Main Teri Heer – 14
मुन्ना अपने घर चला आया , वह इस वक्त बहुत परेशान था और उसका किसी से बात करने का मन नहीं था। मुन्ना ने ना खाना खाया ना ही किसी से बात की सीधा अपने कमरे में चला आया। बाथरूम में आकर उसने शॉवर चालू कर दिया और उसके नीचे आकर खड़ा हो गया। ठंडा पानी उस पर गिरा तो उसे थोड़ी राहत महसूस हुई। मुन्ना ने अपनी आँखे मूँद ली उसकी आँखों के सामने काशी के साथ हुए हादसे वाले पल आने लगे। उनके बारे में सोचते ही मुन्ना को एक सिहरन सी महसूस हुई , आज अगर वह वक्त पर नहीं पहुंचता तो काशी के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!! मुन्ना काफी देर तक शॉवर के नीचे खड़ा भीगता रहा इस वक्त उसका मन काफी भारी था और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
“मुन्ना , मुन्ना,,,,,,,,,,,,,,,बेटा तुम बाथरूम में हो क्या ?”,अनु की आवाज मुन्ना के कानों में पड़ी। मुन्ना ने शॉवर बंद किया और कपडे बदलकर बाहर चला आया। उसके बाल गीले थे और उनसे पानी टपक रहा था। अनु मुन्ना के लिए खाना लेकर आयी थी , उसने मुन्ना को जब देखा तो खाने की प्लेट टेबल पर रखी और बिस्तर पर रखा टॉवल उठाकर मुन्ना का सर पोछते हुए कहा,”तुम्हारा सर गीला है लो इसे पोछ लो”
“माँ ये खाना ले जाईये हमे भूख नहीं है”,मुन्ना ने कहा
“तुमने सुबह से कुछ नहीं खाया है थोड़ा सा खा लो बेटा , मैं समझ सकती हूँ आज जो कुछ हुआ उसके बाद तुम्हे भूख नहीं लगेगी लेकिन फिर भी थोड़ा सा खा लो”,अनु ने प्यार से मुन्ना का गाल छूकर कहा
मुन्ना इस वक्त इतने दर्द में था की उसका दिल किया आगे बढ़कर अनु को गले लगा ले लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया , मुन्ना जानता था अगर वह ऐसा करेगा तो कमजोर पड़ जाएगा। उसने अनु को देखा और कहा,”पापा घर आ गए ?”
“नहीं वो शिवम् जीजू के पास ही रुक गए , इतना बड़ा हादसा हो गया काशी के साथ मुझे तो सोचकर ही गुस्सा आ रहा है”,अनु ने कहा
“माँ सब ठीक है धीरे धीरे सब इसे भूल जायेंगे , आप जाकर सो जाईये”,मुन्ना ने कहा
“हम्म्म तुम खाना खा लेना और कुछ चाहिए हो तो किशना से कह देना वो नीचे ही है”,अनु ने कहा और दरवाजे की ओर बढ़ गयी। चलते चलते अनु रुकी और पलटकर कहा,”मुन्ना !”
