Sanjana Kirodiwal

मनमर्जियाँ – 20

Manmarjiyan – 20

“मनमर्जियाँ”

By Sanjana Kirodiwal

Manmarjiyan – 20

शगुन ने जैसे ही रिश्ते के लिए हाँ कही सबके चेहरे ख़ुशी से चमक उठे सिवाय गुड्डू के , उसे लगा शगुन उसे ना कह देगी पर ना जाने शगुन को गुड्डू में ऐसा क्या दिखा की उसने तुरंत हां कह दी। पंडित जी भी आ चुके थे इसलिए गुप्ता जी ने मिश्रा जी से बात करके गुड्डू को शगुन (नारियल और मिठाई ) देना चाहा। सभी तैयार थे ,, आँगन के बीच में पाटले रखे गए जिन पर शगुन और गुड्डू आकर बैठे। गुप्ता जी ने गुड्डू को तिलक किया और नारियल 1100 रूपये के साथ शगुन उसके हाथ में थमा दिया। वही मिश्राइन ने शगुन को नारियल और मिठाई दिए साथ ही उन्होंने अपने हाथ में पहना सोने का कंगन शगुन के हाथ में पहनाते हुए कहा,”हमाये घर का रिवाज है ये कंगन घर की नयी बहू को दिया जाता है”
“लेकिन इतना भारी कंगन मैं कैसे ले सकती हूँ ?”,शगुन ने कहा
“अरे बिटिया रख लो नेग समझ कर”,मिश्रा जी ने बड़े प्यार से कहा तो शगुन ने कंगन पहन लिया। शगुन के हाथ में कंगन देखकर गुड्डू ने मन ही मन कहा,”हमायी पिंकी के हाथ में कितना अच्छा लगता इह कंगन”
गुप्ता जी और मिश्रा जी दोनों गले मिले और नए रिश्ते की शुरुआत की। शाम होने वाली थी , शगुन , प्रीति और वेदी ऊपर छत पर थी। वेदी को तो शगुन बहुत ही पंसद आयी। उसका शांत लहजा , सुलझी हुई बातें वेदी को बहुत पसंद आयी। गुड्डू नीचे बैठा था गोलू के साथ अमन भी वहा आकर बैठ गया। चाची मिश्राइन को अपना घर दिखा रही थी और बाकि गुप्ता जी , उनका भाई और मिश्रा जी पंडित जी के साथ बैठकर चाय की चुस्किया ले रहे थे।
“गोलू हम बताय रहे है हमहू इह शादी बिल्कुल नहीं करेंगे”,गुड्डू ने फुसफुसा कर गोलू से कहा
“देखो भैया तुमहू हो बलि के बकरे , और तुम्हायी रस्सी है मिश्रा जी के हाथ में ,,, तुम्हारा कटना तय है बाबू”,गोलू ने कहा
“यार तुम हमाये दोस्त हो , कुछ तो करो हमारे लिए”,गुड्डू ने मिन्नत करते हुए कहा
“करते है ना , तुमहू बस हां में गर्दन हिला देना”,कहकर गोलू मिश्रा जी के पास आया और धीरे से उनसे कुछ कहा ,, जैसे ही मिश्रा जी ने गुड्डू की और देखा गुड्डू ने हाँ में गर्दन हिला दी। मिश्रा जी ने मुस्कुरा के पंडित जी की और देखा और उन्हें कुछ कहा। दूर बैठे गुड्डू को कुछ सुनाई नहीं दिया। गोलू वापस आकर बैठा तो गुड्डू ने कहा,”ऐसा का कहे हो बे की पिताजी तुरंत मान गए ?”
“अरे भैया सब्र करो अभी देखना मेरे एक्शन का रिएक्शन”,गोलू ने चौडाते हुए कहा। कुछ देर बाद बाकि सब भी निचे जमा हो गए तो पंडित जी ने कहा,”शादी का मुहूर्त डेढ़ महीने बाद अप्रैल में है , उसके बाद कोई मुहूर्त नहीं है फिर तो सीधा दिवाली की एकादशी के बाद ही है”
“अप्रैल ठीक रहेगा क्यों गुप्ता जी ?”,मिश्रा जी ने पूछा तो गुप्ता जी ने कहा,”जैसा आपको ठीक लगे हमे कोई आपत्ति नहीं है भाईसाहब”
“क्यों मिश्राइन ठीक है ना ?”,मिश्रा जी ने पूछा तो मिश्राइन ने भी मुस्कुराते हुए हामी भर दी। गुड्डू ने सूना तो उसके तोते उड़ गए उसने गोलू की और देखा और दबे स्वर में कहा,”अबे कोनसी पट्टी पढ़ाये हो बे पिताजी को ?”
“हमहू कहे की गुड्डू भैया को जल्द से जल्द शादी करनी है”,गोलू ने कहा तो गुड्डू का माथा ठनका और उसने कहा,”अबे पगला गए हो , साले इसलिए हां करवाए थे हमसे ,, गोलू तुमहू दोस्त नहीं साले बड़के वाले दुश्मन हो हमाये”
“देखो भैया जितनी मोहब्बत हमहू तुमसे करते है ना उस से थोड़ी ज्यादा नफरत हमको पिंकिया से है। इस जन्म में तो हमहू तुम्हायी शादी पिंकिया से नहीं होने देंगे”,गोलू ने अपने मन की बात कही तो गुड्डू को गुस्सा आया लेकिन वह अंदर ही अंदर झटपटा कर रह गया। उसने फुसफुसाते हुए गोलू से कहा,”साले सांप , शकुनि , शरम नहीं आये तुम्हे ऐसा करते हुए ,,, बाहर मिलो बेटा बताते है तुमको”

