Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – 48

Manmarjiyan – 48

”मनमर्जियाँ – 48”

शगुन ख़ामोशी से अपनी नयी साड़ी के पल्लू से गुड्डू के माथे का पसीना पोछ रही थी और गुड्डू बस उसे देखे जा रहा था। गुड्डू ने अचानक से शगुन का हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”का कर रही हो ? तुम्हायी साड़ी खराब हो जाएगी,,,,,हमहू घर ही जा रहे है कपडे चेंज करने”
गुड्डू वहा से चला गया और शगुन वापस ऊपर चली आयी। रौशनी को हल्दी लग रही थी और उसकी सहेलिया बहने सब ढोलक पर डांस कर रही थी। वेदी ने गोलू से कहकर स्पीकर्स मंगवा लिए फिर क्या था सब डांस करने लगे। शगुन बस सबको देख रही थी। वहा मौजूद कुछ ओरतो ने नयी बहु को डांस करने को कहा पहले तो शगुन ने शर्म के मारे मना कर दिया लेकिन मिश्राइन के कहने पर वह डांस करने लगी। शगुन का एक नया टेलेंट उस शाम सबने देखा वह डांस करते हुए इतनी प्यारी लग रही थी की सब उसे देखे जा रहे थे। गुड्डू नहाकर अपने बालो को तौलिये से पोछते हुए बालकनी में आया। गुड्डू की नजर जब डांस करती हुई शगुन पर पड़ी तो एक पल के लिए वक्त जैसे थम गया हो। गुड्डू शगुन को देखते ही रह गया खूबसूरत तो वह थी ही लेकिन डांस करते हुए और भी खूबसूरत लग रही थी उसे देखने में गुड्डू इतना खो गया की कब उसके हाथ में पकड़ा तौलिया नीचे गली में खड़े मिश्रा जी पर जा गिरा उसे खुद पता नहीं चला वो तो जब नीचे खड़े हुए मिश्रा जी गुड्डू पर चिल्लाये तब जाकर गुड्डू को होश आया और वह नीचे गली में गिरते गिरते बचा। गुड्डू को ऊपर बालकनी में देखकर मिश्रा जी ने कहा,”का बेटा माधुरी दीक्षित बन रहे हो जो बालकनी में खड़े मटक रहे हो ,,, अबे नीचे भी देख लो कौन खड़ा है कौनो नहीं बस लगे पड़े है,,,,,,,,,,,,,,,और इह कोनसा टाइम है नहाने का जब देखो तब बस पानी और साबुन बर्बाद करना है इनको,,,,,,,,नीचे आके मरो”
गुड्डू वहा से ऐसे गायब हुआ जैसे गधे के सर से सींग , वह भागते हुए नीचे आया , तब तक मिश्रा जी भी अंदर चले आये और कहा,”का बात है इतना जल्दी में कहा जाए रहे हो हेलीकॉप्टर बनके ?”
“उह गलती से गिर गया पिताजी”, गुड्डू ने अपनी सफाई में कहा
“बेटा इह तौलिया था कही गमला होता ना तो तुम्हाये पिताजी का कपार खुल जाता और हम स्वर्ग सिधार गए होते। अबे बड़े हो गए हो सादी हो गयी है थोड़ी अक्कल लेइ ल्यो काम आएगी”,मिश्रा जी ने तौलिया गुड्डू की और बढाकर कहा तो गुड्डू ने उसे मिश्रा जी के मुंह पर ही झाड़ते हुए सूखा दिया तो मिश्रा जी और भड़क गए और कहा,”ल्यो हमाये ऊपर ही सुखाय दयो ,,,,,,,,,,!!”
