Sanjana Kirodiwal

Main Teri Heer – 34

Main Teri Heer – 34

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

वंश ने अपनी आवाज बदल कर नवीन से बात की और कहा कि मैं गौरी बोल रही हूँ
अनजान नंबर से एक लड़की की आवाज सुनकर नवीन ने कहा,”गौरी कौन ?”
“अरे अंकल गौरी , इंदौर से जिसकी कल मुन्ना के साथ सगाई है आप भूल गए क्या ?”,वंश उसी अंदाज में फिर कहा बेचारी निशि हैरानी से मुँह फाड़े वंश को देखे जा रही थी
“ओह्ह्ह हाँ याद आया , कोन्ग्रेचुलेशन बेटा”,नवीन ने कहा


“आपका कोन्ग्रेचुलेशन मैं तब लुंगी जब निशि मेरी सगाई में आयेगी,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
निशि को लाने की बात सुनकर नवीन ने कहा,”निशि की क्लासेज चल रही है बेटा वो नहीं आ पायेगी , मैं और मेघना आएंगे”
“लगता है आप लोग मेरी और मुन्ना की सगाई से खुश नहीं है , इसलिये आप निशि को साथ लेकर नहीं आ रहे है। निशि ने मुझसे प्रॉमिस किया था कि वो मेरी सगाई में आयेगी,,,,,,,,,,,,,,अगर वो नहीं आयेगी तो मेरा दिल टूट जायेगा,,,,,,,!!”,वंश ने रोआँसा होकर कहा


नवीन उलझन में पड़ गया , निशि ने सीरीज में काम करने को लेकर जो फैसला किया था उसकी वजह से नवीन निशि से नाराज था और इसलिए उसने निशि को इंदौर चलने से भी मना कर दिया वही वंश पर भी उसे थोड़ा गुस्सा था।
नवीन को खामोश देखकर वंश ने कहा,”लगता है आपका जवाब ना है , कोई बात नहीं अंकल मैं सारिका आंटी से कह देती हूँ कि मुझे ये सगाई नहीं करनी,,,,,,,!!”


सारिका का नाम सुनकर नवीन ने कहा,”अरे नहीं नहीं बेटा , ऐसा मत करना,,,,,,,,,,मैं निशि से बात करूंगा,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह्ह अंकल आप कितने अच्छे है , मैं इंतजार करुँगी,,,,,,,,,!!”,वंश ने खुश होकर कहा
“हम्म्म ठीक है”,नवीन ने कहा और फोन काट दिया। नवीन इस वक्त अपने ऑफिस में था आज शाम उसे मेघना के साथ इंदौर के लिये निकलना था। उसने अपना फोन उठाया और तत्काल में ट्रेन के 2 टिकट्स और बुक करने को कहा। एक टिकट निशि के लिये था लेकिन ये दुसरा टिकट किसके लिये था ये तो बस नवीन ही जानता था।

नवीन की हाँ सुनकर वंश ख़ुशी से निशि की तरफ पलटा और कहा,”तुम्हारे डेड मान गए , अब तुम भी मुन्ना और गौरी की सगाई में इंदौर आ रही हो,,,,,,,,,!!”
निशि कुछ कहती इस से पहले ही अमितेश वहा आया और वंश के हाथ से अपना फ़ोन छीनते हुए कहा”हाह कितने टोपीबाज हो तुम ? तुमने लड़की की आवाज में किसे बेवकूफ बनाया है ?”


“इसके बाप,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्हह इसके डेड को,,,,,,,,,और मैंने कोई बेवकूफ नहीं बनाया है मैंने बस इसकी मदद की है।”,वंश ने मुंह बनाकर कहा
“तुम्हारी तो मदद भी तुम्हारी तरह अजीब है,,,,,,,,खैर एक हफ्ते बाद मिलते है और प्लीज आई रिक्वेस्ट यू अपने मेल्स चेक करते रहना,,,,,,,,,,,!!”,अमितेश ने वंश से रिक्वेसट करते हुए कहा
“आप मुझे व्हाट्सप्प भी तो कर सकते है फिर हर बार ये मेल क्यों ?”,वंश ने कहा


