Manmarjiyan – 6
मनमर्जियाँ – 6
पनवाड़ी से पान लेकर गोलू गुड्डू की और आया , एक पान खुद खाया और दूसरा गुड्डू की और बढ़ा दिया। गुड्डू ने पान खाया और बाइक स्टार्ट करके घर की और बढ़ गया। गोलू अपने घर चला गया और गुड्डू अपने घर आ गया , अभी मिश्रा जी शो-रूम से आये नहीं थे। गुड्डू ने बाइक साइड में लगायी और अंदर आकर देखा , घर में कोई दिखाई नहीं दिया , ना वेदी , ना लाजो और ना ही अम्मा। उन्हें ढूंढते हुए गुड्डू दादी माँ के कमरे में पहुंचा तो देखा सभी वही थे साथ में डॉक्टर भी था “अरे का हुआ बुढऊ को ?”,गुड्डू ने अंदर आते हुए पूछा “शाम से ही तेज बुखार है अम्मा को , तुमको फोन लगाए रहय पर तुम ना जाने कहा घुसे थे।”,मिश्राइन ने कहा”अरे अम्मा हमहू तो किसी जरुरी काम से बाहर गए थे , बूढ़ा की तबियत इतनी खराब है तो अस्पताल काहे नहीं लेकर गए”,गुड्डू ने दादी की साइड में बैठते हुए कहा तो सामने बैठे डॉक्टर ने कहा,”तो हम का तुमको पोस्टमैन दिख रहे है ?””डाक्टर साहेब काहे उसकी बातो का बुरा मान रहे है , आप देखिये ना अम्मा को”,मिश्राइन ने चिंता जताते हुए कहा “अरे कछु नाही हुआ है हमको”,कहते हुए अम्मा एकदम से उठकर बैठ गयी , सब हैरानी से उन्हें ही देख रहे थे और फिर गुड्डू ने कहा,”कछु ना हुई है तो फिर लेटे काहे पड़ी हो ?””हम बहुरिया से कहय रहे हमायी खातिर सूजी का हलवा बनाई दयो ना इह सुन रही नाही इह लाजो कुमारी ,, इसलिए नाराज होकर हम यहाँ सोये रहे”,दादी ने मुंह बनाते हुए कहा मिश्राइन ने सूना तो अपना सर पीट लिया , डॉक्टर से माफ़ी मांगी और उनको उनकी फीस देकर वहा से विदा किया। मिश्राइन दादी से कुछ कहती इस से पहले ही गुड्डू ने उन्हें गोद में उठाया और कहा,”चला बुढ़ऊ तुमको आज कानपूर की सेर करवा कर लाते है अपनी फटफटिया पे , साथ में तुमको जो खाने का मन खाना” “अरे उतार नीचे अभी गिरा देइ तू हमका”,दादी ने कहा लेकिन गुड्डू कहा सुनने वाला था , उसने दादी को अपनी बाइक पर बैठाया और खुद आगे बैठकर बाइक स्टार्ट की और जैसे ही निकलने लगा दादी ने कहा,”अरे बिटवा का करी हो गिर जाई है हमहू अभी””अरे बूढ़ा काहे चिन्तियात हो हमहू है ना साथ में , बइठो आराम से”,कहकर गुड्डू वहा से निकल गया। आज मोहल्ले में देखने वाला माहौल था , मिश्रा जी की अम्मा जो की बीमारी के कारण अधिकतर घर में ही रहती थी , आज कितने महीनो बाद घर से बाहर निकली थी। सब उन्हें देखकर हैरान थे। सबसे पहले गुड्डू उन्हें लेकर ठग्गू के पास पहुंचा और 1 किलो लड्डू पैक करवाए , उसके बाद दोनों ने सड़क किनारे खड़े होकर साथ में पाव भाजी खाई। पाव भाजी खाते खाते दादी की आँखों में नमी आ गयी तो गुड्डू ने कहा,”का बुढ़ऊ अब काहे रोय रही हो ?””