गुड्डू की बात सुनकर गोलू उठकर शगुन के पास चला आया और कहा,”भाभी दुई मिनिट बात करनी है आपसे जरा साइड में आएंगे”
“साइड में क्यों सबके सामने बोलो ?”,प्रीति ने कहा
“देखो हमहू है पुरे कानपूर में इनके इकलौते देवर , थोड़ा पर्सनल है इसलिए साइड में लेकर जा रहे है”,गोलू ने कहा तो प्रीति वहा से चली गयी। गोलू शगुन के साथ साइड में आया और कहा,”गुड्डू भैया पसंद आये आपको ?”
शगुन ने इस सवाल पर गोलू की और देखा तो उसने कहा,”अरे ऐसे मत देखो बताओ”
“जी हां पसंद आये तभी तो शगुन मिला है”,शगुन ने कहा
“जे बात अब इह बताओ क्या पसंद आया उनमे ? मतलब शक्ल देख के पसंद कर लिए या फिर कुछ स्पेशल ?”,गोलू ने कहा तो शगुन ने कुछ ही दूर बैठे गुड्डू की और देखा और कहा,”शक्ल ठीक ठाक है उनकी , मैं किसी का चेहरा देखकर जज करने वालो में से नहीं हूँ। उनकी एक बात अच्छी लगी मुझे उनका दिल बहुत साफ है , वो जो मन में आता है बोल देते है। थोड़ा कम बोलते है पर अच्छा बोलते है”
गोलू ने सूना तो मन ही मन कहा,”लगता है इह गुड्डू भैया की ट्रेन को पटरी पर ला देंगी”
“क्या हुआ क्या सोचने लगे आप ?”,शगुन ने कहा
“अरे कुछो नहीं भाभी बस खुश है आप दोनों के लिए , बस जल्दी से कानपूर आ जाओ आप फिर सब ठीक हो जायेगा”,गोलू ने गुड्डू की और देखकर कहा
गुड्डू को अकेले बैठे देखकर प्रीति उसके पास चली आयी और कहा,”क्या बात है गुड्डू जी आज सगाई , डेढ़ महीने बाद शादी ,,, हाऊ लकी यू आर ना”
“पुरे कानपूर में हमाये से जियादा अनलकी कोई ना होगा इस बखत”,गुड्डू ने मन ही मन कहा। उसे चुप देखकर प्रीति ने कहा,”अरे यार अब तो बात कर लो , जीजा बनने वाले हो हमारे , और मैं आपकी साली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी साली आधी घरवाली होती है”
“हमे नहीं चाहिए”,गुड्डू ने कहा
“आप चाहो या ना चाहो मैं तो अब आपको जिंदगीभर परेशान करने वाली हूँ”,प्रीति ने कहा तो गुड्डू मन ही मन वहा से निकलने की राह देखने लगा। प्रीति कुछ देर इधर उधर की बाते करती रही और फिर कविता के बुलाने पर वहा से चली गयी। गुप्ता जी के कहने पर कविता ने सबके खाने का इंतजाम करने लगी। शाम हो चुकी थी और आसमान लालिमा लिए बहुत खूबसूरत लग रहा था।

