Manmarjiyan – 41
Manmarjiyan – 41
शगुन ने अब तक खुद को मजबूत दिखाने की बहुत कोशिश की लेकिन अपने पापा की नम आँखों को देखकर वह खुद को रोक नहीं पायी और रो पड़ी। गुप्ता जी ने देखा तो शगुन के पास आये और उसे गले लगाते हुए कहा,”नहीं बेटा ऐसा नहीं करते तुम्हे ख़ुशी ख़ुशी अपनी नयी जिंदगी में कदम रखना है”
शगुन ने अपने आंसू पोछ लिए तो गुप्ता जी उसका हाथ थामकर कहने लगे,”हम जो कहने जा रहे है वो ध्यान से सुनो बेटा , तुम अपने ससुराल जा रही हो उस घर को अपना घर समझकर रहना , दामाद जी के माँ बाप को अपने माँ बाप समझना। कभी उनका दिल मत दुखाना ,, किसी बात पर गुस्सा आ भी जाये तो शांत रहकर उसका हल निकालना। कभी अपने घर की मान मर्यादा को कम मत करना और हमेशा उनका सम्मान करना। दामाद जी बहुत अच्छे है शगुन उनका हमेशा ख्याल रखना और हां अपना भी ,, कभी कोई ऊंच नीच हो तो समझदारी से काम लेना बस ये याद रखना की तुम्हारे पापा हमेशा तुम्हारे साथ है।” शगुन उनके गले आ लगी , गुप्ता जी ने शगुन का सर सहलाते हुए कहा,”खुश रहो बेटा” गुप्ता जी ने गुड्डू की और देखा और उसे अपने पास आने का इशारा किया। गुड्डू उनके पास चला आया तो गुप्ता जी ने शगुन का हाथ गुड्डू के हाथ में देकर कहा,”आज से शगुन की जिम्मेदारी आपकी हुई , शगुन से कभी कोई भूल चूक हो जाये तो इसे माफ़ कर देना बेटा”
कहते हुए गुप्ता जी ने गुड्डू के सामने अपने हाथ जोड़ दिए तो गुड्डू ने उनके हाथो को थामकर कहा,”इह का कर रहे है आप ? आप हमसे बड़े है इह सब अच्छा नहीं लगता”
गुप्ता जी ने अपना दिल कड़ा करके गुड्डू और शगुन को गाड़ी में बैठाया। शगुन और गुड्डू पीछे वाली सीट पर आ बैठे , मिश्रा जी के कहने पर उनके साथ वेदी भी आ बैठी। आगे सोनू और गोलू बैठ गए। मिश्रा जी ने सोनू से चलने को कहा और बाकि सभी बारातियो को भी गाड़ियों में बैठने का इशारा किया। मिश्रा जी के साथ घर के कुछ बड़े लोग रुके थे। उन्होंने गुप्ता जी के घर के बड़े लोगो को गुलाल लगाकर ख़ुशी जताई और उसके बाद विदा लेकर गाड़ी में आ बैठे। गाड़ी बनारस से रवाना हो गयी मिश्रा जी खुश थे ये सोचकर की अब गुड्डू की जिंदगी सही ट्रेक पर आ जाएगी। उन्होंने अपना सर सीट से लगा लिया और आँखे मूँद ली। गुड्डू और शगुन पास पास बैठे हुए थे , इतने दिन से गुड्डू शगुन से दूर भागता रहता था पर अब हमेशा के लिए शगुन उसके घर आ रही है सोचकर ही गुड्डू का दिल बैठा जा रहा था। शगुन चुपचाप बैठी थी , वेदी उसकी बगल में बैठी थी लेकिन रात भर जागने की वजह से उसे बहुत नींद आ रही थी इसलिए उसने सर सीट से लगा लिया और आँखे मूँद ली। शगुन की आँखो से नींद कोसो दूर थी और यही हाल गुड्डू का था। सोनू बड़े आराम से गाड़ी चला रहा था और गोलू उसकी बगल में बैठा उबासियाँ ले रहा था। गाड़ी में फैली ख़ामोशी को तोड़ने के लिए सोनू ने कहा,”यार गुड्डू तुम्हारे ससुराल वालो ने काफी खर्चा किया है शादी में , भई आज से पहले तो इतनी शानदार शादी मैंने कभी नहीं देखी”
