Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – 66

Manmarjiyan – 66

Manmarjiyan - 66

मनमर्जियाँ – 66

मिश्रा जी के इंकार करने के बाद गुड्डू का मुंह उतर गया। उसे उदास देखकर गोलू उसके पास आया और कहा,”अरे भैया टेंशन मत लो कर लेंगे कुछ न कुछ जुगाड़”
गुड्डू ने कोई जवाब नहीं दिया और सीधा ऊपर अपने कमरे में चला गया। शगुन भी उसके पीछे पीछे कमरे में आयी देखा गुड्डू मुंह लटकाकर सोफे पर बैठा है। शगुन को कमरे में देखा तो गुड्डू ने कहा,”हमे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो”
शगुन ने कुछ नहीं कहा पर वह जानती थी की गुड्डू पिताजी के इंकार से बहुत हर्ट हुआ है। अक्सर जब अपने ही आपको समझ नहीं पाते तो दिल टूट जाता है। शगुन ख़ामोशी से आकर गुड्डू के सामने बैठी और उसके दोनों हाथो को अपने हाथो में लेकर गुड्डू की ओर देखने लगी। शगुन की छुअन से गुड्डू को एक पॉजिटिव फीलिंग का अहसास हुआ उसने उदास नजरो से शगुन की और देखा तो शगुन ने आँखों ही आँखों में ये जताया की वो उसके साथ है। गुड्डू ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से शगुन को देखता रहा जब आँखों में नमी तैर गयी तो अपने निचले होंठ को दबा लिया। शगुन ने देखा तो उसके हाथो को थोड़ा कसकर पकड़ लिया और कहा,”एक रिजेक्शन से इंसान कभी अपने सपनो को नहीं छोड़ता है गुड्डू जी। पापा जी को शायद आपके इस सपने में आपका फ्यूचर दिखाई नहीं देता होगा इसलिए उन्होंने मना कर दिया लेकिन कुछ सपने सिर्फ अच्छे फ्यूचर के लिए नहीं बल्कि अपने दिल की ख़ुशी के लिए भी पुरे किये जा सकते है। उनकी ना को आप दिल पर मत लीजिये , उन्होंने सिर्फ कुछ पैसे देने से इंकार किया है ये तो नहीं कहा ना की इस सपने को पूरा ना करो”
गुड्डू पलके झुकाये चुपचाप शगुन की बात सुनता रहा तो शगुन ने कहा,”मेरी तरफ देखिये
गुड्डू ने शगुन की और देखा तो शगुन ने कहा,”मुझे आप पर भरोसा है आप जरूर सफल होंगे और एक दिन पापाजी भी आपको समझेंगे”
गुड्डू ने सूना तो हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”हम तो आज तक किसी भी रिश्ते में परफेक्ट नहीं रहे है शगुन , हम पर भरोसा जताने वाली तुमहू पहली इंसान होगी शायद ,, आज तक जो भी किया है सब गड़बड़ ही किया है”
“वो इसलिए क्योकि अब तक आप अकेले थे , अब मैं आपके साथ हूँ। आपको जितनी गड़बड़ करनी है कीजिये मैं सम्हाल लुंगी”,शगुन ने भी मुस्कुरा के कहा गुड्डू का मन किया अभी के अभी शगुन को गले लगा ले लेकिन अपनी भावनाओ को रोक लिया और कहा,”हम पर भरोसा करने के लिए थैंक्यू”
“योर वेलकम , नाश्ता करने नीचे चलेंगे अब आप ?”,शगुन ने गुड्डू के हाथो को छोड़ते हुए कहा। शगुन के हाथो की गर्माहट एकदम से गुड्डू के हाथो से दूर हो गयी। गुड्डू उठा और कहा,”तुमहू चलो हम आते है”
“ठीक है , और ज्यादा सोचियेगा मत कुछ न कुछ कर लेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्या कहते है आपके यहाँ,,,,,,,,,,,हां जुगाड़”,शगुन ने कहा तो गुड्डू मुस्कुरा उठा। शगुन नीचे आयी और गुड्डू के लिए नाश्ता लगाने लगी। उसे काम करते देखकर मिश्राइन ने कहा,”अरे अरे बहुरिया का कर रही हो ? तुमको कोई काम वाम नहीं करना है छोडो इह सब हम कर देंगे,,,,,,,,,,,,तुमहू बैठो”
