Manmarjiyan – 10
“मनमर्जियाँ”
By Sanjana Kirodiwal
गुड्डू बहुत खुश था उसे उसका प्यार पिंकी जो मिल चुकी थी लेकिन रौशनी इस खबर से उदास थी तो वही गोलू परेशानी में था क्योकि जितना वह गुड्डू को जानता था गुड्डू बहुत जल्दी किसी की बातो में आ जाया करता है। गोलू कुछ देर गुड्डू के पास रुका और इस कुछ देर में गुड्डू ने सिर्फ पिंकी के बारे में बात की , कुछ देर बाद गोलू अपने घर चला गया और गुड्डू वही छत पर बैठा पिंकी के सपने देखता रहा।
अगले दिन गुड्डू तैयार होकर कॉलेज के लिए जाने लगा तो नजर अपनी बाइक पर गयी। वह मिश्रा जी के सामने आया और कहा,”पिताजी बाइक ले ले का ?”
मिश्रा जी ने गुड्डू को एक नजर देखा गुड्डू को लगा पिताजी ना कह देंगे पर मिश्रा जी ने गर्दन हिलाकर हामी भर दी। गुड्डू ने ख़ुशी ख़ुशी बाइक की चाबी ली और बाइक लेकर कॉलेज के लिए निकल गया। मोड़ पर पहुंचा ही था की पिंकी मिल गयी और कहा,”गुड्डू हमे कॉलेज तक छोड़ दोगे ?”
“हां बईठो ना”,गुड्डू ने कहा तो पिंकी ने स्कार्फ से अपना मुंह बांधा और गुड्डू के पीछे आ बैठी , जैसे ही उसने अपना हाथ गुड्डू की कमर पर रखा गुड्डू के दिल के सारे तार झनझना उठे। गुड्डू ने चश्मा लगाया और आगे बढ़ गया। रास्तेभर गुड्डू बड़ी सावधानी से बाइक चलाता रहा , कभी कभी ब्रेक लगाने पर पिंकी का उस से टकराना उसे एक अलग ही ख़ुशी का अहसास करवा रहा था। बाइक ट्रेफिक में आकर रुकी , ट्रेफिक पुलिस वाला हवलदार गुड्डू को जानता था इसलिए उसके पास चला आया और उसके पीछे लड़की देखकर धीरे से कहा,”का गुड्डू मिश्रा लड़की वड़की घुमाय रहे हो आजकल , लगता है मामला सेट हुई गवा”
“अबे चुप करो , चिल्ला चिल्ला के पुरे कानपूर को बताय दयो , और तुमहू काहे इतना दिलचस्पी ले रहे जाके अपना काम करो ना”,गुड्डू ने कहा
“पार्टी तो बनती है ना मिश्रा”,हवलदार ने ट्रैफिक क्लियर करते हुए कहा
“ठीक है शाम में बनारसी चाय वाले के पास मिलो”,कहकर गुड्डू आगे बढ़ गया।
“वो हवलदार का कह रहा था तुमसे ?”,पिंकी ने सवाल किया
“अरे कुछो नहीं दोस्त है उह”,गुड्डू ने कहा
“तुम्हे देखकर तो लगता है जैसे आधा कानपूर तुम्हारा दोस्त है”,पिंकी ने कहा तो गुड्डू हंस पड़ा। कुछ देर बाद दोनों महिला कॉलेज के सामने पहुंचे और गुड्डू पिंकी को उसके कॉलेज छोड़कर अपने कॉलेज की और चला गया। पिंकी को कॉलेज छोड़ने के चक्कर में गुड्डू ये भूल गया की उसे खुद भी कॉलेज जाना था। जब तक वह कॉलेज पहुंचा राम भरोसे सर क्लास में आ चुके थे। उन्हें अंदर देखकर गुड्डू ने कहा,”अंदर आ जाये का ?”