“हां अच्छा था”,गुड्डू ने धीरे से कहा
“का बात है बे इतना सुस्त काहे हो रहे हो ? दुल्हनिया बैठी है बगल में बतियाओ यार”,सोनू भैया ने कहा
“अरे सोये नहीं है 3 रातो से सुस्ताएँगे नहीं तो और का करेंगे आप ही बताओ ,, इनसे तो जिंदगीभर बतियाना है”,गुड्डू ने इस बार शगुन की और देखकर कहा
शगुन को गुड्डू की आवाज बहुत पसंद थी साथ ही उसका इस टोन में बात करना हर बार शगुन के होंठो पर मुस्कराहट ले आता था। गोलू ने देखा तो कहा,”वैसे भाभी कुछ भी कहो शादी में भैया से ज्यादा सुन्दर लग रही थी आप , एकदम ही कंटाप ,,, कानपूर की लड़किया जल जाएगी आपकी खूबसूरती देखकर,,,,,,,,,,,,,,है ना सोनू भैया”
“”देखो गोलू ऐसा है हम है शादीशुदा प्राणी तो भैया हमको तो अब किसी और को देखने की परमिशन तक नहीं है। यही सवाल तुम गुड्डू से काहे नहीं पूछते”,सोनू भैया ने कहा
“गुड्डू भैया से का पूछना हम कह रहे है ना”,गोलू ने कहा।
सुबह हो चुकी थी गाड़ी खाली सड़क पर दौड़ते जा रही थी। सोनू गुड्डू और गोलू बातें कर रहे थे और शगुन बस बैठी उसकी बाते सुन रही थी। गाड़ी चलाते हुए सोनू भैया को शरारत सूझी और उन्होंने अचानक से गाड़ी को बांयी और मोड़ा गुड्डू जो की इत्मीनान से बैठा था शगुन में आ गिरा। दोनों की नजरे मिली और दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे। सोनू को मन ही मन बहुत हंसी भी आ रही थी लेकिन वे शांत बैठे रहे। गुड्डू शगुन से दूर हटा और कहा,”अरे सोनू भैया देख के चलाइये ना”
“सॉरी वो सामने गाड़ी आ गयी थी”,सोनू ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा। गुड्डू आराम से बैठा और थोड़ा सा खिड़की की और खिसक गया जिस से शगुन को टच ना हो। गुड्डू को अब नींद आने लगी थी उसने अपना सर खिड़की से लगा लिया और आँखे मूंद ली। शादी की रस्मो से थका गुड्डू उसे अगले ही पल नींद आ गयी। सोते हुए उसके चेहरे पर एक सुकून सा दिखाई दे रहा था। कुछ ही दूर चले थे की गाड़ी को हल्का सा ब्रेक लगने की वजह से गुड्डू का सर शगुन के कंधे से आ लगा। शगुन का दिल एकदम से धड़क उठा ऐसे सबके सामने गुड्डू उसके इतना करीब था लेकिन नींद में था। शगुन के कंधे पर सर रखते ही गुड्डू के चेहरे पर सुकून वाले भाव उभर आये और वह सोया रहा। गोलू ने देखा तो पलटकर कहा,”अरे इह गुड्डू भैया भाभी का कंधा काहे तोड़ रहे है ?”