“अरे माजी मैं कर लुंगी,,,,,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा
“नहीं बिल्कुल नहीं इस वक्त में बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है , तुम वहा चलकर बैठो हम तुम्हारा नाश्ता लेकर आते है”,मिश्राइन ने कहा और शगुन को सोफे की और भेज दिया। बेचारी शगुन इस नाटक की वजह से अब ये सब तो होना ही था खैर वह मिश्राइन का दिल दुखाना नहीं चाहती थी इसलिए चुपचाप आकर बैठ गयी।
कमरे में बैठा गुड्डू शगुन के बारे में सोचने लगा। आज से पहले किसी ने उस पर इतना भरोसा नहीं दिखाया था पर शगुन उसकी गलतियों के बाद भी हर बार उसे माफ़ कर देती थी। गुड्डू उठा और शीशे के सामने आकर खड़ा हो गया। उसने शीशे में खुद को देखा अपनी आँखों में उसे आज एक अलग ही चमक दिखाई दे रही थी। गुड्डू मुस्कुराया और बालो में से हाथ घुमाया। उसकी ये आदत बहुत प्यारी थी या यू कहो की उसे अपने बालो से बहुत प्यार था। गुड्डू नाश्ता करने के लिए नीचे चला आया उसने देखा शगुन सोफे की और बैठी है तो वह भी आकर उसके सामने पड़े तख्ते पर बैठ गया और कहा,”तुम हिया काहे बैठी हो ?”
“माजी ने कहा है”,शगुन ने इतना कहा ही था की मिश्राइन अपने हाथ में नाश्ते की प्लेट और हाथ में दूध का ग्लास लेकर चली आयी और शगुन की और बढाकर कहा,”फटाफट से इह खा लो फिर थोड़ा आराम करना”
“अम्मा हमारे लिए नाश्ता”,गुड्डू ने कहा
“हां लाते है , शगुन तुम तब तक ये खत्म करो”,कहते हुए मिश्राइन वहा से चली गयी। शगुन ने देखा ग्लास में दूध है और प्लेट मे दलिये के साथ उबली हुई सब्जिया। शगुन ने देखा तो उसका मुंह बन गया , एक झूठ की वजह से अब उसे आगे ना जाने क्या क्या देखना पडेगा। उसने देखा मिश्राइन आस पास नहीं है तो उसने दूध का गिलास गुड्डू की और बढाकर कहा,”ये पि लीजिये ना”
“हम काहे पिए ? तुम्हाये लिए है तुम पीओ”,गुड्डू ने कहा जबकि वह जानता था शगुन को दूध पसंद नहीं है
“आप जानते है ना मुझे दूध पसंद नहीं है पी लीजिये ना प्लीज , मैं माजी को मना कर देती पर वो इतने प्यार से सब कर रही है तो इंकार करना अच्छा नहीं लग रहा”,शगुन ने गुड्डू से रिक्वेस्ट करके कहा
“एक शर्त पर”,गुड्डू ने कहा
“क्या ?”,शगुन ने पूछा
“तुमको भी हमाये साथ ऑफिस चलना होगा”,गुड्डू ने कहा
शगुन सोच में डूब गयी और कहा,”ठीक है , पहले ये पीजिये”
गुड्डू ने ग्लास लिया और एक साँस में पी गया
मुंह पोछा और ग्लास वापस टेबल पर रख दिया। मिश्राइन आयी ओर नाश्ते की प्लेट गुड्डू की और बढ़ाते हुए खाली ग्लास को देखकर कहा,”अरे वाह पूरा पी लिया , चलो अब दलिया भी खत्म करो”
मिश्राइन वहा से चली गयी जैसे ही गुड्डू ने एक निवाला तोड़कर खाना चाहा उसकी नजर सामने बैठी शगुन पर गयी जो की अपनी प्लेट को देखे जा रही थी। गुड्डू समझ गया की शगुन को ऐसा खाना पसंद नहीं है इसलिए उसने शगुन के हाथ से प्लेट ली और अपनी प्लेट शगुन को दे दी। गुड्डू वापस आकर अपनी जगह बैठा और बिना किसी ऐतराज के दलिया और उबली सब्जिया खाने लगा। शगुन बस प्यार से उसे देखती रही। हां गुड्डू बदलने लगा था

