Main Teri Heer – 8
Main Teri Heer – 8
वंश का हाथ थामे काशी बाहर चली आयी उसने देखा कुछ ही दूर जीप के पास मुन्ना खड़ा है। काशी मुस्कुराते हुए मुन्ना की तरफ बढ़ गयी मुन्ना के सामने आकर काशी ने अपने हाथो को अपनी कमर पर रखा और शिकायत भरे लहजे में कहा,”आप हमसे मिलने अंदर क्यों नहीं आये ?”
“वो हम आने ही वाले थे की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहना चाहा लेकिन तभी काशी की नजर मुन्ना पर पड़ी , चेहरे से दाढ़ी गायब थी। काशी ने मुन्ना को गौर से देखा और कहा,”ये कब हुआ ? आपने याने मानवेन्द्र मिश्रा जी उर्फ़ मुन्ना भैया ने अपनी दाढ़ी हटवा दी कैसे ?”
“ये सब पापा का कमाल है काशी उन्होंने कहा और मुन्ना जी चल पड़े आज्ञा का पालन करने”,वंश ने मुन्ना का मजाक उड़ाते हुए कहा
“किसी ने भी कहा हो लेकिन आप बहुत हेंडसम लग रहे हो , हमारे कॉलेज की लड़किया आपको देखेंगी तो फ़िदा ही हो जाएँगी”,काशी ने कहा तो मुन्ना मुस्कुरा उठा और कहा,”कैसा रहा तुम्हारा कॉलेज ?”
“बहुत बढ़िया था लेकिन जल्दी ही वापस आना होगा एग्जाम्स आने वाले है और पढाई भी तो करनी है”,काशी ने अपनी बुक्स और बैग गाड़ी की पिछली सीट पर रखते हुए कहा और अगर आकर ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठ गयी
“काशी हमारे बनारस में इतना बड़ा कॉलेज है फिर तुम इतनी दूर पढ़ने क्यों आयी हो ? पता है कितना याद करते है सब तुम्हे”,मुन्ना ने ड्राइवर सीट पर बैठते हुए कहा
“वो सब हम आपको घर चलकर बताएँगे , नाना नानी से मिले आप लोग ?”,काशी ने कहा
“नहीं बनारस से सीधा यही तुम्हे सरप्राइज देना था ना”,जीप की पिछली सीट पर बैठे वंश ने कहा। मुन्ना ने जीप स्टार्ट की और वहा से निकल गया। कॉलेज से बाहर जाते हुए भी उसकी नजर बार बार किसी को ढूंढ रही थी। आज पहली बार मुन्ना किसी को एक बार फिर देखना चाहता था। तीनो भाई बहन बाते करते हँसते मुस्कुराते अधिराज जी के घर पहुंचे। घर के बरामदे में अपनी आरामकुर्सी पर बैठ अधिराज जी धुप सेक रहे थे। मुन्ना , वंश और काशी जीप से उतरे और अंदर चले आये उन्हें देखते ही अधिराज जी का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा। मुन्ना और वंश ने आकर उनके पैर छुए तो अधिराज जी ने दोनों को गले लगाते हुए कहा,”आज सुबह से ही मेरा मन कह रहा था जैसे कोई करीबी आने वाला है , तुम दोनों को यहाँ देखकर बहुत ख़ुशी हुई,,,,,,,,,,,,,अरे अम्बिका सुनती हो देखो तो कौन आये है ?”
अपने दोनों नाती को घर में देखकर अधिराज जी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। अधिराज जी काफी बूढ़े हो चुके थे। बाल पक चुके थे , आँखों पर चश्मा लग चुका था , हाथ पैरो और चेहरे पर अब झुर्रिया दिखाई देने लगी थी लेकिन उनकी आँखों की चमक आज भी वैसे ही थी। अधिराज जी की आवाज सुनकर अम्बिका बाहर आयी मुन्ना और वंश को देखते ही उनका चेहरा भी ख़ुशी से खिल उठा। वंश आकर अपनी नानी के गले लगा और उनके गाल पर किस करते हुए कहा,”कैसी हो नानी ? आप तो दिन ब दिन और क्यूट होते जा रही हो”
“धत बदमाश !! आज याद आयी तुझे अपनी नानी की”,अम्बिका ने झूठ मुठ का नाराज होते हुए कहा
“अरे मेरी प्यारी नानी ऐसे गुस्सा नहीं होते”,कहते हुए वंश ने उन्हें फिर से गले लगा लिया। काशी आकर अधिराज जी की कुर्सी के हत्थे पर आ बैठी और मुस्कुराते हुए उन्हें देखने लगी। मुन्ना अम्बिका के पास आया और उनके पैर छूते हुए कहा,”कैसी है नानी माँ ?”
