Manmarjiyan – 5
Manmarjiyan – 5

मिश्रा जी ने तेश में आकर अपने जीजाजी “आदर्श बाबू” पर हाथ उठा दिया लेकिन उनका हाथ उस पल हवा में रह गया जब उन्होंने सामने खड़े गुड्डू को देखा। मिश्रा जी ने हाथ नीचे कर लिया तो फूफाजी ने कहा,”का हुआ ? रुक काहे गए ? अरे उठाईये हाथ , जे सब भी तो देखे घर के इकलौते दामाद का मान सम्मान कैसे होता है ? अरे उठाईये ना ?”
मिश्रा जी फूफाजी के पास आये और उन्हें समझाते हुए कहा,”ऐसी बात नहीं है , इह घर मा सब आपका बहुते मान सम्मान करते है ,, आज ही अम्मा गुजरी है कम से कम आज के दिन तो जे सब मत कीजिये,,,,,,,,,,,,एक ठो बार अम्मा के 13 दिन पुरे हो जाये ओह के बाद हम बैठकर बात करते है ,, तब तक शांत रहिये बस,,,,,,,,,,,!!”
“तो फिर हमहू आपकी अम्मा की तेहरवी पर आते है,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा
“परसो अम्मा की तिये की बैठक है , तब तक रुक जाईये”,मिश्रा जी ने हाथ जोड़कर कहा लेकिन घमंड से भरे फूफा को ना मिश्रा जी मज़बूरी दिखी ना ही बेबसी उन्होंने घमंड से भरकर कहा,”आपकी अम्मा की बैठक है , आप रुकिए मिश्रा जी,,,,,,,,,,,,,चलते है तेहरवी पे आएंगे”
गुड्डू ने जब देखा फूफाजी उसके सामने उसके पिताजी की बेइज्जती कर रहे है तो वह गुस्से से आगे बढ़ा लेकिन मिश्राइन ने हाथ आगे करके रोक दिया और कहा,”जाय दयो गुडडुआ , आसमान मा सर उठाकर थूकने वाला इह भूल जात है कि उह वापस उसी के मुंह पर गिरना है,,,,,,,,,!!”
हताश होकर मिश्रा जी ने सर झुका लिया तो फूफाजी वहा से चले गए। भुआ भी वही खड़ी सब देख रही थी लेकिन फूफाजी के लिए उनके मुंह एक शब्द ना फूटा।
“अगर इह घर के दामाद नहीं ना होते न तो पटक के यही पेल देते फूफा को,,,,,,,,,,,,,,,और भुआ तुमहू , तुमहू भी ना रोकी चाचा को”,गुड्डू ने भुआ की तरफ आते हुए कहा
“अरे जाय दयो ससुरे को , हमहू खुद तंग आ चुके है बूढ़ा से,,,,,,,,,और का करते ऐसे भकचोद इंसान को रोककर जिन्होंने हमायी गुजरी हुई अम्मा तक की इज्जत ना करी,,,,,,,,अरे अभी तक तो हमरी अम्मा की चिता तक ठंडी ना होइ है,,,,,,,,,जाय दयो ओह्ह का और तेहरवी पर आये तो आये वरना हिया से जाकर ओह्ह की तेहरवी हम बना दी है,,,,,,,,,,,,,!!”,भुआ जी ने गुस्से से भरकर कहा
गुड्डू ने उन्हें छोड़ा और मिश्रा जी के सामने आकर कहा,”पिताजी , पिताजी का बात हो गयी ? आप कबो ऐसा करे नाही हो , हमहू जानते है आपका गुस्सा तेज है पर ऐसे हाथ नहीं उठाते आप किसी पर सिवाय हमारे और गोलू के फिर आज ऐसा का हो गवा जो आप फूफा पर हाथ उठा दिए,,,,,,,,पिताजी , पिताजी हमरी तरफ देखिये , हमसे कोनो गलती हुई का हमने सुना फूफा हमरे बारे में कुछो कह रहे थे,,,,,,,,,हम माफ़ी चाहते है पिताजी पर आप आप अपना दिल छोटा मत कीजिये,,,,,,,,,परसो तिये की बैठक में फूफा को हम लेकर आएंगे , उह्ह्ह आ जायेंगे पिताजी आप चिंता नाही कीजिये,,,,,,,,हम है ना हम हम सब ठीक कर देंगे”
गुड्डू को परेशान देखकर मिश्रा जी ने सर उठाकर उसे देखा और उसका गाल थपथपा कर वहा से चले गए। मिश्रा जी को इतना शांत देखकर गुड्डू का मन और बेचैन हो गया। गुड्डू ने देखा सब घरवाले वहा मौजूद थे और उनमे शगुन के घरवाले भी शामिल थे। गुड्डू वहा से चला गया ये देखकर शगुन उसके पीछे आयी। गुड्डू पीछे आँगन में आकर फफक कर रो पड़ा। शगुन ने देखा तो वह गुड्डू के पास आयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”गुड्डू जी , गुड्डू जी आप रो रहे है,,,,,,,,,!!”
