Main Teri Heer – 70
गौरी किताब को हाथो में पकडे लायब्रेरी के फर्श पर बैठी मुस्कुरा रही थी। मुन्ना कुछ बुक्स लेकर वहा से जा चुका था। काफी देर इंतजार करने के बाद वंश गौरी को ढूंढने चला आया उसने गौरी को नीचे फर्श पर देखा तो कहा,”हे तुम यहाँ क्या कर रही हो ? चलो अपना हाथ दो”
कहते हुए वंश ने गौरी की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया। वंश की आवाज से गौरी की तंद्रा टूटी और उसने इधर उधर देखते हुए कहा,”वो गया क्या ?”
“कौन वो ? चलो अपना हाथ दो”,वंश ने फिर से अपना हाथ गौरी के सामने हिलाते हुए कहा
गौरी ने वंश का हाथ थामा और उठ खड़ी हुई लेकिन गौरी की छुअन से वंश खुद को सम्हाल नहीं पाया उसका पैर मुड़ा और वह गौरी को लेकर अपने पीछे वाली रॉ पर जा गिरा। गौरी उसकी बांहो में थी और वंश को कोई होश नहीं था। वंश जिस रॉ पर गिरा था उस रॉ से लगकर 4 और रॉ थी और एक के बाद एक सब गिरती गयी गनीमत था उस वक्त उन रॉ के सामने कोई था नहीं। गौरी को अपनी बांहो में सम्हाले वंश रॉ पर गिरा रहा। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था और वह बस प्यार से गौरी के चेहरे की तरफ देखे जा रहा था। लायब्रेरियन ने देखा तो चिल्लाते हुए उस ओर आया गौरी ने देखा वंश कोई हरकत नहीं कर रहा तो ये सोचकर की कही वह मर तो नहीं गया गौरी ने अपना कान वंश के सीने से लगाया , उसे महसूस हुआ की वंश की धड़कने चल रही है। वंश तो बेचारा गौरी की इस हरकत पर जैसे मरने ही वाला था। गौरी ने देखा लायब्रेरियन आ रहा है तो वह वंश के बगल से उठी और कहा,”चलो यहाँ से”
लेकिन वंश को तो कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था , वह तो अभी भी गौरी को अपनी बांहो में महसूस करके मुस्कुरा रहा था। लायब्रेरियन जैसे ही वहा आया गौरी पास वाले दरवाजे से बाहर निकल गयी।
वंश अपनी आँखे मूंदे गौरी की मौजूदगी महसूस कर ही रहा था मुस्कुराते हुए उसने जैसे ही अपनी आँखे खोली सामने खड़े लोगो को देखकर उसकी मुस्कान एकदम से गायब हो गयी। सामने लायब्रेरियन , उसकी क्लास के प्रोफ़ेसर और कुछ स्टूडेंट्स थे जो वंश को अजीब नजरो से देख रहे थे। वंश जल्दी से उठा और लायब्रेरियन से कहा,”सर ये मैंने नहीं किया”
“हां हां ये तो हम लोगो ने किया है”,लायब्रेरियन ने अपने चश्मे से झांकते हुए कहा
“हम्म्म शायद”,कहकर वंश जैसे ही जाने लगा लायब्रेरियन ने उसकी शर्ट पकड़ी और उसे वापस पीछे खींचते हुए कहा,”ये सारी बुक्स तुम जमाओगे”
“मैं क्यों जमाऊंगा , ये सब गलती से गिरा है”,वंश ने अकड़कर कहा
“ठीक है फिर मैं मानवेन्द्र से कह देता हूँ , वही तुमसे बात कर लेगा”,इस बार प्रोफ़ेसर ने कहा
“मुन्ना को पता चला की मैं यहाँ हूँ वो भी गौरी के साथ तो अच्छी खासी क्लास लग जाएगी मेरी”,वंश बड़बड़ाया
“तो क्या सोचा तुमने ?”,लायब्रेरियन ने कहा
“अरे सर इतनी छोटी सी बात के लिए मुन्ना को परेशान क्यों करना ? मैं करता हूँ ना”,वंश ने प्रोफेसर के फोन को नीचे करते हुए कहा
“हम्म्म चले सर”,प्रोफ़ेसर ने लायब्रेरियन से कहा और दोनों वहा से चले गये। वहा खड़े स्टूडेंट्स को वंश की इस हालत पर हंसी भी आ रही थी और तरस भी। वंश ने उन्हें खा जाने वाली नजरो से देखा तो सभी इधर उधर हो गए। वंश बेमन से किताबे उठाकर रॉ में ज़माने लगा हालाँकि ऐसा करते हुए वह मन ही मन गौरी को कोस भी रहा था की वह उसे लेकर क्यों नहीं गयी ?