“नहीं तुम काहे अंदर आओगे हम ही बाहिर आ जाते है मिश्रा जी हैं,,,,,,,,,,,,समय देखे हो कितना बजा है , हमको ये समझ में नहीं आता की तुम कॉलेज आते किसलिए हो जब तुमको क्लास ही नहीं लेनी होती”,रामभरोसे ने सुबह सुबह गुड्डू को सुनाना शुरू कर दिया और इस बात पर पीछे बैठे लड़के खी खीं करके हसने लगे राम भरोसे की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने गुड्डू को छोड़ा और उनकी और मुखातिब होकर कहा,”खीं खीं करके दाँत काहे फाड् रहे हो बे , ऐसा थुरेन्गे थोबड़ा बिगड़ जाएगा , और तुम गुड्डू मिश्रा अंदर आकर बइठो”
गुड्डू चुपचाप अंदर आया और उन लड़को को घूरते हुए अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया। राम भरोसे ने पढ़ाना शुरू किया लेकिन गुड्डू के तो सब सर के ऊपर से जा रहा था उसे तो बार बार पिंकी का ख्याल आ रहा था। गुड्डू बोर्ड की और देखते हुए पिंकी के बारे में सोचते हुए मुस्कुराये जा रहा था राम भरोसे की नजर जैसे ही उस पर पड़ी उन्होंने चौंक का टुकड़ा गुड्डू को मारकर कहा,”कुछ पल्ले भी पड़ रहा है या ऐसे ही ओरंगजेब बने बैठे हो , धियान कहा है तुम्हारा ?”
गुड्डू झेंप गया और किताब में देखने लगा। क्लास खत्म होने के बाद गुड्डू और गोलू बाहर आये तो गोलू ने कहा,”अबे इह राम भरोसे जब देखो तब तुम्हाये पीछे काहे पड़ा रहता है बे ? क्लास में 26 लड़के लड़किया है पर इह ससुरे को तुम्ही दिखाई देते हो ,, किसी दिन मैटर कर दे का इसका”
“अबे नहीं पगला गए हो का ? माट साहब है हमारे”,गुड्डू ने कहा
“अच्छा इह बताओ लेट काहे हुए फिर से ?”,गोलू ने चबूतरे पर बैठते हुए कहा
“अरे उह सुबह सुबह पिंकिया मिल गयी थी , उसी को कॉलेज छोड़ने के चक्कर में लेट हो गए”,गुड्डू ने भी बगल में बैठते हुए कहा
“का मिश्रा जी ने गाड़ी की चाबी वापस दे दी का तुमको ?”,गोलू ने कहा
“हां ,, आजकल पिताजी हमाये पे गुस्सा नाही करते , एक दम मक्खन हो गए है”,गुड्डू ने खुश होकर कहा
“बेटा कानपूर के मिश्रा और लौंडे का पहला प्यार कभी उसका नहीं होता बे”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने एक थप्पड़ जड़ते हुए कहा,”साले का बेटा बेटा लगे रखे हो बे ? अभी झपड़ा दिए जाओगे तब पता लगेगा पंजीरी कहा बट रही है ?,, का समझे ?”
“अरे सॉरी भैया उह फ्लो फ्लो में मुंह से निकल गवा , बाकि तो फूल इज्जत करते है हम तुम्हायी”,गोलू ने गुड्डू को मक्खन लगाते हुए कहा
“हा ठीक है हमाये पिताजी के अलावा कोई बेटा बोले हमे पसंद नहीं”,गुड्डू ने कहा तो गोलू मुस्कुरा दिया। दोनों वही बैठे आते जाते स्टूडेंट्स को देखते रहे और फिर एकदम से गुड्डू ने कहा,”यार गोलू इस पढाई में ना अब मन नहीं लगता हमारा , हम कुछो और करना चाहते है लाइफ में , हमाये सपने कुछ और है”
“का तुम्हाये सपने ?”,गोलू ने पूछा
“जब पुरे होंगे तब बता देंगे”,गुड्डू ने कहा
“अरे भैया बताओ ना का सपना है तुम्हारा ?”,गोलू ने जिद करके कहा
“अबे काहे मरे जा रहे हो बे , जी दिन पूरा होई है पूरा कानपूर देखी है तुमहू भी देख लियो”,गुड्डू ने कहा तभी उसका फोन बजा और पिंकिया का नंबर देखकर गुड्डू वह से उठकर चला गया। गोलू अकेले ही बैठा रहा और मन ही मन कहा,”साला हमायी जिंदगी में भी कोई लड़की आये तो हम भी बिजी हो , गुड्डू भैया तो निकल लिए”
कॉलेज खत्म होने बाद गुड्डू पार्किंग से अपनी बाइक निकालने लगा तो गोलू ने पीछे बैठते हुए कहा,”भैया यार हमे भी ले चलो ना”
“अरे हम शोरूम जा रहे है”,गुड्डू ने कहा
“हां तो हमहू भी ले चलो”,गोलू ने कहा
“ठीक है चलो”,कहकर गुड्डू वहा से मार्किट की और निकल गया। बाइक खड़ी करके गुड्डू गोलू को लेकर अंदर आया तो शोरूम में काम करने वाले लड़के ने कहा,”दादा चाची ने तुम्हाये लिए खाना भिजवाया है वहां ऑफिस में रखा है”
गुड्डू गोलू को साथ लेकर अंदर चला गया , दोनों ने खाना खाया और फिर आकर रिशेप्शन पर बैठ गए। गुड्डू नए ऑर्डर्स के काम में लग गया और गोलू अपने फोन में। गुड्डू शोरूम के काम में होशियार था लेकिन ऐसे कामो में उसका मन नहीं लगता था। मिश्रा जी के डर से वह सिर्फ इस काम को कर रहा था हालांकि गुड्डु का जो सपना था वह तो गुड्डु ही जानता था उसने आज तक किसी से ये बात नही कही गोलू से भी नही । गुड्डु हिसाब किताब में लगा था कि तभी पिंकी का मैसेज आया,”कहा हो गुड्डु ?”
