Main Teri Heer – 63
गौरी काशी की मदद करने के लिए मुन्ना को वहा से लेकर गयी और खुद उसी की बांहो में आ गिरी। गौरी मुन्ना की बांहो में थी और दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। मुन्ना का दिल जोरो से धड़क रहा था आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। गौरी भी एक पल के लिए मुन्ना की आँखों में खोकर रह गयी। ठंडी हवाएं चल रही थी। गौरी के बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे थे और इस वक्त वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। ऋतू और प्रिया ने देखा तो दोनों उनकी तरफ चली आयी और कहा,”ये क्या हो रहा है ?”
ऋतू की आवाज से मुन्ना की तंद्रा टूटी तो वह गौरी से दूर हटा और कहा,”माफ़ करना वो आप गिरने वाली थी इसलिए हमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सॉरी”
“कोई बात नहीं,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“हम आते है”,मुन्ना ने कहा और वहा से चला गया
“हाय कितना रोमांटिक सीन था तुम और मुन्ना साथ में कितने अच्छे लग रहे थे,,,,,,,,,,लाइक किसी हिंदी फिल्म के कपल की तरह”,प्रिया ने कहा जिसे मुन्ना में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी
“हम्म काशी मैं गिरी होती और उसने मुझे भी ऐसे ही सम्हाला होता”,ऋतू बड़बड़ाई
“तुमने कुछ कहा ?”,गौरी ने पूछा
“नहीं मैं तो ये कह रही थी की ये जगह कितनी खूबसूरत है चलो ना सेल्फी लेते है”,ऋतू ने अपना फोन निकालते हुए कहा
“हाँ लेकिन काशी कहा है ?”,प्रिया ने पूछा
“काशी यही कही होगी,,,,,,,,,उसने कहा था वो मंदिर जाकर आएगी शायद वही गयी हो”,गौरी ने कहा और तीनो सेल्फी लेने लगी
मुन्ना घाट से निकलकर अपनी जीप के पास आया और अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए खुद से कहा,”ये अचानक से हमें क्या हो गया था हम उनके इतना करीब क्यों चले गए ? अच्छा हुआ काशी ने नहीं देखा वरना उसे अच्छा नहीं लगता हम उसकी दोस्त के साथ ऐसे,,,,,,,,,,,,,,लेकिन उनकी आँखे , उनकी आँखों में एक आकर्षण था जिसमे हम खींचे चले गए और हमारा दिल इतनी जोर से क्यों धड़क रहा है। एक काम करते है हम यही रुक जाते है , फिर से उनके सामने जायेंगे तो जरूर कुछ गड़बड़ होगी,,,,,,,,,,,,,!”
कहकर मुन्ना वही जीप के पास अपनी पीठ टीकाकार खड़ा हो गया। लेकिन बरबस ही उसके होंठ मुस्कुरा उठे उसके कानो में गौरी की आवाज गुंजी “”वो नाम है “मान” , ये कूल भी है और आप पर सूट भी करेगा”
गौरी की बात याद कर मुन्ना मुस्कुराने लगा। आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। हमेशा शांत और गंभीर रहने वाला मुन्ना आज कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रहा था और वजह थी गौरी। मुन्ना को अहसास हुआ की वहा से गुजरने वाले लोग उसे ही देख रहे है तो उसने झेंपते हुए अपने बालो में से हाथ घुमाया और गर्दन झुका ली। कुछ देर बाद मुन्ना का फोन बजा , फोन उसके दोस्त रवि का था जिसे फाइनल एग्जाम्स को मुन्ना से कुछ जरुरी बातें करनी थी। मुन्ना फोन में बिजी हो गया
काशी ने शक्ति को देखा तो वह फिर उसके पास चली आयी। ये सच ही कहा गया है की इश्क़ में पड़े इंसान को किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता और यही हमारी काशी के साथ हो रहा था। शक्ति उसे जितना इग्नोर करता वह उसके उतना ही पास आने की कोशिश करती। शक्ति ने देखा काशी फिर उसके पीछे आ रही है तो वह रुका और पलटकर कहा,”तुम फिर हमारा पीछा कर रही हो ?”
