Main Teri Heer – 73
बनारस के अस्सी घाट की सीढ़ियों पर खड़े गौरी और मुन्ना को दीन-दुनिया की कोई परवाह नहीं थी। दोनों आँखे मूंदे घाट की उन सीढ़ियों पर खड़े थे , मुन्ना इस वक्त गौरी के इतना करीब था की गौरी उसकी गर्म सांसो को अपने चेहरे पर महसूस कर सकती थी। मुन्ना गौरी को बहुत पसंद करता था लेकिन हालत ऐसे थे की वह उस से कुछ कह ही नहीं पाया। रात का वो पहर काफी खूबसूरत था। जलसे के कारण जो रॉकेट्स छुड़ाए जा रहे थे उनसे आसमान जगमगा रहा था और साथ ही उनकी रौशनी से घाट का पानी जगमगा रहा था लग रहा था जैसे आसमान अपनी चाँदनी से अस्सी घाट को नहला रहा हो। ठंडी हवाएं चल रही थी जिसकी वजह से किनारे खड़ी नौका भी झूल रही थी। मुन्ना के आगोश में सिमटी गौरी का हाथ उसके सीने से जा लगा तो उसे महसूस हुआ की मुन्ना की धड़कने इस वक्त किसी रेल के इंजन की भाँति तेजी से चल रही है। मुन्ना को होश आया वह एकदम से गौरी से दूर हुआ कुछ देर पहले उसने क्या किया ये समझने में उसे 10 सेकेण्ड लग गए और अब उसे बहुत ज्यादा शर्म महसूस हो रही थी। उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी की वह गौरी से नजरे मिलाये उसने मुंह घुमा लिया और सामने घाट के पानी को देखते देखते हुए कहा,”हमे नहीं पता ये सही था या गलत लेकिन अगर हम ऐसा नहीं करते तो,,,,,,,,,,,,,,,,शायद हम मर जाते”
गौरी ने सूना उसके मन में अभी भी तितलियाँ उड़ रही थी , होंठो पर मुन्ना की छुअन का अहसास अब तक था। वह प्यार भरी नजरो से मुन्ना को देखते रही। इंदौर में कितने ही लड़के गौरी के आगे पीछे घूमते थे लेकिन मुन्ना जितना उसे कभी कोई भाया ही नहीं। गौरी को खामोश देखकर मुन्ना को लगा शायद गौरी उस पर गुस्सा करेगी इसलिए उसने गौरी की तरफ पलटकर धीमी आवाज में कहना शुरू किया,”हम जानते है जो कुछ हुआ वो काफी अचानक था और बिना आपकी परमिशन के हमे ऐसा कुछ करना नहीं चाहिए था। हम लड़कियों की बहुत इज्जत करते है और आपकी तो बहुत ज्यादा इज्जत करते है,,,,,,,,,,,,,हमारे मन में आपको लेकर कोई गलत विचार नहीं है,,,,,,,,,,,,,,हमने आज से पहले कभी किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ,,,,,,,,,,,,हमारा मतलब आप पहली लड़की होंगी जो हमारे इतना करीब रही है। ये सच है की हम आपको पसंद करते है लेकिन ऐसा कुछ हो जाएगा हम सोचे नहीं थे , वो हालात ऐसे हो गए की हम कुछ समझ नहीं पाए और,,,,,,,,,,,,हम आपसे माफ़ी,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने इतना ही कहा और ये कहते हुए वह बहुत ही मासूम लग रहा था। वह आगे कुछ कहता इस से पहले ही गौरी ने अपनी सर्द आवाज में कहा,”आई लव यू”
मुन्ना ने जैसे ही सूना उसका दिल फिर धड़कने लगा। उसने अपनी झुकी हुयी नजरे उठाकर गौरी की तरफ देखा। गौरी अपनी आँखों में चमक लिए उसे ही देख रही थी। आवाज जैसे मुन्ना के हलक में ही अटक गयी जिस लड़की को उसने पसंद किया था वह लड़की खुद उस से अपने प्यार का इजहार कर रही थी। इस से ज्यादा खूबसूरत अहसास एक लड़के के लिए भला क्या हो सकता है ? मुन्ना बस खुद को यकीन दिलाने की कोशिश कर रहा था की ये सब हकीकत थी कोई सपना नहीं। मुन्ना को उलझन में देखकर गौरी ने कहा,”कोई जल्दी नहीं है तुम अपना जवाब बाद में भी दे सकते हो , आज की रात की मैं कभी नहीं भूलूंगी,,,,,,,,,,मुझे चलना चाहिए अगर उन सब ने मुझे वहा नहीं देखा तो परेशान होंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करुँगी”