“हाँ माँ”,मुन्ना ने बुझे स्वर में कहा
“तुम ठीक हो ना बेटा ?”,अनु ने मुन्ना के उदास चेहरे की ओर देखते हुए पूछा
“हाँ माँ हम ठीक है , आप परेशान मत होईये”,मुन्ना ने कहा तो अनु वहा से चली गयी। आज पहली बार अनु ने मुन्ना को इतना उदास देखा था। बचपन में मुन्ना बहुत शैतान था लेकिन जैसे जैसे बड़ा हुआ समझदारी के साथ साथ उसका बचपना भी खत्म हो गया और उसकी जगह ले ली गंभीरता ने। अनु नीचे चली आयी। मुन्ना ने कमरे का दरवाजा बंद किया , उसकी नजर खाने की प्लेट पर चली गयी उसने कुर्सी खिसकाई और आकर प्लेट के सामने बैठ गया। मुन्ना एकटक खाने को देखता रहा। गौरी के ख्यालों ने उसे फिर घेर लिया। जैसे ही उसने एक निवाला तोड़ा गौरी की कही बात उसे याद आ गयी
“ए हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है ना ?”,गौरी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुन्ना को घूरते हुए पूछा
“तो ?”,मुन्ना ने हैरानी से कहा
“तो तुम मुझे अपने हाथ से खिलाओ ना , जैसे दूसरे लोग खिला रहे है। मेरी मॉम कहती है इस से प्यार बढ़ता है”,गौरी ने मुस्कुरा कर कहा और मुन्ना के हाथ में पकड़ा निवाला खुद ही खा लिया और फिर हँसते हुए कहा,”तुम्हे कुछ नहीं पता , लगता है मुझे ही सब सीखाना होगा”
मुन्ना को जैसे ही वो पल याद आया मुन्ना की आँखों में ठहरे आँसू की बूँद उसके हाथ पर आ गिरी। मुन्ना को अपने गले में चुभन का अहसास होने लगा। उसने अपनी गर्दन पीछे झुका ली और आँखे मूँद ली। गौरी के ख्यालो से खुद को बचाना उसके लिए दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा था। मुन्ना ने आपने आँसू पोछे और फिर बेमन से खाना खाने लगा। वह जानता था की वह जो भी कर रहा है गलत कर रहा है लेकिन उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं था। वह ऐसे दो राहे पर खड़ा था जहा उसे वंश और गौरी में से किसी एक को चुनना था और ये मुन्ना की जिंदगी में अब तक का सबसे मुश्किल फैसला था।
आधा खाना खाकर मुन्ना उठा , हाथ धोये और फिर अपने स्टडी टेबल के सामने आकर बैठ गया। मुन्ना ने अपना लेपटॉप ऑन किया और काम करने लगा। रातभर मुन्ना काम में लगा रहा उसे जो चाहिए था वो उसे नहीं मिल रहा था और यही बात मुन्ना को परेशान कर रही थी। रात से सुबह हो गयी लेकिन मुन्ना की आँखों में नींद नहीं थी ना उसका काम हुआ। सूरज की किरणे खिड़की से आकर जब उसके चेहरे पर पड़ने लगी तो मुन्ना ने लेपटॉप बंद किया और आकर बिस्तर पर लेट गया। मुन्ना का दिमाग उलझा हुआ था , उसे समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करे और इन सब चीजों को कैसे सुलझाए ? मुन्ना इस बारे में सोच ही रहा था की तभी किशना ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया और कहा,”मुन्ना भैया दरवाजा खोलिये आपके लिए फोन है ?”
मुन्ना उठा और दरवाजा खोला तो किशना ने हाथ में पकड़ा फोन उसकी तरफ बढ़ा दिया। मुन्ना ने फोन लिया और कान से लगाते हुए कहा,”हेलो”
“तेरा फोन फिर बंद आ रहा है , मुन्ना तू कर क्या रहा है ?”,दूसरी तरफ से वंश ने कहा
“वो हमारा फोन कल पानी में गिर गया था , पूरी तरह खराब हो चुका है। तुम बताओ फोन क्यों किया है ? काशी ठीक है ना ?”,मुन्ना ने पूछा
“काशी ठीक है , अभी सो रही है। पापा ने तुम्हे घर बुलाया है तो तुम आ जाओ थोड़ी देर में”,वंश ने कहा
“हम्म्म ठीक है हम आते है”,मुन्ना ने कहा और फोन काटकर किशना की तरफ बढ़ा दिया। किशना फोन लेकर नीचे चला गया। मुन्ना ने कपडे बदले और कमरे से निकल गया। नीचे आकर मुन्ना जैसे ही जाने लगा अनु ने कहा,”मुन्ना मैंने नाश्ता लगा दिया है आओ आकर नाश्ता कर लो फिर मुझे सारिका दी के घर जाना है !”