गुड्डू रोते हुए पलटा और शगुन के गले आ लगा। वह रोते हुए शगुन से कहने लगा,”जरूर फिर से हमसे कोनो गलती हुई है शगुन और हमरी किसी गलती की वजह से फूफा ने पिताजी से झगड़ा कर लिया पर तुमहू देखी ने उनका प्यार उह हमरे बारे में फिर भी कुछो गलत नहीं सुन पाए। हम कभी नहीं सुधर सकते शगुन , कभी नहीं सुधर सकते , अम्मा के चले जाने का सबसे ज्यादा दुःख इह घर मा सिर्फ पिताजी को है,,,,,,,,,,
उनका दर्द हम में कोई नहीं बाँट सकता और उसके बाद भी फूफा सबके सामने उनको जलील करके चले गए,,,,,,,,,,,उह्ह भी हमरी कोनो गलती की वजह से,,,,,,,,हम बहुते बुरे इंसान है यार शगुन , बहुते बुरे इंसान है,,,,,,,,,,,,!!”
शगुन ने गुड्डू के चेहरे को अपने हाथो में लिया और उसे शांत करते हुए कहा ,”गुड्डू जी , गुड्डू जी मेरी बात सुनिए,,,,,,,,,,,आपसे कोई गलती नहीं है , आपको ऐसा क्यों लग रहा आपने कोई गलती की है ? हमे नहीं लगता फूफाजी आपकी या किसी भी वजह से पापा जी से गुस्सा हुए होंगे। ये उनके आपस का मामला है आप बेवजह खुद को दोष मत दीजिये,,,,,,,,,मैं समझ सकती हूँ इस वक्त इस घर के हालात ठीक नहीं है लेकिन बहुत जल्द हो जायेंगे,,,,,,,,,
दादी को दिन पुरे होने में अभी 13 दिन बचे है वो हो जायेंगे फिर आप बैठकर बात कीजियेगा पापा जी से क्या पता वो आपको बता दे,,,,,,,,,,,,लेकिन ऐसे कमजोर पड़ने से और खुद को गलत समझने से कुछ नहीं होगा,,,,,,,,,,!!”
शगुन की बात सुनकर गुड्डू ख़ामोशी से शगुन की तरफ देखने लगा तो शगुन ने कठोरता से कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू बस एकटक शगुन को देखता रहा तो शगुन फिर कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू ने अपने आँसू पोछे और धीमे स्वर में कहा,”तुम ऐसे मत डांटा करो बिल्कुल मास्टरनी लगती हो , और हम तुम्हरे पति है तुम्हरी क्लास के छात्र नहीं,,,,,,,,,,!!”
गुड्डू की मासूमियत देखकर शगुन मुस्कुरा उठी और गुड्डू के शर्ट की कॉलर सही करते हुए कहा,”पति हो या क्लास का छात्र जब बात नहीं सुनता तो डांट लगानी पड़ती है , अब जाईये घर में जो भी काम है वो देखिये मैं माजी को देखकर आती हूँ,,,,,,,,,,,,!!”
शगुन पीछे हटी और जैसे ही जाने लगी गुड्डू ने उसका हाथ पकड़ा और रोककर कहा,”शगुन ! थैंक्यू हमे ऐसे प्यार से समझाने के लिए,,,,,,,,,,!!”
