Main Teri Heer – 81
शक्ति काशी के लिए इंदौर आ चुका था साथ ही उसने काशी से अपने दिल की बात भी कह दी। शक्ति को अपने घर देखकर गौरी ने अपनी मम्मी से झूठ ही कह दिया की शक्ति उनके कॉलेज में टीचर है। सभी हॉल में बैठकर चाय पी रहे थे लेकिन इसी दौरान गौरी की मम्मी और गौरी के बीच एक ऐसी बातचीत शुरू हुई जिसका ना कोई सर था न कोई पैर,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
गौरी की मम्मी के मुंह से चाय निकलकर एक बार फिर शक्ति की टीशर्ट पर जा गिरी और उन्होंने शक्ति से कहा,”माफ़ करना सर ये लड़की थोड़ी पागल है , कुछ भी कहती है”
“जी कोई बात नहीं , हमे लगता है हमे अब चलना चाहिए ,, बारिश भी रुक चुकी है”,शक्ति ने चाय का कप रखते हुए कहा
“ठीक है सर , आप आये अच्छा लगा,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे मैं बैंक में काम करती हूँ आपको कभी कोई काम हो तो जरूर बताईयेगा”,गौरी की मम्मी ने कहा
“हाँ जरूर आपका शुक्रिया”,शक्ति ने कहा और जाने लगा। काशी ने देखा शक्ति ऐसे ही चला जाएगा उसने तो अभी तक उस से ठीक से बात भी नहीं की है। काशी शक्ति की तरफ आयी और गौरी से कहा,”गौरी हम भी चलते है”
“अरे काशी बेटा तुम अकेले कैसे जाओगी ?”,गौरी की मम्मी ने सवाल किया
“सर हमे घर तक छोड़ देंगे,,,,,,,,,,,क्यों सर ?”,काशी ने शक्ति की तरफ देखकर कहा
“हाँ ठीक है,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा क्योकि उसे भी काशी से बहुत कुछ कहना था
“ठीक है काशी तुम्हारे कपडे मैं बाद में भिजवा दूंगी , सर तुम्हे आराम से घर छोड़ देंगे , तुम रात में घर भी नहीं जा पाई ना नानू नानी परेशान हो रहे होंगे,,चलो चलो मैं तुम दोनों को बाहर छोड़कर आती हूँ”,गौरी काशी के दिल की बात समझते हुए कहा
शक्ति और काशी बाहर चले आये। बारिश रुक चुकी थी बस हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। शक्ति काशी के साथ अपनी गाड़ी में आ बैठा। गौरी ने अपने घर के गेट पर खड़े खड़े हाथ हिलाकर बाय कहा और जैसे ही जाने के लिए मुड़ी पीछे खड़ी अपनी मम्मी से टकरा गयी। अपनी मम्मी को अचानक देखकर गौरी डर गयी और कहा,”ओह्ह्ह मम्मा आपने तो मुझे डरा ही दिया”
“तेरे वो सर सच में सिंगल है क्या ?”,गौरी की मम्मी ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“मम्मा ! आप मेरे सर के पीछे क्यों पड़ी है ?”,गौरी ने अंदर आते हुए कहा
“अरे इतनी कम उम्र में वो तुम्हारे कॉलेज के बच्चो को सिविलस पढ़ाते है , और दिखने में भी अच्छे है। मैंने जब उनसे बात की तो वो तुम्हारी काफी तारीफ भी कर रहे थे,,,,,,,,,,,,,,कितना अच्छा हो अगर वो तुम्हे पसंद करने लगे।”,गौरी की माँ ने गौरी के पीछे आते हुए कहा
गौरी ने सिविलस वाली बात सुनी तो हैरान हो गयी। वह पलटी और कहा,”हा,,,,,,,,,,,,,,,क्या सच में उन्होंने ऐसा कहा ?”
