Main Teri Heer – 75
काशी अपनी सहेलियों के साथ इंदौर जाने के लिए बनारस से निकल चुकी थी। जाने से पहले वह शक्ति से मिलना चाहती थी लेकिन नहीं मिल पाई पर महादेव ने शायद इन दोनों की किस्मत में कुछ और ही लिखा था। शक्ति को जब पता चला काशी वापस जा रही है तो वह दौड़ते हुए उसके पीछे चला आया जाने से पहले एक बार ही सही उसने काशी को देख लिया था और उस वक्त उसके चेहरे पर एक सुकून था लेकिन आँखों में नमी,,,,,,,,,,,,,उसके मन में क्या चल रहा था ये तो बस वही जानता था।
ऋतू प्रिया बनारस के इस ट्रिप से काफी खुश थी तो वह गौरी थोड़ा चिढ़ी हुई थी क्योकि मुन्ना उस से मिलने नहीं आया था। मुन्ना को लेकर गौरी की भावनाये क्लियर थी वह मुन्ना को बहुत पसंद करती थी उसकी सादगी की वजह से और उसने मुन्ना से अपने दिल की बात कह भी दी लेकिन मुन्ना का अभी तक कोई जवाब नहीं आया था। साथ ही गौरी और वंश के बीच भी अच्छा रिश्ता बन गया। गौरी की तरफ से ये दोस्ती थी लेकिन वंश इन भावनाओ को दोस्ती का नाम नहीं दे पाया। गौरी उसकी जिंदगी में पहली लड़की होगी जिसे वह इतना पसंद करता था। हालाँकि इस से पहले कॉलेज में वह कई लड़कियों के टच में रहा था लेकिन गौरी से मिलने के बाद उसने सब छोड़ दिया।
प्रताप के कहने पर राजन जहा शांत था वही भूषण की बातो ने उसके दिल में फिर से लड़ने की भावना जगा दी। भूषण कहने को राजन का दोस्त था लेकिन वह हमेशा उसे गलत सलाह देता था ऐसा क्यों था ये भूषण ही जानता था लेकिन उसके इरादे नेक नहीं थे। शक्ति से भिड़ने के बाद प्रताप को अहसास हो चुका था की वह कभी उस से जीत नहीं पायेगा इसलिए उसने अपने कदम पीछे ले लिए साथ ही राजन को भी ये सब छोड़कर अपनी पढाई और आने वाले इलेक्शन पर ध्यान देने को कहा। इस वक्त हर कोई उलझन में था सबके दिल और भविष्य दांव पर लगे हुए थे।
सुबह के 11 बज रहे थे मुन्ना अपने बिस्तर पर लेटा गहरी नींद में सोया हुआ था। खिड़की से आती धुप जब उसके चेहरे पर पड़ी तो उसकी नींद टूटी। नींद में ऊंघते हुए उसने करवट ली और वापस सोने लगा लेकिन नहीं सो पाया। अधखुली आँखों से उसने घडी की तरफ देखा जो की सुबह के 11 बजा रही थी। मुन्ना एकदम से उठा और अपना फोन देखा उसमे भी 11 ही बज रहे थे। मुन्ना उठा और कमरे से बाहर आया , ऐसा पहली बार हुआ था जब मुन्ना इतनी देर तक सोता रहा। वह नीचे आया देखा अनु डायनिंग टेबल पर नाश्ता लगा रही है। मुन्ना को देखकर अनु ने कहा,”अरे मुन्ना तुम उठ गए , आज बड़ी देर तक सोते रहे तुम,,,,,,,,,,,,,मुझे लगा तुम थके हुए हो इसलिए मैंने तुम्हे नहीं उठाया”
“माँ काशी वापस गयी क्या ?”,मुन्ना ने अनु की तरफ आते हुए कहा
“हाँ वो लोग तो सुबह 7 बजे ही निकल गए थी , काशी ने तुम्हारे बारे में पूछा भी था,,,,,,,,उसने कहा है वो इंदौर जाकर तुम्हे फोन करेगी”,अनु ने कहा
मुन्ना ने जब सूना की काशी और उसकी दोस्त जा चुकी है तो उसे बहुत दुःख हुआ , उसे गौरी से मिलना था और उसे अपने दिल की बात बतानी थी लेकिन वह सुबह उठ ही नहीं पाया और गौरी चली गयी। मुन्ना का उतरा हुआ चेहरा देखकर अनु ने कहा,”क्या हुआ , तुम कुछ परेशान दिख रहे हो ?”