“जब तक तुम हमारे सवालो का जवाब नहीं देते हम तुम्हारा पीछा यू ही करेंगे”,काशी ने कहा
“पूछो”,शक्ति ने कहा
“तुम हमे पसंद करते हो या नहीं ?”,काशी ने कहा
“नहीं”,शक्ति ने बिना किसी भाव के कहा
“थोड़ा सा ?”,काशी ने मासूमियत से पूछा उसे शायद अभी भी शक्ति से उम्मीद थी
“थोड़ा सा,,,,,,,,,,,,,,,,,भी नहीं”,कहते हुए शक्ति थोड़ा उलझन में लगा , शायद वह खुद भी अपने जवाब से संतुष्ट नहीं था
“तुम झूठ बोल रहे हो,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने एकदम से कहा
“हम क्यों झूठ बोलेंगे यही सच है”,शक्ति ने कहा लेकिन वह काशी से नजरे नहीं मिला रहा था काशी उसके थोड़ा करीब आयी और कहा,”सच बोलने वाले ऐसे नजरे नहीं चुराते,,,,,,,,,,,,मतलब तुम झूठ बोल रहे हो अगर हम पसंद नहीं है तो उस दिन हमे किस क्यों किया ? तुम पहले इंसान हो जिसने ऐसा किया है”
काशी ने किस वाली बात कही तो शक्ति को वो शाम याद आ गयी जब उसने काशी को किस किया था। शक्ति को खोया हुआ देखकर काशी कहने लगी,”पहली बार जब तुम्हे देखा था उसी वक्त तुम हमे पसंद आ गए थे , वो पहली नजर का प्यार था कुछ और हमे नहीं पता लेकिन तुमसे पहले किसी भी लड़के को देखकर हमारा दिल नहीं धड़का था। हम तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानते थे उस दिन के बाद से हम रोज महादेव् से प्रार्थना करने लगे की वो एक बार तो हमे तुमसे मिलवा दे और उस शाम तुम हमारे घर आये और हम तुमसे कुछ पूछ पाते इस से पहले ही तुम चले गए। उसके बाद हम कई बार मिले लेकिन हमारी बात नहीं हो पायी। हम फैसला नहीं कर पा रहे थे की तुम अच्छे इंसान हो या बुरे। हमे लगा इंदौर जाकर हम तुम्हे भूल जायेंगे पर ऐसा नहीं हुआ तुम हमे और ज्यादा याद आने लगे,,,,,,,,,,,,,,,ना हम ठीक से पढ़ पा रहे थे ना सो पा रहे थे। कुछ दिनों बाद हमे वो लेटर मिला जब हमने उसे पढ़ा तब भी हमारा दिल उतनी ही जोर से धड़का जितनी जोर से तुम्हे पहली बार देखकर धड़का था।
उस लेटर को हमने एक बार नहीं दो बार नहीं ना जाने कितनी ही बार पढ़ा और हर बार हमे लगा जैसे पहली बार पढ़ रहे है। ये फीलिंग्स हमारे मन में क्यों थी हम नहीं जान पाए। हमे बस तुमसे मिलना था , और फिर पापा ने हमे बनारस बुला लिया तुम यकीन नहीं करोगे शक्ति पहली बार किसी से मिलने के लिए हम इतना बैचैन थे,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी एक झलक भी हमारी चेहरे पर बड़ी सी स्माइल ले आती है ये शायद तुम नहीं जानते। तुमने कहा की वो लेटर तुमने नहीं लिखा पर जब तुमने उसे फाड़ा तब हमे अहसास हुआ की तुम हमे पसंद करते हो। जो हम महसूस करते है वो तुम भी करते हो बस कहते नहीं,,,,,,,,,,,,तुम खुद को सख्त दिखाने की कोशिश करते हो लेकिन हो नहीं। तुमने कहा की तुम एक बुरे इंसान हो हमने ये भी मान लिया लेकिन हम अपने दिल को कैसे समझाये ये हमे सिर्फ तुम्हारी अच्छाई दिखाता है,,,,,,,,,,,,,,!!