कुछ नहीं रे गुडडुआ शादी के बाद तुम्हाये दादा भी आते थे पाँव भाजी खाने”,दादी ने निम्बू खाते हुए कहा “अच्छा तो तुमका दादा की याद आ रही है , पर दादा जल्दी गुजर गए नई”,गुड्डू ने कहा “अरे अच्छा हुआ मर गवा बूढ़ा , शादी के बाद कभी उह चार दीवारी से बाहरे ही नहीं निकलने दिया ,,, घर का काम और बच्चे बस इन्हे में जिंदगी बसर हुई हमरी”,दादी ने गुड्डू को झिड़कते हुए कहा “कोई ना बुढ़ऊ हम है ना , बताओ का ख्वाहिश है सब पूरी करेंगे तूमरी”,गुड्डू ने कहा “ख्वाहिस तो बस अब एक हे ही है की तुम्हायी बहुरिया देख लेउ ओकरे पछ स्वर्ग नसीब होई तब भी कोनो दुःख नाही”,दादी ने कहा बहुरिया का नाम सुनते ही गुड्डू के दिमाग में पिंकी का नाम चलने लगा और उसने मन ही मन कहा,”बुढ़ऊ को हमरे प्यार के बारे में बताये की ना बताये ? बता दिया तो पुरे मोहल्ले में ढिंढोरा पिटवा देगी , नहीं नहीं अबहु सही वक्त नहीं है बाद में बताना गुड्डू””कहा खो गए ? पईसे दयो और चलो”,दादी ने कहा तो गुड्डू होश में आया और पैसे चुकाकर उनके साथ घर के लिए निकल गया।
“किसने कहा था गुड्डू को की अम्मा को बाइक पर लेकर जाओ ? अरे उनकी उम्र है का इह सब करने की ? कछु खाने का मन हो तो बाहिर से मंगवा लेती ,,,,, अभी दुइ महीने पहिले उनका पथरी का ओप्रेसन हुआ है ,,, आन दो गुडडुआ को आज उसकी खैर नहीं”,मिश्रा जी ने आँगन में चक्कर काटते हुए कहा “गुस्सा काहे हो रहे है आ जायेंगे दोनों”,मिश्राइन ने कहा “गुस्सा,,,,,,,,,,,,,,,,,गुस्सा न हो तो और का हो मिश्राइन ? गुडडुआ की हरकते दिने दिन बढ़ती ही जा रही है। और आज तो उसने हद कर दी अम्मा को अपनी फटफटिया पर लेकर गवा है उह नालायक”,मिश्रा जी ने कहा “आजायेगा उह”,मिश्राइन ने कहा तो मिश्रा जी उन पर ही बरस पड़े और कहा,”इह सब तुम्हाये प्यार का नतीजा है , गुड्डू की गलतियों पर पर्दा डालकर उसे बच्चा बना देती हो , बच्चा नहीं है उह 24 साल का हो चुका है , उसको अपनी जिम्मेदारियों का कोनो अहसास है की नाहीं”मिश्राइन अब क्या कहती उन्होंने चुप रहना ही सही समझा कुछ देर बाद ही गुड्डू की बाइक की आवाज सुनाई दी , गुड्डू दादी को सही सलामत लेकर घर आया मिश्राइन ने देखा तो उसके जान में जान आयी लेकिन मिश्रा जी गुस्से में थे इसलिए गुड्डू के पास आये और कहा,”का जरूरत थी अम्मा को फटफटिया पर लेकर जाने की ?””