Main Teri Heer – 65
मुन्ना वंश और गौरी को नशे की हालत में घर ले आया। वंश को नीचे वाले कमरे में छोड़कर वह गौरी को अपनी गोद में उठाये अपने कमरे में चला आया। इस वक्त उसे अपने कमरे से ज्यादा सेफ जगह और कही नहीं दिखी लेकिन आज मुन्ना की किस्मत खराब थी गौरी को ले जाते वक्त मुरारी ने उसे देख लिया और ये बात मुन्ना को नहीं पता थी। मुन्ना गौरी को लेकर अपने कमरे में आया और उसे बिस्तर पर लेटा दिया। गौरी की आँखे मूंदने लगी थी , कुनमुनाते हुए उसने करवट बदल ली। मुन्ना उसके पैरो के पास आया और उसके पैरो से सेंडल्स निकालकर साइड में रख दिए। एक तकिया उठाया और आहिस्ता से गौरी के सर के नीचे रख दिया साथ ही उसे अच्छे से कंबल ओढ़ा दी क्योकि इस वक्त काफी ठण्ड थी। मुन्ना ने देखा उसके कमरे की खिड़की खुली है तो वह खिड़की के पास आया और उसे आहिस्ता से बंद कर दिया। गौरी सो चुकी थी और मुन्ना को वहा रुकना सही नहीं लगा इसलिए उसने तकिया और कम्बल उठाया और कमरे से बाहर चला आया। हालाँकि ऊपर के 2 कमरे अभी भी खाली थे लेकिन मुन्ना वहा ना जाकर अपने कमरे के बाहर पड़े सोफे पर आकर लेट गया। मुरारी अनु को लेकर कमरे में जा चुका था लेकिन दिमाग में मुन्ना और गौरी घूम रहे थे। कुछ गड़बड़ ना हो जाये सोचकर अनु के सोने के बाद मुरारी उठा और चुपचाप ऊपर चला आया। मुन्ना के कमरे की तरफ बढ़ते हुए मुरारी मन ही मन खुद से कहने लगा,”मुन्ना को हो का गया है मतलब अब तक लड़कियों के नाम से भी गुस्साता था और आज सीधा लड़की को ही घर ले आया। हमको कुछो ठीक नहीं लग रहा है अरे मान लिया मॉर्डन जमाना है पर जे सब ठीक नहीं है,,,,,,,,,,अरे यार मतलब लड़की पसंद है तो माँ-बाप से मिलवाओ , शादी करो इसके बाद जे सब,,,,,,,,,,,,,,,इस से पहिले की कुछ गड़बड़ हो हमको उन्हें रोकना होगा।,,,,,,,,,,,,,,,एक मिनिट ऐसे सीधे उसके कमरे में जाना ठीक होगा का ?,,,,,,,,,,,,अमा यार मिश्रा तुमहू बाप हो उसके पकड़ के कनपटिया पे पेल दो दुइ चार जे हिम्मत की लड़की को अपने कमरे में लेकर जायेंगे”
मुरारी जैसे ही मुन्ना के कमरे के सामने आया उसे मुन्ना बाहर सोफे पर सोया दिखा। मुन्ना गहरी नींद में था उसे मुरारी के आने का अहसास तक नहीं हुआ। मुन्ना को बाहर सोया देखकर मुरारी एक बार फिर परेशान , मुन्ना को देखते हुए वह फिर बड़बड़ाने लगा,”जे बाहर काहे सो रहा है ? का लड़ाई हो गयी का दोनों में ? अरे यार हम भी का का सोच रहे है ? एक काम करते है सुबह पूछते है मुन्ना से जे सबके बारे में,,,,,,,,,,,,,,,,,हम्म्म जे ही ठीक रहेगा”
मुरारी वहा से वापस नीचे चला आया और अपने कमरे में आकर सो गया।
सुबह मुरारी जल्दी ही उठ गया और नहा-धोकर हॉल में चला आया। मुरारी ने देखा अभी मुन्ना उठा नहीं था वह वही हॉल में यहाँ वहा चक्कर काटने लगा। वंश खुली तो वह आँखे मसलते और उबासियाँ लेते हुए हॉल की तरफ आया और किशना के बहाने मुरारी से कहा,”किशना भैया एक कप चाय”
वंश को वहा देखकर मुरारी समझ गया की पक्का कल रात में कुछ तो गड़बड़ हुई है। वंश ने भी ध्यान नहीं दिया की वो मुरारी है और नींद में मुरारी के सर को हाथ लगाकर कहा,”अबे दे ना एक कप चाय”
अब मुरारी तो ठहरा मुरारी उसके लिए भाई क्या भतीजा क्या एक कंटाप वंश के गाल पर रखा और कहा,”एक काफी है की एक और दे ?”