“शोरूम पर है बताओ कोई काम था ?”,गुड्डु ने मैसेज किया
“नही बस ऐसे ही पूछ रहे रहे”,पिंकी का फिर मैसेज आया
“अच्छा खाना खाया ?”,गुड्डु ने पूछा
“कहा आज घर मे खाना बना ही नही मम्मी बाहर गयी है और हमे बनाना नही आता अभी कॉलेज से आये हैं”,पिंकी का मैसेज आया
“ओह्ह”,गुड्डु ने मेसेज किया
“गुड्डु एक काम करो ना हम बाहर नही जा पाएंगे हमाये लिए खाने को कुछ आर्डर कर दो , पेट मे चूहे कूद रहे है”,पिंकी ने मैसेज किया
“ठीक है हमहु करते है इन्तजाम”,गुड्डु ने मैसेज करके फोन जेब मे डाला और शोरूम से बाहर निकल गया । बगल में ही पिज़्ज़ा कॉर्नर था गुड्डु ने एक बड़ा सा पिज़्ज़ा आर्डर किया और साथ ही कोल्ड ड्रिंक भी । सब लेकर गुड्डु वापस आया और अपनी बाइक की चाबी गोलू को देकर कहा,”गोलू इह सामान ना पिंकिया के घर दे आओ”
“काहे ?”,गोलू ने सवाल किया
“अबे जितना कहे है उतना करो , चलो जाओ और जल्दी आना हमको अशोक नगर जाना है”,,गुड्डु ने बैठते हुए कहा
“ठीक है”,कहकर गोलू निकल गया , बैग बाइक के हैंडल पर लटकाया ओर चल पड़ा पिंकिया के घर की ओर , रास्ते मे गोलू सोचने लगा,”इह गुड्डु भैया भी ना पगला गए है उसके प्यार में , का का भेजा जा रहा है और हमको बना दिये है साला पोस्टमेन ,, पिंकिया तेरी तो ऐश है बेटा गुड्डु भैया के राज में , का सही टेम पर एंट्री मारी हो तुम”
गोलू को पिंकी कुछ ख़ास पसन्द नही थी उसके लालच से गोलू अनजान नही था पर गुड्डु की खुशी के लिए उसने इसे नियति मान लिया ये सब सोचते हुए गोलू पिंकी के घर के सामने पहुंचा तो देखा पिंकी गेट पर ही खड़ी है उसने जल्दी से गोलू से बैग लिया और अंदर चली गयी । गोलू ने बाइक घुमाई ओर वापस शोरूम चला आया चाबी गुड्डु को थमाकर खुद सुस्ताने लगा और फिर कहा,”हमे 10 के गोलगप्पे खिलाने में तुम्हायी फटती है उह पिंकिया के लिए 320 का खर्चा , लौंडिया दोस्ती से बड़ी हो गई गुड्डु भैया”
“अरे चीरे काहे जले पड़े हो शाम को चल रहे है ना अशोक नगर वहां बनारसी चाय पिलायेंगे तुमको , का समझे ?”
