Manmarjiyan – 45
Manmarjiyan – 45
मिश्रा जी ने अपनी पसंद से गुड्डू की शादी तो करवा दी लेकिन मन कही ना कही गुड्डू को लेकर उलझन में था। मिश्राइन की बातो से मिश्रा जी को थोड़ी तसल्ली मिली और वे सोने चले गए। सुबह शगुन की आँख खुली तो उसने खुद को कम्बल में लिपटा पाया सहसा ही नजर बिस्तर पर सोये गुड्डू पर चली गयी। शगुन को बीती रात वाली बातें याद आ गयी और उसका मन उदास हो गया। वह सोफे से उठी और कम्बल समेटकर साइड में रख दिया। सुटकेस से कपडे निकाले और नहाने चली गयी। नहाकर शगुन ने लाल पीले रंग की साड़ी पहन ली शीशे के सामने आकर उसने बाल बनाये , मांग में सिंदूर भरा और होठो पर लिपस्टिक लगाकर पल्लू सर पर ले लिया। शगुन ने अपने और गुड्डू के रिश्ते को लेकर एक कठिन फैसला लिया कमरे से बाहर चली आयी। नीचे आकर शगुन ने पूजा की तुलसी में जल चढ़ाया और फिर दादी माँ के कमरे में आकर उनका कमरा साफ करने लगी तो दादी माँ ने कहा,”अरे बहुरिया इधर आओ , इह सब काम छोडो लाजो कर लेगी”
शगुन आकर उनके पास बैठ गयी तो दादी ने शगुन की बलाये लेकर कहा,”बहुते सुन्दर हो किसी की नजर ना लगे,,,,,,,,,,,,,,,,बिटिया इसे अपना ही घर समझो और तुम्हायी सास कुछो कहे तो हमसे आकर कहना हम सबको सीधा कर देंगे”
“नहीं दादी माँ सब बहुत अच्छे है मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है”,शगुन ने कहा तो उसकी आँखों के सामने गुड्डू का चेहरा आ गया और वह थोड़ा सा उदास हो गयी
“का बात है फिर इतनी उदास काहे हो ? घर की याद आय रही है ?”,दादी ने सवाल जवाब खुद ही कर लिया
“हम्म्म्म !”,शगुन ने धीरे से कहा और गर्दन झुका ली
“अरे नहीं बिटिया उदास मत हो बनारस दूर थोड़े ना है जब भी मन करे गुड्डू के साथ चली जाना बाकि इह घर भी तुम्हारा ही घर है”,दादी ने बड़े प्यार से कहा तो शगुन को अच्छा लगा की घरवाले उस से बहुत प्यार करते है। शगुन बैठकर दादी से बतिया ही रही थी की लाजो आयी और कहा,”भाभी आपको चाची बुलाय रही है होकर आईये तब तक हम दादी का कमरा साफ कर देते है”
शगुन उठकर कमरे से बाहर चली आयी और मिश्राइन के पास आकर कहा,”जी माजी”
“शगुन आज तुम्हारी पहली रसोई है , तुमको जियादा कुछो नहीं करना है बस मीठे में कुछ बनाना है ताकि तुम्हारी शादी शुदा जीवन में मिठास बनी रहे”,मिश्राइन ने कहा
“जी ठीक है”,शगुन ने कहा तो मिश्राइन उसे लेकर रसोई में चली आयी। सबसे पहले शगुन के हाथो पूजा करवाई और फिर उसे अपनी पसंद से कुछ भी मीठा बनाने को कहा। शगुन खीर बनाने लगी। गुड्डू सो रहा था जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा शगुन कमरे में नहीं है गुड्डू उठा और बाथरूम की और चला गया नहाकर वापस आया और कपडे पहनते हुए खुद से कहने लगा,”जल्दी से तैयार होकर शोरूम चला जाता हूँ इस से ना तो पिताजी कुछो सवाल करेंगे ना ही शगुन से सामना होगा। घर में रहेंगे तो बार बार पिताजी टोकेंगे”
गुड्डू ने जींस पहना , सफेद शर्ट पहनी , परफ्यूम लगाया , बालो को सेट किया और अपना ब्रासलेट पहन लिया। गुड्डू ने अपने जूते लिए और पहनने लगा।