पिताजी हमहू,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुड्डू ने कहना चाहा “का पिताजी ? तुम्हायी हरकतों में कोई सुधार नहीं है गुड्डू , तुम्हायी उम्र के लड़के ना जाने कहा पहुँच गए है लेकिन तुमको इह सब उल-जुलूल काम करने है , हम पूछत रहे का जरूरत थी अम्मा को बाहर ले जाने की उह भी अपनी बाइक पे , अरे कही गिर विर जाती तो का होता ?”,मिश्रा जी ने गुड्डू को डांट लगाते हुए कहा तो दादी ने बीच में आकर कहा,”का रे आनंद काहे डांट रहे गुड्डू को , हमहू कही उस से बाहर ले जाने को ,, कोनो दिक्क्त है ?””नहीं अम्मा पर इस उम्र में वो इतनी रात में”,मिश्रा जी ने माँ के सामने थोड़ा नरम होकर कहा “इस उम्र से का मतलब है तुमरा ? तुम्हायी जोरू से 12-13 साल ही बड़ी रही मैं”,दादी ने कहा तो मिश्रा जी ने उनके सामने हाथ जोड़े और कहा,”अच्छा ठीक है कुछ नहीं कहेंगे आपको और आपके सुपौत्र को”मिश्रा जी अंदर चले गए , मिश्राइन भी दादी को लेकर अंदर चली आयी। गुड्डू बुझे मन से ऊपर छत पर चला आया और सीढ़ियों पर बैठकर सोचने लगा,”साला हर बार पिताजी को हम ही क्यों गलत लगते है ? अब आज बुढ़ऊ की ख़ुशी के लिए बाहर लेकर गए उसमे भी हमे सूना दिया ,,,,,,,,,,,ऐसा लगता है जैसे इह घर मा कोई हमे समझता ही नहीं है”गुड्डू खुद में ही बड़बड़ाये जा रहा था उसे पता भी नहीं चला कब मिश्राइन वहा आकर खड़ी हुई , गुड्डू ने देखा तो पाया मिश्राइन खाने की थाली लिए खड़ी थी जब गुड्डू ने उनकी और देखा तो मिश्राइन ने कहा,”गुड्डू चल खाना खा ले””हमे नहीं खाना”,गुड्डू ने नाराजगी जाहिर की “मिश्रा जी की बात से नाराज हो , अरे तुम्हाये पिताजी को तो तुम जानते हो ना गुडडुआ , उह दिल के बुरे नहीं है बस कभी कभी गुस्सा हो जाते है”,मिश्राइन ने गुड्डू को समझाते हुए कहा “का कभी कभी ? अम्मा ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब पिताजी हमे खरी खोटी ना सुनाई हो , हमहु कहे थे कॉलेज में एड्मिसन कराने को , जब भी हम कुछ अच्छा करने जाते है हमसे बुरा हो जाता है”,गुड्डू ने कहा तो मिश्राइन आकर उसकी बगल में बैठी और कहा,”देखो गुड्डू तुम हो मिश्रा जी के एक अकेले बेटे अब उह उम्मीदे भी तो सारी तुम्हे से रखेंगे ना , चलो अब गुस्सा थूक दयो और खाना खाओ , तुम्हायी पसंद की सब्जी बनी है आलू मेथी , खाकर बताओ कैसी है ?” मिश्राइन के कहने पर गुड्डू ने अपना गुस्सा छोड़ा और खाना खाने लगा। एक निवाला खाकर कहा,”पिताजी ने खाया ?””कबका ही , तुमहु का लगी इतना गुस्सा बिना खाये पिए करेंगे उह”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू हंस पड़ा और कहा,”का अम्मा तुम भी ना बवाल ही हो””अच्छा हम जाते है , इह सब पूरा खा लेना और कमरे में दूध रखा है पीकर सो जाना”,कहकर मिश्राइन वहा से चली गयी। गुड्डू ने खाना खाया और फिर कमरे में चला आया , ग्लास में रखा दूध पीकर गुड्डू सोने चला गया ,, जल्दी ही उसे नींद आ गयी।
