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Main Teri Heer Season 5 – 81

Main Teri Heer Season 5 – 81

Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

वंश मुन्ना की बाइक लेकर मुरारी के घर से निकल गया। बाहर ठण्ड होने की वजह से मुन्ना ने उसे अपनी जैकेट दे दी जिसे वंश ने पहन लिया। वंश हँसते गुनगुनाते  चला जा रहा था। वंश के जाने के बाद मुन्ना अपनी स्टडी टेबल की तरफ आया और अपना लेपटॉप ऑन किया। कुछ जरुरी फाइल देखने के बाद मुन्ना ने लेपटॉप बंद कर दिया और अपने कबर्ड की तरफ चला आया उसने ड्रावर खोला और एक बहुत ही प्यारा सा बॉक्स निकाला। मुन्ना ने उसे खोला तो  उसमे चाँदी की बहुत ही भारी और सुन्दर पायल रखी थी।

मुन्ना ने उन्हें छूआ और बुदबुदाया,”ये तोहफा हमने तुम्हारे लिए पसंद किया है गौरी , हम जानते है तुम्हे पायल बहुत पसंद है गौरी लेकिन ये पायल तुम्हे और भी पसंद आएगी जब शादी के बाद हम तुम्हे ये अपने हाथो से पहनाएंगे,,,,,,पुरे बनारस की 20 दुकानें छानने के बाद हमे तुम्हारे लिए ये पायल पसंद आयी,,,,,,,हमे उम्मीद है ये तुम्हे पसंद आएगा”


मुन्ना ने डिब्बा बंद किया और वापस ड्रावर में रख दिया तभी मुन्ना की नजर अपने कबर्ड के उसी कोने पर पड़ी जहा उस दिन मुन्ना के हाथ कुछ लगा था और मुन्ना उसे वहा से निकालते निकालते रह गया था। मुन्ना ने जल्दी से कपडे साइड किये और कोने में दबी उस चीज को निकाला जो कि एक ब्रासलेट था।
मुन्ना उसे लेकर बिस्तर की तरफ आया और उसे देखते हुए बड़बड़ाया,”ये तो जेंट्स ब्रासलेट है लेकिन ये हमारे कबर्ड में कैसे आया ? ना ये हमारा है ना ही वंश का फिर ये किसका हो सकता है ? हमारे और वंश के अलावा हमारे कमरे में कोई बाहरवाला आ ही नहीं सकता फिर ये ब्रासलेट,,,,,,,,,,!!

घर के पीछे वाली खाली जगह में राजन अपनी जीप के बोनट पर बैठा था और बाकि सब लड़के आस पास सामने जमीन पर खड़े थे। भूषण राजन के बगल में ही खड़ा था और ख़ामोशी से राजन और बाकि सबको देख रहा था। भूषण एक बार फिर राजन का राइट हैंड और उसका खास बन चुका था और इसी बात की भूषण को ख़ुशी थी।

राजन ने जेब से कट्टा निकाला और उसमे गोलिया भरते हुए कहा,”आज मुन्ना का काम तमाम कर ही देते है , उसके घर में शादी की शहनईया नहीं बल्कि मातम का रोना गूंजेगा,,,,,,,,उसकी वजह से हमने बहुत तकलीफ सही है और आज उन सब तकलीफ का बदला हम उस से लेंगे,,,,,,,,!!”
“राजन भैया ! आप काहे अपने हाथ गंदे कर रहे है , हमे दीजिये ना मुन्ना का काम तमाम हम कर देंगे,,,,,,,,,वैसे भी हमरा बदला भी अभी बाकी है ओह्ह के साथ , जे कट्टे मा भरी छ की छ गोलिया मुन्ना के सीने मा उतार देंगे तब जाके मिली है हमाये कलेजे को ठंडक”,भूषण ने कहा


राजन ने सुना तो मुस्कुरा कर भूषण को देखा और कट्टा उसकी तरफ बढाकर कहा,”ल्यो भूषणवा कर ल्यो अपनी तमन्ना पूरी उतार दयो मुन्ना को मौत के घाट , ओह्ह के बाद मुरारी के घर मानेगा मातम और हमाये घर बजेगी शहनाई , का समझे ?”
“शहनाई ?”,भूषण ने पूछा