शगुन ने खीर बना दी थी और रसोई से बहुत ही अच्छी खुशबु आ रही थी। शगुन हाथ धोकर किचन से बाहर आयी तो दरवाजे पर धोबी कपडे लिए खड़ा था। शगुन उसके पास आयी और कहा,”जी कहिये”
“इह गुड्डू भैया के कपडे लेकर आये रहय”,धोबी ने कहा
“जी मुझे दे दीजिये”,शगुन ने कहा तो धोबी तह किये हुए सब कपडे शगुन को देकर चला गया। शगुन उन्हें लेकर ऊपर चली आयी जैसे ही कमरे में आयी देखा गुड्डू जूते पहनने में व्यस्त है , शगुन ने गुड्डू पर कोई ध्यान नहीं दिया और कपडे रखने के लिए जैसे ही कबर्ड खोला उसमे भरे हुए गुड्डू के कपडे आकर शगुन पर गिरे। शगुन खुद को सम्हाल नहीं पायी और कपड़ो के साथ ही गुड्डू पर आ गिरी। गुड्डू नीचे और शगुन उसके ऊपर साथ ही गुड्डू के कपडे उन दोनों के ऊपर। शगुन और गुड्डू बस एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। गुड्डू का दिल धक् धक् करे जा रहा था और शगुन का हाथ गुड्डू के सीने पर बांयी और था जिस से वह उसकी धड़कनो को महसूस कर रही थी। कुछ देर दोनों ख़ामोशी से वैसे ही नीचे गिरे रहे और फिर गुड्डू को याद आया की उसे शगुन के करीब नहीं जाना है। उसने खुद को सम्हाला और शगुन को साइड करके उठ खड़ा हुआ। गुड्डू ने कपड़ो को उठाया और वापस उसी खाली कबर्ड में ठूसने लगा।
“ये क्या कर रहे है आप ? ऐसे रखेंगे तो वो फिर से गिरेंगे”,शगुन ने कहा
“अम्मा ने देखा तो चिल्लायेंगी हम पर ,, पहले से बहुत कपडे दे चुके है धुलने के लिए”,गुड्डू ने अपनी मज़बूरी बताई तो शगुन उसके पास आयी और उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”छोड़ दीजिये हम रख देंगे”
“नहीं हम कर लेंगे वैसे भी हमे आदत है अपना काम खुद करने की”,गुड्डू ने अपनी बड़ाई करते हुए कहा
“ऐसा है तो फिर धोकर रख दीजिये , डांट भी नहीं पड़ेगी और कपडे भी धूल जायेंगे”,कहकर शगुन वहा से चली गयी तो गुड्डू ने पैर पटकते हुए खुद से कहा,”हमाये पिताजी कम थे जो अब तुमहू भी हमे ज्ञान देकर चली गयी,,,,,,,,,,,,,,,धोकर रख दीजिये (गुड्डू ने मुंह बनाकर शगुन की नकल करते हुए कहा)
गुड्डू जैसे ही पलटा कबर्ड में ठुसे हुए एक बार फिर गुड्डू पर आ गिरे गुड्डू झुंझला उठा और उन्हें साइड करके कमरे से बाहर चला आया। नीचे रसोई में आकर शगुन ने एक ट्रे में कुछ कटोरीया रखी और उनमे खीर परोसने लगी। गुड्डू अपने बालो को सही करते हुए निचे आया। लाजो की नजर जैसे ही गुड्डू पर गयी वह मुस्कुराने लगी। लाजो को मुस्कुराते देख गुड्डू ने कहा,”का है हमे देख के काहे बतीसी दिखाई रही हो तुम ?”
लाजो ने कुछ नहीं कहा बस शरमा कर वहा से चली गयी। गुड्डू को कुछ समझ नहीं आया वह मिश्राइन के पास आया और कहां,”हमहू शोरूम जा रहे है”३
“चले जाना लेकिन पहले बहु के हाथ की बनी खीर खाकर जाओ”,मिश्राइन ने कहा
“अब इह सब का है अम्मा ? और हमे कोई खीर वीर नहीं खानी है”,गुड्डू ने कहा तो अपने कमरे से बाहर आते हुए मिश्रा जी बोल पड़े,”काहे नहीं खानी है ? बहू अपने हाथो से बनायीं है हम सबके लिए ,,, तुमहू भी खाओ ताकि दोनों के जीवन में मिठास बनी रहे”
कहते हुए मिश्रा जी की नजर जैसे ही गुड्डू के शर्ट पर गयी उनके होंठो पर मुस्कान तैर गयी और उन्होंने कहा,”बेटा इह सफेद शर्ट पहिन के कहा जाने का सोच रहे हो ?”