“प्रोफेशनल नाम की भी कोई चीज होती है वंश,,,,,,,,,,,डोंट वरी धीरे धीरे सीख जाओगे,,,,,,,,,,और हाँ मैंने नेक्स्ट शूटिंग की डिटेल्स और सीन मेल किये है प्लीज चेक कर लेना”,अमितेश ने वहा से जाते हुए कहा
“इस आदमी का बस चले तो ये आज ही पूरी सीरीज शूट कर ले,,,,,,,,,,खैर छोडो इसे तुम बताओ , तुम इंदौर आ रही हो न ?”,वंश ने निशि की तरफ देखकर कहा
“तुमने डेड से गौरी बनकर बात तो कर ली पर क्या डेड इसके लिये तैयार होंगे ?”,निशि ने उलझन भरे स्वर में कहा


“तुम इतना मत सोचो अगर वो मना कर भी दे तो कल सुबह मेरे साथ फ्लाइट से चल सकती हो,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि के साथ चलते हुए कहा
“मैं डेड के खिलाफ नहीं जा सकती,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
वंश चलते चलते रुका और निशि की तरफ पलटकर कहा,”व्हाई ? कभी कभी अपनी ख़ुशी के लिये अपनों के खिलाफ भी जाना पड़ता है निशि,,,,,,,,,,,,एंड तुम बताओ क्या तुम सच में इंदौर आना चाहती हो ?”


“मैं आना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,इन्फेक्ट मुझे मुन्ना भैया और गौरी की सगाई देखनी है लेकिन डेड,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने मायुशि से कहा
“तो फिर इतना मत सोचो,,,,,,,,,,,मुझे नहीं लगता नवीन अंकल इतने हार्ड है कि गौरी की रिक्वेस्ट सुनकर मना कर दे,,,,,,,,,,,,अब चले ?”,वंश ने कहा
“लेकिन मेरे पास सगाई में पहनने के लिये कपडे नहीं है,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा


“ये तुम्हारा नहीं इस दुनिया की हर लड़की का मसला है , जब भी उन्हें कही जाना होता है उनके पास पहनने को कपडे नहीं होते,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने मुंह बनाकर कहा तो निशि ने उसे घूरते हुए कहा,”तुमने इंदौर चलने की बात की न अब तुम ही कपडे खरीदने में मेरी मदद करोगे,,,,,,,,,,,,चलो”
निशि वंश की बांह पकड़कर आगे बढ़ गयी।
“अरे लेकिन मुझे काम है,,,,,,,,,,!!”,वंश ने निशि के साथ आते हुए कहा


“आई नो वो उबली हुई मैग्गी खाने और विडिओ गेम खेलने के अलावा तुम्हारे पास कोई दुसरा काम नहीं है , वैसे भी तुम कल सुबह आने वाले हो तो अपनी पैकिंग रात में कर सकते हो,,,,,,,,,,,,अब चलो”,निशि ने कहा
“हाह तुम्हे ये कैसे पता ?”,वंश ने हैरानी से कहा क्योकि यहाँ से घर जाने के बाद उसका प्लान मैग्गी बनाना और नया विडिओ गेम खेलना था।
“इतना तो जानने लगी हूँ तुम्हे,,,,,,,,,!!”,निशि ने वंश की तरफ पलटकर कहा


“ठीक है चलते है,,,,,,,निशि,,,,,,,,अबे ओह्ह्ह देख के चला ना”,वंश ने जैसे ही निशि से कहा एक बाइक वाला तेजी से निशि के बगल से निकला निशि को टक्कर लगती इस से पहले वंश ने निशि की बाँह पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया और बाइक वाले पर चिल्लाया।
निशि घबराई हुई सी वंश को देखने लगी उसकी आँखों मे अपने लिये परवाह देखकर निशि को मन ही मन अच्छा लग रहा था। वंश ने देखा बाइक वाला वहा से जा चुका है तो उसने अपने सीने से लगी निशि को देखकर कहा,”तुम ठीक हो ना ?”