पंडित जी ने गुप्ता जी और मिश्रा जी से गुड्डू और शगुन के साथ अस्सी घाट पर महादेव की आरती देखने को कहा। मिश्रा जी शिव भक्त थे भला कैसे मना करते ? पंडित जी के कहते ही उन्होंने हामी भर दी। गुप्ता जी ने शगुन से कपडे बदलकर आने को कहा। कुछ देर बाद चूड़ीदार पहने शगुन नीचे चली आयी। इस बार उसकी कुर्ती का रंग गुड्डू के शर्ट से मैच हो रहा था। गुप्ता जी , विनोद , शगुन और प्रीति के साथ साथ मिश्रा जी का पूरा परिवार चल पड़ा। सभी अस्सी के लिए चल पड़े , रोजाना की तरह भीड़ थी मिश्रा जी , विनोद और गुप्ता जी बाते करते हुए आगे चले जा रहे थे। वेदी , मिश्राइन और प्रीति साथ चल रही थी ,, प्रीति उन्हें वहा की खास चीजों के बारे में बता रही थी। गुड्डू , गोलू और शगुन साथ चल रहे थे। प्रीति बार बार पलटकर उन्हें देख रही थी , गोलू को लगा की वह उसे देख रही है तो गोलू मन ही मन खुश हो रहा था ,, उसकी गलतफहमी उस वक्त और बढ़ गयी जब प्रीति ने उसे अपने पास आने का इशारा किया।
“भैया लगता है तुम्हाये साथ हमारा भी बैंड बजेगा”,कहते हुए गोलू शगुन और गुड्डू को अकेले छोड़कर प्रीति के पास चला आया और शरमाते हुए कहा,”हमहू पता था तुमको भी थोड़ा थोड़ा हम पसंद आ गए है”
प्रीति ने सूना तो कहा,”ऐसा खिंच के कंटाप मारेंगे ना दिमाग की सारी नसें खुल जाएगी”
बेचारा गोलू अर्श से फर्श पर आ गिरा और कहा,”तो हमे इशारा करके काहे बुलाया ?”
“दी और जीजू कुछ देर के लिए साथ है उनके बीच कबाब में हड्डी क्यों बन रहे हो ? उन्हें साथ रहने दो तभी ना थोड़ी बातें करेंगे एक दूसरे को समझेंगे”,प्रीति ने कहा तो गोलू को बात समझ आयी और उसने हाँ में गर्दन हिला दी।
“अब खड़े खड़े बैल के जैसे मुंडी क्या हिला रहे हो ? वहा आगे जाके मरो”,प्रीति ने गोलू को खुन्नस से कहा तो गोलू आगे बढ़ गया और मिश्रा जी के साथ साथ चलने लगा। प्रीति ने पलटकर शगुन और गुड्डू को साथ चलते देखा और उनकी बलाये लेकर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गयी। शगुन और गुड्डू दोनों सबसे अंत में साथ चले आ रहे थे पर दोनों खामोश ! जैसे ही सब अस्सी घाट की सीढ़ियों पर पहुंचे बहुत ही खूबसूरत नजारा उन्हें देखने को मिला। चमचमाती लाइट में नजारा बनारसी नजर आ रहा था। निचे सीढ़ियों पर ऊँचे आसनो पर खड़े पुजारी एक