(बैकग्राउंड म्यूजिक)
तेरे चेहरे की हंसी अब , मेरे होंठो पर दिखे
तेरे संग तकदीर मेरी , हाथो पर मेरे लिखे
बदली बदली है फिजाये , बदला ये अहसास है
बाकि सब है दूर हमसे , एक तू ही पास है
है अब बस दुआ , साथ ये छूटे ना
रिश्ता ये तेरा मेरा अब टूटे ना
चलता अब रहे ये सफर यु ही
एक दूजे हम रूठे ना
सपने तेरे मेरे हो गए , एक दूजे में हम खो गए , होश कुछ भी रहे ना
मनमर्जियां , मनमर्जियां , मनमर्जियां ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कैसी ये मर्जिया
मनमर्जियां , मनमर्जियां , मनमर्जियां ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कैसी ये मर्जिया “””

गुड्डू ने फटाफट सब खाया और फिर शगुन की और देखा शगुन को खोया हुआ देखकर गुड्डू ने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाते हुए कहा,”का हुआ ?”
शगुन अपने ख्यालो से बाहर आयी और ना में अपनी गर्दन हिला दी। गुड्डू उठकर हाथ धोने वाशबेसिन की और चला गया। शगुन ने अपना नाश्ता खत्म किया और उठकर वाशबेसिन की और आयी तब तक गुड्डू वहा से जा चुका था शगुन उसे थैंक्यू तक नहीं बोल पायी। गुड्डू फोन पर किसी से बात कर रहा था। शगुन कुछ ही दूर खड़ी प्यार से उसे देख रही थी। गुड्डू ने फोन कट किया और शगुन के पास आकर कहा,”चले ?”
“लेकिन माजी ?”,शगुन ने कहा
“रुको हम अम्मा से पूछकर आते है”,कहकर गुड्डू मिश्राइन के कमरे की और बढ़ गया। कुछ देर बाद मिश्राइन के साथ वापस आया तो मिश्राइन ने कहा,”अरे शगुन इसमें भी भला कोई पूछने की बात है , तुमहू गुड्डू की घरैतिन हो उसके साथ जाने में का हर्ज है। जाओ तुमहू भी गुड्डू के साथ बाहर होकर आओ”
शगुन ने सूना तो गुड्डू की और देखा गुड्डू ने जरूर कोई तिकड़मबाजी की होगी सोचकर शगुन ने हामी भर दी। गुड्डू और शगुन घर से निकल गए
दोनों चौक पहुंचे गोलू वहा पहले से तैयार खड़ा था तीनो दुकान में आये शगुन ने देखा गोलू ने पहले ही वहा सारी सफाई करवा दी थी। अब उसमे कलर करना बाकि था। गुड्डू और गोलू जुट गए काम में और दोनों ने मिलकर दो घंटे में दुकान को अच्छे से पेण्ट कर दिया दुकान अब पहले से बेहतर लग रही थी। शगुन वही बैठी स्केच बुक में कुछ थीम्स बना रही थी। गुड्डू ने देखा शगुन अपना काम करने में इतनी मग्न है की उसे देख तक नहीं रही है। गुड्डू मन ही मन कहने लगा,”इह हमायी तरफ देख काहे नहीं रही है , घर में होते है तब तो हमेशा घूरते रहती है हमे। का करे की इह हमायी तरफ देखे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,का का का करे ?”
गुड्डू ने कुछ सोचा और एकदम से अपना हाथ अपनी आँख पर लगाते हुए कहा,”आह्ह मर गए ददा,,,,,,,,,,,,हमायी आँख”
शगुन ने जैसे ही सूना सब छोड़कर गुड्डू के पास आयी और उसकी आँख देखते हुए कहा,”क्या हुआ ? लाईये मैं देखती हूँ”
शगुन गुड्डू की आँख में देखने लगी और गुड्डू बड़े प्यार से बस शगुन को देख रहा था , गुड्डू को एकदम आराम से खड़े देखकर शगुन ने कहा,”कुछ भी तो नहीं है”
“अह्ह्ह”,गुड्डू ने झूठी नौटंकी करते हुए कहा
“एक मिनिट”,कहकर शगुन गुड्डू के थोड़ा करीब आयी और उसकी आँख में धीरे धीरे फूंक मारने लगी। गुड्डू को बहुत अच्छा लग रहा था। शगुन दूर हटी और कहा,”अब ठीक है ?”