“हम्म्म,,,,,,,,,!!”,निशि ने कहा
“चलो चलते है,,,,,,!!”,वंश ने कहा और निशि के साथ आगे बढ़ गया
वंश ने देखा निशि सड़क किनारे ही चल रही है तो उसने निशि को अपनी साइड किया और खुद उसकी साइड चला आया। निशि ने वंश की तरफ देखा तो वंश ने कहा,”पता नहीं मेरे बिना क्या होगा तुम्हारा ?”


वंश की बात सुनकर निशि एकटक वंश को देखने लगी , जिस वंश से वह सिर्फ दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहती थी उसकी बातो ने उसके मन में प्रेम के अंकुर फिर से फोड़ने शुरू कर दिये।

सुबह से चली बस दोपहर में एक बढ़िया ढाबे पर रुकवाई गयी ताकि सब खाना खा सके। मुरारी ने सबके खाने का इंतजाम करवाया। सभी अपने अपने हिसाब से बैठकर खाना आर्डर करने लगे। मुन्ना ने देखा उसके पापा ये सब में परेशान हो रहे है तो वह उनके पास आया और कहा,”पापा ! आप खाना खाइये बाकि सब हम देख लेते है।”
“अरे काहे ? तुमहू मस्त रहो तुम्हरी सगाई है तुम से काम करवाएंगे का ?”,मुरारी ने कहा


“पापा सगाई कल है आज तो काम कर सकते है न हम ? आप बैठिये खाना खाइये”,मुन्ना ने कहा
“मुन्ना सही कह रहा है मुरारी , तुम तो मतलब अभी से इतने जिम्मेदार बन गए,,,,,,,,,,,,चलो आओ,,,,,,,मुन्ना तुम भी चलकर खाना खाओ , जिसको जो चाहिए होगा सब अपने हिसाब से ले लेंगे”,शिवम् ने कहा

मुन्ना वहा से अंजलि की तरफ चला आया जो कि अकेले बैठी थी। अंजलि को उदास देखकर मुन्ना ने कहा,”क्या बात बेटा तुम कुछ खा नहीं रही हो ? हम कुछ आर्डर कर दे तुम्हारे लिये ? बताओ क्या खाओगी ?”
“हमारा मन नहीं है मुन्ना भैया,,,,,,,,!”,अंजलि ने मायूसी से कहा
“और तुम्हारा मन क्यों नहीं है ?”,मुन्ना ने पूछा


“मैं वंश भैया को मिस कर रही हूँ , वो यहाँ होते तो कितना मजा आता लेकिन वो तो अब मुंबई वाले हो गए है , पता है मेरे मैसेज का भी जवाब नहीं दिया उन्होंने,,,,,,,,!!”,अंजलि ने मुंह बनाकर कहा
“हम्म्म तो इसलिये तुम उदास हो , वैसे याद तो हमे भी आ रही है,,,,,,,लेकिन उसका काम भी तो जरुरी है ना अंजलि , और वैसे भी कल सुबह वो इंदौर आयेगा ही तब हम दोनों जमकर उसकी क्लास लगाएंगे। उसकी हिम्मत कैसे हुई हमारी छोटी गुड़िया का मैसेज इग्नोर करने की”,मुन्ना ने अंजलि को बहलाते हुए कहा


“पक्का आप वंश भैया को डाटेंगे ना ?”,अंजलि ने पूछा
“हाँ पक्का,,,,,अब कुछ आर्डर कर दे , हमे सच में बहुत भूख लगी है।”,मुन्ना ने कहा तो अंजलि हंस पड़ी और हामी में गर्दन हिला दी

सभी हँसते बातें करते खाना खा रहे थे। मुरारी ने देखा सब ठीक है तो वह भी शिवम् और राधिका के पति के साथ खाना खाने आ बैठा। मुरारी ने अपनी प्लेट में खाना परोसा बेचारे ने जैसे ही एक निवाला तोड़कर खाया फूफाजी की आवाज उसके कानो में पड़ी।


