Manmarjiyan – 27
Manmarjiyan – 27
गुड्डू और शगुन को अकेला छोड़कर मिश्रा जी बाकी शोरूम के लिए निकल जाते है। शगुन और गुड्डू एक दूसरे के सामने खामोश बैठे थे। शगुन को चुप देखकर गुड्डू ने कहा,”तुम कुछ लोगी ? चाय कॉफी जूस ?”
“कॉफी ले लेंगे”,शगुन ने कहा
“ओह्ह भैया 2 कॉफी”,गुड्डू ने ऊँची आवाज में वहा काम करने वाले लड़के से कहा
एक बार फिर दोनों खामोश हो गए। शगुन ने गुड्डू के लिए खरीदा तोहफा उसकी और बढाकर कहा,”ये आपके लिए है”
“इह का है ?”,गुड्डू ने बॉक्स लेते हुए कहा
“खोलकर देख लीजिये , शायद आपको पसंद आये”,शगुन ने गुड्डू की और देखते हुए प्यार से कहा। गुड्डू ने बॉक्स खोला लाल रंग के बेलवेट के कपडे में लिपटा चांदी का कडा बहुत सुन्दर लग रहा था , जिस पर हर हर महादेव लिखा हुआ था। गुड्डू ने उसे अपने हाथ में डाला , वह गुड्डू की फिट आ गया और उसके हाथ पर लग भी अच्छा रहा था। गुड्डू ने जैसे ही वापस निकालना चाहा वह नहीं निकला , गुड्डू ने थोड़ी कोशिश की लेकिन वह कडा हाथ में फिट हो चुका था। गुड्डू को परेशान होते देखकर शगुन ने कहा,”रहने दीजिये अच्छा लग रहा है आपके हाथ में”
“हम्म्म फंस गया है ये , वैसे अच्छा है”,गुड्डू ने कहा तो शगुन मुस्कुरा दी उसे ख़ुशी थी की गुड्डू को तोहफा पसंद आया। कुछ देर बाद कॉफी आ गयी गुड्डू ने एक शगुन की और बढ़ा दी और दूसरी खुद लेकर पिने लगा। कॉफी पीते हुए शगुन ने कहा,”आपके कॉलेज का रिजल्ट आ गया ?”
शगुन की बात सुनकर गुड्डू के मुंह में कॉफी उलझ गयी और वह खांसने लगा ,,,,जिस हिसाब से गुड्डू ने पेपर दिए थे उसे यकीन था की इस जन्म में तो उसके लिए पास होना नामुमकिन है। उसने शगुन की और देखा और कहा,”नहीं अभी नहीं आया है , आने वाला है”
“बेस्ट ऑफ़ लक”,शगुन ने कहा
“थैंक्यू , कुछ और चाहिए ?”,गुड्डू बस जल्दी से जल्दी वहा से निकलना चाहता था
“नहीं”,शगुन ने कहा और कॉफी पीने लगी। शगुन के कॉफी पीते ही गुड्डू ने उठते हुए कहा,”चले !!”
“हम्म्म”,शगुन भी उठ खड़ी हुई और गुड्डू के साथ चल पड़ी। शगुन को लगा गुड्डू उस से बात करेगा लेकिन आज भी गुड्डू ने ज्यादा कुछ नहीं कहा। गुड्डू काउंटर की और आया और बिल देने लगा तो वहा बैठे आदमी ने कहा,”रहने दीजिये गुड्डू भैया बिल बाद में शोरूम भिजवा देंगे”
गुड्डू ने पैसे वापस जेब में डाले और शगुन के साथ बाहर चला आया। बाहर आकर शगुन ने देखा की मौसम काफी सुहावना हो रहा है , बारिश होने के आसार थे। गुड्डू शगुन के साथ सामने रोड पर आया और रिक्शा रुकवाकर शगुन की और देखकर बैठने का इशारा किया।
“शोरूम यहाँ से कितनी दूर है ?”,शगुन ने पूछा
“रिक्शा से 5 मिनिट और पैदल जायेंगे तो 10 मिनिट में पहुँच जायेंगे”,गुड्डू ने कहा
“पैदल चले ?”,शगुन ने कहा , वह गुड्डू के साथ थोड़ा वक्त बिताना चाहती थी साथ ही गुड्डू को और करीब से जानना चाहती थी। शगुन की बात सुनकर गुड्डू ना नहीं कह पाया और धीरे से कहा,”ठीक है चलो”
गुड्डू और शगुन साथ साथ पैदल ही चल पड़े ,शगुन सड़क की और चल रही थी और गुड्डू उस से कुछ दूरी बनाकर उसकी बगल में , मन ही मन गुड्डू मिश्रा जी को कोस रहा रहा था जिन्होंने उसे यहाँ बुलाया था। दो कदम पैदल ना चलने वाले गुड्डू को शगुन की वजह से पैदल चलना पड़ रहा था। दोनों खामोश चले जा रहे थे , की तभी एक बाइक वाला तेजी से शगुन के बिल्कुल पास से निकला तो शगुन गुड्डू की तरफ आ गयी। गुड्डू का ध्यान शगुन पर ना जाकर बाइक वाले पर गया और वह जोर से चिल्लाया,”अबे देख के चलाओ बे , का हेलीकॉप्टर बनकर जाओगे”
“मेरी गलती मैं ही सड़क किनारे चल रही हूँ”,शगुन ने खुद को सम्हालते हुए कहा
