Main Teri Heer – 87
वंश मुन्ना से अच्छा खासा नाराज था लेकिन चॉकलेट्स देखते ही पिघल गया। वंश बैठकर एक के बाद एक खाये जा रहा था और मुन्ना बस बैठकर उसे देख रहा था। दोपहर होने को आयी और मुरारी ने सबको खाना खाने को कहा और खुद अंदर चला आया। मुरारी अंदर आकर सीधा वंश के पास आया और दबी आवाज में कहा,”अबे पगला गए हो तुम , जानते हो उह कौन है ? इतने लोगो के बीच उनका कॉलर पकड़ लिए कुछ अकल है के नहीं तूम में,,,,,,,,,,,,!!”
“वो खामखा मुझसे उलझ रहा था”,वंश ने बिना मुरारी की ओर देखे अपनी चॉकलेट खाते हुए कहा
“तुम का पतंग का मांझा हो जो सब तुमसे उलझेंगे , बेटा अपने गुस्से को ना थोड़ा कंट्रोल करो वरना किसी दिन पेल देंगे तुमको”,मुरारी ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा। मुरारी को गर्माते देखकर मुन्ना बीच में आया और कहा,”पापा आप जानते है ना ये बचपन से ही ऐसा है , माफ़ कर दीजिये”
“तुम्हारे लाड प्यार की वजह से जे जनाब बिगड़ते जा रहे है , मिलने दो शाम में शिवम् भैया से बताते है उन्हें”,मुरारी ने कहा और वहा से चला गया
मुन्ना ने बेचारगी से गर्दन घुमाकर वंश को देखा तो वंश मुस्कुराया और फ्लायिंग किस दे दिया।
“चलो बहुत खा लिए चॉकलेट्स अब जाकर नहा लो फिर साथ में खाना खाते है”,मुन्ना ने डिब्बा वंश के सामने से उठाते हुए कहा।
वंश उठा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। मुन्ना बाहर चला आया और अपने दोस्तों से खाना खाकर जाने को कहा। उसने मिलकर मुन्ना अंदर जाने लगा तो नजर “अजीत कुमार त्रिवेदी” पर चली गयी। यही वो शख्स था जिस से कुछ देर पहले वंश की झड़प हुई थी। मुन्ना कुछ देर उसे देखता रहा और फिर वहा से चला गया।
नहाने के लिए मुन्ना ऊपर अपने कमरे में चला आया। वंश तब तक नहाकर आ चुका था और बिस्तर पर लेटा मुस्कुराते हुए किसी सोच में गुम था। मुन्ना ने देखा तो कबर्ड से कपडे लेते हुए कहा,”क्या सोच रहा है ?”
“यार मेरे दिल में एक बात है जो मुझे तुझे बतानी है लेकिन अभी मैं स्योर नहीं हूँ , इसलिए मैं तुम्हे ये बाद में बताऊंगा”,वंश ने सोच में डूबे हुए कहा
“एग्जाम्स के बाद वंश अपना वक्त बर्बाद करे इस से पहले हमें कुछ करना होगा”,मुन्ना बड़बड़ाया और फिर वंश की तरफ पलटकर कहा,”वैसे लास्ट एग्जाम के बाद तुम्हारे लिए हमारे पास भी कुछ है”
“क्या सच में ? फिर तो मुझे इंतजार रहेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या मैं इसे गेस करू ?,,,,,,,,,,,,,,,,क्या ये अगले आईपीएल मैच के लिए स्टेडियम का टिकट है,,,,,,,,,,,,,या फिर कोई नया विडिओ गेम,,,,,,,,,,,,या फिर कोई ट्रिप ?”,वंश ने उठकर बैठते हुए कहा
“ये तीनो ही नहीं है”,मुन्ना ने कहा
“फिर ऐसा क्या हो सकता है ?”,वंश ने कहा
“वक्त आने पर पता चल जाएगा , हम नहाने जा रहे है तब तक तुम बैठो”,कहकर मुन्ना बाथरूम की तरफ चला गया। वंश अकेले बैठे बैठे बोर होने लगा। कुछ देर बाद मुन्ना का फोन बजा वंश ने फोन उठाकर देखा काशी का विडिओ कॉल था। वंश ने ख़ुशी ख़ुशी फोन उठाया और कहा,”हैप्पी होली”
“अरे वंश भैया आप , आप चाचू के घर पर है क्या ?”,वंश को विडिओ कॉल पर देखते ही काशी ने खुश होकर पूछा
“हाँ मुरारी चाचा ने फंक्शन रखा है , तुमने नहीं खेली होली ?”,वंश ने पूछा
“खेली ना लेकिन हमने ज्यादा रंग नहीं लगाया , रुको आपको दिखाते है”,कहते हुए काशी ने बेक कैमरा किया और कुछ ही दूर खड़े होली खेल रहे अपने नानू नानी को दिखाने लगी। वंश खुश होकर उन्हें देखने लगा। काशी फोन को घुमाते हुए सब दिखाते जा रही थी और फिर अपनी दोस्तों पर ले जाकर रोकते हुए कहा,”वंश भैया आपको प्रिया ऋतू गौरी याद है ना देखो उन तीनो को,,,,,,,,,,,!!”