राजन बोनट से नीचे कूदा और भूषण के सामने आकर हाथ झाड़ते हुए कहा,”पूजा जी को भूल गए का भूषणवा ?”
भूषण को अभी भी कुछ समझ नहीं आया तो वह राजन का मुंह ताकने लगा। राजन ने भूषण के कंधे पर अपना हाथ रखा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”जे सब नाटक हो सकता है पर पूजा जी के लिए हमायी भावनाये नाही , शादी तो हमहू पूजा से ही करेंगे भूषणवा ,, मुन्ना को ठिकाने लगाकर तुमहू भी अपने कोट पेंट का नाप दे आओ”


भूषण ने सुना तो ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठी। उसने हामी में गर्दन हिलायी और कट्टा पेंट में छुपाकर वहा से चला गया

 एक एक करके बाकी सब भी वहा से चले गए तभी दिवार के पीछे छुपा रमेश बाहर निकला और वहा से दूसरी तरफ चला गया। रमेश जो कि राजन और भूषण को छोड़कर अब मुन्ना की तरफ हो गया था वह इन दिनों अक्सर मुन्ना के लिए वफादारी दिखाते मिल जाया करता था। रमेश वहा से निकलकर सड़क किनारे आया और पैदल चलते चलते मुन्ना को फोन लगाया

अपने कमरे में खड़ा मुन्ना हाथ में पकडे उस ब्रासलेट को देखे जा रहा था कि तभी उसका फोन बजा मुन्ना टेबल की तरफ आया उसने अपना फोन उठाया तो स्क्रीन पर रमेश का नंबर देखकर मुन्ना को थोड़ी हैरानी हुई और वह बड़बड़ाया,”ये रमेश इतनी रात में हमे फोन क्यों कर रहा है ?”
मुन्ना ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से रमेश की आवाज आयी,”हेलो ! हेलो मुन्ना भैया , आप कहा है ?”
“हम अपने घर में है रमेश बताओ क्या बात है और तुम इतना परेशान क्यों हो ?”,रमेश की घबराहट देखकर मुन्ना ने पूछा


“वो सब हम आपको बाद में बताएँगे पहले हमारी बात ध्यान से सुनिए,,,,,,,,आप घर से बाहर मत निकलिएगा , आप घर में ही रहिएगा आपकी जान को ख़तरा है मुन्ना भैया,,,,,,,,,,,!!”,रमेश ने सड़क पर चलते हुए जल्दी जल्दी कहा
“हमारी जान को खतरा है , लेकिन किस से और तुम इस वक्त हो कहा ?”,मुन्ना ने चिंतित स्वर में पूछा
“हाँ मुन्ना भैया आपकी जान को खतरा है। उह्ह दिन पार्टी हॉउस मा आप पर गोली भूषण ने नहीं चलाई बल्कि,,,,,,,,,,,,,,!!”,रमेश इतना ही कह पाया कि तभी सामने खड़े राजन से टकराकर रुक गया और आगे के शब्द उसके गले में ही अटक गए।


राजन ने रमेश के हाथ से फोन लिया और अपने कान से लगाया तो दूसरे तरफ से मुन्ना की आवाज आयी,”हेलो हेलो रमेश , रमेश तुम ठीक तो हो ना ? हेलो हेलो”
मुन्ना बोलता ही रह गया लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला मिलता भी कैसे उसका फोन तो राजन के हाथ में था। रमेश ने राजन को देखा और डरते डरते कहा,”राजन भैया जे आप ठीक नाही कर रहे , मुन्ना भैया ने आपका कुछो नहीं बिगाड़ा है , उन्हें कुछ मत कीजिये उह्ह बहुत अच्छे है”

राजन ने सुना तो हाथ में पकडे फोन को रमेश के मुंह पर दे मारा , रमेश एक ही वार में बेहोश होकर नीचे जा गिरा। राजन ने हाथ में पकडे फोन को जमीन पर फेंकने के लिए जैसे ही अपना हाथ उठाया उसकी नजर अपने हाथ की कलाई पर पड़ी जिसमे उसका ब्रासलेट नहीं था। राजन ने इधर उधर देखा लेकिन नीचे उसका ब्रासलेट कही नहीं गिरा था। राजन के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये , राजन को याद ही नहीं था कि उसका ब्रासलेट कही गिर गया था या उसने उतार कर घर में रखा।