गौरी वंश को देखते हुए लायब्रेरी के दरवाजे से बाहर निकली , उसने सामने से आते लड़के को नहीं देखा था शायद इसलिए चलते उस से टकरा गयी। लड़के के हाथ में जो किताबे थी वो सब नीचे जा गिरी। गौरी ने देखा तो नीचे गिरी किताबो को उठाते हुए कहा,”ओह्ह्ह सॉरी मैंने तुम्हे देखा नहीं”
“आप यहाँ क्या कर रही है ?”,मुन्ना ने गौरी के सामने बैठ किताबे उठाते हुए कहा। मुन्ना को वहा देखकर गौरी का दिल धड़क उठा , मुन्ना पहले गौरी के सामने आने में घबराता था लेकिन कल रात के बाद से वह पुरे कॉन्फिडेंस से गौरी के सामने खड़ा था। गौरी किताबे लिए उठी तो मुन्ना भी उसके साथ बाकि किताबे ले खड़ा हुआ। गौरी जिस से मिलना चाहती थी वो उसके सामने खड़ा था। गौरी कुछ देर मुन्ना को प्यार से देखते रही और फिर अपने हाथ में पकड़ी किताबे मुन्ना की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”वो मुझे कुछ किताबे चाहिए थी इसलिए मै यहाँ चली आयी”
मुन्ना गौरी के शब्दों से झलकते कम्पन को पहचान गया और शांत स्वर में कहा,”आप अकेली आयी है ?”
“नहीं वंश आया है ना मेरे साथ , वही मुझे लेकर आया है”,गौरी ने कहा
“वो है कहा कही नजर नहीं आ रहा ?”,मुन्ना ने कहते हुए लायब्रेरी के दरवाजे की तरफ देखा तो एक अलग ही नजारा देखने को मिला। कॉलेज की कुछ लड़किया लाइन बनाकर लायब्रेरी में जा रही थी , मुन्ना के साथ साथ गौरी भी हैरानी से उन्हें देखने लगी और कहा,”ये सब ऐसे एक साथ लायब्रेरी में क्यों जा रही है ?”
“चलो चलकर देखते है”,मुन्ना ने कहा तो गौरी भी उसके साथ साथ लायब्रेरी की तरफ बढ़ गयी। दोनों अंदर आया अंदर का नजारा और भी हैरान कर देने वाला था। जो लड़किया अंदर आयी थी वो सब रॉ में किताबे जमा रही थी। वही डेस्क के पास खड़ा लायब्रेरियन और प्रोफेसर उन्हें हैरानी से देख रहे थे। गौरी ने देखा तो उसे भी मामला कुछ समझ नहीं आया , वो जानती थी की कुछ देर पहले उसकी और वंश की गलती की वजह से ये किताबे गिरी थी लेकिन वंश तो कही नजर नहीं आ रहा था।
“जल्दी करो गर्ल्स”,वंश की आवाज मुन्ना और गौरी के कानो में पड़ी तो दोनों ने एक साथ आवाज वाली दिशा में देखा वंश वही पास टेबल पर बैठकर अपना फोन चलाने में बिजी था। गौरी उसकी तरफ आयी और हैरानी से कहा,”मुझे लगा तुम्हे पनिशमेंट मिली होगी लेकिन यहाँ तो कुछ और ही हो रहा है , ये तुमने कैसे किया ?”
वंश ने गौरी की तरफ देखा और बड़े ही प्यार से कहा,”टशन है हमारा यहाँ की लड़कियों में”
गौरी कुछ कहती इस से पहले ही मुन्ना आया और उसकी कॉलर पकड़कर उसे खींचते हुए लायब्रेरी से बाहर ले आया और कहा,”तुम्हारी शैतानिया कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है वंश”
“अरे मुन्ना मैं बस ऐसे ही थोड़ा चिल कर रहा था , उन लड़कियों ने ही कहा की उन्हें मुझे काम करते देखकर अच्छा नहीं लग रहा , वो सब मेरी हेल्प करना चाहती है,,,,,,,,,,,,अब तुम तो जानते ही हो मेरा दिल कितना बड़ा है”,वंश ने मुस्कुराते हुए कहा
“हाँ बहुत बड़ा दिल है तुम्हारा,,,,,,,,,,,,कॉलेज का आखरी साल है लेकिन तुम में कोई सुधार नहीं”,मुन्ना ने कहा और उसकी कॉलर छोड़ दी। वंश ने अपनी शर्ट सही करते हुए कहा,”वैसे तू सुबह सुबह क्या कर रहा है ?”