“हाँ सच में,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं बहुत शर्मिन्दा हु तुम्हारी हरकतों की वजह से तुमने उन पर जूठी चाय उड़ेल दी”,गौरी की मम्मी ने हताश होकर कहा
“हां मैं भी शर्मिन्दा हूँ”,गौरी ने भी उसी अंदाज में कहा
“लेकिन वो इतने अच्छे है की इसके बाद भी उन्होंने बुरा नहीं माना , शायद वो तुम्हे पसंद करते हो”,गौरी की मम्मी ने दार्शनिक अंदाज में कहा
“मॉम आप क्या बोल रही है ?,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा कुछ नहीं है भूल जाईये,,,,,,,,,,,,,,मैं अपने कमरे में जा रही हूँ ऋतू प्रिया को उठाने”,कहते हुए गौरी सीढ़ियों की तरफ चली गयी।
“अरे सुनो,,,,,,,,,,,!!”,गौरी की मम्मी ने कहा
“मुझे कुछ नहीं सुनना है मॉम”,कहकर गौरी चली गई।
“ये लड़की भी ना कभी मेरी बात नहीं सुनती,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी की मम्मी बड़बड़ाई
“मम्मा मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रहा हूँ”,जय ने आकर कहा
“तुम दोनों भाई बहनो को और कोई काम नहीं है , जब देखो तब बाहर जाना है ,, चलो जाओ अंदर और पढ़ाई करो अगले महीने एग्जाम्स है तुम्हारी,,,,,,,,,तुम्हारा नाश्ता मैं तुम्हारे कमरे में ही भिजवा दूंगी”,गौरी की मम्मी ने गुस्सा होकर कहा
जय पैर पटकते हुए वहा से चला गया।
काशी शक्ति के बगल में बैठी प्यार से उसे देख रही थी। शक्ति सामने देखते हुए गाडी चला रहा था। कालोनी से निकलकर गाड़ी मेन रोड पहुंची तो शक्ति ने कहा,”तुम्हे कहा छोड़ना है ? तुम्हे घर छोड़ देते है उसके बाद हमे वापस जाना होगा”
“गाड़ी रोको”,काशी ने कहा
“लेकिन तुम्हारा घर यहाँ नहीं है”,शक्ति ने कहा
“हाँ हम जानते है , गाड़ी रोको”,काशी ने सख्त स्वर में कहा
काशी को सीरियस देखकर शक्ति ने गाड़ी को साइड में लाकर रोक दिया और काशी की तरफ देखकर कहा,”क्या हुआ तुम ठीक हो ना ?”
“नहीं हम ठीक नहीं है , बनारस से इतनी दूर क्या तुम सिर्फ हमसे सॉरी बोलने आये थे। तुम्हे पता है हमे तुमसे कितनी बातें करनी है , कितना कुछ बताना है तुम्हे है और तुम हो के वापस जा रहे हो,,,,,,,,,,,,,,,तुम हमारे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ?”,काशी ने रोआँसा होकर कहा
शक्ति काशी की तरफ पलटकर बैठा और कहने लगा,”काशी हमे तुम्हे बहुत कुछ बताना है लेकिन ये जगह और वक्त दोनों सही नहीं है। हमे वापस बनारस जाना होगा , जब तुम वापस आओगी बनारस आओगी तो हम तुम्हारी हर बात मानेंगे,,,,,,,,,,,,जो तुम कहोगी लेकिन अभी हमे यहाँ से जाना होगा”
शक्ति की बात सुनकर काशी को अच्छा नहीं लगा वह शक्ति के साथ कुछ वक्त बिताना चाहती थी और वो था की वापस जाने की बाते कर रहा था।
“अगर ऐसा था तो तुम्हे यहाँ आना ही नहीं चाहिए था।”,काशी ने उदास होकर सामने देखते हुए कहा।
शक्ति दुविधा में पड़ गया इंदौर में ना रुकने की शक्ति के पास एक ठोस वजह थी लेकिन इस वक्त वह काशी को नहीं बता सकता था। वह कुछ देर काशी के उदास चेहरे को देखता रहा और फिर गाडी स्टार्ट करके कहा,”हम तुम्हे घर छोड़ देते है”
काशी ने सूना तो उसके चेहरे की उदासी और ज्यादा बढ़ गयी जो की शक्ति को परेशान कर रही थी। शक्ति ख़ामोशी से गाडी चलाता रहा , बीच बीच में वह काशी को देख भी लेता लेकिन काशी खिड़की के बाहर देख रही थी। शक्ति को अच्छा नहीं लगा उसने काशी के हाथ को अपने हाथ में लिया और गेयर पर रखते हुए कहा,”अच्छा बताओ तुम क्या चाहती हो ?”