“मेंशन नॉट , वो अभी क्या कहा था आपने हाँ मास्टरनी , मास्टरनी हूँ ना तो अच्छे से समझाना आता है मुझे,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा तो गुड्डू मुस्कुरा उठा और शगुन का हाथ छोड़कर उसे जाने का इशारा किया। शगुन वहा से चली गयी और गुड्डू भी अपने काम लग गया।
गोलू सामान से भरी गाड़ी लेकर दुकान पर पहुंचा। वह गाड़ी से नीचे उतरा और देखा दुकान का लड़का बाहर लगी बेंच पर लेटा था और पास पड़े टेप रिकॉर्डर में गाना बज रहा था और लड़का भी आँखे मूंदे गुनगुना रहा था।
“लाखो हसीनाएं मिली इस भीड़ में , पर आज से पहले कोई तुमसा ना मिला”
गोलू ने टेप बंद किया और लड़के के पिछवाड़े पर एक जोरदार लात मारकर कहा,”वहा मिश्रा जी ने धोया हमे बिना साबुन के साले हमको गमछा ना मिला”
लड़का बेंच से नीचे जा गिरा और हड़बड़ाकर उठा। उसने गोलू को वहा देखा तो घबराकर उसके पास आया और मिमियाते हुए कहा,”अरे गोलू भैया आप ! उह लाइट नहीं थी ना तो अंदर बहुते गर्मी थी आपकी कसम मैं बस अभी अभी आकर लेटा हूँ,,,,,,,,,,!!”
“हमरे पिताजी ने हमरे बाद कोनो औलाद पैदा नही की , काहे हमरी कसम खाकर ऊपर पहुंचाने का बंदोबस्त कर रहे हो ?”,गोलू ने कहा
“हम कुछो समझे नहीं भैया,,,,,,,,!!”,लड़के ने असमझ की स्तिथि में कहा
गोलू ने लड़के की गुद्दी पकड़ी और उसे ट्रक के पीछे लाकर सामान दिखाते हुए कहा,”तुम्हरी कौनसी भुआ की मय्यत में हल्दी मेहँदी का फंक्शन होता है बे ? साले एक काम बोले रहे तुमसे उह मा भी तुम हमरी थू थू करवा दिए , और गलती की भी तो कहा कि मिश्रा जी के घर मा , अरे जिनका खुद का कारोबार है उन्ही को गलत सामान चिपकाए दिए,,,,,,,,,,,बेटा उह आदमी ना बस इन्तजार करता है हमरे और गुड्डू भैया के गलती करने का,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“फिर ?”,लड़के ने मासूमियत से कहा
“बाटा की चप्पल गाल पर खाये हो कभी ?”,गोलू ने पूछा
“नहीं भैया,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने फिर मसुमियत से कहा
“आज शाम का पिरोगराम बनाते है फिर चप्पल खाने का,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“मतलब ?”,लड़के ने पूछा
“अरे मतलब की दुकान जे सामान उतारो गाड़ी से और तिये की बैठक का सामान डालो , वरना शाम तक मिश्रा जी मेरी तेहरवी कर देंगे,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा और लड़के के सर पर चपत मारकर बेंच की तरफ चला आया
सर पर बंधे सफ़ेद गमछे को उतारकर गले में डाल लिया और बगल वाली टपरी पर चाय बना रहे लड़के से चाय देने को कहा। लड़का चाय रखकर चला गया गोलू ने गिलास उठाया और जैसे ही एक घूंठ भरा एक आदमी ने आकर पूछा,”का हो गोलू , चाह पी रहे हो,,,,,,,,,,,!!”
गोलू जो की आज सुबह से बौराया हुआ था उसने सर उठाकर आदमी को देखा और बड़े ही अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”नहीं जहर पी रहे है , तुमहू पिओगे ?”
“पर जे तो चाह है ?”,आदमी भी बकचोद था उसने बकैती करते हुए कहा
“हमका तो नाली का पानी लग रहा है”,गोलू ने कहा
”ए गोलू भैया ! चाहो तो हमका गली देइ दयो पर हमरी चाय को कुछो ना कही हो”,टपरीवाले ने कहा
गोलू ने घूमकर टपरीवाले से कहा,”ऐसा है ना चचा कि चाय तो घटिया है ही आपकी ऊपर से बीच में बोलने की टाइमिंग भी,,,,,,,,,ल्यो खुद ही आकर पी ल्यो”,गोलू ने चाय से भरा गिलास बेंच पर रखकर कहा और जाने के लिए उठ खड़ा हुआ
“हम पी ले,,,,,,,,,,!!”,आदमी ने कहा जो अब तक गोलू को परेशान कर रहा था।
“एक काम करो नहा लो इस से,,,,,,,,गजब्ब लोग है मतलब मुंह का निवाला छीनते सुना था हिया साला चाय तक छीन ले रहे,,,,,,,,,,,जे कानपूर कानपूर ना रहो भैया,,,,,,,,,!”,कहकर गोलू ने गले से गमछा निकालकर फिर से सर पर बांधा और निकल गया मिश्रा जी के घर के लिए पर इस बार सामान सही था।
गोलू के पिताजी पिंकी के लिए चाट लेकर आये थे और पिंकी उन्हें गलत समझ बैठी। पश्चाताप के आँसू पिंकी की आँखों से बहने लगे। वह अभी भी दोना हाथ में उठाये कमरे के दरवाजे पर ही खड़ी थी तभी गुप्ता जी वापस आये और कहा,”अरे बिटिया इह गन्ने का जूस लाना भूल गए हम , जे एक गिलास तुम्हरे लिए जे एक गोलू की अम्मा को दे आते है,,,,,,,,,,,,खुश हो जाएगी उह भी,,,,,,,,!!”