“कुछ बुक्स लेने थे इसलिए,,,,,,,,,,,,,,,गौरी,,,,,,,,,,,!”,वंश से कहते हुए मुन्ना एकदम से गौरी की तरफ पलटा और कहा।
“हाँ,,,,,,,,,!”,गौरी ने सकपकाते हुए कहा
“जो चाहिए था वो मिला ?”,मुन्ना ने पूछा
“मुझे तो तुमसे ही मिलना था और तुम मिल गए”,गौरी शरमाते हुए धीरे से बड़बड़ाई तो वंश उसे देखने लगा , वंश को अपनी ओर देखता पाकर गौरी ने बात सम्हाल ली और कहा,”हां,,,,,,,,,,,नहीं , नहीं मिला”
“आपको कैसी किताबे चाहिए आप बता दीजिये हम पुराने मार्किट से मंगवा देंगे”,मुन्ना ने कहा
“मंगवानी क्यों है चलो ना लेने चलते है,,,,,,,,,,,,,वंश अगर मैं इनके साथ जाकर बुक्स खरीद लू तो तुम्हे कोई दिक्कत तो नहीं है ना ?”,गौरी ने कहा
“नहीं मुझे क्यों दिक्कत होगी तुम चाहो तो जा सकती हो”,वंश ने कहा जबकि वह नहीं चाहता था गौरी जाए।
“ठीक है , चले क्या ?”,गौरी ने खुश होकर कहा , मुन्ना गौरी की मुस्कान देखकर पिघल गया वह ना बोलकर उसका दिल तोड़ना नहीं चाहता था। उसने हामी में गर्दन हिला दी साथ ही उसकी नजर सामने खड़े वंश पर पड़ी वंश मुन्ना को देखकर मुस्कुराते हुए अपनी भँवे उचकाई , जैसे मुन्ना को चिढ़ा रहा हो।
मुन्ना ने उसकी बगल से गुजरते हुए हाथ पकड़ी बुक धीरे से उसके सर पर मारी और कहा,”पढाई पर ध्यान दो अगले महीने एग्जाम्स है तुम्हारे”
वंश मुस्कुराते हुए अपना सर सहलाने और मुन्ना गौरी के साथ आगे बढ़ गया।
कॉलेज के कॉरिडोर में मुन्ना किताबे हाथ में थामे गौरी के साथ चल रहा था। कॉलेज में हर किसी की नजर आज मुन्ना पर ही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,आज से पहले किसी ने उसे लड़की के साथ तो बिल्कुल नही देखा था
गौरी और मुन्ना को साथ देखकर हर किसी की नजरे उन पर ही थी और ये मुन्ना को थोड़ा अजीब भी लग रहा था जैसे ही वह दूसरे स्टूडेंट्स की तरफ देखता सब नजरे घुमा लेते। मुन्ना की कुछ जूनियर्स उसके सामने से निकले तो सब गौरी को देखकर जल भून गयी लेकिन मुन्ना था इसलिए सबने एक साथ कहा,”गुड मॉर्निंग सर”
मुन्ना एक तो पहले ही सबके देखे जाने से असहज था और उस पर लड़किया आज उसे देखकर कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी। मुन्ना ने उनकी तरफ देखे बिना ही कहा,”हम्म्म गुड़ मॉर्निंग”
लड़किया खिलखिलाते हुए आगे बढ़ गयी तो गौरी ने कहा,”अरे वाह तुम तो अपने कॉलेज के हीरो हो सारी लड़किया तुम्हे देख रही है और तुम उन्हें भाव तक नहीं दे रहे , बेचारी लड़कियों का दिल टूट जाएगा”
“ऐसा कुछ भी नहीं हम बस यहाँ पढ़ने आते है”,मुन्ना ने आगे बढ़ते हुए कहा
“मतलब तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है,,,,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने एकदम से चहकते हुए कहा
मुन्ना हैरानी से गौरी कोई देखने लगा तो गौरी ने अपनी ख़ुशी को थोड़ा कम किया और कहा,”मेरा मतलब तुम इतने हेंडसम हो , बातें भी अच्छी करते हो , तुम्हारा बैकग्राउंड भी अच्छा है तो कोई गर्लफ्रेंड,,,,,,,,,,,,,!!”
“हमारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है,,,,,,,,,,,,,इन्फेक्ट काशी को छोड़कर कोई लड़की हमारी दोस्त भी नहीं है”,मुन्ना ने कहा
“ओह्ह्ह ये कितना औसम है , इतना हेंडसम होकर भी सिंगल कैसे है ?”,गौरी मन ही मन बुदबुदाई
“आपने कुछ कहा ?”,मुन्ना ने पूछा
“अह्ह्ह नहीं वो मैं ये कह रही थी की हमे चलना चाहिए,,,,,,,,,,,बुक्स लेनी है ना”,गौरी ने कहा
“आईये”,मुन्ना ने कहा और गौरी के साथ कॉलेज से बाहर चला आया। उधर वंश काफी दिनों बाद कॉलेज आया था इसलिए उसके दोस्तों ने उसे घेर लिया और वो भी गौरी को भूलकर उनके साथ केंटीन चला गया। कॉलेज से बाहर आकर मुन्ना ने अपनी बाइक स्टार्ट की और गौरी से बैठने को कहा। गौरी ने मुन्ना के कंधे पर जैसे ही हाथ रखा एक सिहरन सी उसके पुरे जिस्म में दौड़ गयी । गौरी मुन्ना के पीछे आ बैठी और मुन्ना उसे लेकर वहा से पुराने मार्किट के लिए निकल गया।
“काशी चलो ना कही बाहर घूमने चलते है , वैसे भी कल सुबह हमे इंदौर वापस जाना है”,ऋतू ने काशी के पीछे घूमते हुए कहा
“हमारा मन नहीं है , तुम और प्रिया चली जाओ ना हम दीना भैया को साथ में भेज देते है”,काशी ने कहा क्योकि वह नहीं चाहती थी वह बाहर जाये और शक्ति से उसका सामना हो
“तुम नहीं जाओगी तो हम लोगो को भी नहीं जाना”,प्रिया ने कहा
“हाँ काशी प्रिया सही कह रही है , क्या हो गया है तुम्हे एक लड़के ने तुम्हे रिजेक्ट कर दिया बस यही ना , काशी लड़को की कमी नहीं है तुम्हे तो कोई भी मिल जाएगा। एक लड़के के लिए तुम अपना मूड खराब कर रही हो”,ऋतू ने कहा तो काशी उनकी तरफ देखने लगी। उसे बहुत दुःख हुआ की सिर्फ शक्ति के लिए वह अपने दोस्तों को भी इग्नोर कर रही थी , जबकि ऋतू प्रिया गौरी यहाँ घूमने ही आयी थी। काशी उन दोनों के पास आयी और कहा,”हमे माफ़ कर दो हमे तुम्हारे साथ ऐसे पेश नहीं आना चाहिए , तुम दोनों तैयार हो जाओ फिर हम सब बाहर चाट खाने चलेंगे”
“सच में,,,,,,,,,ओह्ह काशी तुम कितनी प्यारी हो मैं अभी तैयार होकर आती हूँ”,प्रिया ने खुश होकर कहा जो की खाने की बड़ी शौकीन थी और वहा से चली गयी। ऋतू ने सूना तो काशी की ओर देखकर कहा,”तुम ठीक हो ना काशी आई मीन सिर्फ हमारी ख़ुशी के लिए तुम बाहर जा रही हो”
“नहीं बिल्कुल नहीं एक लड़के की वजह से हम अपना और अपने दोस्तों का मूड क्यों खराब करेंगे ?”,काशी ने अपनी पलकें झपकाते हुए कहा
“ये हुई ना बात अब लग रही हो तुम हमारी काशी , मैं चेंज करके आती हूँ”,कहते हुए ऋतू ने उसे साइड हग किया और वहा से चली गयी। उनके जाने के बाद काशी मन ही मन खुद से कहने लगी,”हमने तुम दोनों से झूठ कहा , सच तो ये है की हम शक्ति को कभी भूल नहीं पाएंगे”
सोचते हुए काशी की बांयी आँख से एक आँसू की बून्द नीचे जमीन पर आ गिरी
“काशी बेटा,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने बाहर से आते हुए कहा
काशी ने जल्दी से अपने आँसू पोछे और पलटकर मुस्कुराते हुए कहा,”जी पापा”
“आज शाम अस्सी घाट के पास वाले मैदान में जलसा रखा है , आप और आपकी दोस्त भी वहा आये तो हमे अच्छा लगेगा”,शिवम् ने कहा
“कल सुबह हमे इंदौर वापस जाना है पापा , जाने से पहले हम सब इस में जरूर शामिल होना चाहेंगे”,काशी ने शिवम् के पास आकर कहा
“हम्म्म एक हफ्ता कितनी जल्दी गुजर गया पता ही नहीं चला”,शिवम् ने अपनी लाड़ली बेटी को सीने से लगाते हुए कहा
“पापा आपसे एक बात पूछ सकते है ?”,काशी ने कहा
“आपको परमिशन की जरूरत नहीं है पूछिए”,शिवम् ने प्यार से काशी के बालों को सहलाते हुए कहा