कहकर गौरी वहा से चली गयी। मुन्ना अब भी खामोश था वह गौरी के सामने कुछ बोल ही नहीं पाया उसके इजहार पर भी नहीं,,,,,,,,,,अगले ही पल गौरी के शब्द उसके कानो में फिर गूंजे “आई लव यू”
मुन्ना मुस्कुराने लगा , वह मुस्कुराता रहा और फिर हंसने लगा। गौरी तब तक सीढिया चढ़कर वहा से जा चुकी थी। हँसते हुए मुन्ना बड़ा प्यारा लग रहा था। आसमान में फैली रोशनियों से उसका चेहरा जगमगा रहा था। वो अहसास जिसने मुन्ना अब तक दूर था उन्हें महसूस कर रहा था वो भी गौरी के लिए,,,,,,,!
हँसते हुए मुन्ना की नजर सीढ़ियों पर पड़ी गौरी की झाँझर पर चली गयी जो उसी ने गौरी को दिलवाई थी। मुन्ना वही बैठकर उस झाँझर को अपने हाथ में लेकर देखने लगा। उसका मुस्कुराना अभी भी जारी था , उसने उस झांझर को अपनी जेब में रख लिया। वह सीढ़ियों पर लेट गया और आँखे मूँद ली। वही ख्याल जो घाट की सीढ़ियों पर बैठकर मुन्ना बंद आँखों से अक्सर देखता था। आज वही ख्याल उसे फिर आ रहे थे। सफ़ेद चूड़ीदार सूट पहने एक लड़की , पैरों की झाँझर , कानों के झुमके , हाथो की चूडिया , हवा में उड़ता सफ़ेद दुपट्टा , लेकिन आज उसे उस लड़की का चेहरा साफ नजर आ रहा था गौरी के रूप में। मुन्ना का हाथ सहसा ही अपने सीने के बांयी तरफ चला गया , उसने महसूस किया उसका दिल अभी भी वैसे ही धड़क रहा था। मुन्ना ने धीरे से अपनी आँखे खोली , रात गहराने लगी थी और घाट पर अब धुंध भी बढ़ने लगी थी लेकिन इस से बेखबर मुन्ना वहा बैठा गौरी के बारे में सोच रहा था
इंदौर में गौरी से पहली बार मिलने से लेकर अब तक की जितनी भी मुलाकातें थी सब मुन्ना की आँखों से सामने किसी फिल्म की तरह चलने लगी। बनारस आने के बाद गौरी मुन्ना के सामने बिल्कुल वैसे ही आयी जैसी वह उसे देखना चाहता था। मुन्ना आज बहुत खुश था लेकिन गौरी से वह प्यार करता है या नहीं ये वह अभी भी नहीं समझ पाया था , लेकिन आज गौरी के करीब जाकर उसे ये महसूस हुआ की उसका मन गौरी से जुड़ चुका है और गौरी ही वो लड़की है जिसके साथ वह अपनी बाकि की जिंदगी बिताना पसंद करेगा।
गौरी ख़ुशी ख़ुशी वापस काशी और अपनी दोस्तों के पास आयी। उसे देखते ही काशी ने कहा,”कहा चली गयी थी तुम ? पता है यहां हम सबको कितना मजा आ रहा था , सच बताऊ तो तुमने अपनी लाइफ का एक खूबसूरत मोमेंट खो दिया”
“लेकिन इसे खोकर मैंने अपनी जिंदगी का सबसे खूबसूरत मोमेंट जीया है”,गौरी ने मुन्ना के बारे में सोचते हुए कहा
“क्या बड़बड़ा रही हो चलो खाना खाने चलते है मुझे बहुत भूख लगी है”,प्रिया ने कहा तो सब खाना खाने पांडाल की तरफ चली आयी जहा दूसरे लोग भी खाना खा रहे थे। गौरी को लगा मुन्ना भी उसके साथ ही चला आयेगा लेकिन वह नहीं आया सब खाना खाने में बिजी थे। कुछ देर बाद वंश आया और कहा,”काशी तुम सब वहा चलकर बैठो”
प्रिया ने वंश की बताई जगह की ओर देखा और खुश होकर कहा,”वाओ हम सब भी यहाँ बैठकर खाएंगे ?”