“माँ हमे भूख नहीं है”,कहकर मुन्ना निकल गया
“क्या हो गया है इस लड़के को कल से ये काफी बदला बदला नजर आ रहा है”,अनु ने कहा
मुन्ना शिवम् के घर पहुंचा। इंस्पेक्टर किशोर भी वहा अपनी टीम के साथ आया हुआ था। सभी बाहर लॉन में ही जमा थे मुरारी और शिवम भी मौजूद थे। मुन्ना को देखते ही मुरारी ने उसे आने का इशारा किया। मुन्ना सबके बीच चला आया। किशोर ने मुन्ना को देखा तो शिवम से कहने लगा,”राजन सिंह अभी हॉस्पिटल में है और बुरी खबर है ये है की,,,,,,,,,,,,,,,,!!
“का निपट गए उह ?,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने बीच में किशोर की बात काटते हुए पूछा तो शिवम् उसकी तरफ देखने लगा मुरारी की आगे बोलने की हिम्मत नहीं हुई और उसने किशोर से आगे बताने का इशारा किया। किशोर ने एक बार फिर शिवम् की तरफ देखा और कहने लगा,”बुरी खबर ये है की सर पर गहरी चोट लगने की वजह से वो कोमा में चला गया , कब होश में आएगा कुछ कह नहीं सकते। राजन के आदमियों का कहना है की मुन्ना ने उसे मारा है , ऐसे में मामला मुन्ना के खिलाफ भी दर्ज होता है”
“मतलब कोई आकर हमारी बहन को छेड़े और हम चुप रहे , मुन्ना ने तो सिर्फ मारा है मैं होता ना ज़िंदा जमीन में गाड़ देता”,वंश ने गुस्से से कहा
“वंश बीच में मत बोलो”,शिवम् ने कहा तो वंश अपने दोनों हाथो को बांधकर खड़ा हो गया।
मुन्ना ने किशोर की तरफ देखा और कहा,”सर राजन को हमने पीटा ये बयान उसी के आदमी ने दिया है , इसका क्या सबूत है की वो हमारी मार की वजह से कोमा में गया है। देखिये सर आप कानून जानते है जब तक राजन का बयान नोट नहीं होता हम पर किसी तरह के चार्जेज नहीं लगेंगे। राजन और उसके आदमियों ने हमारी बहन को अगवा किया और उसे चोट पहुँचाने की कोशिश भी की है अगर आपको चार्जेज लगाने है तो उन पर लगाइये”
“आई केन अंडरस्टैंड फिलहाल जब तक राजन को होश नहीं आ जाता तुम पर किसी तरह के चार्जेज नहीं लगेंगे बस जब तक उन सबके खिलाफ चार्जशीट तैयार नहीं हो जाती तुम ये शहर छोड़कर नहीं जाओगे”,किशोर ने मुन्ना की तरफ देखकर कहा तो मुन्ना ने हामी भर दी।
“इंस्पेक्टर उन सबको छोड़ दो”,शिवम् ने कहा
“जे का कह रहे हो शिवम भैया ? अरे उह लोग हमरी काशी को अगवा कर लिए और आप कह रहे है की छोड़ दो,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंस्पेक्टर चार्जशीट तैयार करो उन ससुरो के खिलाफ और 3rd डिग्री टॉर्चर दो उनको,,,,,,,,,,,,,लड़की उठाने का अंजाम का होता है समझाओ उनको”,मुरारी ने कहा
“मुरारी शांत हो जाओ , इंस्पेक्टर देखो जे हमारा और राजन का आपसी मामला है इसे हम थाने में घसीटना नहीं चाहते है , इसलिए राजन और उसके आदमियों के खिलाफ कोई केस नहीं बनेगा , ना ही किसी तरह की शिकायत दर्ज होगी,,,,,,,,,,,,,,,छोड़ दो उन्हें”
मुन्ना ख़ामोशी से सब सुन रहा था वह समझ नहीं पाया की आखिर शिवम् ने ऐसा फैसला क्यों लिया ? क्या इसके पीछे कुछ बड़ा होने वाला था या फिर सच में शिवम् इस मामले को शांति से निपटाने वाला था। किशोर ने सूना तो उसने भी हामी में गर्दन हिला दी वह जानता था की शिवम् कोई भी फैसला ऐसे ही नहीं लेगा जरूर इसके पीछे कोई ठोस वजह होगी। किशोर अपनी टीम के साथ वापस चला गया। वंश को अपने पापा का फैसला अच्छा नहीं लगा इसलिए वह वहा से चला गया। मुन्ना वही खड़ा रहा , मुरारी को पहली बार शिवम् की बात पसंद नहीं आयी तो उसने उखड़े स्वर में कहा,”जे का किया भैया उस प्रताप को अच्छा सबक मिल रहा था और आप सब खत्म कर दिए ऐसा काहे किये भैया ?”