“अरे मुरारी चचा आप , आप कब आये ?”,वंश की नींद एक झटके में खुल गयी
“हमको आये तो सालों बीत गए तुम जे बताओ सुबह सुबह तुम हिया का कर रहे हो ? और एक मिनिट,,,,,,,,,,,जे बदबू कैसी ?,,,,,,,,,कही हमाये पीछे से दारू पार्टी तो नहीं की तुमने,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने वंश की शर्ट पकड़कर सूंघते हुए कहा
“कैसी बातें कर रहे है ? वो तो नहाये नहीं है कल से इसलिए थोड़ा महक रहे है,,,,,,,,,,,,,,,,,किशना भैया कहा है ? एक काम करते है हम खुद ही ले लेते है किचन से”,वंश ने मुरारी से बचने के लिए कहा और किचन की तरफ चला गया
“जे दोनों लौंडे पक्का कुछो काण्ड किये है”,मुरारी ने कहा और फिर चक्कर काटने लगा। मुन्ना की नींद खुली। मुन्ना उठा और जैसे ही अपने कमरे की तरफ जाने लगा उसे याद आया की कमरे में गौरी है वह वापस पलट गया और नीचे चला आया। सोफे पर सोने की वजह से मुन्ना की पीठ अकड़ चुकी थी और ठण्ड भी लग चुकी थी। उसने महसूस किया की उसका सर हल्का हल्का दर्द कर रहा है और नाक भी लगभग बंद है। वह नीचे आया। मुरारी ने उसे देखा तो अपने पास बुला लिया।
“जी पापा”,मुन्ना ने आकर कहा जिसे इस बात का अहसास तक नहीं था की कल रात मुरारी ने उसे गौरी के साथ देख लिया है
“बाहर चलकर बात करे”,मुरारी ने कहा
“यहाँ क्या दिक्कत है ?”,मुन्ना ने हैरानी से पूछा
“यहाँ थोड़ा बंद बंद है चलो खुले में चलते है”,कहते हुए मुरारी ने मुन्ना के कंधे पर हाथ रखा और उसे लेकर बाहर चला आया। मुन्ना बस समझने की कोशिश कर रहा रहा था की आखिर मुरारी को सुबह सुबह उस से क्या बात करनी है ? दोनों बाहर चले आये लॉन में साथ साथ टहलते हुए मुरारी कहने लगा,”मुन्ना हम जानते है जे उम्र में ना हार्मोन्स में बदलाव होता है और हमारा मन ना चंचल होने लगता है। इस उम्र में अक्सर हम किसी को पसंद करने लगते है , हमारा मन करता है हम ज्यादा से ज्यादा समय उनके साथ बिताये , उनसे बातें करे उनके करीब जाए,,,,,,,,,,,,,,,,पर का होता है की कभी कभी ना हम भावनाओ में बह जाते है और गलती कर बैठते ह,,,,,,,,,,,तुम समझ रहे हो ना हम का कह रहे है ?”