“हाँ , चलो मैं दीना भैया को बोलकर आता हूँ”,वंश ने कहा और वापस चला गया। सभी उस तरफ चली आयी जहा जमीन पर बैठने के लिए एक सीध में चौकिया रखी हुई थी और उनके सामने थोड़ी ऊँची चौकी जहा खाने की थाली रखी जा सके। प्रिया , ऋतू गौरी और काशी आकर वहा बैठ गयी।
वंश ने देखा सब यहाँ मौजूद है लेकिन मुन्ना आज कही दिखाई नहीं दे रहा तो उसने मुन्ना को फोन लगाया। एक दो रिंग के बाद ही मुन्ना ने फोन उठा लिया और कहा,”हां वंश”
“जहा भी है 5 मिनिट में जलसे के खाने वाले पांडाल में पहुँच”,वंश ने कहा
“ठीक है हम आते है”,मुन्ना ने कहा जो की कभी वंश की बात नहीं टालता था। वंश अपने फोन को उंगलियों के बीच घुमाते हुए वही खड़े होकर मुन्ना का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर में मुन्ना आया उसे देखते ही वंश उसकी ओर आया और कहा,”तू जलसे में क्यों नहीं आया ? पता है मैंने और मुरारी चाचा ने पान बनारस वाला है को परफॉर्मेंस दी है,,,,,,,,,,,तू देखता ना तुझे मजा आ जाता”
“इसलिए नहीं आये थे क्योकि हमे पता था पापा जहा होंगे वहा कुछ ना कुछ तो नौटंकी तो होगी”,मुन्ना ने कहा
“ये तुझमे से विमंस डियो की खुशबु कैसे आ रही है ?”,वंश ने मुन्ना के जैकेट को सूंघते हुए कहा तो मुन्ना को याद आया की कुछ देर पहले गौरी उसके काफी करीब थी और उसे भी वंश की तरह स्ट्रांग परफ्यूम लगाने की आदत है लेकिन वंश के सामने मुन्ना सच कैसे बोल सकता था इसलिए उसे बातों में उलझाते हुए कहा,”दिनभर लड़कियों के बीच रह रह के ना तेरी नाक को आदत हो गयी है विमंस परफ्यूम की , अब ये बताओ हमे यहां क्यों बुलाया है ?”
“खाना खाने के लिए अब चल”,वंश ने मुन्ना की बाँह पकड़कर जैसे ही कहा मुरारी उन दोनों के सामने आ धमका और कहा,”खाना बाद में खाना पहिले हमरी बात सुनो , उधर काशी बिटिया और उनकी दोस्त बैठी है पहिले जाकर उनको परोसो”
“अरे चाचा उन्हें परोसने के लिए इतने सारे लोग है तो सही”,वंश ने कहा
“बेटा उह सब हमरे घर में मेहमान इसलिए बिना कोई सवाल जवाब किये चुपचाप जाओ और खाना परोसो”,मुरारी ने लगभग आदेश देते हुए कहा और अपने रिश्तेदारों की तरफ चला गया
मुरारी की बात से वंश ने खीजते हुए कहा,”थोड़ी देर पहले ही ये आदमी फ्रेंडली होकर मेरे साथ अपनी कमर मटका रहा था और अब देखो कैसे मुँह पर बेइज्जती करके गए है”
“इसलिए कहते है की बाप , बाप होता है,,,,,,,,,अब चलो तुम भी सबके साथ चलकर बैठो हम परोस देते है”,मुन्ना ने कहा तो वंश मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखने लगा तो मुन्ना ने कहा,”अब क्या हुआ ?”