“मुरारी मामला हमारी बेटी का है , अगर ये कोर्ट कचहरी में जाएगा तो इस से हमारे पुरे परिवार को परेशानी होगी। ये लोग बयान के नाम पर काशी को सवाल पूछ पूछ कर तंग करेंगे और हम नहीं चाहते ऐसा कुछ हो। ये तो सच है ना की मुन्ना की मार की वजह से ही राजन कोमा में गया है ऐसे में अगर इस पर अटेम्प्ट टू मर्डर का केस बना जाये तो क्या होगा ? सोचा है कभी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना की पढाई अभी अभी पूरी हुई है ऐसे में उस पर ऐसा कोई दाग लगने नहीं दे सकते हम इसलिए हमने इसंपेक्टर से कहा की वो उन्हें छोड़ दे। हम प्रताप से मिलकर उस से बात करेंगे , वो यही चाहता है ना की हम उसके सामने झुक जाये,,,,,,,,,,,,,,,,तो हम झुक जायेंगे मुरारी लेकिन हमारी वजह से हमारे तीनो बच्चो ( वंश मुन्ना काशी ) को तकलीफ हो ये हम नहीं बर्दास्त कर पाएंगे।”
कहते हुए शिवम् ने मुन्ना की तरफ देखा और आगे कहने लगा,”कल हमारे इस बड़े बेटे ने हमसे बहुत ही बदतमीजी से बात की लेकिन उन बातो ने हमे ये अहसास दिलाया की हम गलत है ,, अपनी दुश्मनी के चलते हम इन सबकी जिंदगी और इन सबका भविष्य खतरे में नहीं डाल सकते”
“हम माफ़ी चाहते है बड़े पापा , हमे आपसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी”,मुन्ना ने अपनी गर्दन झुकाकर कहा
“नहीं मुन्ना तुम्हे माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है , प्रताप से दुश्मनी हमने शुरू की अब इसे खत्म भी हम ही करेंगे”,शिवम् ने मुन्ना से कहा और फिर मुरारी की तरफ देखकर कहा,”प्रताप से मीटिंग फिक्स करवाओ”
“जी भैया”,मुरारी ने कहा तो शिवम् वहा से चला गया। मुरारी मुन्ना के पास आया और कहा,”तुम्हरा गुस्सा तो वंश से भी ज्यादा तेज निकला मुन्ना , रजनवा को का मारे हो ससुरा उठ नहीं रहा है,,,,,,,,,,,,,,,और ना ही उठे तो अच्छा है , वैसे तुम चिंता ना करो हम करते है कुछो जुगाड़”
“हमे अपनी चिंता नहीं है पापा , और हमारी चिंता का हल आपके पास भी नहीं मिलेगा क्योकि हमारी चिंता आप लोग है”,कहकर मुन्ना चला
“जे का बोल इह लड़का सब सर के ऊपर से गया है”,मुरारी ने कहा और चला गया
शिवम् के कहने पर मुरारी ने प्रताप के साथ मीटिंग फिक्स की। अपने बेटे के कोमा में जाने के बाद प्रताप पहले ही बौखलाया हुआ था। उसने अपने आदमियों को बुला लिया और तय किया की आज वह शिवम् और मुरारी का किस्सा ही खत्म कर देगा। दोपहर बाद शिवम् , मुरारी और उनके कुछ आदमी मीटिंग वाली जगह पहुंचे। एक टेबल के इर्द गिर्द 3 कुर्सियां पड़ी थी। प्रताप वहा पहले से बैठा था और गुस्से से उसका चेहरा तमतमा रहा था , दूसरी कुर्सी पर शिवम् और तीसरी पर मुरारी आकर बैठ गया। प्रताप ने दोनों को खा जाने वाली नजरो से देखा तो मुरारी ने कहा,”ए प्रतापवा जियादा आँखे ना दिखाओ वरना नोच लेंगे , तुम्हरे बेटे ने जो नीच हरकत की है उसके बाद भी उह ज़िंदा है इह बात का अहसान मानो तुम”