कहते हुए काशी पलट गयी वो थोड़ी भावुक हो चुकी थी और नहीं चाहती थी शक्ति उसकी आँखों में आयी नमी को देखे। शक्ति चुपचाप उसकी बात सुनता रहा काशी आगे कहने लगी,”ये मजाक या फिर झूठ नहीं है शक्ति , हम तुम्हे पसंद करने लगे है , तुम्हे चाहने लगे है और चाहते है की जिंदगीभर तुम्हारे साथ रहे। आज से पहले किसी लड़के के लिए हमने ये सब महसूस नहीं किया है पर जब तुम्हे देखते है तो लगता है जैसे हम तुमसे पहले भी मिल चुके है। ऐसे ही कोई किसी को इतना पसंद नहीं आता है , हम चाहते है हम तुम्हारी कही हर बात पर यकीन करे लेकिन जब तुम्हारी आँखों में देखते है तो हमे सब झूठ लगता है। हम तुम्हारे लिए क्या महसूस करते है वो हम तुम्हे शब्दों में नहीं कह पाएंगे,,,,,,,,,,,,,,,हमे समझने की कोशिश करो शक्ति , हमने किसी के लिए ये सब महसूस नहीं किया है। हम तुम्हे बहुत पसंद करते है , बहुत दुःख होता है जब तुम कहते हो की तुम मुझे पसंद नहीं करते , मुझसे प्यार नहीं करते,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
कहते कहते काशी की आवाज भारी होने लगी उसकी आँखों में आंसू भर आये जिन्हे शक्ति नहीं देख पाया। काशी आगे कुछ कहती इस से पहले ही शक्ति ने उसकी कलाई पकड़ी उसे अपनी ओर घुमाया और अपनी तरफ खींचकर गले लगा लिया। काशी हैरान सी उसके गले लगी रही उसे कुछ समझ नहीं आया की अचानक क्या हुआ ? उसका दिल अभी भी तेज तेज धड़क रहा था। शक्ति ने कुछ नहीं कहा और बस खामोश रहा। उसके सीने से लगी काशी को एक सुकूनभरा अहसास हुआ उसकी आँखों में ठहरे आँसू बह गए लेकिन होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी। शक्ति का हाथ काशी के बालों पर चला गया और उसने उसके बालों को सहलाते हुए धीरे से कहा,”ऐसे ही रहना मेरे बिल्कुल सामने तुम्हारा भाई खड़ा है”
काशी ने सूना तो उसके हाथो की पकड़ ढीली पड़ गयी शक्ति ने उसे गले मुन्ना से बचाने के लिए लगाया था ना की उसकी फीलिंग्स को समझने के लिए। मुन्ना शक्ति के सामने से गुजरा , लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया की वहा काशी है। मुन्ना चला गया तो शक्ति ने काशी को खुद से दूर किया और कहा,”माफ़ करना तुम्हारा भाई अगर तुम्हे हमारे साथ देखता तो उसे समझाना मुश्किल हो जाता”
“हमारे भाई की परवाह है तुम्हे लेकिन हमारी फीलिंग्स की नहीं”,काशी ने आँखों में आँसू भरकर कहा।
काशी की आँखों में आँसू देखकर शक्ति का दिल बैचैन हो गया लेकिन इस वक्त वह काशी को कैसे समझाये ? वह काशी के थोड़ा सा क़रीब आया काशी की आँख से निकलकर आँसू शक्ति के हाथ पर आ गिरा। शक्ति ने काशी के आँसू पोछे और कहा,”तुम्हारे आँसू बहुत कीमती है इन्हे हम जैसे इंसान के लिए मत बहाओ”
“क्या तुम कभी नहीं बदलोगे ?”,काशी ने रोआँसा होकर कहा