“चू,,,,,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब बेवकूफ है वो कानपूर में हर बाइक वाला अपने आपको किंग ही समझता है ,, ऐसे उड़ाते है बाइक जैसे सड़क इनके पिताजी की हो ,, एक ठो काम करो हमारे इस तरफ आ जाओ”,गुड्डू ने शगुन से कहा तो शगुन गुड्डू के बांयी और चली आयी। शगुन बनारस से होकर भी बनारस की भाषा नहीं बोलती थी उसने हमेशा हिंदी में ही बात की लेकिन गुड्डू के मुंह से कनपुरिया टोन सुनना उसे बहुत अच्छा लग रहा था। दोनों फिर चल पड़े मौसम बदलने लगा था और आसमान में बादल घिर आये ,, कुछ ही दूर चले थे की टप टप करके पानी बरसने लगा , ये बिन मौसम की बारिश देखकर गुड्डू और खीज गया लेकिन शगुन साथ में थी इसलिए अपने गुस्से को पी गया बारिश से बचने के लिए गुड्डू शगुन के साथ भागकर एक चाय की दुकान के टिन के नीचे आ खड़ा हुआ शगुन भी उसकी बगल में आ खड़ी हुयी। दोनों भीग चुके थे , शगुन अपने दुपट्टे से अपने हाथो को साफ करने लगी ,, जैसे ही उसकी नजर गुड्डू पर पड़ी जम सी गयी , गुड्डू वही बगल में खड़ा अपने बालो में हाथ घुमा रहा था , वह भी थोड़ा थोड़ा भीग गया था उसने शगुन की और देखा तो शगुन दूसरी और देखने लगी। चाय वाला गुड्डू को जानता था इसलिए कहा,”गुड्डू बेटा चाय पि हो ?”
“अरे नहीं चचा बिन मौसम की बारिश देखकर परेशान हो रहे है”,गुड्डू ने कहा
“इह है तो बिन मौसम की ही तुमहू ध्यान रखना बेटा ,, साथ में बिटिया का भी”,चायवाले ने कहा तो गुड्डू ने मन ही मन कहा,”इन्ही की वजह से तो हिया फंसे है , वरना जा रहे थे रिक्शा से”
बारिश धीरे धीरे और तेज होने लगी , पानी की फुहारे सीधा मुंह पर आ रही थी गुड्डू ने अपना हाथ अपने चेहरे के आगे कर लिया , कुछ देर बाद देखा साइड में देखा तो पाया शगुन अपने छोटे छोटे हाथो से उन फुहारों को रोकने की नाकाम कोशिश कर रही है और भीगती जा रही है। गुड्डू ने देखा तो अपना हाथ शगुन के चेहरे के सामने कर दिया और सामने देखने लगा। गुड्डू का ये नया रूप देखकर शगुन हैरान थी , गुड्डू को अपनी परवाह करते देख शगुन को अच्छा लग रहा था। वह प्यार से गुड्डू को निहारती रही। दोनों खामोश खड़े रहे , बारिश की वजह से दो चार लोग और आये और उसी टिन के नीचे खड़े होने लगे , भीड़ बढ़ने की वजह से शगुन गुड्डू के थोड़ा और करीब आ गयी ,, ये नजदीकियां शगुन को अच्छी लग रही थी। शगुन का नजदीक आना गुड्डू की बेचैनी बढ़ा रहा था , वह जैसे तैसे अपने दिल को सम्हाले खड़ा था की धक्का लगा और वह शगुन के अंदर जा गिरा। गुड्डू ने जल्दी से खुद को सम्हाला और पलटकर पास खड़े लड़के से कहा,”हमायी गोद में चढ़ोगे का ? दिखाई नहीं दे रहा लेडीज खड़ी है इधर”
“अरे तो भैया हमहू का करे बारिश इतनी तेज हो रही है और आस पास जगह भी नहीं है , थोड़ा एडजस्ट कर लीजिये ना”,लड़के ने कहा
“जाने दीजिये”,शगुन ने कहा तो गुड्डू वापस उसकी और पलट गया। शगुन के इतने करीब खड़े होकर गुड्डू को अच्छा नहीं लग रहा था। भीगने की वजह से ठंड भी लग रही थी , गुड्डू अपने दोनों हाथो को आपस में मसलने लगा , शगुन ने देखा उस वक्त वह किसी मासूम बच्चे सा दिखाई पड़ रहा था। बारिश जारी थी और गुड्डू शगुन एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे जैसे ही दोनों की नजरे मिली दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे , एक बार फिर गुड्डू को धक्का लगा और शगुन उसकी बांहो में थी , गुड्डू का दिल सामान्य से तेज धड़कने लगा और शगुन उसकी आँखों में देखती रही।
(बैकग्राउंड म्यूजिक)
आती है बहारे फूल खिलते है
इश्क़ में जब दो दिल मिलते है
ख़्वाब आँखों में कई पलते है
इश्क़ में जब दो दिल मिलते है
बेचैनिया , बेताबियाँ , है इश्क़ में गुस्ताखियाँ
दिल अब किसी की सुने ना
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ ,,,, कैसी ये मर्जियाँ ?