“नहीं पापा हम नहीं समझ रहे है आप क्या कहना चाहते है”,मुन्ना ने कहा
मुरारी ने मुन्ना को देखा और फिर कहा,”हम समझाते है हम जे कह रहे है एक लड़का लड़की दोस्त रहे कोनो दिक्कत नहीं है ? उनमे प्यार हो तब भी कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सादी से पहले दोनों एक कमरे में रहे,,,,,,,,,,,,,,,तो उनमे वो सब होने के चांस बढ़ जाते है,,,,,,,,,,,,,,मतलब समझ रहे हो न ?”
“पापा आप क्या कहना चाहते है ?”,मुन्ना को अब भी ठीक से कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर मुरारी कहना क्या चाहता है ?
मुरारी ने सूना तो थोड़ा चिढ गया और गुस्सा होते हुए कहने लगा,”का कहना चाहते है , का कहना चाहते है अरे जे कहना चाहते है की रंगबाजी तुम्हाये बाप ने भी बहुते की है लेकिन कबो किसी लड़की को सादी से पहिले अपने कमरे में लेकर नहीं आये है। प्रेम है ठीक है लेकिन अपने हार्मोन्स पर थोड़ा भी कंट्रोल नहीं है तुम्हारा,,,,,,,,,,,,,,,शिवम् भैया को पता चला तो तुम्हाये साथ साथ हमे भी पेल देंगे”
मुन्ना ने सुना तो उसे समझ आया की मुरारी किस बारे में बात कर रहा है। उसने कहा,”ये क्या कह रहे है आप हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है हमने अपना ब्रह्मचर्य नहीं तोड़ा है”
“बेटा तुम्हरा ब्रह्मचर्य टूटते कल रात हमने अपनी आँखों से देखा है”,मुरारी ने कहा तो मुन्ना को गौरी याद आयी। शायद मुरारी ने मुन्ना को गौरी के साथ देख लिया था उसने झिझकते हुए कहा,”पापा आप गलत समझ रहे है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जैसा आप सोच रहे है”
“देखो मुन्ना तुम्हारी उम्र से ना गुजर चुके है हम लेकिन जे हरकत कबो ना की और तुमने तो खानदान की इज्जत को मिटटी में मिला दिया”,मुरारी ने कहा
“अब कैसे समझाए आपको ?”,मुन्ना बड़बड़ाया क्योकि वह नहीं चाहता था मुरारी गौरी और वंश की गलती के बारे में पता चले लेकिन मुरारी की गलतफहमी भी दूर करनी जरुरी थी इसलिए उसने कहा,”पापा हमारी बात सुनिए हमने ऐसा कुछ नहीं किया है जिस से हमे शर्मिन्दा होना पड़े , काशी की दोस्त ने गलती से आपके वाले कमरे से थोड़ी पी ली थी , होश में नहीं थी इसलिए हमे उसे उठाकर ले जाना पड़ा।”
“हाँ तो अपने कमरे में क्यों ? कही नशे की हालत में तुमहू उसका फायदा उठाने के बारे में,,,,,,,,,,,,,,,,”,मुरारी ने कहते हुए मुन्ना को शकभरी नजर से देखा
“पापा,,,,,,,,,,,,,,वो होश में नहीं थी ऐसे में काशी या माँ उसे ऐसी हालत में देखती तो उसकी इमेज खराब होती , हमारे कमरे में कोई इतना जाता नहीं इसलिए हमने उसे अपने कमरे में सुला दिया”,मुन्ना ने कहा
“मतलब तुमने कुछ नहीं किया ?”,मुरारी को अभी भी यकीन नहीं रहा था
“महादेव की कसम हमने कुछ नहीं किया बल्कि हमने उन्हें तो क्या किसी भी लड़की को गलत नियत से नहीं छूआ है”,मुन्ना ने मायूस होकर कहा
“अरे इतना भरोसा तो है तुम पर,,,,,,,,,,,,,उह पहली बार देखे ना तुमको ऐसी हालत में तो थोड़ा चिन्तिया गए , हम अंदर जाते है”,कहकर मुरारी जाने लगा। मुन्ना ने अपना सर पकड़ा और घूम गया , उसने सोचा नहीं था मुरारी से उसे ये सब भी डिस्कस करना होगा। मुन्ना भी जाने के लिए जैसे ही मुड़ा उसका दिल धड़का मुरारी उसकी बिल्कुल पीछे खड़ा था और मुन्ना को ही देख रहा था। मुरारी को ऐसे देखकर मुन्ना ने अपनी भँवे उचकाई तो मुरारी ने धीरे से कहा,”तुम्हे पसंद हो बात चलाये गौरी से ?”
