Manmarjiyan – 39
Manmarjiyan – 39
गुड्डू और शगुन शादी के जोड़े में एक दूसरे के सामने थे। गुड्डू स्टेज पर खड़ा था और शगुन नीचे। शगुन के साथ प्रीति , बिंदु और घर मोहल्ले की लड़किया भी शामिल थी। शगुन से ज्यादा गुड्डू का दिल धड़क रहा था उसने सोचा नहीं था उसके साथ सब इतनी जल्दी होगा वो भी किसी और लड़की के साथ। गुड्डू को सोच में डूबा देखकर सोनू भैया ने कहा,”गुड्डू जाओ यार अपनी दुल्हन को हाथ पकड़ कर स्टेज तक लेकर आओ”
गुड्डू स्टेज से नीचे उतरा और आकर शगुन के सामने खड़ा हो गया , शगुन ने पलके उठाकर गुड्डू को देखा तो बस देखती ही रह गयी। गुड्डू बहुत प्यारा लग रहा था उस पर उसके सुर्ख लाल होंठ और चमकती आँखे शगुन को अपनी और खींचने में सफल रही। गुड्डू ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया शगुन ने जैसे ही गुड्डू का हाथ थामा गुड्डू के दिल की धड़कने बढ़ गयी। आज से पहले उसने पिंकी का हाथ ना जाने कितनी बार थामा होगा पर ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ था उसे। शगुन का हाथ थामे गुड्डू स्टेज की और बढ़ गया। जैसे ही ऊपर पहुंचे लहंगे में पैर फंसने की वजह से शगुन लड़खड़ाई लेकिन एन वक्त पर गुड्डू ने उसे अपनी बांहो में थाम लिया। शगुन तो बस गुड्डू की आँखों में ही देखते रह गयी ,, स्टेज पर खड़े गोलू मनोहर और सोनू भैया ने देखा तो सीटिया बजाने लगे। नीचे खड़ी लड़किया भी हूटिंग कर रही थी लेकिन शगुन और गुड्डू बस एक दूसरे की शक्ल देखे जा रहे थे। गुड्डू को जब अहसास हुआ तो वह शगुन से दूर हटा गोलू उसके पास आया और अपना कन्धा गुड्डू के कंधे से टकराकर कहा,”वाह वाह भाई चांस मार लिया , इह मोमेंट तो तुम्हायी शादी का सबसे यादगार मोमेंट होगा”
गुड्डू ने गोलू की बात का कोई जवाब नहीं दिया। शगुन के साथ वाली लड़किया भी ऊपर चली आयी गुड्डू और शगुन एक बार फिर आमने सामने थे वरमाला के लिए। दोनों के हाथो में खुशबूदार फूलो की वरमाला थमा दी गयी। गुड्डू का दिल अभी भी धड़क रहा था ऐसा लग रहा था जैसे अभी कोई रास्ता दिखे और गुड्डू वहा से निकल कर भाग जाये लेकिन उसके एक तरफ उसके दोस्त खड़े थे और दूसरी तरफ स्टेज से नीचे मिश्रा जी खड़े थे उन्हें देखते ही गुड्डू के भागने के सारे विचार फुर्र हो गए। केशव पंडित जी स्टेज पर चले आये और शगुन को वरमाला पहनाने को कहा। शगुन ने हाथो में पकड़ी वरमाला गुड्डू को पहना दी। सभी तालिया बजाने लगे और दोनों पर फूलों की बौछार कर दी। शगुन बस पलके झुकाये खडी थी। पंडित जी ने गुड्डू से वरमाला पहनाने को कहा। गुड्डू के हाथ काँप रहे थे उसने एक नजर शगुन को देखा और वरमाला पहना दी। एक बार फिर स्टेज तालियों से गूंज उठा और फॉलो की बौछार हुयी। गुड्डू की और खड़े गोलू की नजर तो सामने खड़ी प्रीति पर थी जिसने गुलाबी रंग का लहंगा पहना हुआ था और वह बहुत प्यारी लग रही थी। गोलू को अपनी और देखता पाकर उसने इशारो में गोलू से पूछा तो गोलू ने इशारो में ही अच्छी लग रही हो का इशारा कर दिया। प्रीति गोलू की और आयी और कहा,”थैंक्यू गोलू भैया”
भैया सुनते ही गोलू का सारा कॉन्फिडेंस धरा का धरा रह गया। गोलू ने मुंह बना लिया और वहा खड़ी बाकि लड़किया हसने लगी तो प्रीति ने कहा,”अरे गोलू भैया मुंह क्यों बना रहे हो ? आप भी गुप्ता हम भी गुप्ता तो हुए भाई बहन , क्यों जीजू है ना सही ?”