“नहीं माँ कुछ नहीं,,,,,,,,,,,हम नहाकर आते है”,कहकर मुन्ना वापस अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ गया
मुन्ना अपने कमरे में आया और आकर बिस्तर पर बैठ गया। अगले ही पल उसे गौरी घुटनो पर बैठी अपने सामने नजर आयी। उदास आँखों से वह उसे देखने लगा
उसने सामने बैठी गौरी मुस्कुरा रही थी और मुन्ना अपलक उसे देखे जा रहा था। मुन्ना के ख्याल अब उसे साफ नजर आ रहे थे जैसे ही मुन्ना ने गौरी को छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। गौरी गायब हो गयी मुन्ना को होश आया की ये सब सिर्फ उसके थके हुए दिमाग की उपज है वह उठा और कबर्ड की तरफ चला आया और नहाने के लिए कपडे निकालने लगा। कपडे निकालते हुए गौरी के पैर की झांझर नीचे आ गिरी मुन्ना ने उसे उठाया तो उसे फिर गौरी का ख्याल सताने लगा। मुन्ना उस झाँझर को देखता रहा और फिर उसे कबर्ड की दराज में रख दिया।
नहाने के बाद मुन्ना नीचे चला आया उसने बेमन से नाश्ता किया और अपने दोस्त रवि को फोन लगाया। एक महीने बाद ही फाइनल ईयर के एग्जाम्स थे। मुन्ना को अब अपना पूरा ध्यान गौरी से हटाकर अपनी पढाई पर लगाना था। नाश्ता करने के बाद वह अपने कमरे में चला आया और किताबे लेकर स्टडी टेबल के सामने आ बैठा। मुन्ना ने किताबे खोली और नोटस बनाने लगा लेकिन कुछ ही मिनिट बाद उसकी नजर अपने फोन पर चली गयी और उसने अपना फोन उठाते हुए कहा,”क्यों ना एक बार उसे फोन करके उस से माफ़ी मांग ले , उसका नंबर तो हमारे पास नहीं है काशी को ही फोन करते है”
मुन्ना ने काशी का नंबर डॉयल किया। कुछ रिंग जाने के बाद काशी ने फोन उठा लिया और कहा,”हेलो”
“काशी माफ़ करना वो हम तुमसे मिल नहीं पाए , हमे नींद आ गयी थी और हमे किसी ने उठाया भी नहीं”,मुन्ना ने उदास स्वर में कहा जबकि पहली बार उसे काशी से ज्यादा गौरी से ना मिल पाने का दुःख था
“आपको हमसे माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है , हम समझ गए थे वरना आप जरूर आते”,काशी ने कहा
“तुम ठीक हो ना ? हमारा मतलब कल जो कुछ भी हुआ उसके बाद शायद तुम्हारा मन खराब हो,,,,,,,,,,,,हमे तुम पर गुस्सा नहीं करना चाहिए था”,मुन्ना ने कहा
“हम आपसे बिल्कुल नाराज नहीं है , और हम उन बातो को भूल चुके है आप भी भूल जाईये”,काशी ने कहा
“हम्म्म , वंश तुम्हारे साथ है ?”,मुन्ना ने पूछा
“नहीं ड्राइवर भैया है , पापा ने घर से ही गाड़ी भेज दी,,,,,,,,,,,,,,वंश भैया तो आना चाह रहे थे लेकिन पापा ने मना कर दिया , उनके एग्जाम्स है ना और फिर इंदौर जाकर वो वहा से 1 हफ्ते तक वापस नहीं आएंगे इसलिए पापा ने उन्हें नहीं भेजा”,काशी ने कहा
“हाँ अच्छा किया,,,,,,,,,,तुम्हारी दोस्त सब ठीक है ना , मतलब तुम्हारे साथ ही जा रही होगी”,मुन्ना गौरी के बारे में पूछने में झिझक रहा था