मुन्ना ने सूना तो अपना सर पीट लिया और कहा,”आप तो जायेंगे नहीं एक काम करते है हम ही चले जाते है”
मुन्ना वहा से चला गया , मुरारी भी दूसरी तरफ चला गया। मुन्ना अंदर आया अनु ने देखा तो कहा,”अरे मुन्ना इतनी सुबह सुबह बाहर से
कहा से आ रहे हो ?”
“बस यही थे माँ , हम नहाकर आते है”,मुन्ना ने कहा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। सीढ़ियों पर उसे गौरी मिल गयी मुन्ना को देखते ही उसने मुस्कुरा कर कहा,”गुड मॉर्निंग”
मुन्ना ने गौरी को देखा तक नहीं और आगे बढ़ गया।
“इसे क्या हुआ ?”,गौरी बड़बड़ाई , रात में क्या हुआ था उसे कुछ याद जो नहीं था। वह नीचे चली आयी और अनु से कहा,”गुड मॉर्निंग आंटी”
“गुड मॉर्निंग बेटा मैंने किशना से कहकर सबके लिए गर्मागर्म जलेबी और कचौड़िया मंगवाई है , तुम सब नहाकर आजाओ”,अनु ने कहा तो गौरी गेस्ट रूम की तरफ चली आयी। ऋतू , प्रिया और काशी अभी तक सो रही थी गौरी ने उन्हें उठाया और फिर सब नहाने चली गयी। काशी ने दीना के हाथो सबके लिए कपडे मंगवा लिए थे।
मुन्ना अपने कमरे में आया , वंश और गौरी की वजह से वह पहले से अपसेट था और सुबह सुबह मुरारी की बातो ने उसे और परेशान कर दिया। मुन्ना नहाकर आया तो देखा वंश उसके कमरे में ही है। उसे देखते ही मुन्ना ने कहा,”तू यहाँ क्या कर रहा है ?”
“मुन्ना कल जो कुछ भी हुआ उसमे गौरी की कोई गलती नहीं मैं ही लेकर गया था”,वंश ने मासूम बनते हुए कहा
मुन्ना ने कोई जवाब नहीं दिया और कबर्ड से अपने लिए कपडे निकालने लगा। वंश समझ गया की मुन्ना नाराज है इसलिए वह उठा और उसके पास आकर कहा,”यार मुन्ना सॉरी बोल तो रहा हूँ , इतनी छोटी सी बात के लिए इतना क्यों सड़ रहा है ?”