“कल सुबह मणिकर्णिका घाट के पास वाले खंडर में हम तुम्हारा इंतजार करेंगे , तुम्हारे सारे सवालों के जवाब देने के लिए”,कहकर शक्ति वहा से चला गया काशी नम आँखों से उसे जाते हुए देखते रही। शक्ति सीढिया चढ़कर जाने लगा जाते जाते उसने अपने हाथ पर गिरे काशी के आँसू को अपने होंठो से लगा लिया और वहा से चला गया।
“काशी तुम अकेले यहाँ क्या कर रही हो ?”,मुन्ना ने आकर कहा उसके साथ गौरी ऋतू और प्रिया भी थी। काशी ने मुन्ना को देखा तो जल्दी से अपने आँसू पोछे और कहा,”वो हम आप सबका ही इंतजार कर रहे थे”
“तुम्हारी आँखों को क्या हुआ ?”,मुन्ना ने काशी की नम आँखों को देखकर पूछा
गौरी ने काशी का उतरा हुआ चेहरा देखा तो समझ गयी जरूर कुछ हुआ है। काशी ने भी एक नजर गौरी को देखा और फिर कहा,”वो हमारी आँख में कुछ चला गया था”
“दिखाओ हमे”,कहते हुए मुन्ना काशी की आँख को देखने लगा और उसमे धीरे से फूंक मारते हुए कहा,”अब ठीक है ?”
“हाँ , चलिए ना चलते है”,काशी ने कहा
“हाँ तुम सब चलकर जीप में बैठो हम आते है”,मुन्ना ने कहा और वहा पास ही खड़े एक नाविक के पास चला आया। ऋतू प्रिया बातें करते हुए साथ साथ आगे बढ़ गयी। गौरी ने काशी के साथ पीछे चलते हुए धीरे से कहा,”क्या हुआ काशी सब ठीक है ना ?”
काशी ने ना में गर्दन हिला दी इस वक्त उस से बोल पाना मुश्किल हो रहा था , वो अंदर ही अंदर खुद से झुंझ रही थी और खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी। गौरी ने देखा तो उसने काशी के हाथ को पकड़ा और कहा,”डोंट वरी मैं तुम्हारे साथ हूँ हम घर चलकर बात करेंगे”
“हम्म्म्म”,काशी ने कहा चारो जीप में आ बैठी। कुछ देर बाद मुन्ना भी चला आया और कहा,”काशी कहा चलना है ? माँ पापा तो बाहर गए है उन्होंने कहा है की तुम सबको बाहर ही खाना खिला दू”
“घर चलते है”,काशी ने उदास होकर कहा
“क्या हुआ बेटा ? तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना ?”,मुन्ना ने काशी का गाल छूकर कहा
“हाँ हम ठीक है बस थोड़ा थक गए है इसलिए”,कहते हुए वह अपनी दोस्तों की तरफ पलटती है और कहती है,”आई ऍम सॉरी हमारी वजह से तुम सब घूम नहीं पाओगी”
“इट्स ओके काशी घूमना फिरना कल कर लेंगे , तुम्हारे लिए इतना तो कर सकते है हम लोग ,, मुन्ना घर ही चलते है”,ऋतू ने कहा
“हम्म्म ठीक है”,कहकर मुन्ना ने गाड़ी फिर घर की तरफ घुमा दी। घर पहुंचकर काशी वाशरूम की ओर चली गयी और बाकि सब सोफे पर आ बैठी। ऋतू प्रिया गौरी को घाट और वहा की खूबसूरती के बारे में बताने लगी लेकिन गौरी काशी के बारे में सोच रही थी
“हम आप सबके लिए खाना आर्डर कर देते है”,मुन्ना ने कहा
“हाँ ठीक है”,प्रिया ने कहा
मुन्ना ने एक नजर गौरी को देखा उसे उदास देखकर मुन्ना को अच्छा नहीं लगा वह वहा से साइड में चला आया और खाना आर्डर करने के लिए अपना फोन जेब से निकाला। मुन्ना खाना आर्डर करता इस से पहले ही फोन बजा फोन सारिका का था मुन्ना ने फोन उठाया और कहा,”हाँ बड़ी माँ”