सीध लाइन में , दीपक लिए एक लय में महादेव की आरती कर रहे थे। वे ध्वनि स्वर इतने मधुर थे की सीधा दिल में उतर रहे थे। सभी नीचे सीढ़ियों पर चले आये। गुड्डू और शगुन सबसे ऊपरी सीढ़ियों पर खड़े अस्सी घाट का नजारा देख रहे थे। दोनों के मन में ना जाने कितना कुछ चल रहा था जिस से दोनों अनजान थे। गुड्डू मन ही मन कह रहा था,”कहते है की तुम्हारी नगरी में आकर कोई झूठ नहीं बोलता है , हम भी नहीं बोलेंगे , हमहू इह शादी नहीं करना चाहते है महादेव फिर काहे हमे इस अनजानी डोर में बांध दिए हो। हमायी मोहब्बत वहा है कानपूर में , फिर बनारस से नाता काहे जोड़ रहे है हमारा।”
पास खड़ी शगुन गुड्डू को देखते हुए मन ही मन कह रही थी,”मैं जानती थी महादेव आप मेरी जिंदगी में जिसे भी भेजेंगे वो आप जैसा ही होगा भोला और सीधा , गुड्डू जी भी वैसे ही है निश्छल और सीधे ,,,,मैंने कभी सोचा नहीं था की जिंदगी के हमसफ़र के साथ मैं आपके दर्शन करने आउंगी। अब जब आपने ये नाता जोड़ा है तो इसे बनाये रखियेगा ! आज से पहले किसी से प्यार नहीं हुआ है पर लगता है मेरा प्यार मेरे कुमकुम से शुरू होगा !! गुड्डू जी बहुत अच्छे है इन्हे मेरी जिंदगी में लाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया”
जैसे ही गुड्डू ने शगुन की और देखा शगुन दूसरी और देखने लगी , उसका दिल धड़कने लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो। गुड्डू आगे बढ़ गया लेकिन जैसे ही कदम बढ़ाया सीढ़ियों पर पानी होने की वजह से उसका पैर फिसल गया। गुड्डू जैसे ही गिरने को हुआ शगुन ने मजबूती से उसका हाथ थाम लिया। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते रहे। शगुन ने गुड्डू को खींचा और कहा,”जिंदगी भर के लिए हाथ थामा है आपका , इतनी जल्दी गिरने नहीं देंगे”
शगुन की छुअन से गुड्डू को गैर वाला अहसास नहीं हुआ , जैसे पिंकी के सामने होने से या उसके छूने से गुड्डू को अजीब घबराहट होने लगती थी शगुन के साथ उतना ही सुकून था। शगुन का हाथ थामे वह सम्हल गया और वही खड़ा हो गया। उसे याद भी नहीं रहा की उसने शगुन का हाथ थामा हुआ है।
“मेरा हाथ !”,शगुन ने धीरे से कहा तो गुड्डू ने झेंप कर उसका हाथ छोड़ दिया और वहा से चला गया। शगुन अपना हाथ देखकर मुस्कुरा उठी और फिर वह भी नीचे चली आयी।