“ये नींद में है सोने दीजिये”,शगुन ने धीरे से कहा तो सोनू मुस्कुरा दिया और शगुन से कहा,”आप भी सो जाईये रात भर जाग रही थी”
“मैं ठीक हूँ ,, पानी मिलेगा”,शगुन का गला सूखने लगा तो उसने कहा
“हां रुकिए हम देते है”,गोलू ने कहा और सामने पड़ी बोतल उठाकर शगुन को थमा दी। सोनू ने स्पीड कम कर दी जिस से शगुन पानी पि सके। शगुन ने पानी पिया और बोतल वापस गोलू की और बढ़ा दिया। सोनू ने स्पीड फिर बढ़ा दी और बहुत ही धीमी आवाज में म्यूजिक चला दिया। शगुन ने भी अपना सर पीछे सीट से लगा लिया लेकिन नींद उसकी आँखों से अभी भी दूर थी। गोलू सीट पर पसर गया और कुछ देर बाद सो गया। सोनू अपनी मस्ती में गाड़ी चलाता रहा ,, सुबह के 9 बज चुके थे और गाड़िया वाराणसी से बहुत आगे निकल चुकी थी। शगुन की नजर गुड्डू के हाथ की हथेली पर गयी जिसके बीचो बीच शगुन का नाम लिखा हुआ था। शगुन उसे देखकर मुस्कुरा दी और फिर अपने हाथ को देखा जिसमें गुड्डू का नाम लिखा हुआ था। अपने कंधे पर शगुन गुड्डू की सांसो की गर्माहट को महसूस कर रही थी। गाड़ी में वह गुड्डू से बात भी नहीं कर सकती थी क्योकि सोनू , गोलू और वेदी भी साथ ही थे। कुछ देर बाद ही सोनू को मिश्रा जी का फोन आया और उन्होंने नाश्ते-पानी के लिए गाड़ी रोकने को कहा। आगे एक किलोमीटर जाकर अच्छा ओपन रेस्टोरेंट था सोनू ने वही गाड़ी साइड में लगा दी थोड़ी देर बाद दूसरी गाड़िया भी आ पहुंची। बाकि बारातियो की बस रात में ही कानपूर के लिए निकल गयी थी। सभी गाड़ियों से नीचे उतरे और अंदर चले आये। सोनू ने सो रहे गोलू और वेदी को उठाया और नीचे उतरने को कहा। वेदी और गोलू के उतरने के बाद सोनू ने पलटकर शगुन से कहा,”आप यही बैठिये , आराम से आ जाईयेगा”
दरअसल सोनू उन दोनों को कुछ देर के लिए अकेला छोड़ना चाहता था ताकि शगुन गुड्डू से कुछ बात कर सके। गुड्डू अभी भी बेपरवाह सोया हुआ था। शगुन और गुड्डू दोनों अकेले ही थे। शगुन ने धीरे से गुड्डू के कंधे को थपथपाया तो गुड्डू ने अपनी आँखे खोली जैसे ही उसे महसूस हुआ की वह शगुन के कंधे पर सर रखकर सो रहा है गुड्डू एकदम से उठा और शगुन से दूर होकर कहा,”हम हम सो गए थे का ?”
“हम्म्म्म”,शगुन ने धीरे से कहा
“अपना सर तुम्हाये कंधे पर रखे हुए थे ?”,गुड्डू ने पूछा
“जी”,शगुन ने कहा
“अरे सॉरी उह नींद में पता नहीं चला”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
“कोई बात नहीं”,शगुन ने सहजता से कहा
“बाकि सब कहा है ? और हमे अकेला काहे छोड़कर गए है ?”,गुड्डू ने पूछा
“पापाजी ने शायद कुछ देर यहाँ रुकने के लिए कहा है , सोनू भैया और गोलू जी बाहर है”,शगुन ने कहा
“हम देखकर आते है”,गुड्डू ने कहा उसे तो वहा से निकलने का बहाना चाहिए था। गुड्डू बाहर आया और मिश्रा जी से पूछा तो उन्होंने बताया की नाश्ते पानी के लिए रुके है। गुड्डू अंगड़ाई लेता हुआ वहा से चला आया। कोट में गर्मी लगने लगी तो गुड्डू ने उसे निकाल दिया और वहा पास ही रखी कुर्सी पर रख दिया। व्हाइट शर्ट में गुड्डू बहुत क्यूट लग रहा था। मिश्रा जी ने मनोहर से कहकर नाश्ते का आर्डर दिलवा दिया और खुद अपने जीजाजी के साथ आकर बैठ गए और बातें करने लगे। गुड्डू अंगड़ाईयाँ ले रहा था जैसे ही उसकी नजर गाड़ी में सोई हुई शगुन पर चली गयी। गुड्डू एक टक शगुन को देखता रहा , धुप की हल्की रौशनी शगुन के चेहरे पर पड़ रही थी जिस से उसका चेहरा चमक रहा था। गुड्डू बस उसे देखे जा रहा था तभी मिश्रा जी ने आवाज लगायी,”गुड्डू !”
“जी पिताजी”,गुड्डू ने पलटकर कहा
“यहाँ आओ”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू उनकी और चला आया तो मिश्रा जी ने कहा,”बहु कहा है ?”