“ह्म्मम्म्म्म”,गुड्डू ने शरमाते हुए कहा तो शगुन को थोड़ा अजीब लगा और वह आकर वापस अपना काम करने लगी। दोपहर तक लगभग सारा काम हो चुका था। गुड्डू शगुन और गोलू घर चले आये।
मिश्रा जी ने तो मना कर दिया इसलिए गुड्डू और गोलू आपस में ही कुछ जुगाड़ लगाने की कोशिश कर रहे थे पर अपना ऑफिस शुरू करने के लिए उन्हें ५० हजार तो कम से कम चाहिए ही थे। शगुन ने दो दिन दोनों को खूब परेशान होते देखा और एक शाम गुड्डू और गोलू के साथ पहुँच गयी मिश्रा जी के सामने।
मिश्रा जी उस वक्त अपना बहीखाता देख रहे थे। शगुन को पहली बार अपने कमरे में देखकर मिश्रा जी ने कहा,”अरे बिटिया तुमहू हिया ? कुछो बात थी”
शगुन ने एक नजर गोलू और गुड्डू को देखा और फिर मिश्रा जी के सामने नजरे झुकाकर कहने लगी,”पापाजी मैं मानती हूँ की गोलू जी और गुड्डू जी से अक्सर गलतिया हो जाती है लेकिन इस बार ये अपने काम को लेकर बहुत सजग है। वेडिंग प्लानर कोई छोटा काम नहीं होता है और इस से आपकी छवि पर भी बुरा असर नहीं पडेगा। ये गुड्डू जी का सपना है अगर आप इन्हे सपोर्ट करेंगे तो हो सकता है ये अपने काम में आगे बढ़ पाए,,,,,,,,,,,,,,,,मैं आपसे इनकी शिफारिश नहीं कर रही हूँ पापाजी बस आपसे विनती है”
मिश्रा जी ने शांति से शगुन की बात सुनी और फिर गुड्डू और गोलू को देखा दोनों में ही मिश्रा जी से नजरे मिलाने की हिम्मत नहीं थी। मिश्रा जी ने शगुन की और देखा और कहा,”बिटिया तुम्हे का लगता है हमने इनको मना काहे किया होगा ?
शगुन ने हैरानी से मिश्रा जी की ओर देखा तो वे कहने लगे,”इन दोनों ने तुमको अपनी बातो में फंसा लिया जरा पूछो इनसे की पिछले 5 सालो में इन दोनों ने कितने बिजनेस किये है,,,,,,,,,,,,,,,,पूछो पूछो,,,,,,,,,,,,,,तुम का पूछोगी हम ही बता देते है,,,,,,,,,,,,,,बेटा गोलू पिछले साल उह रेस्टोरेंट का काम शुरू किया था तुम दोनों ने का हुआ उसका ?”
गोलू ने गुड्डू को देखा और फिर धीरे से कहा,”3 दिन में बंद हो गया”
“क्यों हुआ जरा इह भी बताओ ?”,मिश्रा जी ने कहा
“समोसे में गलती से नमक की जगह लूज मोशन का सफेद पाउडर मिला दिए थे ,, जिन्होंने भी खाया सबको,,,,,,,,,,,,,,,अगले दिन दुकान बंद करवा दी सबने मिलकर बस हमे जेल नहीं भेजा थोड़ी मसाज दे दी”,गोलू ने धीरे से कहा। शगुन ने सूना तो हैरानी से गुड्डू की और देख रही थी।
“अब जरा इह बताओ की दुई साल पहिले सर्दियों में जो बुक स्टॉल खोला था उसका का हुआ ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“बेचने के लिए जो किताबे लाये थे सर्दी भगाने के लिए उन्ही को जलाने के काम ले लिया”,गोलू ने कहा
मिश्रा जी ने शगुन की और देखकर सुनने का इशारा किया तो शगुन ने गोलू को घुरा। मिश्रा जी शायद इतने में ही नहीं रुकने वाले रहे इसलिए कहा,”अच्छा वो 6 महीने पहले ही जो जेंट्स वियर खोली थी हमारे कॉम्पिटिशन में उसका का हुआ ?”
इस बार गोलू ने गुड्डू को घुरा और कहा,”बेचने से ज्यादा कपडे तो गुड्डू भैया खुद पहन लेते थे , उह दुकान भी बंद हो गयी”
गुड्डू ने बेचारगी से शगुन की और देखा लेकिन शगुन इस वक्त इन दोनों को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी।

Manmarjiya – 64

क्रमश – manmarjiyan-67

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संजना किरोड़ीवाल

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