मुरारी ने पलटकर देखा तो पाया कि फूफाजी किसी बात को लेकर वेटर पर भड़क रहे है।
“शिवम् भैया ! आप लोगो शुरू करो हमहू ज़रा आते है,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी उठा और फूफाजी की तरफ बढ़ गया। शिवम् और उसके जीजाजी खाना खाने लगे

“अरे का हुआ ? काहे बेचारे की रेल बनाये हुए है आप ?”,मुरारी ने आकर फूफाजी से कहा
“इनसे पूछो खाने के नाम पर जो लूट रहे है,,,,,,,,,,,,हमहूँ रोटी और चावल के साथ खोया पनीर आर्डर किये रहय पर जे तरी मा बस चार टुकड़े पनीर के ढाल के परोस दिये,,,,,,,,,,अरे जब पैसे खोया पनीर के ले रहे है तो खाली पनीर काहे ? खोया कहा है ? खुद खा लिये हो ?”,फूफाजी ने भड़कते हुए कहा


मुरारी ने सुना तो बेचारा कभी वेटर को देखता कभी फूफाजी को , मुरारी को चुप देखकर वेटर ने कहा,”सर इन्होने जो आर्डर किया मैं वही लेकर आया हूँ ,,,,,,,,!!”
“का वही लेकर आये हो ? मुरारी हमको हिया नहीं खाना,,,,,,,,,,,,हम जा रहे है”,फूफाजी ने कहा
“तो का ताज होटल से खाना मंगवाए आपके लिये ? हमको जे समझ नहीं आ रहा साला जब बिल हमको भरना है तो तुम्हरे पेट में मरोड़ काहे उठ रहे है ? जिंदगी मट्ठा वाले आलू खाकर गुजरी है और हिया इनको चाहिए पनीर , उह भी खोया पनीर,,,,,,,,,,,

अरे जब कुछो पता नहीं है तो आर्डर काहे करते है ? पर नहीं बिल फटे धोबिया पे तो बाबूलाल काहे ना खाये जलेबी,,,,,,,हमरे फूफा नहीं न होते तो अभी पटक के पेल देते तुमको पर बड़े हो इहलिये इज्जत कर रहे है का है कि भुआ हमाई है सीधी,,,,,,,,,,पर तुमहू ठहरे कलेशी , उह करे बिना चैन कहा आयेगा ? अरे नहीं है खोया पनीर में खोया तो का हुआ ? कश्मीरी बिरयानी में कश्मीर देखे हो कभी ,, पनीर नहीं तुमहू कद्दू का साग खाओ उही ठीक है तुम्हरे लिये”

“मुरारी हम जा रहे है”,फूफाजी जी ने मुरारी की बाँह पकड़कर झंझोड़ते हुए कहा तो मुरारी अपने ख्यालो से बाहर आया। अभी कुछ देर पहले उसने जो कहा वो बस अपने मन में कहा था वरना उसकी इतनी हिम्मत कहा कि वह अपने ही फूफा को ये सब कह सके।


“मुरारी हम जा रहे है”,फूफाजी ने एक बार कहा तो मुरारी ने कहा,”अरे आप का मुंसीपालटी के नल का पानी है जो जा रहे है,,,,,,,,बैठिये न हम करते है कुछ बंदोबस्त,,,,,,,,,,एक काम कीजिये आप कुछ और आर्डर कर दीजिये,,,,,,,,,,,,,बिल की चिंता मत कीजिये हमहु कर देंगे”
 “मुरारी तुम का हमका पैसे का घमंड दिखा रहे हो ? अरे जाओ नहीं खाते तुम्हरे पैसो से खोया पनीर,,,,,,,,,हमाये पास का पैसे की कमी है,,,,,,,,,,हमहू खुद से खा लेंगे”,फूफाजी ने भड़कते हुए कहा


अब यहाँ आकर मुरारी थोड़ा किलस गया और कहा,”ऐसा है ना तो फिर एक काम करो अपने ही पैसो से आर्डर करके खाओ,,,,,,,ए बबुआ एक ठो काम करो जे खोया पनीर का प्लेट वहा धर दयो हमाई टेबल पर,,,,,,,!!”
“ठीक है सर”,कहते हुए वेटर ने जैसे ही प्लेट उठायी फूफाजी लाइन पर आ गए और कहा,”अरे लेकिन मुरारी,,,,,,,,,,!!”