“हम्म्म !”,गुड्डू हल्का सा मुस्कुराया तो गोलू ने उसके पास आकर कहा,”यहाँ सबके सामने हमायी बेइज्जती हुई रही और तुमहू हो के इनकी हां में हां मिला रहे हो , बदल गए हो तुम”
“प्रीति को तुम में कोई इंट्रेस्ट नहीं है बाबू फिर काहे छेड़ रहे , चुपचाप खड़े रहो हमायी तरह”,गुड्डू ने भी धीरे से कहा
सोनू ने सबको साइड होने को कहा और गुड्डू शगुन सोफे पर आ बैठे। गुड्डू ने दोनों के बिच में गैप रखा जिस से वह शगुन से ना छुए लेकिन प्रीति ने देखा तो उसने गुड्डू की और बैठते हुए कहा,”अरे जीजू उधर खिसकिये ना कितनी जगह पड़ी है , मुझे आपके साथ फोटो खिचवाना है”
फोटो वाले ने जैसे ही फोटो लेना चाहा प्रीति ने गुड्डू की बांह पकड़कर थोड़ा क्लोज होते हुए कहा,”ओह्ह भैया सिर्फ मेरी और जीजू की फोटो आनी चाहिए वो भी सबसे बेस्ट वाली”
शगुन ने सूना तो मुस्कुरा दी , वो जानती थी की प्रीति बस गुड्डू को छेड़ने के लिए ये सब कर रही है। फोटोग्राफर ने कुछ क्लोज अप लिए और फिर प्रीति उठकर साइड में आ गयी। स्टेज पर शगुन की तरफ प्रीति और बिंदु बची थी और गुड्डू की तरफ सोनू , भूपेश और गोलू। आशीर्वाद समारोह शुरू हुआ सब एक एक करके दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद और तोहफे देने लगे। प्रीति ने तो गोलू का पत्ता कट कर दिया था बची बिंदु तो अब गोलू का ध्यान प्रीति को छोड़ गोलू पर था। गोलू बिंदु को देखकर कभी शर्माता तो कभी मुस्कुराता। देखते देखते वह शगुन वाली साइड आकर खड़ा हो गया और बिंदु से कहा,”आप भाभी सहेली है ?”
“हां !”,बिंदु ने कहा
“बहुत बढ़िया , वैसे आप भी आज रात यही रुकेगी ?”,गोलू ने सवाल किया
“अब शादी में आये है तो रुकना तो पडेगा ही”,बिंदु ने कहा
“ये तो और भी अच्छा है ,, गुड्डू हमारा मतलब तुम्हायी दोस्त की जिनसे शादी होने जा रही है वो हमारा जिगरी है , बचपन का दोस्त और भाभी भी तुम्हायी दोस्त है तो हमहू सोच रहे थे की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू आगे कुछ कहता इस से पहले ही बिंदु ने अपने बांये हाथ की उंगलिया गोलू के चेहरे के सामने कर दी जिनमे से तीसरी ऊँगली में पहनी डायमंड की रिंग चमचमा रही थी। गोलू समझ गया की यहाँ भी उसकी दाल नहीं गलेगी। उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर बिंदु को दया आयी और उसने कहा,”परेशान मत होईये गोलू जी कोई ना कोई मिल ही जाएगी आपको”
“हम काहे परेशान होंगे , हमारे कानपूर में लाइन लगती है हमारे लिए लड़कियों की वो तो हम ही भैया की तरह अपने शहर से बाहर की लड़की चाहते थे पर कोई नहीं”,कहकर गोलू चला गया। बिंदु गोलू की बातो पर मुस्कुरा उठी। मेहमान एक एक करके आशीर्वाद देते जा रहे थे। घंटेभर बाद समारोह ख़त्म हुआ ,, गुड्डू को लेकर उसके दोस्त स्टेज से नीचे चले आये और प्रीति और बाकि लड़किया शगुन को लेकर अंदर चली गयी। फेरो में अभी वक्त था इसलिए शगुन कमरे में बैठी थी और घर की आधे से ज्यादा औरते उसके पास !