“मैं बिल्कुल ठीक हूँ बेटा चलो सब अंदर चलो”,अम्बिका ने मुन्ना के गाल को प्यार से छूते हुए कहा
“आप सब चलिए हम आते है”,मुन्ना वापस बाहर चला आया उसने जीप में रखे लड्डू का डिब्बा उठाया और अंदर ले आया। अंदर सभी बैठकर बाते कर रहे थे मुन्ना ने लड्डू का डिब्बा डायनिंग पर रखते हुए अम्बिका से कहा,”नानी माँ ये आपके लिए,,,,,,,,,,,,,!!!”
“पक्का अनु मौसी ने नानी के लिए लड्डू भेजे होंगे है ना ?”,काशी ने मुन्ना की तरफ आकर डिब्बा खोलते हुए कहा। डिब्बा खोलने पर जब उसमे रखे लड्डू दिखाई दिए तो काशी के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी। उसने एक लड्डू उठाया और खाते हुए कहा,”उम्म्म्म इंदौर में हम सबसे ज्यादा ना इन लड्डुओं को मिस करते है ,, नानी माँ खाकर देखो कैसा बना है ?”
“हम्म्म बहुत अच्छा है , मुझे तो यकीन नहीं होता की ये अनु इतने अच्छे लड्डू बनाने लगी है”,अम्बिका ने काशी के हाथ से लड्डू खाते हुए कहा
“अरे बिल्कुल नानी माँ , हमारी माँ बहुत अच्छा खाना बनाती है”,मुन्ना ने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा
“बेटा जब तुम्हारी माँ तुम्हारी उम्र की थी तब उसे सिर्फ पानी उबालना आता था , आज उसे खाना बनाते देखकर थोड़ी तो हैरानी होगी ना”,अम्बिका ने कहा तो सब खिलखिलाकर हंस पड़े
“अच्छा मुन्ना छोटे दामाद जी की विधायकी कैसी चल रही है ? पहले की तरह ही मस्ती मजाक करते है या थोड़ा बदलाव आया है उनमे ?”,अधिराज जी ने पूछा। मुन्ना उठकर उनके पास आया और कहने लगा,”नानाजी आप तो जानते ही है पापा को , सब बदल सकता है लेकिन उनका स्वैग नहीं। अभी भी वो लोगो से वैसे ही बात करते है”
“हां तो क्यों ना करे ? हमे तो मुरारी चाचा का स्वैग बहुत पसंद है , जब वो कहते है “चाचा विधायक है हमारे” कितने कूल लगते है”,काशी ने चहकते हुए कहा
“ये बात तो हम लोग भी बोल सकते है काशी की “चाचा विधायक है हमारे” क्यों ?”,वंश ने काशी से कहा तो जवाब में काशी ने हाई फाइव देते हुए कहा। सभी बैठकर बाते करने लगे। घर में काम करने वाला लड़का सबके लिए चाय ले आया। चाय पीने के बाद अम्बिका ने वंश और मुन्ना को नहाने को कहा। मुन्ना और वंश नहाने चले गए और अम्बिका किचन में चली आयी।
अधिराज जी ने देखा तो कहा,”अरे अम्बिका तुम क्यों तकलीफ करती हो सतीश से कह दो वो बना देगा”
“कितने सालो बाद मेरे नाती मेरे घर आये है , आज तो मैं उनके लिए अपने हाथो से खाना बनाउंगी”,अम्बिका ने कहा तो अधिराज जी मुस्कुराते हुए वहा से चले गए। नहाने के बाद मुन्ना ने पेण्ट शर्ट पहना तो वही वंश ने टीशर्ट और शॉर्ट्स पहन लिए। मुन्ना ने देखा तो कहा,”वंश ऐसे मौसम में ये क्यों पहना है ?
