगुनी हो गयी है”
शगुन फीका सा मुस्कुरायी और हाँ में गर्दन हिला दी। मिश्रा जी ने गुड्डू के कंधो पर हाथ रखा और कहा,”चलो आज सब साथ में खाना खाते है”
गुड्डू को तो जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था मिश्रा जी से इतनी इज्जत इतना प्यार मिल रहा था आज उसे। गुड्डू को अब समझ आ रहा था की मेहनत का फल सच में मीठा होता है। गुड्डू शगुन की और देखा और मुस्कुरा दिया क्योकि इन सब में कही ना कही शगुन का बहुत बड़ा हाथ था लेकिन शगुन के चेहरे पर को भाव नहीं थे उल्टा उसकी आँखों में नमी थी और शिकायत के भाव थे। गुड्डू आकर मिश्रा जी के साथ बैठ गया , मिश्राइन ने वेदी और अम्मा को भी बुला लिया सभी बैठ कर खाने लगे और मिश्राइन , शगुन उन्हें परोसने लगी। खाना खाते वक्त गुड्डू ने ना जाने कितनी ही बार शगुन को देखा लेकिन शगुन ने एक बार भी ध्यान नहीं दिया। शगुन के चेहरे पर आयी उदासी को गुड्डू ने भांप लिया था। खाना खाने के बाद मिश्रा जी गुड्डू को अपने साथ बैठाकर कुछ हिसाब किताब करवाने लगे और शगुन खाना खाकर ऊपर चली गयी। कुछ देर बाद गुड्डू ऊपर आया देखा शगुन कपड़े समेटकर कबर्ड में रख रही थी और गुड्डू की और पीठ किये हुए थी। गुड्डू कुछ देर चुप रहा और फिर कहने लगा,”आज पिताजी ने हमे शाबाश कहा ,पहली बार उनके मुंह से हमाये लिए तारीफ सुने है ,,, हम ना बहुते खुश है आज हम तो चाहते थे पिताजी के गले लग जाये लेकिन थोड़ा डरते है ना उनसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
गुड्डू की बात पर शगुन ने कोई रिएक्ट नहीं किया वह बस कबर्ड को खोले खड़ी रही , गुड्डू ड्रेसिंग के पास चला आया और पीठ लगाकर खड़े हो गया , वह मुस्कुराया और फिर कहने लगा,”पता है शगुन ये सब ना तुम्हायी वजह से हुआ है,,,,,,,,,,,,,थैंक्यू तुम नहीं होती तो हम आज जे गुड्डू ना होते”
शगुन की ख़ामोशी गुड्डू को खलने लगी तो उसने बैचैन होकर कहा,”हम इतनी देर से बात किये जा रहे है तुमहू कुछ जवाब काहे नहीं दे रही हो ?”
गुड्डू की बात सुनकर शगुन उसकी और पलटी और कहा,”क्या जवाब दू मैं गुड्डू जी ?”
ये कहते हुए शगुन की आवाज में दर्द था और उसकी आँखे आंसुओ से भरी हुई थी। गुड्डू ने शगुन की आँखो में आंसू देखे तो परेशान हो गया और कहा,”हमसे कोई गलती हुई का शगुन ?”
“गलती मुझसे हुई है गुड्डू जी , इस घर के सारे लोग इतने अच्छे है मुझसे इतना प्यार करते है और मैं क्या कर रही हूँ ? मैं उन्हें झूठ बोल रही हूँ उन्हें धोखा दे रही हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,जिस बच्चे के लिए ये सब खुश है सच तो ये है की वो सिर्फ एक झूठ है,,,,,,,,,,,,,,मैं ये सब नहीं कर सकती गुड्डू जी , आज जब पापाजी ने इतने विश्वास के साथ वो पैसे मुझे दिए तो मुझे लगा की मैं उनके साथ धोखा कर रही हूँ , झूठ बोल रही हूँ,,,,,,,,,,,आज से पहले मैंने कभी झूठ नहीं बोला कभी किसी को धोखा नहीं दिया”,कहते कहते शगुन की आँखो में आंसू आ गए
गुड्डू तो इस बात को कबका भूल चुका था लेकिन आज शगुन की तकलीफ देखकर उसे अहसास हुआ की अनजाने में उन लोगो ने सबसे कितना बड़ा झूठ कहा है। गुड्डू शगुन के पास आया उसने काँपते हाथो से शगुन के आंसू पोछे और कहा,”आप,,,,,,,,,,,,आप रोईए मत,,,,,,,,हम सब कुछ देख सकते है पर किसी को रोते हुए नहीं,,,,,,,,,हम जानते है हमने बहुत बड़ा झूठ बोला है लेकिन हम वादा करते है की हम जल्दी ही घरवालों को सच्चाई बता देंगे”
शगुन ने भीगी पलके उठाकर गुड्डू की और देखा तो गुड्डू कहने लगा,”तुम चिंता मत करो , तुमने कोई झूठ नहीं बोला है ना ही किसी को धोखा दिया है। सच बताने से ज्यादा से ज्यादा ये होगा की पिताजी दो चार डांट और लगा देंगे पर हम तुम्हे ऐसे परेशान नहीं देख सकते”
शगुन को गुड्डू की आँखों में अपने लिए परवाह साफ नजर आ रही थी उसने पलटते हुए कहा,”नहीं गुड्डू जी अभी ऐसा कुछ मत कीजियेगा थोड़ा नार्मल होने के बाद हम मिलकर ये सच सबको बता देंगे”
“हमायी गलती की सजा तुमहू काहे भुगतोगी ?”,गुड्डू ने शगुन के सामने आकर कहा
शगुन ने गुड्डू की और देखा और कहा,”पत्नी हूँ मैं आपकी आप पर आने वाली हर मुसीबत में आपके साथ रहूंगी”