शगुन ने व्रत रखा था और फेरो से पहले वह कुछ खा पि नहीं सकती थी उसने घडी में देखा रात के 11 बज रहे थे उसने बिंदु और बाकि सब लड़कियों से कहा की जाकर खाना खा ले। प्रीति से कहा तो उसने कहा,”नहीं दी मैं तो आपके साथ ही खाउंगी”
“प्रीति मुझे फेरो के बाद खाना है तब तक तू भूखी रहेगी क्या ? जा जाकर खा ले”,शगुन ने कहा
“दी सिर्फ आज ही तो साथ खाना है उसके बाद तो हमेशा अकेले ही खाना होगा”,कहते कहते प्रीति भावुक हो गयी। शगुन ने देखा तो उसकी आँखों में भी आंसू आ गए उसने अपना चेहरा घुमा लिया ताकि प्रीति को दिखाई ना दे। माहौल में उदासी देखकर बिंदु ने प्रीति को वहा से ले जाते हुए कहा,”तुझे नहीं खाना मत खा कम से कम मुझे तो खिला सकती है,,, चल अब”
बिंदु प्रीति को अपने साथ ले गयी। शगुन के पास भाभी बची थी बस उन्होंने शगुन को सम्हाला उसके गालो पर आये आंसुओ को पोछा और कहा,”बस शगुन दी और नहीं , आपको तो खुश होना चाहिए इतना अच्छा और सीधा लड़का आपको मिला है। फूफाजी (शगुन के पापा) को नहीं देखा आज आपने कितने खुश है ऐसे में अगर आप ऐसे कमजोर पड़ जाएगी तो उन्हें कौन सम्हालेगा ? बस अब रोना नहीं है चलिए मुस्कुराईये”
शगुन मुस्कुरा दी और भाभी का हाथ थामकर कहने लगी,”पता है भाभी बचपन से लेकर आज तक प्रीति मेंरे साथ रही है वो कभी मुझसे दूर नहीं रही। हमेशा साथ रहना , साथ खाना , हर छोटी छोटी बात शेयर करना ,, मेरे जाने के बाद वो अकेली पड़ जाएगी।”
“आप बिल्कुल परेशान मत होईये हम सब है ना यहाँ उसके साथ , और चाचीजी भी तो है”,भाभी ने कहा तो शगुन को थोड़ी हिम्मत मिली। भाभी कुछ देर उसके पास बैठी रही और फिर शगुन ने कहा,”भाभी आप भी जाकर खाना खा लीजिये”
“लेकिन आप अकेले”,भाभी ने कहा
“मैं ठीक हूँ थोड़ी देर में प्रीति और बिंदु आ जाएगी , आप जाकर खा लीजिये वैसे भी बहुत देर हो चुकी है”,शगुन ने कहा तो भाभी उसे अपना ख्याल रखने का कहकर वहा से चली गयी। पंडाल में सभी खाना खाने में लगे हुए थे , गुड्डू और उसके दोस्त भी एक टेबल के चारो और बैठे थे। वेटर उनके लिए सब चीजे गर्मागर्म रखकर जा रहा था। गुड्डू जो की खाने का बहुत शौकीन था आज पहली बार उसकी भूख मर चुकी थी। उसने कुछ नहीं खाया बस कोल्ड ड्रिंक पि रहा था। सोनू भैया , भूपेश , गोलू और मनोहर बाकि सब मिठाई और नमकीन ठूसने में लगे थे। कुछ देर बाद घूमते हुए प्रीति अपनी सहेलियों के साथ आ पहुंची और गुड्डू से कहा,”ये सही है जीजू वहा मेरी दी आपके लिए व्रत करके बैठी है और आप यहाँ खाना खा रहे हो”