“अरे यार इन कपड़ो में थोड़ा कंफर्ट रहता है , वैसे भी सर्दी घर के बाहर है अंदर नहीं और मैं तो वैसे भी हॉट हूँ”,वंश ने कहा
“धन्य हो आप , चले नानी माँ ने आज अपने हाथ से खाना बनाया है”,मुन्ना ने खुश होकर कहा
“फिर तो मैं आज दबाकर खाने वाला हूँ”,वंश ने कहा और मुन्ना के साथ बाहर चला आया। अम्बिका ने सतीश की मदद से डायनिंग पर खाना लगवा दिया। सभी आकर बैठ गए। काशी अपने नाना की बगल में बैठी थी उनकी लाड़ली जो थी। अम्बिका भी आ बैठी और सबकी प्लेटो में खाना परोसा। दाल , मिक्स चावल , भिंडी की तरकारी , आलू की झोल वाली सब्जी , गर्मागर्म पूरी , बादाम का हलवा और साथ में बूंदी का रायता। ये सब देखकर ही वंश के मुंह में पानी आ गया उस पर खुशबु इतनी अच्छी की ढक्कन हटाते ही पूरा घर खाने की खुशबु से महक उठा। वंश ने जैसे ही खाने के लिए हाथ बढ़ाया अम्बिका ने रोक दिया और एक निवाला तोड़कर अपने हाथ से खिलाते हुए कहा,”बहुत इच्छा थी की अपने नाते नातियों को अपने हाथो से खिलाऊ”
वंश ने जैसे ही निवाला खाया कहा,”वाह नानी माँ क्या खाना बनाया है ? मुह्हह्हआ”
“तुम्हे पसंद आया मुझे अच्छा लगा”,कहते हुए अम्बिका ने दुसरा निवाला तोड़ा और मुन्ना को खिला दिया। उनके हाथ से निवाला खाकर मुन्ना को एक सुखद अहसास हुआ और उसने उनके हाथ को अपने दोनों हाथो में थामकर कहा,”नानी माँ इसी प्यार के लिए हम यहाँ आये थे ,,,,, बचपन में कभी आपके साथ ज्यादा रह ही नहीं पाए”
“तो अब रुक जाओ , अपनी नानी के हाथो से बने नए नए पकवान चखो , नए नए किस्से सुनो”,अधिराज जी ने कहा
“ये तो आपने नामुमकिन बात कह दी नानू क्योकि हमारे मुन्ना भैया अपने बनारस से बाहर शायद ही कभी रहेंगे”,काशी ने मुन्ना की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा। अधिराज जी ने मुन्ना की तरफ देखा तो मुन्ना कहने लगा,”ऐसी बात नहीं है नानाजी , अभी कॉलेज चल रहे है उसके बाद दूसरी जिम्मेदारियां आ जाएगी खुद को अपने पैरो पर खड़ा करना है , अपनी एक पहचान बनानी है”
“बिल्कुल सही बेटा हर इंसान की अपनी एक अलग पहचान होती है जिस से वो जग में जाना जाता है”,अधिराज जी ने कहा और फिर वंश की तरफ देखकर कहा,”और तुम छोटे नवाब तुम्हे जिंदगी में कुछ करना है या नहीं ?”
“करना है ना नानू मुझे भी बहुत कुछ करना है लेकिन पापा मेरी सुनते नहीं है वो और माँ चाहते है की मैं बस उनकी आँखों के सामने रहू ,, पता है यहाँ आने के लिए भी कितनी रिक्वेस्ट करनी पड़ी है मुझे”,वंश ने खाते हुए कहा
“सही तो है दामाद जी का खुद का इतना बड़ा कारोबार है कॉलेज के बाद उनके साथ काम क्यों नहीं करते तुम ? आगे जाकर तुम्हे ही तो वो सब सम्हालना है।”,अधिराज जी ने कहा
“काम वो भी पापा के साथ , आपको पता है जब मैं और पापा साथ होते है तो मेरी आवाज तक नहीं निकलती है उनके सामने”,वंश ने कहा
“लेकिन शिवम् जी तो बहुत अच्छे है बेटा , तुम्हारी माँ से शादी करने के लिए कितना त्याग किया था उन्होंने”,इस बार अम्बिका ने कहा
“अच्छा नानी माँ आप हमे माँ-पापा , बड़ी माँ-बड़े पापा की कहानी सुनाईये ना , वे लोग कैसे मिले ? उनकी शादी कैसे हुई ? उस जमाने में भी लव मैरिज के लिए नानू कैसे मान गए ? हमे सब बताएगी ना आप ?”,मुन्ना ने कहा
“हाँ नानी माँ ये बात तो मुझे भी जाननी है”,वंश ने कहा
“मुझे भी,,,,,,,,,,,,,!!”,इस बार काशी ने कहा
“अच्छा ठीक है पहले सब खाना खाओ उसके बाद मैं सुनाऊंगा”,अधिराज जी ने कहा
सबने जल्दी जल्दी खाना खत्म किया और उसके बाद सभी बाहर बरामदे में चले आये जहा हल्की धुप थी। वंश सीढ़ियों पर बैठ गया। अधिराज जी अपनी आराम कुर्सी पर , काशी उनके पास पड़ी कुर्सी पर और अम्बिका जी नीचे रखे छोटे पलंग पर ,, मुन्ना मौके का फायदा उठाते हुए आकर उनकी गोद में सर रखकर लेट गया। अम्बिका जी मुस्कुराते हुए उसका सर सहलाने लगी। एक सुकून जो मुन्ना को मिल रहा था उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था। सच कहा है किसी ने की माँ के हाथो में जादू होता है अब चाहे वो दादी माँ हो या नानी माँ।