“शोरूम जा रहे है और सफ़ेद शर्ट पहनना मना थोड़े है”,गुड्डू ने कहा तो इतने में शगुन चली आयी मिश्रा जी आकर सोफे बैठ गये , दादी भी बाहर चली आयी और तख्ते पर बैठ गयी। शगुन ने मिश्रा जी और उनकी अम्मा को खीर की कटोरी दी और फिर मिश्राइन को ,, वेदी ने तो खुद ही अपनी कटोरी ली एक चम्मच खीर खाकर कहा,”इस से अच्छी खीर तो हमने आज तक नहीं खाई”
शगुन मुस्कुरा दी उसने वही खड़ी लाजो को भी एक कटोरी दी और आखरी कटोरी लेकर गुड्डू के सामने जा पहुँची। सुबह वाली घटना शगुन की आँखों के सामने घूम गयी , गुड्डू से नजरे चुराते हुए शगुन ने कटोरी उसकी और बढ़ा दी। गुड्डू की एक कमजोरी थी वह खाने को कभी ना नहीं कह पाता था। शगुन ने जैसे ही कटोरी गुड्डू की और बढ़ाई गुड्डू ने ले ली और खाने लगा। खीर बहुत अच्छी बनी थी। गुड्डू को खाते देखकर शगुन जैसे ही जाने को मुड़ी उसकी नजर गुड्डू के शर्ट पर गयी जिस पर होंठो की लिपस्टिक के निशान बने हुए थे। शगुन को याद आया जब कपड़ो के साथ वह नीचे गिरी थी तब ऐसा हुआ था। अब तो शगुन शर्म से लाल थी। मिश्रा जी और लाजो भी यही देखकर मुस्कुरा रहे थे। शगुन ने गुड्डू को इशारे में समझाने की कोशिश की लेकिन गुड्डू भोंदू उसे कुछ समझ नहीं आया वह उठा बाइक की चाबी ली जाकर बाइक स्टार्ट की। शगुन उसके पीछे आयी और कहा,”सुनिए”
गुड्डू जो की शगुन से बचने के लिए ही शोरूम जा रहा था रुका और कहा,”तुम्हायी बनायीं खीर हम खा चुके है इस से जियादा की उम्मीद हमसे मत करना”
बेचारी शगुन कुछ नहीं बोल पायी और गुड्डू वहा से चला गया।
गुड्डू जैसे ही बाइक लेकर नुक्कड़ पर पहुंचा गोलू मिल गया और गुड्डू की बाइक रुकवाकर पीछे बैठते हुए कहा,”अरे गुड्डू भैया हमे भी आगे छोड़ देना ना”
“ठीक है”,गुड्डू ने कहा और बाइक आगे बढ़ा दी। गोलू ने देखा गुड्डू चुप चुप है तो कहा,”का बात है भैया बड़े सुस्ताये हुए हो भाभी ने सोने नहीं दिया का ?”