“मैंने ना पिछले जन्म में कुछ तो अच्छा काम किया होगा जो मुझे तू मिला,,,,,,,,,,,,,,,,,,आई लव् यू यार”,वंश ने कहा तो मुन्ना ने मुस्कुराते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा और आगे बढ़ गया।
मुन्ना को देखते ही गौरी के होंठो पर मुस्कान तैर गयी लेकिन जैसे ही मुन्ना ने गौरी को देखा उसका दिल धड़कने लगा। उसने वंश से बैठने का इशारा किया और खुद दूसरी ओर चला गया , हालाँकि सबसे नजरे बचाकर मुन्ना चोरी चोरी गौरी को देख भी रहा था लेकिन जैसे ही गौरी उसे देखती वह अपनी नजरे घुमा लेता। मुन्ना ने लगभग खाना सबकी प्लेटो में परोस दिया वंश आज गौरी के बगल में बैठा था और उस से बातें भी कर रहा था। गौरी उसकी उल-जुलूल बातो पर बस हंस रही थी। गौरी को हँसते देखकर वंश को अच्छा लग रहा था एक पल ऐसा आया जब वह गौरी के चेहरे में खोकर रह गया। गौरी ने उसके सामने अपना हाथ हिलाते हुए कहा,”क्या हुआ कहा खो गए ?”
“तूम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,,,,,,,,,,कसम से फ्लर्ट नहीं कर रहा हूँ , पर हँसते हुए तुम बिल्कुल मेरी अनु मौसी जैसे दिखती हो”,वंश ने प्यार से गौरी के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा तो गौरी मुस्कुराने लगी क्योकि पहली बार उसे वंश को बातो में सच्चाई नजर आई। दोनों बातें कर ही रहे थे की मुन्ना उनके सामने आया तो गौरी उसे देखने लगी। मुन्ना ने एक बार फिर नजरे झुका ली। उसने वंश और गौरी की थाली में एक-एक छोटी कचोरी रखी , और जैसे ही जाने लगा गौरी ने कहा,”एक और”
मुन्ना जो की वहा से निकलना चाहता था गौरी ने उसे रोक लिया मुन्ना ने एक कचोरी और रख दी”
“एक और,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने प्यार से मुन्ना को देखते हुए कहा
“हम्म्म,,!!”,कहते हुए मुन्ना ने फिर एक कचोरी रख दी। वह जैसे ही जाने को होता गौरी उसे फिर एक और कचोरी रखने को कहती और मुन्ना रुक जाता वंश कभी मुन्ना को देखता तो कभी गौरी को,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जब उसे कुछ समझ नहीं आया तो उसने मुन्ना के हाथ से प्लेट लिया और गौरी के सामने रखते हुए कहा,”ये लो खा लो , वैसे तुम हमारे सीधे साधे मुन्ना को कुछ ज्यादा ही तंग कर रही हो मिस गौरी”
वंश की बात सुनकर गौरी ने अपनी दोनों कोहनियो को चौकी पर टिकाया और अपने दोनो हाथो को गाल से लगाकर मुन्ना की तरफ देखकर बड़े ही प्यार से कहा,”मानवेन्द्र,,,,,,,,,,,,,,, क्या मैंने तुम्हे तंग किया ?”