“हाँ सब साथ ही है , ऋतू प्रिया सो रही है गौरी जाग रही है,,,,,,,,,,,रुको हम उसे फोन देते है”,कहते हुए काशी ने गौरी को फोन दे दिया। गौरी यू तो मुन्ना से नाराज थी लेकिन उस से बात करने का लालच वह छोड़ नहीं पाई और जानबूझकर रूखे स्वर में कहा,”हेलो,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने जैसे ही गौरी की आवाज सुनी उसका दिल धड़क उठा , वह कुछ देर खामोश रहा और फिर अपनी सर्द आवाज में धीरे से कहा,”हेलो”
इस बार गौरी का दिल धड़क उठा क्योकि यही वो आवाज थी जो गौरी को बहुत पसंद थी। गौरी कुछ कहती इस से पहले ही मुन्ना बोल पड़ा,”हम माफ़ी चाहते है हमे आपसे मिलना था लेकिन हम नहीं आ पाए,,,,,,,,,,,,,,दरअसल वो हम,,,,,,,,!!”
“मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी,,,,,,,,मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ,,,,,,,,,,,,बाय”,गौरी ने कहा और फोन काट दिया। काशी अपने कानो पर हेडफोन लगाए लेपटॉप में कोई फिल्म देख रही थी इसलिए उसे गौरी की बात सुनाई नहीं दी।
“लगता है कुछ ज्यादा ही नाराज है,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मुन्ना ने अपने फोन को अपनी ठुड्डी से लगा लिया और सोचने लगा। अगले ही पल फोन बजा , मुन्ना ने देखा फोन काशी का है तो उसने उठाया और उसके कुछ बोलने से पहले ही दूसरी तरफ से गौरी ने खीजते हुए कहा,”अगर कोई ये कहकर फोन काट दे की वह तुमसे नाराज है तो तुम्हे वापस फोन कर लेना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हम करने ही वाले थे,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने फिर धीरे से कहा
“कब ? वो तो मैंने तुम्हे याद दिलाया है इसलिए,,,,,,,,,,,,,,,,,सच बताऊ अब मुझे तुमसे बिल्कुल बात करे का मन नहीं है,,,,,,,,,,,,बाय”,कहकर गौरी ने फिर फोन काट दिया। मुन्ना समझ गया की गौरी उस से अच्छी ख़ासी नाराज है। उसने फोन साइड में रख दिया वह दोबारा फोन कर उसकी नाराजगी बढ़ाना नहीं चाहता था। गौरी के ख्यालो से बचने के लिए उसने एक बार फिर अपना ध्यान किताबो में लगाने की कोशिश की। अभी कुछ ही पल गुजरे की मुन्ना का फोन फिर बज उठा उसने देखा इस बार भी काशी का ही था , उसने फोन उठाया और कान से लगा लिया कुछ नहीं कहा। दूसरी तरफ भी ख़ामोशी थी और फिर गौरी ने कहा,”मैंने तुम्हे ये बताने के लिए फोन किया है की इंदौर जाकर मैं तुम्हे बिल्कुल याद नहीं करने वाली हूँ। मेरे पास तुम्हारे बारे में सोचने के अलावा भी बहुत सारे काम है”
“जैसे की,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने बड़े प्यार से कहा
“जैसे की , जैसे की कॉलेज,,,,,,,,,,,,,मैं अपने कॉलेज जाउंगी,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,गौरी ने कहा
“आपको याद है हम आपसे कॉलेज में टकराये थे,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने जानबूझकर गौरी को अपनी याद दिलाते हुए कहा
गौरी की आँखों के आगे वो पल आ गए और वह खामोश हो गयी। गौरी को खामोश पाकर मुन्ना ने कहा,”कही आप हमे याद तो नहीं कर रही ?”