“चुप करके बैठे रहो नहीं यही उतार देंगे , और साले एक ठो बात बताओ हमायी पर्सनल बाते हम तुमको काहे बताये ?”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया हमहू दोस्त है हमे नहीं बताओगे तो किसे बताओगे ? अच्छा छोडो इह सब जे बताओ हनीमून पर कहा जा रहे हो भाभी को लेकर ?”,गोलू ने थोड़ा रोमांटिक होते हुए कहा
“कही नहीं”,गुड्डू ने टका सा जवाब दिया
“काहे मिश्रा जी इतना खर्चा किये रहय दो टिकिट का खर्चा और नहीं कर सकते। जैसे गोलगप्पे के साथ सुखी पपड़ी , समोसे के साथ चटनी कम्पल्सरी है वैसे ही शादी के बाद हनीमून भी जरुरी है”,गोलू ने कहा
“हमसे ज्यादा तो तुम एक्साइटेड दिख रहे हो गोलू , तुम्ही क्यों नहीं चले जाते”,गुड्डू ने कहा
“हे हे हे का गुड्डू भैया शर्माने पर मजबूर कर रहे हो , हमहू जायेंगे ना अपनी वाली के साथ”,गोलू ने कहा
बाइक आगे चौक पर पहुंची तो गोलू ने कहा,”बस बस भैया यही रोक दो , और हां शाम को भाभी से मिलने आ रहे है घर”
“ठीक है हम चलते है”,कहकर गुड्डू ने बाइक मोड़ दी और शोरूम चला आया। बाइक को साइड में लगाकर गुड्डू जैसे ही अंदर आया सब स्टाफ उसे शादी की मुबारकबाद देने लगे। गुड्डू आक्र रिसेप्शन में बैठा और काम देखने लगा लेकिन कुछ देर बाद ही उसने देखा की सब खुसर फुसर करने में लगे है। दरअसल गुड्डू के शर्ट पर लगे लिपस्टिक के निशान से गुड्डू सबके बीच चर्चा का विषय बना हुआ था। गुड्डू उठकर बाहर आया तो सब इधर उधर हो गए और गुड्डू ने मन ही मन कहा,”पता नहीं का हो गया है सबको ? हमे ऐसे देख रहे है जैसे हम गुड्डू मिश्रा ना होकर कोई शाहरुख़ खान हो”
गुड्डू ने ऑर्डर्स की लिस्ट देखी और सामान पैक करवाने लगा। घूमते घामते गुड्डू शीशे के सामने पहुंचा। गुड्डू शीशे के सामने हो और अपने बालो में से हाथ ना घुमाये ऐसा भला हो सकता है जैसे ही गुड्डू ने अपने बालो में से हाथ घुमाया नजर अपनी शर्ट पर गयी गुड्डू शीशे के थोड़ा पास आया और देखने लगा। शर्ट पर होंठो के निशान की छाप थी गुड्डू ने दिमाग पर जोर डाला तो उसे याद आया की सुबह शगुन उसके साथ नीचे गिरी थी तब ऐसा हुआ था। गुड्डू ने उसे साफ़ करने की कोशिश की लेकिन वह निशान तो जैसे उसके पीछे ही पड़ चुका था। गुड्डू ने दुसरा शर्ट लिया और चेंज करके बाहर आ गया।
“पता नहीं किस किस ने उस लिपस्टिक के दाग को देखा होगा , क्या सोच रहे होंगे लोग हमारे बारे में ? माना के हमे नहीं पता था लेकिन शगुन,,,,,,,,,,,,,उसे तो पता था उसे तो बताना चाहिए था ना ये सब,,,,,,,,,,,,कही उसने ये सब जान बूझकर तो नहीं हमाये करीब आने के लिए,,,,,,,,,,नहीं गुड्डू वो ऐसी नहीं है देखा ना सच जानने के बाद भी कितना शांत थी उह,,,,,,,,,,,,उह सब जान बूझकर काहे करेगी ?”,गुड्डू बड़बड़ाते हुए आकर काउंटर पर बैठ गया। कुछ देर बाद गुड्डू का फोन बजा पिंकी का था , पिंकी का नंबर देखकर गुड्डू टेंशन में आ गया और फोन उठाकर कहा,”हैलो”
पिंकी – हेलो गुड्डू , कहा हो ?
गुड्डू – शोरूम आये है
पिंकी – हमे तुमसे मिलना है गुड्डू
गुड्डू – अभी ?