कहते हुए उनकी नजर जैसे ही पिंकी पर पड़ी उनके चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये और उन्होंने कहा,”अरे का हुआ बिटिया ? तुम्हरी आँखों में आँसू ,, चाट मा मिर्च जियादा है का ? अरे हम बोले रहे ओह का थोड़ा तीखा कम रखो लगता है सुने नाही,,,,,,,,,एक ठो काम करो तुमहू ना खाओ छोड़ दयो”
“हमे माफ़ कर दीजिये पिताजी”,पिंकी ने धीरे से कहा
“माफ़ कर दे पर काहे ? कोनो बात है का बिटिया ? आओ हिया आँगन में आओ बताओ हमका का हुआ ?”,गुप्ता जी पिंकी को लेकर हॉल में चले आये। उन्होंने पिंकी के हाथ से दोना और जूस का गिलास लेकर नीचे रखा और कहा,”अब बताओ का बात है ? उह्ह्ह ससुरा गोलुआ कुछो कहे रहे तुमसे ? हमका बताओ अबही इलाज कर देते है उसका,,,,,,,,,,,,,!!”
पिंकी ने अपने आँसू पोछे और गुप्ता जी को सारी बात बता दी जो उसे गलतफहमी हुई थी और उसने अपने पापा को फोन लगाया था।
गुप्ता जी ने सब सुना और कहा,”अरे बिटिया ! जे का तुमहू इतनी सी बात के लिए अपने पिताजी को फोन काहे मिला दी ? और हम कौनसा गोलू को सच में बोल रहे थे हम तो बस उसे चिढ़ा रहे थे और तुमका गलत फहमी हो गयी,,,,,,,,,,,,!!”
“हमे माफ़ कर दीजिये पिताजी”,पिंकी ने नजरे झुकाकर कहा
“कोई बात नहीं पर आगे से ऐसी कोई बात हो तो शर्मा जी को परेशान ना करना , कुछो चाहिए तो सीधा आकर हमसे मांगना तुम्हरे और गोलुआ के अलावा हमरा है ही कौन जिह पर खर्चा करेंगे”,गुप्ता जी ने प्यार से कहा
“आप बुरा ना माने तो आपसे एक बात पूछे ?”,पिंकी ने डरते डरते कहा
“हाँ पूछो,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“आप उन्हें इतना तंग क्यों करते है ? मतलब हम जब भी उन्हे देखते है वो आपसे चिढ़े हुए रहते है,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने पूछा
गुप्ता जी मुस्कुराये और कहा,”जे सब इहलिये कि बाप बेटे के बीच का प्यार बना रहे,,,,,,वरना आज के बख्त में बाप बेटा आपस में बात ही कहा करते है,,,,,,,,,,जिम्मेदारियों के नाम पर बस भागते फिरते है।”
“हम कुछो समझे नहीं पिताजी”,पिंकी ने कहा
“बइठो बताते है,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने पिंकी को बैठने को कहा और खुद भी दूसरे सोफे पर उसके सामने आ बैठे। गुप्ता जी ने पिंकी को देखा और फिर नजरे हटाकर कहने लगे,”गोलू हमरी इकलौती औलाद है ओह के बाद हमने कोई बच्चा किया ही नहीं , का है कि गोलूआ के पैदा होने के बाद गोलुआ की अम्मा पुरे 2 साक बीमार रही , और डाक्टर कहे रहे कि दुसरा बच्चा करने से जान का खतरा है तो हमने कोनो रिस्क नहीं लिया।
उसके बाद गोलू ही हमरे लिए सबकुछ था , गोलू की अम्मा का मन रहा कि एक ठो बेटी और होती तो अच्छा रहता तो हमने गोलुआ का नाम ही “पिंकेश” रख दिया। उह पिंकेश , तुमहू पिंकी तभी तुम्हरे प्रेम में पड़ गए गोलू महाराज,,,,,,,,,,,,,गलतिया करता है पर दिल का बहुते सीधा है , एक बार किसी को अपना मन लिए तो फिर जान दे देता है ओह के लिए,,,,,,,,,,जे छेड़ छाड़ , तंग करना जे सब हमरी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है बिटिया
का है कि बस जे ही एक तरिका है जा से गोलु से थोड़ी बात चीत हो जाती है , वरना तो दिनभर व्यस्त रहते है गोलुआ,,,,तुमहू जूस पी ल्यो खराब हो जाएगा”,कहते हुए गुप्ता जी उठे और दूसरा गिलास लेकर वहा से चले गए
शायद अपनी आँखों में आयी नमी पिंकी को दिखाने से कतरा रहे थे
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संजना किरोड़ीवाल


दादी को दिन पुरे होने में अभी 13 दिन बचे है वो हो जायेंगे फिर आप बैठकर बात कीजियेगा पापा जी से क्या पता वो आपको बता दे,,,,,,,,,,,,लेकिन ऐसे कमजोर पड़ने से और खुद को गलत समझने से कुछ नहीं होगा,,,,,,,,,,!!”