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ ,,,, कैसी ये मर्जियाँ ?
शगुन तो जैसे गुड्डू की आँखों में खोकर ही रह गयी। जब गुड्डू ने देखा वहा खड़े सब लोग उसे ही देख रहे है तो वह शगुन से दूर हटा। बारिश कुछ कम हो चुकी थी गुड्डू ने जेब से फोन निकाला और गोलू को फोन लगाया गोलू ने दो रिंग में ही फोन उठा लिया और कहा,”हां गुड्डू भैया कहो”
“गोलू कहां हो तुम ?”,गुड्डू ने पूछा
“यही मार्किट में है बताओ कोई काम”,गोलू ने कहा
“बाइक लेकर तुरंत मार्किट वाले चौराहे पर पहुंचो , चाय की टपरी पे”,गुड्डू ने कहा
“काहे ?”,गोलू ने पूछा
“अबे सवाल ना करो पहुंचो हिया”,गुड्डू ने गुस्से से कहा तो गोलू ने फोन काट दिया। कुछ ही देर बाद गोलू बाइक लेकर गुड्डू के सामने था। गुड्डू ने गोलू से बाइक की चाबी ली बाइक स्टार्ट की और शगुन से कहा,”बैठिये”
शगुन आकर गुड्डू के पीछे बैठ गयी लेकिन गुड्डू के कंधे पर हाथ रखे या ना रखे इस झिझक में उलझी हुयी थी। गोलू समझ गया तो उसने कहा,”अरे भाभी भैया के कंधे पर हाथ रखकर अच्छे से बैठ जाईये”
शगुन ने अपना नाजुक सा हाथ गुड्डू के कंधे पर रख दिया। एक सरसराहट गुड्डू को महसूस हुई , उसने गोलू से चलने को कहा तो गोलू ने मामले की गंभीरता समझते हुए कहा,”तुमहू चलो भाभी को लेके हम आते है”
गुड्डू शगुन को लेकर वहा से चला गया
बारिश अब रुक चुकी थी। 5 मिनिट में गुड्डू शगुन को लेकर अपने पिताजी के शोरूम पहुंचा। गुड्डू ने बाइक साइड में लगाई और शगुन को लेकर अंदर चला आया। मिश्रा जी सबके साथ अपने ऑफिस में बैठे थे गुड्डू और शगुन वहा पहुंचे तो मिश्राइन ने कहा,”तुम दोनों तो भीग गए हो”
“बाहर बारिश होय रही है तो भीगेंगे ही ना अम्मा , हम चेंज करके आते है”,गुड्डू ने कहा और जाने लगा तो मिश्रा जी ने रोक दिया और कहा,”बाहर मौसम खराब है तो कहा जाओगे ? एक ठो काम करो यही से कुछ लेकर पहन लो,,,,(वेदी की और देखकर) बिटिया तुमहू जाकर शगुन को कपडे दो बदलने के लिए”
“जी पिताजी”,कहकर वेदी शगुन और प्रीति के साथ वहा से चली गयी। गुड्डू एक बार फिर फंसकर रह गया , वह बाहर आया एक शर्ट लिया और चेंज करके रिसेप्शन पर चला आया। वेदी ने शगुन को कपडे दिए और चेंज करके आने को कहा। प्रीति ने गुड्डू को देखा तो उसकी और चली आयी और उसकी बगल में हाथ बांधकर खड़ी हो गयी।
गुड्डू अपने फोन में बिजी था तो प्रीति ने अपने कंधे से गुड्डू के कंधे को टकराते हुए कहा,”क्या बात है जीजू बारिश के मौसम में दोनों साथ साथ ,, कितना रोमांटिक पल रहा होगा ना”
गुड्डू ने प्रीति की और देखा तो प्रीति ने मुस्कुराते हुए कहा,”अरे अरे शर्माओ नहीं मुझे तो बता ही सकते हो”
“तुम्हारा ना दिमाग ख़राब है , तुम्हायी बहन से ज्यादा तो तुम्हे जल्दी है शादी की”,गुड्डू ने खीजते हुए कहा
“हाय , आप जैसा कोई मिला नहीं ना जीजू वरना तो कबका शादी कर लेती मैं , लेकिन अब आप आ गए हो ना तो मेरे लिए भी ढूंढ देना कोई अपने जैसा क्यूट सा”,प्रीति ने गुड्डू को छेड़ते हुए कहा