वंश की नजरे तो बस गौरी पर जाकर ठहर गयी। सफ़ेद रंग के सूट में गालों पर लाल हरा रंग लगाए गौरी हँसते मुस्कुराते बला की खूबसूरत लग रही थी। वंश बड़े प्यार से गौरी को देखने लगा। काशी ने गौरी को अपनी तरफ आने जा इशारा किया। गौरी जैसे जैसे करीब आ रही थी वंश का दिल धड़कने लगा। पहले ऐसा नहीं था , जब गौरी बनारस में थी तब वंश बिना हिचकिचाए गौरी से कुछ बात कर लेता था लेकिन आज उसे कुछ अलग ही महसूस हो रहा था।
“हाँ काशी क्या हुआ ?”,गौरी ने काशी के पास आकर पूछा
“लो वंश भैया से बात करो”,काशी ने फोन गौरी की तरफ बढाकर कहा
“हाय वंश हैप्पी होली”,गौरी ने खिलखिलाकर कहा
वंश तो कुछ बोल ही नहीं पाया , उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसने गौरी को देखकर सिर्फ अपना हाथ हिला दिया।
“बहुत दिनों बाद बात हो रही है हमारी , लगता है तुम मुझे भूल गए है ना ?”,गौरी ने वंश को आँखे दिखाते हुए कहा और फिर मुस्कुरा उठी।
“तुम्हे मैं कैसे भूल सकता हूँ , वैसे अच्छी लग रही हो”,वंश ने हिचकिचाते हुए कहा
“थैंक्यू , तुमने रंग नहीं लगाया ?”,गौरी ने पूछा
“लगाया न मैं नहा चुका”, वंश ने कहा आज गौरी से बात करने में उसे कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ रही थी
“हम्म्म्म ये सब छोडो और ये बताओ इंदौर कब आ रहे हो ?”,गौरी ने पूछा
“किसलिए ?”,वंश ने पूछा जबकि जाना तो उसे भी था
“किसलिए क्या ? मुझसे मिलने , मुझसे मिलने नहीं आ सकते क्या तुम ? वैसे भी तुम्हे घूमने का बहुत शौक है ना तो तुम यहाँ आना इस बार मैं तुम्हे इंदौर घुमाऊँगी”,गौरी ने कहा लेकिन वह वंश से ज्यादा बात कर पाती इस से पहले ही गौरी ने कहा,”अच्छा वंश मैं ना तुमसे बाद में बात करती हूँ , बाय बाय बाय”
“मैं इंदौर जरूर आऊंगा गौरी वो भी सिर्फ तुम्हारे लिए”,फोन काटने के बाद वंश ने फोन को अपने होंठो से लगाकर धीरे से कहा।
“किस से बातें हो रही है ?”,मुन्ना ने बाथरूम से बाहर आते हुए कहा
“काशी का फोन था होली विश कर रही थी , तू बाथरूम में था इसलिए मैंने बात कर ली”,वंश ने कहा
“हम्म्म एक ही बात है , चलो खाना खाने चलते है”,मुन्ना ने कहा और वंश को साथ लेकर नीचे चला आया। बाहर लोगो के बीच ना जाकर वंश और मुन्ना दोनों घर के डायनिंग पर आ बैठे और किशना से खाना लगाने को कहा। किशना ने एक ही प्लेट में दोनों के लिए खाना लगा दिया। खाते खाते खाना वंश के गले में अटक गया तो वह खाँसने लगा।
मुन्ना ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा,”अरे आराम से , तू ना हमेशा जल्दी में रहता है। ले पानी पी”
वंश ने पानी पीया और मुन्ना की तरफ देखने लगा तो मुन्ना ने एक निवाला तोड़कर कहा,”चल हम ही खिला देते है , ये लो खाओ”
“आह्हः तेरे से हाथ से खाना खाने का मजा ही कुछ और है,,,,,,,,,,,,,,,दो चार निवाले और प्लीज”,वंश ने कहा
“अच्छा , तूने कभी खिलाया”,मुन्ना ने कहा
“अरे इतनी सी बात ले अभी खिला देता हूँ”,कहकर वंश ने भी मुन्ना को खिलाना शुरू किया। दोनों साथ में खाना खाते हँसते मुस्कुराते काफी अच्छे लग रहे थे
आखरी एग्जाम वाले दिन वंश कुछ ज्यादा ही खुश था। आज के पेपर के बाद वह इंदौर जो जाने वाला था। उसने जल्दी जल्दी पेपर लिखा और जैसे ही बेल बजी क्लास से बाहर , पार्किंग में आकर उसने अपनी बाइक निकाली और तुरंत वहा से निकल गया।
