Manmarjiyan – 62
मनमर्जियाँ – 62
गुड्डू को नशे में देखकर शगुन का दिल एक बार फिर टूट गया। वह चुपचाप वहा से चली गयी। गोलू शगुन की भावनाये समझ गया और गुड्डू को लेकर अंदर आया और सोफे पर बैठाते हुए कहा,”भैया तुमहू बैठो हम अभी आते है”
गुड्डू को कुछ होश नहीं था उसका सर घूम रहा था। गोलू किचन में शगुन के पास आया और कहा,”सॉरी भाभी उह पता नहीं गुड्डू भैया ने कैसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
गोलू कुछ कहता उस से पहले ही शगुन बोल पड़ी,”नहीं गोलू जी सफाई मत दीजिये , हम कितना भी उन्हें सुधारने की कोशिश करे वो नहीं सुधरेंगे। इस से पहले भी वो कई बार अपनी हरकतों की वजह से मुसीबतो में फंसे है और आज फिर वो इस तरह,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं उन्हें समझ नहीं पा रही हूँ गोलू जी,,,,,,,,,,,,आखिर ऐसा क्यों करते है वो ?,,,,,,,,,,,,मैं नहीं चाहती अपने पापा की नजरो में वो फिर से गिरे या उन्हें कोई कुछ कहे,,,,,,,,,,,,,,एक पत्नी सब सहन कर सकती है लेकिन अपने सामने अपने पति का अपमान नहीं,,,,,,,,,,,,,,,फिर गुड्डू जी ने ऐसा क्यों किया ?”
कहते हुए शगुन की आँखे आंसुओ से भर आयी लेकिन उन आंसुओ को उसने अपनी आँखों में ही रोक लिया। गोलू ने देखा तो उसे बहुत तकलीफ हुई और उसने कहा,”हमहू आपका दर्द समझ सकते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,कितनी बार तो हम इह कोशिश किये है की गुड्डू भैया ऐसी गलतिया ना करे पर का करे भाभी भैया कुछो सुनते ही नहीं है”
“वो कभी समझेंगे भी नहीं गोलू जी,,,,,,,,,,,,,,!!!”,शगुन ने अपनी आँखों के किनारे साफ़ करते हुए कहा
“समझेंगे भाभी जरूर समझेंगे,,,,,,,,,,गुड्डू भैया पहले ऐसे नहीं थे शराब पीना तो दूर वो छूते तक नहीं थे,,,,,,,,,,,आपको जितना डाटना हो डांट लेना उन्हें लेकिन प्लीज अभी चलकर उन्हें सम्हाल लीजिये,,,,,,,,,,,,,कल सुबह जब उतर जाये तब अच्छे से क्लास लेना उनकी”,गोलू ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा
शगुन सब भूलकर गोलू के साथ चल पड़ी बाहर आयी तो देखा गुड्डू सर पकडे सोफे पर बैठा हुआ है। शगुन और गोलू ने उसे सहारा देकर उठाया ,, सीढिया चढ़ने की हिम्मत वहा किसी में नहीं थी गोलू और शगुन गुड्डू को लेकर मिश्रा जी के कमरे में चले आये। गुड्डू को बिस्तर पर बैठाया तो उसने कहा,”यार गोलू हमे बहुत चक्कर आ रहे है”
“इतनी अनाप शनाप पिओगे तो चक्कर ही आएंगे ना”,गोलू ने गुस्से से बड़बड़ाते हुए कहा
“गोलू जी आप इनका ख्याल रखिये मैं इनके लिए निम्बू पानी लेकर आती हूँ”,कहकर शगुन वहा से चली गयी। गोलू भी वही बैठ गया और गौर से गुड्डू को देखने लगा। गुड्डू को देखकर लग रहा था जैसे उसने कोई भयंकर नशा किया हो। गोलू उठा और गुडडू के पास आकर उसका मुंह सूंघने लगा कही से भी शराब की बदबू नहीं आ रही थी,,,,,,,,,,,,,गोलू ने एक बार फिर जैसे ही अपनी नाक गुड्डू के मुंह की और की गुड्डू ने एक थप्पड़ उसे मारकर कहा,”खबरदार जो हमे किस करने की कोशिश की”
बेचारा गोलू गाल सहलाने लगा और कहा,”अबे हम काहे किस करेंगे तुमको ? हम तो देख रहे थे की तुमने शराब पि है या नहीं”
“हमने शराब नहीं पि है गोलू”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