राजन ने रमेश को पैर लगाकर देखा तो पाया वह बेहोश है उसने सामने से आते अपने लड़को से कहा,”ए लेकर जाओ इसे और ध्यान रहे ये भाग ना जाए मुन्ना के बाद इसका हिसाब किताब ही करेंगे”
“ठीक है भैया”,लड़को ने कहा और रमेश को वहा से लेकर चले गए। राजन भी वहा से घर के लिए निकल गया।

रमेश के फोन के बाद मुन्ना का मन बेचैनी से घिर गया , रमेश उसे आखिर कौनसा सच बताना चाहता था ? मुन्ना ने रमेश का नंबर डॉयल किया लेकिन उसका नंबर आउट ऑफ़ नेटवर्क आ रहा था। मुन्ना ने फोन रखा और बिस्तर पर आ बैठा उसने ब्रासलेट को ध्यान से देखा और याद करने की कोशिश की। मुन्ना ने अपने दिमाग पर जोर डाला तो उसे एकदम से राजन का हाथ याद आया जब उसने एक बार काशी पर हाथ डाला था और उसी हाथ को मुन्ना ने पकड़कर उसे पीटा था।

राजन का हाथ याद आते ही मुन्ना की आँखों के सामने सारे पल एक एक करके आने लगे और इसके साथ ही उसके चेहरे के भाव भी बदलते रहे। मुन्ना को राजन की यादास्त के बाद के पल याद आने लगे , उसका मुन्ना से दोस्ती करना , मुन्ना की जान बचाना , मुन्ना के लिए परवाह दिखाना , भूषण के खिलाफ जाना , सब मुन्ना को याद आ रहे थे और इसी के साथ मुन्ना को समझ आ रहा था कि राजन बदला नहीं था बल्कि ये सब राजन का प्लान था मुन्ना को अपने जाल में फ़साने का ,

ये सब याद आते ही मुन्ना को पार्टी हॉउस वाली सुबह याद आयी जब राजन ने अंदर आने से मना कर दिया था और उसी दिन उस पर गोली चली थी। मुन्ना की आँखों के सामने अब सब साफ साफ़ नजर आ रहा था।
मुन्ना एकदम से बिस्तर से उठा और बड़बड़ाया,”हम इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकते है ? हम राजन पर भरोसा करके उसे अपना दोस्त मानने की गलती कैसे कर सकते है ?

पापा और वंश ने सही कहा था राजन दोस्ती के लायक नहीं है फिर भी हमने उस पर भरोसा करके उसे अपना दोस्त समझने की भूल की,,,,,,,,,,वह हमे मारना चाहता है , अगर वो हमसे बदला लेना चाहता है तो वो , तो वो हमारे घरवालों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। हमसे बदला लेने के लिए उसने इतना इंतजार क्यों किया ? क्या वो कुछ बड़ा सोच रहा है ? कही हमारे साथ वो गौरी और वंश को नुक्सान,,,,,,,,,,,,,नहीं हमे राजन से मिलना होगा , हमे सच जानना होगा आखिर वो ये सब क्यों कर रहा है ?”

राजन से मिलने का फैसला करके मुन्ना जैसे ही जाने को हुआ उसके दिमाग में वंश का ख्याल आया और उसने वापस आकर बिस्तर पर पड़ा अपना फोन उठाया और वंश का नंबर डॉयल किया लेकिन वंश का नंबर भी आउट ऑफ़ रीच था। मुन्ना को समझ नहीं आ रहा था क्या करे ? वह बिस्तर पर आ बैठा उसने उस ब्रासलेट को जेब में रख लिया और कबर्ड से दुसरा जैकेट निकालकर पहनने लगा।

उसे किसी भी हालत में वंश सही सलामत चाहिए था। घर में हंसी ख़ुशी का माहौल था और ये सब बताकर वह सबको परेशान करना नहीं चाहता था इसलिए चुपचाप अकेला ही घर से बाहर आकर गाड़ी की तरफ बढ़ गया।

हँसते गाते वंश अपनी बाइक लिए आगे बढ़ रहा था कि तभी एक मोटा सा डंडा आकर उसकी छाती पर लगा और वंश की बाइक का बैलेंस बिगड़ गया। बाइक नीचे आ गिरी और साथ ही वंश भी , वह सड़क पर बाइक साथ घसीटते हुए बहुत दूर तक गया। एकदम से अंधेर से 2-4 लड़के निकलकर आये जिनके हाथो में मोटे डंडे थे। वंश ने उठने की कोशिश की लेकिन उसके हाथ पर लगी थी और उसका एक पैर बाइक के नीचे था जिसे वंश हिला भी नहीं पाया।