“सो रही है वो”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा तो जाकर उठाओ उन्हें , फ्रेश होने को कहो ताकि कुछ खा पि ले अभी तो काफी लंबा सफर तय करना है।”,मिश्रा जी ने कहा
“हां तो वेदी से कहिये ना उह जाके कह देगी”,गुड्डू ने कहां
“काहे शादी तुमसे हुयी है या वेदी से ? चुप करके जाओ और उनको जो चाहिए उह अवेलेबल करवाओ”,मिश्रा जी ने आदेश देते हुए कहा तो गुड्डू वहा से चला गया गुड्डू गाड़ी के पास आया लेकिन शगुन सो रही थी ऐसे में उसे कैसे उठाये ? गुड्डू ने धीरे से गाड़ी का दरवाजा खोला और शगुन के कंधे को छूकर कहा,”सुनो”
शगुन एकदम से जागी और गुड्डू की और पलटी , दोनों के चेहरे आमने सामने थे होंठो और बीच सिर्फ एक इंच का फ़ासला था। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे ,
बैकग्राउंड म्यूजिक –
“”हो चुके है हम तुम्हारे , तुम से ही है हर ख़ुशी
मिल चुका सारा जहा अब , ना रही कोई कमी
तुम जो अब साथ हो तो , और क्या चाहू भला
पा लिया है तुमको मैंने , और क्या मांगू भला
होंठ है खामोश , नजर सब कहती है
इश्क़ में जब दो रूह मिलती है
खामोशियाँ भी समझती है
इश्क़ में जब दो रूह मिलती है
ये वादियाँ , ये कारवां , भूल गए हम ये जहा
होश में अब रहे ना
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ ,,,, कैसी ये मर्जियाँ ?
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ ,,,, कैसी ये मर्जियाँ ?”””‘
गुड्डू को होश तब आया जब मिश्रा जी की आवाज उसके कानो में पड़ी , मिश्रा जी किसी को डांट रहे थे। गुड्डू गाड़ी से बाहर आया और कहा,”सब बाहर है तुमहू भी आ जाओ , फ्रेश हो लो और कुछ खाय ल्यो”
“हम्म्म”,शगुन ने कहा और अपना दुपट्टा सम्हाले गाड़ी से बाहर आ गयी। भरी भरकम लहंगा , उस पर इतनी ज्वेलरी और साथ में हाथो में चूड़ा शगुन गाड़ी से उतरी तो उस से ठीक से खड़े भी नहीं हुआ जा रहा था। गुड्डू ने देखा तो अपना हाथ शगुन की और बढ़ा दिया , शगुन ने गुड्डू हाथ थाम लिए और उसके साथ चल पड़ी। वेदी ने देखा तो शगुन की तरफ आयी और गुड्डू से कहा,”भैया भाभी को हम ले जाते है , आपको सोनू भैया बुला रहे है”
“ठीक है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन ने अपना हाथ हटा लिया और वेदी के साथ वहा से चली गयी। गुड्डू सोनू भैया के पास चला आया !