“नहीं बिल्कुल नही और मैं तुम्हे बताना भूल गयी अगले महीने मेरे एग्जाम्स है इसलिए मैं घर पर पढूंगी,,,,,,,,,,,कॉलेज के बजाय मैं मार्किट चली जाउंगी”,गौरी ने कहा
“पर इंदौर के मार्किट में वो सब कहा जो बनारस में मिलता है , इतना अच्छा खाना , कपडे , और भी बहुत कुछ,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और गौरी फिर उसके बारे में सोचने लगी और खामोश हो गयी तो मुन्ना ने उसे छेड़ते हुए कहा,”शायद आप मेरे बारे में सोच रही है ?”
“ओह्ह्ह्ह मैं तुम्हारे बारे में क्यों सोच रही हूँ ?”,गौरी ने झुंझलाते हुए कहा तो मुन्ना मुस्कुराने लगा। उसके पास ये हुनर था की उस से बातो में कोई नहीं जीत सकता था,,,,,,,,,,,गौरी तो बिल्कुल नहीं।
“तो आप मुझसे नाराज है,,,,,,,,,,राईट ?”,मुन्ना ने पूछा
“हाँ,,,,,,,,,,बहुत ज्यादा,,,,,,,,,,,बहुत बहुत बहुत मतलब बहुत ज्यादा”,गौरी ने बच्चो की तरह मचलते हुए कहा
“तो हमे ऐसा क्या करना होगा जिस से आप हमे माफ़ कर दे ?”,मुन्ना ने बड़े प्यार से पूछा
“हम्म्म,,,,,,,,,,,,,,इंदौर आ जाओ , फिर मैं सोचूंगी माफ़ करना है या नहीं ?”,गौरी ने भी भाव खाते हुए कहा
अब मुन्ना तो ठहरा मुन्ना आज से पहले उसने ऐसा कुछ किया नहीं था इसलिए उसने कहा,”एक महीने बाद हमारी एग्जाम्स है,,,,,,,,,,,और हमारे लिए हमारी पढाई ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है”
“मतलब तुम नहीं आओगे ?”,गौरी ने कहा
“हमे लगा आप समझ गयी होगी”,मुन्ना ने कहा हालाँकि वह बस गौरी को परेशान कर रहा था लेकिन गौरी ये समझ नहीं पाई और कहा,”तुम,,,,,,तुम बहुत बुरे हो , मैं तुम्हे कभी इंदौर आने के लिए नहीं कहूँगी,,,,,,,,,,,,बाय”
कहकर गौरी ने एक बार फिर फोन काट दिया , मुन्ना मुस्कुराने लगा और फोन को साइड में रखकर खुद से कहा,”एग्जाम्स के बाद हम तुमसे पक्का मिलने आएंगे,,,,,,,वो भी तुम्हारे बिना बुलाये”
मुन्ना ये सब कहते हुए मुस्कुराने लगा , वह मुस्कुरा ही रहा था की फोन फिर बजा और स्क्रीन पर काशी का नंबर देखकर मुन्ना ने अपना सर पीट लिया और बड़बड़ाया,”अब समझ आया बेचारा वंश इतना परेशान क्यों रहता है ?”