“तुम्हरे बेटे ने हमरे रजनवा को इतना मारा की उह कोमा में चला गवा और तुम हो के हमको ही अकड़ दिखा रहे हो मुरारी”,प्रताप ने गुस्से से कहा
“हमारी बात ध्यान से सुनो प्रताप , हम यहाँ किसी तरह का झगड़ा करने नहीं आये है। सालो से हमारे और तुम्हारे बीच ये दुश्मनी चली आ रही है जिसका खामियाजा हमेशा हम दोनों के परिवार ने भुगता है। हमारी दुश्मनी आज हमारे बेटो के बीच भी पनपने लगी है और इस बात का हमे बहुत खेद है। हम इस दुश्मनी को खत्म करना चाहते है प्रताप,,,,,,,,,,,,,,हम नहीं चाहते भविष्य में हमारे बच्चे इस दुश्मनी को कायम रखे।”
“जे बात तुम इसलिए कह रहे हो क्योकि अब तुम्हे डर लग रहा है कही हम तुम्हरे बेटे को ना मार दे”,प्रताप ने गुस्से की आग
“ए भैया ऐ तुम्हरा भेजा का घुटनो में है ? साला जे कह रहे है दुश्मनी खत्म करनी है और तुमहू हो के मरने मारने की बात कर रहे हो,,,,,,,,,,,,,,एक्को बात याद रखो तुम्हरा एक बेटा है जिसके दिमाग में भूसा भरा है ,, हमने पहले ही कहा था की हमरी काशी से दूर रहे लेकिन नहीं उह नहीं माने और हमरे मुन्ना जो है उह उनको पेल दिए अब उह उठेंगे की नहीं इह बात की कोनो गारंटी नहीं है। शिवम् भैया नहीं चाहते की इह सब आगे चले इसलिए तुमसे सुलह करने आये है लेकिन तुम हो के सर पे ही चढ़े जा रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,मुरारी ने कहा
“मुन्ना ने जो किया उसके लिए हम माफ़ी मांगते है प्रताप , तुम्हारे बेटे के इलाज में जो खर्चा आएगा उसकी जिम्मेदारी भी हमारी , आगे से वंश और मुन्ना तुम्हरे बेटे से दूर रहेंगे इसकी भी हम गारंटी देते है अब तुम बताओ तुम का चाहते हो ?”,शिवम् ने शांत भाव से कहा
“अरे चाहना क्या है चचा हुकुम करो अभी निपटा देते है सालो को”,प्रताप के पीछे खड़े भूषण ने मुरारी के बगल में आकर कहा। मुरारी अपनी जगह से उठा और एक थप्पड़ खींचकर भूषण को रसीद करते हुए कहा,”हमको निपटाने का ना सोचो बेटा सस्ते में निपट जाओगे , और थोड़ा तमीज में विधायक है यहाँ के तुम्हरी अम्मा के भाई नहीं जो हमरी गोद में खेलने के ख्वाब देख रहे हो”
भूषण एक थप्पड़ में ही झनझना उठा और गाल से हाथ लगाकर साइड हो गया। मुरारी ने प्रताप की तरफ देखा और कहा,”साले तुमहू जैसे आदमी रखे हो ना प्रतापवा हमको लगता है किसी दिन जे ही तुम्हरी लंका में आग लगा देंगे। हम साला यहाँ आग बुझाने की बात कर रहे है और तुम्हरे आदमी मुंह में पेट्रोल भरके घूम रहे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आस्तीन में सांप पालना बंद करो वरना किसी दिन तुम्हारे पिछवाड़े पर काटेंगे ससुरे”