“हां सोनू भैया का कह रहे थे ?”,गुड्डू ने सोनू की बगल में बैठते हुए कहा
“का बात है गुड्डू दुल्हनिया को एक पल के लिए अकेला नहीं छोड़ा जा रहा है , सही है”,सोनू ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“अरे नहीं नहीं भैया ऐसा कुछ नहीं है उह तो लहंगा भारी था ना तो उनसे चला नहीं जा रहा था बस इसलिए”,गुड्डू ने नजरे झुकाकर कहा। सोनू मुस्कुराने लगा कुछ देर बाद गोलू आया और कहा,”अरे गुड्डू भैया एक ठो बार तुम्हारा फ़ोन दो ना , घर पे एक फोन करना है”
“काहे तुम्हारा फोन कहा है ?”,गुड्डू ने सवाल किया
“हमाये फोन की बैटरी डिस हो गयी है देइ दयो”,गोलू ने बेचारगी से कहा तो गुड्डू ने अपना फोन उसे दे दिया गोलू ने फोन लिया और जैसे ही नंबर डॉयल करने लगा गुड्डू के फोन पर किसी का फोन आया और स्क्रीन पर नाम आया “LOVE” ,, फोन साइलेंट पर था इसलिए गुड्डू को सुनाई नहीं दिया और वह सोनू भैया के साथ बातो में लगा हुआ था। गोलू ने स्क्रीन पर लव नाम देखा तो शक सीधा पिंकी पर गया। गोलू गुड्डू का फोन लेकर साइड में आया , पिंकी का फोन लगातार आ रहा था तो गोलू ने कॉल काटते हुए कहा,”तुमको तो हमहू वापस गुड्डू भैया की जिंदगी में नहीं आने देंगे पिंकिया”
गोलू ने एक बार कॉल कट किया लेकिन पिंकी ने फिर फ़ोन लगा दिया तो गोलू को गुस्सा आया और उसने पिंकी का नंबर ही ब्लेक लिस्ट में डाल दिया और हर जगह से उसे ब्लॉक कर दिया। कुछ देर बाद गोलू गुड्डू के पास आया और उसका फोन उसकी और बढाकर कहा,”इह लो भैया हो गयी बात”
“गोलू यार चाय वाय पीला दो भाई सुबह से ऐसे ही बैठे है”,गुड्डू ने कहा तो गोलू हाँ में गर्दन हिलायी और वहा से चला गया। कुछ देर बाद गोलू चाय नाश्ते के साथ वापस आया और सब टेबल पर रखा। गुड्डू ने जैसे ही चाय का कप उठाया गोलू ने टोक दिया,”अरे गुड्डू भैया इह चाय हम भाभी के लिए लाये है , तुम्हाये लिए दूसरी आ रही है”
“हां तो का फर्क पड़ता है दूसरी वाली उनको दे देना , इह हम पी लेते है”,कहते हुए गुड्डू ने एक घूंठ भरा और फिर गोलू से कहा,”यार गोलू चाय तो बहुते बढ़िया है हमाये लिए एक कप और”
“बाद में पहले हम इह चाय नाश्ता भाभी को देने जा रहे है”,कहते हुए गोलू ने नाश्ते की एक प्लेट उठायी और गाड़ी की और चला गया जहा शगुन बैठी थी। गोलू गाड़ी के पास आया और दरवाजा खोलकर शगुन से कहा,”भाभी इह लीजिये नाश्ता कीजिये ,, चाय अभी भिजवाते है थोड़ी देर में”
“उन्होंने खा लिया”,शगुन ने पूछा
“उन्होंने किन्होंने ?”,गोलू ने असमझ की स्तिथि में कहा
“गुड्डू जी ने”,शगुन के मुंह से गुड्डू जी सुनकर गोलू मुस्कुरा उठा और कहा,”अच्छा गुड्डू भैया अरे उनकी टेंशन ना लो आप गुड्डू भैया इस दुनिया सबके बिना रह सकते है लेकिन खाने के बिना नहीं,,,,,,,,,,,,,एक नंबर के भुक्कड़ है वो”
गोलू की बाते सुनकर शगुन मुस्कुरा उठी और फिर कहा,”आपने खाया ?”
“क्या क्या क्या ? फिर से पूछिए ?”,गोलू ने अपनी आँखों को बड़ा करते हुए पूछा
“मैंने पूछा आपने कुछ खाया ?”,शगुन ने कहा तो गोलू ने एक ठंडी आह भरके कहा,”आह जीवन में पहली बार हमसे किसी ने ये पूछा है , आज तक हमायी अम्मा ने नहीं पूछा ,, वैसे हमने नहीं खाया पर अभी जाकर खा लेंगे तब तक आप खाइये हम चाय भिजवाते है”
शगुन ने हां में गर्दन हिला दी तो गोलू वहा से चला गया लेकिन शगुन को चाय देना भूल गया। गुड्डू की नजर शगुन पर पड़ी तो वह उठा और चाय लेकर उसकी और बढ़ गया। शगुन चुपचाप अकेले बैठकर अपना नाश्ता कर रही थी। गुड्डू ने चाय उसकी और बढ़कर कहा,”चाय”
शगुन ने देखा चाय गुड्डू लेकर आया है तो उसे बहुत अच्छा लगा , जैसे ही उसने गुड्डू के हाथ से चाय का कप लिया गुड्डू की उंगलिया उसकी उंगलियों से छू गयी और दोनों के मन के तार झनझना उठे !
क्रमश – manmarjiyan-42
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संजना किरोड़ीवाल