“अरे भैया उह चाय की तो बात ही ना पूछो , इतना जबर टेस्ट है ना का बताए , वैसे भी काफी दिन हो गए उधर नही गए”,गोलू चाय के नाम से ही खुश हो गया
शाम को मिश्रा जी के आने के बाद गोलू ओर गुड्डु वहां से निकल गए । दोनो अशोक नगर
पहुँचे गोलू ने देखा ट्रैफिक वाला हवलदार पहले से वहां है तो गुड्डु ने आकर चाय और समोसे ऑडर किये और कहा,”बैठो !”
“अरे यार यहां जगह जगह कमला पसन्द थूके पड़ी है , हमहू ना बैठे”,गोलू ने कहा और दूसरी तरफ जाकर बैठ गया
गुड्डु अपने दोस्त से बतियाने लगा । ये कहने में कोई हैरानी नही होगी कि गुड्डु के अधिकतर दोस्त या तो उम्र में उस से बड़े होते थे या उस से छोटे , चाय आयी सभी चाय पीने लगे साथ मे समोसे का आनंद भी उठाने लगे अभी गुड्डु ने आधी चाय ही पी थी की उसका फोन बजा
“हेलो हा पिंकिया”,गुड्डु ने कहा
“गुड्डु अभी के अभी आकर नुक्कड़ पर मिलो”,पिंकी ने गुस्से से कहा
“अरे हुआ का वो तो बताओ ?”,गुड्डु ने कहा
“मैंने कहा ना गुड्डु आकर नुक्कड़ पर मिलो”,कहकर पिंकी ने फोन काट दिया
गुड्डु ने चाय का ग्लास रखा और बाइक पर बैठते हुये हवालदार से कहा,”यार एक ठो इमरजेंसी है , मिलते है बाद में”
“ओर हम ?”,गोलू ने कहा तो गुड्डु ने बाइक स्टार्ट करके कहा,”अरे तुमहू समोसे खाओ ना , ओर इनको कम्पनी दो हम मिलते है कल”
गोलू समझ गया गुड्डु को इतनी जल्दी क्यो थीं वह अपना समोसा खाने लगा गुड्डु चला गया तो हवालदार गोलू के पास आया और कहा,”का बात है बे इतनी जल्दी में कहा गया है मिश्रा ?”
“इश्क़ का चक्कर है बे तुम नही समझोगे”,गोलू ने समोसे पर लाल चटनी उड़ेलते हुए कहा
गुड्डु नुक्कड़ पर पहुंचा तो देखा पिंकी गुस्से में खड़ी है । गुड्डु उसके पास आया और कहा,”का बात है पिंकी पिज्जा अच्छा नही था का ?”,
पिंकी ने गुड्डु का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर बगल वाली संकरी गली में लाकर कहा,”पिज़्ज़ा गया भाड़ में हमें बहुत गुस्सा आ रहा है”
“हुआ का इह तो बताओ”,गुड्डु ने कहा
“उह रुपाली समझती क्या है खुद को ? दिल्ली से उसकी बहन ने ड्रेस भेजा है तबसे पहन के इतरा रही है और कहती है कानपुर की लड़कियों की औकात नही वैसा ड्रेस पहनने की , मुझे उसके जैसा ड्रेस चाहिए गुड्डु , उस से भी अच्छा”,पिंकी ने गुस्से से कहा
“इतनी सी बात के लिए इतना परेसान काहे हो रही हो ? दिखाओ कैसा ड्रेस है हम मंगवा देंगे ? और इतना गुस्सा ना तुम्हाये लिए सही नही है”,गुड्डु ने कहा तो पिंकी उसके थोड़ा पास आई और कहा,”हमे वो ड्रेस कल ही चाहिए गुड्डु , अगर नही मिली तो हमसे बात मत करना” कहकर पिंकी चली गयी ।
“अरे पिंकिया बात तो सुनो”,गुड्डु ने कहा लेकिन तब तक पिंकी जा चुकी थी । गुड्डु के सामने एक नई समस्या थी उसने पिंकी से ड्रेस का फोटो मंगवाया ओर घर आ गया । रात के खाने के बाद गुड्डु ने गोलू को चौराहे पर आने को कहा और दोनों पहुंचे “नवरत्न टेलर” के घर
नवरत्न कानपुर के प्रसिद्ध टेलर था उसकी सिलाई के चर्चे दूर दूर तक थे बस एक ही कमी थी कि 40 का होने को आया था लेकिन अभी तक कंवारा था । गुड्डु ने आकर उसके घर का गेट खटखटाया । जैसे ही नवरत्न ने दरवाजा खोला गुड्डु ओर गोलू दोनो अंदर आ गए । गुड्डु ने थैले से कपड़ा निकालकर सिलाई मशीन पर रखा और फ़ोटो दिखाकर कहा,”सुबह से पहिले इह ड्रेस हमको चाहिए”
“पगला गए हो का ? इतनी रात में सिलाई हम ना करी है”,टेलर ने गुस्सा होकर कहा
गुड्डु ने कट्टा निकालकर टेबल पर रखते हुए कहा,”सिलाई तो तुमको करनी पड़ी है नवरत्न बाबू , कैसे करोगे इह तुम तय कर ल्यो”
“अरे भैया इह कहा से उठा लाये ?”,गोलू ने जैसे ही कहा गुड्डु ने उसे चुप रहने का इशारा किया । नवरत्न तो कट्टे को देखकर ही घबरा गया और ओर तुरन्त सिलाई मशीन के पास बैठकर कहा,”नाप कहा है ?”