अधिराज जी ने तीनो बच्चो और अम्बिका को देखा और कहने लगे,”तो ये उस जमाने की बात है जब एक रांझणा हुआ करता था”
“रांझणा ?”,काशी ने बीच में कूदते हुए कहा
“हां रांझणा ,, प्रेम का प्रतीक जिसके मन में अपार प्रेम था अपने शहर को लेकर , अपनी मैडम जी को लेकर और अपने सपनो को लेकर,,,,,,,,,,,,,,,ये कहानी शुरू होती है बनारस से”
अधिराज जी की बात सुनकर मुन्ना , वंश और काशी की आँखो में चमक उभर आयी। तीनो ध्यान लगाकर अपने नाना से कहानी सुनने लगे।
कहानी खत्म होते होते शाम होने को आयी और अधिराज जी ने कहानी खत्म करते हुए कहा,”उसके बाद तुम तीनो आये , शिवम् सारिका , मुरारी अनु की जिंदगी में ढेर सारी खुशिया लेकर और देखो कितनी जल्दी तुम तीनो बड़े हो गए। तुम तीनो को देखकर लगता है जैसे वक्त मुझे 25 साल पीछे ले गया हो” कहते कहते अधिराज जी की आँखे एकदम से नम हो जाती है , शायद बीते वक्त के बारे में सोचकर।
मुन्ना वंश और काशी ने देखा तो तीनो उठे और अपने नाना के गले लगते हुए कहा,”आई लव यू नानाजी , आप दुनिया के बेस्ट नानाजी हो”
“हां नानाजी और हम तीनो किस्मत वाले है की हमे ये कहानी सुनने का और जानने का मौका मिला। आज बड़े पापा की हमारी नजरो में इज्जत और बढ़ गयी है”,मुन्ना ने अधिराज जी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा
“मुझे तो लगता था पापा हमेशा से ऐसे खड़ूस है लेकिन पापा तो कितने रोमांटिक इंसान है यार”,वंश ने कहा
“चलो अब सब अंदर चलो संध्या हो चुकी है”,अधिराज जी ने उठते हुए कहा
“नानू आप परमिशन दे तो हम लोग बाहर घूमकर आये , और हम लोग क्यों आप और नानी भी साथ चलिए ना बहुत मजा आएगा”,वंश ने कहा
“अरे नहीं बेटा तुम तीनो को जाना है तो तुम तीनो घुमकर आओ इतनी ठंड में मैं नहीं जा पाऊंगा”,अधिराज जी ने कहा
सभी अंदर चले आये। वंश जिसका इंदौर आने का मकसद यही था घूमना फिरना और मजे करना वो उसे पूरा होता नजर आ रहा था। काशी भी जाने को तैयार हो गयी। मुन्ना नाना नानी के साथ वक्त बिताना चाहता था लेकिन वंश को ऐसे अकेले जाने भी नहीं दे सकता था इसलिए उसने भी साथ जाने के लिए हामी भर दी। तीनो तैयार होने चले गए। काशी ने जींस और कुरता पहना , मेकअप के नाम पर सिर्फ हल्की सी लिपस्टिक इतने में भी वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। वंश ने टीशर्ट और जींस पहना साथ में लेदर जैकेट , बालो को सेट किया , परफ्यूम लगाया , अपने जूते चमकाए और अपने फोन से सेल्फी लेकर अपने दोस्तों को भेजने लगा। कुछ ही देर में मैसेज का अम्बार लग गया और वंश बैठकर उन्हें जवाब देने लगा।
काशी तैयार होकर मुन्ना के पास आयी देखा मुन्ना ने बस फॉर्मल शर्ट और जींस पहने हुए है तो काशी उसके पास आयी और कहा,”मुन्ना भैया यहाँ बैठो”
“क्यों ?”,मुन्ना ने सवाल किया
“अरे आप बैठो तो सही”,कहते हुए काशी ने मुन्ना को बैठाया और खुद कंघा ले आयी उसने मुन्ना के बालो को नया लुक देने के लिए पीछे चोटी बना दी। मुन्ना पर वो सुट भी कर रहा था। काशी ने देखा वंश अपने फोन में लगा है तो वह उसकी तरफ गयी और उसका काले रंग का जैकेट उठा लाई। उसने मुन्ना को वो जैकेट पहनने को कहा और फिर शर्ट के सामने के दो बटन खोलकर उसे जैकेट के साथ सेट किया और कुछ कदम पीछे हट गयी और मुन्ना को देखते हुए कहा,”नाऊ यू लुकिंग हॉट”
मुन्ना शीशे के सामने आया खुद को देखा काशी ने तो उसे पूरा ही बदल दिया था वह काशी की तरफ पलटा और कहा,”ये क्या बना दिया हमे ?”
“इसे स्टाइल कहते है मुन्ना भैया”,काशी ने कहा
मुन्ना मुस्कुराया और कहा,“अरे हम देशी ही ठीक है काशी , जब तक गले में गमछा ना पड़े बनारस के लौंडो का फैशन अधूरा है”
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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 9
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संजना किरोड़ीवाल