“मुन्ना अनु ने बताया आज काशी और उसकी दोस्त वही रुकेगी इसलिए हमने उनका खाना घर पर ही भिजवा दिया है”,सारिका ने कहा
“बड़ी माँ आपने क्यों तकलीफ की हम बाहर से आर्डर कर देते”,मुन्ना ने कहा
“कोई बात नहीं बेटा अनु ने हमसे कहा था की वो और मुरारी घर देर से आएंगे इसलिए हमने भिजवा दिया। वैसे भी तुम्हे बाहर का खाना कम ही पसंद आता है और आज हमने खाना भी तुम्हारी पसंद का बनाया है ,, हम दीना के हाथ भिजवा रहे है ,, ठीक है”,सारिका ने कहा
“ठीक है बड़ी माँ , थैंक्यू”,मुन्ना ने कहा
“धत माँ से कोई थैंक्यू कहता है भला , हम रखते है”,कहकर सारिका ने फोन काट दिया
मुन्ना ने फोन वापस जेब में रखा और उन सबकी तरफ आकर कहा,”खाना थोड़ी देर में आ जाएगा , तब तक आप लोग कुछ लेंगे ?”
“नहीं थैंक्यू”,गौरी ने पहले ही बोल दिया क्योकि वह मुन्ना को परेशान करना नहीं चाहती थी। मुन्ना कपडे बदलने चला गया।
ऋतू प्रिया और गौरी बैठकर बाते कर रही थी , कुछ देर बाद काशी भी चली आयी और उन सबके साथ बैठकर जबरदस्ती मुस्कुराने लगी। घर की बेल बजी तो गौरी ने कहा,”शायद खाना आ गया मैं लेकर आती हूँ”
गौरी ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने खड़े शख्स को देखकर हैरान हो गयी। सामने खाने का बैग लिए वंश खड़ा था।
Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63 Main Teri Heer – 63
क्या मुन्ना के दिल में जगने लगी है गौरी के लिए भावनाये ? आखिर शक्ति क्यों मिलना चाहता है काशी से ? वंश खाना लेकर क्यों आया है मुन्ना के घर ?जानने के लिए सुनते/पढ़ते रहे “मैं तेरी हीर”
“बड़ी माँ आपने क्यों तकलीफ की हम बाहर से आर्डर कर देते”,मुन्ना ने कहा
“कोई बात नहीं बेटा अनु ने हमसे कहा था की वो और मुरारी घर देर से आएंगे इसलिए हमने भिजवा दिया। वैसे भी तुम्हे बाहर का खाना कम ही पसंद आता है और आज हमने खाना भी तुम्हारी पसंद का बनाया है ,, हम दीना के हाथ भिजवा रहे है ,, ठीक है”,सारिका ने कहा
“ठीक है बड़ी माँ , थैंक्यू”,मुन्ना ने कहा
“धत माँ से कोई थैंक्यू कहता है भला , हम रखते है”,कहकर सारिका ने फोन काट दिया
मुन्ना ने फोन वापस जेब में रखा और उन सबकी तरफ आकर कहा,”खाना थोड़ी देर में आ जाएगा , तब तक आप लोग कुछ लेंगे ?”
“नहीं थैंक्यू”,गौरी ने पहले ही बोल दिया क्योकि वह मुन्ना को परेशान करना नहीं चाहती थी। मुन्ना कपडे बदलने चला गया।
ऋतू प्रिया और गौरी बैठकर बाते कर रही थी , कुछ देर बाद काशी भी चली आयी और उन सबके साथ बैठकर जबरदस्ती मुस्कुराने लगी। घर की बेल बजी तो गौरी ने कहा,”शायद खाना आ गया मैं लेकर आती हूँ”
गौरी ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने खड़े शख्स को देखकर हैरान हो गयी। सामने खाने का बैग लिए वंश खड़ा था।
क्रमश – “मैं तेरी हीर” – 64
Read More – “मैं तेरी हीर” – 62
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संजना किरोड़ीवाल