“क्या आपने कभी किसी अच्छे इंसान को चोट पहुंचाई है , हमारा मतलब क्या आपने कभी कुछ गलत किया है ?”,काशी ने पूछा
काशी से ऐसे सवाल की शिवम को उम्मीद नहीं थी उसने काशी को अपने सामने किया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”हमने कभी किसी के साथ गलत नहीं किया है बेटा , ना ही किसी को ठेस पहुंचाई है”
काशी ने सूना तो वापस शिवम् के सीने से लगते हुए कहा,”हम जानते है पापा आप कभी गलत नहीं हो सकते , हमे आप पर पूरा भरोसा है”
शिवम प्यार से काशी का सर सहलाने लगा और काशी मन ही मन खुद से कहने लगी,”तुम गलत हो शक्ति , हमारे पापा ने तुम्हारे माँ-बाप को नहीं मारा है ,, काश तुम हमारे पापा से मिले होते तो तुम जान पाते की वो कितने अच्छे इंसान है। वो कभी किसी चोट नहीं पहुंचा सकते काश तुम ये समझ पाते”
“क्या बाते हो रही है दोनों बाप बेटी में ?”,सारिका ने आते हुए कहा
“पापा हमसे शिकायत कर रहे है की आजकल आप उनका बिल्कुल ख्याल नहीं रखती है”,काशी ने शिवम् से दूर होकर कहा
“हाँ शिवम् जी क्या सच में ?”,सारिका ने शिवम् की तरफ देखकर पूछा
“हमारी बेटी कभी झूठ नहीं कहती,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने काशी की तरफ देखा तो काशी और शिवम् हंस पड़े। सारिका भी समझ गयी की दोनों मिलकर उसकी टाँग खींच रहे है। कुछ देर बाद काशी अपनी सहेलियों के साथ घूमने निकल गयी और शिवम् शाम के जलसे की तैयारी करने।
राजन अपने घर के आँगन की खटिया पर उलटा लेटा किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था। भूषण बाहर से आया और पास पड़ी दूसरी खटिया पर बैठते हुए कहा,”का हो भैया किस सोच में डूबे हो ?”
“यार भुषणवा हमने जो लेटर भेजा था उसका अभी तक कोनो जवाब नहीं आया , साले तुमहू लेटर को लेटर बॉक्स में डाले थे ना ?”,राजन ने भूषण की ओर पलटकर कहा
“अरे भैया तुम्हारी कसम लेटर डाल के आये है लेटर बॉक्स में और जवाब का काशी खुद बनारस चली आयी है जे ही बताने आये थे हम आपको”,भूषण ने कहा
“का सच कह रहे हो ? तुमने कहा देखा उसको ?”,राजन के चेहरे पर ख़ुशी जगमगाने लगी उसने उठकर बैठते हुए कहा
“थोड़ी देर पहले ही रिक्शा में देखे थे , उनके साथ दो शहरी मेम भी थी जींस टॉप में का लग रही थी मतलब,,,,,,,,,,,,एकदम हे बवाल”,भूषण ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“अरे यार दिल खुश कर दिए तुम तो जे बता के , काशी पक्का हमरे लिए ही बनारस आयी है”,कहते हुए राजन उठा और ख़ुशी से झूमने लगा
“लगता है राजन भैया पगला गए है ससुरी के प्यार में”,भूषण भी उठ खड़ा हुआ। दोनों ख़ुशी मना ही रहे थे की अगले ही पल एक जीप आकर चौक में रुकी। प्रताप के कुछ आदमी उतरे और उनके साथ ही उतरा शक्ति जिसे वो लोग पकड़कर लाये थे।
प्रताप अपने घर के ऊपर वाले बरामदे में खड़ा पान चबा रहा था। शक्ति को देखकर उसने पीक थुकी और नीचे आते हुए कहा,”लेकर आओ साले को अंदर , हमरे टुकड़ो पर पलने वाला हमी को काटने चला था”
राजन और भूषण ने सूना तो एक दूसरे की ओर देखने लगे। प्रताप के आदमीयो ने शक्ति को पकड़कर घुटनो के बल प्रताप के सामने ला पटका
Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70 Main Teri Heer – 70
क्या गौरी को लेकर वंश और मुन्ना में होने वाली है तकरार , क्या काशी भूल पायेगी शक्ति को ? आखिर प्रताप क्या करने वाला है शक्ति के साथ ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”
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क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 71
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संजना किरोड़ीवाल