“सॉरी पिताजी,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम जाते है”,कहकर गुड्डू वहा से चला गया और सीधा अपने कमरे में चला आया। शीशे के सामने आकर गुड्डू जब बाल बनाने लगा तो उसे शगुन का ख्याल आ रहा था , जिस मासूमियत से वह गुड्डू के सर पर आया पसीना पोछ रही थी उतनी ही मसुमियत इस वक्त गुड्डू की आँखों में भी साफ दिखाई दे रही थी। गुड्डू ने बालो को सेट किया और कबर्ड से शर्ट निकालकर पहनने लगा। बटन बंद करते हुए एक बार फिर गुड्डू को शगुन का ख्याल आने लगा वो खुद नहीं समझ पा रहा था की ऐसा क्यों हो रहा है ? गुड्डू ने शर्ट के बटन बंद किये और कमरे से बाहर चला आया जल्दी जल्दी में सीढिया उतर रहा था तो सामने से आती शगुन पर ध्यान नहीं गया और गुड्डू उस से टकरा गया। शगुन ने सॉरी कहा और साइड से जाने लगी , गुड्डू भी उस साइड से जाने लगा और दोनों फिर एक दूसरे के सामने आ गए , शगुन ने दूसरी और से जाने की कोशिश की और गुड्डू ने भी वैसा ही किया। अब शगुन को गुड्डू पर गुस्सा आने लगा तो उसने गुड्डू के सामने हाथ करके उस एक जगह रुकने का इशारा किया और खुद साइड से निकल कर ऊपर चली आयी। झल्लाते हुए गुड्डू भी नीचे चला आया और फिर किसी काम से बाइक लेकर बाहर निकल गया।
शगुन ऊपर आयी उसने तार पर सुख रहे कपडे उतारे और उन्हें लेकर कमरे में आयी। शगुन के पास करने को कोई काम नहीं था इसलिए उसने गुड्डू के कपड़ो को अच्छे से समेटकर कबर्ड में रखना शुरू किया। जिन कपड़ो को प्रेस की जरूरत थी उन्हें प्रेस किया और सभी कपडे अच्छे से जमाकर रख दिए। कपडे समेटते हुए शगुन की नजर शीशे में खुद के अक्स पर गयी तो वह खुद से ही कहने लगी,”क्यों कर रही हो ये सब शगुन ,, भूल गयी गुड्डू जी ने क्या कहा था ? वो किसी और से प्यार करते है , उनके दिल में कोई और है फिर ये सब करके उनकी दया की पात्र क्यों बनना है तुम्हे ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हां मानती हूँ वो तुम्हारे पति है लेकिन मन से तो उन्होंने किसी और को अपना लिया है फिर ये परवाह दिखाकर क्या जताना चाहती हो ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
शगुन अपनी ही सोच में उलझती गयी और फिर दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई
“भाभी क्या हम अंदर आ जाये ?”,कमरे के बाहर खड़ी वेदी ने कहा
“अरे आप पूछ क्यों रही है आईये न”,शगुन ने हाथ में पकड़ा गुड्डू का शर्ट समेटकर कबर्ड में रखते हुए कहा
“अरे वाह भाभी आपने तो गुड्डू भैया के कबर्ड की दशा ही बदल दी , वरना भैया ने तो इसका कबाड़ा कर रखा था”,वेदी ने सोफे पर बैठते हुए कहा
“वेदी दी आपसे एक बात पुछु”,शगुन ने बिस्तर के कोने पर बैठते हुए कहा
“हां पूछिए ना”,वेदी ने मुस्कुराकर
“आपके भैया के पास इतने कपडे क्यों है ?”,शगुन ने अजीब सा सवाल पूछा तो वेदी हसने लगी और कहा,”अरे भाभी आप ही नहीं सब यही बात पूछते है गुड्डू भैया से ,,,, क्या है ना गुड्डू भैया को नए नए कपडे पहनने का बहुत शौक है , जब भी कोई फंक्शन होता है या कही जाना होता है वे नया ड्रेस ले आते है। भैया के पास इतने शर्ट है की अगर एक पहने तो दूसरे का नंबर डेढ़ दो महीने बाद आएगा।”
“ओह्ह्ह तो ऐसा है अच्छा कलेक्शन है”,शगुन ने कहा
“अच्छा भाभी आप खुश तो हो ना ?”,वेदी ने अचानक से सवाल किया तो शगुन थोड़ा असहज हो गयी और कहा,”आप ऐसे क्यों पूछ रही है ?”