उसी रात पिंकी अपनी कजिन की शादी के लिए लखनऊ निकल गयी। अगली सुबह कॉलेज जाने के लिए जब गुड्डू शर्मा जी के घर के सामने से निकला तो सहसा ही नजरे उनके घर की बालकनी की और चली गयी लेकिन गुड्डू को पिंकी दिखाई ना दी। गुड्डू उदास मन से कॉलेज चला आया , आज कॉलेज में भी उसका मन नहीं लगा वह बेमन से किताब में नजरे गड़ाए बैठा रहा ,, कॉलेज की छुट्टी होने के बाद गुड्डे मोती झील चला आया और वहा बैठकर पिंकी के बारे में सोचने लगा। उसे ढूंढते ढूंढते गोलू भी वहा आ पहुंचा और कहा,”का गुड्डू भैया हिया काहे बैठे हो घर नहीं जाना ?””पिंकिया की बड़ी याद आय रही है गोलू”,गुड्डू ने बुझे मन से कहा “अरे दादा , मतलब इतना गहरा वाला प्यार हुई गया ,, अभी उसको कानपूर छोड़े 24 घंटे नहीं हुए और मजनू को ओकी याद आय रही है ,, गुड़ जोक तनिक ए ठो और सुनाओ”,गोलू ने गुड्डू की बगल में बैठते हुए कहा लेकिन गुड्डू ने उसकी बात पर ध्यान ना देकर कहा,”यार गोलू लखनऊ चले का ?””दिमाग तो सही है तूम्हारा ? ऐसे बोल रहे हो जैसे लखनऊ तुम्हायी बगल में हो ,, और न्योता कौन दिया है बे तुमको सादी का ?”,गोलू ने तमक कर कहा “पहिले कभी किसी सादी न्योते के साथ गए है , पुरे कानपूर में ऐसी कोई सादी ना रही जहा हम ना घुसे हो , लखनऊ भी वैसे ही जायेंगे”,गुड्डू ने कहा। “अच्छा और घर का कहेंगे , हमाये और तुम्हाये बाप को पता चला न पिपरी बजा देंगे समझे , लखनऊ जायेंगे लौंडिया के चक्कर में साला बावरे बन बैठे हो”,गोलू ने गुड्डू को झिड़कते हुए कहा “हमाये पास ए ठो आइडिआ है , पिताजी से कह देंगे की हम कल शाम ग्रुप स्टडी के लिए तुम्हाये घर रुकेंगे , और तुम कह देना तुम हमारे घर रुकोगे , अगली सुबह तक कानपूर वापस लौट आएंगे ,, किसी को का पता चलेगा ?”,गुड्डू ने कहा “गुड्डू भैया आईडीआ तो ठीक है पर तुमको लगता है इह काम करेगा ?”,गोलू ने शंका जताई “अरे बिल्कुल करेगा काहे नहीं करेगा , तुम बस कल सुबह कह देना की कॉलेज के बाद घर नहीं आओगे बस बाकि हम सम्हाल लेंगे”,गुड्डू ने कहा “ठीक है , हम भी तुम्हारे साथ फ्री में लखनऊ घूम लेंगे”,गोलू ने खुश होकर कहा दोनों कुछ देर वहा रुके और फिर घर के लिए निकल गए !