गौरी के मुंह से इतनी प्यारी बातें सुनने की मुन्ना को आदत नहीं थी इसलिए उसने कहा,”नहीं नहीं तो”
“देखा वंश वो कह रहा है मैंने तंग नहीं किया”,गौरी ने अपनी गर्दन घुमाकर वंश की तरफ देखते हुए मासूमियत से कहा
“तुम सच में बहुत शैतान हो”,कहते हुए वंश पलटा और अनजाने में उसकी कोहनी गौरी की कोहनी से जा लगी और गौरी का सर स्लिप हुआ लेकिन नीचे गिरता इस से पहले ही मुन्ना ने अपना हाथ आगे कर उसके सर को सम्हाल लिया। गौरी ने देखा वो हाथ मुन्ना का था लेकिन मुन्ना की नजर सामने थी। मुन्ना उस से नजरे क्यों चुरा रहा था ये वो नहीं समझ पा रही थी लेकिन ये करते हुए मुन्ना लग बड़ा प्यारा रहा था। मुन्ना थोड़ा शाय है ये बात गौरी जानती थी और इसलिए वह मुन्ना को छेड़ने का एक भी मौका मिस नहीं कर रही थी क्योकि शरमाते हुए मुन्ना और ज्यादा अच्छा लगता था।
गौरी ने अपना सर सीधा किया और वंश को मारने लगी। मुन्ना वहा से उठकर चला गया उसने पलटकर एक नजर वंश और गौरी को देखा दोनों बच्चो की तरह झगड़ रहे थे। उन्हें साथ देखकर मुन्ना के मन में कोई ख्याल नहीं आया उलटा वह उन दोनों को अच्छे दोस्त के रूप में देख रहा था।
खाना खाने के बाद गौरी मुन्ना से बात करने का मौका ढूंढने लगी लेकिन ऋतू प्रिया और काशी ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। मुरारी ने अपने कुछ मेहमानो को घर छोड़ने के लिए मुन्ना को पहले ही भेज दिया। इसके बाद गौरी और मुन्ना की कोई बात ही नहीं हो पायी और सब घर चले गए। घर आकर काशी , गौरी और ऋतू प्रिया अपना अपना सामान पैक करने लगी क्योकि उन्हें कल सुबह जल्दी निकलना था। देर रात सब अपना अपना बैग जमाकर सोने चली गयी और लेटते ही उन सबको नींद भी आ गयी क्योकि आज दिनभर उन्होंने बहुत कुछ झेला जो था।
मुरारी भी अनु के साथ घर चला आया , अनु सोने चली गयी लेकिन मुरारी का सर दर्द कर रहा था और इन दिनों उसे नींद ना आने की भी समस्या हो चुकी थी हॉल में आकर उसने पानी का एक ग्लास भरा उसमे सर दर्द और नींद की एक एक गोली डाली और घोलकर जैसे ही पीने को हुआ। हॉल की खिड़की पर कुछ आवाज हुई मुरारी ने बिना पिए ही ग्लास रखा और उधर गया। देखा खिड़की खुली है और बाहर से एक बिल्ली अंदर आने की कोशिश कर रही है। मुरारी खिड़की बंद करने लगा। उसी वक्त मुन्ना का आना हुआ बाहर घूमने की वजह से उसे काफी ठण्ड लग चुकी थी , जैसे ही वह हॉल से गुजरा उसे ख़ासी शुरू हो गयी। मुन्ना की नजर सेंटर टेबल पर रखे पानी से भरे ग्लास पर चली गयी जो की मुरारी ने रखा था। मुन्ना ने ग्लास उठाया और पीकर अपने सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। मुरारी खिड़की बंद करके वापस आया , देखा ग्लास खाली है तो उसे उठाकर देखते हुए खुद से ही सवाल करने लगा,”जे हमने भरा या नहीं ? लगता है यादास्त कमजोर हो गयी हमारी,,,,,,,,,,,,,,!!”
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काशी के इजहार पर मुन्ना का जवाब हाँ होगा या आएगी कोई नयी मुसीबत ? क्या काशी बनारस के साथ साथ छोड़ जाएगी शक्ति का प्यार ? क्या जाने से पहले मुन्ना मिलेगा गौरी से या मुरारी की दवा करेगी कुछ गड़बड़ ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर“
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 74
Read More – “मैं तेरी हीर” – 72
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संजना किरोड़ीवाल