“हम कहा खा रहे है हम तो पि रहे है”,गुड्डू ने कहा
“प्रीति जी आपको शायद मालूम नहीं की शादी के दिन व्रत दुल्हन रखती है दूल्हा नहीं”,सोनू भैया ने कहा
“अरे कैसे पता होगा सोनू भैया इनकी शादी थोड़ी ना हुई है”,गोलू ने पॉइंट मारा तो बाकि सब खिलखिलाकर हंस पड़े। प्रीति ने देखा सब उसकी टांग खिंच रहे है तो उसने गुड्डू की और आकर कहा,”अगर ऐसा है तो फिर मैं तो आपको अपने हाथो से खिलाऊंगी”
प्रीति ने रसगुल्ला उठाया और गुड्डू के मुंह में ठूंस दिया। बस फिर क्या था प्रीति की देखा देखी में बाकि लड़कियों ने भी गुड्डू को एक के बाद एक कभी मीठा तो कभी नमकीन खिलाना शुरू कर दिया , गुड्डू का पेट फुल हो चुका था उसने सबको साइड करके खड़े होते हुए कहा,”बस अब हम नहीं खाएंगे”
“ये क्या जीजू अभी तो कितना सारा खाना बाकि है”,प्रीति ने आँखे मिचमिचाते हुए कहा
“हम इंसान है बाकी जो बचा है उह आप खा लीजिये”,गुड्डू ने कहा तो प्रीति ने गुड्डू के दोनों गाल पकड़कर खींचते हुए कहा,”यार आप इतने क्यूट क्यों हो ?”
“अरे बस कीजिये प्रीति जी गुड्डू भैया के गाल तो पहले से इतने लाल है और लाल मत कीजिये”,गोलू ने रसगुल्ले को निचोड़ते हुए कहा तो प्रीति ने गुड्डू के गालो को छोड़ दिया और कहा,”वैसे जीजू को थोड़ा इंतजार और करना होगा , फेरे होने में अभी टाइम है तब तक जीजू बैठकर दी के सपने देख सकते है”
कहते हुए प्रीति अपनी दोस्तों के साथ वहा से आगे बढ़ गयी , चिढ़ते हुए गुड्डू उसे मारने के इरादे से उसके पीछे लपका लेकिन सोनू और मनोहर ने रोकते हुए कहा,”अरे भैया नहीं नहीं ऐसा नहीं करते यार ससुराल में हो तुम अपने”
“अबे इति जोर से गाल खींचे है हमाये ,, आज तक हमारी अम्मा ने नहीं खींचे गाल”,गुड्डू ने कहा तो सोनू भैया उसका कन्धा सहलाने लगे और कहा,”अरे भैया इकलौती साली है उह तुम्हारी इतना हक़ तो बनता है ना उसका”
“और भाई किस्मत वाले हो जो इतनी प्यारी और चुलबुली साली मिली है तुमको , वरना हमारी किस्मत में तो वो भी नहीं है”,मनोहर ने कहा
“अब गुस्सा छोडो और मुस्कुरा दो गुड्डू मिश्रा , यार शादी है आज तुम्हायी ऐसे मुंह लटका लोगे तो कैसे चलेगा ?”,सोनू भैया ने कहा तो गुड्डू फीका सा मुस्कुरा उठा। कुछ देर बाद रौशनी , वेदी और भाभी सब शगुन से मिलने घर में जा पहुंचे। गुड्डू बैठे बैठे बोर हो चुका था कुछ देर बाद वह वाशरूम का बहाना करके वहा से उठकर चला गया। घूमते घामते अमन की नजर गुड्डू पर पड़ी तो वह उसके पास चला आया और कहा,”क्या हुआ जीजाजी कुछ चाहिए आपको ?”