“लेकिन वेकिन कुछ नहीं फूफा , बबुआ एक काम और करो फूफाजी के खाते से एक दम बिरयानी भी लगाओ,,,,,,,,,,और इनके खाने का बिल जे खुद देंगे”,कहकर मुरारी वहा से चला गया
बेचारे फूफाजी मुंह लटकाये उसे देखते ही रह गए कहा वह बढ़िया दावत उड़ाने वाले थे और कहा मुरारी ने उन्हें दाल रोटी खाने पर मजबूर कर दिया।


“का बात है मुरारी ? सब ठीक है ना ?”,शिवम् ने मुरारी से पूछा
“अरे कुछ नहीं भैया उह फूफा का जरा पेट खराब है और वेटर ने उनको पनीर परोस दिया तो बस इसी बात पर थोड़ा परेशान हो रहे थे हमने दाल रोटी आर्डर करवा दी है उनके लिये आप खाइये”,मुरारी ने असल बात छुपाकर कहा और खाना खाने लगा।

इंदौर , गौरी का घर

घर के हॉल में बैठी गौरी अपने हाथो पर मेहँदी लगवा रही थी और काशी उसके पैरो पर मीठा पानी लगा रही थी जिस से मेहँदी और गहरी रचे। नंदिता और उनकी माँ कमरे में थी , जय भी हॉल में बैठकर बहुत ध्यान से गौरी की मेहन्दी को देख रहा था। बीच बीच में गौरी उसे पानी पिलाने और स्नेक्स खिलाने के लिये कहती तो ख़ुशी ख़ुशी उसे वो भी खिला रहा था वो भी बिना कोई बहस और झगड़ा किये। गौरी को प्रिंसेज टीट्रमेंट मिल रहा था ये देखकर तो वह कुछ ज्यादा ही खुश थी।


“गौरी पैरो का हो गया , हाथो पर सूखने के बाद लगाएंगे”,काशी ने मीठी पानी की कटोरी को टेबल पर रखा और गौरी के बगल में पड़े सोफे पर आकर बैठ गयी
“डोंट वरी काशी ! जब तुम्हारी शादी होगी तब मैं तुम्हारे लिये ये सब करुँगी”,गौरी ने कहा
“वो तो करना ही है लेकिन ख़ुशी की बात ये है कि तब तुम मेरी भाभी के रूप में ये सब करोगी”,काशी ने कहा तो गौरी की आँखों से सामने मुन्ना का चेहरा आ गया और वह मुस्कुरा उठी


“हम्म्म क्या बात है अभी से जीजाजी से मिलने की ख़ुशी तुम्हारी आँखों से झलक रही है गौरी,,,,,,,!!”,ऋतू ने प्रिया के साथ अंदर आते हुए कहा जिसके हाथ में पिज्जा के कुछ डिब्बे थे।
“ख़ुशी तो होगी आफ्टर आल कल गौरी की जिंदगी का सबसे इम्पोर्टेन्ट दिन है”,प्रिया ने सोफे पर बैठते हुए कहा
जय ने पिज्जा देखा तो उठकर ऋतू के पास आया और कहा,”ये सब किसके लिये है ?”
“ऑफकोर्स,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे लिये तो बिल्कुल नहीं है”, ऋतू ने जय को घूरते हुए कहा।


जय ने मुंह बनाया और वहा से जाने लगा तो काशी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका और एक डिब्बा जय की तरफ बढाकर कहा,”जय तुम ये खा लो”
जय मुस्कुराया और कहा,”इसलिये मैं आपको इतना ज्यादा पसंद करता हूँ काशी दी”
काशी ने सुना तो मुस्कुरा दी और जय अपना पिज्जा लेकर वहा से चला गया।

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