मुन्ना के लिए उसकी पढाई , उसके सपने और उसका करियर बहुत मायने रखता था इसलिए उसने अपना फोन उठाया और स्विचऑफ करके साइड में रख दिया और पढाई में ध्यान लगाने लगा। दूसरी तरफ जब गौरी को मुन्ना का फोन बंद मिला तो वह और चिढ गयी और फोन को डेशबोर्ड पर रखते हुए कहा,”हुँहहह ये मान तो कुछ ज्यादा ही भाव खा रहा है,,,,,,,,,,,,,,,अब तो मैं इसे बिल्कुल फोन नहीं करने वाली हूँ”
मुन्ना जितना मेच्योर था गौरी उतनी ही बचकाना बातें करती थी। खैर शाम होने लगी थी और गौरी को भी थकान होने लगी थी इसलिए उसने अपना सर सीट से लगाया और आँखे मूंद ली।
काशी के जाने के बाद घर एक बार फिर सूना हो गया। शिवम् अपने सीमेंट गोदाम चला गया। बाबा काफी दिनों से घर पर थे इसलिए टहलने के लिए ओल्डऐज होम चले गए। सारिका घर में ही थी और वंश अपने कमरे में बिस्तर पर उलटे लेते विडिओ गेम्स खेलने में बिजी था। विडिओ गेम खेलते खेलते अचानक उसे गौरी का ख्याल आया और उसके हाथ रुक गए। वह पीठ के बल बिस्तर पर लेट गया और कमरे की छत को देखने लगा। विडिओ गेम में हमेशा जितने वाला वंश गेम हार चुका था लेकिन इस बात के दुःख से ज्यादा ख़ुशी उसे इस बात की थी की अब कोई था जिसके लिए वह खुद को बदल सकता था। वंश अकेले पड़े पड़े बोर होने लगा तो उसने मुन्ना को फोन लगाया लेकिन फोन बंद। वंश उठा कपडे बदले और नीचे चला आया उसने बाइक की चाबी उठाई और मुन्ना से मिलने घर से निकल गया। वंश ने हाथ पर बंधी घडी की तरफ देखा जो की शाम के 5 बजा रही थी। शाम के वक्त में बनारस की सड़के और भी खूबसूरत नजर आती थी लेकिन ये वंश को आज पता चला। बनारस की गलियों से शॉर्टकट लेने वाला वंश आज सड़क से जा रहा था वो भी धीमी रफ्तार से हर उस चीज को महसूस करते हुए जो उसे अपने रास्ते में दिखाई दे रही थी। वो देख रहा था कुछ लड़किया अपना बैग और किताबे सम्हाले कोचिंग से वापस घर जा रही थी। सब्ज़ी वाली चाची अपने ग्राहक से धनिया फ्री में ना देने के लिए बहस कर रही थी। कुछ बच्चे गोलगप्पे का लुफ्त उठा रहे थे। वही कुछ बड़ी उम्र के लड़के मुंह में पान और उंगलियों में सिगरेट दबाये बनारस के इतिहास पर चर्चा कर रहे थे। आज वंश सब नोटिस कर रहा था और साथ ही साथ मुस्कुरा भी रहा था , उसने महसूस किया की वो बदलने लगा है। चाय की टपरी के बगल में आकर उसे अपनी बाइक रोकनी पड़ी क्योकि आगे दो बैल के कारण ट्रैफिक जाम था। यहाँ वंश का ध्यान खींचा टपरी पर बजते उस रेडिओ ने जिसमे हिंदी फिल्म का कोई गाना चल रहा था
“सूरज हुआ मध्यम चाँद जलने लगा
आसमा ये हाय क्यों पिघलने लगा,,,,,,,,!
मैं ठहरा रहा जमी चलने लगी,,,,,,,,,,,,,,!!!”
और वही हुआ गाने में खोये वंश को ध्यान नहीं रहा की एक बस वही खड़ा है और बाकी सब आगे निकल गए है। जब उसे होश आया तो उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी , गली के नुक्क्ड़ पर मुड़ते हुए गाने के कुछ बोल उसके कानो में पड़े और वह मुस्कुरा उठा
“सजना क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है”
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“क्या वंश और मुन्ना बताएँगे एक दूसरे को अपने दिल का हाल ? क्या इंदौर जाने के बाद काशी भूल पायेगी शक्ति को ? क्या वंश को होने लगा है प्यार ?” जानने के लिए सुनते रहिये “मैं तेरी हीर”
क्रमश – Main Teri Heer – 76
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संजना किरोड़ीवाल