“कभी कभी ना आप खो जाती हो इसलिए पूछा , बनारस की याद आती होगी ना”,वेदी ने कहा तो शगुन मुस्कुरा उठी और कहा,”याद तो बहुत आती है , वो घर जहा हमारा बचपन गुजरता है , हम बड़े होते है उस घर को छोड़ने में थोड़ी तो तकलीफ होती है ,,,,लेकिन महादेव ने मुझे इतना अच्छा घर और परिवार दिया है की उस घर की ज्यादा याद नहीं आती”
“ओह्ह्ह भाभी आप बहुत स्वीट हो , गुड्डू भैया सच में बहुत लकी है जिनकी शादी आपसे हुई है वरना वो तो खामखा उस पिंकी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,वेदी कहते कहते रुक गयी
“पिंकी,,,,,,,!!!”,शगुन ने वेदी की और देखकर कहा
“कुछ नहीं भाभी आप,,,,,,,,,,,,,,आप आराम कीजिये हम चलते है”,वेदी उठकर वहा से चली गयी लेकिन शगुन को उलझन में डाल गयी और वह सोचने,”वेदी दी ने पिंकी का नाम क्यों लिया ? क्या ये वही पिंकी है जिसका जिक्र गुड्डू जी ने किया था। मतलब घर में सबको गुड्डू जी और पिंकी के बारे में पता है फिर गुड्डू जी की शादी मुझसे क्यों की ? आखिर क्या वजह हो सकती है ? मुझे इसके बारे में पता लगाना ही होगा लेकिन किस से पुछु,,,,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू जी से कुछ पूछ नहीं सकती,,,,,,,,,,,,,,,,माजी और पिताजी से पूछकर उन्हें हर्ट नहीं करना और वेदी दी,,,,,,,,,,,,,,वो तो बताते बताते रुक गयी,,,,,,,,,,,,अब कैसे पता करू आखिर ये पिंकी है कौन है जिसे गुड्डू जी इतना प्यार करते है”
शगुन अपनी ही सोच में उलझकर रह गयी। गुड्डू मार्किट पहुंचा पिंकी का फोन आया तो उसने उसे बाबू गोलगप्पे वाले के पास बुलाया। गुड्डू बाइक लेकर वहा पहुंचा। शाम हो चुकी थी और हल्का अँधेरा भी हो चूका था , पिंकी वही खड़ी थी गुड्डू ने उसके सामने बाइक रोकी और कहा,”हां बताओ का हुआ ?”
“नीचे उतरो गोलगप्पे खिलाओ फिर बताते है”,पिंकी ने इतराते हुए कहा
गुड्डू ने बाइक साइड में लगाया नीचे उतरा और बाबू गोलगप्पे वाले को आकर कहा,”बाबू दुई प्लेटे गोलगप्पे लगाओ ज़रा”
“ए गुड्डू मेरे होते किसी और को बाबू कहोगे इतनी हिम्मत तुम्हारी”,पिंकी ने गुड्डू की कॉलर पकड़कर उसे घूरते हुए कहा
“अरे इनका नाम ही बाबू है”,गुड्डू ने कहा तो पिंकी ने थोड़ा रोमांटिक होकर कहा,”अच्छा , हमे पसंद नहीं तुम किसी और को बाबू कहकर बुलाओ”
बाबू ने घूरकर पिंकी को देखा और प्लेट पकड़ा दी। गुड्डू और पिंकी गोलगप्पे खाने लगे ,, खाते खाते गुड्डू ने कहा,”अब बताओ काहे बुलाया उह भी इस बख्त ?”