गुड्डू इसके आगे कुछ बोल ही नहीं पाया , शगुन की बात से खामोश हो गया और फिर माहौल को हल्का करने के लिए कहा,”वैसे हमारे पहले आर्डर के बाद हमे तुम्हे पार्टी देनी थी”
“पार्टी ?”,शगुन ने हैरानी से कहा
“हां तुमहू हमाये लिए इतना सब की तो थोड़ा सा तो बनता है ना , गोलगप्पे खाने चलोगी हमाये साथ ?’,गुड्डू ने बच्चो की तरह पूछा
“इस वक्त ?”,शगुन ने कहा
“हां अभी तो 9 बजे है , हम तैयार होकर आते है”,कहकर गुड्डू ने हुक पर टंगा तौलिया उठाया और बाहर चला गया। शगुन मुस्कुरा उठी और सोचने लगी की गुड्डू सच में पागल है। शगुन सोच में डूबी वही खड़ी थी तब तक गुड्डू शर्ट चेंज करके भी आ गया और कहा,”अरे तुमहू अभी तक यही हो , मतलब तुम्हे हमाये साथ नहीं जाना,,,,,,,,,,,,ठीक है भैया कानपूर में कमी थोड़े है साथ ले जाने वालो की”
“मैंने ऐसा तो नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए शगुन जैसे ही पीछे मुड़ी अपने पीछे खड़े गुड्डू से टकरा गयी। गले में पहना मंगलसूत्र का धागा गुड्डू की शर्ट के बटन में उलझ गया। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे।
( बैकग्राउंड म्यूजिक )
नजर खामोश सी ,धड़कनो में उठा इक शोर है
तू बदला सा है , या फिर कोई और है
अबसे पहले दिल की ऐसी हालत ना थी
इस से पहले हमको किसी चाहत ना थी
अजनबी सा अहसास है
आ रहा हो जैसे कोई पास है,,,,,,,,,,,,,,,,,,कोई पास है
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे बिन अधूरा ये जहा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग है मेरे दो जहा
गुड्डू और शगुन एकटक एक दूसरे को देखे जा रहे थे , शगुन को होश आया तो वह पीछे हटी लेकिन मंगलसूत्र फंसे होने की वजह से वापस गुड्डू के करीब आ गयी। गुड्डू ने देखा तो कहा,”रुको हम निकाल देते है”
शगुन ने अपने हाथ नीचे कर लिए गुड्डू बड़े ध्यान से उन धागो को निकालने लगा और ये करते हुए
उसके बाल उसकी आँखों पर आ रहे थे। गुड्डू उस वक्त बहुत मासूम लग रहा था और शगुन बड़े प्यार से उसे देख रही थी। उसके कानो में गाने की वो आखरी दो लाइन गूंज रही थी और सीधा दिल को छूकर गुजर रही थी।
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे बिन अधूरा ये जहा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग है मेरे दो जहा
गुड्डू का पूरा ध्यान अपने बटन और मंगलसूत्र के धागो में था। कुछ देर बाद गुड्डू ने उन्हें अलग अलग कर दिया और अपने बालो में हाथ घुमाते हुए कहा,”हो गया अब चले”
“आप चलो मैं आती हूँ”,शगुन ने कहा तो गुड्डू वहा से चला गया। शगुन शीशे के सामने आयी और खुद को देखते हुए कहा,”ये क्या हो गया है तुम्हे ? तुम गुड्डू जी को इतना घूर क्यों रही हो ? शगुन सम्हालो खुद को गुड्डू जी सिर्फ तुम्हे अपना दोस्त मानते है अपनी भावनाओ पर काबू रखो,,,,,,,,,,,,,,पर वो इतने मासूम है की कोई भी खुद को उन्हें देखने से रोक नहीं पायेगा,,,,,,,,,, मैं भले कितना भी मेच्योर होने की कोशिश करू लेकिन उनके सामने कुछ समझ नहीं आता,,,,,,,,,,,,,उनका मेरे करीब रहना मेरे मन को शांति देता है,,,,,,,,,,,,,उनसे बात करना अच्छा लगता है,,,,,,,,,,,,उनका आस पास रहना , मेरी परवाह करना सब अच्छा लगता है,,,,,,,,,,पर क्या गुड्डू जी भी मेरे बारे में ये सब सोचते होंगे ?”
वही नीचे तख्ते पर बैठा गुड्डू मन ही मन खुद से कह रहा था,”इह सब का है गुड्डू मतलब शगुन की आँखों में आंसू देखकर तुम्हे काहे तकलीफ होय रही है ? और जे बार बार उनके नजदीक जाने का मन काहे कर रहा है तुम्हारा ? तुमको याद है ना की ऐसा कुछो नहीं करना है तुमको जिस से वो हर्ट हो फिर जे सब का है ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमहू खुद नहीं समझ पा रहे हमाये साथ हो का रहा है ? एक अजीब सा अहसास है जिस से खुद को जुदा नहीं कर पा रहे है हम,,,,,,,,सबसे बड़ी बात की आज से पहले ऐसा कुछो महसूस नहीं हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,सम्हाल लो महादेव अब फिर से कोई कांड हमाये सर मत लिख देना”
क्रमश – manmarjiyan-77
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संजना किरोड़ीवाल