“अरे वंश,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने उसे आवाज भी दी लेकिन वह इतनी जल्दी में था की सुन नहीं पाया। मुन्ना कॉलेज के गेट पर आया और खुद से ही कहा,”ये लड़का इतनी जल्दी में क्यों चला गया ? खैर,,,,,,,,,,,,,,,,,घर जाकर पूछेंगे”
“मानवेन्द्र हम सब केंटीन जा रहे है तुम भी चलो”,रवि ने आकर मुन्ना से कहा
“अरे नहीं तुम सब जाओ हमे लायब्रेरी में थोड़ा काम है”,मुन्ना ने कहा
“यार मुन्ना एग्जाम्स तो खत्म हो चुके अब क्या काम है तुम्हे ? चलो बहाने मत बनाओ वैसे भी कॉलेज में हम सब का ये आखरी दिन है”,रवि के साथ खड़े लड़के ने कहा तो मुन्ना उन्हें ना नहीं कह पाया और उनके साथ चला गया।
वंश सीधा घर चला आया , आते ही उसने सारिका से पूछा,”माँ पापा कहा है ?”
“बाबा के कमरे में है शायद”,सारिका ने डायनिंग पर खाना लगाते हुए कहा
वंश बाबा के कमरे की तरफ चला आया देखा शिवम बाबा से कुछ बातें कर रहा था। वंश ने उन्हें डिस्टर्ब करना सही नहीं समझा और बाहर खड़े होकर ही शिवम् के आने का इन्तजार करने लगा। कुछ देर बाद शिवम् कमरे से बाहर आया और जाने लगा तो वंश ने उसके पीछे आते हुए कहा,”पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी है”
“हाँ कहो”,शिवम ने चलते हुए कहा
“वो मेरे एग्जाम्स कम्प्लीट हो गए है और इस साल के मेरे पेपर भी काफी अच्छे गए है”,वंश ने शिवम् के पीछे आते हुए कहा
“तो आगे की पढाई के बारे में क्या सोचा है तुमने ? पढाई करोगे या हमारे साथ सीमेंट फैक्ट्री सम्हालोगे ?”,शिवम् कहते हुए अपने कमरे में चला आया
“पापा मुझे दोनों ही नहीं करने”,वंश ने थोड़ी हिम्मत करके कहा
कमरे में आकर शिवम् रुक गया और वंश की तरफ पलटा तो वंश ने कहा,”मैं आपसे कुछ और बात करने आया था”
“हाँ कहो”,शिवम् ने कहा
“मैं इंदौर जाना चाहता हूँ”,वंश ने धड़कते दिल के साथ कहा
“ऐसे अचानक ?”,शिवम् ने पूछा
“अचानक नहीं पापा मैं काफी दिनों से जाने के बारे में सोच रहा था , बस आपसे पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी”,वंश ने नजरे नीची करके कहा
शिवम् कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”देखो वंश हमने कभी तुम्हे किसी चीज के लिए मना नहीं किया है। इस घर में तुम्हे वो सब सुख-सुविधाएं मिली जो तुम्हारी जिंदगी को आसान बना सके। अब चूँकि तुम्हारी कॉलेज की पढाई पूरी हो चुकी है तो हम चाहेंगे तुम जिम्मेदार बनो,,,,,,,,,,ये घूमना फिरना अपना वक्त बर्बाद करना सब नहीं है बेटा,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी उम्र में हमने काफी कुछ देखा है इसलिए नहीं चाहते की तुम्हे भी वो सब देखना पड़े। ये इंदौर जाने का ख्याल अपने दिमाग से निकालो और अपने करियर के बारे में विचार करो”
“लेकिन पापा मुझे जाना है”,वंश ने कहा
“हमने कह दिया ना तुम नहीं जाओगे , मतलब नहीं जाओगे”,शिवम् ने थोड़ा सख्त होकर कहा
वंश ने सुना तो उसका दिल टूट गया और चेहरे पर गुस्से और तकलीफ के भाव उभर आये , इस घर में सबसे ज्यादा सख्ती उसी के साथ बरती जाती थी। वंश गुस्से में वहा से चला गया। सारिका ने उसे आवाज दी लेकिन वंश ने नहीं सूना और ऊपर अपने कमरे में जाकर दरवाजा जोर से बंद कर दिया। सारिका ने देखा तो शिवम् के पास आयी और कहा,”शिवम् जी वंश को क्या हुआ ? वो इतना गुस्से में क्यों है ?”