काशी ने सूना तो मुस्कुरा उठी और शक्ति की तरफ घूमकर कहा,”तुम्हारा थोड़ा सा वक्त चाहिए , सिर्फ कुछ घंटे उसके बाद तुम चले जाना हम नहीं रोकेंगे”
काशी की मासूमियत भरी बात सुनकर शक्ति मुस्कुरा उठा और कहा,”ठीक है लेकिन पहले हम तुम्हे घर छोड़ देते है , तुम घर जाओ तुम्हारे नाना-नानी परेशान हो रहे होंगे। उसके बाद तुम जहा कहोगी हम चलेंगे”
“वादा करो”,काशी ने अपना दुसरा हाथ शक्ति के सामने करके कहा
“वादा,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने अपना हाथ रखकर कहा तो काशी खुश होकर आलथी पालथी वही सीट मारकर बैठ गयी और उसके बाद शुरू हुई उसकी बातें। वह शक्ति को इंदौर के बारे में , अपनी दोस्तों के बारे में बताती रही और शक्ति उसका हाथ अपने हाथ में थामे मुस्कुराते हुए सब सुनता रहा। काशी का साथ पाकर आज वह बहुत खुश था। आधे घंटे का ये सफर बहुत जल्दी खत्म हुआ। शक्ति की गाड़ी अधिराज जी के घर कुछ दूर पहले आकर रुक गयी। गाड़ी पुरे दो मिनिट से वही खड़ी थी। शक्ति और काशी दोनों ख़ामोशी से सामने रहे थे। काशी का बिल्कुल नहीं था की वह शक्ति को छोड़कर जाए वही शक्ति के मन में भी यही ख्याल चल रहा था लेकिन काशी का इस वक्त जाना जरुरी था इसलिए उसने काशी के हाथ से अपना हाथ हटाया और उसकी तरफ देखकर कहा,”काशी तुम्हे अब जाना चाहिए”
“हम्म्म्म तुम पक्का वापस आओगे ना ?”,काशी ने शक्ति की तरफ देखकर कहा
“भरोसा रखो”,शक्ति ने कहा
“ठीक है फिर हम जाते है”,कहकर काशी ने दरवाजा खोला और नीचे उतर गयी। काशी जाते जाते वापस आयी और दरवाजा खोलकर कहा,”शक्ति,,,,,,,,!!
शक्ति ने उसकी तरफ देखा और कहा,”हाँ,,,,,,,,,!”
काशी ने वापस अंदर बैठकर शक्ति के चेहरे को साइड में किया और उसके गाल को अपने होंठो से छूकर धीरे से कहा,”आई लव यू”
बेचारा शक्ति कुछ बोल ही नहीं पाया , काशी की इस हरकत ने उसके दिल की धड़कने बढ़ा दी। वह कुछ कहता इस से पहले काशी हाथ हिलाते हुए वहा से चली गयी शक्ति का हाथ अपने गाल से जा लगा और वह मुस्कुरा उठा। कुछ देर बाद शक्ति वहा से चला गया।
काशी घर आयी उसे देखते ही अम्बिका ने कहा,”काशी कहा रह गयी थी तुम ? पता है कल रात कितनी बारिश हो रही थी तुम्हारे नानाजी को तुम्हारी चिंता हो रही थी।”
“नानी माँ वो हम ऋतू प्रिया के साथ गौरी के घर रुक गए थे”,काशी ने अंदर आते हुए कहा
“ठीक है जाकर अपने नानाजी से मिल लो ताकि उन्हें तसल्ली हो जाये , तब तक मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बनवा देती हूँ”,कहते हुए अम्बिका जी किचन की तरफ चली गयी। काशी आकर अधिराज जी से मिली और फिर ऊपर अपने कमरे में चली आयी। काशी आज बहुत खुश थी जिस लड़के को वह इतना पसंद करती थी वह भी उसे पसंद करता था वो भी इतना की उस से मिलने इंदौर चला आया।