मुन्ना पलटा और कहा,”छोटी सी बात,,,,,,,,,,,,,,,वंश गौरी हमारी बहन की दोस्त है , ये शहर यहाँ के लोग उसके लिए नए है ऐसे में आधी रात को तू उसे बाहर लेकर गया , उसके साथ ड्रिंक भी की,,,,,,,,,,,तूने एक बार भी नहीं सोचा की उसे कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता ? काशी की तीनो दोस्त इस शहर में काशी के भरोसे आयी है ऐसे में ये सब , अब तक हमने तेरी हर गलती को तेरी नादानी समझकर माफ़ किया है लेकिन इस बार ये ज्यादा हो गया”
वंश ने सूना तो उसे अपनी गलती का अहसास हुआ , मुन्ना सही था इस वक्त बनारस के जो हालात थे उसमे देर रात गौरी का बाहर जाना सेफ नहीं था।
वंश को खामोश देखकर मुन्ना वहा से चला गया। मुन्ना नीचे चला आया उसका मन बहुत अशांत था। अनु ने देखा तो उसे आवाज दी,”मुन्ना चलो आओ नाश्ता कर लो”
“हमे भूख नहीं है माँ , हम बाद में खा लेंगे,,,,,,,,,,,,!”,कहकर मुन्ना चला गया। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहा से चला गया।
वंश नीचे आया और सबके साथ बैठकर नाश्ता करने लगा। नाश्ते के बाद काशी को याद आया की उसे शक्ति से मिलना है इसलिए उसने कहा,”अनु मौसी हमे किसी काम से बाहर जाना था तो हम होकर आते है”
“अरे काशी लेकिन आज तो हम सब शॉपिंग पर जाने वाले थे”,अनु ने कहा
“आप सब लोग चले जाईये हम अपना काम खत्म कर आपको मार्किट में ही मिल जायेंगे”,काशी ने कहा
“ठीक है काशी”,अनु ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया
काशी उठी और वहा से चली गई , वह अपने साथ किसी को लेकर भी नहीं जा सकती थी क्योकि उसे शक्ति से मिलना था। ऋतू प्रिया ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अनु के साथ घर में ही रुक गयी। गौरी ने देखा वंश अकेला है तो वह उसके पास आयी और कहा,”ए तुम्हारे भाई को क्या हुआ है ?”
“मुन्ना हम दोनों से बहुत नाराज है , कल रात शायद हम दोनों ने उसे बहुत परेशान किया है”,वंश ने मायूस होकर कहा
“ओह्ह्ह शीट इसका मतलब कल रात मुन्ना मुझे अपने कमरे में लेकर गया था , इसलिए वो इतना नाराज है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमे उस से माफ़ी मांगनी चाहिए लेकिन वो तो कही चला गया है पता नहीं कब वापस आएगा ?”,गौरी ने कहा
“मुझे पता है इस वक्त वो कहा मिलेगा ?”,वंश ने कहा और फिर गौरी को अपने साथ लेकर चला गया।
काशी शक्ति की बताई जगह पर पहुंची। शक्ति वहा पहले से मौजूद था और दिवार से पीठ लगाये अपने हाथ बांधे खड़ा था। काशी ने देखा आज वह रोजाना से ज्यादा ही प्यारा लग रहा था और मासूम भी। काशी उसके पास आयी और उसके सामने खड़ी होकर उसे देखने लगी। काशी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे लेकिन मन ही मन वह परेशान थी। शक्ति ने काशी को देखा और कहा,”हमारे बुलाने पर तुम अकेले चली आयी , डर नहीं लगा ?”