“हम तुमको क्यूट दिखते है ?”,गुड्डू ने प्रीति को घूरते हुए कहा
“क्यूट नहीं जीजू बहुत ज्यादा क्यूट हो आप , और मेरी दी स्वीट परफेक्ट जोड़ी है ना दोनों की (कहते हुए नजर गुड्डू के हाथ कड़े पर चली जाती है) अरे वाह क्या बात है तोहफा तोहफा तोहफा आया आया आया,,,,, दी ने दिया ना ये गिफ्ट ?”,प्रीति ने कहा
तोहफे का नाम सुनकर गुड्डू की नजर अपने हाथ पर चली गयी उसने हाथ में पहना कडा देखकर कहा,”हां , उसी ने दिया है”
“सो स्वीट ना जीजू”,प्रीति ने चहकते हुए कहा
गुड्डू ने प्रीति की और देखा उसे उसमे उस वक्त एक बच्ची नजर आयी और फिर गुड्डू वहा से चला गया। शगुन कपडे बदलकर आ चुकी थी इसलिए प्रीति भी उसके पास चली आयी। मिश्रा जी सबको साथ लेकर ऊपर फ्लोर पर आये जहा साड़ियों का कलेक्शन था। उन्होंने लड़के से शगुन के लिए शोरूम का बेस्ट कलेक्शन दिखाने को कहा। प्रीति , चाची , शगुन , मिश्राइन और वेदी बैठकर साडिया देखने लगी। मिश्रा जी विनोद जी को अपना शोरूम दिखाने लगे। गुड्डू नीचे रिसेप्शन पर ही था। प्रीति ने देखा गुड्डू वहा नहीं है तो उसने शगुन से कहा,”जीजू कहा है ?”
“वो यहाँ क्या करेंगे लड़कियों में ?”,शगुन ने साड़ी देखते हुए कहा
“सच में दी तुम ना बहुत अनरोमांटिक हो , अरे शादी के बाद जीजू की पसंद नापसद जरुरी है ना , अब गुड्डू जीजू यहाँ होंगे तभी तो बता पाएंगे ना अपनी पंसद”,प्रीति ने कहा तो मिश्राइन ने सुन लिया और वेदी से कहा,”बिटिया गुड्डू को ज़रा ऊपर बुलाओ”
“हां अम्मा बुलाते है”,कहकर वेदी वहा से चली गयी और वापस आयी तो गुड्डू को साथ लेकर आयी। गुड्डू वहा आया और मिश्राइन से कहा,”हां अम्मा काहे बुआया है ?”
“गुड्डू बैठो ना यहाँ शगुन के लिए साडिया देखने में मदद करो”,मिश्राइन ने कहा
“इनको जो लेना होगा ये ले लेंगी ना हम का बताएँगे इसमें ?”,गुड्डू ने कहा
“बैठो तुम”,मिश्राइन ने कहा तो गुड्डू शगुन के बगल में पड़ी खाली कुर्सी पर बैठ गया। साडिया दिखाने वाला लड़का गुड्डू को देखकर मुस्कुरा रहा था। मिश्राइन ने गुड्डू को जो जो साडिया दिखाई गुड्डू सबके लिए हाँ में सर हिलाता रहा। उसे असहज देखकर शगुन समझ गयी की गुड्डू को ये सब करना अच्छा नहीं लग रहा उसने धीरे से कहा,”दो मिनिट के लिए साइड में आएंगे”
गुड्डू उठकर शगुन के साथ साइड में आया तो शगुन ने कहा,”आपको वहा हम सबके बीच बैठने की जरूरत नहीं है आप नीचे जा सकते है”
“अम्मा चिल्लायेंगी”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा तो शगुन उसे देखकर मुस्कुरा दी और कहा,”कुछ नहीं कहेंगे , आपको इन सबकी आदत नहीं है शायद इसलिए वहा बैठकर असहज महसूस कर रहे थे ,, आप नीचे चले जाईये कोई पूछेगा तो तो हम कह देंगे”
गुड्डू वहा से नीचे चला गया जाते जाते उसने पलटकर शगुन को देखा और मन ही मन ही कहा,”तुमहु सच में इतनी अच्छी हो या फिर हमाये सामने अच्छी बनने का नाटक कर रही हो”
क्रमश – manmarjiyan-28
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संजना किरोड़ीवाल