“शराब नहीं पि तो फिर कोनो और नशा किया होगा , यार भैया हो का गया है तुमको अच्छी-खासी जिंदगी में काहे चरस बोना चाह रहे हो यार,,,,,,,,,,,,,,,,,एक ठो बार भाभी के बारे में सोचो उनको कितना बुरा लगा होगा यार तुमको इस हालत में देखकर”,गोलू ने कहा
“उनको बुरा नहीं लगेगा गोलू उह बहुत अच्छी है,,,,,,,,,,,,,,उह ,माफ़ कर देगी हमको”,गुड्डू ने बड़बड़ाते हुए कहा
शगुन निम्बू पानी ले आयी और गुड्डू को पिलाया। गुड्डू ने दो घूंठ पिए और फिर उठ खड़ा हुआ। गोलू को समझ नहीं आ रहा था की क्या करे और क्या नहीं ? उसका फोन बजा देखा उसके पिताजी का था ,, गोलू सुबह से एक बार भी घर नहीं गया था। शगुन ने गोलू को परेशान देखा तो कहा,”गोलू जी आप घर जाईये इन्हे मैं सम्हाल लुंगी”
“लेकिन भाभी आप अकेले,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“आप टेंशन मत लीजिये मैं हूँ इनके साथ रात बहुत हो चुकी है आप घर जाईये”,शगुन ने कहा तो गोलू शगुन को अपना ध्यान रखने का बोलकर वहा से चला गया। गोलू के जाने के बाद शगुन गुड्डू को लेकर बिस्तर के पास आयी और उसे लेटा दिया। उसके पैरो की और आकर उसने गुड्डू के जूते उतारे , जुराबे उतारी और साइड में रख दिया। पर गुड्डू पर नशा हावी था इसलिए सोने के बजाय वह फिर उठकर बैठ गया।
“गुड्डू जी आप सो जाईये”,शगुन ने कहा
“हमे नींद नहीं आ रही है,,,,,,,,,,,,,हम टीवी देखेंगे”,गुड्डू ने कहा
“टीवी,,,,,,,,,,,,!!!”,शगुन ने कहा
“हां टीवी टीवी टीवी टीवी टीवी”,गुड्डू बच्चो की तरह चिल्लाने लगा तो शगुन उसके पास आयी और उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”शशशश क्या कर रहे है आप ? शोर क्यों कर रहे है ?”
“तो फिर टीवी चलाओ”,गुड्डू ने अपने मुंह से शगुन का हाथ हटाते हुए कहा
“रुकिए चलाते है”,कहकर शगुन ने कमरे में लगा टीवी चला दिया लेकिन इसे शगुन की बुरी किस्मत कहे या फिर अच्छी टीवी पर उस वक्त कोई रोमांटिक गाना चल रहा था – भरो मांग मेरी भरो , करो प्यार मुझे करो”
शगुन ने जैसे ही सूना चैनल चेंज कर दिया लेकिन दूसरे चैनल पर किसी दूसरी फिल्म का गाना चल रहा था – भीगे होंठ तेरे , प्यासा दिल मेरा”
शगुन ने एक बार फिर चैनल चेंज कर दिया
गुड्डू ने शगुन के हाथ से रिमोट लिया और कहा,”हमे यही देखना है”
“गुड्डू जी ये अच्छा नहीं है”,शगुन ने रिमोट छीनकर कहा कहा
“अरे अच्छा है , इमरान हाशमी हमारे फेवरेट है यार तुमहू रिमोट दो”,कहते हुए गुड्डू ने फिर से शगुन के हाथ से रिमोट छीन लिया। दोनों में छिना झपटी चलती रही की अचानक शगुन का पैर कालीन में उलझा और वह गुड्डू को साथ लेकर बिस्तर पर आ गिरी। शगुन गुड्डू के सीने पर थी और रिमोट गुड्डू के हाथ से छूटकर दूर जा गिरा वह बस शगुन की आँखों में देखे जा रहा था और शगुन को उसके दिल की धड़कने साफ सुनाई दे रही थी।
( बैक ग्राउंड म्युजिक )
नजर उलझी सी है , सांसो का कैसा शोर है
हम है तुमसे जुदा , दिल पर ये तेरी और है
तेरी आँखों में अब तो दिखते है ख्वाब मेरे
धीरे धीरे से हो रहे है आप मेरे
आये ना इक पल सब्र हमे
हो रहा है शायद इश्क़ हमे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, इश्क़ हमे !!