“तुम कोई भूत हो जो हम तुमसे डरेंगे”,काशी ने चिढ़ते हुए कहा तो शक्ति हल्का सा मुस्कुरा दिया और अपने हाथो को बांधे हुए काशी की तरफ आया और कहने लगा,”हमने तुम्हे यहाँ अपने बारे में कुछ बताने के लिए बुलाया है। हमारा नाम है शक्ति शर्मा , ब्राह्मण परिवार से है। बचपन में ही एक हादसे में हमने अपने माँ बाप को खो दिया। तब से लेकर आज तक हम अकेले रहे है उनकी मौत कोई हादसा नहीं थी बल्कि किसी ने उन्हें अपने लालच के चलते मार दिया। उनकी मौत को हम आज भी नहीं भूल पाए है,,,,,,,,,,,,,,,,,,उनके जाने के बाद सब बदल गया। कुछ महीनो पहले ही हम बनारस आये थे और तुम हमसे टकराई , पहली बार किसी को देखकर हमे लगा जैसे हम ज़िंदा है , लेकिन उस शाम तुमसे भी ज्यादा जरुरी हमारे लिए कुछ और था और हम चले गए। हम एक बुरे इंसान है ये जानने के बाद भी तुम हमसे प्यार कर बैठी लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते
, हम तुमसे प्यार नहीं कर सकते काशी”
शक्ति की बात सुनकर काशी के दिल में एक टीस उठी और उसने कहा,”लेकिन क्यों ? तुमने कहा तुम बुरे इंसान हो लेकिन हमारा दिल इस बात की गवाही नहीं देता , तुम हमारे सामने बुरे बनने का दिखावा कर रहे हो ताकि हम तुमसे दूर चले जाये है ना,,,,,,,,,,,,,,,,,और अगर तुम बुरे इंसान हो भी तो तुम ये सब छोड़कर एक नयी जिंदगी शुरू क्यों नहीं करते ?”
शक्ति ने अपने हाथो को खोला और काशी की तरफ देखकर कहा,”हम जो कहने वाले है उसे ध्यान से सुनो काशी , हम बुरे इंसान सिर्फ उस एक इंसान के लिए बने है जिसने हमारे माँ-बाप की जान ली है और जब तक हम उसे मार नहीं देते हम चैन से नहीं बैठ सकते,,,,,,,जानना चाहोगी वो कौन है ?”
शक्ति की बात सुनकर काशी ने शक्ति की तरफ देखा तो शक्ति ने अपनी आँखों में गुस्सा भरकर कहा,”वो इंसान है शिवम् गुप्ता”
काशी ने शक्ति के मुंह से अपने पापा का नाम सूना तो उसकी आँखे हैरत से फटी की फटी रह गयी। उसके पापा किसी को मारना तो दूर कभी किसी जानवर तक को चोट नहीं पहुंचा सकते काशी ने सूना तो हैरानी से शक्ति की तरफ देखने लगी उसके पास कहने को शब्द ही नहीं थे। जिस लड़के को वह इतना चाहती थी वही सके पापा की जान लेने की बात कर रहा था। काशी ने थोड़ी हिम्मत करके कहा,”हमारे पापा ऐसा नहीं कर सकते , वो ऐसा कभी नहीं करेंगे”
काशी की बात सुनकर शक्ति ने कहा,”हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती है काशी,,,,,,,,,,,,,जो सच था वो हमने तुम्हे बता दिया इसके बाद तुम मुझे भूल जाओ तो बेहतर है। हम जैसे इंसान के साथ तुम्हारा कोई भविष्य नहीं है। क्या इसके बाद भी तुम कहोगी तुम्हे हमसे प्यार है ?,,,,,,,,,!”
काशी ने एक नजर शक्ति को देखा उसकी आँखों में नमी थी लेकिन चेहरे पर कठोरता थी उसने शक्ति की आँखों में देखते हुए कहा,”हमसे प्यार ना करने की तुमने अगर कोई और वजह बताई होती तो शायद हम जिंदगीभर तुम्हारा इंतजार करते लेकिन जब तुमने कहा की तुम हमारे पापा को मारना चाहते हो समझो उसी पल हम तुम्हे भूल गए”
काशी की बात सुनकर शक्ति के दिल में एक टीस हुई लेकिन उसने अपने मन के भावो को चेहरे पर आने नहीं दिया। काशी ने अपने आँसू पोछे और वहा से चली गयी और इस बार उसने पलटकर भी नहीं देखा।
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क्या मुन्ना वंश और गौरी को माफ़ कर पायेगा ? क्या शक्ति के माँ-बाप से जुड़ा है शिवम् का कोई काला सच ? क्या काशी भूल पायेगी शक्ति को ? जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 66
Read More – “मैं तेरी हीर” – 64
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संजना किरोड़ीवाल