काशी को शक्ति से मिलने जाना था इसलिए उसने अपना कबर्ड खोला और कपडे देखने लगी। वह एक एक करके ड्रेस अपने ऊपर लगाकर शीशे में देखती और मुंह बनाकर उन्हें वापस बिस्तर पर डाल देती। ऐसा करते हुए उसने कबर्ड के सारे कपड़ो का बिस्तर पर ढेर लगा दिया। काशी की नजर कबर्ड के कोने में टंगे आखरी ड्रेस पर गयी। काशी ने उसे निकाला। सफ़ेद रंग का चूड़ीदार सूट , जिस के साथ सतरंगी दुपट्टा था। काशी ने उसे लगाकर शीशे में देखा और मुस्कुरा उठी आज वह यही पहनने वाली थी
काशी ने वो सूट पहना , बालों को गूंथकर चोटी बनाई , आँखों में गहरा काजल लगाया , होंठो पर लिप ग्लास , कानो में झुमके पहने , माथे पर एक काली बिंदी लगाई और दुपट्टे को गले में डालकर , टेबल से अपना बैग और बुक्स उठाये कमरे से बाहर निकल गयी। उसने हाथ पर बंधी घडी में समय देखा 11 बज रहे थे। काशी ने शक्ति को 11 बजे वापस उसी जगह आने को बोला था
काशी को जाते देखकर अधिराज जी ने कहा,”अरे काशी बेटा नाश्ता तो करती जाओ”
“नानू हमे देर हो रही है , हम केंटीन में खा लेंगे”,कहते हुए काशी वहा से निकल गयी
“ये लड़की भी ना जबसे बनारस से वापस आयी है कुछ बदल सी गयी है”,अधिराज जी ने सामने पड़ा अख़बार उठाते हुए कहा। काशी अपना बैग और बुक्स सम्हाले उसी जगह आयी जहा सुबह शक्ति ने उसे छोड़ा था। काशी के मन में तो बस यही ख्याल चल रहा था की शक्ति वापस आएगा भी या नहीं। काशी मन ही मन महादेव को याद करते हुए वहा पहुंची तो देखा शक्ति की गाड़ी वही खड़ी थी और शक्ति भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
काशी शक्ति के सामने आकर खड़ी हो गयी शक्ति ने काशी को देखा तो बस देखता ही रह गया। सादगी में काशी कितनी सुंदर लग रही थी। वह काशी के करीब आया तो काशी का दिल धड़कने लगा। शक्ति ने अपनी ऊँगली से काशी के आँख से काजल निकाला और उसके कान के पीछे लगा दिया और पीछे हट गया।
“अब ये क्या था ?”,काशी ने हैरानी से कहा
“तुम इन कपड़ो में बहुत सुंदर लग रही हो , अगर हमने तुम्हे थोड़ी देर और ऐसे ही देखा तो कही तुम्हे हमारी नजर ना लग जाये”,शक्ति ने बड़े ही प्यार से कहा
“पागल हो तुम,,,,,,,,,,,,,ऐसा कुछ नहीं होता , अब चलो”,काशी ने गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए कहा और गाड़ी में बैठ गयी। शक्ति भी ड्राइवर सीट पर आ बैठा और दोनों वहा से निकल गये
ऋतू प्रिया नाश्ता करने के बाद अपने घर चली गयी। गौरी का आज कॉलेज जाने का मन नहीं था इसलिए वह अपने कमरे में ही बिस्तर पर पड़ी किसी सोच में डूबी थी। बारिश की वजह से आज गौरी की मम्मी भी बैंक नहीं जा पायी। कुछ देर बाद वे गौरी के कमरे में आयी उन्होंने देखा गौरी अभी तक नहायी नहीं है और तो और गौरी का कमरा भी काफी बिखरा पड़ा था और गौरी बिस्तर पर उलटी पड़ी थी।
“हे भगवान इस लड़की का मैं क्या करू ?,,,,,,,,,,,,गौरी तुम अभी तक नहायी नहीं चलो उठो और नहाने जाओ”,गौरी की मम्मी ने कहा
“ओह्ह्ह मम्मा आप यहाँ क्या कर रही है ? मैं नहा लुंगी बाद में”,गौरी ने बिस्तर पर लौटते हुए कहा