“नाप में का का चाही बताओ हम बताते है”,गुड्डु ने पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए कहा गोलू को तो गुड्डु का ये नया रूप कुछ समझ मे नही आ रहा था वह बस खामोशी से सब देख रहा था ।
टेलर ने जो जो पूछा गुड्डु बताता गया और फिर वही बैठकर उस से सिलाई करवाने लगा । सिलाई करते करते रात के 2 बज चुके थे , गोलू तो वही बैठे बैठे सो गया । नवरत्न भी थक चुके था उसने उठते हुए कहा,”गुड्डु भैया बस इह चार बटन लगाने बाकी है , इह बाद में लगा देंगे अभी बदन टूट रहा है हमारा”
“अरे उह हम लगा देंगे , देओ इधर”,कहकर गुड्डु ने ड्रेस ओर बटन लिए ओर फिर पास पड़े ग्लास का पानी गोलू के मुंह पर फेंका । गोलू हड़बड़ा कर उठ बैठा तो गुड्डु ने कहा,”गोलू अंदर जाओ और दो गर्मागर्म चाय हमाये ओर भैया के लिए”
गोलू उठा और जाने लगा तो उसकी नजर गुड्डु पर पड़ी जो कि ड्रेस के बटन लगा रहा था गोलू ने कहा,”भैया इह काम होने वाली भाभी तुम्हाये लिए करती तो ज्यादा खूबसूरत लगती”
“अरे करेगी ना पिंकिया देखना”,गुड्डु ने कहा तो गोलू चला गया कुछ देर बाद चाय लेकर आया तीनो ने चाय पी ओर नवरत्न मारे नींद के वही सो गया । गुड्डु ओर गोलू की भी हिम्मत नही थी घर जाने की वे दोनों भी वही निढाल हो गये । सुबह उठे तो नवरत्न ने कट्टा उठाया और गुड्डु पर तानते हुए कहा,”का समझे कि हम डरपोक है , रातभर बहुते परेसान किये हो तुम हमको अब बताते है”
गुड्डु हसने लगा और कहा,”चच्चा पहिले इह तो देख ल्यो की इह कट्टा असली है कि नकली”
“क्या मतलब ?”,नवरत्न ने बंदूक को देखते हुए कहा तो गुड्डु ने जल्दी से ड्रेस उठाकर गोलू की ओर फेंक के कहा,”गोलुआ निकल ल्यो”
नवरत्न समझ पाता इस से पहले गुड्डु ओर गोलू बाहर भाग गए । गुड्डु ने चाबी गोलू को दी और कहा,”बाइक स्टार्ट करो हम आते है”
गुड्डु वापस अंदर आया और नवरत्न को गले लगाकर कहा,”थेँक्यु चच्चा तुम्हायी वजह से मोहब्बत बच जाए हमाई , यह लो तुम्हायी मेहनत (500 का नोट जेब मे डाल देता है) और हा कट्टा अपने बच्चों को खेलने के लिए दे देना”
कहकर गुड्डु वापस भाग गया । नवरत्न कट्टा गोलू के पीछे फेंककर जोर से चिल्लाया,”हमारा ब्याह नही हुआ है नालायको”
क्रमश – मनमर्जियाँ – 11
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संजना किरोड़ीवाल