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग जीना है मेरा
साथिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरे संग मरना है मेरा
गुड्डू और शगुन दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते जा रहे थे। टीवी पर कोई गाना चल रहा था जिसकी आवाज दोनों के कानो में पड़ी ही नहीं बल्कि गूंज रहा था एक दूसरे की धड़कनो का शोर। शगुन खुद को सम्हाल पाती इस से पहले ही गुड्डू ने उसे साइड में पलट दिया। शगुन उठी और कहा,”आप होश में नहीं है , आप आप सो जाईये”
गुड्डू ने सूना तो उसे अच्छा नहीं लगा वह उठा और शगुन के पास आया। शगुन पीछे जाने लगी और जाते जाते खिड़की के पास दिवार से उसकी पीठ जा लगी। गुड्डू एकटक शगुन को देखे जा रहा था। शगुन ऐसे में क्या बोले वह ख़ामोशी से गुड्डू को देख रही थी गुड्डू ने अपना हाथ खिड़की की और बढ़ाया शगुन को लगा वह उसे छूने वाला सोचकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली। गुड्डू ने खिड़की खोल दी ठंडी हवा का झोंका अंदर आया और गुड्डू के चेहरे को छूकर चला गया। सुकून से गुड्डू ने आँखे मूंद ली। शगुन ने आँखे खोली देखा गुड्डू आँखे बंद किये खड़ा है ,, उस वक्त जो मासूमियत गुड्डू के चेहरे से टपक रही थी उसे देखकर शगुन तो क्या किसी को भी गुड्डू से प्यार हो जाये , गोरा रंग , हवा से उड़ते उसके बाल , बंद आँखों की बड़ी बड़ी पलके और उस पर सुर्ख लाल होंठ शगुन की नजर गुड्डू के होंठो पर ठहर गयी। वह बस गुड्डू को देखती रही अगले ही पल गुड्डू ने आँखे खोली और खिड़की के एक जाकर खिड़की से बाहर देखते हुए कहा,”हम होश में नहीं है लेकिन अपनी मर्यादा समझते है। तुम्हायी मर्जी के बिना हम तुम्हे कभी नहीं छुएंगे”
गुड्डू ने कहा तो शगुन वहा से जाने लगी लेकिन गुड्डू ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोक लिया , कुछ कहा नहीं ना ही शगुन ने कोई आपत्ति जताई। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद गुड्डू ने शगुन का हाथ छोड़ दिया और कहा,”हमे भूख लगी है”
“मैं आपके लिए खाना लेकर आती हूँ”,कहकर शगुन वहा से चली गयी। नशा अब धीरे धीरे कम होने लगा था। गुड्डू बाथरूम गया 5-6 बार मुंह धोया तो उसे अच्छा लगा। मुंह धोकर कमरे में आया और सोफे पर बैठ गया। उसका सर अब हल्का हल्का दर्द करने लगा था गुड्डू ने सर हत्थे पर टिका लिया और कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी। शगुन जब खाना लेकर आयी तो उसने देखा गुड्डू सो चुका है। शगुन ने खाना टेबल पर रखा गुड्डू को इस वक्त उठाना सही नहीं समझा उसने चद्दर लाकर गुड्डू को ओढ़ा दी और कमरे की खिड़की बंद करके पंखा फूल पर कर दिया। गुड्डू को सोता देखकर शगुन ने चैन की साँस ली। वह कमरे से बाहर चली आयी। शगुन ने देखा घडी में रात के 2 बज रहे थे। थकान की वजह से उसे भी नींद आने लगी थी , लेकिन गुड्डू को अकेला छोड़कर जाना
शगुन को सही नहीं लगा वह वापस कमरे में आयी और गुड्डू के बगल में पड़े सोफे पर बैठ गयी और सर पीछे टिका लिया। कुछ देर बाद शगुन को भी नींद आ गयी।
सुबह शगुन देर तक सोती रही। गुड्डू भी सोता रहा दूध वाला हॉर्न मारकर चला गया। 10 बजे शगुन की आँख खुली उसने घडी में देखा तो हड़बड़ाकर उठी और कमरे से बाहर चली आयी। शगुन तैयार होकर नीचे किचन में चली आयी। 11 बजे गुड्डू की आँख खुली उसने खुद को जब मिश्रा जी के कमरे मे पाया तो बडबडाते हुए उठा,”इह पिताजी के कमरे में हम का कर रहे थे ?”