“अरे वो हम वाशरूम ढूंढ रहे है”,गुड्डू ने कहा
“आईये मैं बताता हूँ”,कहते हुए अमन गुड्डू को अपने साथ ले गया ,, घर में घुसते ही सब गुड्डू को देखकर नमस्ते करने लगे , कुछ बड़ो को गुड्डू भी नमस्ते करते हुए आगे बढ़ गया। अमन गुड्डू को लेकर घर के पीछे आया जहा बाथरूम था और घर का पीछे का गेट भी था। अमन ने गुड्डू से जाने को कहा। गुड्डू चला गया अमन वही खड़ा इंतजार करने लगा कुछ देर में गुप्ता जी आये और कहा,”अरे अमन बेटा तुम यहाँ ,, जाओ अंदर जाकर मेहमानो को देखो”
“लेकिन बड़े पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अमन कुछ कहता इस से पहले ही गुप्ता जी ने कहा,”अरे बेटा तुम जाओ,,,,,,,जाओ अंदर जाकर बारातियो की व्यवस्था देखो”
गुप्ता जी के कहने पर अमन गुड्डू को अकेले छोड़कर ही चला गया। गुप्ता जी ने इधर उधर देखा और तुरंत पिछले गेट के पास आये। एक घबराहट और डर उनके चेहरे से साफ़ झलक रहा था। उन्होंने दरवाजा खोला तो एक आदमी हाथ में बण्डल लिए अंदर आया और कहा,”गुप्ता जी ऐसे चोरो की तरह क्यों बुलाया ? सामने से बुला लेते”
“माफ़ करना आदर्श भाई बेटी की शादी है आज सबके सामने आपसे पैसे भला कैसे ले सकता हूँ”,गुप्ता जी हाथ जोड़ते हुए कहा
गुड्डू बाथरूम से बाहर आया लेकिन गुप्ता जी ने उसे नहीं देखा। गुड्डू ने देखा अमन वहा नहीं जैसे ही वह जाने लगा उसे पिछले गेट के पास दो परछाई दिखाई दी। गुड्डू धीरे धीरे उस और आया और कुछ दूर रूक गया जहा से गुप्ता जी उसे नहीं देख पाए ना ही आदर्श।
“गुप्ता जी पुरे 8 लाख है , आपने घर के पेपर देने की बात कही है इसलिए मैं लेकर आया हूँ ,, लेकिन आपको एक साथ इतने पैसो की जरूरत क्यों पड़ी ?”,आदर्श ने रुपयों का बंडल गुप्ता जी की और बढ़ाते हुए कहा
“शगुन की शादी जिस घर में होने जा रही है वो घर बहुत ही सम्पन्न है , ज्यादा भी नहीं तो कुछ तो दहेज़ में देना होगा ना आदर्श ,, मेरी जो जमा पूंजी थी वो सब तो शादी में लग चुकी,,,,,,,,,,,,आप किसी से इस बात का जिक्र मत कीजियेगा”,गुप्ता जी डरते हुए कहा
“लेकिन शगुन बिटिया को पता चला तो उसे दुःख होगा की उसकी शादी के लिए आपने ये घर गिरवी रख दिया है”,आदर्श ने कहा तो गुप्ता जी की आँखों में नमी उभर आयी और उन्होंने कहा,”घर तो फिर से बनाया जा सकता है आदर्श भाई , और बेटी की खुशियों के सामने ये पैसे कुछ भी नहीं है।”
“ठीक है गुप्ता जी पेपर्स लाये है आप ?”,आदर्श ने कहा
“हां हां ये रहे मैं देता हूँ”,कहकर गुप्ता जी ने अपने कोट से घर के कागजात निकाले और जैसे ही आदर्श जी की और बढ़ाये कुछ ही दूर खड़े गुड्डू ने कहा,”रुक जाईये” गुड्डू की आवाज सुनकर आदर्श जी और गुप्ता जी पलटे तो हैरान रह गए। गुप्ता जी गुड्डू की और आये और कहा,”बेटा आप यहाँ क्या कर रहे है ? आप अंदर जाईये”
गुड्डू ने गुप्ता जी की बात को अनसुना किया और आदर्श की और बढ़ गया !!
दीपावली के इस पावन अवसर पर आप सभी को मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं ,, माँ लक्ष्मी की कृपा आप सब पर बनी रहे और आप स्वस्थ रहे। “मनमर्जियाँ कहानी को दो दिन का ब्रेक दिया जा रहा है क्योकि त्यौहार है और ये दो दिन परिवार , दोस्त और रिश्तेदारों के लिए 16-11-2020 से ये कहानियो का सफर फिर शुरू हो जाएगा तब तक आप सभी भी एन्जॉय करे और पढ़ते रहे “मनमर्जियाँ”
क्रमश – manmarjiyan-40
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संजना किरोड़ीवाल