“प्रताप तुम्हारे पास दो ऑप्शन है पहला जो हुआ उसे भूलकर हमसे और हमारी फॅमिली से दूर रहो। अपने बेटे के ठीक होने का इंतजार करो और उसके बाद उसे लेकर बनारस से कही दूर चले जाओ या फिर मातम के लिए तैयार रहो क्योकि तुमको अग्नि देने वाला एक ही बेटा है लेकिन हमरे पास दो है और दोनों का ही माथा गर्म है”,शिवम् ने कहा और जाने के लिए उठ खड़ा हुआ
मुरारी भी भूषण को घूरते हुए अपनी जगह पर खड़ा हुआ और शिवम् के साथ जाने लगा। प्रताप इन लड़ाई झगड़ो से अब तक थक चुका था। एक ही बेटा था उसका और आज वो भी इस हालत में था , प्रताप अपने बेटे को खोना नहीं चाहता था इसलिए वह अपनी जगह से और कहा,”शिवम्”
शिवम और मुरारी पलटे तो प्रताप उसके पास आया और कहा,”हमने कभी सोचा नहीं था हमारी दुश्मनी की वजह से आज हमरा बेटा इस हालत में होगा , राजन के सिवा हमरा इस दुनिया में कोई नहीं है और हम उसको खोना नहीं चाहते। हम तुमसे वादा करते है आज के बाद हम तुमरे रस्ते में कभी नहीं आएंगे हम हमेशा हमेशा के लिए उसे लेकर यहाँ से चले जायेंगे। हमरे बेटे ने काशी के साथ जो बर्ताव किया उसके लिए हम शर्मिन्दा है , हम माफ़ी चाहते है शिवा”
प्रताप की आँखों में पहली बार नमी थी साथ ही चेहरे पर भी पछतावे के भाव थे। शिवम् ने देखा तो आगे बढ़कर प्रताप को गले लगाया और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”अपने बच्चो के भले के लिए हम ये कर सकते है प्रताप”
शिवम ने गले लगाया तो प्रताप की आँखों से आँसू बहने लगे। सालो की दुश्मनी पल में दूर हो गयी। शिवम् प्रताप से दूर हटा और उसे राजन का ख्याल रखने का कहकर मुरारी के साथ वहा से चला गया।
“जे का किया चचा तुमने शिवम् को जाने काहे दिया ?”,भूषण ने आकर कहा प्रताप ने एक नजर भूषण को देखा और खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद करते हुए कहा,”तुम्हरी वजह से आज रजनवा इस हालत में है , तुम्ही ने उसे बढ़ावा दिया है भूषणवा,,,,,,,,,,,,तुम का जानते हो हमको पता नहीं चलेगा। शिवम् मुरारी हमरे दुश्मन जरूर थे लेकिन कभी पीठ पीछे वार नहीं किये थे उह पर तुम साला आस्तीन के सांप निकले,,,,,,,,,,,,,चले जाओ यहाँ से और आज के बाद रजनवा के आस पास भी दिखे तो बनारस में नहीं दिखोगे जे याद रखना तुम,,,,,,,,,,,,,,,!!”
भूषण ने सूना तो शर्म से उसका सर झुक गया और वह धीमे कदमो से वहा से चला गया
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संजना किरोड़ीवाल