“सबसे पहले तो ये बताओ प्लान कैसा चल रहा है ?”,पिंकी ने खाते हुए कहा
“तुम्हारा प्लान फ्लॉप हो चुका है पिंकिया , हमने उसे सब सच सच बताया की हम उस से प्यार नहीं करते है पर उह ना जाने कौनसी मिटी की बनी है , उसे कोई फर्क नहीं पड़ा पिंकिया”,गुड्डू ने कहा
“इतनी आसानी से वो इस घर से नहीं जाएगी गुड्डू कुछ और ही करना होगा”,पिंकी ने अपने शैतानी दिमाग में कुछ सोचते हुए कहा
“का करना होगा ?”,गुड्डू ने पूछा तो पिंकी ने फिर उसे एक नयी चाल सुझाई। गुड्डू को थोड़ा अजीब लगा लेकिन पिंकी को पाने के लिए उसे ये सब करना ही था। गुड्डू ने पिंकी की बात मान ली पिंकी ने जैसे ही गुड्डू को गले लगाया एक अजीब सी घुटन महसूस हुई उसे , उसने पिंकी को खुद से दूर किया।
और कहा,”का कर रही हो पिंकिया ? सब देख रहे है ,, हम तुमसे बाद में मिलते है”
“ठीक है , हम जा रहे है गोलगप्पे के पैसे दे देना”,पिंकी ने कहा और वहा से चली गयी।
गुड्डू जैसे ही बाइक के पास आया गोलू ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”इह सब का है भैया ? तुमहू फिर पिंकी से मिल रहे हो”
गोलू को वहा देखकर गुड्डू थोड़ा असहज हुआ और फिर बाइक स्टार्ट करके कहा,”हमाये और पिंकी के मामले से ना तुमहू दूर रहो गोलू”
“नहीं काहे दूर रहे , हमे जानना है की आखिर अब फिर से उह पिंकिया का पट्टी पढाय रही है तुमको , अबे शादी हो चूकी है तुम्हायी भाभी को पता चला तो का बीतेगी उन पर कभी सोचे हो इस बारे में”,गोलू ने गुस्से से कहा तो गुड्डू ने उसे घुरा और कहने लगा,”देखो गोलू ऐसा है ना हम शगुन से प्यार करते है ना ही हमे फर्क पड़ता है की उनको हमारी प्रेम कहानी जानकर कैसा लगेगा ? तुमहू जियादा चौधरी ना बनो ,,हमारा मैटर है हम खुद देख लेंगे”
“लेकिन भैया,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा लेकिन तब तक गुड्डू वहा से निकल गया। गोलू ने नीचे पड़ा ईंट का टुकड़ा उठाया और गुड्डू के पीछे तान दिया लेकिन अगले पल उसे अहसास हुआ की गुड्डू उसका दोस्त है तो उसने कहा कहा,”साले दोस्त नहीं होते ना तो ईंटा मारकर सर फोड़ देते तुम्हारा , पर जाने दो दोस्ती बीच में आ गयी” कहते हुए गोलू ने ईंट का टुकड़ा नीचे डाला लेकिन बेचारे की किस्मत खराब थी वह ईंट आकर उसके पैर पर ही लगी और गोलू दर्द से बिलबिला उठा। दो गाली गुड्डू को और चार गाली खुद को देकर गोलू वहा से चला गया।
गुड्डू घर आया और खाना खाने के बाद सीधा अपने कमरे में चला आया। उसने कबर्ड खोला तो देखा सब कपडे बहुत ही अच्छी तरह से जमाये हुए है। गुड्डू को अपने कपडे ऐसे देखकर अच्छा लगा , वह आकर बिस्तर पर बैठ गया और अपना फ़ोन चलाने लगा। रात 10 बजे शगुन कमरे में आयी उसे देखकर गुड्डू उठकर सोने के लिए अपने बिस्तर पर चला आया। शगुन ने साथ लाया पानी का जग टेबल पर रखा और लेटे हुए गुड्डू के पास आयी , जैसे ही वह गुड्डू के थोड़ा सा करीब आयी गुड्डू ने हाथ आगे करके कहा,”का कर रही हो ? देखो हमसे दूर रहो”
शगुन ने गुड्डू को देखा और सहजता से कहा,”सोचियेगा भी मत , मैं सिर्फ तकिया लेने आयी हूँ”