अस्सी घाट की आरती की बाद सभी महादेव के दर्शन करने ऊपर मंदिर चले आये। वहा गुप्ता जी ने शगुन और गुड्डू के नाम की पूजा करवाई और फिर सभी घर चले आये। वापसी की बस रात 11 बजे की थी और अभी 8 बजे थे। खाना तैयार था इसलिए गुप्ता जी ने मिश्रा जी से खाने को कहा। अंदर कमरे में सबके खाने की प्लेट लगायी गयी। खाने में मटर पनीर , दम आलू , पुलाव , दाल , चटनी , चपाती और मीठे में रसगुल्ले और गाजर का हलवा बाहर से मंगवाया गया था। गोलू ने तो जैसे ही ये सब देखा मुंह में पानी आ गया। प्रीति और शगुन सबको परोसने का काम करने लगी। मिश्रा जी , गुप्ता जी , विनोद एक तरफ बैठे थे। गुड्डू और गोलू एक तरफ उन्ही के बगल में वेदी और अमन भी बैठे थे। शगुन को दूसरी और परोसता देखकर प्रीति ने उसे मटर पनीर देकर कहा,”अरे उधर दो ना उधर पनीर नहीं है”
शगुन गुड्डू के सामने चली आयी तो गुड्डू ने और लेने से मना कर दिया हालाँकि मटर पनीर गुड्डू का फेवरेट था। ये देखकर गोलू ने कहा,”अरे भाभी भैया शरमा रहे है , आप दो ना इनको मटर पनीर इनका फेवरेट है”
गोलू की बात सुनकर गुड्डू ने उसे घुरा तब तक शगुन गुड्डू की प्लेट में मटर पनीर डालकर आगे बढ़ गयी। सबने खाना खाया और आँगन में चले आये। मिश्राइन तो बस शगुन की बलाए लिए जा रही थी। रात 10.30 बजे सभी बस स्टेण्ड के लिए निकल गए। प्रीति अमन और विनोद उन्हें छोड़ने बस स्टेण्ड तक आये थे। सभी अपनी अपनी सीटों पर आ बैठे गुड्डू गोलू से नाराज था इसलिए वेदी के साथ आ बैठा। गोलू को मिश्रा जी की बगल में बैठना पड़ा लेकिन आज मिश्रा जी गोलू पर मेहरबान थे। बस वहा से निकल गयी , प्रीति को तो घर जाने की जल्दी थी सभी घर पहुंचे। प्रीति शगुन के पास आयी जो की किचन में काम कर रही थी। प्रीति ने उसे अपनी और घुमाया और कहा,”दी आई ऍम सो हैप्पी , डेढ़ महीने बाद तेरी शादी है और तुम्हे इतना अच्छा लड़का मिला है”
शगुन ने जैसे ही डेढ़ महीना सूना उसकी आँखे नम हो गयी। प्रीति ना देख ले सोचकर वह दूसरी और पलट गयी लेकिन उसकी आँखों से आंसू बह गए। प्रीति इस बात से अनजान थी इसलिए आगे कहा,”पता है दी मैं तो आपकी शादी में ना वो लहंगे वाला ड्रेस लेकर आउंगी जो हमने मेहता जी की दुकान पर देखा था , और वो हील्स वाले सेंडल्स जो मैं कबसे लेना चाहती थी। आपकी शादी में ना मैं अपने सब दोस्तों को बुलाऊंगी , और उनके साथ खूब मस्ती करनी वाली हूँ मैं इस बार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दी आप सुन रही हो ना ? दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
कहते हुए जैसे ही प्रीति उसके सामने आयी उसकी आँखों में आंसू देखकर परेशान हो गयी और कहा,”दी क्या हुआ आप रो क्यों रही हो ? आपको ये शादी नहीं करनी,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं करनी तो आप बोलो ना मैं अभी पापा से कह देती हूँ”,कहते हुए प्रीति जैसे ही जाने लगी शगुन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और अपने आंसू पोछते हुए कहा,”ऐसा कुछ भी नहीं है प्रीति”
“तो फिर आप रो क्यों रही है ?”,प्रीति ने उसके बचे हुए आंसू पोछते हुए कहा
“ये तो ख़ुशी के आंसू है , सब इतनी जल्दी हो रहा है ,, और फिर कुछ दिन बाद तो मैं हमेशा के लिए तुम्हे और पापा को छोड़कर चली जाउंगी”,शगुन ने कहा तो इस बार प्रीति की आँखों में आंसू आ गए। ये देखकर शगुन ने कहा,”धत पागल अभी मुझे चुप करा रही थी अब खुद रो रही है ,,, अच्छा चुप हो जा पापा ने देख लिया तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा”
प्रीति शगुन के गले आ लगी और फिर अगले ही पल मुस्कुराते हुए कहा,”अच्छा ये सब छोडो , जीजू से बात की या नहीं ? किस विस हग्गी शग्गी कुछ तो हुआ होगा , बोला ना दी”
“तुझे जरा भी शर्म नहीं है , कैसी बातें कर रही है ?”,शगुन ने प्रीति को आँखे दिखाते हुए कहा
“नहीं मुझे नहीं आती , बता ना ,,, अच्छा छोड़ नंबर लिया उनका ?”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने ना में गर्दन हिला दी।
“नंबर तक नहीं लिया , मुझसे कहा होता मैं माँग लेती ,, तुम ना एक नंबर की डफ्फर हो”,प्रीति ने कहा तो शगुन ने प्यार से उसका हाथ थामकर कहा,”प्रीति सारी जिंदगी अब तो उन्ही के साथ रहना है , ये डेढ़ महीना इस इंतजार को और खूबसूरत बना देगा”
शगुन की बात सुनकर प्रीति मुस्कुरा दी

Manmarjiyan - 20
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