छाती पर लगी मार से उसे बेहद दर्द भी हो रहा था साथ ही गिरने की वजह से ललाट पर भी छोटी सी चोट आयी जिस से खून निकल आया। वंश खुद को सम्हाल पाता इस से पहले ही लड़के उसके पास आ पहुंचे जिनमे भूषण भी शामिल था। लड़को ने जैसे ही वंश को मारने के लिए डंडे उठाये सहसा ही भूषण की नजर वंश पर पड़ी और वह चिल्लाया,”ए रुक जाओ ! जे मुन्ना नहीं है वंश्वा है”


लड़के रुक गए लेकिन तब तक वंश की हिम्मत जवाब दे चुकी थी वह निढाल होकर गिर पड़ा। भूषण को लगा वंश मर गया है तो उसने हाथ में पकड़ा डंडा फेंका और सबसे वहा से चलने का इशारा किया। सभी भूषण के साथ वहा से चले गए।

रात का समय सुनसान रास्ता उस पर खाली सड़क पर वंश निढाल पड़ा था। अचानक गिरने की वजह से वंश कुछ देर के लिए बेहोश हो गया था। उसकी मदद करने वाला वहा कोई नहीं था। भूषण और लड़को ने मुन्ना समझकर  गलती से वंश पर वार कर दिया था और वंश अब इस हालत में था। बिजली कड़की और बारिश की कुछ बुँदे वंश पर आकर गिरी जिस से वंश को थोड़ा होश आया। उसके एक हाथ में बहुत दर्द हो रहा था और दुसरा नीचे दबा था। वंश ने चोट लगे हाथ से ही अपना फोन निकाला देखा उसकी स्क्रीन टूट चुकी थी लेकिन फोन अभी चालू था।

वंश ने मुन्ना का नंबर डॉयल किया और दर्द से तड़पते हुए फोन कान से लगाया। मुन्ना उस वक्त वंश से मिलने ही आ रहा था , वैसे ही जीप की तरफ बढ़ा उसका फोन बजा मुन्ना ने स्क्रीन पर वंश का नाम देखकर जल्दी से फोन उठाया और घबराहट भरे स्वर में कहा ,”हेलो वंश तुम कहा हो ?”
वंश इस वक्त बहुत दर्द में था उसने मुश्किल से कहा,”भैया,,,,,,,,,,!!”


वंश के मुंह से पहली बार अपने लिए भैया सुनकर मुन्ना का दिल धड़क उठा , उसके चेहरे पर दर्द उभर आया और आँखों में नमी , कुछ देर पहले ही मुन्ना ने वंश से कहा था कि वह जब भी मुन्ना को भैया कहकर पुकारेगा मुन्ना चाहे कही भी हो उसके लिए तुरंत आएगा। मुन्ना कुछ पल के लिए जैसे बर्फ हो गया था उसके कानों में बस वंश कहा शब्द भैया गूंज रहा था जिसमे सिर्फ दर्द था।


मुन्ना की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”वंश वंश तुम कहा हो ? हमे बताओ हम वहा पहुँचते है तुम तुम ठीक हो ना ?”
वंश ने मुन्ना को जगह बताई और एक बार फिर निढाल होकर गिर पड़ा , इस बार गिरने से उसका फोन भी बंद हो चुका था।

मुन्ना ने जल्दी से फोन जेब में रखा जीप में आकर बैठा और तुरंत वहा से निकल गया। दूर खड़े मुरारी ने देखा तो बड़बड़ाया,”जे मुन्ना इतनी जल्दी में कहा गया है ? उह्ह भी अकेले”  
मुन्ना जितनी तेज जीप चला सकता था उसने चलाई और 20 मिनिट का रास्ता 7 मिनिट में तय कर वह उस जगह पहुंचा जहा वंश था। मुन्ना जीप से उतरा और भागकर वंश की तरफ गया , मुन्ना ने उसकी नब्ज चेक की तो पता चला उसकी सांसे अभी चल रही है वह बस बेहोश हुआ था।