गुड्डू उठा और बाहर आया सर हल्का हल्का सर दर्द कर रहा था। गुड्डू किचन के पास आया और कहा,”शगुन एक कप चाय चाहिए हमे”
शगुन ने गुड्डू की और पलटकर देखा उसके चेहरे से गुस्सा साफ झलक रहा था। उसने कोई जवाब नहीं दिया तो गुड्डू किचन में चले आया और कहा,”का हुआ चाय के लिए कहे है हम कुछो रिस्पॉन्स नहीं”
शगुन गुड्डू की और पलटी और कहा,”दूध नहीं आया है आज और अगर आपको चाय पीने का इतना ही मन हो रहा है तो जाकर ले आईये”
शगुन वहा से चली गयी तो गुड्डू ने मन ही मन कहा,”इसे क्या हो गया है ? इति गुस्से में काहे है ?छोडो यार पहले दूध ले आते है”
गुडू ने बाइक की चाबी उठायी और दूध लेने चल पड़ा। बाइक लेकर गुड्डू दूध वाले के पास पहुंचा और एक किलो दूध देने को कहा। वही से कही से घूमते घामते गोलू आ पहुंचा। गुड्डू ने जैसे ही गोलू को देखा आवाज लगा दी लेकिन गोलू ने गुड्डू को देखा और मुंह बनाकर आगे बढ़ गया। गुड्डू ने दूध लिया और बाइक को आगे बढ़ा दिया वह लगातार गोलू को आवाज दिए जा रहा था। गोलू तो जैसे सुनने को तैयार ही नहीं था गुड्डू ने बाइक लाकर गोलू के सामने रोक दी तो गोलू को रुकना पड़ा।
“का बे चीरे ? जवाब काहे नहीं दे रहे हो हमायी बात का ?”,गुड्डू ने बाइक पर बैठे बैठे ही कहा
“काहे जवाब दे हम तुम्हायी बात का ? साला तुमहू तो हमायी नाक कटवाने पर तुले हो ,, सोचा था सुधर गए हो लेकिन कुत्ते की दुम और मिश्रा जी का लौंडा
कबो नहीं सुधर सकता है”,गोलू ने चिड़चिड़ाते हुए कहा
“का का का ? का बक रहे हो तुम ? हम का करे ऐसा जिस से तुम्हायी नाक कट गयी ?”,गुड्डू ने हैरानी से पूछा
गोलू ने सूना तो उसका गुस्सा और बढ़ गया और उसने बीती रात वाली सारी बातें गुड्डू को बता दी , गुड्डू ने सूना तो उसे यकीं ही नहीं हुआ और फिर उसने कहा,”हमे तो कुछ भी याद नहीं है गोलू , इसलिए आज शगुन भी हमसे ठीक से बात नहीं कर रही है”
“हमाये जाने के बाद वही थी तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक मिनिट एक मिनिट,,,,,,,,,,,,,,,,,कही उनके साथ तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,अबे यार गुड्डू भैया तुम्हायी जिंदगी ना कांडो से भरी पड़ी है,,,,,,,,,,,जरुर तुमने कल ऐसा कुछो किया होगा जिस से भाभी आज नाराज है”,गोलू ने सर पिटते हुए कहा
“यार हमे नहीं पता कल क्या हुआ ? हमे तो कुछो याद नहीं”,गुड्डू ने रोआँसा होकर कहा
“होश में रहोगे तो पता चलेगा ना”,गोलू ने घूरते हुए कहा
“अब हम का करे गोलू ?”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
“इस से पहले बात मिश्रा जी तक पहुंचे भाभी से माफ़ी मांग लो”,गोलू ने कहा
“माफ़ी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम नहीं मांगेंगे माफ़ी”,गुड्डू ने एकदम से कहा
“हां हां मिनिस्टर के बेटे रहय गए तुम , तुमहू काहे मांगोगे माफ़ी ? पर एक ठो बात सुन लो गुड्डू भैया मिश्रा जी की पता चला ना तो बड़ी तबियत से तशरीफ़ टूटेगी तुम्हायी,,,,,,,,,,,,चलते है”,कहकर गोलू चला गया
गुड्डू ने बाइक घर की और दौड़ा दी। रास्तेभर मन में ना जाने कैसे कैसे ख्याल आते रहे। गुड्डू घर आया शगुन कही दिखाई नहीं दी। शगुन को ढूंढते हुए गुड्डू पीछे आँगन में आया देखा शगुन कपडे धोकर सूखा रही है।
“शगुन”,गुड्डू ने कहा लेकिन शगुन ने सुनकर भी अनसुना कर दिया
“शगुन”,गुड्डू ने फिर कहा लेकिन शगुन ने कुछ नहीं कहा बस अपना काम करती रही गुस्सा तो वह गुड्डू से थी और ये गुड्डू को दिख भी रहा था। गुड्डू ने तीसरी बार कहा,”शगुन”
“क्या है ?”,शगुन ने पलटकर कहा
“वो कल रात के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने जैसे ही कहना चाहा शगुन बोल पड़ी,”कल रात के लिए क्या गुड्डू जी ? पता है मैं आपको जितना भी समझने की कोशिश करू आप उतना ही उलझते जा रहे है। कल रात जिस हालत में आप घर आये उसके बाद मुझे नहीं लगता की आपको अपनी या किसी और की फ़िक्र है। मैं ही गलत थी जो आपको अच्छा समझने लगी थी पर आपने मुझे गलत साबित कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
शगुन आगे कुछ कहती इस से पहले ही गुड्डू ने अपने हाथो से अपने दोनों कानो को पकड़ा और नजरे झुकाकर किसी छोटे बच्चे की तरह उठक बैठक करने लगा। शगुन कहते कहते चुप हो गयी और इस वक्त गुड्डू दुनिया का सबसे मासूम लड़का लग रहा था
क्रमश – manmarjiyan-63
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संजना किरोड़ीवाल