“आपके लाड साहब थोड़ी मनमानी करना चाहते थे , हमने उसे मना कर दिया इसलिए नाराज है”,शिवम् ने कहा
सारिका शिवम् के पास आयी और उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगी,”शिवम् जी आपको नहीं लगता आप उसके साथ कुछ ज्यादा ही सख्ती बरत रहे है”
“सरु वो हमारा बेटा है हम जानते है उसके लिए क्या सही है क्या गलत ? आप हम पर भरोसा रखिये”,शिवम् ने सारिका की आँखों में झांकते हुए कहा
“हम्म्म्म हमे भरोसा है”,सारिका ने कहा
वंश अपने कमरे में आया उसने गुस्से में दरवाजे को जोर से बंद किया। शिवम् हमेशा उसके साथ ऐसा ही करता था जब भी वह बनारस से बाहर जाने की बात करता। वंश को जब भी गुस्सा आता वह विडिओ गेम्स में निकालता। वंश ने विडिओ गेम ऑन किया और गुस्से में खेलने लगा लेकिन आज वह बस हारता ही जा रहा था। दिनभर वह गेम खेलता रहा , ना उसने खाना खाया ना ही किसी से बात की। मुन्ना अपने दोस्तों के साथ बिजी था इसलिए उस इस बारे में कुछ पता नहीं था। शाम होने पर वंश उदास सा छत पर चला आया वह छत पर बनी चौड़ी दिवार पर पैर लटकाकर बैठ गया और डूबता सूरज को देखने लगा। वंश मन ही मन बहुत दुखी था अपना दुःख वह किस से बांटे , मुन्ना को फोन किया लेकिन मुन्ना ने शायद ध्यान नहीं दिया। काशी से वंश इतनी बातें शेयर नहीं करता था इसलिए उसे फोन नहीं किया। हालाँकि दोस्त उसके बहुत थे लेकिन कोई भी उसके इतना क्लोज नहीं था की वह उनसे अपने दिल की बात शेयर कर सके।
वंश उदास सा वही बैठा रहा कुछ देर बाद शिवम् आया और आकर उसके बगल में बैठ गया। अपने पापा को वहा देखकर वंश उठकर जाने लगा तो शिवम् ने कहा,”बैठो तुमसे कुछ बात करनी है”
वंश वापस बैठ गया और उदास नजरो से सामने देखने लगा। शिवम् कुछ देर उसके उदास चेहरे को देखता रहा और फिर सामने देखते हुए कहने लगा,”जब हम तुम्हारी उम्र में थे तब हमने भी बहुत सपने देखे थे अपनी जिंदगी को लेकर , फिर जैसे जैसे बाबा को देखा परिवार के लिए उनकी जिम्मेदारी देखी , तुम्हारी राधिका भुआ की जिम्मेदारी देखी तो हमे वो हमारे सपनो से कई ज्यादा ऊपर नजर आये। हम तुम्हारी माँ से बहुत प्यार करते है और उन्हें ढूंढने में हमने अपनी जिंदगी के 14 साल बिता दिए लेकिन उन 14 सालो में हमने हमारी उस हर जिम्मेदारी को भुला दिया जो एक बेटे का फर्ज होता है। तुम्हे लगता होगा हम तुम्हारे साथ बहुत सख्ती से पेश आते है , तुम्हे हर बार बनारस से बाहर जाने से मना कर देते है , तुम्हे तुम्हारे हिसाब से जिंदगी नहीं जीने देते,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इन सबके पीछे की वजह है तुम्हारा तेज गुस्सा !”