मुन्ना ने वंश पर गिरी बाइक को उठाकर साइड किया और वंश को गोद में उठाकर जीप की तरफ आया। यू तो मुन्ना बहुत मजबूत और साहसी था लेकिन वंश को इस हाल में देखकर उसका दिल रेल के इंजन की भाति धड़क रहा था। वह वंश को किसी तकलीफ़ में नहीं देख सकता था।

उसने वंश को जीप में अपने बगल वाली सीट पर बैठाया और तुरंत वहा से निकल गया। जीप चलाते हुए मुन्ना बार बार वंश को देख रहा था , उसने जब वंश के ललाट से खून बहते देखा तो अपना एक हाथ उसके ललाट पर रखकर खून रोका और दूसरे हाथ से स्टेयरिंग सम्हाल लिया।
“काश हमने वंश को अपने पास ही रोक लिया होता उसे जाने ही ना दिया होता तो उसके साथ ये सब नहीं होता। उन लोगो ने मुन्ना समझकर इस पर वार किया है वंश से भला राजन की क्या दुश्मनी हो सकती है ?

उसे दुश्मनी निभानी थी तो हम से निभाता ,, घर से जाते वक्त कितना खुश था वंश हमने सोचा भी नहीं था दोबारा जब इस से मिलेंगे तो इस हाल में मिलेंगे,,,,,,,,,,सब हमारी वजह से हुआ , हमसे दुश्मनी निकालने के लिए राजन ने वंश को निशाना बनाया ,, लेकिन आज पहली बार इसने हमे भैया कहकर पुकारा , भैया , ये एक शब्द इसके मुंह से सुनने के लिए हम कितना तरस गए थे,,,,,,,,,,,,तुम चिंता मत करो वंश तुम्हारा भाई तुम्हे कुछ नहीं होने देगा,,,,,,,,हम बस हॉस्पिटल पहुँचने वाले है,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना गाड़ी चलाते हुए खुद से ही बाते किये जा रहा था।

मुन्ना वंश को लेकर हॉस्पिटल पहुंचा। डॉक्टर ने उसे तुरंत एमर्जेन्सी में शिफ्ट किया और इलाज शुरू कर दिया। मुन्ना से उन्होंने बाहर ही रुकने को कहा और खुद अंदर चले गए। मुन्ना बेंच पर आ बैठा उसके हाथ काँप रहे थे , चेहरे पर दर्द के भाव थे और आँखों में नमी थी , वह बार बार अपने नीचे होंठ को दाँतो तले दबाता और एमेर्जेंसी के बंद दरवाजे को देखता। उसका दिल जोरो से धड़क रहा था , वंश सिर्फ उसका भाई नहीं बल्कि उसके लिए सबकुछ था , वह अपनी एक गलती की वजह से वंश को खोना नहीं चाहता था।

डॉक्टर ने वंश का इलाज किया लेकिन वंश को अभी तक होश नहीं आया था डॉक्टर नर्स से उसे आराम करने देने का कहकर वहा से चले गए। बाहर आकर डॉक्टर मुन्ना से मिला और उसे वंश के ठीक होने की बात कही तो मुन्ना की जान में जान आयी। उसने डॉक्टर के जाने के बाद आँखों में आयी नमी को साफ किया और बेंच पर आ बैठा। अंदर जाकर वंश से मिलने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। रातभर मुन्ना बाहर बैठा रहा , ना उसकी आँखों में नींद थी ना ही उसके मन को चैन वह बेचैनी से बस विचारो में उलझा रहा।

सुबह होते होते उसने मुरारी और शिवम् को वंश के बारे मे बता दिया। घर में  इतने मेहमान थे
इसलिए शिवम् और मुरारी ने इस बारे में किसी को नहीं बताया सारिका से भी झूठ कह दिया कि वंश रात में मुन्ना के साथ ही रुक गया उसके घर। शिवम् और मुरारी जैसे ही हॉस्पिटल पहुंचे मुन्ना ने उन्हें सच न बताकर वंश की बाइक स्लिप होने के बारे में बताया और जाने लगा तो मुरारी ने कहा,”तुम कहा जा रहे हो ?”
“हमे कुछ जरुरी काम है हम अभी आते है”,मुन्ना ने बिना पलटे कहा और वहा से चला गया

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संजना किरोड़ीवाल 

Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal
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