अगली सुबह गुड्डू तैयार होकर मिश्रा जी के सामने आया और कहा,”पिताजी !””का है ?”,मिश्रा जी ने नाश्ता करते हुए कहा “वो हम पूछ रहे थे की आज शाम गोलू के घर रुक जाये ?”,गुड्डू ने कहा “काहे का काम है उस घुमक्कड़ के घर में तुमरा ?”,मिश्रा जी ने गुड्डू की और देखकर कहा “उह गोलू भी हमायी क्लास में है और परीक्षाएं भी नजदीक आय रही तो सोच साथ में ग्रुप स्टडी कर ले”,गुड्डू ने कहा “ग्रुप स्टडी के बहाने कछु और करने का तो नहीं ना सोच रहे ?”,मिश्रा जी ने शक भरी निगाहो से देखते हुए कहा “अरे नहीं पिताजी , आप ऐसा काहे सोच रहे ,, सच में हम दोनों पढाई करने वाले है”,गुड्डू ने कहा “चलो ये तो अच्छी बात है , मन लगाकर पढाई करना”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन उस ख़ुशी को उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और बाइक की चाबी लेकर वहा से निकल गया ! कॉलेज खत्म होते ही गुड्डू ने गोलू से कहा”,चल गोलू चलते ही , बाइक से पहुँचने में 2-3 घंटे लग जायेंगे””चल तो देंगे गुड्डू भैया पर पहिले इह बताओ लखनऊ में पिंकी का एड्रेस है तुमरे पास ?”,गोलू ने कहा “उह्ह तो नहीं है”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा “तो फिर ऐसे लखनऊ में किसकी सादी में घुसोगे , और किसी ने पहचान लिया ना तो कसम से बहुत जुतियाये जाओगे”,गोलू ने कहा “तो अब का करे ?”,गुड्डू ने कहा “पहिले पता करो की लखनऊ में सादी है कहा उसके बाद चलेंगे”,गोलू ने कहा गुड्डू ने पिंकी से नहीं पूछा क्योकि वह उसे सरप्राइज देना चाहता था , शाम तक दोनों इसी उलझन में रहे और आखिर में गोलू के दिमाग में एक आइडिआ आया और उसने कहा,”पिंकिया का नंबर दयो””काहे ?”,गुड्डू ने कहा “गुरु सवाल ना करो , नमबर दयो एड्रेस चाहिए की नहीं चाहिए ?”,गोलू ने कहा “इह लो”,गुड्डू ने पिंकी का नंबर दिखाते हुए कहा। गोलू ने अपने फोन से नंबर डॉयल किया , दो रिंग के बाद पिंकी ने फोन उठाया तो गोलू ने कहा,”हेलो नमस्ते हम संजय कुमार बोल रहे है , आपका ए ठो पार्सल था पर आप तो घर में है ही नहीं , देखिये पार्सल बहुत ही महंगा और कीमती है आपके अलावा किसी को दे नहीं सकते””सॉरी अभी हम कानपूर में नहीं है , लखनऊ है”,पिंकी ने कहा “हां तो कोई बात नहीं कानपूर के बाद लखनऊ में ही जाना है हमे , आप वहा का एड्रेस दे दीजिये हम पहुंचा देंगे”,गोलू ने कहा “पक्का , आप पहुंचा देगे ?”,पिंकी ने पूछा “जी हां बिल्कुल आप इस नंबर पर एड्रेस भेज दीजिये”,गोलू ने कहा “जी ठीक है हम अभी करते है”,कहकर पिंकी ने फोन काट दिया गोलू ने फोन काटा कुछ देर बाद ही पिंकी के नंबर से मैसेज आया जिसमे लखनऊ का एड्रेस था वह देखकर गोलू ने कहा,”इह लो मिल गवा एड्रेस””अरे जिओ गोलू तुम्ही हमरे सच्चे वाले दोस्त हो”,गुड्डू ने उसे गले लगाते हुए कहा “उह सब तो ठीक है भैया पर इह पिंकिया तुमको कछु जियादा ही लालची नहीं लगती , मतलब पार्सल का नाम सूना और फट से एड्रेस भेज दी ए ठो बार पूछा भी नहीं की पार्सल किसने भेजा है , क्या है ? क्यों है ?”,गोलू ने दिमाग की बत्ती जलाते हुए कहा “अरे छोडो सादी में बिजी होगी इहलीये इतना ध्यान नहीं दिया , चलो चलते है”,गुड्डू ने चश्मा लगाकर बाइक पर बैठते हुए कहा। गोलू भी उसके पीछे आ बैठा और दोनों लखनऊ के लिए निकल गए !
क्रमश : मनमर्जियाँ – 7
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संजना किरोड़ीवाल