“उठो और बाथरूम में जाओ , वरना आज तुम्हे दोपहर का खाना नहीं मिलेगा”,गौरी की मम्मी ने उसे डांट लगाते हुए कहा और कमरे से बाहर चली गयी
मजबूरन गौरी को उठना पड़ा , उसने अपना फोन देखा मुन्ना का कोई मैसेज नहीं था , उसने मुन्ना का नंबर डॉयल किया और फोन कान से लगाए लगाए बाथरूम में चली आयी। टब भरने के लिए उसने नल चला दिया और शीशे के सामने खड़ी होकर खुद को देखने लगी।
मुन्ना का फोन बंद आ रहा था। गौरी ने फोन को देखते हुए कहा,”अजीब लड़का है इस वक्त इसका फोन बंद क्यों आ रहा है ? अब मैं क्या करू ? मेरे पास इसका यही नंबर है,,,,,,,,,,,,,,,,,उम्मम्मम इस वक्त वो लड़का कहा हो सकता है ? हम्म्म्म कॉलेज , मुन्ना को पढ़ना पसंद है तो डेफिनेटली वो कॉलेज में ही होगा ,, मैं उसके कॉलेज फोन करती हो,,,,,,,,,,ओह्ह्ह गौरी तुम कितनी स्मार्ट हो स्वीटहार्ट”,गौरी ने अपनी तारीफ में कहा और मुन्ना के कॉलेज का नंबर गूगल से ढूंढ निकाला। उसने BHU कॉलेज फोन किया , गौरी की किस्मत अच्छी थी की उसका फोन दो रिंग बाद ही उठा लिया गया।
“हेलो क्या आप मेरी बात मुन्ना,,,,,,,,,,,आई मीन मानवेन्द्र मिश्रा से करवा सकते है प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,ये थोड़ा अर्जेन्ट है”,गौरी ने सधी हुई आवाज में कहा
“आप कहा से बात कर रही है ? और ये कॉलेज का ऑफिस रूम है आप उनके मोबाइल पर फोन कीजिये”,दूसरी तरफ से आवाज आयी
“मैंने फोन किया है लेकिन उनका फोन बंद आ रहा है सो प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,मैं आपसे रिक्वेस्ट करती हूँ”,गौरी ने कहा
मुन्ना कुछ काम से ऑफिस रूम के सामने से ही गुजरा था की उसे देखते ही ऑफिस के स्टाफ ने कहा,”मानवेन्द्र मिश्रा तुम्हारा फोन है”
मुन्ना ने सूना तो ठिठका और अंदर आते हुए कहा,”हमारा फोन वो भी कॉलेज के ऑफिस रूम में,,,,,,,,,,,,,,,,,अजीब बात है”
कहते हुए मुन्ना ने रिसीवर उठाया और कहा,”हेलो , हाजी कौन बोल रहा है ?”
मुन्ना की आवाज सुनते ही गौरी मुस्कुरा उठी और अगले ही पल गुस्से से कहा,”तुमने फिर अपना फोन बंद कर लिया ?”
“गौरी ? आपको कॉलेज के ऑफिस का नंबर कहा से मिला ?”,मुन्ना गौरी के फोन से सदमे में था
“वो सब बाद में पहले अपने फोन से मुझे फोन करो,,,,,,,,,,,बाय”,कहकर गौरी ने फोन काट दिया। मुन्ना ने रिसीवर रखा और जैसे ही जाने के लिए पलटा देखा ऑफिस के सारे लोग उसे ही देख रहे है। मुन्ना झेंपते हुए वहा से निकल गया।
Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81 Main Teri Heer – 81
आखिर शक्ति का इंदौर से क्या रिश्ता है ? क्या गौरी अपनी मम्मी के सवालो से बच पायेगी ? क्या मुन्ना बच पायेगा गौरी की इन नादानियों से ? जानने के लिए सुनते रहे “मैं तेरी हीर”
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क्रमश – Main Teri Heer – 82
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संजना किरोड़ीवाल