पिंकी – नहीं थोड़ी देर में
गुड्डू – का हुआ सब ठीक तो है ना पिंकिया ? (गुड्डू को चिंता होने लगी)
पिंकी – मिलो फिर बताते है
गुड्डू – ठीक है थोड़ी देर में मिलते है
पिंकी – जगह हम मैसेज कर देंगे
गुड्डू – ठीक है
पिंकी – ठीक है बाय
पिंकी ने फोन रख दिया गुड्डू पहले से ज्यादा परेशान हो गया एक तरफ घरवाली थी और दूसरी तरफ ये पिंकी बाहरवाली जिसने गुड्डू को अपनी उंगलियों पर नचाने का ठेका ले रखा था। खैर गुड्डू काम में लग गया , मिश्रा जी भी फरत थोड़ी देर में शोरूम चले आये। मिश्रा जी के आने के कुछ देर बाद गुड्डू बहाना बनाकर वहा से निकल गया और पिंकी की बताई जगह पर पहुंचा। एक रेस्टोरेंट जहा बहुत कम लोग आया जाया करते थे गुड्डू वहा पहुंचा। पिंकी पहले से ही वहा बैठी उसका इंतजार कर रही थी। गुड्डू आकर उसके सामने बैठा और कहा,”हां पिंकिया बताओ का बात हो गयी जो मिलने बुलाया”
“बहुत दिनों से तुम्हे देखा नहीं था ना इसलिए बुला लिया”,पिंकी ने बड़े प्यार से कहा
गुड्डू की टेंशन थोड़ी कम हुयी तो उसने कहा,”तुमहू भी कमाल करती हो ना पिंकिया ,, कितनी टेंशन में भागकर आये है हम और वैसे भी हमारा मिलना कुछ दिनों के लिए ठीक नहीं है। किसी ने हमे साथ देख लिया तो बवाल हो जाएगा”
“तुम हमसे प्यार करते हो या नहीं गुड्डू ?”,पिंकी ने गुड्डू को लगभग घूरते हुए पूछा
“करते है पिंकिया पर तुमहू समझ नहीं रही हो , अभी दुइ दिन पहिले किसी और से शादी हुई है हमायी ऐसे में तुमसे इस तरह बाहर मिलना का ठीक है ?”,गुड्डू ने कहा
“हमे कुछ नहीं पता गुड्डू तूम,,,,,,,,,,,,,,,तुम उस शगुन को घर से बाहर निकालो सबसे पहले”,पिंकी ने जलते भूनते कहा
“का कह रही हो तुम ? जे कोई सामान है जिसे घर से बाहर कर दे हम,,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकिया तुमहू हमारी परेशानी समझो हमारी शादी हुई है उनसे बिना किसी कारण हम उन्हें कैसे निकाल सकते है ?”,गुड्डू ने निराश होकर कहा
“तो कारण पैदा करो गुड्डू”,पिंकी ने एकदम से गुड्डू की आँखों में देखते हुए कहा
“हम कुछ समझे नहीं”,गुड्डू ने असमझ की स्तिथि में कहा
“हम समझाते है”,कहकर पिंकी ने गुड्डू को अपना प्लान बताया और फिर कहा,”देखना इस के बाद शगुन खुद तुम्हे छोड़कर अपने घर चली जाएगी और तुम पर कोई इल्जाम भी नहीं आएगा”
“तुम्हे लगता है इह सब चीजे काम करेगी ?”,गुड्डू ने कहा
“हाँ , पूरा यकीन है ,, अब कुछ खाने को आर्डर करे बहुत भूख लगी है”,पिंकी ने मुस्कुरा कर कहा और वेटर को बुलाकर अपने और गुड्डू के लिए पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक आर्डर की। गुड्डू परेशान सा पिंकी के सामने बैठा रहा।
थोड़ी देर बाद ही पिज़्ज़ा आया और पिंकी उस पर टूट पड़ी जैसे उसने कई दिनों से कुछ ना खाया हो। गुड्डू ने एक टुकड़ा उठाया लेकिन उस से वो भी ठीक से नहीं खाया गया। गुड्डू ने बिल पे किया और दोनों रेस्टोरेंट से बाहर चले आये। पिंकी ने सूट पहना हुआ था और साथ में कढ़ाई का दुपट्टा लगाया हुआ था। धुप होने की वजह से गुड्डू ने अपनी शर्ट से चश्मा निकाला और पिंकी के दुपट्टे से जैसे ही पोछने लगा पिंकी ने अपना दुप्पटा झटककर कहा,”का कर रहे हो गुड्डू ? पुरे 500 का दुपट्टा है इसे खराब मत करो ,, अपना चश्मा कही और जाकर साफ करो”
गुड्डू ने चश्मा वापस शर्ट में टांग लिया और बाइक स्टार्ट करके कहा,”तुमहू चलोगी साथ की जाये”
“तुम जाओ हमे मार्किट जाना है किसी काम से”,पिंकी ने कहा तो गुड्डू वहा से चला गया।
क्रमश – manmarjiyan-46
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संजना किरोड़ीवाल