कहते हुए शगुन ने गुड्डू के साइड में पड़ा तकिया उठाया और सोफे की और चली आयी। शगुन ने तकिया रखा और चददर ओढ़कर लेट गयी। दिनभर की थकान इतनी थी की शगुन को लेटते ही नींद आ गयी। गुड्डू बिस्तर पर पड़े पड़े करवटे बदलता रहा उसे बिल्कुल नींद नहीं आ रही थी। कुछ देर बाद उठा और कमरे में टहलने लगा लेकिन नींद आँखों से कोसो दूर ,थककर गुड्डू बिस्तर पर आ बैठा , तकिया अपनी गोद में रखा और ठुड्डी अपनी हथेलियों पर टिका ली।
गुड्डू को अभी भी नहीं आ रही थी। उसने देखा शगुन बड़े आराम से सो रही थी। शगुन को सोया देखकर गुड्डू को खुन्नस हुई और वह बड़बड़ाने लगा,”देखा हमायी नींद उड़ाकर कैसे आराम से सो रही है ये ? दो दिन में ये हालत हो गयी है हमारी अगर ज्यादा दिन यहाँ रही तो हमरा जीना हराम कर देगी,,,,,,,,,,,,जल्दी ही तुम्हारा कुछ करना होगा हमे ,, बस जल्दी से जल्दी तुमहू इस घर से चली जाओ और हम अपनी पहले वाली जिंदगी जीये। पर अभी का करे नींद नहीं आ रही है। एक ठो काम करते है पिंकिया को फोन लगाते है उह भी तो जाग रही होगी हमायी यादो में (गुड्डू के होंठो पर मुस्कान तैर जाती है)
गुड्डू पिंकी का नंबर डॉयल करता है पहले तो पिंकी फोन ही नहीं उठाती है , गुड्डू दोबारा फोन करता है इस बार पिंकी फोन उठाती है और नींद से ऊंघते हुए कहती है,”हैलो”
“हैलो पिंकी हम बोल रहे है गुड्डू , का कर रही हो ?”,गुड्डू ने अपनी आवाज को थोड़ा धीमा करके कहा जिस से शगुन की नींद ना टूटे।
“गुड्डू इतनी रात में फोन काहे किये हो ? हमारी नींद खराब कर दी , सोने दो हमको”,पिंकी ने चिढ़ते हुए कहा !
“अरे पिंकिया सुनो तो हमे नींद नहीं आ रही है”,गुड्डू ने बेचारगी से कहा
“तो हम क्या करे ? हमे बहुत नींद आ रही है गुड्डू सुबह बात करते है”,कहकर पिंकी ने फोन काट दिया। बेचारा गुड्डू मुंह लटका के बैठ गया। शगुन की नींद खुली उसने देखा गुड्डू जाग रहा है तो वह उठकर बैठ गयी और कहा,”क्या हुआ आप सोये नहीं ?”
“नींद ही नहीं आय रही है”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
“अच्छा ये बताईये आपको सबसे बोरिंग काम क्या लगता है ?”,शगुन ने सवाल किया
“कॉलेज की किताबे पढ़ना”,गुड्डू ने मुंह बनाकर कहा
“कहा मिलेगी आपकी किताबे ?”,शगुन ने फिर सवाल किया
“वहा रखी है कबर्ड के साइड में टेबल पर”,गुड्डू ने कहा तो शगुन उठी और एक किताब उठा लायी। उसने वह किताब गुड्डू की और बढाकर कहा,”इसे पढ़िए”
“काहे ?”,गुड्डू ने कहा
“इसे पढ़ेंगे तो आपको जरूर नींद आएगी”,शगुन ने कहा
“और ऐसा नहीं हुआ तो ?”,गुड्डू ने किताब लेते हुए पूछा
“तो आप जो कहेंगे मैं मानूंगी”,शगुन ने पुरे विश्वास से कहा। गुड्डू किताब लेकर पढ़ने लगा , शुरू शुरू में उसे काफी बोरिंग लग रहा था शगुन वाशरूम चली गयी वापस आयी तो देखा गुड्डू सो रहा है और किताब उसके सीने पर पड़ी है। शगुन उसके पास आयी हाथो से किताब निकाली और बंद करके साइड टेबल पर रख दी। चददर लेकर गुड्डू को ओढ़ाया और उसकी तरफ वाली लाइट बंद कर दी। गुड्डू सोते हुए किसी मासूम बच्चे सा लग रहा था। शगुन वापस सोफे पर चली आयी लेकिन अब उसकी नींद उड़ चुकी थी।

Manmarjiyan - 48
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क्रमश : manmarjiyan-49

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संजना किरोड़ीवाल

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