शगुन की बात सुनकर गुड्डू ख़ामोशी से शगुन की तरफ देखने लगा तो शगुन ने कठोरता से कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू बस एकटक शगुन को देखता रहा तो शगुन फिर कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू ने अपने आँसू पोछे और धीमे स्वर में कहा,”तुम ऐसे मत डांटा करो बिल्कुल मास्टरनी लगती हो , और हम तुम्हरे पति है तुम्हरी क्लास के छात्र नहीं,,,,,,,,,,!!”
दादी को दिन पुरे होने में अभी 13 दिन बचे है वो हो जायेंगे फिर आप बैठकर बात कीजियेगा पापा जी से क्या पता वो आपको बता दे,,,,,,,,,,,,लेकिन ऐसे कमजोर पड़ने से और खुद को गलत समझने से कुछ नहीं होगा,,,,,,,,,,!!”
शगुन की बात सुनकर गुड्डू ख़ामोशी से शगुन की तरफ देखने लगा तो शगुन ने कठोरता से कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू बस एकटक शगुन को देखता रहा तो शगुन फिर कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू ने अपने आँसू पोछे और धीमे स्वर में कहा,”तुम ऐसे मत डांटा करो बिल्कुल मास्टरनी लगती हो , और हम तुम्हरे पति है तुम्हरी क्लास के छात्र नहीं,,,,,,,,,,!!”
दादी को दिन पुरे होने में अभी 13 दिन बचे है वो हो जायेंगे फिर आप बैठकर बात कीजियेगा पापा जी से क्या पता वो आपको बता दे,,,,,,,,,,,,लेकिन ऐसे कमजोर पड़ने से और खुद को गलत समझने से कुछ नहीं होगा,,,,,,,,,,!!”
शगुन की बात सुनकर गुड्डू ख़ामोशी से शगुन की तरफ देखने लगा तो शगुन ने कठोरता से कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू बस एकटक शगुन को देखता रहा तो शगुन फिर कहा,”आँसू पोछिए”
गुड्डू ने अपने आँसू पोछे और धीमे स्वर में कहा,”तुम ऐसे मत डांटा करो बिल्कुल मास्टरनी लगती हो , और हम तुम्हरे पति है तुम्हरी क्लास के छात्र नहीं,,,,,,,,,,!!”
Thank god ki Guddu k samne sach nhi aaya…warna wo pta nhi kya sochta…aur yeh ghar k jo damad bane firte hai…har jagah apni Chaudharypan kyu dikhte hai bhiii…ek Mishra ji ki maa chali aur upar se yeh befaltu ki bakwas Krna… Bua ji ko kuch to bolna chahiye tha yr…khar koi nhi…13 din baad dekhte hai matter kya hua hai Fufa ji aur Mishra ji k beach m…lakin sach m yeh Golu ki story ki jaan hai… baketi bhi kare to wo bhi badhiya lagti hai…but aaj Pinky ne apne dil se mail nikaalkar apne sasur ji ko sab btaya thik kiya
Guddu ko lag raha hai Fufa uski wajahse chale gaye usne kuch galti ki hogi aur Mishra ji uski wajahse behijaat hona pada per Sagun ne sahi kaha pehle Dadi ke din hone de baad baat kar lene Papa se ki kya baat hai aur uski koi galti nahi hai jyada na soche Sagun ke samjhane per voh samajh gaya…Gollu is baar saara sanam check karke dalvaya…Pinki ne apni galti ke liye Gupta ji se maafi mangi aur unse puchne per pata chal gaya ki voh gollu se aise kyu pesh ate hai…interesting part Maam♥♥♥♥♥