शिवम् की बात सुनकर वंश ने हैरानी से शिवम् की तरफ देखा तो शिवम् आगे कहने लगा,”हाँ बेटा तुम्हारा गुस्सा ही तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है , हम तुम्हे बाहर जाने से इसलिए नहीं रोकते की हमे तुम्हे पाबंद करना है बल्कि इसलिए रोकते है क्योकि हमे डर लगता है कही गुस्से में तुम कुछ गलत ना कर बैठो,,,,,,,,,,,,बनारस में तुम्हे सम्हालने वाले कई लोग है लेकिन बनारस के बाहर कोई नहीं और हर जगह हम तुम्हारे साथ भी नहीं होंगे,,,,,,,,,,,,,,,होली वाले दिन तुमने किसी को कॉलर पकड़ ली थी सूना हमने,,,,,,,,,,,,,,,,और ये भी सूना की वो हमारी उम्र का था ! अगर ज़रा ज़रा सी बात पर तुम ऐसे किसी की कॉलर पकड़ने लगोगे तो तुम्हारा क्या सम्मान रह जाएगा ? ये संस्कार तो हमने तुम्हे नहीं दिए थे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुस्सा हमारी अच्छी खासी जिंदगी को बर्बाद कर देता है बेटा”
“मुझे माफ़ कर दीजिये,,,,,,,,,,,,,मैं उनसे माफ़ी लूंगा”,वंश ने उदास होकर कहा शिवम की बातो से उसे समझ आ रहा था की वह गलत था
शिवम् कुछ देर खामोश रहा और फिर अपने कुर्ते के जेब से एक लिफाफा निकालकर वंश की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”दो दिन बाद मुंबई में तुम्हारा ऑडिशन है , इसमें फ्लाइट की टिकट और कॉल लेटर है ,, हमे लगता है तुम्हे जाना चाहिए”
वंश ने सूना तो हैरानी से शिवम् की तरफ देखने लगा। शिवम् मुस्कुराया और कहने लगा,”यही करना चाहते हो ना तुम तो हम तुम्हे नहीं रोकेंगे , हर बच्चे को अपने सपने पुरे करने का हक़ है। दो साल पहले जब तुमने हमसे इस बारे में बात की तब हमने मना कर दिया क्योकि हमे तुम्हारी बातों में बचपना लगा और लगा की तुम बनारस छोड़ना चाहते हो इसलिए ये सब कह रहे हो,,,,,,,,,,,,पर आज सोचते है हमे इसमें तुम्हारी ख़ुशी दिखाई देती है। मुंबई जाओ और अपने सपने को पूरा करो और तब तक कोशिश करना जब तक अपने सपने को पूरा न कर लो”
वंश ने सूना तो उसकी आँखों में आँसू भर आये। उस से कुछ बोला ही नहीं गया , शिवम् को लेकर वह कितना गलत था लेकिन आज पहली बार उसने अपने पापा का दुसरा रूप देखा था। उसका चेहरा उदासी से घिर गया वह बहुत मुश्किल से अपने आँसुओ को अपनी आँखों में रोके हुए था।
शिवम् ने देखा तो उसने बड़े ही प्यार से कहा,”दुनिया का कोई भी बाप नहीं बता सकता की वह अपने बेटे से कितना प्यार करता है,,,,,,,,!!
वंश ने कुछ नहीं कहा बस अपना सर शिवम् के कंधे पर टिका लिया , उसकी आँखों में ठहरे आँसू बह गए। शिवम् ने भी अपना हाथ वंश के कंधे पर रखा और थपथपाने लगा।
सीढ़ियों के पास खड़ा मुन्ना अपने हाथो को बांधे मुस्कुराते हुए बाप बेटे को देख रहा था। उसने अपना फोन निकाला और उस तस्वीर को कैद कर लिया क्योकि ऐसे खूबसूरत पल जिंदगी में कभी कभी ही आते है।
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क्या मुंबई अपनाएगा वंश को या रह जायेंगे उसके सपने अधूरे ? क्या मुन्ना जाने वाला है इंदौर गौरी से मिलने ? क्या बेटे के सपनो ने बदल दिया शिवम का मन या इसमें था मुन्ना का हाथ ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “मैं तेरी हीर”
क्रमश – Main Teri Heer – 88
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संजना किरोड़ीवाल